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Surah Mary [Maryam] in Hindi
ذِكْرُ رَحْمَتِ رَبِّكَ عَبْدَهُۥ زَكَرِيَّآ ﴿٢﴾
ये तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी का ज़िक्र है जो (उसने) अपने ख़ास बन्दे ज़करिया के साथ की थी
वर्णन है तेरे रब की दयालुता का, जो उसने अपने बन्दे ज़करीया पर दर्शाई,
إِذْ نَادَىٰ رَبَّهُۥ نِدَآءً خَفِيًّۭا ﴿٣﴾
कि जब ज़करिया ने अपने परवरदिगार को धीमी आवाज़ से पुकारा
जबकि उसने अपने रब को चुपके से पुकारा
قَالَ رَبِّ إِنِّى وَهَنَ ٱلْعَظْمُ مِنِّى وَٱشْتَعَلَ ٱلرَّأْسُ شَيْبًۭا وَلَمْ أَكُنۢ بِدُعَآئِكَ رَبِّ شَقِيًّۭا ﴿٤﴾
(और) अर्ज़ की ऐ मेरे पालने वाले मेरी हड्डियां कमज़ोर हो गई और सर है कि बुढ़ापे की (आग से) भड़क उठा (सेफद हो गया) है और ऐ मेरे पालने वाले मैं तेरी बारगाह में दुआ कर के कभी महरूम नहीं रहा हूँ
उसने कहा, \"मेरे रब! मेरी हड्डियाँ कमज़ोर हो गई और सिर बुढापे से भड़क उठा। और मेरे रब! तुझे पुकारकर मैं कभी बेनसीब नहीं रहा
وَإِنِّى خِفْتُ ٱلْمَوَٰلِىَ مِن وَرَآءِى وَكَانَتِ ٱمْرَأَتِى عَاقِرًۭا فَهَبْ لِى مِن لَّدُنكَ وَلِيًّۭا ﴿٥﴾
और मैं अपने (मरने के) बाद अपने वारिसों से सहम जाता हूँ (कि मुबादा दीन को बरबाद करें) और मेरी बीबी उम्मे कुलसूम बिनते इमरान बांझ है पस तू मुझको अपनी बारगाह से एक जाँनशीन फरज़न्द अता फ़रमा
मुझे अपने पीछे अपने भाई-बन्धुओं की ओर से भय है और मेरी पत्नी बाँझ है। अतः तू मुझे अपने पास से एक उत्ताराधिकारी प्रदान कर,
يَرِثُنِى وَيَرِثُ مِنْ ءَالِ يَعْقُوبَ ۖ وَٱجْعَلْهُ رَبِّ رَضِيًّۭا ﴿٦﴾
जो मेरी और याकूब की नस्ल की मीरास का मालिक हो ऐ मेरे परवरदिगार और उसको अपना पसन्दीदा बन्दा बना
जो मेरा भी उत्तराधिकारी हो और याक़ूब के वशंज का भी उत्तराधिकारी हो। और उसे मेरे रब! वांछनीय बना।\"
يَٰزَكَرِيَّآ إِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلَٰمٍ ٱسْمُهُۥ يَحْيَىٰ لَمْ نَجْعَل لَّهُۥ مِن قَبْلُ سَمِيًّۭا ﴿٧﴾
खुदा ने फरमाया हम तुमको एक लड़के की खुशख़बरी देते हैं जिसका नाम यहया होगा और हमने उससे पहले किसी को उसका हमनाम नहीं पैदा किया
(उत्तर मिला,) \"ऐ ज़करीया! हम तुझे एक लड़के की शुभ सूचना देते है, जिसका नाम यह्यार होगा। हमने उससे पहले किसी को उसके जैसा नहीं बनाया।\"
قَالَ رَبِّ أَنَّىٰ يَكُونُ لِى غُلَٰمٌۭ وَكَانَتِ ٱمْرَأَتِى عَاقِرًۭا وَقَدْ بَلَغْتُ مِنَ ٱلْكِبَرِ عِتِيًّۭا ﴿٨﴾
ज़करिया ने अर्ज़ की या इलाही (भला) मुझे लड़का क्योंकर होगा और हालत ये है कि मेरी बीवी बाँझ है और मैं खुद हद से ज्यादा बुढ़ापे को पहुँच गया हूँ
उसने कहा, \"मेरे रब! मेरे लड़का कहाँ से होगा, जबकि मेरी पत्नी बाँझ है और मैं बुढ़ापे की अन्तिम अवस्था को पहुँच चुका हूँ?\"
قَالَ كَذَٰلِكَ قَالَ رَبُّكَ هُوَ عَلَىَّ هَيِّنٌۭ وَقَدْ خَلَقْتُكَ مِن قَبْلُ وَلَمْ تَكُ شَيْـًۭٔا ﴿٩﴾
(खुदा ने) फ़रमाया ऐसा ही होगा तुम्हारा परवरदिगार फ़रमाता है कि ये बात हम पर (कुछ दुशवार नहीं) आसान है और (तुम अपने को तो ख्याल करो कि) इससे पहले तुमको पैदा किया हालाँकि तुम कुछ भी न थे
कहा, \"ऐसा ही होगा। तेरे रब ने कहा कि यह मेरे लिए सरल है। इससे पहले मैं तुझे पैदा कर चुका हूँ, जबकि तू कुछ भी न था।\"
قَالَ رَبِّ ٱجْعَل لِّىٓ ءَايَةًۭ ۚ قَالَ ءَايَتُكَ أَلَّا تُكَلِّمَ ٱلنَّاسَ ثَلَٰثَ لَيَالٍۢ سَوِيًّۭا ﴿١٠﴾
ज़करिया ने अर्ज़ की इलाही मेरे लिए कोई अलामत मुक़र्रर कर दें हुक्म हुआ तुम्हारी पहचान ये है कि तुम तीन रात (दिन) बराबर लोगों से बात नहीं कर सकोगे
उसने कहा, \"मेरे रब! मेरे लिए कोई निशानी निश्चित कर दे।\" कहा, \"तेरी निशानी यह है कि तू भला-चंगा रहकर भी तीन रात (और दिन) लोगों से बात न करे।\"
فَخَرَجَ عَلَىٰ قَوْمِهِۦ مِنَ ٱلْمِحْرَابِ فَأَوْحَىٰٓ إِلَيْهِمْ أَن سَبِّحُوا۟ بُكْرَةًۭ وَعَشِيًّۭا ﴿١١﴾
फिर ज़करिया (अपने इबादत के) हुजरे से अपनी क़ौम के पास (हिदायत देने के लिए) निकले तो उन से इशारा किया कि तुम लोग सुबह व शाम बराबर उसकी तसबीह (व तक़दीस) किया करो
अतः वह मेहराब से निकलकर अपने लोगों के पास आया और उनसे संकेतों में कहा, \"प्रातः काल और सन्ध्या समय तसबीह करते रहो।\"
يَٰيَحْيَىٰ خُذِ ٱلْكِتَٰبَ بِقُوَّةٍۢ ۖ وَءَاتَيْنَٰهُ ٱلْحُكْمَ صَبِيًّۭا ﴿١٢﴾
(ग़रज़ यहया पैदा हुए और हमने उनसे कहा) ऐ यहया किताब (तौरेत) मज़बूती के साथ लो
\"ऐ यह्याऔ! किताब को मज़बूत थाम ले।\" हमने उसे बचपन ही में निर्णय-शक्ति प्रदान की,
وَحَنَانًۭا مِّن لَّدُنَّا وَزَكَوٰةًۭ ۖ وَكَانَ تَقِيًّۭا ﴿١٣﴾
और हमने उन्हें बचपन ही में अपनी बारगाह से नुबूवत और रहमदिली और पाक़ीज़गी अता फरमाई
और अपने पास से नरमी और शौक़ और आत्मविश्वास। और वह बड़ा डरनेवाला था
وَبَرًّۢا بِوَٰلِدَيْهِ وَلَمْ يَكُن جَبَّارًا عَصِيًّۭا ﴿١٤﴾
और वह (ख़ुद भी) परहेज़गार और अपने माँ बाप के हक़ में सआदतमन्द थे और सरकश नाफरमान न थे
और अपने माँ-बाप का हक़ पहचानेवाला था। और वह सरकश अवज्ञाकारी न था
وَسَلَٰمٌ عَلَيْهِ يَوْمَ وُلِدَ وَيَوْمَ يَمُوتُ وَيَوْمَ يُبْعَثُ حَيًّۭا ﴿١٥﴾
और (हमारी तरफ से) उन पर (बराबर) सलाम है जिस दिन पैदा हुए और जिस दिन मरेंगे और जिस दिन (दोबारा) ज़िन्दा उठा खड़े किए जाएँगे
