The Noble Qur'an Encyclopedia
Towards providing reliable exegeses and translations of the meanings of the Noble Qur'an in the world languagesAbraham [Ibrahim] - Hindi Translation
Surah Abraham [Ibrahim] Ayah 52 Location Maccah Number 14
अलिफ़॰ लाम॰ रा॰। (यह क़ुरआन) एक पुस्तक है, जिसे हमने आपकी ओर अवतरित किया है; ताकि आप लोगों को, उनके पालनहार की अनुमति से, अंधेरों से निकालकर प्रकाश की ओर ले आएँ, उस (अल्लाह) के रास्ते की ओर जो सब पर प्रभुत्वशाली, असीम प्रशंसा वाला है।
उस अल्लाह के (रास्ते की ओर) कि उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। तथा काफ़िरों के लिए कड़ी यातना के कारण बड़ा विनाश है।
जो आख़िरत के मुक़ाबले में सांसारिक जीवन को बहुत अधिक पसंद करते हैं और अल्लाह के मार्ग से रोकते और उसमें टेढ़ ढूँढते हैं। ये लोग बहुत दूर की गुमराही में हैं।
और हमने कोई रसूल नहीं भेजा परंतु उसकी जाति की भाषा में, ताकि वह उनके लिए खोलकर बयान करे। फिर अल्लाह जिसे चाहता है, पथभ्रष्ट कर देता है और जिसे चाहता है, मार्गदर्शन प्रदान करता है। और वही सब पर प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।
और निःसंदेह हमने मूसा को अपनी निशानियों (चमत्कारों) के साथ भेजा कि अपनी जाति को अंधेरों से प्रकाश की ओर निकाल ला और उन्हें अल्लाह के दिन याद दिला। निःसंदेह इसमें हर ऐसे व्यक्ति के लिए निश्चय बहुत-सी निशानियाँ हैं, जो बहुत सब्र करने वाला, बहुत शुक्र करने वाला है।
तथा जब मूसा ने अपनी जाति से कहा : तुम अपने ऊपर अल्लाह की नेमत को याद करो, जब उसने तुम्हें फ़िरऔनियों से छुटकारा दिलाया, जो तुम्हें घोर यातना देते थे, तुम्हारे बेटों का बुरी तरह वध करते और तुम्हारी स्त्रियों को जीवित[1] रखते थे। और इसमें तुम्हारे पालनहार की ओर से बहुत बड़ी आज़माइश थी।
तथा (याद करो) जब तुम्हारे पालनहार ने साफ घोषणा कर दी कि निःसंदेह यदि तुम शुक्र करोगे, तो मैं अवश्य ही तुम्हें अधिक दूँगा तथा निःसंदेह यदि तुम नाशुक्री करोगे, तो निःसंदेह मेरी यातना निश्चय बहुत कड़ी है।
और मूसा ने कहा : यदि तुम और वे लोग जो धरती में हैं, सब के सब कुफ़्र करो, तो निःसंदेह अल्लाह निश्चय बड़ा बेनियाज़[2], असीम प्रशंसा वाला है।
क्या तुम्हारे पास उन लोगों की ख़बर नहीं आई, जो तुमसे पहले थे; नूह़ की जाति की, तथा आद और समूद की और उन लोगों की जो उनके बाद थे, जिन्हें अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता? उनके रसूल उनके पास स्पष्ट निशानियाँ लेकर आए, तो उन्होंने अपने हाथ अपने मुँहों में लौटा लिए[3] और उन्होंने कहा : निःसंदेह हम उसे नहीं मानते, जिसके साथ तुम भेजे गए हो और निःसंदेह हम तो उसके बारे में जिसकी ओर तुम हमें बुलाते हो, एक उलझन में डाल देने वाले संदेह में पड़े हुए हैं।
उनके रसूलों ने कहा : क्या अल्लाह के बारे में कोई संदेह है, जो आकाशों तथा धरती का पैदा करने वाला है? वह तुम्हें इसलिए बुलाता[4] है कि तुम्हारे लिए तुम्हारे कुछ पाप क्षमा कर दे और तुम्हें एक निर्धारित अवधि तक अवसर दे।[5] उन्होंने कहा : तुम तो हमारे ही जैसे इनसान हो। तुम चाहते हो कि हमें उससे रोक दो, जिसकी पूजा हमारे बाप-दादा करते थे। तो तुम हमारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण लाओ।
