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Surah The Thunder [Ar-Rad] in Hindi

Surah The Thunder [Ar-Rad] Ayah 43 Location Maccah Number 13

الٓمٓر ۚ تِلْكَ ءَايَٰتُ ٱلْكِتَٰبِ ۗ وَٱلَّذِىٓ أُنزِلَ إِلَيْكَ مِن رَّبِّكَ ٱلْحَقُّ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يُؤْمِنُونَ ﴿١﴾

अलिफ़ लाम मीम रा ये किताब (क़ुरान) की आयतें है और तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से जो कुछ तुम्हारे पास नाज़िल किया गया है बिल्कुल ठीक है मगर बहुतेरे लोग ईमान नहीं लाते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ रा॰। ये किताब की आयतें है औऱ जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर अवतरित हुआ है, वह सत्य है, किन्तु अधिकतर लोग मान नहीं रहे है

ٱللَّهُ ٱلَّذِى رَفَعَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ بِغَيْرِ عَمَدٍۢ تَرَوْنَهَا ۖ ثُمَّ ٱسْتَوَىٰ عَلَى ٱلْعَرْشِ ۖ وَسَخَّرَ ٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ ۖ كُلٌّۭ يَجْرِى لِأَجَلٍۢ مُّسَمًّۭى ۚ يُدَبِّرُ ٱلْأَمْرَ يُفَصِّلُ ٱلْءَايَٰتِ لَعَلَّكُم بِلِقَآءِ رَبِّكُمْ تُوقِنُونَ ﴿٢﴾

ख़ुदा वही तो है जिसने आसमानों को जिन्हें तुम देखते हो बग़ैर सुतून (खम्बों) के उठाकर खड़ा कर दिया फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ और सूरज और चाँद को (अपना) ताबेदार बनाया कि हर एक वक्त मुक़र्ररा तक चला करते है वही (दुनिया के) हर एक काम का इन्तेज़ाम करता है और इसी ग़रज़ से कि तुम लोग अपने परवरदिगार के सामने हाज़िर होने का यक़ीन करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह वह है जिसने आकाशों को बिना सहारे के ऊँचा बनाया जैसा कि तुम उन्हें देखते हो। फिर वह सिंहासन पर आसीन हुआ। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम पर लगाया। हरेक एक नियत समय तक के लिए चला जा रहा है। वह सारे काम का विधान कर रहा है; वह निशानियाँ खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम्हें अपने रब से मिलने का विश्वास हो

وَهُوَ ٱلَّذِى مَدَّ ٱلْأَرْضَ وَجَعَلَ فِيهَا رَوَٰسِىَ وَأَنْهَٰرًۭا ۖ وَمِن كُلِّ ٱلثَّمَرَٰتِ جَعَلَ فِيهَا زَوْجَيْنِ ٱثْنَيْنِ ۖ يُغْشِى ٱلَّيْلَ ٱلنَّهَارَ ۚ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَٰتٍۢ لِّقَوْمٍۢ يَتَفَكَّرُونَ ﴿٣﴾

(अपनी) आयतें तफसीलदार बयान करता है और वह वही है जिसने ज़मीन को बिछाया और उसमें (बड़े बड़े) अटल पहाड़ और दरिया बनाए और उसने हर तरह के मेवों की दो दो किस्में पैदा की (जैसे खट्टे मीठे) वही रात (के परदे) से दिन को ढाक देता है इसमें शक़ नहीं कि जो लोग और ग़ौर व फिक्र करते हैं उनके लिए इसमें (कुदरत खुदा की) बहुतेरी निशानियाँ हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वही है जिसने धरती को फैलाया और उसमें जमे हुए पर्वत और नदियाँ बनाई और हरेक पैदावार की दो-दो क़िस्में बनाई। वही रात से दिन को छिपा देता है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है जो सोच-विचार से काम लेते है

وَفِى ٱلْأَرْضِ قِطَعٌۭ مُّتَجَٰوِرَٰتٌۭ وَجَنَّٰتٌۭ مِّنْ أَعْنَٰبٍۢ وَزَرْعٌۭ وَنَخِيلٌۭ صِنْوَانٌۭ وَغَيْرُ صِنْوَانٍۢ يُسْقَىٰ بِمَآءٍۢ وَٰحِدٍۢ وَنُفَضِّلُ بَعْضَهَا عَلَىٰ بَعْضٍۢ فِى ٱلْأُكُلِ ۚ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَٰتٍۢ لِّقَوْمٍۢ يَعْقِلُونَ ﴿٤﴾

और खुरमों (खजूर) के दरख्त की एक जड़ और दो याखें और बाज़ अकेला (एक ही याख़ का) हालॉकि सब एक ही पानी से सीचे जाते हैं और फलों में बाज़ को बाज़ पर हम तरजीह देते हैं बेशक जो लोग अक़ल वाले हैं उनके लिए इसमें (कुदरत खुदा की) बहुतेरी निशानियाँ हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और धरती में पास-पास भूभाग पाए जाते है जो परस्पर मिले हुए है, और अंगूरों के बाग़ है और खेतियाँ है औऱ खजूर के पेड़ है, इकहरे भी और दोहरे भी। सबको एक ही पानी से सिंचित करता है, फिर भी हम पैदावार और स्वाद में किसी को किसी के मुक़ाबले में बढ़ा देते है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं, जो बुद्धि से काम लेते है

۞ وَإِن تَعْجَبْ فَعَجَبٌۭ قَوْلُهُمْ أَءِذَا كُنَّا تُرَٰبًا أَءِنَّا لَفِى خَلْقٍۢ جَدِيدٍ ۗ أُو۟لَٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِرَبِّهِمْ ۖ وَأُو۟لَٰٓئِكَ ٱلْأَغْلَٰلُ فِىٓ أَعْنَاقِهِمْ ۖ وَأُو۟لَٰٓئِكَ أَصْحَٰبُ ٱلنَّارِ ۖ هُمْ فِيهَا خَٰلِدُونَ ﴿٥﴾

और अगर तुम्हें (किसी बात पर) ताज्जुब होता है तो उन कुफ्फारों को ये क़ौल ताज्जुब की बात है कि जब हम (सड़गल कर) मिट्टी हो जाएंगें तो क्या हम (फिर दोबारा) एक नई जहन्नुम में आंऎंगें ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने परवरदिगार के साथ कुफ्र किया और यही वह लोग हैं जिनकी गर्दनों में (क़यामत के दिन) तौक़ पड़े होगें और यही लोग जहन्नुमी हैं कि ये इसमें हमेशा रहेगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अब यदि तुम्हें आश्चर्य ही करना है तो आश्चर्य की बात तो उनका यह कहना है कि ,\"क्या जब हम मिट्टी हो जाएँगे तो क्या हम नए सिरे से पैदा भी होंगे?\" वही हैं जिन्होंने अपने रब के साथ इनकार की नीति अपनाई और वही है, जिनकी गर्दनों मे तौक़ पड़े हुए है और वही आग (में पड़ने) वाले है जिसमें उन्हें सदैव रहना है

