Main pages

Surah Stoneland, Rock city, Al-Hijr valley [Al-Hijr] in Hindi

Surah Stoneland, Rock city, Al-Hijr valley [Al-Hijr] Ayah 99 Location Maccah Number 15

الٓر ۚ تِلْكَ ءَايَٰتُ ٱلْكِتَٰبِ وَقُرْءَانٍۢ مُّبِينٍۢ ﴿١﴾

अलिफ़ लाम रा ये किताब (ख़ुदा) और वाजेए व रौशन क़ुरान की (चन्द) आयते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अलिफ़॰ लाम॰ रा॰। यह किताब अर्थात स्पष्ट क़ुरआन की आयतें हैं

رُّبَمَا يَوَدُّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَوْ كَانُوا۟ مُسْلِمِينَ ﴿٢﴾

(एक दिन वह भी आने वाला है कि) जो लोग काफ़िर हो बैठे हैं अक्सर दिल से चाहेंगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐसे समय आएँगे जब इनकार करनेवाले कामना करेंगे कि क्या ही अच्छा होता कि हम मुस्लिम (आज्ञाकारी) होते!

ذَرْهُمْ يَأْكُلُوا۟ وَيَتَمَتَّعُوا۟ وَيُلْهِهِمُ ٱلْأَمَلُ ۖ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ ﴿٣﴾

काश (हम भी) मुसलमान होते (ऐ रसूल) उन्हें उनकी हालत पर रहने दो कि खा पी लें और (दुनिया के चन्द रोज़) चैन कर लें और उनकी तमन्नाएँ उन्हें खेल तमाशे में लगाए रहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

छोड़ो उन्हें खाएँ और मज़े उड़ाएँ और (लम्बी) आशा उन्हें भुलावे में डाले रखे। उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा!

وَمَآ أَهْلَكْنَا مِن قَرْيَةٍ إِلَّا وَلَهَا كِتَابٌۭ مَّعْلُومٌۭ ﴿٤﴾

अनक़रीब ही (इसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा और हमने कभी कोई बस्ती तबाह नहीं की मगर ये कि उसकी तबाही के लिए (पहले ही से) समझी बूझी मियाद मुक़र्रर लिखी हुई थी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने जिस बस्ती को भी विनष्ट किया है, उसके लिए अनिवार्यतः एक निश्चित फ़ैसला रहा है!

مَّا تَسْبِقُ مِنْ أُمَّةٍ أَجَلَهَا وَمَا يَسْتَـْٔخِرُونَ ﴿٥﴾

कोई उम्मत अपने वक्त से न आगे बढ़ सकती है न पीछे हट सकती है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किसी समुदाय के लोग न अपने निश्चि‍त समय से आगे बढ़ सकते है और न वे पीछे रह सकते है

وَقَالُوا۟ يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِى نُزِّلَ عَلَيْهِ ٱلذِّكْرُ إِنَّكَ لَمَجْنُونٌۭ ﴿٦﴾

(ऐ रसूल कुफ्फ़ारे मक्का तुमसे) कहते हैं कि ऐ शख़्श (जिसको ये भरम है) कि उस पर 'वही' व किताब नाज़िल हुईहै तो (अच्छा ख़ासा) सिड़ी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे कहते है, \"ऐ व्यक्ति, जिसपर अनुस्मरण अवतरित हुआ, तुम निश्चय ही दीवाने हो!

لَّوْ مَا تَأْتِينَا بِٱلْمَلَٰٓئِكَةِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّٰدِقِينَ ﴿٧﴾

अगर तू अपने दावे में सच्चा है तो फरिश्तों को हमारे सामने क्यों नहीं ला खड़ा करता

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि तुम सच्चे हो तो हमारे समक्ष फ़रिश्तों को क्यों नहीं ले आते?\"

مَا نُنَزِّلُ ٱلْمَلَٰٓئِكَةَ إِلَّا بِٱلْحَقِّ وَمَا كَانُوٓا۟ إِذًۭا مُّنظَرِينَ ﴿٨﴾

(हालॉकि) हम फरिश्तों को खुल्लम खुल्ला (जिस अज़ाब के साथ) फैसले ही के लिए भेजा करते हैं और (अगर फरिश्ते नाज़िल हो जाए तो) फिर उनको (जान बचाने की) मोहलत भी न मिले

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फ़रिश्तों को हम केवल सत्य के प्रयोजन हेतु उतारते है और उस समय लोगों को मुहलत नहीं मिलेगी

إِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا ٱلذِّكْرَ وَإِنَّا لَهُۥ لَحَٰفِظُونَ ﴿٩﴾

बेशक हम ही ने क़ुरान नाज़िल किया और हम ही तो उसके निगेहबान भी हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह अनुसरण निश्चय ही हमने अवतरित किया है और हम स्वयं इसके रक्षक हैं

وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا مِن قَبْلِكَ فِى شِيَعِ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿١٠﴾

(ऐ रसूल) हमने तो तुमसे पहले भी अगली उम्मतों में (और भी बहुत से) रसूल भेजे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुमसे पहले कितने ही विगत गिरोंहों में हम रसूल भेज चुके है

وَمَا يَأْتِيهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ ﴿١١﴾

और (उनकी भी यही हालत थी कि) उनके पास कोई रसूल न आया मगर उन लोगों ने उसकी हँसी ज़रुर उड़ाई

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कोई भी रसूल उनके पास ऐसा नहीं आया, जिसका उन्होंने उपहास न किया हो

كَذَٰلِكَ نَسْلُكُهُۥ فِى قُلُوبِ ٱلْمُجْرِمِينَ ﴿١٢﴾

हम (गोया खुद) इसी तरह इस (गुमराही) को (उन) गुनाहगारों के दिल में डाल देते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसी तरह हम अपराधियों के दिलों में इसे उतारते है

