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Surah The Poets [Ash-Shuara] in Hindi

Surah The Poets [Ash-Shuara] Ayah 227 Location Maccah Number 26

طسٓمٓ ﴿١﴾

ता सीन मीम

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ता॰ सीन॰ मीम॰

تِلْكَ ءَايَٰتُ ٱلْكِتَٰبِ ٱلْمُبِينِ ﴿٢﴾

ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ये स्पष्ट किताब की आयतें है

لَعَلَّكَ بَٰخِعٌۭ نَّفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا۟ مُؤْمِنِينَ ﴿٣﴾

(ऐ रसूल) शायद तुम (इस फिक्र में) अपनी जान हलाक कर डालोगे कि ये (कुफ्फार) मोमिन क्यो नहीं हो जाते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

शायद इसपर कि वे ईमान नहीं लाते, तुम अपने प्राण ही खो बैठोगे

إِن نَّشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ ءَايَةًۭ فَظَلَّتْ أَعْنَٰقُهُمْ لَهَا خَٰضِعِينَ ﴿٤﴾

अगर हम चाहें तो उन लोगों पर आसमान से कोई ऐसा मौजिज़ा नाज़िल करें कि उन लोगों की गर्दनें उसके सामने झुक जाएँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से एक निशानी उतार दें। फिर उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ

وَمَا يَأْتِيهِم مِّن ذِكْرٍۢ مِّنَ ٱلرَّحْمَٰنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا۟ عَنْهُ مُعْرِضِينَ ﴿٥﴾

और (लोगों का क़ायदा है कि) जब उनके पास कोई कोई नसीहत की बात ख़ुदा की तरफ से आयी तो ये लोग उससे मुँह फेरे बगैर नहीं रहे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उनके पास रहमान की ओर से जो नवीन अनुस्मृति भी आती है, वे उससे मुँह फेर ही लेते है

فَقَدْ كَذَّبُوا۟ فَسَيَأْتِيهِمْ أَنۢبَٰٓؤُا۟ مَا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ ﴿٦﴾

उन लोगों ने झुठलाया ज़रुर तो अनक़रीब ही (उन्हें) इस (अज़ाब) की हक़ीकत मालूम हो जाएगी जिसकी ये लोग हँसी उड़ाया करते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अब जबकि वे झुठला चुके है, तो शीघ्र ही उन्हें उसकी हक़ीकत मालूम हो जाएगी, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते रहे है

أَوَلَمْ يَرَوْا۟ إِلَى ٱلْأَرْضِ كَمْ أَنۢبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوْجٍۢ كَرِيمٍ ﴿٧﴾

क्या इन लोगों ने ज़मीन की तरफ भी (ग़ौर से) नहीं देखा कि हमने हर रंग की उम्दा उम्दा चीजें उसमें किस कसरत से उगायी हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें कितने ही प्रकार की उमदा चीज़ें पैदा की है?

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿٨﴾

यक़ीनन इसमें (भी क़ुदरत) ख़ुदा की एक बड़ी निशानी है मगर उनमें से अक्सर ईमान लाने वाले ही नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है, इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿٩﴾

और इसमें शक नहीं कि तेरा परवरदिगार यक़ीनन (हर चीज़ पर) ग़ालिब (और) मेहरबान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है

وَإِذْ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱئْتِ ٱلْقَوْمَ ٱلظَّٰلِمِينَ ﴿١٠﴾

(ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब तुम्हारे परवरदिगार ने मूसा को आवाज़ दी कि (इन) ज़ालिमों फिरऔन की क़ौम के पास जाओ (हिदायत करो)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जबकि तुम्हारे रह ने मूसा को पुकारा कि \"ज़ालिम लोगों के पास जा -

قَوْمَ فِرْعَوْنَ ۚ أَلَا يَتَّقُونَ ﴿١١﴾

क्या ये लोग (मेरे ग़ज़ब से) डरते नहीं है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फ़िरऔन की क़ौम के पास - क्या वे डर नहीं रखते?\"

قَالَ رَبِّ إِنِّىٓ أَخَافُ أَن يُكَذِّبُونِ ﴿١٢﴾

मूसा ने अर्ज़ कि परवरदिगार मैं डरता हूँ कि (मुबादा) वह लोग मुझे झुठला दे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"ऐ मेरे रब! मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे,

وَيَضِيقُ صَدْرِى وَلَا يَنطَلِقُ لِسَانِى فَأَرْسِلْ إِلَىٰ هَٰرُونَ ﴿١٣﴾

और (उनके झुठलाने से) मेरा दम रुक जाए और मेरी ज़बान (अच्छी तरह) न चले तो हारुन के पास पैग़ाम भेज दे (कि मेरा साथ दे)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती। इसलिए हारून की ओर भी संदेश भेज दे

وَلَهُمْ عَلَىَّ ذَنۢبٌۭ فَأَخَافُ أَن يَقْتُلُونِ ﴿١٤﴾

(और इसके अलावा) उनका मेरे सर एक जुर्म भी है (कि मैने एक शख्स को मार डाला था)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मुझपर उनके यहाँ के एक गुनाह का बोझ भी है। इसलिए मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।\"

قَالَ كَلَّا ۖ فَٱذْهَبَا بِـَٔايَٰتِنَآ ۖ إِنَّا مَعَكُم مُّسْتَمِعُونَ ﴿١٥﴾

तो मैं डरता हूँ कि (शायद) मुझे ये लाग मार डालें ख़ुदा ने कहा हरगिज़ नहीं अच्छा तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ हम तुम्हारे साथ हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"कदापि नहीं, तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ। हम तुम्हारे साथ है, सुनने को मौजूद है

فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولُ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿١٦﴾

और (सारी गुफ्तगू) अच्छी तरह सुनते हैं ग़रज़ तुम दोनों फिरऔन के पास जाओ और कह दो कि हम सारे जहाँन के परवरदिगार के रसूल हैं (और पैग़ाम लाएँ हैं)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनो फ़िरऔन को पास जाओ और कहो कि हम सारे संसार के रब के भेजे हुए है

أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ﴿١٧﴾

कि आप बनी इसराइल को हमारे साथ भेज दीजिए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि तू इसराईल की सन्तान को हमारे साथ जाने दे।\"

قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًۭا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ ﴿١٨﴾

(चुनान्चे मूसा गए और कहा) फिरऔन बोला (मूसा) क्या हमने तुम्हें यहाँ रख कर बचपने में तुम्हारी परवरिश नहीं की और तुम अपनी उम्र से बरसों हम मे रह सह चुके हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

(फ़िरऔन ने) कहा, \"क्या हमने तुझे जबकि तू बच्चा था, अपने यहाँ पाला नहीं था? और तू अपनी अवस्था के कई वर्षों तक हमारे साथ रहा,

وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ ٱلَّتِى فَعَلْتَ وَأَنتَ مِنَ ٱلْكَٰفِرِينَ ﴿١٩﴾

और तुम अपना वह काम (ख़ून क़िब्ती) जो कर गए और तुम (बड़े) नाशुक्रे हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और तूने अपना वह काम किया, जो किया। तू बड़ा ही कृतघ्न है।\"

قَالَ فَعَلْتُهَآ إِذًۭا وَأَنَا۠ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ ﴿٢٠﴾

मूसा ने कहा (हाँ) मैने उस वक्त उस काम को किया जब मै हालते ग़फलत में था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, ऐसा तो मुझसे उस समय हुआ जबकि मैं चूक गया था

فَفَرَرْتُ مِنكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِى رَبِّى حُكْمًۭا وَجَعَلَنِى مِنَ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿٢١﴾

फिर जब मै आप लोगों से डरा तो भाग खड़ा हुआ फिर (कुछ अरसे के बाद) मेरे परवरदिगार ने मुझे नुबूवत अता फरमायी और मुझे भी एक पैग़म्बर बनाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब मुझे तुम्हारा भय हुआ तो मैं तुम्हारे यहाँ से भाग गया। फिर मेरे रब ने मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान की और मुझे रसूलों में सम्मिलित किया

وَتِلْكَ نِعْمَةٌۭ تَمُنُّهَا عَلَىَّ أَنْ عَبَّدتَّ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ﴿٢٢﴾

और ये भी कोई एहसान हे जिसे आप मुझ पर जता रहे है कि आप ने बनी इसराईल को ग़ुलाम बना रखा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यही वह उदार अनुग्रह है जिसका रहमान तू मुझपर जताता है कि तूने इसराईल की सन्तान को ग़ुलाम बना रखा है।\"

قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿٢٣﴾

फिरऔन ने पूछा (अच्छा ये तो बताओ) रब्बुल आलमीन क्या चीज़ है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फ़िरऔन ने कहा, \"और यह सारे संसार का रब क्या होता है?\"

قَالَ رَبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَآ ۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ ﴿٢٤﴾

मूसा ने कहाँ सारे आसमान व ज़मीन का और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है (सबका) मालिक अगर आप लोग यक़ीन कीजिए (तो काफी है)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"आकाशों और धरती का रब और जो कुछ इन दोनों का मध्य है उसका भी, यदि तुम्हें यकीन हो।\"

قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُۥٓ أَلَا تَسْتَمِعُونَ ﴿٢٥﴾

फिरऔन ने उन लोगो से जो उसके इर्द गिर्द (बैठे) थे कहा क्या तुम लोग नहीं सुनते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने अपने आस-पासवालों से कहा, \"क्या तुम सुनते नहीं हो?\"

قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ ءَابَآئِكُمُ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿٢٦﴾

मूसा ने कहा (वही ख़ुदा जो कि) तुम्हारा परवरदिगार और तुम्हारे बाप दादाओं का परवरदिगार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादा का रब।\"

قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ ٱلَّذِىٓ أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌۭ ﴿٢٧﴾

फिरऔन ने कहा (लोगों) ये रसूल जो तुम्हारे पास भेजा गया है हो न हो दीवाना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बोला, \"निश्चय ही तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिलकुल ही पागल है।\"

قَالَ رَبُّ ٱلْمَشْرِقِ وَٱلْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَآ ۖ إِن كُنتُمْ تَعْقِلُونَ ﴿٢٨﴾

मूसा ने कहा (वह ख़ुदा जो) पूरब पश्चिम और जो कुछ इन दोनों के दरमियान (सबका) मालिक है अगर तुम समझते हो (तो यही काफी है)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"पूर्व और पश्चिम का रब और जो कुछ उनके बीच है उसका भी, यदि तुम कुछ बुद्धि रखते हो।\"

قَالَ لَئِنِ ٱتَّخَذْتَ إِلَٰهًا غَيْرِى لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ ٱلْمَسْجُونِينَ ﴿٢٩﴾

फिरऔन ने कहा अगर तुम मेरे सिवा किसी और को (अपना) ख़ुदा बनाया है तो मै ज़रुर तुम्हे कैदी बनाऊँगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बोला, \"यदि तूने मेरे सिवा किसी और को पूज्य एवं प्रभु बनाया, तो मैं तुझे बन्दी बनाकर रहूँगा।\"

قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَىْءٍۢ مُّبِينٍۢ ﴿٣٠﴾

मूसा ने कहा अगरचे मैं आपको एक वाजेए व रौशन मौजिज़ा भी दिखाऊ (तो भी)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ ले आऊँ तब भी?\"

قَالَ فَأْتِ بِهِۦٓ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّٰدِقِينَ ﴿٣١﴾

फिरऔन ने कहा (अच्छा) तो तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे हो तो ला दिखाओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बोलाः “अच्छा वह ले आ; यदि तू सच्चा है” ।

فَأَلْقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِىَ ثُعْبَانٌۭ مُّبِينٌۭ ﴿٣٢﴾

बस (ये सुनते ही) मूसा ने अपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दी फिर तो यकायक वह एक सरीही अज़दहा बन गया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर उसने अपनी लाठी डाल दी, तो अचानक क्या देखते है कि वह एक प्रत्यक्ष अज़गर है

وَنَزَعَ يَدَهُۥ فَإِذَا هِىَ بَيْضَآءُ لِلنَّٰظِرِينَ ﴿٣٣﴾

और (जेब से) अपना हाथ बाहर निकाला तो यकायक देखने वालों के वास्ते बहुत सफेद चमकदार था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उसने अपना हाथ बाहर खींचा तो फिर क्या देखते है कि वह देखनेवालों के सामने चमक रहा है

قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُۥٓ إِنَّ هَٰذَا لَسَٰحِرٌ عَلِيمٌۭ ﴿٣٤﴾

(इस पर) फिरऔन अपने दरबारियों से जो उसके गिर्द (बैठे) थे कहने लगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने अपने आस-पास के सरदारों से कहा, \"निश्चय ही यह एक बड़ा ही प्रवीण जादूगर है

يُرِيدُ أَن يُخْرِجَكُم مِّنْ أَرْضِكُم بِسِحْرِهِۦ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ ﴿٣٥﴾

कि ये तो यक़ीनी बड़ा खिलाड़ी जादूगर है ये तो चाहता है कि अपने जादू के ज़ोर से तुम्हें तुम्हारे मुल्क से बाहर निकाल दे तो तुम लोग क्या हुक्म लगाते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

चाहता है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारी अपनी भूमि से निकाल बाहर करें; तो अब तुम क्या कहते हो?\"

قَالُوٓا۟ أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَٱبْعَثْ فِى ٱلْمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ ﴿٣٦﴾

दरबारियों ने कहा अभी इसको और इसके भाई को (चन्द) मोहलत दीजिए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"इसे और इसके भाई को अभी टाले रखिए, और एकत्र करनेवालों को नगरों में भेज दीजिए

يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍۢ ﴿٣٧﴾

और तमाम शहरों में जादूगरों के जमा करने को हरकारे रवाना कीजिए कि वह लोग तमाम बड़े बड़े खिलाड़ी जादूगरों की आपके सामने ला हाज़िर करें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि वे प्रत्येक प्रवीण जादूगर को आपके पास ले आएँ।\"

فَجُمِعَ ٱلسَّحَرَةُ لِمِيقَٰتِ يَوْمٍۢ مَّعْلُومٍۢ ﴿٣٨﴾

ग़रज़ वक्ते मुकर्रर हुआ सब जादूगर उस मुक़र्रर के वायदे पर जमा किए गए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतएव एक निश्चित दिन के नियत समय पर जादूगर एकत्र कर लिए गए

وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنتُم مُّجْتَمِعُونَ ﴿٣٩﴾

और लोगों में मुनादी करा दी गयी कि तुम लोग अब भी जमा होगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और लोगों से कहा गया, \"क्या तुम भी एकत्र होते हो?\"

لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ ٱلسَّحَرَةَ إِن كَانُوا۟ هُمُ ٱلْغَٰلِبِينَ ﴿٤٠﴾

या नहीं ताकि अगर जादूगर ग़ालिब और वर है तो हम लोग उनकी पैरवी करें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कदाचित हम जादूगरों ही के अनुयायी रह जाएँ, यदि वे विजयी हुए

فَلَمَّا جَآءَ ٱلسَّحَرَةُ قَالُوا۟ لِفِرْعَوْنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِن كُنَّا نَحْنُ ٱلْغَٰلِبِينَ ﴿٤١﴾

अलग़रज जब सब जादूगर आ गये तो जादूगरों ने फिरऔन से कहा कि अगर हम ग़ालिब आ गए तो हमको यक़ीनन कुछ इनाम (सरकार से) मिलेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब जादूगर आए तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा, \"क्या हमारे लिए कोई प्रतिदान भी है, यदि हम प्रभावी रहे?\"

قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ إِذًۭا لَّمِنَ ٱلْمُقَرَّبِينَ ﴿٤٢﴾

फिरऔन ने कहा हा (ज़रुर मिलेगा) और (इनाम क्या चीज़ है) तुम उस वक्त (मेरे) मुकररेबीन (बारगाह) से हो गए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"हाँ, और निश्चित ही तुम तो उस समय निकटतम लोगों में से हो जाओगे।\"

قَالَ لَهُم مُّوسَىٰٓ أَلْقُوا۟ مَآ أَنتُم مُّلْقُونَ ﴿٤٣﴾

मूसा ने जादूगरों से कहा (मंत्र व तंत्र) जो कुछ तुम्हें फेंकना हो फेंको

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मूसा ने उनसे कहा, \"डालो, जो कुछ तुम्हें डालना है।\"

فَأَلْقَوْا۟ حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوا۟ بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ إِنَّا لَنَحْنُ ٱلْغَٰلِبُونَ ﴿٤٤﴾

इस पर जादूगरों ने अपनी रस्सियाँ और अपनी छड़ियाँ (मैदान में) डाल दी और कहने लगे फिरऔन के जलाल की क़सम हम ही ज़रुर ग़ालिब रहेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तब उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ डाल दी और बोले, \"फ़िरऔन के प्रताप से हम ही विजयी रहेंगे।\"

فَأَلْقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِىَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ ﴿٤٥﴾

तब मूसा ने अपनी छड़ी डाली तो जादूगरों ने जो कुछ (शोबदे) बनाए थे उसको वह निगलने लगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर मूसा ने अपनी लाठी फेकी तो क्या देखते है कि वह उसे स्वाँग को, जो वे रचाते है, निगलती जा रही है

فَأُلْقِىَ ٱلسَّحَرَةُ سَٰجِدِينَ ﴿٤٦﴾

ये देखते ही जादूगर लोग सजदे में (मूसा के सामने) गिर पडे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसपर जादूगर सजदे में गिर पड़े

قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا بِرَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿٤٧﴾

और कहने लगे हम सारे जहाँ के परवरदिगार पर ईमान लाए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे बोल उठे, \"हम सारे संसार के रब पर ईमान ले आए -

رَبِّ مُوسَىٰ وَهَٰرُونَ ﴿٤٨﴾

जो मूसा और हारुन का परवरदिगार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मूसा और हारून के रब पर!\"

قَالَ ءَامَنتُمْ لَهُۥ قَبْلَ أَنْ ءَاذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِى عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحْرَ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ ۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُم مِّنْ خِلَٰفٍۢ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ ﴿٤٩﴾

फिरऔन ने कहा (हाए) क़ब्ल इसके कि मै तुम्हें इजाज़त दूँ तुम इस पर ईमान ले आए बेशक ये तुम्हारा बड़ा (गुरु है जिसने तुम सबको जादू सिखाया है तो ख़ैर) अभी तुम लोगों को (इसका नतीजा) मालूम हो जाएगा कि हम यक़ीनन तुम्हारे एक तरफ के हाथ और दूसरी तरफ के पाँव काट डालेगें और तुम सब के सब को सूली देगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"तुमने उसको मान लिया, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति देता। निश्चय ही वह तुम सबका प्रमुख है, जिसने तुमको जादू सिखाया है। अच्छा, शीघ्र ही तुम्हें मालूम हुआ जाता है! मैं तुम्हारे हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और तुम सभी को सूली पर चढ़ा दूँगा।\"

قَالُوا۟ لَا ضَيْرَ ۖ إِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ ﴿٥٠﴾

वह बोले कुछ परवाह नही हमको तो बहरहाल अपने परवरदिगार की तरफ लौट कर जाना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"कुछ हरज नहीं; हम तो अपने रब ही की ओर पलटकर जानेवाले है

إِنَّا نَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَٰيَٰنَآ أَن كُنَّآ أَوَّلَ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿٥١﴾

हम चँकि सबसे पहले ईमान लाए है इसलिए ये उम्मीद रखते हैं कि हमारा परवरदिगार हमारी ख़ताएँ माफ कर देगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमें तो इसी की लालसा है कि हमारा रब हमारी ख़ताओं को क्षमा कर दें, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाए।\"

۞ وَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِىٓ إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ ﴿٥٢﴾

और हमने मूसा के पास वही भेजी कि तुम मेरे बन्दों को लेकर रातों रात निकल जाओ क्योंकि तुम्हारा पीछा किया जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, \"मेरे बन्दों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।\"

فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِى ٱلْمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ ﴿٥٣﴾

तब फिरऔन ने (लश्कर जमा करने के ख्याल से) तमाम शहरों में (धड़ा धड़) हरकारे रवाना किए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसपर फ़िरऔन ने एकत्र करनेवालों को नगर में भेजा

إِنَّ هَٰٓؤُلَآءِ لَشِرْذِمَةٌۭ قَلِيلُونَ ﴿٥٤﴾

(और कहा) कि ये लोग मूसा के साथ बनी इसराइल थोड़ी सी (मुट्ठी भर की) जमाअत हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि \"यह गिरे-पड़े थोड़े लोगों का एक गिरोह है,

وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَآئِظُونَ ﴿٥٥﴾

और उन लोगों ने हमें सख्त गुस्सा दिलाया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और ये हमें क्रुद्ध कर रहे है।

وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَٰذِرُونَ ﴿٥٦﴾

और हम सबके सब बा साज़ों सामान हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हम चौकन्ना रहनेवाले लोग है।\"

فَأَخْرَجْنَٰهُم مِّن جَنَّٰتٍۢ وَعُيُونٍۢ ﴿٥٧﴾

(तुम भी आ जाओ कि सब मिलकर ताअककुब (पीछा) करें)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इस प्रकार हम उन्हें बाग़ों और स्रोतों

وَكُنُوزٍۢ وَمَقَامٍۢ كَرِيمٍۢ ﴿٥٨﴾

ग़रज़ हमने इन लोगों को (मिस्र के) बाग़ों और चश्मों और खज़ानों और इज्ज़त की जगह से (यूँ) निकाल बाहर किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और ख़जानों और अच्छे स्थान से निकाल लाए

كَذَٰلِكَ وَأَوْرَثْنَٰهَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ﴿٥٩﴾

(और जो नाफरमानी करे) इसी तरह सज़ा होगी और आख़िर हमने उन्हीं चीज़ों का मालिक बनी इसराइल को बनाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐसा ही हम करते है और इनका वारिस हमने इसराईल की सन्तान को बना दिया

فَأَتْبَعُوهُم مُّشْرِقِينَ ﴿٦٠﴾

ग़रज़ (मूसा) तो रात ही को चले गए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सुबह-तड़के उन्होंने उनका पीछा किया

فَلَمَّا تَرَٰٓءَا ٱلْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَٰبُ مُوسَىٰٓ إِنَّا لَمُدْرَكُونَ ﴿٦١﴾

और उन लोगों ने सूरज निकलते उनका पीछा किया तो जब दोनों जमाअतें (इतनी करीब हुयीं कि) एक दूसरे को देखने लगी तो मूसा के साथी (हैरान होकर) कहने लगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया तो मूसा के साथियों ने कहा, \"हम तो पकड़े गए!\"

قَالَ كَلَّآ ۖ إِنَّ مَعِىَ رَبِّى سَيَهْدِينِ ﴿٦٢﴾

कि अब तो पकड़े गए मूसा ने कहा हरगिज़ नहीं क्योंकि मेरे साथ मेरा परवरदिगार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"कदापि नहीं, मेरे साथ मेरा रब है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।\"

فَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱضْرِب بِّعَصَاكَ ٱلْبَحْرَ ۖ فَٱنفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍۢ كَٱلطَّوْدِ ٱلْعَظِيمِ ﴿٦٣﴾

वह फौरन मुझे कोई (मुखलिसी का) रास्ता बता देगा तो हमने मूसा के पास वही भेजी कि अपनी छड़ी दरिया पर मारो (मारना था कि) फौरन दरिया फुट के टुकड़े टुकड़े हो गया तो गोया हर टुकड़ा एक बड़ा ऊँचा पहाड़ था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तब हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, \"अपनी लाठी सागर पर मार।\"

وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ ٱلْءَاخَرِينَ ﴿٦٤﴾

और हमने उसी जगह दूसरे फरीक (फिरऔन के साथी) को क़रीब कर दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हम दूसरों को भी निकट ले आए

وَأَنجَيْنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓ أَجْمَعِينَ ﴿٦٥﴾

और मूसा और उसके साथियों को हमने (डूबने से) बचा लिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने मूसा को और उन सबको जो उसके साथ थे, बचा लिया

ثُمَّ أَغْرَقْنَا ٱلْءَاخَرِينَ ﴿٦٦﴾

फिर दूसरे फरीक़ (फिरऔन और उसके साथियों) को डुबोकर हलाक़ कर दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और दूसरों को डूबो दिया

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿٦٧﴾

बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और उनमें अक्सर ईमान लाने वाले ही न थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿٦٨﴾

और इसमें तो शक ही न था कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है

وَٱتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَٰهِيمَ ﴿٦٩﴾

और (ऐ रसूल) उन लोगों के सामने इबराहीम का किस्सा बयान करों

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उन्हें इबराहीम का वृत्तान्त सुनाओ,

إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِۦ مَا تَعْبُدُونَ ﴿٧٠﴾

जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौंम के लोगों से कहा, \"तुम क्या पूजते हो?\"