\"सलाम उस पर, जिस दिन वह पैदा हुआ और जिस दिन उसकी मृत्यु हो और जिस दिन वह जीवित करके उठाया जाए!\"
وَٱذْكُرْ فِى ٱلْكِتَٰبِ مَرْيَمَ إِذِ ٱنتَبَذَتْ مِنْ أَهْلِهَا مَكَانًۭا شَرْقِيًّۭا ﴿١٦﴾
और (ऐ रसूल) कुरान में मरियम का भी तज़किरा करो कि जब वह अपने लोगों से अलग होकर पूरब की तरफ़ वाले मकान में (गुस्ल के वास्ते) जा बैठें
और इस किताब में मरयम की चर्चा करो, जबकि वह अपने घरवालों से अलग होकर एक पूर्वी स्थान पर चली गई
فَٱتَّخَذَتْ مِن دُونِهِمْ حِجَابًۭا فَأَرْسَلْنَآ إِلَيْهَا رُوحَنَا فَتَمَثَّلَ لَهَا بَشَرًۭا سَوِيًّۭا ﴿١٧﴾
फिर उसने उन लोगों से परदा कर लिया तो हमने अपनी रूह (जिबरील) को उन के पास भेजा तो वह अच्छे ख़ासे आदमी की सूरत बनकर उनके सामने आ खड़ा हुआ
फिर उसने उनसे परदा कर लिया। तब हमने उसके पास अपनी रूह (फ़रिश्तेप) को भेजा और वह उसके सामने एक पूर्ण मनुष्य के रूप में प्रकट हुआ
قَالَتْ إِنِّىٓ أَعُوذُ بِٱلرَّحْمَٰنِ مِنكَ إِن كُنتَ تَقِيًّۭا ﴿١٨﴾
(वह उसको देखकर घबराई और) कहने लगी अगर तू परहेज़गार है तो मैं तुझ से खुदा की पनाह माँगती हूँ
वह बोल उठी, \"मैं तुझसे बचने के लिए रहमान की पनाह माँगती हूँ; यदि तू (अल्लाह का) डर रखनेवाला है (तो यहाँ से हट जाएगा) ।\"
قَالَ إِنَّمَآ أَنَا۠ رَسُولُ رَبِّكِ لِأَهَبَ لَكِ غُلَٰمًۭا زَكِيًّۭا ﴿١٩﴾
(मेरे पास से हट जा) जिबरील ने कहा मैं तो साफ़ तुम्हारे परवरदिगार का पैग़मबर (फ़रिश्ता) हूँ ताकि तुमको पाक व पाकीज़ा लड़का अता करूँ
उसने कहा, \"मैं तो केवल तेरे रब का भेजा हुआ हूँ, ताकि तुझे नेकी और भलाई से बढ़ा हुआ लड़का दूँ।\"
قَالَتْ أَنَّىٰ يَكُونُ لِى غُلَٰمٌۭ وَلَمْ يَمْسَسْنِى بَشَرٌۭ وَلَمْ أَكُ بَغِيًّۭا ﴿٢٠﴾
मरियम ने कहा मुझे लड़का क्योंकर हो सकता है हालाँकि किसी मर्द ने मुझे छुआ तक नहीं है औ मैं न बदकार हूँ
वह बोली, \"मेरे कहाँ से लड़का होगा, जबकि मुझे किसी आदमी ने छुआ तक नही और न मैं कोई बदचलन हूँ?\"
قَالَ كَذَٰلِكِ قَالَ رَبُّكِ هُوَ عَلَىَّ هَيِّنٌۭ ۖ وَلِنَجْعَلَهُۥٓ ءَايَةًۭ لِّلنَّاسِ وَرَحْمَةًۭ مِّنَّا ۚ وَكَانَ أَمْرًۭا مَّقْضِيًّۭا ﴿٢١﴾
जिबरील ने कहा तुमने कहा ठीक (मगर) तुम्हारे परवरदिगार ने फ़रमाया है कि ये बात (बे बाप के लड़का पैदा करना) मुझ पर आसान है ताकि इसको (पैदा करके) लोगों के वास्ते (अपनी क़ुदरत की) निशानी क़रार दें और अपनी ख़ास रहमत का ज़रिया बनायें
उसने कहा, \"ऐसा ही होगा। रब ने कहा है कि यह मेरे लिए सहज है। और ऐसा इसलिए होगा (ताकि हम तुझे) और ताकि हम उसे लोगों के लिए एक निशानी बनाएँ और अपनी ओर से एक दयालुता। यह तो ऐसी बात है जिसका निर्णय हो चुका है।\"
۞ فَحَمَلَتْهُ فَٱنتَبَذَتْ بِهِۦ مَكَانًۭا قَصِيًّۭا ﴿٢٢﴾
और ये बात फैसला शुदा है ग़रज़ लड़के के साथ वह आप ही आप हामेला हो गई फिर इसकी वजह से लोगों से अलग एक दूर के मकान में चली गई
फिर उसे उस (बच्चे) का गर्भ रह गया और वह उसे लिए हुए एक दूर के स्थान पर अलग चली गई।
فَأَجَآءَهَا ٱلْمَخَاضُ إِلَىٰ جِذْعِ ٱلنَّخْلَةِ قَالَتْ يَٰلَيْتَنِى مِتُّ قَبْلَ هَٰذَا وَكُنتُ نَسْيًۭا مَّنسِيًّۭا ﴿٢٣﴾
फिर (जब जनने का वक्त ़क़रीब आया तो दरदे ज़ह) उन्हें एक खजूर के (सूखे) दरख्त की जड़ में ले आया और (बेकसी में शर्म से) कहने लगीं काश मैं इससे पहले मर जाती और (न पैद होकर)
अन्ततः प्रसव पीड़ा उसे एक खजूर के तने के पास ले आई। वह कहने लगी, \"क्या ही अच्छा होता कि मैं इससे पहले ही मर जाती और भूली-बिसरी हो गई होती!\"
فَنَادَىٰهَا مِن تَحْتِهَآ أَلَّا تَحْزَنِى قَدْ جَعَلَ رَبُّكِ تَحْتَكِ سَرِيًّۭا ﴿٢٤﴾
बिल्कुल भूली बिसरी हो जाती तब जिबरील ने मरियम के पाईन की तरफ़ से आवाज़ दी कि तुम कुढ़ों नहीं देखो तो तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हारे क़रीब ही नीचे एक चश्मा जारी कर दिया है
उस समय उसे उसके नीचे से पुकारा, \"शोकाकुल न हो। तेरे रब ने तेरे नीचे एक स्रोत प्रवाहित कर रखा है।
وَهُزِّىٓ إِلَيْكِ بِجِذْعِ ٱلنَّخْلَةِ تُسَٰقِطْ عَلَيْكِ رُطَبًۭا جَنِيًّۭا ﴿٢٥﴾
और खुरमे की जड़ (पकड़ कर) अपनी तरफ़ हिलाओ तुम पर पक्के-पक्के ताजे खुरमे झड़ पड़ेगें फिर (शौक़ से खुरमे) खाओ
तू खजूर के उस वृक्ष के तने को पकड़कर अपनी ओर हिला। तेरे ऊपर ताज़ा पकी-पकी खजूरें टपक पड़ेगी
فَكُلِى وَٱشْرَبِى وَقَرِّى عَيْنًۭا ۖ فَإِمَّا تَرَيِنَّ مِنَ ٱلْبَشَرِ أَحَدًۭا فَقُولِىٓ إِنِّى نَذَرْتُ لِلرَّحْمَٰنِ صَوْمًۭا فَلَنْ أُكَلِّمَ ٱلْيَوْمَ إِنسِيًّۭا ﴿٢٦﴾
और (चश्मे का पानी) पियो और (लड़के से) अपनी ऑंख ठन्डी करो फिर अगर तुम किसी आदमी को देखो (और वह तुमसे कुछ पूछे) तो तुम इशारे से कह देना कि मैंने खुदा के वास्ते रोजे क़ी नज़र की थी तो मैं आज हरगिज़ किसी से बात नहीं कर सकती
अतः तू उसे खा और पी और आँखें ठंडी कर। फिर यदि तू किसी आदमी को देखे तो कह देना, मैंने तो रहमान के लिए रोज़े की मन्नत मानी है। इसलिए मैं आज किसी मनुष्य से न बोलूँगी।\"
فَأَتَتْ بِهِۦ قَوْمَهَا تَحْمِلُهُۥ ۖ قَالُوا۟ يَٰمَرْيَمُ لَقَدْ جِئْتِ شَيْـًۭٔا فَرِيًّۭا ﴿٢٧﴾
फिर मरियम उस लड़के को अपनी गोद में लिए हुए अपनी क़ौम के पास आयीं वह लोग देखकर कहने लगे ऐ मरियम तुमने तो यक़ीनन बहुत बुरा काम किया
फिर वह उस बच्चे को लिए हुए अपनी क़ौम के लोगों के पास आई। वे बोले, \"ऐ मरयम, तूने तो बड़ा ही आश्चर्य का काम कर डाला!