لَا يُؤْمِنُونَ بِهِۦ ۖ وَقَدْ خَلَتْ سُنَّةُ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿١٣﴾

ये कुफ्फ़ार इस (क़ुरान) पर ईमान न लाएँगें और (ये कुछ अनोखी बात नहीं) अगलों के तरीक़े भी (ऐसे ही) रहें है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे इसे मानेंगे नहीं। पहले के लोगों की मिसालें गुज़र चुकी हैं

وَلَوْ فَتَحْنَا عَلَيْهِم بَابًۭا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ فَظَلُّوا۟ فِيهِ يَعْرُجُونَ ﴿١٤﴾

और अगर हम अपनी कुदरत से आसमान का एक दरवाज़ा भी खोल दें और ये लोग दिन दहाड़े उस दरवाज़े से (आसमान पर) चढ़ भी जाएँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि हम उनपर आकाश से कोई द्वार खोल दें और वे दिन-दहाड़े उसमें चढ़ने भी लगें,

لَقَالُوٓا۟ إِنَّمَا سُكِّرَتْ أَبْصَٰرُنَا بَلْ نَحْنُ قَوْمٌۭ مَّسْحُورُونَ ﴿١٥﴾

तब भी यहीं कहेगें कि हो न हो हमारी ऑंखें (नज़र बन्दी से) मतवाली कर दी गई हैं या नहीं तो हम लोगों पर जादू किया गया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर भी वे यही कहेंगे, \"हमारी आँखें मदमाती हैं, बल्कि हम लोगों पर जादू कर दिया गया है!\"

وَلَقَدْ جَعَلْنَا فِى ٱلسَّمَآءِ بُرُوجًۭا وَزَيَّنَّٰهَا لِلنَّٰظِرِينَ ﴿١٦﴾

और हम ही ने आसमान में बुर्ज बनाए और देखने वालों के वास्ते उनके (सितारों से) आरास्ता (सजाया) किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने आकाश में बुर्ज (तारा-समूह) बनाए और हमने उसे देखनेवालों के लिए सुसज्जित भी किया

وَحَفِظْنَٰهَا مِن كُلِّ شَيْطَٰنٍۢ رَّجِيمٍ ﴿١٧﴾

और हर शैतान मरदूद की आमद रफत (आने जाने) से उन्हें महफूज़ रखा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हर फिटकारे हुए शैतान से उसे सुरक्षित रखा -

إِلَّا مَنِ ٱسْتَرَقَ ٱلسَّمْعَ فَأَتْبَعَهُۥ شِهَابٌۭ مُّبِينٌۭ ﴿١٨﴾

मगर जो शैतान चोरी छिपे (वहाँ की किसी बात पर) कान लगाए तो यहाब का दहकता हुआ योला उसके (खदेड़ने को) पीछे पड़ जाता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह और बात है कि किसी ने चोरी-छिपे कुछ सुनगुन ले लिया तो एक प्रत्यक्ष अग्निशिखा ने भी झपटकर उसका पीछा किया -

وَٱلْأَرْضَ مَدَدْنَٰهَا وَأَلْقَيْنَا فِيهَا رَوَٰسِىَ وَأَنۢبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ شَىْءٍۢ مَّوْزُونٍۢ ﴿١٩﴾

और ज़मीन को (भी अपने मख़लूक़ात के रहने सहने को) हम ही ने फैलाया और इसमें (कील की तरह) पहाड़ो के लंगर डाल दिए और हमने उसमें हर किस्म की मुनासिब चीज़े उगाई

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने धरती को फैलाया और उसमें अटल पहाड़ डाल दिए और उसमें हर चीज़ नपे-तुले अन्दाज़ में उगाई

وَجَعَلْنَا لَكُمْ فِيهَا مَعَٰيِشَ وَمَن لَّسْتُمْ لَهُۥ بِرَٰزِقِينَ ﴿٢٠﴾

और हम ही ने उन्हें तुम्हारे वास्ते ज़िन्दगी के साज़ों सामान बना दिए और उन जानवरों के लिए भी जिन्हें तुम रोज़ी नहीं देते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उसमें तुम्हारे गुज़र-बसर के सामान निर्मित किए, और उनको भी जिनको रोज़ी देनेवाले तुम नहीं हो

وَإِن مِّن شَىْءٍ إِلَّا عِندَنَا خَزَآئِنُهُۥ وَمَا نُنَزِّلُهُۥٓ إِلَّا بِقَدَرٍۢ مَّعْلُومٍۢ ﴿٢١﴾

और हमारे यहाँ तो हर चीज़ के बेशुमार खज़ाने (भरे) पड़े हैं और हम (उसमें से) एक जची तली मिक़दार भेजते रहते है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कोई भी चीज़ तो ऐसी नहीं है जिसके भंडार हमारे पास न हों, फिर भी हम उसे एक ज्ञात (निश्चिंत) मात्रा के साथ उतारते है

وَأَرْسَلْنَا ٱلرِّيَٰحَ لَوَٰقِحَ فَأَنزَلْنَا مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۭ فَأَسْقَيْنَٰكُمُوهُ وَمَآ أَنتُمْ لَهُۥ بِخَٰزِنِينَ ﴿٢٢﴾

और हम ही ने वह हवाएँ भेजी जो बादलों को पानी से (भरे हुए) है फिर हम ही ने आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने तुम लोगों को वह पानी पिलाया और तुम लोगों ने तो कुछ उसको जमा करके नहीं रखा था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हम ही वर्षा लानेवाली हवाओं को भेजते है। फिर आकाश से पानी बरसाते है और उससे तुम्हें सिंचित करते है। उसके ख़जानादार तुम नहीं हो