وَيَسْتَعْجِلُونَكَ بِٱلسَّيِّئَةِ قَبْلَ ٱلْحَسَنَةِ وَقَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِهِمُ ٱلْمَثُلَٰتُ ۗ وَإِنَّ رَبَّكَ لَذُو مَغْفِرَةٍۢ لِّلنَّاسِ عَلَىٰ ظُلْمِهِمْ ۖ وَإِنَّ رَبَّكَ لَشَدِيدُ ٱلْعِقَابِ ﴿٦﴾

और (ऐ रसूल) ये लोग तुम से भलाई के क़ब्ल ही बुराई (अज़ाब) की जल्दी मचा रहे हैं हालॉकि उनके पहले (बहुत से लोगों की) सज़ाएं हो चुकी हैं और इसमें शक़ नहीं की तुम्हारा परवरदिगार बावजूद उनकी शरारत के लोगों पर बड़ा बख़शिश (करम) वाला है और इसमें भी शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन सख्त अज़ाब वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे भलाई से पहले बुराई के लिए तुमसे जल्दी मचा रहे हैं, हालाँकि उनसे पहले कितनी ही शिक्षाप्रद मिसालें गुज़र चुकी है। किन्तु तुम्हारा रब लोगों को उनके अत्याचार के बावजूद क्षमा कर देता है और वास्तव में तुम्हारा रब दंड देने में भी बहुत कठोर है

وَيَقُولُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَوْلَآ أُنزِلَ عَلَيْهِ ءَايَةٌۭ مِّن رَّبِّهِۦٓ ۗ إِنَّمَآ أَنتَ مُنذِرٌۭ ۖ وَلِكُلِّ قَوْمٍ هَادٍ ﴿٧﴾

और वो लोग काफिर हैं कहते हैं कि इस शख़्श (मोहम्मद) पर उसके परवरदिगार की तरफ से कोई निशानी (हमारी मर्ज़ी के मुताबिक़) क्यों नहीं नाज़िल की जाती ऐ रसूल तुम तो सिर्फ (ख़ौफे ख़ुदा से) डराने वाले हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिन्होंने इनकार किया, वे कहते हैं, \"उसपर उसके रब की ओर से कोई निशानी क्यों नहीं अवतरित हुई?\" तुम तो बस एक चेतावनी देनेवाले हो और हर क़ौम के लिए एक मार्गदर्शक हुआ है

ٱللَّهُ يَعْلَمُ مَا تَحْمِلُ كُلُّ أُنثَىٰ وَمَا تَغِيضُ ٱلْأَرْحَامُ وَمَا تَزْدَادُ ۖ وَكُلُّ شَىْءٍ عِندَهُۥ بِمِقْدَارٍ ﴿٨﴾

और हर क़ौम के लिए एक हिदायत करने वाला है हर मादा जो कि पेट में लिए हुए है और उसको ख़ुदा ही जानता है व बच्चा दानियों का घटना बढ़ना (भी वही जानता है) और हर चीज़ उसके नज़दीक़ एक अन्दाजे से है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किसी भी स्त्री-जाति को जो भी गर्भ रहता है अल्लाह उसे जान रहा होता है और उसे भी जो गर्भाशय में कमी-बेशी होती है। और उसके यहाँ हरेक चीज़ का एक निश्चित अन्दाज़ा है

عَٰلِمُ ٱلْغَيْبِ وَٱلشَّهَٰدَةِ ٱلْكَبِيرُ ٱلْمُتَعَالِ ﴿٩﴾

(वही) बातिन (छुपे हुवे) व ज़ाहिर का जानने वाला (सब से) बड़ा और आलीशान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह परोक्ष और प्रत्यक्ष का ज्ञाता है, महान है, अत्यन्त उच्च है

سَوَآءٌۭ مِّنكُم مَّنْ أَسَرَّ ٱلْقَوْلَ وَمَن جَهَرَ بِهِۦ وَمَنْ هُوَ مُسْتَخْفٍۭ بِٱلَّيْلِ وَسَارِبٌۢ بِٱلنَّهَارِ ﴿١٠﴾

तुम लोगों में जो कोई चुपके से बात कहे और जो शख़्श ज़ोर से पुकार के बोले और जो शख़्श रात की तारीक़ी (अंधेरे) में छुपा बैठा हो और जो शख़्श दिन दहाडें चला जा रहा हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुममें से कोई चुपके से बात करे और जो कोई ज़ोर से और जो कोई रात में छिपता हो और जो दिन में चलता-फिरता दीख पड़ता हो उसके लिए सब बराबर है

لَهُۥ مُعَقِّبَٰتٌۭ مِّنۢ بَيْنِ يَدَيْهِ وَمِنْ خَلْفِهِۦ يَحْفَظُونَهُۥ مِنْ أَمْرِ ٱللَّهِ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يُغَيِّرُ مَا بِقَوْمٍ حَتَّىٰ يُغَيِّرُوا۟ مَا بِأَنفُسِهِمْ ۗ وَإِذَآ أَرَادَ ٱللَّهُ بِقَوْمٍۢ سُوٓءًۭا فَلَا مَرَدَّ لَهُۥ ۚ وَمَا لَهُم مِّن دُونِهِۦ مِن وَالٍ ﴿١١﴾

(उसके नज़दीक) सब बराबर हैं (आदमी किसी हालत में हो मगर) उस अकेले के लिए उसके आगे उसके पीछे उसके निगेहबान (फरिश्ते) मुक़र्रर हैं कि उसको हुक्म ख़ुदा से हिफाज़त करते हैं जो (नेअमत) किसी क़ौम को हासिल हो बेशक वह लोग खुद अपनी नफ्सानी हालत में तग्य्युर न डालें ख़ुदा हरगिज़ तग्य्युर नहीं डाला करता और जब ख़ुदा किसी क़ौम पर बुराई का इरादा करता है तो फिर उसका कोई टालने वाला नहीं और न उसका उसके सिवा कोई वाली और (सरपरस्त) है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसके रक्षक (पहरेदार) उसके अपने आगे और पीछे लगे होते हैं जो अल्लाह के आदेश से उसकी रक्षा करते है। किसी क़ौम के लोगों को जो कुछ प्राप्त होता है अल्लाह उसे बदलता नहीं, जब तक कि वे स्वयं अपने आपको न बदल डालें। और जब अल्लाह किसी क़ौम का अनिष्ट चाहता है तो फिर वह उससे टल नहीं सकता, और उससे हटकर उनका कोई समर्थक और संरक्षक भी नहीं

هُوَ ٱلَّذِى يُرِيكُمُ ٱلْبَرْقَ خَوْفًۭا وَطَمَعًۭا وَيُنشِئُ ٱلسَّحَابَ ٱلثِّقَالَ ﴿١٢﴾