يَٰٓأُخْتَ هَٰرُونَ مَا كَانَ أَبُوكِ ٱمْرَأَ سَوْءٍۢ وَمَا كَانَتْ أُمُّكِ بَغِيًّۭا ﴿٢٨﴾
ऐ हारून की बहन न तो तेरा बाप ही बुरा आदमी था और न तो तेरी माँ ही बदकार थी (ये तूने क्या किया)
हे हारून की बहन! न तो तेरा बाप ही कोई बुरा आदमी था और न तेरी माँ ही बदचलन थी।\"
فَأَشَارَتْ إِلَيْهِ ۖ قَالُوا۟ كَيْفَ نُكَلِّمُ مَن كَانَ فِى ٱلْمَهْدِ صَبِيًّۭا ﴿٢٩﴾
तो मरियम ने उस लड़के की तरफ इशारा किया ( कि जो कुछ पूछना है इससे पूछ लो) और वह लोग बोले भला हम गोद के बच्चे से क्योंकर बात करें
तब उसने उस (बच्चे) की ओर संकेत किया। वे कहने लगे, \"हम उससे कैसे बात करें जो पालने में पड़ा हुआ एक बच्चा है?\"
قَالَ إِنِّى عَبْدُ ٱللَّهِ ءَاتَىٰنِىَ ٱلْكِتَٰبَ وَجَعَلَنِى نَبِيًّۭا ﴿٣٠﴾
(इस पर वह बच्चा कुदरते खुदा से) बोल उठा कि मैं बेशक खुदा का बन्दा हूँ मुझ को उसी ने किताब (इन्जील) अता फरमाई है और मुझ को नबी बनाया
उसने कहा, \"मैं अल्लाह का बन्दा हूँ। उसने मुझे किताब दी और मुझे नबी बनाया
وَجَعَلَنِى مُبَارَكًا أَيْنَ مَا كُنتُ وَأَوْصَٰنِى بِٱلصَّلَوٰةِ وَٱلزَّكَوٰةِ مَا دُمْتُ حَيًّۭا ﴿٣١﴾
और मै (चाहे) कहीं रहूँ मुझ को मुबारक बनाया और मुझ को जब तक ज़िन्दा रहूँ नमाज़ पढ़ने ज़कात देने की ताकीद की है और मुझ को अपनी वालेदा का फ़रमाबरदार बनाया
और मुझे बरकतवाला किया जहाँ भी मैं रहूँ, और मुझे नमाज़ और ज़कात की ताकीद की, जब तक कि मैं जीवित रहूँ
وَبَرًّۢا بِوَٰلِدَتِى وَلَمْ يَجْعَلْنِى جَبَّارًۭا شَقِيًّۭا ﴿٣٢﴾
और (अलहमदोलिल्लाह कि) मुझको सरकश नाफरमान नहीं बनाया
और अपनी माँ का हक़ अदा करनेवाला बनाया। और उसने मुझे सरकश और बेनसीब नहीं बनाया
وَٱلسَّلَٰمُ عَلَىَّ يَوْمَ وُلِدتُّ وَيَوْمَ أَمُوتُ وَيَوْمَ أُبْعَثُ حَيًّۭا ﴿٣٣﴾
और (खुदा की तरफ़ से) जिस दिन मैं पैदा हुआ हूँ और जिस दिन मरूँगा मुझ पर सलाम है और जिस दिन (दोबारा) ज़िन्दा उठा कर खड़ा किया जाऊँगा
सलाम है मुझपर जिस दिन कि मैं पैदा हुआ और जिस दिन कि मैं मरूँ और जिस दिन कि जीवित करके उठाया जाऊँ!\"
ذَٰلِكَ عِيسَى ٱبْنُ مَرْيَمَ ۚ قَوْلَ ٱلْحَقِّ ٱلَّذِى فِيهِ يَمْتَرُونَ ﴿٣٤﴾
ये है कि मरियम के बेटे ईसा का सच्चा (सच्चा) क़िस्सा जिसमें ये लोग (ख्वाहमख्वाह) शक किया करते हैं
सच्ची और पक्की बात की स्पष्ट से यह है कि मरयम का बेटा ईसा, जिसके विषय में वे सन्देह में पड़े हुए है
مَا كَانَ لِلَّهِ أَن يَتَّخِذَ مِن وَلَدٍۢ ۖ سُبْحَٰنَهُۥٓ ۚ إِذَا قَضَىٰٓ أَمْرًۭا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ ﴿٣٥﴾
खुदा कि लिए ये किसी तरह सज़ावार नहीं कि वह (किसी को) बेटा बनाए वह पाक व पकीज़ा है जब वह किसी काम का करना ठान लेता है तो बस उसको कह देता है कि ''हो जा'' तो वह हो जाता है
अल्लाह ऐसा नहीं कि वह किसी को अपना बेटा बनाए। महान और उच्च है, वह! जब वह किसी चीज़ का फ़ैसला करता है तो बस उसे कह देता है, \"हो जा!\" तो वह हो जाती है। -
وَإِنَّ ٱللَّهَ رَبِّى وَرَبُّكُمْ فَٱعْبُدُوهُ ۚ هَٰذَا صِرَٰطٌۭ مُّسْتَقِيمٌۭ ﴿٣٦﴾
और इसमें तो शक ही नहीं कि खुदा (ही) मेरा (भी) परवरदिगार है और तुम्हारा (भी) परवरदिगार है तो सब के सब उसी की इबादत करो यही (तौहीद) सीधा रास्ता है
\"और निस्संदेह अल्लाह मेरा रब भी है और तुम्हारा रब भी। अतः तुम उसी की बन्दगी करो यही सीधा मार्ग है।\"
فَٱخْتَلَفَ ٱلْأَحْزَابُ مِنۢ بَيْنِهِمْ ۖ فَوَيْلٌۭ لِّلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِن مَّشْهَدِ يَوْمٍ عَظِيمٍ ﴿٣٧﴾
(और यही दीन ईसा लेकर आए थे) फिर (काफिरों के) फ़िरकों ने बहम एख़तेलाफ किया तो जिन लोगों ने कुफ्र इख़्तियार किया उनके लिए बड़े (सख्त दिन खुदा के हुज़ूर) हाज़िर होने से ख़राबी है
किन्तु उनमें कितने ही गिरोहों ने पारस्परिक वैमनस्य के कारण विभेद किया, तो जिन लोगों ने इनकार किया उनके लिए बड़ी तबाही है एक बड़े दिन की उपस्थिति से
أَسْمِعْ بِهِمْ وَأَبْصِرْ يَوْمَ يَأْتُونَنَا ۖ لَٰكِنِ ٱلظَّٰلِمُونَ ٱلْيَوْمَ فِى ضَلَٰلٍۢ مُّبِينٍۢ ﴿٣٨﴾
जिस दिन ये लोग हमारे हुज़ूर में हाज़िर होंगे क्या कुछ सुनते देखते होंगे मगर आज तो नफ़रमान लोग खुल्लम खुल्ला गुमराही में हैं
भली-भाँति सुननेवाले और भली-भाँति देखनेवाले होंगे, जिस दिन वे हमारे समाने आएँगे! किन्तु आज ये ज़ालिम खुली गुमराही में पड़े हुए है
