Setting
Surah Alms Giving [Al-Maun] in Hindi
أَرَءَيْتَ ٱلَّذِى يُكَذِّبُ بِٱلدِّينِ ﴿١﴾
क्या तुमने उस शख़्श को भी देखा है जो रोज़ जज़ा को झुठलाता है
क्या तुमने उसे देखा जो दीन को झुठलाता है?
فَذَٰلِكَ ٱلَّذِى يَدُعُّ ٱلْيَتِيمَ ﴿٢﴾
ये तो वही (कम्बख्त) है जो यतीम को धक्के देता है
वही तो है जो अनाथ को धक्के देता है,
وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلْمِسْكِينِ ﴿٣﴾
और मोहताजों को खिलाने के लिए (लोगों को) आमादा नहीं करता
और मुहताज के खिलाने पर नहीं उकसाता
فَوَيْلٌۭ لِّلْمُصَلِّينَ ﴿٤﴾
तो उन नमाज़ियों की तबाही है
अतः तबाही है उन नमाज़ियों के लिए,
ٱلَّذِينَ هُمْ عَن صَلَاتِهِمْ سَاهُونَ ﴿٥﴾
जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल रहते हैं
जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल (असावधान) हैं,
ٱلَّذِينَ هُمْ يُرَآءُونَ ﴿٦﴾
जो दिखाने के वास्ते करते हैं
जो दिखावे के लिए कार्य करते हैं,
وَيَمْنَعُونَ ٱلْمَاعُونَ ﴿٧﴾
और रोज़मर्रा की मालूली चीज़ें भी आरियत नहीं देते
और साधारण बरतने की चीज़ भी किसी को नहीं देते