وَإِنَّا لَنَحْنُ نُحْىِۦ وَنُمِيتُ وَنَحْنُ ٱلْوَٰرِثُونَ ﴿٢٣﴾

और इसमें शक़ नहीं कि हम ही (लोगों को) जिलाते और हम ही मार डालते हैं और (फिर) हम ही (सब के) वाली वारिस हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हम ही जीवन और मृत्यु देते है और हम ही उत्तराधिकारी रह जाते है

وَلَقَدْ عَلِمْنَا ٱلْمُسْتَقْدِمِينَ مِنكُمْ وَلَقَدْ عَلِمْنَا ٱلْمُسْتَـْٔخِرِينَ ﴿٢٤﴾

और बेशक हम ही ने तुममें से उन लोगों को भी अच्छी तरह समझ लिया जो पहले हो गुज़रे और हमने उनको भी जान लिया जो बाद को आने वाले हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हम तुम्हारे पहले के लोगों को भी जानते है और बाद के आनेवालों को भी हम जानते है

وَإِنَّ رَبَّكَ هُوَ يَحْشُرُهُمْ ۚ إِنَّهُۥ حَكِيمٌ عَلِيمٌۭ ﴿٢٥﴾

और इसमें शक़ नहीं कि तेरा परवरदिगार वही है जो उन सब को (क़यामत में कब्रों से) उठाएगा बेशक वह हिक़मत वाला वाक़िफकार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम्हारा रब ही है, जो उन्हें इकट्ठा करेगा। निस्संदेह वह तत्वदर्शी, सर्वज्ञ है

وَلَقَدْ خَلَقْنَا ٱلْإِنسَٰنَ مِن صَلْصَٰلٍۢ مِّنْ حَمَإٍۢ مَّسْنُونٍۢ ﴿٢٦﴾

और बेशक हम ही ने आदमी को ख़मीर (गुंधी) दी हुईसड़ी मिट्टी से जो (सूखकर) खन खन बोलने लगे पैदा किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने मनुष्य को सड़े हुए गारे की खनखनाती हुई मिट्टी से बनाया है,

وَٱلْجَآنَّ خَلَقْنَٰهُ مِن قَبْلُ مِن نَّارِ ٱلسَّمُومِ ﴿٢٧﴾

और हम ही ने जिन्नात को आदमी से (भी) पहले वे धुएँ की तेज़ आग से पैदा किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उससे पहले हम जिन्नों को लू रूपी अग्नि से पैदा कर चुके थे

وَإِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَٰٓئِكَةِ إِنِّى خَٰلِقٌۢ بَشَرًۭا مِّن صَلْصَٰلٍۢ مِّنْ حَمَإٍۢ مَّسْنُونٍۢ ﴿٢٨﴾

और (ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब तुम्हारे परवरदिगार ने फरिश्तों से कहा कि मैं एक आदमी को खमीर दी हुई मिट्टी से (जो सूखकर) खन खन बोलने लगे पैदा करने वाला हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा, \"मैं सड़े हुए गारे की खनखनाती हुई मिट्टी से एक मनुष्य पैदा करनेवाला हूँ

فَإِذَا سَوَّيْتُهُۥ وَنَفَخْتُ فِيهِ مِن رُّوحِى فَقَعُوا۟ لَهُۥ سَٰجِدِينَ ﴿٢٩﴾

तो जिस वक्त मै उसको हर तरह से दुरुस्त कर चुके और उसमें अपनी (तरफ से) रुह फूँक दूँ तो सब के सब उसके सामने सजदे में गिर पड़ना

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो जब मैं उसे पूरा बना चुकूँ और उसमें अपनी रूह फूँक दूँ तो तुम उसके आगे सजदे में गिर जाना!\"

فَسَجَدَ ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ كُلُّهُمْ أَجْمَعُونَ ﴿٣٠﴾

ग़रज़ फरिश्ते तो सब के सब सर ब सजूद हो गए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतएव सब के सब फ़रिश्तो ने सजदा किया,

إِلَّآ إِبْلِيسَ أَبَىٰٓ أَن يَكُونَ مَعَ ٱلسَّٰجِدِينَ ﴿٣١﴾

मगर इबलीस (मलऊन) की उसने सजदा करने वालों के साथ शामिल होने से इन्कार किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सिवाय इबलीस के। उसने सजदा करनेवालों के साथ शामिल होने से इनकार कर दिया

قَالَ يَٰٓإِبْلِيسُ مَا لَكَ أَلَّا تَكُونَ مَعَ ٱلسَّٰجِدِينَ ﴿٣٢﴾

(इस पर ख़ुदा ने) फरमाया आओ शैतान आख़िर तुझे क्या हुआ कि तू सजदा करने वालों के साथ शामिल न हुआ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"ऐ इबलीस! तुझे क्या हुआ कि तू सजदा करनेवालों में शामिल नहीं हुआ?\"

قَالَ لَمْ أَكُن لِّأَسْجُدَ لِبَشَرٍ خَلَقْتَهُۥ مِن صَلْصَٰلٍۢ مِّنْ حَمَإٍۢ مَّسْنُونٍۢ ﴿٣٣﴾

वह (ढिठाई से) कहने लगा मैं ऐसा गया गुज़रा तो हूँ नहीं कि ऐसे आदमी को सजदा कर बैठूँ जिसे तूने सड़ी हुई खन खन बोलने वाली मिट्टी से पैदा किया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"मैं ऐसा नहीं हूँ कि मैं उस मनुष्य को सजदा करूँ जिसको तू ने सड़े हुए गारे की खनखनाती हुए मिट्टी से बनाया।\"

قَالَ فَٱخْرُجْ مِنْهَا فَإِنَّكَ رَجِيمٌۭ ﴿٣٤﴾

ख़ुदा ने फरमाया (नहीं तू) तो बेहश्त से निकल जा (दूर हो) कि बेशक तू मरदूद है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"अच्छा, तू निकल जा यहाँ से, क्योंकि तुझपर फिटकार है!