وَأَنذِرْهُمْ يَوْمَ ٱلْحَسْرَةِ إِذْ قُضِىَ ٱلْأَمْرُ وَهُمْ فِى غَفْلَةٍۢ وَهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ ﴿٣٩﴾
और (ऐ रसूल) तुम उनको हसरत (अफ़सोस) के दिन से डराओ जब क़तई फैसला कर दिया जाएगा और (इस वक्त तो) ये लोग ग़फलत में (पड़े हैं)
उन्हें पश्चाताप के दिन से डराओ, जबकि मामले का फ़ैसला कर दिया जाएगा, और उनका हाल यह है कि वे ग़फ़लत में पड़े हुए है और वे ईमान नहीं ला रहे है
إِنَّا نَحْنُ نَرِثُ ٱلْأَرْضَ وَمَنْ عَلَيْهَا وَإِلَيْنَا يُرْجَعُونَ ﴿٤٠﴾
और ईमान नहीं लाते इसमें शक नहीं कि (एक दिन) ज़मीन के और जो कुछ उस पर है (उसके) हम ही वारिस होंगे
धरती और जो भी उसके ऊपर है उसके वारिस हम ही रह जाएँगे और हमारी ही ओर उन्हें लौटना होगा
وَٱذْكُرْ فِى ٱلْكِتَٰبِ إِبْرَٰهِيمَ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ صِدِّيقًۭا نَّبِيًّا ﴿٤١﴾
(और सब नेस्त व नाबूद हो जाएँगे) और सब के सब हमारी तरफ़ लौटाए जाएँगे और (ऐ रसूल) क़ुरान में इबराहीम का (भी) तज़किरा करो
और इस किताब में इबराहीम की चर्चा करो। निस्संदेह वह एक सत्यवान नबी था
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ يَٰٓأَبَتِ لِمَ تَعْبُدُ مَا لَا يَسْمَعُ وَلَا يُبْصِرُ وَلَا يُغْنِى عَنكَ شَيْـًۭٔا ﴿٤٢﴾
इसमें शक नहीं कि वह बड़े सच्चे नबी थे जब उन्होंने अपने चचा और मुँह बोले बाप से कहा कि ऐ अब्बा आप क्यों, ऐसी चीज़ (बुत) की परसतिश करते हैं जो ने सुन सकता है और न देख सकता है
जबकि उसने अपने बाप से कहा, \"ऐ मेरे बाप! आप उस चीज़ को क्यों पूजते हो, जो न सुने और न देखे और न आपके कुछ काम आए?
يَٰٓأَبَتِ إِنِّى قَدْ جَآءَنِى مِنَ ٱلْعِلْمِ مَا لَمْ يَأْتِكَ فَٱتَّبِعْنِىٓ أَهْدِكَ صِرَٰطًۭا سَوِيًّۭا ﴿٤٣﴾
और न कुछ आपके काम ही आ सकता है ऐ मेरे अब्बा यक़ीनन मेरे पास वह इल्म आ चुका है जो आपके पास नहीं आया तो आप मेरी पैरवी कीजिए मैं आपको (दीन की) सीधी राह दिखा दूँगा
ऐ मेरे बाप! मेरे पास ज्ञान आ गया है जो आपके पास नहीं आया। अतः आप मेरा अनुसरण करें, मैं आपको सीधा मार्ग दिखाऊँगा
يَٰٓأَبَتِ لَا تَعْبُدِ ٱلشَّيْطَٰنَ ۖ إِنَّ ٱلشَّيْطَٰنَ كَانَ لِلرَّحْمَٰنِ عَصِيًّۭا ﴿٤٤﴾
ऐ अब्बा आप शैतान की परसतिश न कीजिए (क्योंकि) शैतान यक़ीनन खुदा का नाफ़रमान (बन्दा) है।
ऐ मेरे बाप! शैतान की बन्दगी न कीजिए। शैतान तो रहमान का अवज्ञाकारी है
يَٰٓأَبَتِ إِنِّىٓ أَخَافُ أَن يَمَسَّكَ عَذَابٌۭ مِّنَ ٱلرَّحْمَٰنِ فَتَكُونَ لِلشَّيْطَٰنِ وَلِيًّۭا ﴿٤٥﴾
ऐ अब्बा मैं यक़ीनन इससे डरता हूँ कि (मुबादा) खुदा की तरफ से आप पर कोई अज़ाब नाज़िल हो तो (आख़िर) आप शैतान के साथी बन जाईए
ऐ मेरे बाप! मैं डरता हूँ कि कहीं आपको रहमान की कोई यातना न आ पकड़े और आप शैतान के साथी होकर रह जाएँ।\"
قَالَ أَرَاغِبٌ أَنتَ عَنْ ءَالِهَتِى يَٰٓإِبْرَٰهِيمُ ۖ لَئِن لَّمْ تَنتَهِ لَأَرْجُمَنَّكَ ۖ وَٱهْجُرْنِى مَلِيًّۭا ﴿٤٦﴾
(आज़र ने) कहा (क्यों) इबराहीम क्या तू मेरे माबूदों को नहीं मानता है अगर तू (इन बातों से) किसी तरह बाज़ न आएगा तो (याद रहे) मैं तुझे संगसार कर दूँगा और तू मेरे पास से हमेशा के लिए दूर हो जा
उसने कहा, \"ऐ इबराहीम! क्या तू मेरे उपास्यों से फिर गया है? यदि तू बाज़ न आया तो मैं तुझपर पथराव कर दूँगा। तू अलग हो जा मुझसे मुद्दत के लिए!\"
قَالَ سَلَٰمٌ عَلَيْكَ ۖ سَأَسْتَغْفِرُ لَكَ رَبِّىٓ ۖ إِنَّهُۥ كَانَ بِى حَفِيًّۭا ﴿٤٧﴾
इबराहीम ने कहा (अच्छा तो) मेरा सलाम लीजिए (मगर इस पर भी) मैं अपने परवरदिगार से आपकी बख्शिश की दुआ करूँगा
कहा, \"सलाम है आपको! मैं आपके लिए रब से क्षमा की प्रार्थना करूँगा। वह तो मुझपर बहुत मेहरबान है
وَأَعْتَزِلُكُمْ وَمَا تَدْعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَأَدْعُوا۟ رَبِّى عَسَىٰٓ أَلَّآ أَكُونَ بِدُعَآءِ رَبِّى شَقِيًّۭا ﴿٤٨﴾
(क्योंकि) बेशक वह मुझ पर बड़ा मेहरबान है और मैंने आप को (भी) और इन बुतों को (भी) जिन्हें आप लोग खुदा को छोड़कर पूजा करते हैं (सबको) छोड़ा और अपने परवरदिगार ही की इबादत करूँगा उम्मीद है कि मैं अपने परवरदिगार की इबादत से महरूम न रहूँगा