قَالُوا۟ نَعْبُدُ أَصْنَامًۭا فَنَظَلُّ لَهَا عَٰكِفِينَ ﴿٧١﴾

कि तुम लोग किसकी इबादत करते हो तो वह बोले हम बुतों की इबादत करते हैं और उन्हीं के मुजाविर बन जाते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"हम बुतों की पूजा करते है, हम तो उन्हीं की सेवा में लगे रहेंगे।\"

قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ ﴿٧٢﴾

इबराहीम ने कहा भला जब तुम लोग उन्हें पुकारते हो तो वह तुम्हारी कुछ सुनते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"क्या ये तुम्हारी सुनते है, जब तुम पुकारते हो,

أَوْ يَنفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ ﴿٧٣﴾

या तम्हें कुछ नफा या नुक़सान पहुँचा सकते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

या ये तुम्हें कुछ लाभ या हानि पहुँचाते है?\"

قَالُوا۟ بَلْ وَجَدْنَآ ءَابَآءَنَا كَذَٰلِكَ يَفْعَلُونَ ﴿٧٤﴾

कहने लगे (कि ये सब तो कुछ नहीं) बल्कि हमने अपने बाप दादाओं को ऐसा ही करते पाया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"नहीं, बल्कि हमने तो अपने बाप-दादा को ऐसा ही करते पाया है।\"

قَالَ أَفَرَءَيْتُم مَّا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ ﴿٧٥﴾

इबराहीम ने कहा क्या तुमने देखा भी कि जिन चीज़ों कीे तुम परसतिश करते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"क्या तुमने उनपर विचार भी किया कि जिन्हें तुम पूजते हो,

أَنتُمْ وَءَابَآؤُكُمُ ٱلْأَقْدَمُونَ ﴿٧٦﴾

या तुम्हारे अगले बाप दादा (करते थे) ये सब मेरे यक़ीनी दुश्मन हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम और तुम्हारे पहले के बाप-दादा?

فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّۭ لِّىٓ إِلَّا رَبَّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿٧٧﴾

मगर सारे जहाँ का पालने वाला जिसने मुझे पैदा किया (वही मेरा दोस्त है)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे सब तो मेरे शत्रु है, सिवाय सारे संसार के रब के,

ٱلَّذِى خَلَقَنِى فَهُوَ يَهْدِينِ ﴿٧٨﴾

फिर वही मेरी हिदायत करता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिसने मुझे पैदा किया और फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है

وَٱلَّذِى هُوَ يُطْعِمُنِى وَيَسْقِينِ ﴿٧٩﴾

और वह शख्स जो मुझे (खाना) खिलाता है और मुझे (पानी) पिलाता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वही है जो मुझे खिलाता और पिलाता है

وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ ﴿٨٠﴾

और जब बीमार पड़ता हूँ तो वही मुझे शिफा इनायत फरमाता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है

وَٱلَّذِى يُمِيتُنِى ثُمَّ يُحْيِينِ ﴿٨١﴾

और वह वही हेै जो मुझे मार डालेगा और उसके बाद (फिर) मुझे ज़िन्दा करेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वही है जो मुझे मारेगा, फिर मुझे जीवित करेगा

وَٱلَّذِىٓ أَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لِى خَطِيٓـَٔتِى يَوْمَ ٱلدِّينِ ﴿٨٢﴾

और वह वही है जिससे मै उम्मीद रखता हूँ कि क़यामत के दिन मेरी ख़ताओं को बख्श देगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वही है जिससे मुझे इसकी आकांक्षा है कि बदला दिए जाने के दिन वह मेरी ख़ता माफ़ कर देगा

رَبِّ هَبْ لِى حُكْمًۭا وَأَلْحِقْنِى بِٱلصَّٰلِحِينَ ﴿٨٣﴾

परवरदिगार मुझे इल्म व फहम अता फरमा और मुझे नेकों के साथ शामिल कर

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ मेरे रब! मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान कर और मुझे योग्य लोगों के साथ मिला।

وَٱجْعَل لِّى لِسَانَ صِدْقٍۢ فِى ٱلْءَاخِرِينَ ﴿٨٤﴾

और आइन्दा आने वाली नस्लों में मेरा ज़िक्रे ख़ैर क़ायम रख

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और बाद के आनेवालों में से मुझे सच्ची ख़्याति प्रदान कर

وَٱجْعَلْنِى مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ ٱلنَّعِيمِ ﴿٨٥﴾

और मुझे भी नेअमत के बाग़ (बेहश्त) के वारिसों में से बना

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मुझे नेमत भरी जन्नत के वारिसों में सम्मिलित कर

وَٱغْفِرْ لِأَبِىٓ إِنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ ﴿٨٦﴾

और मेरे (मुँह बोले) बाप (चचा आज़र) को बख्श दे क्योंकि वह गुमराहों में से है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मेरे बाप को क्षमा कर दे। निश्चय ही वह पथभ्रष्ट लोगों में से है

وَلَا تُخْزِنِى يَوْمَ يُبْعَثُونَ ﴿٨٧﴾

और जिस दिन लोग क़ब्रों से उठाए जाएँगें मुझे रुसवा न करना

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मुझे उस दिन रुसवा न कर, जब लोग जीवित करके उठाए जाएँगे।

يَوْمَ لَا يَنفَعُ مَالٌۭ وَلَا بَنُونَ ﴿٨٨﴾

जिस दिन न तो माल ही कुछ काम आएगा और न लड़के बाले

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस दिन न माल काम आएगा और न औलाद,

إِلَّا مَنْ أَتَى ٱللَّهَ بِقَلْبٍۢ سَلِيمٍۢ ﴿٨٩﴾

मगर जो शख्स ख़ुदा के सामने (गुनाहों से) पाक दिल लिए हुए हाज़िर होगा (वह फायदे में रहेगा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सिवाय इसके कि कोई भला-चंगा दिल लिए हुए अल्लाह के पास आया हो।\"

وَأُزْلِفَتِ ٱلْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ ﴿٩٠﴾

और बेहश्त परहेज़ गारों के क़रीब कर दी जाएगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और डर रखनेवालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी

وَبُرِّزَتِ ٱلْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ ﴿٩١﴾

और दोज़ख़ गुमराहों के सामने ज़ाहिर कर दी जाएगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और भडकती आग पथभ्रष्टि लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी

وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ ﴿٩٢﴾

और उन लोगों (अहले जहन्नुम) से पूछा जाएगा कि ख़ुदा को छोड़कर जिनकी तुम परसतिश करते थे (आज) वह कहाँ हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उनसे कहा जाएगा, \"कहाँ है वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते रहे हो?

مِن دُونِ ٱللَّهِ هَلْ يَنصُرُونَكُمْ أَوْ يَنتَصِرُونَ ﴿٩٣﴾

क्या वह तुम्हारी कुछ मदद कर सकते हैं या वह ख़ुद अपनी आप बाहम मदद कर सकते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या वे तुम्हारी कुछ सहायता कर रहे है या अपना ही बचाव कर सकते है?\"

فَكُبْكِبُوا۟ فِيهَا هُمْ وَٱلْغَاوُۥنَ ﴿٩٤﴾

फिर वह (माबूद) और गुमराह लोग और शैतान का लशकर

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर वे उसमें औंधे झोक दिए जाएँगे, वे और बहके हुए लोग

وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ ﴿٩٥﴾

(ग़रज़ सबके सब) जहन्नुम में औधें मुँह ढकेल दिए जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और इबलीस की सेनाएँ, सबके सब।

قَالُوا۟ وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ ﴿٩٦﴾

और ये लोग जहन्नुम में बाहम झगड़ा करेंगे और अपने माबूद से कहेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे,

تَٱللَّهِ إِن كُنَّا لَفِى ضَلَٰلٍۢ مُّبِينٍ ﴿٩٧﴾

ख़ुदा की क़सम हम लोग तो यक़ीनन सरीही गुमराही में थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"अल्लाह की क़सम! निश्चय ही हम खुली गुमराही में थे

إِذْ نُسَوِّيكُم بِرَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿٩٨﴾

कि हम तुम को सारे जहाँन के पालने वाले (ख़ुदा) के बराबर समझते रहे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि हम तुम्हें सारे संसार के रब के बराबर ठहरा रहे थे

وَمَآ أَضَلَّنَآ إِلَّا ٱلْمُجْرِمُونَ ﴿٩٩﴾

और हमको बस (उन) गुनाहगारों ने (जो मुझसे पहले हुए) गुमराह किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमें तो बस उन अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया

فَمَا لَنَا مِن شَٰفِعِينَ ﴿١٠٠﴾

तो अब तो न कोई (साहब) मेरी सिफारिश करने वाले हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अब न हमारा कोई सिफ़ारिशी है,

وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍۢ ﴿١٠١﴾

और न कोई दिलबन्द दोस्त हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और न घनिष्ट मित्र

فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةًۭ فَنَكُونَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿١٠٢﴾

तो काश हमें अब दुनिया में दोबारा जाने का मौक़ा मिलता तो हम (ज़रुर) ईमान वालों से होते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या ही अच्छा होता कि हमें एक बार फिर पलटना होता, तो हम मोमिनों में से हो जाते!\"

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿١٠٣﴾

इबराहीम के इस किस्से में भी यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें से अक्सर ईमान लाने वाले थे भी नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकरतर माननेवाले नहीं

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿١٠٤﴾

और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है

كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿١٠٥﴾

(यूँ ही) नूह की क़ौम ने पैग़म्बरो को झुठलाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

नूह की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया;

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿١٠٦﴾

कि जब उनसे उन के भाई नूह ने कहा कि तुम लोग (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते मै तो तुम्हारा यक़ीनी अमानत दार पैग़म्बर हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि उनसे उनके भाई नूह ने कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?

إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ ﴿١٠٧﴾

तुम खुदा से डरो और मेरी इताअत करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿١٠٨﴾

और मैं इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ उजरत तो माँगता नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरा कहा मानो

وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿١٠٩﴾

मेरी उजरत तो बस सारे जहाँ के पालने वाले ख़ुदा पर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैं इस काम के बदले तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿١١٠﴾

तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो वह लोग बोले जब कमीनो मज़दूरों वग़ैरह ने (लालच से) तुम्हारी पैरवी कर ली है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।\"

۞ قَالُوٓا۟ أَنُؤْمِنُ لَكَ وَٱتَّبَعَكَ ٱلْأَرْذَلُونَ ﴿١١١﴾

तो हम तुम पर क्या ईमान लाएं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"क्या हम तेरी बात मान लें, जबकि तेरे पीछे तो अत्यन्त नीच लोग चल रहे है?\"

قَالَ وَمَا عِلْمِى بِمَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ ﴿١١٢﴾

नूह ने कहा ये लोग जो कुछ करते थे मुझे क्या ख़बर (और क्या ग़रज़)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"मुझे क्या मालूम कि वे क्या करते रहे है?

إِنْ حِسَابُهُمْ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّى ۖ لَوْ تَشْعُرُونَ ﴿١١٣﴾

इन लोगों का हिसाब तो मेरे परवरदिगार के ज़िम्मे है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उनका हिसाब तो बस मेरे रब के ज़िम्मे है। क्या ही अच्छा होता कि तुममें चेतना होती।

وَمَآ أَنَا۠ بِطَارِدِ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿١١٤﴾

काश तुम (इतनी) समझ रखते और मै तो ईमानदारों को अपने पास से निकालने वाला नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मैं ईमानवालों को धुत्कारनेवाला नहीं हूँ।

إِنْ أَنَا۠ إِلَّا نَذِيرٌۭ مُّبِينٌۭ ﴿١١٥﴾

मै तो सिर्फ (अज़ाबे ख़ुदा से) साफ साफ डराने वाला हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैं तो बस स्पष्ट रूप से एक सावधान करनेवाला हूँ।\"

قَالُوا۟ لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَٰنُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمَرْجُومِينَ ﴿١١٦﴾

वह लोग कहने लगे ऐ नूह अगर तुम अपनी हरकत से बाज़ न आओगे तो ज़रुर संगसार कर दिए जाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"यदि तू बाज़ न आया ऐ नूह, तो तू संगसार होकर रहेगा।\"

قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِى كَذَّبُونِ ﴿١١٧﴾

नूह ने अर्ज की परवरदिगार मेरी क़ौम ने यक़ीनन मुझे झुठलाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"ऐ मेरे रब! मेरी क़ौम के लोगों ने तो मुझे झुठला दिया

فَٱفْتَحْ بَيْنِى وَبَيْنَهُمْ فَتْحًۭا وَنَجِّنِى وَمَن مَّعِىَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿١١٨﴾

तो अब तू मेरे और इन लोगों के दरमियान एक क़तई फैसला कर दे और मुझे और जो मोमिनीन मेरे साथ हें उनको नजात दे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अब मेरे और उनके बीच दो टूक फ़ैसला कर दे और मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ है, उन्हें बचा ले!\"

فَأَنجَيْنَٰهُ وَمَن مَّعَهُۥ فِى ٱلْفُلْكِ ٱلْمَشْحُونِ ﴿١١٩﴾

ग़रज़ हमने नूह और उनके साथियों को जो भरी हुई कश्ती में थे नजात दी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः हमने उसे और जो उसके साथ भरी हुई नौका में थे बचा लिया

ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ ٱلْبَاقِينَ ﴿١٢٠﴾

फिर उसके बाद हमने बाक़ी लोगों को ग़रक कर दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उसके पश्चात शेष लोगों को डूबो दिया

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿١٢١﴾

बेशक इसमे भी यक़ीनन बड़ी इबरत है और उनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले ही न थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿١٢٢﴾

और इसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब मेहरबान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है

كَذَّبَتْ عَادٌ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿١٢٣﴾

(इसी तरह क़ौम) आद ने पैग़म्बरों को झुठलाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

आद ने रसूलों को झूठलाया

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿١٢٤﴾

जब उनके भाई हूद ने उनसे कहा कि तुम ख़ुदा से क्यों नही डरते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि उनके भाई हूद ने उनसे कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?

إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ ﴿١٢٥﴾

मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿١٢٦﴾

तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा मानो

وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿١٢٧﴾

मै तो तुम से इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी उजरत तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) पर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़ि्म्मे है।

أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ ءَايَةًۭ تَعْبَثُونَ ﴿١٢٨﴾

तो क्या तुम ऊँची जगह पर बेकार यादगारे बनाते फिरते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुम प्रत्येक उच्च स्थान पर व्यर्थ एक स्मारक का निर्माण करते रहोगे?

وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ ﴿١٢٩﴾

और बड़े बड़े महल तामीर करते हो गोया तुम हमेशा (यहीं) रहोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और भव्य महल बनाते रहोगे, मानो तुम्हें सदैव रहना है?

وَإِذَا بَطَشْتُم بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ ﴿١٣٠﴾

और जब तुम (किसी पर) हाथ डालते हो तो सरकशी से हाथ डालते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जब किसी पर हाथ डालते हो तो बिलकुल निर्दय अत्याचारी बनकर हाथ डालते हो!

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿١٣١﴾

तो तुम ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो

وَٱتَّقُوا۟ ٱلَّذِىٓ أَمَدَّكُم بِمَا تَعْلَمُونَ ﴿١٣٢﴾

और उस शख्स से डरो जिसने तुम्हारी उन चीज़ों से मदद की जिन्हें तुम खूब जानते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसका डर रखो जिसने तुम्हें वे चीज़े पहुँचाई जिनको तुम जानते हो

أَمَدَّكُم بِأَنْعَٰمٍۢ وَبَنِينَ ﴿١٣٣﴾

अच्छा सुनो उसने तुम्हारे चार पायों और लड़के बालों वग़ैरह और चश्मों से मदद की

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने तुम्हारी सहायता की चौपायों और बेटों से,

وَجَنَّٰتٍۢ وَعُيُونٍ ﴿١٣٤﴾

मै तो यक़ीनन तुम पर

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और बाग़ो और स्रोतो से

إِنِّىٓ أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍۢ ﴿١٣٥﴾

एक बड़े (सख्त) रोज़ के अज़ाब से डरता हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े दिन की यातना का भय है।\"

قَالُوا۟ سَوَآءٌ عَلَيْنَآ أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُن مِّنَ ٱلْوَٰعِظِينَ ﴿١٣٦﴾

वह लोग कहने लगे ख्वाह तुम नसीहत करो या न नसीहत करो हमारे वास्ते (सब) बराबर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"हमारे लिए बराबर है चाहे तुम नसीहत करो या नसीहत करने वाले न बनो।

إِنْ هَٰذَآ إِلَّا خُلُقُ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿١٣٧﴾

ये (डरावा) तो बस अगले लोगों की आदत है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह तो बस पहले लोगों की पुरानी आदत है

وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ ﴿١٣٨﴾

हालाँकि हम पर अज़ाब (वग़ैरह अब) किया नहीं जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमें कदापि यातना न दी जाएगी।\"

فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَٰهُمْ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿١٣٩﴾

ग़रज़ उन लोगों ने हूद को झुठला दिया तो हमने भी उनको हलाक कर डाला बेशक इस वाक़िये में यक़ीनी एक बड़ी इबरत है आर उनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले भी न थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अन्ततः उन्होंने उन्हें झुठला दिया जो हमने उनको विनष्ट कर दिया। बेशक इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿١٤٠﴾

और इसमें शक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और बेशक तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है

كَذَّبَتْ ثَمُودُ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿١٤١﴾

(इसी तरह क़ौम) समूद ने पैग़म्बरों को झुठलाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

समूद ने रसूलों को झुठलाया,

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَٰلِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿١٤٢﴾

जब उनके भाई सालेह ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यो नहीं डरते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि उसके भाई सालेह ने उससे कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?

إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ ﴿١٤٣﴾

मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿١٤٤﴾

तो खुदा से डरो और मेरी इताअत करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी बात मानो

وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿١٤٥﴾

और मै तो तुमसे इस (तबलीगे रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता- मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा पर है)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैं इस काम पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है

أَتُتْرَكُونَ فِى مَا هَٰهُنَآ ءَامِنِينَ ﴿١٤٦﴾

क्या जो चीजें यहाँ (दुनिया में) मौजूद है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुम यहाँ जो कुछ है उसके बीच, निश्चिन्त छोड़ दिए जाओगे,

فِى جَنَّٰتٍۢ وَعُيُونٍۢ ﴿١٤٧﴾

बाग़ और चश्में और खेतिया और छुहारे जिनकी कलियाँ लतीफ़ व नाज़ुक होती है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बाग़ों और स्रोतों

وَزُرُوعٍۢ وَنَخْلٍۢ طَلْعُهَا هَضِيمٌۭ ﴿١٤٨﴾

उन्हीं मे तुम लोग इतमिनान से (हमेशा के लिए) छोड़ दिए जाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और खेतों और उन खजूरों में जिनके गुच्छे तरो ताज़ा और गुँथे हुए है?

وَتَنْحِتُونَ مِنَ ٱلْجِبَالِ بُيُوتًۭا فَٰرِهِينَ ﴿١٤٩﴾

और (इस वजह से) पूरी महारत और तकलीफ के साथ पहाड़ों को काट काट कर घर बनाते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम पहाड़ों को काट-काटकर इतराते हुए घर बनाते हो?

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿١٥٠﴾

तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो

وَلَا تُطِيعُوٓا۟ أَمْرَ ٱلْمُسْرِفِينَ ﴿١٥١﴾

और ज्यादती करने वालों का कहा न मानों

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उन हद से गुज़र जानेवालों की आज्ञा का पालन न करो,

ٱلَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِى ٱلْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ ﴿١٥٢﴾

जो रुए ज़मीन पर फ़साद फैलाया करते हैं और (ख़राबियों की) इसलाह नहीं करते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो धरती में बिगाड़ पैदा करते है, और सुधार का काम नहीं करते।\"

قَالُوٓا۟ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلْمُسَحَّرِينَ ﴿١٥٣﴾

वह लोग बोले कि तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हो)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"तू तो बस जादू का मारा हुआ है।

مَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُنَا فَأْتِ بِـَٔايَةٍ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّٰدِقِينَ ﴿١٥٤﴾

तुम भी तो आख़िर हमारे ही ऐसे आदमी हो पस अगर तुम सच्चे हो तो कोई मौजिज़ा हमारे पास ला (दिखाओ)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है। यदि तू सच्चा है, तो कोई निशानी ले आ।\"

قَالَ هَٰذِهِۦ نَاقَةٌۭ لَّهَا شِرْبٌۭ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍۢ مَّعْلُومٍۢ ﴿١٥٥﴾

सालेह ने कहा- यही ऊँटनी (मौजिज़ा) है एक बारी इसके पानी पीने की है और एक मुक़र्रर दिन तुम्हारे पीने का

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"यह ऊँटनी है। एक दिन पानी पीने की बारी इसकी है और एक नियत दिन की बारी पानी लेने की तुम्हारी है

وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوٓءٍۢ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍۢ ﴿١٥٦﴾

और इसको कोई तकलीफ़ न पहुँचाना वरना एक बड़े (सख्त) ज़ोर का अज़ाब तुम्हे ले डालेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तकलीफ़ पहुँचाने के लिए इसे हाथ न लगाना, अन्यथा एक बड़े दिन की यातना तुम्हें आ लेगी।\"

فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا۟ نَٰدِمِينَ ﴿١٥٧﴾

इस पर भी उन लोगों ने उसके पाँव काट डाले और (उसको मार डाला) फिर ख़़ुद पशेमान हुए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु उन्होंने उसकी कूचें काट दी। फिर पछताते रह गए

فَأَخَذَهُمُ ٱلْعَذَابُ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿١٥٨﴾

फिर उन्हें अज़ाब ने ले डाला-बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें के बहुतेरे ईमान लाने वाले भी न थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अन्ततः यातना ने उन्हें आ दबोचा। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿١٥٩﴾

और इसमें शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और मेहरबान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयाशील है

كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿١٦٠﴾

इसी तरह लूत की क़ौम ने पैग़म्बरों को झुठलाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

लूत की क़ौम के लोगों ने रसूलों को झुठलाया;

إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿١٦١﴾

जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि उनके भाई लूत ने उनसे कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?

إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ ﴿١٦٢﴾

मै तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ तो ख़ुदा से डरो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿١٦٣﴾

और मेरी इताअत करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो

وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿١٦٤﴾

और मै तो तुमसे इस (तबलीगे रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) पर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता, मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है

أَتَأْتُونَ ٱلذُّكْرَانَ مِنَ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿١٦٥﴾

क्या तुम लोग (शहवत परस्ती के लिए) सारे जहाँ के लोगों में मर्दों ही के पास जाते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या सारे संसारवालों में से तुम ही ऐसे हो जो पुरुषों के पास जाते हो,

وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُم مِّنْ أَزْوَٰجِكُم ۚ بَلْ أَنتُمْ قَوْمٌ عَادُونَ ﴿١٦٦﴾

और तुम्हारे वास्ते जो बीवियाँ तुम्हारे परवरदिगार ने पैदा की है उन्हें छोड़ देते हो (ये कुछ नहीं) बल्कि तुम लोग हद से गुज़र जाने वाले आदमी हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और अपनी पत्नियों को, जिन्हें तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए पैदा किया, छोड़ देते हो? इतना ही नहीं, बल्कि तुम हद से आगे बढ़े हुए लोग हो।\"

قَالُوا۟ لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَٰلُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمُخْرَجِينَ ﴿١٦٧﴾

उन लोगों ने कहा ऐ लूत अगर तुम बाज़ न आओगे तो तुम ज़रुर निकल बाहर कर दिए जाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"यदि तू बाज़ न आया, ऐ लतू! तो तू अवश्य ही निकाल बाहर किया जाएगा।\"

قَالَ إِنِّى لِعَمَلِكُم مِّنَ ٱلْقَالِينَ ﴿١٦٨﴾

लूत ने कहा मै यक़ीनन तुम्हारी (नाशाइसता) हरकत से बेज़ार हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"मैं तुम्हारे कर्म से अत्यन्त विरक्त हूँ।

رَبِّ نَجِّنِى وَأَهْلِى مِمَّا يَعْمَلُونَ ﴿١٦٩﴾

(और दुआ की) परवरदिगार जो कुछ ये लोग करते है उससे मुझे और मेरे लड़कों को नजात दे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे लोगों को, जो कुछ ये करते है उसके परिणाम से, बचा ले।\"

فَنَجَّيْنَٰهُ وَأَهْلَهُۥٓ أَجْمَعِينَ ﴿١٧٠﴾

तो हमने उनको और उनके सब लड़कों को नजात दी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अन्ततः हमने उसे और उसके सारे लोगों को बचा लिया;

إِلَّا عَجُوزًۭا فِى ٱلْغَٰبِرِينَ ﴿١٧١﴾

मगर (लूत की) बूढ़ी औरत कि वह पीछे रह गयी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सिवाय एक बुढ़िया के जो पीछे रह जानेवालों में थी

