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Surah The winnowing winds [Adh-Dhariyat] in Hindi

Surah The winnowing winds [Adh-Dhariyat] Ayah 60 Location Maccah Number 51

وَٱلذَّٰرِيَٰتِ ذَرْوًۭا ﴿١﴾

उन (हवाओं की क़सम) जो (बादलों को) उड़ा कर तितर बितर कर देती हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

गवाह है (हवाएँ) जो गर्द-ग़ुबार उड़ाती फिरती है;

فَٱلْحَٰمِلَٰتِ وِقْرًۭا ﴿٢﴾

फिर (पानी का) बोझ उठाती हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर बोझ उठाती है;

فَٱلْجَٰرِيَٰتِ يُسْرًۭا ﴿٣﴾

फिर आहिस्ता आहिस्ता चलती हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर नरमी से चलती है;

فَٱلْمُقَسِّمَٰتِ أَمْرًا ﴿٤﴾

फिर एक ज़रूरी चीज़ (बारिश) को तक़सीम करती हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर मामले को अलग-अलग करती है;

إِنَّمَا تُوعَدُونَ لَصَادِقٌۭ ﴿٥﴾

कि तुम से जो वायदा किया जाता है ज़रूर बिल्कुल सच्चा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही तुमसे जिस चीज़ का वादा किया जाता है, वह सत्य है;

وَإِنَّ ٱلدِّينَ لَوَٰقِعٌۭ ﴿٦﴾

और (आमाल की) जज़ा (सज़ा) ज़रूर होगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और (कर्मों का) बदला अवश्य सामने आकर रहेगा

وَٱلسَّمَآءِ ذَاتِ ٱلْحُبُكِ ﴿٧﴾

और आसमान की क़सम जिसमें रहते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

गवाह है धारियोंवाला आकाश।

إِنَّكُمْ لَفِى قَوْلٍۢ مُّخْتَلِفٍۢ ﴿٨﴾

कि (ऐ अहले मक्का) तुम लोग एक ऐसी मुख्तलिफ़ बेजोड़ बात में पड़े हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही तुम उस बात में पड़े हुए हो जिनमें कथन भिन्न-भिन्न है

يُؤْفَكُ عَنْهُ مَنْ أُفِكَ ﴿٩﴾

कि उससे वही फेरा जाएगा (गुमराह होगा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसमें कोई सरफिरा ही विमुख होता है

قُتِلَ ٱلْخَرَّٰصُونَ ﴿١٠﴾

जो (ख़ुदा के इल्म में) फेरा जा चुका है अटकल दौड़ाने वाले हलाक हों

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मारे जाएँ अटकल दौड़ानेवाले;

ٱلَّذِينَ هُمْ فِى غَمْرَةٍۢ سَاهُونَ ﴿١١﴾

जो ग़फलत में भूले हुए (पड़े) हैं पूछते हैं कि जज़ा का दिन कब होगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो ग़फ़लत में पड़े हुए हैं भूले हुए

يَسْـَٔلُونَ أَيَّانَ يَوْمُ ٱلدِّينِ ﴿١٢﴾

उस दिन (होगा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

पूछते है, \"बदले का दिन कब आएगा?\"

يَوْمَ هُمْ عَلَى ٱلنَّارِ يُفْتَنُونَ ﴿١٣﴾

जब इनको (जहन्नुम की) आग में अज़ाब दिया जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस दिन वे आग पर तपाए जाएँगे,

ذُوقُوا۟ فِتْنَتَكُمْ هَٰذَا ٱلَّذِى كُنتُم بِهِۦ تَسْتَعْجِلُونَ ﴿١٤﴾

(और उनसे कहा जाएगा) अपने अज़ाब का मज़ा चखो ये वही है जिसकी तुम जल्दी मचाया करते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"चखों मज़ा. अपने फ़ितने (उपद्रव) का! यहीं है जिसके लिए तुम जल्दी मचा रहे थे।\"