मैं आप लोगों को छोड़ता हूँ और उनको भी जिन्हें अल्लाह से हटकर आप लोग पुकारा करते है। मैं तो अपने रब को पुकारूँगा। आशा है कि मैं अपने रब को पुकारकर बेनसीब नहीं रहूँगा।\"
فَلَمَّا ٱعْتَزَلَهُمْ وَمَا يَعْبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَهَبْنَا لَهُۥٓ إِسْحَٰقَ وَيَعْقُوبَ ۖ وَكُلًّۭا جَعَلْنَا نَبِيًّۭا ﴿٤٩﴾
ग़रज़ इबराहीम ने उन लोगों को और जिसे ये लोग खुदा को छोड़कर परसतिश किया करते थे छोड़ा तो हमने उन्हें इसहाक़ व याकूब (सी औलाद) अता फ़रमाई और हर एक को नुबूवत के दर्जे पर फ़ायज़ किया
फिर जब वह उन लोगों से और जिन्हें वे अल्लाह के सिवा पूजते थे उनसे अलग हो गया, तो हमने उसे इसहाक़ और याक़ूब प्रदान किए और हर एक को हमने नबी बनाया
وَوَهَبْنَا لَهُم مِّن رَّحْمَتِنَا وَجَعَلْنَا لَهُمْ لِسَانَ صِدْقٍ عَلِيًّۭا ﴿٥٠﴾
और उन सबको अपनी रहमत से कुछ इनायत फ़रमाया और हमने उनके लिए आला दर्जे का ज़िक्रे ख़ैर (दुनिया में भी) क़रार दिया
और उन्हें अपनी दयालुता से हिस्सा दिया। और उन्हें एक सच्ची उच्च ख्याति प्रदान की
وَٱذْكُرْ فِى ٱلْكِتَٰبِ مُوسَىٰٓ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ مُخْلَصًۭا وَكَانَ رَسُولًۭا نَّبِيًّۭا ﴿٥١﴾
और (ऐ रसूल) कुरान में (कुछ) मूसा का (भी) तज़किरा करो इसमें शक नहीं कि वह (मेरा) बन्दा और साहिबे किताब व शरीयत नबी था
और इस किताब में मूसा की चर्चा करो। निस्संदेह वह चुना हुआ था और एक रसूल, नबी था
وَنَٰدَيْنَٰهُ مِن جَانِبِ ٱلطُّورِ ٱلْأَيْمَنِ وَقَرَّبْنَٰهُ نَجِيًّۭا ﴿٥٢﴾
और हमने उनको (कोहे तूर) की दाहिनी तरफ़ से आवाज़ दी और हमने उन्हें राज़ व नियाज़ की बातें करने के लिए अपने क़रीब बुलाया
हमने उसे 'तूर' के मुबारक छोर से पुकारा और रहस्य की बातें करने के लिए हमने उसे समीप किया
وَوَهَبْنَا لَهُۥ مِن رَّحْمَتِنَآ أَخَاهُ هَٰرُونَ نَبِيًّۭا ﴿٥٣﴾
और हमने उन्हें अपनी ख़ास मेहरबानी से उनके भाई हारून को (उनका वज़ीर बनाकर) इनायत फ़रमाया
और अपनी दयालुता से अपने भाई हारून को नबी बनाकर उसे दिया
وَٱذْكُرْ فِى ٱلْكِتَٰبِ إِسْمَٰعِيلَ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ صَادِقَ ٱلْوَعْدِ وَكَانَ رَسُولًۭا نَّبِيًّۭا ﴿٥٤﴾
(ऐ रसूल) कुरान में इसमाईल का (भी) तज़किरा करो इसमें शक नहीं कि वह वायदे के सच्चे थे और भेजे हुए पैग़म्बर थे
और इस किताब में इसमाईल की चर्चा करो। निस्संदेह वह वादे का सच्च, नबी था
وَكَانَ يَأْمُرُ أَهْلَهُۥ بِٱلصَّلَوٰةِ وَٱلزَّكَوٰةِ وَكَانَ عِندَ رَبِّهِۦ مَرْضِيًّۭا ﴿٥٥﴾
और अपने घर के लोगों को नमाज़ पढ़ने और ज़कात देने की ताकीद किया करते थे और अपने परवरदिगार की बारगाह में पसन्दीदा थे
और अपने लोगों को नमाज़ और ज़कात का हुक्म देता था। और वह अपने रब के यहाँ प्रीतिकर व्यक्ति था
وَٱذْكُرْ فِى ٱلْكِتَٰبِ إِدْرِيسَ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ صِدِّيقًۭا نَّبِيًّۭا ﴿٥٦﴾
और (ऐ रसूल) कुरान में इदरीस का भी तज़किरा करो इसमें शक नहीं कि वह बड़े सच्चे (बन्दे और) नबी थे
और इस किताब में इदरीस की भी चर्चा करो। वह अत्यन्त सत्यवान, एक नबी था
وَرَفَعْنَٰهُ مَكَانًا عَلِيًّا ﴿٥٧﴾
और हमने उनको बहुत ऊँची जगह (बेहिश्त में) बुलन्द कर (के पहुँचा) दिया
हमने उसे उच्च स्थान पर उठाया था
أُو۟لَٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ أَنْعَمَ ٱللَّهُ عَلَيْهِم مِّنَ ٱلنَّبِيِّۦنَ مِن ذُرِّيَّةِ ءَادَمَ وَمِمَّنْ حَمَلْنَا مَعَ نُوحٍۢ وَمِن ذُرِّيَّةِ إِبْرَٰهِيمَ وَإِسْرَٰٓءِيلَ وَمِمَّنْ هَدَيْنَا وَٱجْتَبَيْنَآ ۚ إِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ ءَايَٰتُ ٱلرَّحْمَٰنِ خَرُّوا۟ سُجَّدًۭا وَبُكِيًّۭا ۩ ﴿٥٨﴾
ये अम्बिया लोग जिन्हें खुदा ने अपनी नेअमत दी आदमी की औलाद से हैं और उनकी नस्ल से जिन्हें हमने (तूफ़ान के वक्त) नूह के साथ (कश्ती पर) सवारकर लिया था और इबराहीम व याकूब की औलाद से हैं और उन लोगों में से हैं जिनकी हमने हिदायत की और मुन्तिख़ब किया जब उनके सामने खुदा की (नाज़िल की हुई) आयतें पढ़ी जाती थीं तो सजदे में ज़ारोक़तार रोते हुए गिर पड़ते थे (58) सजदा
