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Surah The Forgiver [Ghafir] in Hindi

Surah The Forgiver [Ghafir] Ayah 85 Location Maccah Number 40

حمٓ ﴿١﴾

हा मीम

تَنزِيلُ ٱلْكِتَٰبِ مِنَ ٱللَّهِ ٱلْعَزِيزِ ٱلْعَلِيمِ ﴿٢﴾

(इस) किताब (कुरान) का नाज़िल करना (ख़ास बारगाहे) ख़ुदा से है जो (सबसे) ग़ालिब बड़ा वाक़िफ़कार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इस किताब का अवतरण प्रभुत्वशाली, सर्वज्ञ अल्लाह की ओर से है,

غَافِرِ ٱلذَّنۢبِ وَقَابِلِ ٱلتَّوْبِ شَدِيدِ ٱلْعِقَابِ ذِى ٱلطَّوْلِ ۖ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ ۖ إِلَيْهِ ٱلْمَصِيرُ ﴿٣﴾

गुनाहों का बख्शने वाला और तौबा का क़ुबूल करने वाला सख्त अज़ाब देने वाला साहिबे फज़ल व करम है उसके सिवा कोई माबूद नहीं उसी की तरफ (सबको) लौट कर जाना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो गुनाह क्षमा करनेवाला, तौबा क़बूल करनेवाला, कठोर दंड देनेवाला, शक्तिमान है। उसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अन्ततः उसी की ओर जाना है

مَا يُجَٰدِلُ فِىٓ ءَايَٰتِ ٱللَّهِ إِلَّا ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ فَلَا يَغْرُرْكَ تَقَلُّبُهُمْ فِى ٱلْبِلَٰدِ ﴿٤﴾

ख़ुदा की आयतों में बस वही लोग झगड़े पैदा करते हैं जो काफिर हैं तो (ऐ रसूल) उन लोगों का शहरों (शहरों) घूमना फिरना और माल हासिल करना

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह की आयतों के बारे में बस वही लोग झगड़ते हैं जिन्होंने इनकार किया, तो नगरों में उसकी चलत-फिरत तुम्हें धोखे में न डाले

كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍۢ وَٱلْأَحْزَابُ مِنۢ بَعْدِهِمْ ۖ وَهَمَّتْ كُلُّ أُمَّةٍۭ بِرَسُولِهِمْ لِيَأْخُذُوهُ ۖ وَجَٰدَلُوا۟ بِٱلْبَٰطِلِ لِيُدْحِضُوا۟ بِهِ ٱلْحَقَّ فَأَخَذْتُهُمْ ۖ فَكَيْفَ كَانَ عِقَابِ ﴿٥﴾

तुम्हें इस धोखे में न डाले (कि उन पर आज़ाब न होगा) इन के पहले नूह की क़ौम ने और उन के बाद और उम्मतों ने (अपने पैग़म्बरों को) झुठलाया और हर उम्मत ने अपने पैग़म्बरों के बारे में यही ठान लिया कि उन्हें गिरफ्तार कर (के क़त्ल कर डालें) और बेहूदा बातों की आड़ पकड़ कर लड़ने लगें - ताकि उसके ज़रिए से हक़ बात को उखाड़ फेंकें तो मैंने, उन्हें गिरफ्तार कर लिया फिर देखा कि उन पर (मेरा अज़ाब कैसा (सख्त हुआ)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उनसे पहले नूह की क़ौम ने और उनके पश्चात दूसरों गिरोहों ने भी झुठलाया और हर समुदाय के लोगों ने अपने रसूलों के बारे में इरादा किया कि उन्हें पकड़ लें और वे सत्य का सहारा लेकर झगडे, ताकि उसके द्वारा सत्य को उखाड़ दें। अन्ततः मैंने उन्हें पकड़ लिया। तौ कैसी रही मेरी सज़ा!

وَكَذَٰلِكَ حَقَّتْ كَلِمَتُ رَبِّكَ عَلَى ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓا۟ أَنَّهُمْ أَصْحَٰبُ ٱلنَّارِ ﴿٦﴾

और इसी तरह तुम्हारे परवरदिगार का अज़ाब का हुक्म (उन) काफ़िरों पर पूरा हो चुका है कि यह लोग यक़ीनी जहन्नुमी हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और (जैसे दुनिया में सज़ा मिली) उसी प्रकार तेरे रब की यह बात भी उन लोगों पर सत्यापित हो गई है, जिन्होंने इनकार किया कि वे आग में पड़नेवाले है;

ٱلَّذِينَ يَحْمِلُونَ ٱلْعَرْشَ وَمَنْ حَوْلَهُۥ يُسَبِّحُونَ بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَيُؤْمِنُونَ بِهِۦ وَيَسْتَغْفِرُونَ لِلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ رَبَّنَا وَسِعْتَ كُلَّ شَىْءٍۢ رَّحْمَةًۭ وَعِلْمًۭا فَٱغْفِرْ لِلَّذِينَ تَابُوا۟ وَٱتَّبَعُوا۟ سَبِيلَكَ وَقِهِمْ عَذَابَ ٱلْجَحِيمِ ﴿٧﴾

जो (फ़रिश्ते) अर्श को उठाए हुए हैं और जो उस के गिर्दा गिर्द (तैनात) हैं (सब) अपने परवरदिगार की तारीफ़ के साथ तसबीह करते हैं और उस पर ईमान रखते हैं और मोमिनों के लिए बख़शिश की दुआएं माँगा करते हैं कि परवरदिगार तेरी रहमत और तेरा इल्म हर चीज़ पर अहाता किए हुए हैं, तो जिन लोगों ने (सच्चे) दिल से तौबा कर ली और तेरे रास्ते पर चले उनको बख्श दे और उनको जहन्नुम के अज़ाब से बचा ले

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो सिंहासन को उठाए हुए है और जो उसके चतुर्दिक हैं, अपने रब का गुणगान करते है और उस पर ईमान रखते है और उन लोगों के लिए क्षमा की प्रार्थना करते है जो ईमान लाए कि \"ऐ हमारे रब! तू हर चीज़ को व्याप्त है। अतः जिन लोगों ने तौबा की और तेरे मार्ग का अनुसरण किया, उन्हें क्षमा कर दे और भड़कती हुई आग की यातना से बचा लें

رَبَّنَا وَأَدْخِلْهُمْ جَنَّٰتِ عَدْنٍ ٱلَّتِى وَعَدتَّهُمْ وَمَن صَلَحَ مِنْ ءَابَآئِهِمْ وَأَزْوَٰجِهِمْ وَذُرِّيَّٰتِهِمْ ۚ إِنَّكَ أَنتَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ ﴿٨﴾

ऐ हमारे पालने वाले इन को सदाबहार बाग़ों में जिनका तूने उन से वायदा किया है दाख़िल कर और उनके बाप दादाओं और उनकी बीवीयों और उनकी औलाद में से जो लोग नेक हो उनको (भी बख्श दें) बेशक तू ही ज़बरदस्त (और) हिकमत वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ हमारे रब! और उन्हें सदैव रहने के बागों में दाख़िल कर जिनका तूने उनसे वादा किया है और उनके बाप-दादा और उनकी पत्नि यों और उनकी सन्ततियों में से जो योग्य हुए उन्हें भी। निस्संदेह तू प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी है

وَقِهِمُ ٱلسَّيِّـَٔاتِ ۚ وَمَن تَقِ ٱلسَّيِّـَٔاتِ يَوْمَئِذٍۢ فَقَدْ رَحِمْتَهُۥ ۚ وَذَٰلِكَ هُوَ ٱلْفَوْزُ ٱلْعَظِيمُ ﴿٩﴾

और उनको हर किस्म की बुराइयों से महफूज़ रख और जिसको तूने उस दिन ( कयामत ) के अज़ाबों से बचा लिया उस पर तूने बड़ा रहम किया और यही तो बड़ी कामयाबी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उन्हें अनिष्टों से बचा। जिसे उस दिन तूने अनिष्टों से बचा लिया, तो निश्चय ही उसपर तूने दया की। और वही बड़ी सफलता है।\"

إِنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ يُنَادَوْنَ لَمَقْتُ ٱللَّهِ أَكْبَرُ مِن مَّقْتِكُمْ أَنفُسَكُمْ إِذْ تُدْعَوْنَ إِلَى ٱلْإِيمَٰنِ فَتَكْفُرُونَ ﴿١٠﴾

(हाँ) जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उनसे पुकार कर कह दिया जाएगा कि जितना तुम (आज) अपनी जान से बेज़ार हो उससे बढ़कर ख़ुदा तुमसे बेज़ार था जब तुम ईमान की तरफ बुलाए जाते थे तो कुफ्र करते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही जिन लोगों ने इनकार किया उन्हें पुकारकर कहा जाएगा कि \"अपने आपसे जो तुम्हें विद्वेष एवं क्रोध है, तुम्हारे प्रति अल्लाह का क्रोध एवं द्वेष उससे कहीं बढकर है कि जब तुम्हें ईमान की ओर बुलाया जाता था तो तुम इनकार करते थे।\"

قَالُوا۟ رَبَّنَآ أَمَتَّنَا ٱثْنَتَيْنِ وَأَحْيَيْتَنَا ٱثْنَتَيْنِ فَٱعْتَرَفْنَا بِذُنُوبِنَا فَهَلْ إِلَىٰ خُرُوجٍۢ مِّن سَبِيلٍۢ ﴿١١﴾

