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Surah The Beneficient [Al-Rahman] in Hindi
عَلَّمَهُ ٱلْبَيَانَ ﴿٤﴾
उसी ने उनको (अपना मतलब) बयान करना सिखाया
उसे बोलना सिखाया;
ٱلشَّمْسُ وَٱلْقَمَرُ بِحُسْبَانٍۢ ﴿٥﴾
सूरज और चाँद एक मुक़र्रर हिसाब से चल रहे हैं
सूर्य और चन्द्रमा एक हिसाब के पाबन्द है;
وَٱلنَّجْمُ وَٱلشَّجَرُ يَسْجُدَانِ ﴿٦﴾
और बूटियाँ बेलें, और दरख्त (उसी को) सजदा करते हैं
और तारे और वृक्ष सजदा करते है;
وَٱلسَّمَآءَ رَفَعَهَا وَوَضَعَ ٱلْمِيزَانَ ﴿٧﴾
और उसी ने आसमान बुलन्द किया और तराजू (इन्साफ) को क़ायम किया
उसने आकाश को ऊँचा किया और संतुलन स्थापित किया -
أَلَّا تَطْغَوْا۟ فِى ٱلْمِيزَانِ ﴿٨﴾
ताकि तुम लोग तराज़ू (से तौलने) में हद से तजाउज़ न करो
कि तुम भी तुला में सीमा का उल्लंघन न करो
وَأَقِيمُوا۟ ٱلْوَزْنَ بِٱلْقِسْطِ وَلَا تُخْسِرُوا۟ ٱلْمِيزَانَ ﴿٩﴾
और ईन्साफ के साथ ठीक तौलो और तौल कम न करो
न्याय के साथ ठीक-ठीक तौलो और तौल में कमी न करो। -
وَٱلْأَرْضَ وَضَعَهَا لِلْأَنَامِ ﴿١٠﴾
और उसी ने लोगों के नफे क़े लिए ज़मीन बनायी
और धरती को उसने सृष्टल प्राणियों के लिए बनाया;
فِيهَا فَٰكِهَةٌۭ وَٱلنَّخْلُ ذَاتُ ٱلْأَكْمَامِ ﴿١١﴾
कि उसमें मेवे और खजूर के दरख्त हैं जिसके ख़ोशों में ग़िलाफ़ होते हैं
उसमें स्वादिष्ट फल है और खजूर के वृक्ष है, जिनके फल आवरणों में लिपटे हुए है,
وَٱلْحَبُّ ذُو ٱلْعَصْفِ وَٱلرَّيْحَانُ ﴿١٢﴾
और अनाज जिसके साथ भुस होता है और ख़ुशबूदार फूल
और भुसवाले अनाज भी और सुगंधित बेल-बूटा भी
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿١٣﴾
तो (ऐ गिरोह जिन व इन्स) तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमतों को न मानोगे
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
خَلَقَ ٱلْإِنسَٰنَ مِن صَلْصَٰلٍۢ كَٱلْفَخَّارِ ﴿١٤﴾
उसी ने इन्सान को ठीकरे की तरह खन खनाती हुई मिटटी से पैदा किया
उसने मनुष्य को ठीकरी जैसी खनखनाती हुए मिट्टी से पैदा किया;
وَخَلَقَ ٱلْجَآنَّ مِن مَّارِجٍۢ مِّن نَّارٍۢ ﴿١٥﴾
और उसी ने जिन्नात को आग के शोले से पैदा किया
और जिन्न को उसने आग की लपट से पैदा किया
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿١٦﴾
तो (ऐ गिरोह जिन व इन्स) तुम अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमतों से मुकरोगे
फिर तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
رَبُّ ٱلْمَشْرِقَيْنِ وَرَبُّ ٱلْمَغْرِبَيْنِ ﴿١٧﴾
वही जाड़े गर्मी के दोनों मशरिकों का मालिक है और दोनों मग़रिबों का (भी) मालिक है
वह दो पूर्व का रब है और दो पश्चिम का रब भी।
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿١٨﴾
तो (ऐ जिनों) और (आदमियों) तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे
फिर तुम दोनों अपने रब की महानताओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
مَرَجَ ٱلْبَحْرَيْنِ يَلْتَقِيَانِ ﴿١٩﴾
उसी ने दरिया बहाए जो बाहम मिल जाते हैं
उसने दो समुद्रो को प्रवाहित कर दिया, जो आपस में मिल रहे होते है।
بَيْنَهُمَا بَرْزَخٌۭ لَّا يَبْغِيَانِ ﴿٢٠﴾
दो के दरमियान एक हद्दे फ़ासिल (आड़) है जिससे तजाउज़ नहीं कर सकते
उन दोनों के बीच एक परदा बाधक होता है, जिसका वे अतिक्रमण नहीं करते
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٢١﴾
तो (ऐ जिन व इन्स) तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे
तो तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يَخْرُجُ مِنْهُمَا ٱللُّؤْلُؤُ وَٱلْمَرْجَانُ ﴿٢٢﴾
इन दोनों दरियाओं से मोती और मूँगे निकलते हैं
उन (समुद्रों) से मोती और मूँगा निकलता है।
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٢٣﴾
(तो जिन व इन्स) तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमत को न मानोगे
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
وَلَهُ ٱلْجَوَارِ ٱلْمُنشَـَٔاتُ فِى ٱلْبَحْرِ كَٱلْأَعْلَٰمِ ﴿٢٤﴾
और जहाज़ जो दरिया में पहाड़ों की तरह ऊँचे खड़े रहते हैं उसी के हैं
उसी के बस में है समुद्र में पहाड़ो की तरह उठे हुए जहाज़
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٢٥﴾
तो (ऐ जिन व इन्स) तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओग?