ये वे पैग़म्बर है जो अल्लाह के कृपापात्र हुए, आदम की सन्तान में से और उन लोगों के वंशज में से जिनको हमने नूह के साथ सवार किया, और इबराहीम और इसराईल के वंशज में से और उनमें से जिनको हमने सीधा मार्ग दिखाया और चुन लिया। जब उन्हें रहमान की आयतें सुनाई जातीं तो वे सजदा करते और रोते हुए गिर पड़ते थे
۞ فَخَلَفَ مِنۢ بَعْدِهِمْ خَلْفٌ أَضَاعُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَٱتَّبَعُوا۟ ٱلشَّهَوَٰتِ ۖ فَسَوْفَ يَلْقَوْنَ غَيًّا ﴿٥٩﴾
फिर उनके बाद कुछ नाख़लफ (उनके) जानशीन हुए जिन्होंने नमाज़ें खोयी और नफ़सानी ख्वाहिशों के चेले बन बैठे अनक़रीब ही ये लोग (अपनी) गुमराही (के ख़ामयाजे) से जा मिलेंगे
फिर उनके पश्चात ऐसे बुरे लोग उनके उत्तराधिकारी हुए, जिन्होंने नमाज़ को गँवाया और मन की इच्छाओं के पीछे पड़े। अतः जल्द ही वे गुमराही (के परिणाम) से दोचार होंगा
إِلَّا مَن تَابَ وَءَامَنَ وَعَمِلَ صَٰلِحًۭا فَأُو۟لَٰٓئِكَ يَدْخُلُونَ ٱلْجَنَّةَ وَلَا يُظْلَمُونَ شَيْـًۭٔا ﴿٦٠﴾
मगर (हाँ) जिसने तौबा कर लिया और अच्छे-अच्छे काम किए तो ऐसे लोग बेहिश्त में दाख़िल होंगे और उन पर कुछ भी जुल्म नहीं किया जाएगा वह सदाबहार बाग़ात में रहेंगे
किन्तु जो तौबा करे और ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, तो ऐसे लोग जन्नत में प्रवेश करेंगे। उनपर कुछ भी ज़ुल्म न होगा। -
جَنَّٰتِ عَدْنٍ ٱلَّتِى وَعَدَ ٱلرَّحْمَٰنُ عِبَادَهُۥ بِٱلْغَيْبِ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ وَعْدُهُۥ مَأْتِيًّۭا ﴿٦١﴾
जिनका खुदा ने अपने बन्दों से ग़ाएबाना वायदा कर लिया है बेशक उसका वायदा पूरा होने वाला है
अदन (रहने) के बाग़ जिनका रहमान ने अपने बन्दों से परोक्ष में होते हुए वादा किया है। निश्चय ही उसके वादे पर उपस्थित हाना है। -
لَّا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًا إِلَّا سَلَٰمًۭا ۖ وَلَهُمْ رِزْقُهُمْ فِيهَا بُكْرَةًۭ وَعَشِيًّۭا ﴿٦٢﴾
वह लोग वहाँ सलाम के सिवा कोई बेहूदा बात सुनेंगे ही नहीं मगर हर तरफ से इस्लाम ही इस्लाम (की आवाज़ आएगी) और वहाँ उनका खाना सुबह व शाम (जिस वक्त चाहेंगे) उनके लिए (तैयार) रहेगा
वहाँ वे 'सलाम' के सिवा कोई व्यर्थ बात नहीं सुनेंगे। उनकी रोज़ी उन्हें वहाँ प्रातः और सन्ध्या समय प्राप्त होती रहेगी
تِلْكَ ٱلْجَنَّةُ ٱلَّتِى نُورِثُ مِنْ عِبَادِنَا مَن كَانَ تَقِيًّۭا ﴿٦٣﴾
यही वह बेिहश्त है कि हमारे बन्दों में से जो परहेज़गार होगा हम उसे उसका वारिस बनायेगे
यह है वह जन्नत जिसका वारिस हम अपने बन्दों में से हर उस व्यक्ति को बनाएँगे, जो डर रखनेवाला हो
وَمَا نَتَنَزَّلُ إِلَّا بِأَمْرِ رَبِّكَ ۖ لَهُۥ مَا بَيْنَ أَيْدِينَا وَمَا خَلْفَنَا وَمَا بَيْنَ ذَٰلِكَ ۚ وَمَا كَانَ رَبُّكَ نَسِيًّۭا ﴿٦٤﴾
और (ऐ रसूल) हम लोग फ़रिश्ते आप के परवरदिगार के हुक्म के बग़ैर (दुनिया में) नहीं नाज़िल होते जो कुछ हमारे सामने है और जो कुछ हमारे पीठ पीछे है और जो कुछ उनके दरमियान में है (ग़रज़ सबकुछ) उसी का है
हम तुम्हारे रब की आज्ञा के बिना नहीं उतरते। जो कुछ हमारे आगे है और जो कुछ हमारे पीछे है और जो कुछ इसके मध्य है सब उसी का है, और तुम्हारा रब भूलनेवाला नहीं है
رَّبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا فَٱعْبُدْهُ وَٱصْطَبِرْ لِعِبَٰدَتِهِۦ ۚ هَلْ تَعْلَمُ لَهُۥ سَمِيًّۭا ﴿٦٥﴾
और तुम्हारा परवरदिगार कुछ भूलने वाला नहीं है सारे आसमान और ज़मीन का मालिक है और उन चीज़ों का भी जो दोनों के दरमियान में है तो तुम उसकी इबादत करो (और उसकी इबादत पर साबित) क़दम रहो भला तुम्हारे इल्म में उसका कोई हमनाम भी है
आकाशों और धरती का रब है और उसका भी जो इन दोनों के मध्य है। अतः तुम उसी की बन्दगी पर जमे रहो। क्या तुम्हारे ज्ञान में उस जैसा कोई है?
وَيَقُولُ ٱلْإِنسَٰنُ أَءِذَا مَا مِتُّ لَسَوْفَ أُخْرَجُ حَيًّا ﴿٦٦﴾
और (बाज़) आदमी अबी बिन ख़लफ ताज्जुब से कहा करते हैं कि क्या जब मैं मर जाऊँगा तो जल्दी ही जीता जागता (क़ब्र से) निकाला जाऊँगा
और मनुष्य कहता है, \"क्या जब मैं मर गया तो फिर जीवित करके निकाला जाऊँगा?\"
أَوَلَا يَذْكُرُ ٱلْإِنسَٰنُ أَنَّا خَلَقْنَٰهُ مِن قَبْلُ وَلَمْ يَكُ شَيْـًۭٔا ﴿٦٧﴾
क्या वह (आदमी) उसको नहीं याद करता कि उसको इससे पहले जब वह कुछ भी न था पैदा किया था
क्या मनुष्य याद नहीं करता कि हम उसे इससे पहले पैदा कर चुके है, जबकि वह कुछ भी न था?