وَإِنَّ عَلَيْكَ ٱللَّعْنَةَ إِلَىٰ يَوْمِ ٱلدِّينِ ﴿٣٥﴾

और यक़ीनन तुझ पर रोज़े में जज़ा तक फिटकार बरसा करेगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही बदले के दिन तक तुझ पर धिक्कार है।\"

قَالَ رَبِّ فَأَنظِرْنِىٓ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ ﴿٣٦﴾

शैतान ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार ख़ैर तू मुझे उस दिन तक की मोहलत दे जबकि (लोग दोबारा ज़िन्दा करके) उठाए जाएँगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"मेरे रब! फिर तू मुझे उस दिन तक के लिए मुहलत दे, जबकि सब उठाए जाएँगे।\"

قَالَ فَإِنَّكَ مِنَ ٱلْمُنظَرِينَ ﴿٣٧﴾

ख़ुदा ने फरमाया वक्त मुक़र्रर

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"अच्छा, तुझे मुहलत है,

إِلَىٰ يَوْمِ ٱلْوَقْتِ ٱلْمَعْلُومِ ﴿٣٨﴾

के दिन तक तुझे मोहलत दी गई

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उस दिन तक के लिए जिसका समय ज्ञात एवं नियत है।\"

قَالَ رَبِّ بِمَآ أَغْوَيْتَنِى لَأُزَيِّنَنَّ لَهُمْ فِى ٱلْأَرْضِ وَلَأُغْوِيَنَّهُمْ أَجْمَعِينَ ﴿٣٩﴾

उन शैतान ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार चूंकि तूने मुझे रास्ते से अलग किया मैं भी उनके लिए दुनिया में (साज़ व सामान को) उम्दा कर दिखाऊँगा और सबको ज़रुर बहकाऊगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"मेरे रब! इसलिए कि तूने मुझे सीधे मार्ग से विचलित कर दिया है, अतः मैं भी धरती में उनके लिए मनमोहकता पैदा करूँगा और उन सबको बहकाकर रहूँगा,

إِلَّا عِبَادَكَ مِنْهُمُ ٱلْمُخْلَصِينَ ﴿٤٠﴾

मगर उनमें से तेरे निरे खुरे ख़ास बन्दे (कि वह मेरे बहकाने में न आएँगें)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सिवाय उनके जो तेरे चुने हुए बन्दे होंगे।\"

قَالَ هَٰذَا صِرَٰطٌ عَلَىَّ مُسْتَقِيمٌ ﴿٤١﴾

ख़ुदा ने फरमाया कि यही राह सीधी है कि मुझ तक (पहुँचती) है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"मुझ तक पहुँचने का यही सीधा मार्ग है,

إِنَّ عِبَادِى لَيْسَ لَكَ عَلَيْهِمْ سُلْطَٰنٌ إِلَّا مَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلْغَاوِينَ ﴿٤٢﴾

जो मेरे मुख़लिस (ख़ास बन्दे) बन्दे हैं उन पर तुझसे किसी तरह की हुकूमत न होगी मगर हाँ गुमराहों में से जो तेरी पैरवी करे (उस पर तेरा वार चल जाएगा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मेरे बन्दों पर तो तेरा कुछ ज़ोर न चलेगा, सिवाय उन बहके हुए लोगों को जो तेरे पीछे हो लें

وَإِنَّ جَهَنَّمَ لَمَوْعِدُهُمْ أَجْمَعِينَ ﴿٤٣﴾

और हाँ ये भी याद रहे कि उन सब के वास्ते (आख़िरी) वायदा बस जहन्न ुम है जिसके सात दरवाजे होगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही जहन्नम ही का ऐसे समस्त लोगों से वादा है

لَهَا سَبْعَةُ أَبْوَٰبٍۢ لِّكُلِّ بَابٍۢ مِّنْهُمْ جُزْءٌۭ مَّقْسُومٌ ﴿٤٤﴾

हर (दरवाज़े में जाने) के लिए उन गुमराहों की अलग अलग टोलियाँ होगीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसके सात द्वार है। प्रत्येक द्वार के लिए एक ख़ास हिस्सा होगा।\"

إِنَّ ٱلْمُتَّقِينَ فِى جَنَّٰتٍۢ وَعُيُونٍ ﴿٤٥﴾

और परहेज़गार तो बेहश्त के बाग़ों और चश्मों मे यक़ीनन होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह डर रखनेवाले बाग़ों और स्रोतों में होंगे,

ٱدْخُلُوهَا بِسَلَٰمٍ ءَامِنِينَ ﴿٤٦﴾

(दाख़िले के वक्त फ़रिश्ते कहेगें कि) उनमें सलामती इत्मिनान से चले चलो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"प्रवेश करो इनमें निर्भयतापूर्वक सलामती के साथ!\"

وَنَزَعْنَا مَا فِى صُدُورِهِم مِّنْ غِلٍّ إِخْوَٰنًا عَلَىٰ سُرُرٍۢ مُّتَقَٰبِلِينَ ﴿٤٧﴾

और (दुनिया की तकलीफों से) जो कुछ उनके दिल में रंज था उसको भी हम निकाल देगें और ये बाहम एक दूसरे के आमने सामने तख्तों पर इस तरह बैठे होगें जैसे भाई भाई

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उनके सीनों में जो मन-मुटाव होगा उसे हम दूर कर देंगे। वे भाई-भाई बनकर आमने-सामने तख़्तों पर होंगे