वह वही तो है जो तुम्हें डराने और लालच देने के वास्ते बिजली की चमक दिखाता है और पानी से भरे बोझल बादलों को पैदा करता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वही है जो भय और आशा के निमित्त तुम्हें बिजली की चमक दिखाता है और बोझिल बादलों को उठाता है

وَيُسَبِّحُ ٱلرَّعْدُ بِحَمْدِهِۦ وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ مِنْ خِيفَتِهِۦ وَيُرْسِلُ ٱلصَّوَٰعِقَ فَيُصِيبُ بِهَا مَن يَشَآءُ وَهُمْ يُجَٰدِلُونَ فِى ٱللَّهِ وَهُوَ شَدِيدُ ٱلْمِحَالِ ﴿١٣﴾

और ग़र्ज और फरिश्ते उसके ख़ौफ से उसकी हम्दो सना की तस्बीह किया करते हैं वही (आसमान से) बिजलियों को भेजता है फिर उसे जिस पर चाहता है गिरा भी देता है और ये लोग ख़ुदा के बारे में (ख्वामाख्वाह) झगड़े करते हैं हालॉकि वह बड़ा सख्त क़ूवत वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बादल की गरज उसका गुणगान करती है और उसके भय से काँपते हुए फ़रिश्ते भी। वही कड़कती बिजलियाँ भेजता है, फिर जिसपर चाहता है उन्हें गिरा देता है, जबकि वे अल्लाह के विषय में झगड़ रहे होते है। निश्चय ही उसकी चाल बड़ी सख़्त है

لَهُۥ دَعْوَةُ ٱلْحَقِّ ۖ وَٱلَّذِينَ يَدْعُونَ مِن دُونِهِۦ لَا يَسْتَجِيبُونَ لَهُم بِشَىْءٍ إِلَّا كَبَٰسِطِ كَفَّيْهِ إِلَى ٱلْمَآءِ لِيَبْلُغَ فَاهُ وَمَا هُوَ بِبَٰلِغِهِۦ ۚ وَمَا دُعَآءُ ٱلْكَٰفِرِينَ إِلَّا فِى ضَلَٰلٍۢ ﴿١٤﴾

(मुसीबत के वक्त) उसी का (पुकारना) ठीक पुकारना है और जो लोग उसे छोड़कर (दूसरों को) पुकारते हैं वह तो उनकी कुछ सुनते तक नहीं मगर जिस तरह कोई शख़्श (बग़ैर उंगलियां मिलाए) अपनी दोनों हथेलियाँ पानी की तरफ फैलाए ताकि पानी उसके मुँह में पहुँच जाए हालॉकि वह किसी तरह पहुँचने वाला नहीं और (इसी तरह) काफिरों की दुआ गुमराही में (पड़ी बहकी फिरा करती है)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसी के लिए सच्ची पुकार है। उससे हटकर जिनको वे पुकारते है, वे उनकी पुकार का कुछ भी उत्तर नहीं देते। बस यह ऐसा ही होता है जैसे कोई अपने दोनों हाथ पानी की ओर इसलिए फैलाए कि वह उसके मुँह में पहुँच जाए, हालाँकि वह उसतक पहुँचनेवाला नहीं। कुफ़्र करनेवालों की पुकार तो बस भटकने ही के लिए होती है

وَلِلَّهِ يَسْجُدُ مَن فِى ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ طَوْعًۭا وَكَرْهًۭا وَظِلَٰلُهُم بِٱلْغُدُوِّ وَٱلْءَاصَالِ ۩ ﴿١٥﴾

और आसमानों और ज़मीन में (मख़लूक़ात से) जो कोई भी है खुशी से या ज़बरदस्ती सब (अल्लाह के आगे सर बसजूद हैं और (इसी तरह) उनके साए भी सुबह व शाम (सजदा करते हैं) (15) (सजदा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

आकाशों और धरती में जो भी है स्वेच्छापूर्वक या विवशतापूर्वक अल्लाह ही को सजदा कर रहे है और उनकी परछाइयाँ भी प्रातः और संध्या समय

قُلْ مَن رَّبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ قُلِ ٱللَّهُ ۚ قُلْ أَفَٱتَّخَذْتُم مِّن دُونِهِۦٓ أَوْلِيَآءَ لَا يَمْلِكُونَ لِأَنفُسِهِمْ نَفْعًۭا وَلَا ضَرًّۭا ۚ قُلْ هَلْ يَسْتَوِى ٱلْأَعْمَىٰ وَٱلْبَصِيرُ أَمْ هَلْ تَسْتَوِى ٱلظُّلُمَٰتُ وَٱلنُّورُ ۗ أَمْ جَعَلُوا۟ لِلَّهِ شُرَكَآءَ خَلَقُوا۟ كَخَلْقِهِۦ فَتَشَٰبَهَ ٱلْخَلْقُ عَلَيْهِمْ ۚ قُلِ ٱللَّهُ خَٰلِقُ كُلِّ شَىْءٍۢ وَهُوَ ٱلْوَٰحِدُ ٱلْقَهَّٰرُ ﴿١٦﴾

(ऐ रसूल) तुम पूछो कि (आख़िर) आसमान और ज़मीन का परवरदिगार कौन है (ये क्या जवाब देगें) तुम कह दो कि अल्लाह है (ये भी कह दो कि क्या तुमने उसके सिवा दूसरे कारसाज़ बना रखे हैं जो अपने लिए आप न तो नफे पर क़ाबू रखते हैं न ज़रर (नुकसान) पर (ये भी तो) पूछो कि भला (कहीं) अन्धा और ऑंखों वाला बराबर हो सकता है (हरगिज़ नहीं) (या कहीं) अंधेरा और उजाला बराबर हो सकता है (हरगिज़ नहीं) इन लोगों ने ख़ुदा के कुछ शरीक़ ठहरा रखे हैं क्या उन्होनें ख़ुदा ही की सी मख़लूक़ पैदा कर रखी है जिनके सबब मख़लूकात उन पर मुशतबा हो गई है (और उनकी खुदाई के क़ायल हो गए) तुम कह दो कि ख़ुदा ही हर चीज़ का पैदा करने वाला और वही यकता और सिपर (सब पर) ग़ालिब है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहो, \"आकाशों और धरती का रब कौन है?\" कहो, \"अल्लाह\" कह दो, \"फिर क्या तुमने उससे हटकर दूसरों को अपना संरक्षक बना रखा है, जिन्हें स्वयं अपने भी किसी लाभ का न अधिकार प्राप्त है और न किसी हानि का?\" कहो, \"क्या अंधा और आँखोंवाला दोनों बराबर होते है? या बराबर होते हो अँधरे और प्रकाश? या जिनको अल्लाह का सहभागी ठहराया है, उन्होंने भी कुछ पैदा किया है, जैसा कि उसने पैदा किया है, जिसके कारण सृष्टि का मामला इनके लिए गडुमडु हो गया है?\" कहो, \"हर चीज़ को पैदा करनेवाला अल्लाह है और वह अकेला है, सब पर प्रभावी!\"

أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۭ فَسَالَتْ أَوْدِيَةٌۢ بِقَدَرِهَا فَٱحْتَمَلَ ٱلسَّيْلُ زَبَدًۭا رَّابِيًۭا ۚ وَمِمَّا يُوقِدُونَ عَلَيْهِ فِى ٱلنَّارِ ٱبْتِغَآءَ حِلْيَةٍ أَوْ مَتَٰعٍۢ زَبَدٌۭ مِّثْلُهُۥ ۚ كَذَٰلِكَ يَضْرِبُ ٱللَّهُ ٱلْحَقَّ وَٱلْبَٰطِلَ ۚ فَأَمَّا ٱلزَّبَدُ فَيَذْهَبُ جُفَآءًۭ ۖ وَأَمَّا مَا يَنفَعُ ٱلنَّاسَ فَيَمْكُثُ فِى ٱلْأَرْضِ ۚ كَذَٰلِكَ يَضْرِبُ ٱللَّهُ ٱلْأَمْثَالَ ﴿١٧﴾

उसी ने आसमान से पानी बरसाया फिर अपने अपने अन्दाज़े से नाले बह निकले फिर पानी के रेले पर (जोश खाकर) फूला हुआ झाग (फेन) आ गया और उस चीज़ (धातु) से भी जिसे ये लोग ज़ेवर या कोई असबाब बनाने की ग़रज़ से आग में तपाते हैं इसी तरह फेन आ जाता है (फिर अलग हो जाता है) युं ख़ुदा हक़ व बातिल की मसले बयान फरमाता है (कि पानी हक़ की मिसाल और फेन बातिल की) ग़रज़ फेन तो खुश्क होकर ग़ायब हो जाता है जिससे लोगों को नफा पहुँचता है (पानी) वह ज़मीन में ठहरा रहता है युं ख़ुदा (लोगों के समझाने के वास्ते) मसले बयान फरमाता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने आकाश से पानी उतारा तो नदी-नाले अपनी-अपनी समाई के अनुसार बह निकले। फिर पानी के बहाव ने उभरे हुए झाग को उठा लिया और उसमें से भी, जिसे वे ज़ेवर या दूसरे सामान बनाने के लिए आग में तपाते हैं, ऐसा ही झाग उठता है। इस प्रकार अल्लाह सत्य और असत्य की मिसाल बयान करता है। फिर जो झाग है वह तो सूखकर नष्ट हो जाता है और जो कुछ लोगों को लाभ पहुँचानेवाला होता है, वह धरती में ठहर जाता है। इसी प्रकार अल्लाह दृष्टांत प्रस्तुत करता है

لِلَّذِينَ ٱسْتَجَابُوا۟ لِرَبِّهِمُ ٱلْحُسْنَىٰ ۚ وَٱلَّذِينَ لَمْ يَسْتَجِيبُوا۟ لَهُۥ لَوْ أَنَّ لَهُم مَّا فِى ٱلْأَرْضِ جَمِيعًۭا وَمِثْلَهُۥ مَعَهُۥ لَٱفْتَدَوْا۟ بِهِۦٓ ۚ أُو۟لَٰٓئِكَ لَهُمْ سُوٓءُ ٱلْحِسَابِ وَمَأْوَىٰهُمْ جَهَنَّمُ ۖ وَبِئْسَ ٱلْمِهَادُ ﴿١٨﴾

जिन लोगों ने अपने परवरदिगार का कहना माना उनके लिए बहुत बेहतरी है और जिन लोगों ने उसका कहा न माना (क़यामत में उनकी ये हालत होगी) कि अगर उन्हें रुए ज़मीन के सब ख़ज़ाने बल्कि उसके साथ इतना और मिल जाए तो ये लोग अपनी नजात के बदले उसको (ये खुशी) दे डालें (मगर फिर भी कोई फायदा नहीं) यही लोग हैं जिनसे बुरी तरह हिसाब लिया जाएगा और आख़िर उन का ठिकाना जहन्नुम है और वह क्या बुरी जगह है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिन लोगों ने अपने रब का आमंत्रण स्वीकार कर लिया, उनके लिए अच्छा पुरस्कार है। रहे वे लोग जिन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो धरती में हैं, बल्कि उसके साथ उतना और भी हो तो अपनी मुक्ति के लिए वे सब दे डालें। वही हैं, जिनका बुरा हिसाब होगा। उनका ठिकाना जहन्नम है और वह अत्यन्त बुरा विश्राम-स्थल है

۞ أَفَمَن يَعْلَمُ أَنَّمَآ أُنزِلَ إِلَيْكَ مِن رَّبِّكَ ٱلْحَقُّ كَمَنْ هُوَ أَعْمَىٰٓ ۚ إِنَّمَا يَتَذَكَّرُ أُو۟لُوا۟ ٱلْأَلْبَٰبِ ﴿١٩﴾

(ऐ रसूल) भला वह शख़्श जो ये जानता है कि जो कुछ तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाज़िल हुआ है बिल्कुल ठीक है कभी उस शख़्श के बराबर हो सकता है जो मुत्तलिक़ (पूरा) अंधा है (हरगिज़ नहीं)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

भला वह व्यक्ति जो जानता है कि जो कुछ तुम पर उतरा है तुम्हारे रब की ओर से सत्य है, कभी उस जैसा हो सकता है जो अंधा है? परन्तु समझते तो वही है जो बुद्धि और समझ रखते है,

ٱلَّذِينَ يُوفُونَ بِعَهْدِ ٱللَّهِ وَلَا يَنقُضُونَ ٱلْمِيثَٰقَ ﴿٢٠﴾

इससे तो बस कुछ समझदार लोग ही नसीहत हासिल करते हैं वह लोग है कि ख़ुदा से जो एहद किया उसे पूरा करते हैं और अपने पैमान को नहीं तोड़ते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो अल्लाह के साथ की हुई प्रतिज्ञा को पूरा करते है औऱ अभिवचन को तोड़ते नहीं,

وَٱلَّذِينَ يَصِلُونَ مَآ أَمَرَ ٱللَّهُ بِهِۦٓ أَن يُوصَلَ وَيَخْشَوْنَ رَبَّهُمْ وَيَخَافُونَ سُوٓءَ ٱلْحِسَابِ ﴿٢١﴾

(ये) वह लोग हैं कि जिन (ताल्लुक़ात) के क़ायम रखने का ख़ुदा ने हुक्म दिया उन्हें क़ायम रखते हैं और अपने परवरदिगार से डरते हैं और (क़यामत के दिन) बुरी तरह हिसाब लिए जाने से ख़ौफ खाते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जो ऐसे हैं कि अल्लाह नॆ जिसे जोड़ने का आदेश दिया है उसे जोड़ते हैं और अपनॆ रब से डरते रहते हैं और बुरॆ हिसाब का उन्हॆं डर लगा रहता है

