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Surah The Event, The Inevitable [Al-Waqia] in Hindi

Surah The Event, The Inevitable [Al-Waqia] Ayah 96 Location Maccah Number 56

إِذَا وَقَعَتِ ٱلْوَاقِعَةُ ﴿١﴾

जब क़यामत बरपा होगी और उसके वाक़िया होने में ज़रा झूट नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जब घटित होनेवाली (घड़ी) घटित हो जाएगी;

لَيْسَ لِوَقْعَتِهَا كَاذِبَةٌ ﴿٢﴾

(उस वक्त लोगों में फ़र्क ज़ाहिर होगा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसके घटित होने में कुछ भी झुठ नहीं;

خَافِضَةٌۭ رَّافِعَةٌ ﴿٣﴾

कि किसी को पस्त करेगी किसी को बुलन्द

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

पस्त करनेवाली होगी, ऊँचा करनेवाली थी;

إِذَا رُجَّتِ ٱلْأَرْضُ رَجًّۭا ﴿٤﴾

जब ज़मीन बड़े ज़ोरों में हिलने लगेगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जब धरती थरथराकर काँप उठेगी;

وَبُسَّتِ ٱلْجِبَالُ بَسًّۭا ﴿٥﴾

और पहाड़ (टकरा कर) बिल्कुल चूर चूर हो जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और पहाड़ टूटकर चूर्ण-विचुर्ण हो जाएँगे

فَكَانَتْ هَبَآءًۭ مُّنۢبَثًّۭا ﴿٦﴾

फिर ज़र्रे बन कर उड़ने लगेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि वे बिखरे हुए धूल होकर रह जाएँगे

وَكُنتُمْ أَزْوَٰجًۭا ثَلَٰثَةًۭ ﴿٧﴾

और तुम लोग तीन किस्म हो जाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और तुम लोग तीन प्रकार के हो जाओगे -

فَأَصْحَٰبُ ٱلْمَيْمَنَةِ مَآ أَصْحَٰبُ ٱلْمَيْمَنَةِ ﴿٨﴾

तो दाहिने हाथ (में आमाल नामा लेने) वाले (वाह) दाहिने हाथ वाले क्या (चैन में) हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो दाहिने हाथ वाले (सौभाग्यशाली), कैसे होंगे दाहिने हाथ वाले!

وَأَصْحَٰبُ ٱلْمَشْـَٔمَةِ مَآ أَصْحَٰبُ ٱلْمَشْـَٔمَةِ ﴿٩﴾

और बाएं हाथ (में आमाल नामा लेने) वाले (अफ़सोस) बाएं हाथ वाले क्या (मुसीबत में) हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और बाएँ हाथ वाले (दुर्भाग्यशाली), कैसे होंगे बाएँ हाथ वाले!

وَٱلسَّٰبِقُونَ ٱلسَّٰبِقُونَ ﴿١٠﴾

और जो आगे बढ़ जाने वाले हैं (वाह क्या कहना) वह आगे ही बढ़ने वाले थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और आगे बढ़ जानेवाले तो आगे बढ़ जानेवाले ही है

أُو۟لَٰٓئِكَ ٱلْمُقَرَّبُونَ ﴿١١﴾

यही लोग (ख़ुदा के) मुक़र्रिब हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वही (अल्लाह के) निकटवर्ती है;

فِى جَنَّٰتِ ٱلنَّعِيمِ ﴿١٢﴾

आराम व आसाइश के बाग़ों में बहुत से

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

नेमत भरी जन्नतों में होंगे;

ثُلَّةٌۭ مِّنَ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿١٣﴾

तो अगले लोगों में से होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अगलों में से तो बहुत-से होंगे,

وَقَلِيلٌۭ مِّنَ ٱلْءَاخِرِينَ ﴿١٤﴾

और कुछ थोडे से पिछले लोगों में से मोती

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु पिछलों में से कम ही

عَلَىٰ سُرُرٍۢ مَّوْضُونَةٍۢ ﴿١٥﴾

और याक़ूत से जड़े हुए सोने के तारों से बने हुए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जड़ित तख़्तो पर;

مُّتَّكِـِٔينَ عَلَيْهَا مُتَقَٰبِلِينَ ﴿١٦﴾

तख्ते पर एक दूसरे के सामने तकिए लगाए (बैठे) होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तकिया लगाए आमने-सामने होंगे;

يَطُوفُ عَلَيْهِمْ وِلْدَٰنٌۭ مُّخَلَّدُونَ ﴿١٧﴾

नौजवान लड़के जो (बेहिश्त में) हमेशा (लड़के ही बने) रहेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उनके पास किशोर होंगे जो सदैव किशोरावस्था ही में रहेंगे,

بِأَكْوَابٍۢ وَأَبَارِيقَ وَكَأْسٍۢ مِّن مَّعِينٍۢ ﴿١٨﴾

(शरबत वग़ैरह के) सागर और चमकदार टोंटीदार कंटर और शफ्फ़ाफ़ शराब के जाम लिए हुए उनके पास चक्कर लगाते होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