वह लोग कहेंगे कि ऐ हमारे परवरदिगार तू हमको दो बार मार चुका और दो बार ज़िन्दा कर चुका तो अब हम अपने गुनाहों का एक़रार करते हैं तो क्या (यहाँ से) निकलने की भी कोई सबील है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे कहेंगे, \"ऐ हमारे रब! तूने हमें दो बार मृत रखा और दो बार जीवन प्रदान किया। अब हमने अपने गुनाहों को स्वीकार किया, तो क्या अब (यहाँ से) निकलने का भी कोई मार्ग है?\"

ذَٰلِكُم بِأَنَّهُۥٓ إِذَا دُعِىَ ٱللَّهُ وَحْدَهُۥ كَفَرْتُمْ ۖ وَإِن يُشْرَكْ بِهِۦ تُؤْمِنُوا۟ ۚ فَٱلْحُكْمُ لِلَّهِ ٱلْعَلِىِّ ٱلْكَبِيرِ ﴿١٢﴾

ये इसलिए कि जब तन्हा ख़ुदा पुकारा जाता था तो तुम ईन्कार करते थे और अगर उसके साथ शिर्क किया जाता था तो तुम मान लेते थे तो (आज) ख़ुदा की हुकूमत है जो आलीशान (और) बुर्ज़ुग है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह (बुरा परिणाम) तो इसलिए सामने आएगा कि जब अकेला अल्लाह को पुकारा जाता है तो तुम इनकार करते हो। किन्तु यदि उसके साथ साझी ठहराया जाए तो तुम मान लेते हो। तो अब फ़ैसला तो अल्लाह ही के हाथ में है, जो सर्वोच्च बड़ा महान है। -

هُوَ ٱلَّذِى يُرِيكُمْ ءَايَٰتِهِۦ وَيُنَزِّلُ لَكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ رِزْقًۭا ۚ وَمَا يَتَذَكَّرُ إِلَّا مَن يُنِيبُ ﴿١٣﴾

वही तो है जो तुमको (अपनी कुदरत की) निशानियाँ दिखाता है और तुम्हारे लिए आसमान से रोज़ी नाज़िल करता है और नसीहत तो बस वही हासिल करता है जो (उसकी तरफ) रूज़ू करता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वही है जो तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाता है और तुम्हारे लिए आकाश से रोज़ी उतारता है, किन्तु याददिहानी तो बस वही हासिल करता है जो (उसकी ओर) रुजू करे

فَٱدْعُوا۟ ٱللَّهَ مُخْلِصِينَ لَهُ ٱلدِّينَ وَلَوْ كَرِهَ ٱلْكَٰفِرُونَ ﴿١٤﴾

पस तुम लोग ख़ुदा की इबादत को ख़ालिस करके उसी को पुकारो अगरचे कुफ्फ़ार बुरा मानें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम अल्लाह ही को, धर्म को उसी के लिए विशुद्ध करते हुए, पुकारो, यद्यपि इनकार करनेवालों को अप्रिय ही लगे। -

رَفِيعُ ٱلدَّرَجَٰتِ ذُو ٱلْعَرْشِ يُلْقِى ٱلرُّوحَ مِنْ أَمْرِهِۦ عَلَىٰ مَن يَشَآءُ مِنْ عِبَادِهِۦ لِيُنذِرَ يَوْمَ ٱلتَّلَاقِ ﴿١٥﴾

ख़ुदा तो बड़ा आली मरतबा अर्श का मालिक है, वह अपने बन्दों में से जिस पर चाहता है अपने हुक्म से 'वही' नाज़िल करता है ताकि (लोगों को) मुलाकात (क़यामत) के दिन से डराएं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह ऊँचे दर्जोवाला, सिंहासनवाला है, अपने बन्दों में से जिसपर चाहता है, अपने हुक्म में से जिसपर चाहता है, अपने हुक्म से रूह उतारता है, ताकि वह मुलाक़ात के दिन से सावधान कर दे

يَوْمَ هُم بَٰرِزُونَ ۖ لَا يَخْفَىٰ عَلَى ٱللَّهِ مِنْهُمْ شَىْءٌۭ ۚ لِّمَنِ ٱلْمُلْكُ ٱلْيَوْمَ ۖ لِلَّهِ ٱلْوَٰحِدِ ٱلْقَهَّارِ ﴿١٦﴾

जिस दिन वह लोग (क़ब्रों) से निकल पड़ेंगे (और) उनको कोई चीज़ ख़ुदा से पोशीदा नहीं रहेगी (और निदा आएगी) आज किसकी बादशाहत है ( फिर ख़ुदा ख़़ुद कहेगा ) ख़ास ख़ुदा की जो अकेला (और) ग़ालिब है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस दिन वे खुले रूप में सामने उपस्थित होंगे, उनकी कोई चीज़ अल्लाह से छिपी न रहेगी, \"आज किसकी बादशाही है?\" \"अल्लाह की, जो अकेला सबपर क़ाबू रखनेवाला है।\"

ٱلْيَوْمَ تُجْزَىٰ كُلُّ نَفْسٍۭ بِمَا كَسَبَتْ ۚ لَا ظُلْمَ ٱلْيَوْمَ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ سَرِيعُ ٱلْحِسَابِ ﴿١٧﴾

आज हर शख्स को उसके किए का बदला दिया जाएगा, आज किसी पर कुछ भी ज़ुल्म न किया जाएगा बेशक ख़ुदा बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

आज प्रत्येक व्यक्ति को उसकी कमाई का बदला दिया जाएगा। आज कोई ज़ुल्म न होगा। निश्चय ही अल्लाह हिसाब लेने में बहुत तेज है

وَأَنذِرْهُمْ يَوْمَ ٱلْءَازِفَةِ إِذِ ٱلْقُلُوبُ لَدَى ٱلْحَنَاجِرِ كَٰظِمِينَ ۚ مَا لِلظَّٰلِمِينَ مِنْ حَمِيمٍۢ وَلَا شَفِيعٍۢ يُطَاعُ ﴿١٨﴾

(ऐ रसूल) तुम उन लोगों को उस दिन से डराओ जो अनक़रीब आने वाला है जब लोगों के कलेजे घुट घुट के (मारे डर के) मुँह को आ जाएंगें (उस वक्त) न तो सरकशों का कोई सच्चा दोस्त होगा और न कोई ऐसा सिफारिशी जिसकी बात मान ली जाए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

(उन्हें अल्लाह की ओर बुलाओ) और उन्हें निकट आ जानेवाले (क़ियामत के) दिन से सावधान कर दो, जबकि उर (हृदय) कंठ को आ लगे होंगे और वे दबा रहे होंगे। ज़ालिमों का न कोई घनिष्ट मित्र होगा और न ऐसा सिफ़ारिशी जिसकी बात मानी जाए

يَعْلَمُ خَآئِنَةَ ٱلْأَعْيُنِ وَمَا تُخْفِى ٱلصُّدُورُ ﴿١٩﴾

ख़ुदा तो ऑंखों की दुज़दीदा (ख़यानत की) निगाह को भी जानता है और उन बातों को भी जो (लोगों के) सीनों में पोशीदा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह निगाहों की चोरी तक को जानता है और उसे भी जो सीने छिपा रहे होते है

وَٱللَّهُ يَقْضِى بِٱلْحَقِّ ۖ وَٱلَّذِينَ يَدْعُونَ مِن دُونِهِۦ لَا يَقْضُونَ بِشَىْءٍ ۗ إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْبَصِيرُ ﴿٢٠﴾

और ख़ुदा ठीक ठीक हुक्म देता है, और उसके सिवा जिनकी ये लोग इबादत करते हैं वह तो कुछ भी हुक्म नहीं दे सकते, इसमें शक नहीं कि ख़ुदा सुनने वाला देखने वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह ठीक-ठीक फ़ैसला कर देगा। रहे वे लोग जिन्हें वे अल्लाह को छोड़कर पुकारते हैं, वे किसी चीज़ का भी फ़ैसला करनेवाले नहीं। निस्संदेह अल्लाह ही है जो सुनता, देखता है

۞ أَوَلَمْ يَسِيرُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ فَيَنظُرُوا۟ كَيْفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلَّذِينَ كَانُوا۟ مِن قَبْلِهِمْ ۚ كَانُوا۟ هُمْ أَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةًۭ وَءَاثَارًۭا فِى ٱلْأَرْضِ فَأَخَذَهُمُ ٱللَّهُ بِذُنُوبِهِمْ وَمَا كَانَ لَهُم مِّنَ ٱللَّهِ مِن وَاقٍۢ ﴿٢١﴾

क्या उन लोगों ने रूए ज़मीन पर चल फिर कर नहीं देखा कि जो लोग उनसे पहले थे उनका अन्जाम क्या हुआ (हालाँकि) वह लोग कुवत (शान और उम्र सब) में और ज़मीन पर अपनी निशानियाँ (यादगारें इमारतें) वग़ैरह छोड़ जाने में भी उनसे कहीं बढ़ चढ़ के थे तो ख़ुदा ने उनके गुनाहों की वजह से उनकी ले दे की, और ख़ुदा (के ग़ज़ब से) उनका कोई बचाने वाला भी न था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जो उनसे पहले गुज़र चुके है? वे शक्ति और धरती में अपने चिन्हों की दृष्टि\ से उनसे कहीं बढ़-चढ़कर थे, फिर उनके गुनाहों के कारण अल्लाह ने उन्हें पकड़ लिया। और अल्लाह से उन्हें बचानेवाला कोई न हुआ

ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ كَانَت تَّأْتِيهِمْ رُسُلُهُم بِٱلْبَيِّنَٰتِ فَكَفَرُوا۟ فَأَخَذَهُمُ ٱللَّهُ ۚ إِنَّهُۥ قَوِىٌّۭ شَدِيدُ ٱلْعِقَابِ ﴿٢٢﴾

ये इस सबब से कि उनके पैग़म्बरान उनके पास वाज़ेए व रौशन मौजिज़े ले कर आए इस पर भी उन लोगों ने न माना तो ख़ुदा ने उन्हें ले डाला इसमें तो शक ही नहीं कि वह क़वी (और) सख्त अज़ाब वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह (बुरा परिणाम) तो इसलिए सामने आया कि उनके पास उनके रसूल स्पष्ट प्रमाण लेकर आते रहे, किन्तु उन्होंने इनकार किया। अन्ततः अल्लाह ने उन्हें पकड़ लिया। निश्चय ही वह बड़ी शक्तिवाला, सज़ा देने में अत्याधिक कठोर है

وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا مُوسَىٰ بِـَٔايَٰتِنَا وَسُلْطَٰنٍۢ مُّبِينٍ ﴿٢٣﴾

और हमने मूसा को अपनी निशानियाँ और रौशन दलीलें देकर

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने मूसा को भी अपनी निशानियों और स्पष्ट प्रमाण के साथ

إِلَىٰ فِرْعَوْنَ وَهَٰمَٰنَ وَقَٰرُونَ فَقَالُوا۟ سَٰحِرٌۭ كَذَّابٌۭ ﴿٢٤﴾

फिरऔन और हामान और क़ारून के पास भेजा तो वह लोग कहने लगे कि (ये तो) एक बड़ा झूठा (और) जादूगर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फ़िरऔन औऱ हामान और क़ारून की ओर भेजा था, किन्तु उन्होंने कहा, \"यह तो जादूगर है, बड़ा झूठा!\"

فَلَمَّا جَآءَهُم بِٱلْحَقِّ مِنْ عِندِنَا قَالُوا۟ ٱقْتُلُوٓا۟ أَبْنَآءَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ مَعَهُۥ وَٱسْتَحْيُوا۟ نِسَآءَهُمْ ۚ وَمَا كَيْدُ ٱلْكَٰفِرِينَ إِلَّا فِى ضَلَٰلٍۢ ﴿٢٥﴾

ग़रज़ जब मूसा उन लोगों के पास हमारी तरफ से सच्चा दीन ले कर आये तो वह बोले कि जो लोग उनके साथ ईमान लाए हैं उनके बेटों को तो मार डालों और उनकी औरतों को (लौन्डिया बनाने के लिए) ज़िन्दा रहने दो और काफ़िरों की तद्बीरें तो बे ठिकाना होती हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब वह उनके सामने हमारे पास से सत्य लेकर आया तो उन्होंने कहा, \"जो लोग ईमान लेकर उसके साथ है, उनके बेटों को मार डालो औऱ उनकी स्त्रियों को जीवित छोड़ दो।\" किन्तु इनकार करनेवालों की चाल तो भटकने ही के लिए होती है

وَقَالَ فِرْعَوْنُ ذَرُونِىٓ أَقْتُلْ مُوسَىٰ وَلْيَدْعُ رَبَّهُۥٓ ۖ إِنِّىٓ أَخَافُ أَن يُبَدِّلَ دِينَكُمْ أَوْ أَن يُظْهِرَ فِى ٱلْأَرْضِ ٱلْفَسَادَ ﴿٢٦﴾

और फिरऔन कहने लगा मुझे छोड़ दो कि मैं मूसा को तो क़त्ल कर डालूँ, और ( मैं देखूँ ) अपने परवरदिगार को तो अपनी मदद के लिए बुलालें (भाईयों) मुझे अन्देशा है कि (मुबादा) तुम्हारे दीन को उलट पुलट कर डाले या मुल्क में फसाद पैदा कर दें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फ़िरऔन ने कहा, \"मुझे छोड़ो, मैं मूसा को मार डालूँ और उसे चाहिए कि वह अपने रब को (अपनी सहायता के लिए) पुकारे। मुझे डर है कि ऐसा न हो कि वह तुम्हारे धर्म को बदल डाले या यह कि वह देश में बिगाड़ पैदा करे।\"

وَقَالَ مُوسَىٰٓ إِنِّى عُذْتُ بِرَبِّى وَرَبِّكُم مِّن كُلِّ مُتَكَبِّرٍۢ لَّا يُؤْمِنُ بِيَوْمِ ٱلْحِسَابِ ﴿٢٧﴾

और मूसा ने कहा कि मैं तो हर मुताकब्बिर से जो हिसाब के दिन (क़यामत पर ईमान नहीं लाता) अपने और तुम्हारे परवरदिगार की पनाह ले चुका हूं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मूसा ने कहा, \"मैंने हर अहंकारी के मुक़ाबले में, जो हिसाब के दिन पर ईमान नहीं रखता, अपने रब और तुम्हारे रब की शरण ले ली है।\"

وَقَالَ رَجُلٌۭ مُّؤْمِنٌۭ مِّنْ ءَالِ فِرْعَوْنَ يَكْتُمُ إِيمَٰنَهُۥٓ أَتَقْتُلُونَ رَجُلًا أَن يَقُولَ رَبِّىَ ٱللَّهُ وَقَدْ جَآءَكُم بِٱلْبَيِّنَٰتِ مِن رَّبِّكُمْ ۖ وَإِن يَكُ كَٰذِبًۭا فَعَلَيْهِ كَذِبُهُۥ ۖ وَإِن يَكُ صَادِقًۭا يُصِبْكُم بَعْضُ ٱلَّذِى يَعِدُكُمْ ۖ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَهْدِى مَنْ هُوَ مُسْرِفٌۭ كَذَّابٌۭ ﴿٢٨﴾

और फिरऔन के लोगों में एक ईमानदार शख्स (हिज़कील) ने जो अपने ईमान को छिपाए रहता था (लोगों से कहा) कि क्या तुम लोग ऐसे शख्स के क़त्ल के दरपै हो जो (सिर्फ) ये कहता है कि मेरा परवरदिगार अल्लाह है) हालाँकि वह तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम्हारे पास मौजिज़े लेकर आया और अगर (बिल ग़रज़) ये शख्स झूठा है तो इसके झूठ का बवाल इसी पर पड़ेगा और अगर यह कहीं सच्चा हुआ तो जिस (अज़ाब की) तुम्हें ये धमकी देता है उसमें से कुछ तो तुम लोगों पर ज़रूर वाकेए होकर रहेगा बेशक ख़ुदा उस शख्स की हिदायत नहीं करता जो हद से गुज़रने वाला (और) झूठा हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फ़िरऔन के लोगों में से एक ईमानवाले व्यक्ति ने, जो अपने ईमान को छिपा रहा था, कहा, \"क्या तुम एक ऐसे व्यक्ति को इसलिए मार डालोगे कि वह कहता है कि मेरा रब अल्लाह है और वह तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से खुले प्रमाण भी लेकर आया है? यदि वह झूठा है तो उसके झूठ का वबाल उसी पर पड़ेगा। किन्तु यदि वह सच्चा है तो जिस चीज़ की वह तुम्हें धमकी दे रहा है, उसमें से कुछ न कुछ तो तुमपर पड़कर रहेगा। निश्चय ही अल्लाह उसको मार्ग नहीं दिखाता जो मर्यादाहीन, बड़ा झूठा हो

يَٰقَوْمِ لَكُمُ ٱلْمُلْكُ ٱلْيَوْمَ ظَٰهِرِينَ فِى ٱلْأَرْضِ فَمَن يَنصُرُنَا مِنۢ بَأْسِ ٱللَّهِ إِن جَآءَنَا ۚ قَالَ فِرْعَوْنُ مَآ أُرِيكُمْ إِلَّا مَآ أَرَىٰ وَمَآ أَهْدِيكُمْ إِلَّا سَبِيلَ ٱلرَّشَادِ ﴿٢٩﴾

ऐ मेरी क़ौम आज तो (बेशक) तुम्हारी बादशाहत है (और) मुल्क में तुम्हारा ही बोल बाला है लेकिन (कल) अगर ख़ुदा का अज़ाब हम पर आ जाए तो हमारी कौन मदद करेगा फिरऔन ने कहा मैं तो वही बात समझाता हूँ जो मैं ख़़ुद समझता हूँ और वही राह दिखाता हूँ जिसमें भलाई है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ मेरी क़ौम के लोगो! आज तुम्हारी बादशाही है। धरती में प्रभावी हो। किन्तु अल्लाह की यातना के मुक़ाबले में कौन हमारी सहायता करेगा, यदि वह हम पर आ जाए?\" फ़िरऔन ने कहा, \"मैं तो तुम्हें बस वही दिखा रहा हूँ जो मैं स्वयं देख रहा हूँ और मैं तुम्हें बस ठीक रास्ता दिखा रहा हूँ, जो बुद्धिसंगत भी है।\"

وَقَالَ ٱلَّذِىٓ ءَامَنَ يَٰقَوْمِ إِنِّىٓ أَخَافُ عَلَيْكُم مِّثْلَ يَوْمِ ٱلْأَحْزَابِ ﴿٣٠﴾