لَا يَمَسُّهُمْ فِيهَا نَصَبٌۭ وَمَا هُم مِّنْهَا بِمُخْرَجِينَ ﴿٤٨﴾

उनको बेहश्त में तकलीफ छुएगी भी तो नहीं और न कभी उसमें से निकाले जाएँगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्हें वहाँ न तो कोई थकान और तकलीफ़ पहुँचेगी औऱ न वे वहाँ से कभी निकाले ही जाएँगे

۞ نَبِّئْ عِبَادِىٓ أَنِّىٓ أَنَا ٱلْغَفُورُ ٱلرَّحِيمُ ﴿٤٩﴾

(ऐ रसूल) मेरे बन्दों को आगाह करो कि बेशक मै बड़ा बख्शने वाला मेहरबान हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मेरे बन्दों को सूचित कर दो कि मैं अत्यन्त क्षमाशील, दयावान हूँ;

وَأَنَّ عَذَابِى هُوَ ٱلْعَذَابُ ٱلْأَلِيمُ ﴿٥٠﴾

मगर साथ ही इसके (ये भी याद रहे कि) बेशक मेरा अज़ाब भी बड़ा दर्दनाक अज़ाब है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और यह कि मेरी यातना भी अत्यन्त दुखदायिनी यातना है

وَنَبِّئْهُمْ عَن ضَيْفِ إِبْرَٰهِيمَ ﴿٥١﴾

और उनको इबराहीम के मेहमान का हाल सुना दो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उन्हें इबराहीम के अतिथियों का वृत्तान्त सुनाओ,

إِذْ دَخَلُوا۟ عَلَيْهِ فَقَالُوا۟ سَلَٰمًۭا قَالَ إِنَّا مِنكُمْ وَجِلُونَ ﴿٥٢﴾

कि जब ये इबराहीम के पास आए तो (पहले) उन्होंने सलाम किया इबराहीम ने (जवाब सलाम के बाद) कहा हमको तो तुम से डर मालूम होता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जब वे उसके यहाँ आए और उन्होंने सलाम किया तो उसने कहा, \"हमें तो तुमसे डर लग रहा है।\"

قَالُوا۟ لَا تَوْجَلْ إِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلَٰمٍ عَلِيمٍۢ ﴿٥٣﴾

उन्होंने कहा आप मुत्तालिक़ ख़ौफ न कीजिए (क्योंकि) हम तो आप को एक (दाना व बीना) फरज़न्द (के पैदाइश) की खुशख़बरी देते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे बोले, \"डरो नहीं, हम तुम्हें एक ज्ञानवान पुत्र की शुभ सूचना देते है।\"

قَالَ أَبَشَّرْتُمُونِى عَلَىٰٓ أَن مَّسَّنِىَ ٱلْكِبَرُ فَبِمَ تُبَشِّرُونَ ﴿٥٤﴾

इब्राहिम ने कहा क्या मुझे ख़ुशख़बरी (बेटा होने की) देते हो जब मुझे बुढ़ापा छा गया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"क्या तुम मुझे शुभ सूचना दे रहे हो, इस अवस्था में कि मेरा बुढापा आ गया है? तो अब मुझे किस बात की शुभ सूचना दे रहे हो?\"

قَالُوا۟ بَشَّرْنَٰكَ بِٱلْحَقِّ فَلَا تَكُن مِّنَ ٱلْقَٰنِطِينَ ﴿٥٥﴾

तो फिर अब काहे की खुशख़बरी देते हो वह फरिश्ते बोले हमने आप को बिल्कुल ठीक खुशख़बरी दी है तो आप (बारगाह ख़ुदा बन्दी से) ना उम्मीद न हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"हम तुम्हें सच्ची शुभ सूचना दे रहे हैं, तो तुम निराश न हो\"

قَالَ وَمَن يَقْنَطُ مِن رَّحْمَةِ رَبِّهِۦٓ إِلَّا ٱلضَّآلُّونَ ﴿٥٦﴾

इबराहीम ने कहा गुमराहों के सिवा और ऐसा कौन है जो अपने परवरदिगार की रहमत से ना उम्मीद हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"अपने रब की दयालुता से पथभ्रष्टों के सिवा और कौन निराश होगा?\"

قَالَ فَمَا خَطْبُكُمْ أَيُّهَا ٱلْمُرْسَلُونَ ﴿٥٧﴾

(फिर) इबराहीम ने कहा ऐ (ख़ुदा के) भेजे हुए (फरिश्तों) तुम्हें आख़िर क्या मुहिम दर पेश है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"ऐ दूतो, तुम किस अभियान पर आए हो?\"

قَالُوٓا۟ إِنَّآ أُرْسِلْنَآ إِلَىٰ قَوْمٍۢ مُّجْرِمِينَ ﴿٥٨﴾

उन्होंने कहा कि हम तो एक गुनाहगार क़ौम की तरफ (अज़ाब नाज़िल करने के लिए) भेजे गए हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे बोले, \"हम तो एक अपराधी क़ौम की ओर भेजे गए है,

إِلَّآ ءَالَ لُوطٍ إِنَّا لَمُنَجُّوهُمْ أَجْمَعِينَ ﴿٥٩﴾

मगर लूत के लड़के वाले कि हम उन सबको ज़रुर बचा लेगें मगर उनकी बीबी जिसे हमने ताक लिया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सिवाय लूत के घरवालों के। उन सबको तो हम बचा लेंगे,