उनके रसूलों ने उनसे कहा : हम तो तुम्हारे जैसे इनसान ही हैं, परन्तु अल्लाह अपने बंदों में से जिसपर चाहे, उपकार करता है। और हमारे लिए कभी संभव नहीं कि अल्लाह की अनुमति के बिना तुम्हारे पास कोई प्रमाण ले आएँ और ईमान वालों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिए।
और हमें क्या है कि हम अल्लाह पर भरोसा न करें, हालाँकि उसने हमें हमारे मार्ग दिखा दिए? और हम अवश्य उसपर धैर्य से काम लेंगे, जो तुम हमें कष्ट पहुँचाओगे। और भरोसा करने वालों को अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए।
और काफ़िरों ने अपने रसूलों से कहा : हम अवश्य तुम्हें अपने भू-भाग से निकाल देंगे, या अवश्य तुम हमारे पंथ में वापस आओगे। तो उनके पालनहार ने उनकी ओर वह़्य की कि निश्चय हम इन अत्याचारियों को अवश्य विनष्ट कर देंगे।
और निश्चय उनके बाद हम तुम्हें उस धरती में अवश्य बसा देंगे। यह उसके लिए है, जो मेरे समक्ष खड़ा होने से डरा[6] तथा मेरी चेतावनी से डरा।
और उन (रसूलों) ने विजय की प्रार्थना की और प्रत्येक सरकश, हठधर्मी असफल हो गया।
उसके आगे जहन्नम है और उसे पीप का पानी पिलाया जाएगा।
वह उसे कठिनाई से घूँट-घूँट पिएगा और उसे गले से न उतार सकेगा। और उसके पास मृत्यु प्रत्येक स्थान से आएगी। हालाँकि वह किसी प्रकार मरने वाला नहीं। और उसके सामने एक कठोर यातना है।
उन लोगों का उदाहरण जिन्होंने अपने पालनहार के साथ कुफ़्र किया, उनके कार्य उस राख की तरह हैं, जिसपर आँधी वाले दिन में हवा बहुत प्रचंड चली। वे लोग अपने किए में से कुछ नहीं पा सकेंगे। यही (सत्य से) बहुत दूर की गुमराही है।
क्या तूने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाशों तथा धरती की रचना सत्य के साथ की है? यदि वह चाहे, तो तुम सब को ले जाए और एक नई रचना ले आए।
और यह अल्लाह के लिए कुछ भी कठिन नहीं है।
और वे सब के सब अल्लाह के सामने पेश[7] होंगे, तो कमज़ोर लोग उन लोगों से कहेंगे, जो बड़े बने हुए थे : निःसंदेह हम तुम्हारे अनुयायी थे, तो क्या तुम हमें अल्लाह की यातना से बचाने में कुछ भी काम आने वाले हो? वे कहेंगे : यदि अल्लाह ने हमें मार्ग दिखाया होता, तो हम तुम्हें अवश्य मार्ग दिखाते। अब हमारे लिए बराबर है कि हम व्याकुल हों, या हम धैर्य से काम लें। हमारे लिए भागने की कोई जगह नहीं है।
और जब निर्णय कर दिया[8] जाएगा, तो शैतान कहेगा : निःसंदेह अल्लाह ने तुमसे सच्चा वादा किया था। और मैंने (भी) तुमसे वादा किया था, तो मैंने तुमसे वादाखिलाफ़ी की। और मेरा तुमपर कोई आधिपत्य नहीं था, सिवाय इसके कि मैंने तुम्हें (अपनी ओर) बुलाया, तो तुमने मेरी बात मान ली। अब मेरी निंदा न करो, बल्कि स्वयं अपनी निंदा करो। न मैं तुम्हारी फ़रयाद सुन सकता हूँ और न तुम मेरी फ़रयाद सुन सकते हो। निःसंदेह मैं उसका इनकार करता हूँ, जो तुमने इससे पहले[9] मुझे साझी बनाया। निश्चय अत्याचारियों के लिए दर्दनाक यातना है।
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कार्य किए, उन्हें ऐसी जन्नतों में प्रवेश कराया जाएगा, जिनके (महलों और पेड़ों के) नीचे से नहरें बहती हैं। वे अपने पालनहार की अनुमति से उनमें हमेशा रहने वाले होंगे। उसमें उनका अभिवादन 'सलाम' से होगा।
(ऐ नबी!) क्या आपने नहीं देखा कि अल्लाह ने एक पवित्र कलिमा[10] का उदाहरण कैसे दिया (कि वह) एक पवित्र वृक्ष की तरह है, जिसकी जड़ (भूमि में) सुदृढ़ है और जिसकी शाखा आकाश में है?