तो जो शख्स (दर पर्दा) ईमान ला चुका था कहने लगा, भाईयों मुझे तो तुम्हारी निस्बत भी और उम्मतों की तरह रोज़ (बद) का अन्देशा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उस व्यक्ति ने, जो ईमान ला चुका था, कहा, \"ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मुझे भय है कि तुमपर (विनाश का) ऐसा दिन न आ पड़े, जैसा दूसरे विगत समुदायों पर आ पड़ा था।

مِثْلَ دَأْبِ قَوْمِ نُوحٍۢ وَعَادٍۢ وَثَمُودَ وَٱلَّذِينَ مِنۢ بَعْدِهِمْ ۚ وَمَا ٱللَّهُ يُرِيدُ ظُلْمًۭا لِّلْعِبَادِ ﴿٣١﴾

(कहीं तुम्हारा भी वही हाल न हो) जैसा कि नूह की क़ौम और आद समूद और उनके बाद वाले लोगों का हाल हुआ और ख़ुदा तो बन्दों पर ज़ुल्म करना चाहता ही नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जैसे नूह की क़ौम और आद और समूद और उनके पश्चात्वर्ती लोगों का हाल हुआ। अल्लाह तो ऐसा नहीं कि बन्दों पर कोई ज़ुल्म करना चाहे

وَيَٰقَوْمِ إِنِّىٓ أَخَافُ عَلَيْكُمْ يَوْمَ ٱلتَّنَادِ ﴿٣٢﴾

और ऐ हमारी क़ौम मुझे तो तुम्हारी निस्बत कयामत के दिन का अन्देशा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मुझे तुम्हारे बारे में चीख़-पुकार के दिन का भय है,

يَوْمَ تُوَلُّونَ مُدْبِرِينَ مَا لَكُم مِّنَ ٱللَّهِ مِنْ عَاصِمٍۢ ۗ وَمَن يُضْلِلِ ٱللَّهُ فَمَا لَهُۥ مِنْ هَادٍۢ ﴿٣٣﴾

जिस दिन तुम पीठ फेर कर (जहन्नुम) की तरफ चल खड़े होगे तो ख़ुदा के (अज़ाब) से तुम्हारा बचाने वाला न होगा, और जिसको ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे तो उसका कोई रूबराह करने वाला नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस दिन तुम पीठ फेरकर भागोगे, तुम्हें अल्लाह से बचानेवाला कोई न होगा - और जिसे अल्लाह ही भटका दे उसे मार्ग दिखानेवाला कोई नहीं। -

وَلَقَدْ جَآءَكُمْ يُوسُفُ مِن قَبْلُ بِٱلْبَيِّنَٰتِ فَمَا زِلْتُمْ فِى شَكٍّۢ مِّمَّا جَآءَكُم بِهِۦ ۖ حَتَّىٰٓ إِذَا هَلَكَ قُلْتُمْ لَن يَبْعَثَ ٱللَّهُ مِنۢ بَعْدِهِۦ رَسُولًۭا ۚ كَذَٰلِكَ يُضِلُّ ٱللَّهُ مَنْ هُوَ مُسْرِفٌۭ مُّرْتَابٌ ﴿٣٤﴾

और (इससे) पहले यूसुफ़ भी तुम्हारे पास मौजिज़े लेकर आए थे तो जो जो लाए थे तुम लोग उसमें बराबर शक ही करते रहे यहाँ तक कि जब उन्होने वफात पायी तो तुम कहने लगे कि अब उनके बाद ख़ुदा हरगिज़ कोई रसूल नहीं भेजेगा जो हद से गुज़रने वाला और शक करने वाला है ख़ुदा उसे यू हीं गुमराही में छोड़ देता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने पहले भी तुम्हारे पास यूसुफ़ खुले प्रमाण लेकर आ चुके है, किन्तु जो कुछ वे लेकर तुम्हारे पास आए थे, उसके बारे में तुम बराबर सन्देह में पड़े रहे, यहाँ तक कि जब उनकी मृत्यु हो गई तो तुम कहने लगे, \"अल्लाह उनके पश्चात कदापि कोई रसूल न भेजेगा।\" इसी प्रकार अल्लाह उसे गुमराही में डाल देता है जो मर्यादाहीन, सन्देहों में पड़नेवाला हो। -

ٱلَّذِينَ يُجَٰدِلُونَ فِىٓ ءَايَٰتِ ٱللَّهِ بِغَيْرِ سُلْطَٰنٍ أَتَىٰهُمْ ۖ كَبُرَ مَقْتًا عِندَ ٱللَّهِ وَعِندَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ ۚ كَذَٰلِكَ يَطْبَعُ ٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ قَلْبِ مُتَكَبِّرٍۢ جَبَّارٍۢ ﴿٣٥﴾

जो लोग बगैर इसके कि उनके पास कोई दलील आई हो ख़ुदा की आयतों में (ख्वाह मा ख्वाह) झगड़े किया करते हैं वह ख़ुदा के नज़दीक और ईमानदारों के नज़दीक सख्त नफरत खेज़ हैं, यूँ ख़ुदा हर मुतकब्बिर सरकश के दिल पर अलामत मुक़र्रर कर देता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐसे लोगो को (गुमराही में डालता है) जो अल्लाह की आयतों में झगड़ते है, बिना इसके कि उनके पास कोई प्रमाण आया हो, अल्लाह की दृष्टि) में और उन लोगों की दृष्टि में जो ईमान लाए यह (बात) अत्यन्त अप्रिय है। इसी प्रकार अल्लाह हर अहंकारी, निर्दय- अत्याचारी के दिल पर मुहर लगा देता है। -

وَقَالَ فِرْعَوْنُ يَٰهَٰمَٰنُ ٱبْنِ لِى صَرْحًۭا لَّعَلِّىٓ أَبْلُغُ ٱلْأَسْبَٰبَ ﴿٣٦﴾

और फिरऔन ने कहा ऐ हामान हमारे लिए एक महल बनवा दे ताकि (उस पर चढ़ कर) रसतों पर पहुँच जाऊ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फ़िरऔन ने कहा, \"ऐ हामान! मेरे एक उच्च भवन बना, ताकि मैं साधनों तक पहुँच सकूँ,

أَسْبَٰبَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ فَأَطَّلِعَ إِلَىٰٓ إِلَٰهِ مُوسَىٰ وَإِنِّى لَأَظُنُّهُۥ كَٰذِبًۭا ۚ وَكَذَٰلِكَ زُيِّنَ لِفِرْعَوْنَ سُوٓءُ عَمَلِهِۦ وَصُدَّ عَنِ ٱلسَّبِيلِ ۚ وَمَا كَيْدُ فِرْعَوْنَ إِلَّا فِى تَبَابٍۢ ﴿٣٧﴾

(यानि) आसमानों के रसतों पर फिर मूसा के ख़ुदा को झांक कर (देख) लूँ और मैं तो उसे यक़ीनी झूठा समझता हूँ, और इसी तरह फिरऔन की बदकिरदारयाँ उसको भली करके दिखा दी गयीं थीं और वह राहे रास्ता से रोक दिया गया था, और फिरऔन की तद्बीर तो बस बिल्कुल ग़ारत गुल ही थीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

आकाशों को साधनों (और क्षत्रों) तक। फिर मूसा के पूज्य को झाँककर देखूँ। मैं तो उसे झूठा ही समझता हूँ।\" इस प्रकार फ़िरऔन को लिए उसका दुष्कर्म सुहाना बना दिया गया और उसे मार्ग से रोक दिया गया। फ़िरऔन की चाल तो बस तबाही के सिलसिले में रही

وَقَالَ ٱلَّذِىٓ ءَامَنَ يَٰقَوْمِ ٱتَّبِعُونِ أَهْدِكُمْ سَبِيلَ ٱلرَّشَادِ ﴿٣٨﴾

और जो शख्स (दर पर्दा) ईमानदार था कहने लगा भाईयों मेरा कहना मानों मैं तुम्हें हिदायत के रास्ते दिख दूंगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उस व्यक्ति ने, जो ईमान लाया था, कहा, \"ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मेरा अनुसरण करो, मैं तुम्हे भलाई का ठीक रास्ता दिखाऊँगा

يَٰقَوْمِ إِنَّمَا هَٰذِهِ ٱلْحَيَوٰةُ ٱلدُّنْيَا مَتَٰعٌۭ وَإِنَّ ٱلْءَاخِرَةَ هِىَ دَارُ ٱلْقَرَارِ ﴿٣٩﴾

भाईयों ये दुनियावी ज़िन्दगी तो बस (चन्द रोज़ा) फ़ायदा है और आखेरत ही हमेशा रहने का घर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह सांसारिक जीवन तो बस अस्थायी उपभोग है। निश्चय ही स्थायी रूप से ठहरनेका घर तो आख़िरत ही है

مَنْ عَمِلَ سَيِّئَةًۭ فَلَا يُجْزَىٰٓ إِلَّا مِثْلَهَا ۖ وَمَنْ عَمِلَ صَٰلِحًۭا مِّن ذَكَرٍ أَوْ أُنثَىٰ وَهُوَ مُؤْمِنٌۭ فَأُو۟لَٰٓئِكَ يَدْخُلُونَ ٱلْجَنَّةَ يُرْزَقُونَ فِيهَا بِغَيْرِ حِسَابٍۢ ﴿٤٠﴾

जो बुरा काम करेगा तो उसे बदला भी वैसा ही मिलेगा, और जो नेक काम करेगा मर्द हो या औरत मगर ईमानदार हो तो ऐसे लोग बेहिश्त में दाख़िल होंगे वहाँ उन्हें बेहिसाब रोज़ी मिलेगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस किसी ने बुराई की तो उसे वैसा ही बदला मिलेगा, किन्तु जिस किसी ने अच्छा कर्म किया, चाहे वह पुरुष हो या स्त्री, किन्तु हो वह मोमिन, तो ऐसे लोग जन्नत में प्रवेश करेंगे। वहाँ उन्हें बेहिसाब दिया जाएगा

۞ وَيَٰقَوْمِ مَا لِىٓ أَدْعُوكُمْ إِلَى ٱلنَّجَوٰةِ وَتَدْعُونَنِىٓ إِلَى ٱلنَّارِ ﴿٤١﴾

और ऐ मेरी क़ौम मुझे क्या हुआ है कि मैं तुमको नजाद की तरफ बुलाता हूँ और तुम मुझे दोज़ख़ की तरफ बुलाते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह मेरे साथ क्या मामला है कि मैं तो तुम्हें मुक्ति की ओर बुलाता हूँ और तुम मुझे आग की ओर बुला रहे हो?