إِلَّا ٱمْرَأَتَهُۥ قَدَّرْنَآ ۙ إِنَّهَا لَمِنَ ٱلْغَٰبِرِينَ ﴿٦٠﴾

कि वह ज़रुर (अपने लड़के बालों के) पीछे (अज़ाब में) रह जाएगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सिवाय उसकी पत्नी के - हमने निश्चित कर दिया है, वह तो पीछे रह जानेवालों में रहेंगी।\"

فَلَمَّا جَآءَ ءَالَ لُوطٍ ٱلْمُرْسَلُونَ ﴿٦١﴾

ग़रज़ जब (ख़ुदा के) भेजे हुए (फरिश्ते) लूत के बाल बच्चों के पास आए तो लूत ने कहा कि तुम तो (कुछ) अजनबी लोग (मालूम होते हो)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब ये दूत लूत के यहाँ पहुँचे,

قَالَ إِنَّكُمْ قَوْمٌۭ مُّنكَرُونَ ﴿٦٢﴾

फरिश्तों ने कहा (नहीं) बल्कि हम तो आपके पास वह (अज़ाब) लेकर आए हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो उसने कहा, \"तुम तो अपरिचित लोग हो।\"

قَالُوا۟ بَلْ جِئْنَٰكَ بِمَا كَانُوا۟ فِيهِ يَمْتَرُونَ ﴿٦٣﴾

जिसके बारे में आपकी क़ौम के लोग शक़ रखते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"नहीं, बल्कि हम तो तुम्हारे पास वही चीज़ लेकर आए है, जिसके विषय में वे सन्देह कर रहे थे

وَأَتَيْنَٰكَ بِٱلْحَقِّ وَإِنَّا لَصَٰدِقُونَ ﴿٦٤﴾

(कि आए न आए) और हम आप के पास (अज़ाब का) कलई (सही) हुक्म लेकर आए हैं और हम बिल्कुल सच कहते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हम तुम्हारे पास यक़ीनी चीज़ लेकर आए है, और हम बिलकुल सच कह रहे है

فَأَسْرِ بِأَهْلِكَ بِقِطْعٍۢ مِّنَ ٱلَّيْلِ وَٱتَّبِعْ أَدْبَٰرَهُمْ وَلَا يَلْتَفِتْ مِنكُمْ أَحَدٌۭ وَٱمْضُوا۟ حَيْثُ تُؤْمَرُونَ ﴿٦٥﴾

बस तो आप कुछ रात रहे अपने लड़के बालों को लेकर निकल जाइए और आप सब के सब पीछे रहिएगा और उन लोगों में से कोई मुड़कर पीछे न देखे और जिधर (जाने) का हुक्म दिया गया है (शाम) उधर (सीधे) चले जाओ और हमने लूत के पास इस अम्र का क़तई फैसला कहला भेजा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतएव अब तुम अपने घरवालों को लेकर रात्रि के किसी हिस्से में निकल जाओ, और स्वयं उन सबके पीछे-पीछे चलो। और तुममें से कोई भी पीछे मुड़कर न देखे। बस चले जाओ, जिधर का तुम्हे आदेश है।\"

وَقَضَيْنَآ إِلَيْهِ ذَٰلِكَ ٱلْأَمْرَ أَنَّ دَابِرَ هَٰٓؤُلَآءِ مَقْطُوعٌۭ مُّصْبِحِينَ ﴿٦٦﴾

कि बस सुबह होते होते उन लोगों की जड़ काट डाली जाएगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने उसे अपना यह फ़ैसला पहुँचा दिया कि प्रातः होते-होते उनकी जड़ कट चुकी होगी

وَجَآءَ أَهْلُ ٱلْمَدِينَةِ يَسْتَبْشِرُونَ ﴿٦٧﴾

और (ये बात हो रही थीं कि) शहर के लोग (मेहमानों की ख़बर सुन कर बुरी नीयत से) खुशियाँ मनाते हुए आ पहुँचे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इतने में नगर के लोग ख़ुश-ख़ुश आ पहुँचे

قَالَ إِنَّ هَٰٓؤُلَآءِ ضَيْفِى فَلَا تَفْضَحُونِ ﴿٦٨﴾

लूत ने (उनसे कहा) कि ये लोग मेरे मेहमान है तो तुम (इन्हें सताकर) मुझे रुसवा बदनाम न करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"ये मेरे अतिथि है। मेरी फ़ज़ीहत मत करना,

وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَلَا تُخْزُونِ ﴿٦٩﴾

और ख़ुदा से डरो और मुझे ज़लील न करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह का डर ऱखो, मुझे रुसवा न करो।\"

قَالُوٓا۟ أَوَلَمْ نَنْهَكَ عَنِ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿٧٠﴾

वह लोग कहने लगे क्यों जी हमने तुम को सारे जहाँन के लोगों (के आने) की मनाही नहीं कर दी थी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"क्या हमने तुम्हें दुनिया भर के लोगों का ज़िम्मा लेने से रोका नहीं था?\"

قَالَ هَٰٓؤُلَآءِ بَنَاتِىٓ إِن كُنتُمْ فَٰعِلِينَ ﴿٧١﴾

लूत ने कहा अगर तुमको (ऐसा ही) करना है तो ये मेरी क़ौम की बेटियाँ मौजूद हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"तुमको यदि कुछ करना है, तो ये मेरी (क़ौम की) बेटियाँ (विधितः विवाह के लिए) मौजूद है।\"

لَعَمْرُكَ إِنَّهُمْ لَفِى سَكْرَتِهِمْ يَعْمَهُونَ ﴿٧٢﴾

(इनसे निकाह कर लो) ऐ रसूल तुम्हारी जान की कसम ये लोग (क़ौम लूत) अपनी मस्ती में मदहोश हो रहे थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम्हारे जीवन की सौगन्ध, वे अपनी मस्ती में खोए हुए थे,