إِنَّ ٱلْمُتَّقِينَ فِى جَنَّٰتٍۢ وَعُيُونٍ ﴿١٥﴾

बेशक परहेज़गार लोग (बेहिश्त के) बाग़ों और चश्मों में (ऐश करते) होगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ों और स्रोतों में होंगे

ءَاخِذِينَ مَآ ءَاتَىٰهُمْ رَبُّهُمْ ۚ إِنَّهُمْ كَانُوا۟ قَبْلَ ذَٰلِكَ مُحْسِنِينَ ﴿١٦﴾

जो उनका परवरदिगार उन्हें अता करता है ये (ख़ुश ख़ुश) ले रहे हैं ये लोग इससे पहले (दुनिया में) नेको कार थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो कुछ उनके रब ने उन्हें दिया, वे उसे ले रहे होंगे। निस्संदेह वे इससे पहले उत्तमकारों में से थे

كَانُوا۟ قَلِيلًۭا مِّنَ ٱلَّيْلِ مَا يَهْجَعُونَ ﴿١٧﴾

(इबादत की वजह से) रात को बहुत ही कम सोते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

रातों को थोड़ा ही सोते थे,

وَبِٱلْأَسْحَارِ هُمْ يَسْتَغْفِرُونَ ﴿١٨﴾

और पिछले पहर को अपनी मग़फ़िरत की दुआएं करते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वही प्रातः की घड़ियों में क्षमा की प्रार्थना करते थे

وَفِىٓ أَمْوَٰلِهِمْ حَقٌّۭ لِّلسَّآئِلِ وَٱلْمَحْرُومِ ﴿١٩﴾

और उनके माल में माँगने वाले और न माँगने वाले (दोनों) का हिस्सा था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उनके मालों में माँगनेवाले और धनहीन का हक़ था

وَفِى ٱلْأَرْضِ ءَايَٰتٌۭ لِّلْمُوقِنِينَ ﴿٢٠﴾

और यक़ीन करने वालों के लिए ज़मीन में (क़ुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और धरती में विश्वास करनेवालों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है,

وَفِىٓ أَنفُسِكُمْ ۚ أَفَلَا تُبْصِرُونَ ﴿٢١﴾

और ख़ुदा तुम में भी हैं तो क्या तुम देखते नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और ,स्वयं तुम्हारे अपने आप में भी। तो क्या तुम देखते नहीं?

وَفِى ٱلسَّمَآءِ رِزْقُكُمْ وَمَا تُوعَدُونَ ﴿٢٢﴾

और तुम्हारी रोज़ी और जिस चीज़ का तुमसे वायदा किया जाता है आसमान में है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और आकाश मे ही तुम्हारी रोज़ी है और वह चीज़ भी जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है

فَوَرَبِّ ٱلسَّمَآءِ وَٱلْأَرْضِ إِنَّهُۥ لَحَقٌّۭ مِّثْلَ مَآ أَنَّكُمْ تَنطِقُونَ ﴿٢٣﴾

तो आसमान व ज़मीन के मालिक की क़सम ये (क़ुरान) बिल्कुल ठीक है जिस तरह तुम बातें करते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः सौगन्ध है आकाश और धरती के रब की। निश्चय ही वह सत्य बात है ऐसे ही जैसे तुम बोलते हो

هَلْ أَتَىٰكَ حَدِيثُ ضَيْفِ إِبْرَٰهِيمَ ٱلْمُكْرَمِينَ ﴿٢٤﴾

क्या तुम्हारे पास इबराहीम के मुअज़िज़ मेहमानो (फ़रिश्तों) की भी ख़बर पहुँची है कि जब वह लोग उनके पास आए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या इबराईम के प्रतिष्ठित अतिथियों का वृतान्त तुम तक पहँचा?