वह अपने पालनहार की अनुमति से प्रत्येक समय अपना फल देता है। और अल्लाह लोगों के लिए उदाहरण देता है, ताकि वे शिक्षा ग्रहण करें।
और बुरी[11] बात का उदाहरण एक बुरे पेड़ की तरह है, जो धरती की सतह से उखाड़ लिया गया, जिसमें कोई स्थिरता नहीं है।
अल्लाह ईमान लाने वालों को दृढ़ बात[12] के द्वारा दुनिया तथा आख़िरत में स्थिरता प्रदान करता है तथा अत्याचारियों को गुमराह कर देता है। और अल्लाह जो चाहता है, करता है।
क्या आपने उन लोगों[13] को नहीं देखा, जिन्होंने अल्लाह की नेमत को नाशुक्री से बदल दिया और अपनी जाति को विनाश के घर में ला उतारा।
(अर्थात्) जहन्नम में। वे उसमें प्रवेश करेंगे और वह बुरा ठिकाना है।
और उन्होंने अल्लाह के कुछ साझी बना लिए, ताकि उसके मार्ग से (लोगों को) पथभ्रष्ट करें। आप कह दें : लाभ उठा लो। फिर निःसंदेह तुम्हें आग की ओर लौटना है।
(ऐ नबी!) मेरे उन बंदों से कह दो, जो ईमान लाए हैं कि वे नमाज़ क़ायम करें और उसमें से जो हमने उन्हें प्रदान किया है, छिपे और खुले ख़र्च करें, इससे पहले कि वह दिन आए, जिसमें न कोई क्रय-विक्रय होगा और न कोई मैत्री।
अल्लाह वह है, जिसने आकाशों तथा धरती को पैदा किया, और आकाश से कुछ पानी उतारा, फिर उसके द्वारा तुम्हारे लिए फलों में से कुछ जीविका निकाली, और तुम्हारे लिए नौकाओं को वशीभूत कर दिया, ताकि वे सागर में उसके आदेश से चलें और तुम्हारे लिए नदियों को वशीभूत कर दिया।
तथा तुम्हारे लिए सूर्य और चाँद को वशीभूत कर दिया कि निरंतर चलने वाले हैं, तथा तुम्हारे लिए रात और दन को वशीभूत[14] कर दिया।
और तुम्हें हर उस चीज़ में से दिया, जो तुमने उससे माँगी।[15] और यदि तुम अल्लाह की नेमत की गणना करो, तो उसकी गणना नहीं कर पाओगे। निःसंदेह मनुष्य निश्चय बड़ा अत्याचारी, बहुत नाशुक्रा है।
तथा (याद करो) जब इबराहीम ने कहा : ऐ मेरे पालनहार! इस नगर (मक्का) को शांति एवं सुरक्षा वाला बना दे, तथा मुझे और मेरे बेटों को मूर्तियों की पूजा करने से बचा ले।
ऐ मेरे पालनहार! निःसंदेह इन्होंने बहुत-से लोगों को गुमराह कर दिया। अतः जो मेरे पीछे चला, वह मुझसे है और जिसने मेरी अवज्ञा की, तो निश्चय तू अत्यंत क्षमाशील, बड़ा दयावान् है।
ऐ हमारे पालनहार! निःसंदेह मैंने अपनी कुछ संतान को इस घाटी में, जो किसी खेती वाली नहीं, तेरे सम्मानित घर (काबा) के पास, बसाया है। ऐ हमारे पालनहार! ताकि वे नमाज़ क़ायम करें। अतः कुछ लोगों के दिलों को ऐसे कर दे कि उनकी ओर झुके रहें और उन्हें फलों से जीविका प्रदान कर, ताकि वे शुक्रिया अदा करें।