وَٱلَّذِينَ صَبَرُوا۟ ٱبْتِغَآءَ وَجْهِ رَبِّهِمْ وَأَقَامُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَأَنفَقُوا۟ مِمَّا رَزَقْنَٰهُمْ سِرًّۭا وَعَلَانِيَةًۭ وَيَدْرَءُونَ بِٱلْحَسَنَةِ ٱلسَّيِّئَةَ أُو۟لَٰٓئِكَ لَهُمْ عُقْبَى ٱلدَّارِ ﴿٢٢﴾

और (ये) वह लोग हैं जो अपने परवरदिगार की खुशनूदी हासिल करने की ग़रज़ से (जो मुसीबत उन पर पड़ी है) झेल गए और पाबन्दी से नमाज़ अदा की और जो कुछ हमने उन्हें रोज़ी दी थी उसमें से छिपाकर और खुल कर ख़ुदा की राह में खर्च किया और ये लोग बुराई को भी भलाई स दफा करते हैं -यही लोग हैं जिनके लिए आख़िरत की खूबी मख़सूस है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जिन लोगों ने अपने रब की प्रसन्नता की चाह में धैर्य से काम लिया और नमाज़ क़ायम की और जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से खुले और छिपे ख़र्च किया, और भलाई के द्वारा बुराई को दूर करते है। वही लोग है जिनके लिए आख़िरत के घर का अच्छा परिणाम है,

جَنَّٰتُ عَدْنٍۢ يَدْخُلُونَهَا وَمَن صَلَحَ مِنْ ءَابَآئِهِمْ وَأَزْوَٰجِهِمْ وَذُرِّيَّٰتِهِمْ ۖ وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ يَدْخُلُونَ عَلَيْهِم مِّن كُلِّ بَابٍۢ ﴿٢٣﴾

(यानि) हमेशा रहने के बाग़ जिनमें वह आप जाएॅगे और उनके बाप, दादाओं, बीवियों और उनकी औलाद में से जो लोग नेको कार है (वह सब भी) और फरिश्ते बेहश्त के हर दरवाजे से उनके पास आएगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अर्थात सदैव रहने के बाग़ है जिनमें वे प्रवेश करेंगे और उनके बाप-दादा और उनकी पत्नियों और उनकी सन्तानों में से जो नेक होंगे वे भी और हर दरवाज़े से फ़रिश्ते उनके पास पहुँचेंगे

سَلَٰمٌ عَلَيْكُم بِمَا صَبَرْتُمْ ۚ فَنِعْمَ عُقْبَى ٱلدَّارِ ﴿٢٤﴾

और सलाम अलैकुम (के बाद कहेगें) कि (दुनिया में) तुमने सब्र किया (ये उसी का सिला है देखो) तो आख़िरत का घर कैसा अच्छा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

(वे कहेंगे) \"तुमपर सलाम है उसके बदले में जो तुमने धैर्य से काम लिया।\" अतः क्या ही अच्छा परिणाम है आख़िरत के घर का!

وَٱلَّذِينَ يَنقُضُونَ عَهْدَ ٱللَّهِ مِنۢ بَعْدِ مِيثَٰقِهِۦ وَيَقْطَعُونَ مَآ أَمَرَ ٱللَّهُ بِهِۦٓ أَن يُوصَلَ وَيُفْسِدُونَ فِى ٱلْأَرْضِ ۙ أُو۟لَٰٓئِكَ لَهُمُ ٱللَّعْنَةُ وَلَهُمْ سُوٓءُ ٱلدَّارِ ﴿٢٥﴾

और जो लोग ख़ुदा से एहद व पैमान को पक्का करने के बाद तोड़ डालते हैं और जिन (तालुकात बाहमी) के क़ायम रखने का ख़ुदा ने हुक्म दिया है उन्हें क़तआ (तोड़ते) करते हैं और रुए ज़मीन पर फ़साद फैलाते फिरते हैं ऐसे ही लोग हैं जिनके लिए लानत है और ऐसे ही लोगों के वास्ते बड़ा घर (जहन्नुम) है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

रहे वे लोग जो अल्लाह की प्रतिज्ञा को उसे दृढ़ करने के पश्चात तोड़ डालते है और अल्लाह ने जिसे जोड़ने का आदेश दिया है, उसे काटते है और धरती में बिगाड़ पैदा करते है। वहीं है जिनके लिए फिटकार है और जिनके लिए आख़िरत का बुरा घर है

ٱللَّهُ يَبْسُطُ ٱلرِّزْقَ لِمَن يَشَآءُ وَيَقْدِرُ ۚ وَفَرِحُوا۟ بِٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا وَمَا ٱلْحَيَوٰةُ ٱلدُّنْيَا فِى ٱلْءَاخِرَةِ إِلَّا مَتَٰعٌۭ ﴿٢٦﴾

और ख़ुदा ही जिसके लिए चाहता है रोज़ी को बढ़ा देता है और जिसके लिए चाहता है तंग करता है और ये लोग दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी पर बहुत निहाल हैं हालॉकि दुनियावी ज़िन्दगी (नईम) आख़िरत के मुक़ाबिल में बिल्कुल बेहकीक़त चीज़ है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह जिसको चाहता है प्रचुर फैली हुई रोज़ी प्रदान करता है औऱ इसी प्रकार नपी-तुली भी। और वे सांसारिक जीवन में मग्न हैं, हालाँकि सांसारिक जीवन आख़िरत के मुक़ाबले में तो बस अल्प सुख-सामग्री है

وَيَقُولُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَوْلَآ أُنزِلَ عَلَيْهِ ءَايَةٌۭ مِّن رَّبِّهِۦ ۗ قُلْ إِنَّ ٱللَّهَ يُضِلُّ مَن يَشَآءُ وَيَهْدِىٓ إِلَيْهِ مَنْ أَنَابَ ﴿٢٧﴾

और जिन लोगों ने कुफ्र एख़तियार किया वह कहते हैं कि उस (शख्स यानि तुम) पर हमारी ख्वाहिश के मुवाफिक़ कोई मौजिज़ा उसके परवरदिगार की तरफ से क्यों नहीं नाज़िल होता तुम उनसे कह दो कि इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिन लोगों ने इनकार किया वे कहते है, \"उसपर उसके रब की ओर से कोई निशानी क्यों नहीं उतरी?\" कहो, \"अल्लाह जिसे चाहता है पथभ्रष्ट कर देता है। अपनी ओर से वह मार्गदर्शन उसी का करता है जो रुजू होता है।\"

ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَتَطْمَئِنُّ قُلُوبُهُم بِذِكْرِ ٱللَّهِ ۗ أَلَا بِذِكْرِ ٱللَّهِ تَطْمَئِنُّ ٱلْقُلُوبُ ﴿٢٨﴾

और जिसने उसकी तरफ रुज़ू की उसे अपनी तरफ पहुँचने की राह दिखाता है (ये) वह लोग हैं जिन्होंने ईमान कुबूल किया और उनके दिलों को ख़ुदा की चाह से तसल्ली हुआ करती है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐसे ही लोग है जो ईमान लाए और जिनके दिलों को अल्लाह के स्मरण से आराम और चैन मिलता है। सुन लो, अल्लाह के स्मरण से ही दिलों को संतोष प्राप्त हुआ करता है

ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ طُوبَىٰ لَهُمْ وَحُسْنُ مَـَٔابٍۢ ﴿٢٩﴾

जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनके वास्ते (बेहश्त में) तूबा (दरख्त) और ख़ुशहाली और अच्छा अन्जाम है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए सुख-सौभाग्य है और लौटने का अच्छा ठिकाना है

كَذَٰلِكَ أَرْسَلْنَٰكَ فِىٓ أُمَّةٍۢ قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِهَآ أُمَمٌۭ لِّتَتْلُوَا۟ عَلَيْهِمُ ٱلَّذِىٓ أَوْحَيْنَآ إِلَيْكَ وَهُمْ يَكْفُرُونَ بِٱلرَّحْمَٰنِ ۚ قُلْ هُوَ رَبِّى لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَإِلَيْهِ مَتَابِ ﴿٣٠﴾

(ऐ रसूल जिस तरह हमने और पैग़म्बर भेजे थे) उसी तरह हमने तुमको उस उम्मत में भेजा है जिससे पहले और भी बहुत सी उम्मते गुज़र चुकी हैं -ताकि तुम उनके सामने जो क़ुरान हमने वही के ज़रिए से तुम्हारे पास भेजा है उन्हें पढ़ कर सुना दो और ये लोग (कुछ तुम्हारे ही नहीं बल्कि सिरे से) ख़ुदा ही के मुन्किर हैं तुम कह दो कि वही मेरा परवरदिगार है उसके सिवा कोई माबूद नहीं मै उसी पर भरोसा रखता हूँ और उसी तरफ रुज़ू करता हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतएव हमने तुम्हें एक ऐसे समुदाय में भेजा है जिससे पहले कितने ही समुदाय गुज़र चुके है, ताकि हमने तुम्हारी ओर जो प्रकाशना की है, उसे उनको सुना दो, यद्यपि वे रहमान के साथ इनकार की नीति अपनाए हुए है। कह दो, \"वही मेरा रब है। उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। उसी पर मेरा भरोसा है और उसी की ओर मुझे पलटकर जाना है।\"

وَلَوْ أَنَّ قُرْءَانًۭا سُيِّرَتْ بِهِ ٱلْجِبَالُ أَوْ قُطِّعَتْ بِهِ ٱلْأَرْضُ أَوْ كُلِّمَ بِهِ ٱلْمَوْتَىٰ ۗ بَل لِّلَّهِ ٱلْأَمْرُ جَمِيعًا ۗ أَفَلَمْ يَا۟يْـَٔسِ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ أَن لَّوْ يَشَآءُ ٱللَّهُ لَهَدَى ٱلنَّاسَ جَمِيعًۭا ۗ وَلَا يَزَالُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ تُصِيبُهُم بِمَا صَنَعُوا۟ قَارِعَةٌ أَوْ تَحُلُّ قَرِيبًۭا مِّن دَارِهِمْ حَتَّىٰ يَأْتِىَ وَعْدُ ٱللَّهِ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يُخْلِفُ ٱلْمِيعَادَ ﴿٣١﴾

और अगर कोई ऐसा क़ुरान (भी नाज़िल होता) जिसकी बरकत से पहाड़ (अपनी जगह) चल खड़े होते या उसकी वजह से ज़मीन (की मुसाफ़त (दूरी)) तय की जाती और उसकी बरकत से मुर्दे बोल उठते (तो भी ये लोग मानने वाले न थे) बल्कि सच यूँ है कि सब काम का एख्तेयार ख़ुदा ही को है तो क्या अभी तक ईमानदारों को चैन नहीं आया कि अगर ख़ुदा चाहता तो सब लोगों की हिदायत कर देता और जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उन पर उनकी करतूत की सज़ा में कोई (न कोई) मुसीबत पड़ती ही रहेगी या (उन पर पड़ी) तो उनके घरों के आस पास (ग़रज़) नाज़िल होगी (ज़रुर) यहाँ तक कि ख़ुदा का वायदा (फतेह मक्का) पूरा हो कर रहे और इसमें शक़ नहीं कि ख़ुदा हरगिज़ ख़िलाफ़े वायदा नहीं करता

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और यदि कोई ऐसा क़ुरआन होता जिसके द्वारा पहाड़ चलने लगते या उससे धरती खंड-खंड हो जाती या उसके द्वारा मुर्दे बोलने लगते (तब भी वे लोग ईमान न लाते) । नहीं, बल्कि बात यह है कि सारे काम अल्लाह ही के अधिकार में है। फिर क्या जो लोग ईमान लाए है वे यह जानकर निराश नहीं हुए कि यदि अल्लाह चाहता तो सारे ही मनुष्यों को सीधे मार्ग पर लगा देता? और इनकार करनेवालों पर तो उनकी करतूतों के बदले में कोई न कोई आपदा निरंतर आती ही रहेगी, या उनके घर के निकट ही कहीं उतरती रहेगी, यहाँ तक कि अल्लाह का वादा आ पूरा होगा। निस्संदेह अल्लाह अपने वादे के विरुद्ध नहीं जाता।\"

وَلَقَدِ ٱسْتُهْزِئَ بِرُسُلٍۢ مِّن قَبْلِكَ فَأَمْلَيْتُ لِلَّذِينَ كَفَرُوا۟ ثُمَّ أَخَذْتُهُمْ ۖ فَكَيْفَ كَانَ عِقَابِ ﴿٣٢﴾

और (ऐ रसूल) तुमसे पहले भी बहुतेरे पैग़म्बरों की हॅसी उड़ाई जा चुकी है तो मैने (चन्द रोज़) काफिरों को मोहलत दी फिर (आख़िर कार) हमने उन्हें ले डाला फिर (तू क्या पूछता है कि) हमारा अज़ाब कैसा था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुमसे पहले भी कितने ही रसूलों का उपहास किया जा चुका है, किन्तु मैंने इनकार करनेवालों को मुहलत दी। फिर अंततः मैंने उन्हें पकड़ लिया, फिर कैसी रही मेरी सज़ा?