إِذْ دَخَلُوا۟ عَلَيْهِ فَقَالُوا۟ سَلَٰمًۭا ۖ قَالَ سَلَٰمٌۭ قَوْمٌۭ مُّنكَرُونَ ﴿٢٥﴾

तो कहने लगे (सलामुन अलैकुम) तो इबराहीम ने भी (अलैकुम) सलाम किया (देखा तो) ऐसे लोग जिनसे न जान न पहचान

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जब वे उसके पास आए तो कहा, \"सलाम है तुमपर!\" उसने भी कहा, \"सलाम है आप लोगों पर भी!\" (और जी में कहा) \"ये तो अपरिचित लोग हैं।\"

فَرَاغَ إِلَىٰٓ أَهْلِهِۦ فَجَآءَ بِعِجْلٍۢ سَمِينٍۢ ﴿٢٦﴾

फिर अपने घर जाकर जल्दी से (भुना हुआ) एक मोटा ताज़ा बछड़ा ले आए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर वह चुपके से अपने घरवालों के पास गया और एक मोटा-ताज़ा बछड़ा (का भूना हुआ मांस) ले आया

فَقَرَّبَهُۥٓ إِلَيْهِمْ قَالَ أَلَا تَأْكُلُونَ ﴿٢٧﴾

और उसे उनके आगे रख दिया (फिर) कहने लगे आप लोग तनाउल क्यों नहीं करते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उसे उनके सामने पेश किया। कहा, \"क्या आप खाते नहीं?\"

فَأَوْجَسَ مِنْهُمْ خِيفَةًۭ ۖ قَالُوا۟ لَا تَخَفْ ۖ وَبَشَّرُوهُ بِغُلَٰمٍ عَلِيمٍۢ ﴿٢٨﴾

(इस पर भी न खाया) तो इबराहीम उनसे जो ही जी में डरे वह लोग बोले आप अन्देशा न करें और उनको एक दानिशमन्द लड़के की ख़ुशख़बरी दी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर उसने दिल में उनसे डर महसूस किया। उन्होंने कहा, \"डरिए नहीं।\" और उन्होंने उसे एक ज्ञानवान लड़के की मंगल-सूचना दी

فَأَقْبَلَتِ ٱمْرَأَتُهُۥ فِى صَرَّةٍۢ فَصَكَّتْ وَجْهَهَا وَقَالَتْ عَجُوزٌ عَقِيمٌۭ ﴿٢٩﴾

तो (ये सुनते ही) इबराहीम की बीवी (सारा) चिल्लाती हुई उनके सामने आयीं और अपना मुँह पीट लिया कहने लगीं (ऐ है) एक तो (मैं) बुढ़िया (उस पर) बांझ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसपर उसकी स्त्री (चकित होकर) आगे बढ़ी और उसने अपना मुँह पीट लिया और कहने लगी, \"एक बूढ़ी बाँझ (के यहाँ बच्चा पैदा होगा)!\"

قَالُوا۟ كَذَٰلِكِ قَالَ رَبُّكِ ۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلْحَكِيمُ ٱلْعَلِيمُ ﴿٣٠﴾

लड़का क्यों कर होगा फ़रिश्ते बोले तुम्हारे परवरदिगार ने यूँ ही फरमाया है वह बेशक हिकमत वाला वाक़िफ़कार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"ऐसी ही तेरे रब ने कहा है। निश्चय ही वह बड़ा तत्वदर्शी, ज्ञानवान है।\"

۞ قَالَ فَمَا خَطْبُكُمْ أَيُّهَا ٱلْمُرْسَلُونَ ﴿٣١﴾

तब इबराहीम ने पूछा कि (ऐ ख़ुदा के) भेजे हुए फरिश्तों आख़िर तुम्हें क्या मुहिम दर पेश है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"ऐ (अल्लाह के भेजे हुए) दूतों, तुम्हारे सामने क्या मुहिम है?\"

قَالُوٓا۟ إِنَّآ أُرْسِلْنَآ إِلَىٰ قَوْمٍۢ مُّجْرِمِينَ ﴿٣٢﴾

वह बोले हम तो गुनाहगारों (क़ौमे लूत) की तरफ भेजे गए हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"हम एक अपराधी क़ौम की ओर भेजे गए है;