ऐ हमारे पालनहार! निश्चय तू जानता है, जो हम छिपाते हैं और जो हम प्रकट करते हैं। और अल्लाह से कोई चीज़ नहीं छिपती धरती में और न आकाश में।
सब प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है, जिसने मुझे बुढ़ापे के बावजूद (दो पुत्र) इसमाईल और इसहाक़ प्रदान किए। निःसंदेह मेरा पालनहार तो बहुत दुआ सुनने वाला है।
मेरे पालनहार! मुझे नमाज़ क़ायम करने वाला बना तथा मेरी संतान में से भी। ऐ हमारे पालनहार! और मेरी दुआ स्वीकार कर।
ऐ हमारे पालनहार! मुझे क्षमा कर दे तथा मेरे माता-पिता को और ईमान वालों को, जिस दिन हिसाब लिया जाएगा।
और तुम अल्लाह को उससे हरगिज़ असावधान न समझो, जो अत्याचारी लोग कर रहे हैं! वह तो उन्हें उस दिन[16] के लिए विलंबित कर रहा है, जिस दिन आँखें खुली रह जाएँगी।
इस हाल में कि वे तेज़ डौड़ने वाले, अपने सिर को ऊपर उठाने वाले होंगे। उनकी निगाह उनकी ओर नहीं लौटेगी और उनके दिल ख़ाली[17] होंगे।
और (ऐ नबी!) लोगों को उस दिन से डराएँ, जब उनपर यातना आ जाएगी, तो वे लोग जिन्होंने अत्याचार किया, कहेंगे : ऐ हमारे पालनहार! हमें कुछ समय तक मोहलत दे दे, हम तेरा आमंत्रण स्वीकार करेंगे और रसूलों का अनुसरण करेंगे।(कहा जाएगा :) क्या तुमने इससे पहले क़समें नहीं खाई थीं कि तुम्हारे लिए कोई भी स्थानांतरण नहीं?
और तुम उन लोगों की बस्तियों में आबाद रहे, जिन्होंने अपने ऊपर अत्याचार किया था और तुम्हारे लिए अच्छी तरह स्पष्ट हो गया कि हमने उनके साथ किस तरह किया? और हमने तुम्हारे लिए कई उदाहरण प्रस्तुत किए।
और निःसंदेह उन्होंने अपना उपाय किया। और अल्लाह ही के पास[18] उनका उपाय है। और उनका उपाय हरगिज़ ऐसा न था कि उससे पर्वत टल जाएँ।
अतः आप हरगिज़ यह न समझें कि अल्लाह अपने रसूलों से किए हुए अपने वादे के विरुद्ध करने वाला है। निःसंदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, बदला लेने वाला है।
जिस दिन यह धरती अन्य धरती से बदल दी जाएगी और सब आकाश भी। तथा लोग अल्लाह के समक्ष[19] प्रस्तुत होंगे, जो अकेला, सब पर प्रभुत्वशाली है।
और आप अपराधियों को उस दिन ज़ंजीरों में एक-दूसरे के साथ जकड़े हुए देखेंगे।
उनके वस्त्र तारकोल के होंगे और उनके चेहरों को आग ढाँपे होगी।
ताकि अल्लाह प्रत्येक प्राणी को उसके किए का बदला दे। निःसंदेह अल्लाह शीघ्र हिसाब लेने वाला है।
यह लोगों के लिए एक सूचना है और ताकि उन्हें इसके साथ डराया जाए और ताकि वे जान लें कि वही एक सत्य पूज्य है और ताकि बुद्धि वाले लोग शिक्षा ग्रहण करें।