كُلُّ مَنْ عَلَيْهَا فَانٍۢ ﴿٢٦﴾
जो (मख़लूक) ज़मीन पर है सब फ़ना होने वाली है
प्रत्येक जो भी इस (धरती) पर है, नाशवान है
وَيَبْقَىٰ وَجْهُ رَبِّكَ ذُو ٱلْجَلَٰلِ وَٱلْإِكْرَامِ ﴿٢٧﴾
और सिर्फ तुम्हारे परवरदिगार की ज़ात जो अज़मत और करामत वाली है बाक़ी रहेगी
किन्तु तुम्हारे रब का प्रतापवान और उदार स्वरूप शेष रहनेवाला है
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٢٨﴾
तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगं?
يَسْـَٔلُهُۥ مَن فِى ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ۚ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِى شَأْنٍۢ ﴿٢٩﴾
और जितने लोग सारे आसमान व ज़मीन में हैं (सब) उसी से माँगते हैं वह हर रोज़ (हर वक्त) मख़लूक के एक न एक काम में है
आकाशों और धरती में जो भी है उसी से माँगता है। उसकी नित्य नई शान है
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٣٠﴾
तो तुम दोनों अपने सरपरस्त की कौन कौन सी नेअमत से मुकरोगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
سَنَفْرُغُ لَكُمْ أَيُّهَ ٱلثَّقَلَانِ ﴿٣١﴾
(ऐ दोनों गिरोहों) हम अनक़रीब ही तुम्हारी तरफ मुतावज्जे होंगे
ऐ दोनों बोझों! शीघ्र ही हम तुम्हारे लिए निवृत हुए जाते है
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٣٢﴾
तो तुम दोनों अपने पालने वाले की किस किस नेअमत को न मानोगे
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
يَٰمَعْشَرَ ٱلْجِنِّ وَٱلْإِنسِ إِنِ ٱسْتَطَعْتُمْ أَن تَنفُذُوا۟ مِنْ أَقْطَارِ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ فَٱنفُذُوا۟ ۚ لَا تَنفُذُونَ إِلَّا بِسُلْطَٰنٍۢ ﴿٣٣﴾
ऐ गिरोह जिन व इन्स अगर तुममें क़ुदरत है कि आसमानों और ज़मीन के किनारों से (होकर कहीं) निकल (कर मौत या अज़ाब से भाग) सको तो निकल जाओ (मगर) तुम तो बग़ैर क़ूवत और ग़लबे के निकल ही नहीं सकते (हालॉ कि तुममें न क़ूवत है और न ही ग़लबा)
ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! यदि तुममें हो सके कि आकाशों और धरती की सीमाओं को पार कर सको, तो पार कर जाओ; तुम कदापि पार नहीं कर सकते बिना अधिकार-शक्ति के
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٣٤﴾
तो तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يُرْسَلُ عَلَيْكُمَا شُوَاظٌۭ مِّن نَّارٍۢ وَنُحَاسٌۭ فَلَا تَنتَصِرَانِ ﴿٣٥﴾
(गुनाहगार जिनों और आदमियों जहन्नुम में) तुम दोनो पर आग का सब्ज़ शोला और सियाह धुऑं छोड़ दिया जाएगा तो तुम दोनों (किस तरह) रोक नहीं सकोगे
अतः तुम दोनों पर अग्नि-ज्वाला और धुएँवाला अंगारा (पिघला ताँबा) छोड़ दिया जाएगा, फिर तुम मुक़ाबला न कर सकोगे।
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٣٦﴾
फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فَإِذَا ٱنشَقَّتِ ٱلسَّمَآءُ فَكَانَتْ وَرْدَةًۭ كَٱلدِّهَانِ ﴿٣٧﴾
फिर जब आसमान फट कर (क़यामत में) तेल की तरह लाल हो जाऐगा
फिर जब आकाश फट जाएगा और लाल चमड़े की तरह लाल हो जाएगा।
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٣٨﴾
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे
- अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فَيَوْمَئِذٍۢ لَّا يُسْـَٔلُ عَن ذَنۢبِهِۦٓ إِنسٌۭ وَلَا جَآنٌّۭ ﴿٣٩﴾
तो उस दिन न तो किसी इन्सान से उसके गुनाह के बारे में पूछा जाएगा न किसी जिन से
फिर उस दिन न किसी मनुष्य से उसके गुनाह के विषय में पूछा जाएगा न किसी जिन्न से
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٤٠﴾
तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत को न मानोगे
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
يُعْرَفُ ٱلْمُجْرِمُونَ بِسِيمَٰهُمْ فَيُؤْخَذُ بِٱلنَّوَٰصِى وَٱلْأَقْدَامِ ﴿٤١﴾
गुनाहगार लोग तो अपने चेहरों ही से पहचान लिए जाएँगे तो पेशानी के पटटे और पाँव पकड़े (जहन्नुम में डाल दिये जाएँगे)
अपराधी अपने चहरों से पहचान लिए जाएँगे और उनके माथे के बालों और टाँगों द्वारा पकड़ लिया जाएगा
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٤٢﴾
आख़िर तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे
अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
هَٰذِهِۦ جَهَنَّمُ ٱلَّتِى يُكَذِّبُ بِهَا ٱلْمُجْرِمُونَ ﴿٤٣﴾
(फिर उनसे कहा जाएगा) यही वह जहन्नुम है जिसे गुनाहगार लोग झुठलाया करते थे
यही वह जहन्नम है जिसे अपराधी लोग झूठ ठहराते रहे है
يَطُوفُونَ بَيْنَهَا وَبَيْنَ حَمِيمٍ ءَانٍۢ ﴿٤٤﴾
ये लोग दोज़ख़ और हद दरजा खौलते हुए पानी के दरमियान (बेक़रार दौड़ते) चक्कर लगाते फिरेंगे
वे उनके और खौलते हुए पानी के बीच चक्कर लगा रहें होंगे
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٤٥﴾
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को न मानोगे
फिर तुम दोनों अपने रब के सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?
وَلِمَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِۦ جَنَّتَانِ ﴿٤٦﴾
और जो शख्स अपने परवरदिगार के सामने खड़े होने से डरता रहा उसके लिए दो दो बाग़ हैं
किन्तु जो अपने रब के सामने खड़े होने का डर रखता होगा, उसके लिए दो बाग़ है। -
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٤٧﴾
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमत से इन्कार करोगे
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
ذَوَاتَآ أَفْنَانٍۢ ﴿٤٨﴾
दोनों बाग़ (दरख्तों की) टहनियों से हरे भरे (मेवों से लदे) हुए
घनी डालियोंवाले;
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٤٩﴾
फिर दोनों अपने सरपरस्त की किस किस नेअमतों को झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब के उपकारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا عَيْنَانِ تَجْرِيَانِ ﴿٥٠﴾
इन दोनों में दो चश्में जारी होंगें
उन दोनो (बाग़ो) में दो प्रवाहित स्रोत है।
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٥١﴾
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا مِن كُلِّ فَٰكِهَةٍۢ زَوْجَانِ ﴿٥٢﴾
इन दोनों बाग़ों में सब मेवे दो दो किस्म के होंगे
उन दोनों (बाग़ो) मे हर स्वादिष्ट फल की दो-दो किस्में हैं;
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٥٣﴾
तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे
अतः तुम दोनो रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
مُتَّكِـِٔينَ عَلَىٰ فُرُشٍۭ بَطَآئِنُهَا مِنْ إِسْتَبْرَقٍۢ ۚ وَجَنَى ٱلْجَنَّتَيْنِ دَانٍۢ ﴿٥٤﴾
यह लोग उन फ़र्शों पर जिनके असतर अतलस के होंगे तकिये लगाकर बैठे होंगे तो दोनों बाग़ों के मेवे (इस क़दर) क़रीब होंगे (कि अगर चाहे तो लगे हुए खालें)
वे ऐसे बिछौनो पर तकिया लगाए हुए होंगे जिनके अस्तर गाढे रेशम के होंगे, और दोनों बाग़ो के फल झुके हुए निकट ही होंगे।
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٥٥﴾
तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत को न मानोगे
अतः तुम अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِنَّ قَٰصِرَٰتُ ٱلطَّرْفِ لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنسٌۭ قَبْلَهُمْ وَلَا جَآنٌّۭ ﴿٥٦﴾
इसमें (पाक दामन ग़ैर की तरफ ऑंख उठा कर न देखने वाली औरतें होंगी जिनको उन से पहले न किसी इन्सान ने हाथ लगाया होगा) और जिन ने
उन (अनुकम्पाओं) में निगाह बचाए रखनेवाली (सुन्दर) स्त्रियाँ होंगी, जिन्हें उनसे पहले न किसी मनुष्य ने हाथ लगाया और न किसी जिन्न ने
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٥٧﴾
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किन किन नेअमतों को झुठलाओगे
फिर तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
كَأَنَّهُنَّ ٱلْيَاقُوتُ وَٱلْمَرْجَانُ ﴿٥٨﴾
(ऐसी हसीन) गोया वह (मुजस्सिम) याक़ूत व मूँगे हैं
मानो वे लाल (याकूत) और प्रवाल (मूँगा) है।
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٥٩﴾
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किन किन नेअमतों से मुकरोगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
هَلْ جَزَآءُ ٱلْإِحْسَٰنِ إِلَّا ٱلْإِحْسَٰنُ ﴿٦٠﴾
भला नेकी का बदला नेकी के सिवा कुछ और भी है
अच्छाई का बदला अच्छाई के सिवा और क्या हो सकता है?