أَفَمَنْ هُوَ قَآئِمٌ عَلَىٰ كُلِّ نَفْسٍۭ بِمَا كَسَبَتْ ۗ وَجَعَلُوا۟ لِلَّهِ شُرَكَآءَ قُلْ سَمُّوهُمْ ۚ أَمْ تُنَبِّـُٔونَهُۥ بِمَا لَا يَعْلَمُ فِى ٱلْأَرْضِ أَم بِظَٰهِرٍۢ مِّنَ ٱلْقَوْلِ ۗ بَلْ زُيِّنَ لِلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مَكْرُهُمْ وَصُدُّوا۟ عَنِ ٱلسَّبِيلِ ۗ وَمَن يُضْلِلِ ٱللَّهُ فَمَا لَهُۥ مِنْ هَادٍۢ ﴿٣٣﴾

क्या जो (ख़ुदा) हर एक शख़्श के आमाल की ख़बर रखता है (उनको युं ही छोड़ देगा हरगिज़ नहीं) और उन लोगों ने ख़ुदा के (दूसरे दूसरे) शरीक ठहराए (ऐ रसूल तुम उनसे कह दो कि तुम आख़िर उनके नाम तो बताओं या तुम ख़ुदा को ऐसे शरीक़ो की ख़बर देते हो जिनको वह जानता तक नहीं कि वह ज़मीन में (किधर बसते) हैं या (निरी ऊपर से बातें बनाते हैं बल्कि (असल ये है कि) काफिरों को उनकी मक्कारियाँ भली दिखाई गई है और वह (गोया) राहे रास्त से रोक दिए गए हैं और जिस शख़्श को ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे तो उसका कोई हिदायत करने वाला नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

भला वह (अल्लाह) जो प्रत्येक व्यक्ति के सिर पर, उसकी कमाई पर निगाह रखते हुए खड़ा है (उसके समान कोई दूसरा हो सकता है)? फिर भी लोगों ने अल्लाह के सहभागी-ठहरा रखे है। कहो, \"तनिक उनके नाम तो लो! (क्या तुम्हारे पास उनके पक्ष में कोई प्रमाण है?) या ऐसा है कि तुम उसे ऐसी बात की ख़बर दे रहे हो, जिसके अस्तित्व की उसे धरती भर में ख़बर नहीं? या यूँ ही यह एक ऊपरी बात ही बात है?\" नहीं, बल्कि इनकार करनेवालों को उनकी मक्कारी ही सुहावनी लगती है और वे मार्ग से रुक गए है। जिसे अल्लाह ही गुमराही में छोड़ दे, उसे कोई मार्ग पर लानेवाला नहीं

لَّهُمْ عَذَابٌۭ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ۖ وَلَعَذَابُ ٱلْءَاخِرَةِ أَشَقُّ ۖ وَمَا لَهُم مِّنَ ٱللَّهِ مِن وَاقٍۢ ﴿٣٤﴾

इन लोगों के वास्ते दुनियावी ज़िन्दगी में (भी) अज़ाब है और आख़िरत का अज़ाब तो यक़ीनी और बहुत सख्त खुलने वाला है (और) (फिर) ख़ुदा (के ग़ज़ब) से उनको कोई बचाने वाला (भी) नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उनके लिए सांसारिक जीवन में भी यातना, तो वह अत्यन्त कठोर है। औऱ कोई भी तो नहीं जो उन्हें अल्लाह से बचानेवाला हो

۞ مَّثَلُ ٱلْجَنَّةِ ٱلَّتِى وُعِدَ ٱلْمُتَّقُونَ ۖ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَٰرُ ۖ أُكُلُهَا دَآئِمٌۭ وَظِلُّهَا ۚ تِلْكَ عُقْبَى ٱلَّذِينَ ٱتَّقَوا۟ ۖ وَّعُقْبَى ٱلْكَٰفِرِينَ ٱلنَّارُ ﴿٣٥﴾

जिस बाग़ (बेहश्त) का परहेज़गारों से वायदा किया गया है उसकी सिफत ये है कि उसके नीचे नहरें जारी होगी उसके मेवे सदाबहार और ऐसे ही उसकी छॉव भी ये अन्जाम है उन लोगों को जो (दुनिया में) परहेज़गार थे और काफिरों का अन्जाम (जहन्नुम की) आग है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

डर रखनेवालों के लिए जिस जन्नत का वादा है उसकी शान यह है कि उसके नीचे नहरें बह रही है, उसके फल शाश्वत है और इसी प्रकार उसकी छाया भी। यह परिणाम है उनका जो डर रखते है, जबकि इनकार करनेवालों का परिणाम आग है

وَٱلَّذِينَ ءَاتَيْنَٰهُمُ ٱلْكِتَٰبَ يَفْرَحُونَ بِمَآ أُنزِلَ إِلَيْكَ ۖ وَمِنَ ٱلْأَحْزَابِ مَن يُنكِرُ بَعْضَهُۥ ۚ قُلْ إِنَّمَآ أُمِرْتُ أَنْ أَعْبُدَ ٱللَّهَ وَلَآ أُشْرِكَ بِهِۦٓ ۚ إِلَيْهِ أَدْعُوا۟ وَإِلَيْهِ مَـَٔابِ ﴿٣٦﴾

और (ए रसूल) जिन लोगों को हमने किताब दी है वह तो जो (एहकाम) तुम्हारे पास नाज़िल किए गए हैं सब ही से खुश होते हैं और बाज़ फिरके उसकी बातों से इन्कार करते हैं तुम (उनसे) कह दो कि (तुम मानो या न मानो) मुझे तो ये हुक्म दिया गया है कि मै ख़ुदा ही की इबादत करु और किसी को उसका शरीक न बनाऊ मै (सब को) उसी की तरफ बुलाता हूँ और हर शख़्श को हिर फिर कर उसकी तरफ जाना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिन लोगों को हमने किताब प्रदान की है वे उससे, जो तुम्हारी ओर उतारा है, हर्षित होते है और विभिन्न गिरोहों के कुछ लोग ऐसे भी है जो उसकी कुछ बातों का इनकार करते है। कह दो, \"मुझे पर बस यह आदेश हुआ है कि मैं अल्लाह की बन्दगी करूँ और उसका सहभागी न ठहराऊँ। मैं उसी की ओर बुलाता हूँ और उसी की ओर मुझे लौटकर जाना है।\"

وَكَذَٰلِكَ أَنزَلْنَٰهُ حُكْمًا عَرَبِيًّۭا ۚ وَلَئِنِ ٱتَّبَعْتَ أَهْوَآءَهُم بَعْدَمَا جَآءَكَ مِنَ ٱلْعِلْمِ مَا لَكَ مِنَ ٱللَّهِ مِن وَلِىٍّۢ وَلَا وَاقٍۢ ﴿٣٧﴾

और यूँ हमने उस क़ुरान को अरबी (ज़बान) का फरमान नाज़िल फरमाया और (ऐ रसूल) अगर कहीं तुमने इसके बाद को तुम्हारे पास इल्म (क़ुरान) आ चुका उन की नफसियानी ख्वाहिशों की पैरवी कर ली तो (याद रखो कि) फिर ख़ुदा की तरफ से न कोई तुम्हारा सरपरस्त होगा न कोई बचाने वाला