प्याले और आफ़ताबे (जग) और विशुद्ध पेय से भरा हुआ पात्र लिए फिर रहे होंगे

لَّا يُصَدَّعُونَ عَنْهَا وَلَا يُنزِفُونَ ﴿١٩﴾

जिसके (पीने) से न तो उनको (ख़ुमार से) दर्दसर होगा और न वह बदहवास मदहोश होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

- जिस (के पीने) से न तो उन्हें सिर दर्द होगा और न उनकी बुद्धि में विकार आएगा

وَفَٰكِهَةٍۢ مِّمَّا يَتَخَيَّرُونَ ﴿٢٠﴾

और जिस क़िस्म के मेवे पसन्द करें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और स्वादिष्ट॥ फल जो वे पसन्द करें;

وَلَحْمِ طَيْرٍۢ مِّمَّا يَشْتَهُونَ ﴿٢١﴾

और जिस क़िस्म के परिन्दे का गोश्त उनका जी चाहे (सब मौजूद है)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और पक्षी का मांस जो वे चाह;

وَحُورٌ عِينٌۭ ﴿٢٢﴾

और बड़ी बड़ी ऑंखों वाली हूरें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और बड़ी आँखोंवाली हूरें,

كَأَمْثَٰلِ ٱللُّؤْلُؤِ ٱلْمَكْنُونِ ﴿٢٣﴾

जैसे एहतेयात से रखे हुए मोती

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मानो छिपाए हुए मोती हो

جَزَآءًۢ بِمَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ ﴿٢٤﴾

ये बदला है उनके (नेक) आमाल का

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह सब उसके बदले में उन्हें प्राप्त होगा जो कुछ वे करते रहे

لَا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًۭا وَلَا تَأْثِيمًا ﴿٢٥﴾

वहाँ न तो बेहूदा बात सुनेंगे और न गुनाह की बात

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसमें वे न कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न गुनाह की बात;

إِلَّا قِيلًۭا سَلَٰمًۭا سَلَٰمًۭا ﴿٢٦﴾

(फहश) बस उनका कलाम सलाम ही सलाम होगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सिवाय इस बात के कि \"सलाम हो, सलाम हो!\"

وَأَصْحَٰبُ ٱلْيَمِينِ مَآ أَصْحَٰبُ ٱلْيَمِينِ ﴿٢٧﴾

और दाहिने हाथ वाले (वाह) दाहिने हाथ वालों का क्या कहना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

रहे सौभाग्यशाली लोग, तो सौभाग्यशालियों का क्या कहना!

فِى سِدْرٍۢ مَّخْضُودٍۢ ﴿٢٨﴾

बे काँटे की बेरो और लदे गुथे हुए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे वहाँ होंगे जहाँ बिन काँटों के बेर होंगे;

وَطَلْحٍۢ مَّنضُودٍۢ ﴿٢٩﴾

केलों और लम्बी लम्बी छाँव

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और गुच्छेदार केले;

وَظِلٍّۢ مَّمْدُودٍۢ ﴿٣٠﴾

और झरनो के पानी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

दूर तक फैली हुई छाँव;

وَمَآءٍۢ مَّسْكُوبٍۢ ﴿٣١﴾

और अनारों

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बहता हुआ पानी;

وَفَٰكِهَةٍۢ كَثِيرَةٍۢ ﴿٣٢﴾

मेवो में होंगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बहुत-सा स्वादिष्ट; फल,

لَّا مَقْطُوعَةٍۢ وَلَا مَمْنُوعَةٍۢ ﴿٣٣﴾

जो न कभी खत्म होंगे और न उनकी कोई रोक टोक

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिसका सिलसिला टूटनेवाला न होगा और न उसपर कोई रोक-टोक होगी

وَفُرُشٍۢ مَّرْفُوعَةٍ ﴿٣٤﴾

और ऊँचे ऊँचे (नरम गद्दो के) फ़र्शों में (मज़े करते) होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उच्चकोटि के बिछौने होंगे;

إِنَّآ أَنشَأْنَٰهُنَّ إِنشَآءًۭ ﴿٣٥﴾

(उनको) वह हूरें मिलेंगी जिसको हमने नित नया पैदा किया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

(और वहाँ उनकी पत्नियों को) निश्चय ही हमने एक विशेष उठान पर उठान पर उठाया

فَجَعَلْنَٰهُنَّ أَبْكَارًا ﴿٣٦﴾

तो हमने उन्हें कुँवारियाँ प्यारी प्यारी हमजोलियाँ बनाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने उन्हे कुँवारियाँ बनाया;

عُرُبًا أَتْرَابًۭا ﴿٣٧﴾

(ये सब सामान)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

प्रेम दर्शानेवाली और समायु;

لِّأَصْحَٰبِ ٱلْيَمِينِ ﴿٣٨﴾

दाहिने हाथ (में नामए आमाल लेने) वालों के वास्ते है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सौभाग्यशाली लोगों के लिए;

ثُلَّةٌۭ مِّنَ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿٣٩﴾

(इनमें) बहुत से तो अगले लोगों में से

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे अगलों में से भी अधिक होगे

وَثُلَّةٌۭ مِّنَ ٱلْءَاخِرِينَ ﴿٤٠﴾

और बहुत से पिछले लोगों में से

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और पिछलों में से भी अधिक होंगे

وَأَصْحَٰبُ ٱلشِّمَالِ مَآ أَصْحَٰبُ ٱلشِّمَالِ ﴿٤١﴾

और बाएं हाथ (में नामए आमाल लेने) वाले (अफसोस) बाएं हाथ वाले क्या (मुसीबत में) हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

रहे दुर्भाग्यशाली लोग, तो कैसे होंगे दुर्भाग्यशाली लोग!