تَدْعُونَنِى لِأَكْفُرَ بِٱللَّهِ وَأُشْرِكَ بِهِۦ مَا لَيْسَ لِى بِهِۦ عِلْمٌۭ وَأَنَا۠ أَدْعُوكُمْ إِلَى ٱلْعَزِيزِ ٱلْغَفَّٰرِ ﴿٤٢﴾

तुम मुझे बुलाते हो कि मै ख़ुदा के साथ कुफ्र करूं और उस चीज़ को उसका शरीक बनाऊ जिसका मुझे इल्म में भी नहीं, और मैं तुम्हें ग़ालिब (और) बड़े बख्शने वाले ख़ुदा की तरफ बुलाता हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम मुझे बुला रहे हो कि मैं अल्लाह के साथ कुफ़्र करूँ और उसके साथ उसे साझी ठहराऊँ जिसका मुझे कोई ज्ञान नहीं, जबकि मैं तुम्हें बुला रहा हूँ उसकी ओर जो प्रभुत्वशाली, अत्यन्त क्षमाशील है

لَا جَرَمَ أَنَّمَا تَدْعُونَنِىٓ إِلَيْهِ لَيْسَ لَهُۥ دَعْوَةٌۭ فِى ٱلدُّنْيَا وَلَا فِى ٱلْءَاخِرَةِ وَأَنَّ مَرَدَّنَآ إِلَى ٱللَّهِ وَأَنَّ ٱلْمُسْرِفِينَ هُمْ أَصْحَٰبُ ٱلنَّارِ ﴿٤٣﴾

बेशक तुम जिस चीज़ की तरफ़ मुझे बुलाते हो वह न तो दुनिया ही में पुकारे जाने के क़ाबिल है और न आख़िरत में और आख़िर में हम सबको ख़ुदा ही की तरफ लौट कर जाना है और इसमें तो शक ही नहीं कि हद से बढ़ जाने वाले जहन्नुमी हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह तुम मुझे जिसकी ओर बुलाते हो उसके लिए न संसार में आमंत्रण है और न आख़िरत (परलोक) में और यह की हमें लौटना भी अल्लाह ही की ओर है और यह कि जो मर्यादाही है, वही आग (में पड़नेवाले) वाले है

فَسَتَذْكُرُونَ مَآ أَقُولُ لَكُمْ ۚ وَأُفَوِّضُ أَمْرِىٓ إِلَى ٱللَّهِ ۚ إِنَّ ٱللَّهَ بَصِيرٌۢ بِٱلْعِبَادِ ﴿٤٤﴾

तो जो मैं तुमसे कहता हूँ अनक़रीब ही उसे याद करोगे और मैं तो अपना काम ख़ुदा ही को सौंपे देता हूँ कुछ शक नहीं की ख़ुदा बन्दों ( के हाल ) को ख़ूब देख रहा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः शीघ्र ही तुम याद करोगे, जो कुछ मैं तुमसे कह रहा हूँ। मैं तो अपना मामला अल्लाह को सौंपता हूँ। निस्संदेह अल्लाह की दृष्टि सब बन्दों पर है

فَوَقَىٰهُ ٱللَّهُ سَيِّـَٔاتِ مَا مَكَرُوا۟ ۖ وَحَاقَ بِـَٔالِ فِرْعَوْنَ سُوٓءُ ٱلْعَذَابِ ﴿٤٥﴾

तो ख़ुदा ने उसे उनकी तद्बीरों की बुराई से महफूज़ रखा और फिरऔनियों को बड़े अज़ाब ने ( हर तरफ ) से घेर लिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अन्ततः जो चाल वे चल रहे थे, उसकी बुराइयों से अल्लाह ने उसे बचा लिया और फ़िरऔनियों को बुरी यातना ने आ घेरा;

ٱلنَّارُ يُعْرَضُونَ عَلَيْهَا غُدُوًّۭا وَعَشِيًّۭا ۖ وَيَوْمَ تَقُومُ ٱلسَّاعَةُ أَدْخِلُوٓا۟ ءَالَ فِرْعَوْنَ أَشَدَّ ٱلْعَذَابِ ﴿٤٦﴾

और अब तो कब्र में दोज़ख़ की आग है कि वह लोग (हर) सुबह व शाम उसके सामने ला खड़े किए जाते हैं और जिस दिन क़यामत बरपा होगी (हुक्म होगा) फिरऔन के लोगों को सख्त से सख्त अज़ाब में झोंक दो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अर्थात आग ने; जिसके सामने वे प्रातःकाल और सायंकाल पेश किए जाते है। और जिन दिन क़ियामत की घड़ी घटित होगी (कहा जाएगा), \"फ़िरऔन के लोगों को निकृष्ट तम यातना में प्रविष्टी कराओ!\"

وَإِذْ يَتَحَآجُّونَ فِى ٱلنَّارِ فَيَقُولُ ٱلضُّعَفَٰٓؤُا۟ لِلَّذِينَ ٱسْتَكْبَرُوٓا۟ إِنَّا كُنَّا لَكُمْ تَبَعًۭا فَهَلْ أَنتُم مُّغْنُونَ عَنَّا نَصِيبًۭا مِّنَ ٱلنَّارِ ﴿٤٧﴾

और ये लोग जिस वक्त ज़हन्नुम में बाहम झगड़ेंगें तो कम हैसियत लोग बड़े आदमियों से कहेंगे कि हम तुम्हारे ताबे थे तो क्या तुम इस वक्त (दोज़ख़ की) आग का कुछ हिस्सा हमसे हटा सकते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और सोचो जबकि वे आग के भीतर एक-दूसरे से झगड़ रहे होंगे, तो कमज़ोर लोग उन लोगों से, जो बड़े बनते थे, कहेंगे, \"हम तो तुम्हारे पीछे चलनेवाले थे। अब क्या तुम हमपर से आग का कुछ भाग हटा सकते हो?\"

قَالَ ٱلَّذِينَ ٱسْتَكْبَرُوٓا۟ إِنَّا كُلٌّۭ فِيهَآ إِنَّ ٱللَّهَ قَدْ حَكَمَ بَيْنَ ٱلْعِبَادِ ﴿٤٨﴾

तो बड़े लोग कहेंगें (अब तो) हम (तुम) सबके सब आग में पड़े हैं ख़ुदा (को) तो बन्दों के बारे में (जो कुछ) फैसला (करना था) कर चुका

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे लोग, जो बड़े बनते थे, कहेंगे, \"हममें से प्रत्येक इसी में पड़ा है। निश्चय ही अल्लाह बन्दों के बीच फ़ैसला कर चुका।\"

وَقَالَ ٱلَّذِينَ فِى ٱلنَّارِ لِخَزَنَةِ جَهَنَّمَ ٱدْعُوا۟ رَبَّكُمْ يُخَفِّفْ عَنَّا يَوْمًۭا مِّنَ ٱلْعَذَابِ ﴿٤٩﴾

और जो लोग आग में (जल रहे) होंगे जहन्नुम के दरोग़ाओं से दरख्वास्त करेंगे कि अपने परवरदिगार से अर्ज़ करो कि एक दिन तो हमारे अज़ाब में तख़फ़ीफ़ कर दें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो लोग आग में होंगे वे जहन्नम के प्रहरियों से कहेंगे कि \"अपने रब को पुकारो कि वह हमपर से एक दिन यातना कुछ हल्की कर दे!\"

قَالُوٓا۟ أَوَلَمْ تَكُ تَأْتِيكُمْ رُسُلُكُم بِٱلْبَيِّنَٰتِ ۖ قَالُوا۟ بَلَىٰ ۚ قَالُوا۟ فَٱدْعُوا۟ ۗ وَمَا دُعَٰٓؤُا۟ ٱلْكَٰفِرِينَ إِلَّا فِى ضَلَٰلٍ ﴿٥٠﴾

वह जवाब देंगे कि क्या तुम्हारे पास तुम्हारे पैग़म्बर साफ व रौशन मौजिज़े लेकर नहीं आए थे वह कहेंगे (हाँ) आए तो थे, तब फरिश्ते तो कहेंगे फिर तुम ख़़ुद (क्यों) न दुआ करो, हालाँकि काफ़िरों की दुआ तो बस बेकार ही है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे कहेंगे, \"क्या तुम्हारे पास तुम्हारे रसूल खुले प्रमाण लेकर नहीं आते रहे?\" कहेंगे, \"क्यों नहीं!\" वे कहेंगे, \"फिर तो तुम्ही पुकारो।\" किन्तु इनकार करनेवालों की पुकार तो बस भटककर ही रह जाती है