ثُمَّ دَمَّرْنَا ٱلْءَاخَرِينَ ﴿١٧٢﴾

(और हलाक हो गयी) फिर हमने उन लोगों को हलाक कर डाला

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर शेष दूसरे लोगों को हमने विनष्ट कर दिया।

وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِم مَّطَرًۭا ۖ فَسَآءَ مَطَرُ ٱلْمُنذَرِينَ ﴿١٧٣﴾

और उन पर हमने (पत्थरों का) मेंह बरसाया तो जिन लोगों को (अज़ाबे ख़ुदा से) डराया गया था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने उनपर एक बरसात बरसाई। और यह चेताए हुए लोगों की बहुत ही बुरी वर्षा थी

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿١٧٤﴾

उन पर क्या बड़ी बारिश हुई इस वाक़िये में भी एक बड़ी इबरत है और इनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले ही न थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿١٧٥﴾

और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन सब पर ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निश्चय ही तुम्हारा रब बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है

كَذَّبَ أَصْحَٰبُ لْـَٔيْكَةِ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿١٧٦﴾

इसी तरह जंगल के रहने वालों ने (मेरे) पैग़म्बरों को झुठलाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल-ऐकावालों ने रसूलों को झुठलाया

إِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿١٧٧﴾

जब शुएब ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि शुऐब ने उनसे कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?

إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ ﴿١٧٨﴾

मै तो बिला शुबाह तुम्हारा अमानदार हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ

فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿١٧٩﴾

तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो

وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿١٨٠﴾

मै तो तुमसे इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा) के ज़िम्मे है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है

۞ أَوْفُوا۟ ٱلْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا۟ مِنَ ٱلْمُخْسِرِينَ ﴿١٨١﴾

तुम (जब कोई चीज़ नाप कर दो तो) पूरा पैमाना दिया करो और नुक़सान (कम देने वाले) न बनो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम पूरा-पूरा पैमाना भरो और घाटा न दो

وَزِنُوا۟ بِٱلْقِسْطَاسِ ٱلْمُسْتَقِيمِ ﴿١٨٢﴾

और तुम (जब तौलो तो) ठीक तराज़ू से डन्डी सीधी रखकर तौलो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और ठीक तराज़ू से तौलो

وَلَا تَبْخَسُوا۟ ٱلنَّاسَ أَشْيَآءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا۟ فِى ٱلْأَرْضِ مُفْسِدِينَ ﴿١٨٣﴾

और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज्यादा करो और ज़मीन से फसाद न फैलाते फिरो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो और धरती में बिगाड़ और फ़साद मचाते मत फिरो

وَٱتَّقُوا۟ ٱلَّذِى خَلَقَكُمْ وَٱلْجِبِلَّةَ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿١٨٤﴾

और उस (ख़ुदा) से डरो जिसने तुम्हे और अगली ख़िलकत को पैदा किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसका डर रखो जिसने तुम्हें और पिछली नस्लों को पैदा किया हैं।\"

قَالُوٓا۟ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلْمُسَحَّرِينَ ﴿١٨٥﴾

वह लोग कहने लगे तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हों)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"तू तो बस जादू का मारा हुआ है

وَمَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُنَا وَإِن نَّظُنُّكَ لَمِنَ ٱلْكَٰذِبِينَ ﴿١٨٦﴾

और तुम तो हमारे ही ऐसे एक आदमी हो और हम लोग तो तुमको झूठा ही समझते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है और हम तो तुझे झूठा समझते है

فَأَسْقِطْ عَلَيْنَا كِسَفًۭا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّٰدِقِينَ ﴿١٨٧﴾

तो अगर तुम सच्चे हो तो हम पर आसमान का एक टुकड़ा गिरा दो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर तू हमपर आकाश को कोई टुकड़ा गिरा दे, यदि तू सच्चा है।\"

قَالَ رَبِّىٓ أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ ﴿١٨٨﴾

और शुएब ने कहा जो तुम लोग करते हो मेरा परवरदिगार ख़ूब जानता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \" मेरा रब भली-भाँति जानता है जो कुछ तुम कर रहे हो।\"

فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمْ عَذَابُ يَوْمِ ٱلظُّلَّةِ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ ﴿١٨٩﴾

ग़रज़ उन लोगों ने शुएब को झुठलाया तो उन्हें साएबान (अब्र) के अज़ाब ने ले डाला- इसमे शक नहीं कि ये भी एक बड़े (सख्त) दिन का अज़ाब था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। फिर छायावाले दिन की यातना ने आ लिया। निश्चय ही वह एक बड़े दिन की यातना थी

إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿١٩٠﴾

इसमे भी शक नहीं कि इसमें (समझदारों के लिए) एक बड़ी इबरत है और उनमें के बहुतेरे ईमान लाने वाले ही न थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं

وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿١٩١﴾

और बेशक तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है

وَإِنَّهُۥ لَتَنزِيلُ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿١٩٢﴾

और (ऐ रसूल) बेशक ये (क़ुरान) सारी ख़ुदायी के पालने वाले (ख़ुदा) का उतारा हुआ है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही यह (क़ुरआन) सारे संसार के रब की अवतरित की हुई चीज़ है

نَزَلَ بِهِ ٱلرُّوحُ ٱلْأَمِينُ ﴿١٩٣﴾

जिसे रुहुल अमीन (जिबरील) साफ़ अरबी ज़बान में लेकर तुम्हारे दिल पर नाज़िल हुए है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसको लेकर तुम्हारे हृदय पर एक विश्वसनीय आत्मा उतरी है,

عَلَىٰ قَلْبِكَ لِتَكُونَ مِنَ ٱلْمُنذِرِينَ ﴿١٩٤﴾

ताकि तुम भी और पैग़म्बरों की तरह

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ताकि तुम सावधान करनेवाले हो

بِلِسَانٍ عَرَبِىٍّۢ مُّبِينٍۢ ﴿١٩٥﴾

लोगों को अज़ाबे ख़ुदा से डराओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

स्पष्ट अरबी भाषा में

وَإِنَّهُۥ لَفِى زُبُرِ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿١٩٦﴾

और बेशक इसकी ख़बर अगले पैग़म्बरों की किताबों मे (भी मौजूद) है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निस्संदेह यह पिछले लोगों की किताबों में भी मौजूद है

أَوَلَمْ يَكُن لَّهُمْ ءَايَةً أَن يَعْلَمَهُۥ عُلَمَٰٓؤُا۟ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ﴿١٩٧﴾

क्या उनके लिए ये कोई (काफ़ी) निशानी नहीं है कि इसको उलेमा बनी इसराइल जानते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या यह उनके लिए कोई निशानी नहीं है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान जानते है?

وَلَوْ نَزَّلْنَٰهُ عَلَىٰ بَعْضِ ٱلْأَعْجَمِينَ ﴿١٩٨﴾

और अगर हम इस क़ुरान को किसी दूसरी ज़बान वाले पर नाज़िल करते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि हम इसे ग़ैर अरबी भाषी पर भी उतारते,

فَقَرَأَهُۥ عَلَيْهِم مَّا كَانُوا۟ بِهِۦ مُؤْمِنِينَ ﴿١٩٩﴾

और वह उन अरबो के सामने उसको पढ़ता तो भी ये लोग उस पर ईमान लाने वाले न थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वह इसे उन्हें पढ़कर सुनाता तब भी वे इसे माननेवाले न होते

كَذَٰلِكَ سَلَكْنَٰهُ فِى قُلُوبِ ٱلْمُجْرِمِينَ ﴿٢٠٠﴾

इसी तरह हमने (गोया ख़ुद) इस इन्कार को गुनाहगारों के दिलों में राह दी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के दिलों में पैठाया है

لَا يُؤْمِنُونَ بِهِۦ حَتَّىٰ يَرَوُا۟ ٱلْعَذَابَ ٱلْأَلِيمَ ﴿٢٠١﴾

ये लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब को न देख लेगें उस पर ईमान न लाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे इसपर ईमान लाने को नहीं, जब तक कि दुखद यातना न देख लें

فَيَأْتِيَهُم بَغْتَةًۭ وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ ﴿٢٠٢﴾

कि वह यकायक इस हालत में उन पर आ पडेग़ा कि उन्हें ख़बर भी न होगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब वह अचानक उनपर आ जाएगी और उन्हें ख़बर भी न होगी,

فَيَقُولُوا۟ هَلْ نَحْنُ مُنظَرُونَ ﴿٢٠٣﴾

(मगर जब अज़ाब नाज़िल होगा) तो वह लोग कहेंगे कि क्या हमें (इस वक्त क़ुछ) मोहलत मिल सकती है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तब वे कहेंगे, \"क्या हमें कुछ मुहलत मिल सकती है?\"

أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ ﴿٢٠٤﴾

तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो क्या वे लोग हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे है?