فَوَرَبِّكَ لَنَحْشُرَنَّهُمْ وَٱلشَّيَٰطِينَ ثُمَّ لَنُحْضِرَنَّهُمْ حَوْلَ جَهَنَّمَ جِثِيًّۭا ﴿٦٨﴾
तो वह (ऐ रसूल) तुम्हारे परवरदिगार की (अपनी) क़िस्म हम उनको और शैतान को इकट्ठा करेगे फिर उन सब को जहन्नुम के गिर्दागिर्द घुटनों के बल हाज़िर करेंगे
अतः तुम्हारे रब की क़सम! हम अवश्य उन्हें और शैतानों को भी इकट्ठा करेंगे। फिर हम उन्हें जहन्नम के चतुर्दिक इस दशा में ला उपस्थित करेंगे कि वे घुटनों के बल झुके होंगे
ثُمَّ لَنَنزِعَنَّ مِن كُلِّ شِيعَةٍ أَيُّهُمْ أَشَدُّ عَلَى ٱلرَّحْمَٰنِ عِتِيًّۭا ﴿٦٩﴾
फिर हर गिरोह में से ऐसे लोगों को अलग निकाल लेंगे (जो दुनिया में) खुदा से औरों की निस्बत अकड़े-अकड़े फिरते थे
फिर प्रत्येक गिरोह में से हम अवश्य ही उसे छाँटकर अलग करेंगे जो उनमें से रहमान (कृपाशील प्रभु) के मुक़ाबले में सबसे बढ़कर सरकश रहा होगा
ثُمَّ لَنَحْنُ أَعْلَمُ بِٱلَّذِينَ هُمْ أَوْلَىٰ بِهَا صِلِيًّۭا ﴿٧٠﴾
फिर जो लोग जहन्नुम में झोंके जाएँगे ज्यादा सज़ावार हैं हम उनसे खूब वाक़िफ हैं
फिर हम उन्हें भली-भाँति जानते है जो उसमें झोंके जाने के सर्वाधिक योग्य है
وَإِن مِّنكُمْ إِلَّا وَارِدُهَا ۚ كَانَ عَلَىٰ رَبِّكَ حَتْمًۭا مَّقْضِيًّۭا ﴿٧١﴾
और तुममे से कोई ऐसा नहीं जो जहन्नुम पर से होकर न गुज़रे (क्योंकि पुल सिरात उसी पर है) ये तुम्हारे परवरदिगार पर हेतेमी और लाज़मी (वायदा) है
तुममें से प्रत्येक को उसपर पहुँचना ही है। यह एक निश्चय पाई हुई बात है, जिसे पूरा करना तेरे रब के ज़िम्मे है।
ثُمَّ نُنَجِّى ٱلَّذِينَ ٱتَّقَوا۟ وَّنَذَرُ ٱلظَّٰلِمِينَ فِيهَا جِثِيًّۭا ﴿٧٢﴾
फिर हम परहेज़गारों को बचाएँगे और नाफ़रमानों को घुटने के भल उसमें छोड़ देंगे
फिर हम डर रखनेवालों को बचा लेंगे और ज़ालिमों को उसमें घुटनों के बल छोड़ देंगे
وَإِذَا تُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ ءَايَٰتُنَا بَيِّنَٰتٍۢ قَالَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لِلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ أَىُّ ٱلْفَرِيقَيْنِ خَيْرٌۭ مَّقَامًۭا وَأَحْسَنُ نَدِيًّۭا ﴿٧٣﴾
और जब हमारी वाज़ेए रौशन आयतें उनके सामने पढ़ी जाती हैं तो जिन लोगों ने कुफ़्र किया ईमानवालों से पूछते हैं भला ये तो बताओ कि हम तुम दोनों फरीक़ो में से मरतबे में कौन ज्यादा बेहतर है और किसकी महफिल ज्यादा अच्छी है
जब उन्हें हमारी खुली हुई आयतें सुनाई जाती है तो जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे ईमान लानेवालों से कहते हैं, \"दोनों गिरोहों में स्थान की स्पष्ट से कौन उत्तम है और कौन मजलिस की दृष्टि से अधिक अच्छा है?\"
وَكَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُم مِّن قَرْنٍ هُمْ أَحْسَنُ أَثَٰثًۭا وَرِءْيًۭا ﴿٧٤﴾
हालाँकि हमने उनसे पहले बहुत सी जमाअतों को हलाक कर छोड़ा जो उनसे साज़ो सामान और ज़ाहिरी नमूद में कहीं बढ़ चढ़ के थी
हालाँकि उनसे पहले हम कितनी ही नसलों को विनष्ट कर चुके है जो सामग्री और बाह्य भव्यता में इनसे कहीं अच्छी थीं!
قُلْ مَن كَانَ فِى ٱلضَّلَٰلَةِ فَلْيَمْدُدْ لَهُ ٱلرَّحْمَٰنُ مَدًّا ۚ حَتَّىٰٓ إِذَا رَأَوْا۟ مَا يُوعَدُونَ إِمَّا ٱلْعَذَابَ وَإِمَّا ٱلسَّاعَةَ فَسَيَعْلَمُونَ مَنْ هُوَ شَرٌّۭ مَّكَانًۭا وَأَضْعَفُ جُندًۭا ﴿٧٥﴾
(ऐ रसूल) कह दो कि जो शख्स गुमराही में पड़ा है तो खुदा उसको ढ़ील ही देता चला जाता है यहाँ तक कि उस चीज़ को (अपनी ऑंखों से) देख लेंगे जिनका उनसे वायदा किया गया है या अज़ाब या क़यामत तो उस वक्त उन्हें मालूम हो जाएगा कि मरतबे में कौन बदतर है और लश्कर (जत्थे) में कौन कमज़ोर है (बेकस) है
कह दो, \"जो गुमराही में पड़ा हुआ है उसके प्रति तो यही चाहिए कि रहमान उसकी रस्सी ख़ूब ढीली छोड़ दे, यहाँ तक कि जब ऐसे लोग उस चीज़ को देख लेंगे जिसका उनसे वादा किया जाता है - चाहे यातना हो या क़ियामत की घड़ी - तो वे उस समय जान लेंगे कि अपने स्थान की स्पष्ट से कौन निकृष्ट और जत्थे की दृष्टि से अधिक कमजोर है।\"
وَيَزِيدُ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ٱهْتَدَوْا۟ هُدًۭى ۗ وَٱلْبَٰقِيَٰتُ ٱلصَّٰلِحَٰتُ خَيْرٌ عِندَ رَبِّكَ ثَوَابًۭا وَخَيْرٌۭ مَّرَدًّا ﴿٧٦﴾
और जो लोग राहे रास्त पर हैं खुदा उनकी हिदायत और ज्यादा करता जाता है और बाक़ी रह जाने वाली नेकियाँ तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक सवाब की राह से भी बेहतर है और अन्जाम के ऐतबार से (भी) बेहतर है
और जिन लोगों ने मार्ग पा लिया है, अल्लाह उनके मार्गदर्शन में अभिवृद्धि प्रदान करता है और शेष रहनेवाली नेकियाँ ही तुम्हारे रब के यहाँ बदले और अन्तिम परिणाम की स्पष्ट से उत्तम है
أَفَرَءَيْتَ ٱلَّذِى كَفَرَ بِـَٔايَٰتِنَا وَقَالَ لَأُوتَيَنَّ مَالًۭا وَوَلَدًا ﴿٧٧﴾
(ऐ रसूल) क्या तुमने उस शख्स पर भी नज़र की जिसने हमारी आयतों से इन्कार किया और कहने लगा कि (अगर क़यामत हुईतो भी) मुझे माल और औलाद ज़रूर मिलेगी
फिर क्या तुमने उस व्यक्ति को देखा जिसने हमारी आयतों का इनकार किया और कहा, \"मुझे तो अवश्य ही धन और सन्तान मिलने को है?\"
أَطَّلَعَ ٱلْغَيْبَ أَمِ ٱتَّخَذَ عِندَ ٱلرَّحْمَٰنِ عَهْدًۭا ﴿٧٨﴾
क्या उसे ग़ैब का हाल मालूम हो गया है या उसने खुदा से कोई अहद (व पैमान) ले रखा है हरग़िज नहीं
क्या उसने परोक्ष को झाँककर देख लिया है, या रहमान से कोई वचन ले रखा है?
كَلَّا ۚ سَنَكْتُبُ مَا يَقُولُ وَنَمُدُّ لَهُۥ مِنَ ٱلْعَذَابِ مَدًّۭا ﴿٧٩﴾
जो कुछ ये बकता है (सब) हम सभी से लिखे लेते हैं और उसके लिए और ज्यादा अज़ाब बढ़ाते हैं
कदापि नहीं, हम लिखेंगे जो कुछ वह कहता है और उसके लिए हम यातना को दीर्घ करते चले जाएँगे।
وَنَرِثُهُۥ مَا يَقُولُ وَيَأْتِينَا فَرْدًۭا ﴿٨٠﴾
और वो माल व औलाद की निस्बत बक रहा है हम ही उसके मालिक हो बैठेंगे और ये हमारे पास तनहा आयेगा
औऱ जो कुछ वह बताता है उसके वारिस हम होंगे और वह अकेला ही हमारे पास आएगा
وَٱتَّخَذُوا۟ مِن دُونِ ٱللَّهِ ءَالِهَةًۭ لِّيَكُونُوا۟ لَهُمْ عِزًّۭا ﴿٨١﴾
और उन लोगों ने खुदा को छोड़कर दूसरे-दूसरे माबूद बना रखे हैं ताकि वह उनकी इज्ज़त के बाएस हों हरग़िज़ नहीं
और उन्होंने अल्लाह से इतर अपने कुछ पूज्य-प्रभु बना लिए है, ताकि वे उनके लिए शक्ति का कारण बनें।
كَلَّا ۚ سَيَكْفُرُونَ بِعِبَادَتِهِمْ وَيَكُونُونَ عَلَيْهِمْ ضِدًّا ﴿٨٢﴾
(बल्कि) वह माबूद खुद उनकी इबादत से इन्कार करेंगे और (उल्टे) उनके दुशमन हो जाएँगे
कुछ नहीं, ये उनकी बन्दगी का इनकार करेंगे और उनके विरोधी बन जाएँगे। -
أَلَمْ تَرَ أَنَّآ أَرْسَلْنَا ٱلشَّيَٰطِينَ عَلَى ٱلْكَٰفِرِينَ تَؤُزُّهُمْ أَزًّۭا ﴿٨٣﴾
(ऐ रसूल) क्या तुमने इसी बात को नहीं देखा कि हमने शैतान को काफ़िरों पर छोड़ रखा है कि वह उन्हें बहकाते रहते हैं
क्या तुमने देखा नहीं कि हमने शैतानों को छोड़ रखा है, जो इनकार करनेवालों पर नियुक्त है?