إِنَّا لَنَنصُرُ رُسُلَنَا وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا وَيَوْمَ يَقُومُ ٱلْأَشْهَٰدُ ﴿٥١﴾

हम अपने पैग़म्बरों की और ईमान वालों की दुनिया की ज़िन्दगी में भी ज़रूर मदद करेंगे और जिस दिन गवाह (पैग़म्बर फरिश्ते गवाही को) उठ खड़े होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही हम अपने रसूलों की और उन लोगों की जो ईमान लाए अवश्य सहायता करते है, सांसारिक जीवन में भी और उस दिन भी, जबकि गवाह खड़े होंगे

يَوْمَ لَا يَنفَعُ ٱلظَّٰلِمِينَ مَعْذِرَتُهُمْ ۖ وَلَهُمُ ٱللَّعْنَةُ وَلَهُمْ سُوٓءُ ٱلدَّارِ ﴿٥٢﴾

(उस दिन भी) जिस दिन ज़ालिमों को उनकी माज़ेरत कुछ भी फायदे न देगी और उन पर फिटकार (बरसती) होगी और उनके लिए बहुत बुरा घर (जहन्नुम) है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस दिन ज़ालिमों को उनका उज्र (सफ़ाई पेश करना) कुछ भी लाभ न पहुँचाएगा, बल्कि उनके लिए तो लानत है और उनके लिए बुरा घर है

وَلَقَدْ ءَاتَيْنَا مُوسَى ٱلْهُدَىٰ وَأَوْرَثْنَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ٱلْكِتَٰبَ ﴿٥٣﴾

और हम ही ने मूसा को हिदायत (की किताब तौरेत) दी और बनी इसराईल को (उस) किताब का वारिस बनाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मूसा को भी हम मार्ग दिखा चुके है, और इसराईल की सन्तान को हमने किताब का उत्ताराधिकारी बनाया,

هُدًۭى وَذِكْرَىٰ لِأُو۟لِى ٱلْأَلْبَٰبِ ﴿٥٤﴾

जो अक्लमन्दों के लिए (सरतापा) हिदायत व नसीहत है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो बुद्धि और समझवालों के लिए मार्गदर्शन और अनुस्मृति थी

فَٱصْبِرْ إِنَّ وَعْدَ ٱللَّهِ حَقٌّۭ وَٱسْتَغْفِرْ لِذَنۢبِكَ وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ بِٱلْعَشِىِّ وَٱلْإِبْكَٰرِ ﴿٥٥﴾

(ऐ रसूल) तुम (उनकी शरारत) पर सब्र करो बेशक ख़ुदा का वायदा सच्चा है, और अपने (उम्मत की) गुनाहों की माफी माँगो और सुबह व शाम अपने परवरदिगार की हम्द व सना के साथ तसबीह करते रहो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः धैर्य से काम लो। निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है और अपने क़सूर की क्षमा चाहो और संध्या समय और प्रातः की घड़ियों में अपने रब की प्रशंसा की तसबीह करो

إِنَّ ٱلَّذِينَ يُجَٰدِلُونَ فِىٓ ءَايَٰتِ ٱللَّهِ بِغَيْرِ سُلْطَٰنٍ أَتَىٰهُمْ ۙ إِن فِى صُدُورِهِمْ إِلَّا كِبْرٌۭ مَّا هُم بِبَٰلِغِيهِ ۚ فَٱسْتَعِذْ بِٱللَّهِ ۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْبَصِيرُ ﴿٥٦﴾

जिन लोगों के पास (ख़ुदा की तरफ से) कोई दलील तो आयी नहीं और (फिर) वह ख़ुदा की आयतों में (ख्वाह मा ख्वाह) झगड़े निकालते हैं, उनके दिल में बुराई (की बेजां हवस) के सिवा कुछ नहीं हालाँकि वह लोग उस तक कभी पहुँचने वाले नहीं तो तुम बस ख़ुदा की पनाह माँगते रहो बेशक वह बड़ा सुनने वाला (और) देखने वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो लोग बिना किसी ऐसे प्रमाण के जो उनके पास आया हो अल्लाह की आयतों में झगड़ते है उनके सीनों में केवल अहंकार है जिसतक वे पहुँचनेवाले नहीं। अतः अल्लाह की शरण लो। निश्चय ही वह सुनता, देखता है

لَخَلْقُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ أَكْبَرُ مِنْ خَلْقِ ٱلنَّاسِ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ ﴿٥٧﴾

सारे आसमान और ज़मीन का पैदा करना लोगों के पैदा करने की ये निस्बत यक़ीनी बड़ा (काम) है मगर अक्सर लोग (इतना भी) नहीं जानते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह, आकाशों और धरती को पैदा करना लोगों को पैदा करने की अपेक्षा अधिक बड़ा (कठिन) काम है। किन्तु अधिकतर लोग नहीं जानते

وَمَا يَسْتَوِى ٱلْأَعْمَىٰ وَٱلْبَصِيرُ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ وَلَا ٱلْمُسِىٓءُ ۚ قَلِيلًۭا مَّا تَتَذَكَّرُونَ ﴿٥٨﴾

और अंधा और ऑंख वाला (दोनों) बराबर नहीं हो सकते और न मोमिनीन जिन्होने अच्छे काम किए और न बदकार (ही) बराबर हो सकते हैं बात ये है कि तुम लोग बहुत कम ग़ौर करते हो, कयामत तो ज़रूर आने वाली है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अंधा और आँखोंवाला बराबर नहीं होते, और वे लोग भी परस्पर बराबर नहीं होते जिन्होंने ईमान लाकर अच्छे कर्म किए, और न बुरे कर्म करनेवाले ही परस्पर बराबर हो सकते है। तुम होश से काम थोड़े ही लेते हो!

إِنَّ ٱلسَّاعَةَ لَءَاتِيَةٌۭ لَّا رَيْبَ فِيهَا وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يُؤْمِنُونَ ﴿٥٩﴾

इसमें किसी तरह का शक नहीं मगर अक्सर लोग (इस पर भी) ईमान नहीं रखते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही क़ियामत की घड़ी आनेवाली है, इसमें कोई सन्देह नहीं। किन्तु अधिकतर लोग मानते नही

وَقَالَ رَبُّكُمُ ٱدْعُونِىٓ أَسْتَجِبْ لَكُمْ ۚ إِنَّ ٱلَّذِينَ يَسْتَكْبِرُونَ عَنْ عِبَادَتِى سَيَدْخُلُونَ جَهَنَّمَ دَاخِرِينَ ﴿٦٠﴾

और तुम्हारा परवरदिगार इरशाद फ़रमाता है कि तुम मुझसे दुआएं माँगों मैं तुम्हारी (दुआ) क़ुबूल करूँगा जो लोग हमारी इबादत से अकड़ते हैं वह अनक़रीब ही ज़लील व ख्वार हो कर यक़ीनन जहन्नुम वासिल होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम्हारे रब ने कहा कि \"तुम मुझे पुकारो, मैं तुम्हारी प्रार्थनाएँ स्वीकार करूँगा।\" जो लोग मेरी बन्दगी के मामले में घमंड से काम लेते है निश्चय ही वे शीघ्र ही अपमानित होकर जहन्नम में प्रवेश करेंगे

ٱللَّهُ ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلَّيْلَ لِتَسْكُنُوا۟ فِيهِ وَٱلنَّهَارَ مُبْصِرًا ۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَذُو فَضْلٍ عَلَى ٱلنَّاسِ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يَشْكُرُونَ ﴿٦١﴾

ख़ुदा ही तो है जिसने तुम्हारे वास्ते रात बनाई ताकि तुम उसमें आराम करो और दिन को रौशन (बनाया) तकि काम करो बेशक ख़ुदा लोगों परा बड़ा फज़ल व करम वाला है, मगर अक्सर लोग उसका शुक्र नहीं अदा करते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह ही है जिसने तुम्हारे लिए रात (अंधकारमय) बनाई, तुम उसमें शान्ति प्राप्त करो औऱ दिन को प्रकाशमान बनाया (ताकि उसमें दौड़-धूप करो) । निस्संदेह अल्लाह लोगों के लिए बड़ा उदार अनुग्रहवाला हैं, किन्तु अधिकतर लोग कृतज्ञता नहीं दिखाते

ذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمْ خَٰلِقُ كُلِّ شَىْءٍۢ لَّآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ ۖ فَأَنَّىٰ تُؤْفَكُونَ ﴿٦٢﴾

यही ख़ुदा तुम्हारा परवरदिगार है जो हर चीज़ का ख़ालिक़ है, और उसके सिवा कोई माबूद नहीं, फिर तुम कहाँ बहके जा रहे हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह है अल्लाह, तुम्हारा रब, हर चीज़ का पैदा करनेवाला! उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। फिर तुम कहाँ उलटे फिरे जा रहे हो?