لِنُرْسِلَ عَلَيْهِمْ حِجَارَةًۭ مِّن طِينٍۢ ﴿٣٣﴾

ताकि उन पर मिटटी के पथरीले खरन्जे बरसाएँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"ताकि उनके ऊपर मिट्टी के पत्थर (कंकड़) बरसाएँ,

مُّسَوَّمَةً عِندَ رَبِّكَ لِلْمُسْرِفِينَ ﴿٣٤﴾

जिन पर हद से बढ़ जाने वालों के लिए तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से निशान लगा दिए गए हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो आपके रब के यहाँ सीमा का अतिक्रमण करनेवालों के लिए चिन्हित है।\"

فَأَخْرَجْنَا مَن كَانَ فِيهَا مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿٣٥﴾

ग़रज़ वहाँ जितने लोग मोमिनीन थे उनको हमने निकाल दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर वहाँ जो ईमानवाले थे, उन्हें हमने निकाल लिया;

فَمَا وَجَدْنَا فِيهَا غَيْرَ بَيْتٍۢ مِّنَ ٱلْمُسْلِمِينَ ﴿٣٦﴾

और वहाँ तो हमने एक के सिवा मुसलमानों का कोई घर पाया भी नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु हमने वहाँ एक घर के अतिरिक्त मुसलमानों (आज्ञाकारियों) का और कोई घर न पाया

وَتَرَكْنَا فِيهَآ ءَايَةًۭ لِّلَّذِينَ يَخَافُونَ ٱلْعَذَابَ ٱلْأَلِيمَ ﴿٣٧﴾

और जो लोग दर्दनाक अज़ाब से डरते हैं उनके लिए वहाँ (इबरत की) निशानी छोड़ दी और मूसा (के हाल) में भी (निशानी है)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसके पश्चात हमने वहाँ उन लोगों के लिए एक निशानी छोड़ दी, जो दुखद यातना से डरते है

وَفِى مُوسَىٰٓ إِذْ أَرْسَلْنَٰهُ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ بِسُلْطَٰنٍۢ مُّبِينٍۢ ﴿٣٨﴾

जब हमने उनको फिरऔन के पास खुला हुआ मौजिज़ा देकर भेजा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मूसा के वृतान्त में भी (निशानी है) जब हमने फ़िरऔन के पास के स्पष्ट प्रमाण के साथ भेजा,

فَتَوَلَّىٰ بِرُكْنِهِۦ وَقَالَ سَٰحِرٌ أَوْ مَجْنُونٌۭ ﴿٣٩﴾

तो उसने अपने लशकर के बिरते पर मुँह मोड़ लिया और कहने लगा ये तो (अच्छा ख़ासा) जादूगर या सौदाई है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु उसने अपनी शक्ति के कारण मुँह फेर लिया और कहा, \"जादूगर है या दीवाना।\"

فَأَخَذْنَٰهُ وَجُنُودَهُۥ فَنَبَذْنَٰهُمْ فِى ٱلْيَمِّ وَهُوَ مُلِيمٌۭ ﴿٤٠﴾

तो हमने उसको और उसके लशकर को ले डाला फिर उन सबको दरिया में पटक दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अन्ततः हमने उसे और उसकी सेनाओं को पकड़ लिया और उन्हें गहरे पानी में फेंक दिया, इस दशा में कि वह निन्दनीय था

وَفِى عَادٍ إِذْ أَرْسَلْنَا عَلَيْهِمُ ٱلرِّيحَ ٱلْعَقِيمَ ﴿٤١﴾

और वह तो क़ाबिले मलामत काम करता ही था और आद की क़ौम (के हाल) में भी निशानी है हमने उन पर एक बे बरकत ऑंधी चलायी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और आद में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि हमने उनपर अशुभ वायु चला दी

مَا تَذَرُ مِن شَىْءٍ أَتَتْ عَلَيْهِ إِلَّا جَعَلَتْهُ كَٱلرَّمِيمِ ﴿٤٢﴾

कि जिस चीज़ पर चलती उसको बोसीदा हडडी की तरह रेज़ा रेज़ा किए बग़ैर न छोड़ती

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह जिस चीज़ पर से गुज़री उसे उसने जीर्ण-शीर्ण करके रख दिया