فَأَخَذَتْهُمُ ٱلصَّيْحَةُ مُشْرِقِينَ ﴿٧٣﴾

(लूत की सुनते काहे को) ग़रज़ सूरज निकलते निकलते उनको (बड़े ज़ोरो की) चिघाड़ न ले डाला

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अन्ततः पौ फटते-फटते एक भयंकर आवाज़ ने उन्हें आ लिया,

فَجَعَلْنَا عَٰلِيَهَا سَافِلَهَا وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِمْ حِجَارَةًۭ مِّن سِجِّيلٍ ﴿٧٤﴾

फिर हमने उसी बस्ती को उलट कर उसके ऊपर के तबके क़ो नीचे का तबक़ा बना दिया और उसके ऊपर उन पर खरन्जे के पत्थर बरसा दिए इसमें शक़ नहीं कि इसमें (असली बात के) ताड़ जाने वालों के लिए (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने उस बस्ती को तलपट कर दिया, और उनपर कंकरीले पत्थर बरसाए

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَٰتٍۢ لِّلْمُتَوَسِّمِينَ ﴿٧٥﴾

और वह उलटी हुई बस्ती हमेशा (की आमदरफ्त)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही इसमें भापनेवालों के लिए निशानियाँ है

وَإِنَّهَا لَبِسَبِيلٍۢ مُّقِيمٍ ﴿٧٦﴾

के रास्ते पर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वह (बस्ती) सार्वजनिक मार्ग पर है

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ لِّلْمُؤْمِنِينَ ﴿٧٧﴾

इसमें तो शक हीं नहीं कि इसमें ईमानदारों के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) बहुत बड़ी निशानी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही इसमें मोमिनों के लिए एक बड़ी निशानी है

وَإِن كَانَ أَصْحَٰبُ ٱلْأَيْكَةِ لَظَٰلِمِينَ ﴿٧٨﴾

और एैका के रहने वाले (क़ौमे शुएब की तरह बड़े सरकश थे)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निश्चय ही ऐसा वाले भी अत्याचारी थे,

فَٱنتَقَمْنَا مِنْهُمْ وَإِنَّهُمَا لَبِإِمَامٍۢ مُّبِينٍۢ ﴿٧٩﴾

तो उन से भी हमने (नाफरमानी का) बदला लिया और ये दो बस्तियाँ (क़ौमे लूत व शुएब की) एक खुली हुई यह राह पर (अभी तक मौजूद) हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर हमने उनसे भी बदला लिया, और ये दोनों (भू-भाग) खुले मार्ग पर स्थित है

وَلَقَدْ كَذَّبَ أَصْحَٰبُ ٱلْحِجْرِ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿٨٠﴾

और इसी तरह हिज्र के रहने वालों (क़ौम सालेह ने भी) पैग़म्बरों को झुठलाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हिज्रवाले भी रसूलों को झुठला चुके है

وَءَاتَيْنَٰهُمْ ءَايَٰتِنَا فَكَانُوا۟ عَنْهَا مُعْرِضِينَ ﴿٨١﴾

और (बावजूद कि) हमने उन्हें अपनी निशानियाँ दी उस पर भी वह लोग उनसे रद गिरदानी करते रहे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने तो उन्हें अपनी निशानियाँ प्रदान की थी, परन्तु वे उनकी उपेक्षा ही करते रहे

وَكَانُوا۟ يَنْحِتُونَ مِنَ ٱلْجِبَالِ بُيُوتًا ءَامِنِينَ ﴿٨٢﴾

और बहुत दिल जोई से पहाड़ों को तराश कर घर बनाते रहे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे बड़ी बेफ़िक्री से पहाड़ो को काट-काटकर घर बनाते थे

فَأَخَذَتْهُمُ ٱلصَّيْحَةُ مُصْبِحِينَ ﴿٨٣﴾

आख़िर उनके सुबह होते होते एक बड़ी (जोरों की) चिंघाड़ ने ले डाला

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अन्ततः एक भयानक आवाज़ ने प्रातः होते- होते उन्हें आ लिया

فَمَآ أَغْنَىٰ عَنْهُم مَّا كَانُوا۟ يَكْسِبُونَ ﴿٨٤﴾

फिर जो कुछ वह अपनी हिफाज़त की तदबीर किया करते थे (अज़ाब ख़ुदा से बचाने में) कि कुछ भी काम न आयीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जो कुछ वे कमाते रहे, वह उनके कुछ काम न आ सका

وَمَا خَلَقْنَا ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَآ إِلَّا بِٱلْحَقِّ ۗ وَإِنَّ ٱلسَّاعَةَ لَءَاتِيَةٌۭ ۖ فَٱصْفَحِ ٱلصَّفْحَ ٱلْجَمِيلَ ﴿٨٥﴾

और हमने आसमानों और ज़मीन को और जो कुछ उन दोनों के दरमियान में है हिकमत व मसलहत से पैदा किया है और क़यामत यक़ीनन ज़रुर आने वाली है तो तुम (ऐ रसूल) उन काफिरों से शाइस्ता उनवान (अच्छे बरताव) के साथ दर गुज़र करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने तो आकाशों और धरती को और जो कुछ उनके मध्य है, सोद्देश्य पैदा किया है, और वह क़ियामत की घड़ी तो अनिवार्यतः आनेवाली है। अतः तुम भली प्रकार दरगुज़र (क्षमा) से काम लो

إِنَّ رَبَّكَ هُوَ ٱلْخَلَّٰقُ ٱلْعَلِيمُ ﴿٨٦﴾

इसमें शक़ नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार बड़ा पैदा करने वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही तुम्हारा रब ही बड़ा पैदा करनेवाला, सब कुछ जाननेवाला है