كَذَٰلِكَ يُؤْفَكُ ٱلَّذِينَ كَانُوا۟ بِـَٔايَٰتِ ٱللَّهِ يَجْحَدُونَ ﴿٦٣﴾

जो लोग ख़ुदा की आयतों से इन्कार रखते थे वह इसी तरह भटक रहे थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसी प्रकार वे भी उलटे फिरे जाते थे जो अल्लाह की निशानियों का इनकार करते थे

ٱللَّهُ ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَرْضَ قَرَارًۭا وَٱلسَّمَآءَ بِنَآءًۭ وَصَوَّرَكُمْ فَأَحْسَنَ صُوَرَكُمْ وَرَزَقَكُم مِّنَ ٱلطَّيِّبَٰتِ ۚ ذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمْ ۖ فَتَبَارَكَ ٱللَّهُ رَبُّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿٦٤﴾

अल्लाह ही तो है जिसने तुम्हारे वास्ते ज़मीन को ठहरने की जगह और आसमान को छत बनाया और उसी ने तुम्हारी सूरतें बनायीं तो अच्छी सूरतें बनायीं और उसी ने तुम्हें साफ सुथरी चीज़ें खाने को दीं यही अल्लाह तो तुम्हारा परवरदिगार है तो ख़ुदा बहुत ही मुतबर्रिक है जो सारे जहाँन का पालने वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह ही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को ठहरने का स्थान बनाया और आकाश को एक भवन के रूप में बनाया, और तुम्हें रूप दिए तो क्या ही अच्छे रूप दिए, और तुम्हें अच्छी पाक चीज़ों की रोज़ी दी। वह है अल्लाह, तुम्हारा रब। तो बड़ी बरकतवाला है अल्लाह, सारे संसार का रब

هُوَ ٱلْحَىُّ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ فَٱدْعُوهُ مُخْلِصِينَ لَهُ ٱلدِّينَ ۗ ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿٦٥﴾

वही (हमेशा) ज़िन्दा है और उसके सिवा कोई माबूद नहीं तो निरी खरी उसी की इबादत करके उसी से ये दुआ माँगो, सब तारीफ ख़ुदा ही को सज़ावार है और जो सारे जहाँन का पालने वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह जीवन्त है। उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अतः उसी को पुकारो, धर्म को उसी के लिए विशुद्ध करके। सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है, जो सारे संसार का रब है

۞ قُلْ إِنِّى نُهِيتُ أَنْ أَعْبُدَ ٱلَّذِينَ تَدْعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ لَمَّا جَآءَنِىَ ٱلْبَيِّنَٰتُ مِن رَّبِّى وَأُمِرْتُ أَنْ أُسْلِمَ لِرَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿٦٦﴾

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि जब मेरे पास मेरे परवरदिगार की बारगाह से खुले हुए मौजिज़े आ चुके तो मुझे इस बात की मनाही कर दी गयी है कि ख़ुदा को छोड़ कर जिनको तुम पूजते हो मैं उनकी परसतिश करूँ और मुझे तो यह हुक्म हो चुका है कि मैं सारे जहाँन के पालने वाले का फरमाबरदार बनु

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कह दो, \"मुझे इससे रोक दिया गया है कि मैं उनकी बन्दगी करूँ जिन्हें अल्लाह से हटकर पुकारते हो, जबकि मेरे पास मेरे रब की ओर से खुले प्रमाण आ चुके है। मुझे तो हुक्म हुआ है कि मैं सारे संसार के रब के आगे नतमस्तक हो जाऊँ।\" -

هُوَ ٱلَّذِى خَلَقَكُم مِّن تُرَابٍۢ ثُمَّ مِن نُّطْفَةٍۢ ثُمَّ مِنْ عَلَقَةٍۢ ثُمَّ يُخْرِجُكُمْ طِفْلًۭا ثُمَّ لِتَبْلُغُوٓا۟ أَشُدَّكُمْ ثُمَّ لِتَكُونُوا۟ شُيُوخًۭا ۚ وَمِنكُم مَّن يُتَوَفَّىٰ مِن قَبْلُ ۖ وَلِتَبْلُغُوٓا۟ أَجَلًۭا مُّسَمًّۭى وَلَعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ ﴿٦٧﴾

वही वह ख़ुदा है जिसने तुमको पहले (पहल) मिटटी से पैदा किया फिर नुत्फे से, फिर जमे हुए ख़ून फिर तुमको बच्चा बनाकर (माँ के पेट) से निकलता है (ताकि बढ़ों) फिर (ज़िन्दा रखता है) ताकि तुम अपनी जवानी को पहुँचो फिर (और ज़िन्दा रखता है ताकि तुम बूढ़े हो जाओ और तुममें से कोई ऐसा भी है जो (इससे) पहले मर जाता है ग़रज़ (तुमको उस वक्त तक ज़िन्दा रखता है) की तुम (मौत के) मुकर्रर वक्त तक पहुँच जाओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वही है जिसने तुम्हें मिट्टी से पैदा, फिर वीर्य से, फिर रक्त के लोथड़े से; फिर वह तुम्हें एक बच्चे के रूप में निकालता है, फिर (तुम्हें बढ़ाता है) ताकि अपनी प्रौढ़ता को प्राप्ति हो, फिर मुहलत देता है कि तुम बुढापे को पहुँचो - यद्यपि तुममें से कोई इससे पहले भी उठा लिया जाता है - और यह इसलिए करता है कि तुम एक नियत अवधि तक पहुँच जाओ और ऐसा इसलिए है कि तुम समझो

هُوَ ٱلَّذِى يُحْىِۦ وَيُمِيتُ ۖ فَإِذَا قَضَىٰٓ أَمْرًۭا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ ﴿٦٨﴾

और ताकि तुम (उसकी क़ुदरत को समझो) वह वही (ख़ुदा) है जो जिलाता और मारता है, फिर जब वह किसी काम का करना ठान लेता है तो बस उससे कह देता है कि 'हो जा' तो वह फ़ौरन हो जाता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वही है जो जीवन और मृत्यु देता है, और जब वह किसी काम का फ़ैसला करता है, तो उसके लिए बस कह देता है कि 'हो जा' तो वह हो जाता है

أَلَمْ تَرَ إِلَى ٱلَّذِينَ يُجَٰدِلُونَ فِىٓ ءَايَٰتِ ٱللَّهِ أَنَّىٰ يُصْرَفُونَ ﴿٦٩﴾

(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों (की हालत) पर ग़ौर नहीं किया जो ख़ुदा की आयतों में झगड़े निकाला करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जो अल्लाह की आयतों के बारे में झगड़ते है, वे कहाँ फिरे जाते हैं?

ٱلَّذِينَ كَذَّبُوا۟ بِٱلْكِتَٰبِ وَبِمَآ أَرْسَلْنَا بِهِۦ رُسُلَنَا ۖ فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ ﴿٧٠﴾

ये कहाँ भटके चले जा रहे हैं, जिन लोगों ने किताबे (ख़ुदा) और उन बातों को जो हमने पैग़म्बरों को देकर भेजा था झुठलाया तो बहुत जल्द उसका नतीजा उन्हें मालूम हो जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिन लोगों ने किताब को झुठलाया और उसे भी जिसके साथ हमने अपने रसूलों को भेजा था। तो शीघ्र ही उन्हें मालूम हो जाएगा

إِذِ ٱلْأَغْلَٰلُ فِىٓ أَعْنَٰقِهِمْ وَٱلسَّلَٰسِلُ يُسْحَبُونَ ﴿٧١﴾

जब (भारी भारी) तौक़ और ज़ंजीरें उनकी गर्दनों में होंगी (और पहले) खौलते हुए पानी में घसीटे जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि तौक़ उनकी गरदनों में होंगे और ज़ंजीरें (उनके पैरों में)

فِى ٱلْحَمِيمِ ثُمَّ فِى ٱلنَّارِ يُسْجَرُونَ ﴿٧٢﴾

फिर (जहन्नुम की) आग में झोंक दिए जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे खौलते हुए पानी में घसीटे जाएँगे, फिर आग में झोंक दिए जाएँगे

ثُمَّ قِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنتُمْ تُشْرِكُونَ ﴿٧٣﴾

फिर उनसे पूछा जाएगा कि ख़ुदा के सिवा जिनको (उसका) शरीक बनाते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर उनसे कहा जाएगा, \"कहाँ है वे जिन्हें प्रभुत्व में साझी ठहराकर तुम अल्लाह के सिवा पूजते थे?\"

مِن دُونِ ٱللَّهِ ۖ قَالُوا۟ ضَلُّوا۟ عَنَّا بَل لَّمْ نَكُن نَّدْعُوا۟ مِن قَبْلُ شَيْـًۭٔا ۚ كَذَٰلِكَ يُضِلُّ ٱللَّهُ ٱلْكَٰفِرِينَ ﴿٧٤﴾

(इस वक्त) क़हाँ हैं वह कहेंगे अब तो वह हमसे जाते रहे बल्कि (सच यूँ है कि) हम तो पहले ही से (ख़ुदा के सिवा) किसी चीज़ की परसतिश न करते थे यूँ ख़ुदा काफिरों को बौखला देगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे कहेंगे, \"वे हमसे गुम होकर रह गए, बल्कि हम इससे पहले किसी चीज़ को नहीं पुकारते थे।\" इसी प्रकार अल्लाह इनकार करनेवालों को भटकता छोड़ देता है

ذَٰلِكُم بِمَا كُنتُمْ تَفْرَحُونَ فِى ٱلْأَرْضِ بِغَيْرِ ٱلْحَقِّ وَبِمَا كُنتُمْ تَمْرَحُونَ ﴿٧٥﴾

(कि कुछ समझ में न आएगा) ये उसकी सज़ा है कि तुम दुनिया में नाहक (बात पर) निहाल थे और इसकी सज़ा है कि तुम इतराया करते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"यह इसलिए कि तुम धरती में नाहक़ मग्न थे और इसलिए कि तुम इतराते रहे हो

ٱدْخُلُوٓا۟ أَبْوَٰبَ جَهَنَّمَ خَٰلِدِينَ فِيهَا ۖ فَبِئْسَ مَثْوَى ٱلْمُتَكَبِّرِينَ ﴿٧٦﴾

अब जहन्नुम के दरवाज़े में दाख़िल हो जाओ (और) हमेशा उसी में (पड़े) रहो, ग़रज़ तकब्बुर करने वालों का भी (क्या) बुरा ठिकाना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

प्रवेश करो जहन्नम के द्वारों में, उसमे सदैव रहने के लिए।\" अतः बहुत ही बुरा ठिकाना है अहंकारियों का!