وَفِى ثَمُودَ إِذْ قِيلَ لَهُمْ تَمَتَّعُوا۟ حَتَّىٰ حِينٍۢ ﴿٤٣﴾

और समूद (के हाल) में भी (क़ुदरत की निशानी) है जब उससे कहा गया कि एक ख़ास वक्त तक ख़ूब चैन कर लो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और समुद्र में भी (तुम्हारे लिए निशानी है) जबकि उनसे कहा गया, \"एक समय तक मज़े कर लो!\"

فَعَتَوْا۟ عَنْ أَمْرِ رَبِّهِمْ فَأَخَذَتْهُمُ ٱلصَّٰعِقَةُ وَهُمْ يَنظُرُونَ ﴿٤٤﴾

तो उन्होने अपने परवरदिगार के हुक्म से सरकशी की तो उन्हें एक रोज़ कड़क और बिजली ने ले डाला और देखते ही रह गए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु उन्होंने अपने रब के आदेश की अवहेलना की; फिर कड़क ने उन्हें आ लिया और वे देखते रहे

فَمَا ٱسْتَطَٰعُوا۟ مِن قِيَامٍۢ وَمَا كَانُوا۟ مُنتَصِرِينَ ﴿٤٥﴾

फिर न वह उठने की ताक़त रखते थे और न बदला ही ले सकते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर वे न खड़े ही हो सके और न अपना बचाव ही कर सके

وَقَوْمَ نُوحٍۢ مِّن قَبْلُ ۖ إِنَّهُمْ كَانُوا۟ قَوْمًۭا فَٰسِقِينَ ﴿٤٦﴾

और (उनसे) पहले (हम) नूह की क़ौम को (हलाक कर चुके थे) बेशक वह बदकार लोग थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और इससे पहले नूह की क़ौम को भी पकड़ा। निश्चय ही वे अवज्ञाकारी लोग थे

وَٱلسَّمَآءَ بَنَيْنَٰهَا بِأَيْي۟دٍۢ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ ﴿٤٧﴾

और हमने आसमानों को अपने बल बूते से बनाया और बेशक हममें सब क़ुदरत है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

आकाश को हमने अपने हाथ के बल से बनाया और हम बड़ी समाई रखनेवाले है

وَٱلْأَرْضَ فَرَشْنَٰهَا فَنِعْمَ ٱلْمَٰهِدُونَ ﴿٤٨﴾

और ज़मीन को भी हम ही ने बिछाया तो हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और धरती को हमने बिछाया, तो हम क्या ही ख़ूब बिछानेवाले है

وَمِن كُلِّ شَىْءٍ خَلَقْنَا زَوْجَيْنِ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُونَ ﴿٤٩﴾

और हम ही ने हर चीज़ की दो दो क़िस्में बनायीं ताकि तुम लोग नसीहत हासिल करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने हर चीज़ के जोड़े बनाए, ताकि तुम ध्यान दो

فَفِرُّوٓا۟ إِلَى ٱللَّهِ ۖ إِنِّى لَكُم مِّنْهُ نَذِيرٌۭ مُّبِينٌۭ ﴿٥٠﴾

तो ख़ुदा ही की तरफ़ भागो मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः अल्लाह की ओर दौड़ो। मैं उसकी ओर से तुम्हारे लिए एक प्रत्यक्ष सावधान करनेवाला हूँ

وَلَا تَجْعَلُوا۟ مَعَ ٱللَّهِ إِلَٰهًا ءَاخَرَ ۖ إِنِّى لَكُم مِّنْهُ نَذِيرٌۭ مُّبِينٌۭ ﴿٥١﴾

और ख़ुदा के साथ दूसरा माबूद न बनाओ मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और अल्लाह के साथ कोई दूसरा पूज्य-प्रभु न ठहराओ। मैं उसकी ओर से तुम्हारे लिए एक प्रत्यक्ष सावधान करनेवाला हूँ