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦١﴾
फिर तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत को झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
وَمِن دُونِهِمَا جَنَّتَانِ ﴿٦٢﴾
उन दोनों बाग़ों के अलावा दो बाग़ और हैं
उन दोनों से हटकर दो और बाग़ है।
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦٣﴾
तो तुम दोनों अपने पालने वाले की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे
फिर तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦٥﴾
तो तुम दोनों अपने सरपरस्त की किन किन नेअमतों को न मानोगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا عَيْنَانِ نَضَّاخَتَانِ ﴿٦٦﴾
उन दोनों बाग़ों में दो चश्में जोश मारते होंगे
उन दोनों (बाग़ो) में दो स्रोत है जोश मारते हुए
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦٧﴾
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِمَا فَٰكِهَةٌۭ وَنَخْلٌۭ وَرُمَّانٌۭ ﴿٦٨﴾
उन दोनों में मेवें हैं खुरमें और अनार
उनमें है स्वादिष्ट फल और खजूर और अनार;
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦٩﴾
तो तुम दोनों अपने मालिक की किन किन नेअमतों को झुठलाओगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
فِيهِنَّ خَيْرَٰتٌ حِسَانٌۭ ﴿٧٠﴾
उन बाग़ों में ख़ुश ख़ुल्क और ख़ूबसूरत औरतें होंगी
उनमें भली और सुन्दर स्त्रियाँ होंगी।
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٧١﴾
तो तुम दोनों अपने मालिक की किन किन नेअमतों को झुठलाओगे
तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
حُورٌۭ مَّقْصُورَٰتٌۭ فِى ٱلْخِيَامِ ﴿٧٢﴾
वह हूरें हैं जो ख़ेमों में छुपी बैठी हैं
हूरें (परम रूपवती स्त्रियाँ) ख़ेमों में रहनेवाली;
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٧٣﴾
फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमत से इन्कार करोगे
अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?
لَمْ يَطْمِثْهُنَّ إِنسٌۭ قَبْلَهُمْ وَلَا جَآنٌّۭ ﴿٧٤﴾
उनसे पहले उनको किसी इन्सान ने उनको छुआ तक नहीं और न जिन ने
जिन्हें उससे पहले न किसी मनुष्य ने हाथ लगाया होगा और न किसी जिन्न ने।
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٧٥﴾
फिर तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत से मुकरोगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
مُتَّكِـِٔينَ عَلَىٰ رَفْرَفٍ خُضْرٍۢ وَعَبْقَرِىٍّ حِسَانٍۢ ﴿٧٦﴾
ये लोग सब्ज़ कालीनों और नफीस व हसीन मसनदों पर तकिए लगाए (बैठे) होंगे
वे हरे रेशमी गद्दो और उत्कृष्ट् और असाधारण क़ालीनों पर तकिया लगाए होंगे;
فَبِأَىِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٧٧﴾
फिर तुम अपने परवरदिगार की किन किन नेअमतों से इन्कार करोगे
अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?
تَبَٰرَكَ ٱسْمُ رَبِّكَ ذِى ٱلْجَلَٰلِ وَٱلْإِكْرَامِ ﴿٧٨﴾
(ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार जो साहिबे जलाल व करामत है उसी का नाम बड़ा बाबरकत है
बड़ा ही बरकतवाला नाम है तुम्हारे प्रतापवान और उदार रब का