فَٱصْبِرْ إِنَّ وَعْدَ ٱللَّهِ حَقٌّۭ ۚ فَإِمَّا نُرِيَنَّكَ بَعْضَ ٱلَّذِى نَعِدُهُمْ أَوْ نَتَوَفَّيَنَّكَ فَإِلَيْنَا يُرْجَعُونَ ﴿٧٧﴾

तो (ऐ रसूल) तुम सब्र करो ख़ुदा का वायदा यक़ीनी सच्चा है तो जिस (अज़ाब) की हम उन्हें धमकी देते हैं अगर हम तुमको उसमें कुछ दिखा दें या तुम ही को (इसके क़ब्ल) दुनिया से उठा लें तो (आख़िर फिर) उनको हमारी तरफ लौट कर आना है,

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः धैर्य से काम लो। निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है। तो जिस चीज़ की हम उन्हें धमकी दे रहे है उसमें से कुछ यदि हम तुम्हें दिखा दें या हम तुम्हे उठा लें, हर हाल में उन्हें लौटना तो हमारी ही ओर है

وَلَقَدْ أَرْسَلْنَا رُسُلًۭا مِّن قَبْلِكَ مِنْهُم مَّن قَصَصْنَا عَلَيْكَ وَمِنْهُم مَّن لَّمْ نَقْصُصْ عَلَيْكَ ۗ وَمَا كَانَ لِرَسُولٍ أَن يَأْتِىَ بِـَٔايَةٍ إِلَّا بِإِذْنِ ٱللَّهِ ۚ فَإِذَا جَآءَ أَمْرُ ٱللَّهِ قُضِىَ بِٱلْحَقِّ وَخَسِرَ هُنَالِكَ ٱلْمُبْطِلُونَ ﴿٧٨﴾

और तुमसे पहले भी हमने बहुत से पैग़म्बर भेजे उनमें से कुछ तो ऐसे हैं जिनके हालात हमने तुमसे बयान कर दिए, और कुछ ऐसे हैं जिनके हालात तुमसे नहीं दोहराए और किसी पैग़म्बर की ये मजाल न थी कि ख़ुदा के ऐख्तेयार दिए बग़ैर कोई मौजिज़ा दिखा सकें फिर जब ख़ुदा का हुक्म (अज़ाब) आ पहुँचा तो ठीक ठीक फैसला कर दिया गया और अहले बातिल ही इस घाटे में रहे,

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हम तुमसे पहले कितने ही रसूल भेज चुके है। उनमें से कुछ तो वे है जिनके वृत्तान्त का उल्लेख हमने तुमसे किया है और उनमें ऐसे भी है जिनके वृत्तान्त का उल्लेख हमने तुमसे नहीं किया। किसी रसूल को भी यह सामर्थ्य प्राप्त न थी कि वह अल्लाह की अनुज्ञा के बिना कोई निशानी ले आए। फिर जब अल्लाह का आदेश आ जाता है तो ठीक-ठीक फ़ैसला कर दिया जाता है। और उस समय झूठवाले घाटे में पड़ जाते है

ٱللَّهُ ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُمُ ٱلْأَنْعَٰمَ لِتَرْكَبُوا۟ مِنْهَا وَمِنْهَا تَأْكُلُونَ ﴿٧٩﴾

ख़ुदा ही तो वह है जिसने तुम्हारे लिए चारपाए पैदा किए ताकि तुम उनमें से किसी पर सवार होते हो और किसी को खाते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह ही है जिसने तुम्हारे लिए चौपाए बनाए ताकि उनमें से कुछ पर तुम सवारी करो और उनमें से कुछ को तुम खाते भी हो

وَلَكُمْ فِيهَا مَنَٰفِعُ وَلِتَبْلُغُوا۟ عَلَيْهَا حَاجَةًۭ فِى صُدُورِكُمْ وَعَلَيْهَا وَعَلَى ٱلْفُلْكِ تُحْمَلُونَ ﴿٨٠﴾

और तुम्हारे लिए उनमें (और भी) फायदे हैं और ताकि तुम उन पर (चढ़ कर) अपनी दिली मक़सद तक पहुँचो और उन पर और (नीज़) कश्तियों पर सवार फिरते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उनमें तुम्हारे लिए और भी फ़ायदे है - और ताकि उनके द्वारा तुम उस आवश्यकता की पूर्ति कर सको जो तुम्हारे सीनों में हो, और उनपर भी और नौकाओं पर भी सवार होते हो

وَيُرِيكُمْ ءَايَٰتِهِۦ فَأَىَّ ءَايَٰتِ ٱللَّهِ تُنكِرُونَ ﴿٨١﴾

और वह तुमको अपनी (कुदरत की) निशानियाँ दिखाता है तो तुम ख़ुदा की किन किन निशानियों को न मानोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वह तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखाता है। आख़िर तुम अल्लाह की कौन-सी निशानी को नहीं पहचानते?

أَفَلَمْ يَسِيرُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ فَيَنظُرُوا۟ كَيْفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِمْ ۚ كَانُوٓا۟ أَكْثَرَ مِنْهُمْ وَأَشَدَّ قُوَّةًۭ وَءَاثَارًۭا فِى ٱلْأَرْضِ فَمَآ أَغْنَىٰ عَنْهُم مَّا كَانُوا۟ يَكْسِبُونَ ﴿٨٢﴾

तो क्या ये लोग रूए ज़मीन पर चले फिरे नहीं, तो देखते कि जो लोग इनसे पहले थे उनका क्या अंजाम हुआ, जो उनसे (तादाद में) कहीं ज्यादा थे और क़ूवत और ज़मीन पर (अपनी) निशानियाँ (यादगारें) छोड़ने में भी कहीं बढ़ चढ़ कर थे तो जो कुछ उन लोगों ने किया कराया था उनके कुछ भी काम न आया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जो उनसे पहले गुज़र चुके है। वे उनसे अधिक थे और शक्ति और अपनी छोड़ी हुई निशानियों की दृष्टि से भी बढ़-चढ़कर थे। किन्तु जो कुछ वे कमाते थे, वह उनके कुछ भी काम न आया

فَلَمَّا جَآءَتْهُمْ رُسُلُهُم بِٱلْبَيِّنَٰتِ فَرِحُوا۟ بِمَا عِندَهُم مِّنَ ٱلْعِلْمِ وَحَاقَ بِهِم مَّا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ ﴿٨٣﴾

फिर जब उनके पैग़म्बर उनके पास वाज़ेए व रौशन मौजिज़े ले कर आए तो जो इल्म (अपने ख्याल में) उनके पास था उस पर नाज़िल हुए और जिस (अज़ाब) की ये लोग हँसी उड़ाते थे उसी ने उनको चारों तरफ से घेर लिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब उनके रसूल उनके पास स्पष्ट प्रमाणों के साथ आए तो जो ज्ञान उनके अपने पास था वे उसी पर मग्न होते रहे और उनको उसी चीज़ ने आ घेरा जिसका वे परिहास करते थे

فَلَمَّا رَأَوْا۟ بَأْسَنَا قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا بِٱللَّهِ وَحْدَهُۥ وَكَفَرْنَا بِمَا كُنَّا بِهِۦ مُشْرِكِينَ ﴿٨٤﴾

तो जब इन लोगों ने हमारे अज़ाब को देख लिया तो कहने लगे, हम यकता ख़ुदा पर ईमान लाए और जिस चीज़ को हम उसका शरीक बनाते थे हम उनको नहीं मानते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब उन्होंने हमारी यातना देखी तो कहने लगे, \"हम ईमान लाए अल्लाह पर जो अकेला है और उसका इनकार किया जिसे हम उसका साझी ठहराते थे।\"

فَلَمْ يَكُ يَنفَعُهُمْ إِيمَٰنُهُمْ لَمَّا رَأَوْا۟ بَأْسَنَا ۖ سُنَّتَ ٱللَّهِ ٱلَّتِى قَدْ خَلَتْ فِى عِبَادِهِۦ ۖ وَخَسِرَ هُنَالِكَ ٱلْكَٰفِرُونَ ﴿٨٥﴾

तो जब उन लोगों ने हमारा (अज़ाब) आते देख लिया तो अब उनका ईमान लाना कुछ भी फायदेमन्द नहीं हो सकता (ये) ख़ुदा की आदत (है) जो अपने बन्दों के बारे में (सदा से) चली आती है और काफ़िर लोग इस वक्त घाटे मे रहे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु उनका ईमान उनको कुछ भी लाभ नहीं पहुँचा सकता था जबकि उन्होंने हमारी यातना को देख लिया - यही अल्लाह की रीति है, जो उसके बन्दों में पहले से चली आई है - और उस समय इनकार करनेवाले घाटे में पड़कर रहे