وَلَقَدْ ءَاتَيْنَٰكَ سَبْعًۭا مِّنَ ٱلْمَثَانِى وَٱلْقُرْءَانَ ٱلْعَظِيمَ ﴿٨٧﴾

(बड़ा दाना व बीना है) और हमने तुमको सबए मसानी (सूरे हम्द) और क़ुरान अज़ीम अता किया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने तुम्हें सात 'मसानी' का समूह यानी महान क़ुरआन दिया-

لَا تَمُدَّنَّ عَيْنَيْكَ إِلَىٰ مَا مَتَّعْنَا بِهِۦٓ أَزْوَٰجًۭا مِّنْهُمْ وَلَا تَحْزَنْ عَلَيْهِمْ وَٱخْفِضْ جَنَاحَكَ لِلْمُؤْمِنِينَ ﴿٨٨﴾

और हमने जो उन कुफ्फारों में से कुछ लोगों को (दुनिया की) माल व दौलत से निहाल कर दिया है तुम उसकी तरफ हरगिज़ नज़र भी न उठाना और न उनकी (बेदीनी) पर कुछ अफसोस करना और ईमानदारों से (अगरचे ग़रीब हो) झुककर मिला करो और कहा दो कि मै तो (अज़ाबे ख़ुदा से) सरीही तौर से डराने वाला हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो कुछ सुख-सामग्री हमने उनमें से विभिन्न प्रकार के लोगों को दी है, तुम उसपर अपनी आँखें न पसारो और न उनपर दुखी हो, तुम तो अपनी भुजाएँ मोमिनों के लिए झुकाए रखो,

وَقُلْ إِنِّىٓ أَنَا ٱلنَّذِيرُ ٱلْمُبِينُ ﴿٨٩﴾

(ऐ रसूल) उन कुफ्फारों पर इस तरह अज़ाब नाज़िल करेगें जिस तरह हमने उन लोगों पर नाज़िल किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और कह दो, \"मैं तो साफ़-साफ़ चेतावनी देनेवाला हूँ।\"

كَمَآ أَنزَلْنَا عَلَى ٱلْمُقْتَسِمِينَ ﴿٩٠﴾

जिन्होंने क़ुरान को बॉट कर टुकडे टुकड़े कर डाला

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस प्रकार हमने हिस्सा-बख़रा करनेवालों पर उतारा था,

ٱلَّذِينَ جَعَلُوا۟ ٱلْقُرْءَانَ عِضِينَ ﴿٩١﴾

(बाज़ को माना बाज को नहीं) तो ऐ रसूल तुम्हारे ही परवरदिगार की (अपनी) क़सम

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिन्होंने (अपने) क़ुरआन को टुकड़े-टुकड़े कर डाला

فَوَرَبِّكَ لَنَسْـَٔلَنَّهُمْ أَجْمَعِينَ ﴿٩٢﴾

कि हम उनसे जो कुछ ये (दुनिया में) किया करते थे (बहुत सख्ती से) ज़रुर बाज़ पुर्स (पुछताछ) करेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अब तुम्हारे रब की क़सम! हम अवश्य ही उन सबसे उसके विषय में पूछेंगे

عَمَّا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ ﴿٩٣﴾

पस जिसका तुम्हें हुक्म दिया गया है उसे वाजेए करके सुना दो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो कुछ वे करते रहे।

فَٱصْدَعْ بِمَا تُؤْمَرُ وَأَعْرِضْ عَنِ ٱلْمُشْرِكِينَ ﴿٩٤﴾

और मुशरेकीन की तरफ से मुँह फेर लो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तु्म्हें जिस चीज़ का आदेश हुआ है, उसे हाँक-पुकारकर बयान कर दो, और मुशरिको की ओर ध्यान न दो

إِنَّا كَفَيْنَٰكَ ٱلْمُسْتَهْزِءِينَ ﴿٩٥﴾

जो लोग तुम्हारी हँसी उड़ाते है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उपहास करनेवालों के लिए हम तुम्हारी ओर से काफ़ी है

ٱلَّذِينَ يَجْعَلُونَ مَعَ ٱللَّهِ إِلَٰهًا ءَاخَرَ ۚ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ ﴿٩٦﴾

और ख़ुदा के साथ दूसरे परवरदिगार को (शरीक) ठहराते हैं हम तुम्हारी तरफ से उनके लिए काफी हैं तो अनक़रीब ही उन्हें मालूम हो जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो अल्लाह के साथ दूसरों को पूज्य-प्रभु ठहराते है, तो शीघ्र ही उन्हें मालूम हो जाएगा!

وَلَقَدْ نَعْلَمُ أَنَّكَ يَضِيقُ صَدْرُكَ بِمَا يَقُولُونَ ﴿٩٧﴾

कि तुम जो इन (कुफ्फारों मुनाफिक़ीन) की बातों से दिल तंग होते हो उसको हम ज़रुर जानते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हम जानते है कि वे जो कुछ कहते है, उससे तुम्हारा दिल तंग होता है

فَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ وَكُن مِّنَ ٱلسَّٰجِدِينَ ﴿٩٨﴾

तो तुम अपने परवरदिगार की हम्दो सना से उसकी तस्बीह करो और (उसकी बारगाह में) सजदा करने वालों में हो जाओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो तुम अपने रब का गुणगान करो और सजदा करनेवालों में सम्मिलित रहो

وَٱعْبُدْ رَبَّكَ حَتَّىٰ يَأْتِيَكَ ٱلْيَقِينُ ﴿٩٩﴾

और जब तक तुम्हारे पास मौत आए अपने परवरदिगार की इबादत में लगे रहो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और अपने रब की बन्दगी में लगे रहो, यहाँ तक कि जो यक़ीनी है, वह तुम्हारे सामने आ जाए