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और इसी प्रकार हमने इस (क़ुरआन) को एक अरबी फ़रमान के रूप में उतारा है। अब यदि तुम उस ज्ञान के पश्चात भी, जो तुम्हारे पास आ चुका है, उनकी इच्छाओं के पीछे चले तो अल्लाह के मुक़ाबले में न तो तुम्हारा कोई सहायक मित्र होगा और न कोई बचानेवाला

وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا رُسُلًۭا مِّن قَبْلِكَ وَجَعَلْنَا لَهُمْ أَزْوَٰجًۭا وَذُرِّيَّةًۭ ۚ وَمَا كَانَ لِرَسُولٍ أَن يَأْتِىَ بِـَٔايَةٍ إِلَّا بِإِذْنِ ٱللَّهِ ۗ لِكُلِّ أَجَلٍۢ كِتَابٌۭ ﴿٣٨﴾

और हमने तुमसे पहले और (भी) बहुतेरे पैग़म्बर भेजे और हमने उनको बीवियाँ भी दी और औलाद (भी अता की) और किसी पैग़म्बर की ये मजाल न थी कि कोई मौजिज़ा ख़ुदा की इजाज़त के बगैर ला दिखाए हर एक वक्त (मौऊद) के लिए (हमारे यहाँ) एक (क़िस्म की) तहरीर (होती) है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुमसे पहले भी हम, कितने ही रसूल भेज चुके है और हमने उन्हें पत्नियों और बच्चे भी दिए थे, और किसी रसूल को यह अधिकार नहीं था कि वह अल्लाह की अनुमति के बिना कोई निशानी स्वयं ला लेता। हर चीज़ के एक समय जो अटल लिखित है

يَمْحُوا۟ ٱللَّهُ مَا يَشَآءُ وَيُثْبِتُ ۖ وَعِندَهُۥٓ أُمُّ ٱلْكِتَٰبِ ﴿٣٩﴾

फिर इसमें से ख़ुदा जिसको चाहता है मिटा देता है और (जिसको चाहता है बाक़ी रखता है और उसके पास असल किताब (लौहे महफूज़) मौजूद है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह जो कुछ चाहता है मिटा देता है। इसी तरह वह क़ायम भी रखता है। मूल किताब तो स्वयं उसी के पास है

وَإِن مَّا نُرِيَنَّكَ بَعْضَ ٱلَّذِى نَعِدُهُمْ أَوْ نَتَوَفَّيَنَّكَ فَإِنَّمَا عَلَيْكَ ٱلْبَلَٰغُ وَعَلَيْنَا ٱلْحِسَابُ ﴿٤٠﴾

और (ए रसूल) जो जो वायदे (अज़ाब वगैरह के) हम उन कुफ्फारों से करते हैं चाहे, उनमें से बाज़ तुम्हारे सामने पूरे कर दिखाएँ या तुम्हें उससे पहले उठा लें बहर हाल तुम पर तो सिर्फ एहकाम का पहुचा देना फर्ज है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हम जो वादा उनसे कर रहे है चाहे उसमें से कुछ हम तुम्हें दिखा दें, या तुम्हें उठा लें। तुम्हारा दायित्व तो बस सन्देश का पहुँचा देना ही है, हिसाब लेना तो हमारे ज़िम्मे है

أَوَلَمْ يَرَوْا۟ أَنَّا نَأْتِى ٱلْأَرْضَ نَنقُصُهَا مِنْ أَطْرَافِهَا ۚ وَٱللَّهُ يَحْكُمُ لَا مُعَقِّبَ لِحُكْمِهِۦ ۚ وَهُوَ سَرِيعُ ٱلْحِسَابِ ﴿٤١﴾

और उनसे हिसाब लेना हमारा काम है क्या उन लोगों ने ये बात न देखी कि हम ज़मीन को (फ़ुतुहाते इस्लाम से) उसके तमाम एतराफ (चारो ओर) से (सवाह कुफ्र में) घटाते चले आते हैं और ख़ुदा जो चाहता है हुक्म देता है उसके हुक्म का कोई टालने वाला नहीं और बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या उन्होंने देखा नहीं कि हम धरती पर चले आ रहे है, उसे उसके किनारों से घटाते हुए? अल्लाह ही फ़ैसला करता है। कोई नहीं जो उसके फ़ैसले को पीछे डाल सके। वह हिसाब भी जल्द लेता है

وَقَدْ مَكَرَ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ فَلِلَّهِ ٱلْمَكْرُ جَمِيعًۭا ۖ يَعْلَمُ مَا تَكْسِبُ كُلُّ نَفْسٍۢ ۗ وَسَيَعْلَمُ ٱلْكُفَّٰرُ لِمَنْ عُقْبَى ٱلدَّارِ ﴿٤٢﴾

और जो लोग उन (कुफ्फार मक्के) से पहले हो गुज़रे हैं उन लोगों ने भी पैग़म्बरों की मुख़ालफत में बड़ी बड़ी तदबीरे की तो (ख़ाक न हो सका क्योंकि) सब तदबीरे तो ख़ुदा ही के हाथ में हैं जो शख़्श जो कुछ करता है वह उसे खूब जानता है और अनक़रीब कुफ्फार को भी मालूम हो जाएगा कि आख़िरत की खूबी किस के लिए है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उनसे पहले जो लोग गुज़रे है, वे भी चालें चल चुके है, किन्तु वास्तविक चाल तो पूरी की पूरी अल्लाह ही के हाथ में है। प्रत्येक व्यक्ति जो कमाई कर रहा है उसे वह जानता है। इनकार करनेवालों को शीघ्र ही ज्ञात हो जाएगा कि परलोक-गृह के शुभ परिणाम के अधिकारी कौन है

وَيَقُولُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَسْتَ مُرْسَلًۭا ۚ قُلْ كَفَىٰ بِٱللَّهِ شَهِيدًۢا بَيْنِى وَبَيْنَكُمْ وَمَنْ عِندَهُۥ عِلْمُ ٱلْكِتَٰبِ ﴿٤٣﴾

और (ऐ रसूल) काफिर लोग कहते हैं कि तुम पैग़म्बर नही हो तो तुम (उनसे) कह दो कि मेरे और तुम्हारे दरमियान मेरी रिसालत की गवाही के वास्ते ख़ुदा और वह शख़्श जिसके पास (आसमानी) किताब का इल्म है काफी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिन लोगों ने इनकार की नीति अपनाई, वे कहते है, \"तुम कोई रसूल नहीं हो।\" कह दो, \"मेरे और तुम्हारे बीच अल्लाह की और जिस किसी के पास किताब का ज्ञान है उसकी, गवाही काफ़ी है।\"