أَفَرَءَيْتَ إِن مَّتَّعْنَٰهُمْ سِنِينَ ﴿٢٠٥﴾

तो क्या तुमने ग़ौर किया कि अगर हम उनको सालो साल चैन करने दे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुमने कुछ विचार किया? यदि हम उन्हें कुछ वर्षों तक सुख भोगने दें;

ثُمَّ جَآءَهُم مَّا كَانُوا۟ يُوعَدُونَ ﴿٢٠٦﴾

उसके बाद जिस (अज़ाब) का उनसे वायदा किया जाता है उनके पास आ पहुँचे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर उनपर वह चीज़ आ जाए, जिससे उन्हें डराया जाता रहा है;

مَآ أَغْنَىٰ عَنْهُم مَّا كَانُوا۟ يُمَتَّعُونَ ﴿٢٠٧﴾

तो जिन चीज़ों से ये लोग चैन किया करते थे कुछ भी काम न आएँगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो जो सुख उन्हें मिला होगा वह उनके कुछ काम न आएगा

وَمَآ أَهْلَكْنَا مِن قَرْيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنذِرُونَ ﴿٢٠٨﴾

और हमने किसी बस्ती को बग़ैर उसके हलाक़ नहीं किया कि उसके समझाने को (पहले से) डराने वाले (पैग़म्बर भेज दिए) थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने किसी बस्ती को भी इसके बिना विनष्ट नहीं किया कि उसके लिए सचेत करनेवाले याददिहानी के लिए मौजूद रहे हैं।

ذِكْرَىٰ وَمَا كُنَّا ظَٰلِمِينَ ﴿٢٠٩﴾

और हम ज़ालिम नहीं है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हम कोई ज़ालिम नहीं है

وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ ٱلشَّيَٰطِينُ ﴿٢١٠﴾

और इस क़ुरान को शयातीन लेकर नाज़िल नही हुए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसे शैतान लेकर नहीं उतरे हैं।

وَمَا يَنۢبَغِى لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيعُونَ ﴿٢١١﴾

और ये काम न तो उनके लिए मुनासिब था और न वह कर सकते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

न यह उन्हें फबता ही है और न ये उनके बस का ही है

إِنَّهُمْ عَنِ ٱلسَّمْعِ لَمَعْزُولُونَ ﴿٢١٢﴾

बल्कि वह तो (वही के) सुनने से महरुम हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे तो इसके सुनने से भी दूर रखे गए है

فَلَا تَدْعُ مَعَ ٱللَّهِ إِلَٰهًا ءَاخَرَ فَتَكُونَ مِنَ ٱلْمُعَذَّبِينَ ﴿٢١٣﴾

(ऐ रसूल) तुम ख़ुदा के साथ किसी दूसरे माबूद की इबादत न करो वरना तुम भी मुबतिलाए अज़ाब किए जाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः अल्लाह के साथ दूसरे इष्ट-पूज्य को न पुकारना, अन्यथा तुम्हें भी यातना दी जाएगी

وَأَنذِرْ عَشِيرَتَكَ ٱلْأَقْرَبِينَ ﴿٢١٤﴾

और (ऐ रसूल) तुम अपने क़रीबी रिश्तेदारों को (अज़ाबे ख़ुदा से) डराओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और अपने निकटतम नातेदारों को सचेत करो

وَٱخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿٢١٥﴾

और जो मोमिनीन तुम्हारे पैरो हो गए हैं उनके सामने अपना बाजू झुकाओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जो ईमानवाले तुम्हारे अनुयायी हो गए है, उनके लिए अपनी भुजाएँ बिछाए रखो

فَإِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ إِنِّى بَرِىٓءٌۭ مِّمَّا تَعْمَلُونَ ﴿٢١٦﴾

(तो वाज़ेए करो) पस अगर लोग तुम्हारी नाफ़रमानी करें तो तुम (साफ साफ) कह दो कि मैं तुम्हारे करतूतों से बरी उज़ ज़िम्मा हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु यदि वे तुम्हारी अवज्ञा करें तो कह दो, \"जो कुछ तुम करते हो, उसकी ज़िम्मेदारी से मं1 बरी हूँ।\"

وَتَوَكَّلْ عَلَى ٱلْعَزِيزِ ٱلرَّحِيمِ ﴿٢١٧﴾

और तुम उस (ख़ुदा) पर जो सबसे (ग़ालिब और) मेहरबान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उस प्रभुत्वशाली और दया करनेवाले पर भरोसा रखो

ٱلَّذِى يَرَىٰكَ حِينَ تَقُومُ ﴿٢١٨﴾

भरोसा रखो कि जब तुम (नमाजे तहज्जुद में) खड़े होते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो

وَتَقَلُّبَكَ فِى ٱلسَّٰجِدِينَ ﴿٢١٩﴾

और सजदा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और सजदा करनेवालों में तुम्हारे चलत-फिरत को भी वह देखता है

إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ ﴿٢٢٠﴾

करने वालों (की जमाअत) में तुम्हारा फिरना (उठना बैठना सजदा रुकूउ वगैरह सब) देखता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह वह भली-भाँति सुनता-जानता है

هَلْ أُنَبِّئُكُمْ عَلَىٰ مَن تَنَزَّلُ ٱلشَّيَٰطِينُ ﴿٢٢١﴾

बेशक वह बड़ा सुनने वाला वाक़िफ़कार है क्या मै तुम्हें बता दूँ कि शयातीन किन लोगों पर नाज़िल हुआ करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि शैतान किसपर उतरते है?

تَنَزَّلُ عَلَىٰ كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍۢ ﴿٢٢٢﴾

(लो सुनो) ये लोग झूठे बद किरदार पर नाज़िल हुआ करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे प्रत्येक ढोंग रचनेवाले गुनाहगार पर उतरते है

يُلْقُونَ ٱلسَّمْعَ وَأَكْثَرُهُمْ كَٰذِبُونَ ﴿٢٢٣﴾

जो (फ़रिश्तों की बातों पर कान लगाए रहते हैं) कि कुछ सुन पाएँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे कान लगाते है और उनमें से अधिकतर झूठे होते है

وَٱلشُّعَرَآءُ يَتَّبِعُهُمُ ٱلْغَاوُۥنَ ﴿٢٢٤﴾

हालाँकि उनमें के अक्सर तो (बिल्कुल) झूठे हैं और शायरों की पैरवी तो गुमराह लोग किया करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

रहे कवि, तो उनके पीछे बहके हुए लोग ही चला करते है।-

أَلَمْ تَرَ أَنَّهُمْ فِى كُلِّ وَادٍۢ يَهِيمُونَ ﴿٢٢٥﴾

क्या तुम नहीं देखते कि ये लोग जंगल जंगल सरगिरदॉ मारे मारे फिरते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुमने देखा नहीं कि वे हर घाटी में बहके फिरते हैं,

وَأَنَّهُمْ يَقُولُونَ مَا لَا يَفْعَلُونَ ﴿٢٢٦﴾

और ये लोग ऐसी बाते कहते हैं जो कभी करते नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और कहते वह है जो करते नहीं? -

إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ وَذَكَرُوا۟ ٱللَّهَ كَثِيرًۭا وَٱنتَصَرُوا۟ مِنۢ بَعْدِ مَا ظُلِمُوا۟ ۗ وَسَيَعْلَمُ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوٓا۟ أَىَّ مُنقَلَبٍۢ يَنقَلِبُونَ ﴿٢٢٧﴾

मगर (हाँ) जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए और क़सरत से ख़ुदा का ज़िक्र किया करते हैं और जब उन पर ज़ुल्म किया जा चुका उसके बाद उन्होंनें बदला लिया और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया है उन्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा कि वह किस जगह लौटाए जाएँगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे नहीं जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और अल्लाह को अधिक .याद किया। औऱ इसके बाद कि उनपर ज़ुल्म किया गया तो उन्होंने उसका प्रतिकार किया और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया, उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा कि वे किस जगह पलटते हैं