فَلَا تَعْجَلْ عَلَيْهِمْ ۖ إِنَّمَا نَعُدُّ لَهُمْ عَدًّۭا ﴿٨٤﴾
तो (ऐ रसूल) तुम उन काफिरों पर (नुज़ूले अज़ाब की) जल्दी न करो हम तो बस उनके लिए (अज़ाब) का दिन गिन रहे हैं
अतः तुम उनके लिए जल्दी न करो। हम तो बस उनके लिए (उनकी बातें) गिन रहे है
يَوْمَ نَحْشُرُ ٱلْمُتَّقِينَ إِلَى ٱلرَّحْمَٰنِ وَفْدًۭا ﴿٨٥﴾
कि जिस दिन परहेज़गारों को (खुदाए) रहमान के (अपने) सामने मेहमानों की तरह तरह जमा करेंगे
याद करो जिस दिन हम डर रखनेवालों के सम्मानित गिरोह के रूप में रहमान के पास इकट्ठा करेंगे।
وَنَسُوقُ ٱلْمُجْرِمِينَ إِلَىٰ جَهَنَّمَ وِرْدًۭا ﴿٨٦﴾
और गुनेहगारों को जहन्नुम की तरफ प्यासे (जानवरो की तरह हकाँएगे
और अपराधियों को जहन्नम के घाट की ओर प्यासा हाँक ले जाएँगे।
لَّا يَمْلِكُونَ ٱلشَّفَٰعَةَ إِلَّا مَنِ ٱتَّخَذَ عِندَ ٱلرَّحْمَٰنِ عَهْدًۭا ﴿٨٧﴾
(उस दिन) ये लोग सिफारिश पर भी क़ादिर न होंगे मगर (वहाँ) जिस शख्स ने ख़ुदा से (सिफारिश का) एक़रा ले लिया हो
उन्हें सिफ़ारिश का अधिकार प्राप्त न होगा। सिवाय उसके, जिसने रहमान के यहाँ से अनुमोदन प्राप्त कर लिया हो
وَقَالُوا۟ ٱتَّخَذَ ٱلرَّحْمَٰنُ وَلَدًۭا ﴿٨٨﴾
और (यहूदी) लोग कहते हैं कि खुदा ने (अज़ीज़ को) बेटा बना लिया है
वे कहते है, \"रहमान ने किसी को अपना बेटा बनाया है।\"
لَّقَدْ جِئْتُمْ شَيْـًٔا إِدًّۭا ﴿٨٩﴾
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुमने इतनी बड़ी सख्त बात अपनी तरफ से गढ़ के की है
अत्यन्त भारी बात है, जो तुम घड़ लाए हो!
تَكَادُ ٱلسَّمَٰوَٰتُ يَتَفَطَّرْنَ مِنْهُ وَتَنشَقُّ ٱلْأَرْضُ وَتَخِرُّ ٱلْجِبَالُ هَدًّا ﴿٩٠﴾
कि क़रीब है कि आसमान उससे फट पड़े और ज़मीन शिगाफता हो जाए और पहाड़ टुकड़े-टुकडे होकर गिर पड़े
निकट है कि आकाश इससे फट पड़े और धरती टुकड़े-टुकड़े हो जाए और पहाड़ धमाके के साथ गिर पड़े,
أَن دَعَوْا۟ لِلرَّحْمَٰنِ وَلَدًۭا ﴿٩١﴾
इस बात से कि उन लोगों ने खुदा के लिए बेटा क़रार दिया
इस बात पर कि उन्होंने रहमान के लिए बेटा होने का दावा किया!
وَمَا يَنۢبَغِى لِلرَّحْمَٰنِ أَن يَتَّخِذَ وَلَدًا ﴿٩٢﴾
हालाँकि खुदा के लिए ये किसी तरह शायाँ ही नहीं कि वह (किसी को अपना) बेटा बना ले
जबकि रहमान की प्रतिष्ठा के प्रतिकूल है कि वह किसी को अपना बेटा बनाए
إِن كُلُّ مَن فِى ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ إِلَّآ ءَاتِى ٱلرَّحْمَٰنِ عَبْدًۭا ﴿٩٣﴾
सारे आसमान व ज़मीन में जितनी चीज़े हैं सब की सब खुदा के सामने बन्दा ही बनकर आने वाली हैं उसने यक़ीनन सबको अपने (इल्म) के अहाते में घेर लिया है
आकाशों और धरती में जो कोई भी है एक बन्दें के रूप में रहमान के पास आनेवाला है
لَّقَدْ أَحْصَىٰهُمْ وَعَدَّهُمْ عَدًّۭا ﴿٩٤﴾
और सबको अच्छी तरह गिन लिया है
उसने उनका आकलन कर रखा है और उन्हें अच्छी तरह गिन रखा है
وَكُلُّهُمْ ءَاتِيهِ يَوْمَ ٱلْقِيَٰمَةِ فَرْدًا ﴿٩٥﴾
और ये सब उसके सामने क़यामत के दिन अकेले (अकेले) हाज़िर होंगे
और उनमें से प्रत्येक क़ियामत के दिन उस अकेले (रहमान) के सामने उपस्थित होगा
إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ سَيَجْعَلُ لَهُمُ ٱلرَّحْمَٰنُ وُدًّۭا ﴿٩٦﴾
बेशक जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए अनक़रीब ही खुदा उन की मोहब्बत (लोगों के दिलों में) पैदा कर देगा
निस्संदेह जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए शीघ्र ही रहमान उनके लिए प्रेम उत्पन्न कर देगा
فَإِنَّمَا يَسَّرْنَٰهُ بِلِسَانِكَ لِتُبَشِّرَ بِهِ ٱلْمُتَّقِينَ وَتُنذِرَ بِهِۦ قَوْمًۭا لُّدًّۭا ﴿٩٧﴾
(ऐ रसूल) हमने उस कुरान को तुम्हारी (अरबी) जुबान में सिर्फ इसलिए आसान कर दिया है कि तुम उसके ज़रिए से परहेज़गारों को (जन्नत की) खुशख़बरी दो और (अरब की) झगड़ालू क़ौम को (अज़ाबे खुदा से) डराओ
अतः हमने इस वाणी को तुम्हारी भाषा में इसी लिए सहज एवं उपयुक्त बनाया है, ताकि तुम इसके द्वारा डर रखनेवालों को शुभ सूचना दो और उन झगड़ालू लोगों को इसके द्वारा डराओ
وَكَمْ أَهْلَكْنَا قَبْلَهُم مِّن قَرْنٍ هَلْ تُحِسُّ مِنْهُم مِّنْ أَحَدٍ أَوْ تَسْمَعُ لَهُمْ رِكْزًۢا ﴿٩٨﴾
और हमने उनसे पहले कितनी जमाअतों को हलाक कर डाला भला तुम उनमें से किसी को (कहीं देखते हो) उसकी कुछ भनक भी सुनते हो
उनसे पहले कितनी ही नसलों को हम विनष्ट कर चुके है। क्या उनमें किसी की आहट तुम पाते हो या उनकी कोई भनक सुनते हो?