كَذَٰلِكَ مَآ أَتَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا قَالُوا۟ سَاحِرٌ أَوْ مَجْنُونٌ ﴿٥٢﴾

इसी तरह उनसे पहले लोगों के पास जो पैग़म्बर आता तो वह उसको जादूगर कहते या सिड़ी दीवाना (बताते)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसी तरह उन लोगों के पास भी, जो उनसे पहले गुज़र चुके है, जो भी रसूल आया तो उन्होंने बस यही कहा, \"जादूगर है या दीवाना!\"

أَتَوَاصَوْا۟ بِهِۦ ۚ بَلْ هُمْ قَوْمٌۭ طَاغُونَ ﴿٥٣﴾

ये लोग एक दूसरे को ऐसी बात की वसीयत करते आते हैं (नहीं) बल्कि ये लोग हैं ही सरकश

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या उन्होंने एक-दूसरे को इसकी वसीयत कर रखी है? नहीं, बल्कि वे है ही सरकश लोग

فَتَوَلَّ عَنْهُمْ فَمَآ أَنتَ بِمَلُومٍۢ ﴿٥٤﴾

तो (ऐ रसूल) तुम इनसे मुँह फेर लो तुम पर तो कुछ इल्ज़ाम नहीं है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः उनसे मुँह फेर लो अब तुमपर कोई मलामत नहीं

وَذَكِّرْ فَإِنَّ ٱلذِّكْرَىٰ تَنفَعُ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿٥٥﴾

और नसीहत किए जाओ क्योंकि नसीहत मोमिनीन को फायदा देती है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और याद दिलाते रहो, क्योंकि याद दिलाना ईमानवालों को लाभ पहुँचाता है

وَمَا خَلَقْتُ ٱلْجِنَّ وَٱلْإِنسَ إِلَّا لِيَعْبُدُونِ ﴿٥٦﴾

और मैने जिनों और आदमियों को इसी ग़रज़ से पैदा किया कि वह मेरी इबादत करें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैंने तो जिन्नों और मनुष्यों को केवल इसलिए पैदा किया है कि वे मेरी बन्दगी करे

مَآ أُرِيدُ مِنْهُم مِّن رِّزْقٍۢ وَمَآ أُرِيدُ أَن يُطْعِمُونِ ﴿٥٧﴾

न तो मैं उनसे रोज़ी का तालिब हूँ और न ये चाहता हूँ कि मुझे खाना खिलाएँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैं उनसे कोई रोज़ी नहीं चाहता और न यह चाहता हूँ कि वे मुझे खिलाएँ

إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلرَّزَّاقُ ذُو ٱلْقُوَّةِ ٱلْمَتِينُ ﴿٥٨﴾

ख़ुदा ख़ुद बड़ा रोज़ी देने वाला ज़ोरावर (और) ज़बरदस्त है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही अल्लाह ही है रोज़ी देनेवाला, शक्तिशाली, दृढ़

فَإِنَّ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ ذَنُوبًۭا مِّثْلَ ذَنُوبِ أَصْحَٰبِهِمْ فَلَا يَسْتَعْجِلُونِ ﴿٥٩﴾

तो (इन) ज़ालिमों के वास्ते भी अज़ाब का कुछ हिस्सा है जिस तरह उनके साथियों के लिए हिस्सा था तो इनको हम से जल्दी न करनी चाहिए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः जिन लोगों ने ज़ुल्म किया है उनके लिए एक नियत पैमाना है; जैसा उनके साथियों का नियत पैमाना था। अतः वे मुझसे जल्दी न मचाएँ!

فَوَيْلٌۭ لِّلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِن يَوْمِهِمُ ٱلَّذِى يُوعَدُونَ ﴿٦٠﴾

तो जिस दिन का इन काफ़िरों से वायदा किया जाता है इससे इनके लिए ख़राबी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः इनकार करनेवालों के लिए बड़ी खराबी है, उनके उस दिन के कारण जिसकी उन्हें धमकी दी जा रही है