فِى سَمُومٍۢ وَحَمِيمٍۢ ﴿٤٢﴾

(दोज़ख़ की) लौ और खौलते हुए पानी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

गर्म हवा और खौलते हुए पानी में होंगे;

وَظِلٍّۢ مِّن يَحْمُومٍۢ ﴿٤٣﴾

और काले सियाह धुएँ के साये में होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और काले धुएँ की छाँव में,

لَّا بَارِدٍۢ وَلَا كَرِيمٍ ﴿٤٤﴾

जो न ठन्डा और न ख़ुश आइन्द

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो न ठंडी होगी और न उत्तम और लाभप्रद

إِنَّهُمْ كَانُوا۟ قَبْلَ ذَٰلِكَ مُتْرَفِينَ ﴿٤٥﴾

ये लोग इससे पहले (दुनिया में) ख़ूब ऐश उड़ा चुके थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे इससे पहले सुख-सम्पन्न थे;

وَكَانُوا۟ يُصِرُّونَ عَلَى ٱلْحِنثِ ٱلْعَظِيمِ ﴿٤٦﴾

और बड़े गुनाह (शिर्क) पर अड़े रहते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और बड़े गुनाह पर अड़े रहते थे

وَكَانُوا۟ يَقُولُونَ أَئِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًۭا وَعِظَٰمًا أَءِنَّا لَمَبْعُوثُونَ ﴿٤٧﴾

और कहा करते थे कि भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी और हडिडयाँ (ही हडिडयाँ) रह जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहते थे, \"क्या जब हम मर जाएँगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रहे जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में उठाए जाएँगे?

أَوَءَابَآؤُنَا ٱلْأَوَّلُونَ ﴿٤٨﴾

तो क्या हमें या हमारे अगले बाप दादाओं को फिर उठना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"और क्या हमारे पहले के बाप-दादा भी?\"

قُلْ إِنَّ ٱلْأَوَّلِينَ وَٱلْءَاخِرِينَ ﴿٤٩﴾

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगले और पिछले

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कह दो, \"निश्चय ही अगले और पिछले भी

لَمَجْمُوعُونَ إِلَىٰ مِيقَٰتِ يَوْمٍۢ مَّعْلُومٍۢ ﴿٥٠﴾

सब के सब रोजे मुअय्यन की मियाद पर ज़रूर इकट्ठे किए जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

एक नियत समय पर इकट्ठे कर दिए जाएँगे, जिसका दिन ज्ञात और नियत है

ثُمَّ إِنَّكُمْ أَيُّهَا ٱلضَّآلُّونَ ٱلْمُكَذِّبُونَ ﴿٥١﴾

फिर तुमको बेशक ऐ गुमराहों झुठलाने वालों

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"फिर तुम ऐ गुमराहो, झुठलानेवालो!

لَءَاكِلُونَ مِن شَجَرٍۢ مِّن زَقُّومٍۢ ﴿٥٢﴾

यक़ीनन (जहन्नुम में) थोहड़ के दरख्तों में से खाना होगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ज़क्कूम के वृक्ष में से खाओंगे;

فَمَالِـُٔونَ مِنْهَا ٱلْبُطُونَ ﴿٥٣﴾

तो तुम लोगों को उसी से (अपना) पेट भरना होगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"और उसी से पेट भरोगे;

فَشَٰرِبُونَ عَلَيْهِ مِنَ ٱلْحَمِيمِ ﴿٥٤﴾

फिर उसके ऊपर खौलता हुआ पानी पीना होगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"और उसके ऊपर से खौलता हुआ पानी पीओगे;

فَشَٰرِبُونَ شُرْبَ ٱلْهِيمِ ﴿٥٥﴾

और पियोगे भी तो प्यासे ऊँट का सा (डग डगा के) पीना

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"और तौस लगे ऊँट की तरह पीओगे।\"

هَٰذَا نُزُلُهُمْ يَوْمَ ٱلدِّينِ ﴿٥٦﴾

क़यामत के दिन यही उनकी मेहमानी होगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह बदला दिए जाने के दिन उनका पहला सत्कार होगा

نَحْنُ خَلَقْنَٰكُمْ فَلَوْلَا تُصَدِّقُونَ ﴿٥٧﴾

तुम लोगों को (पहली बार भी) हम ही ने पैदा किया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने तुम्हें पैदा किया; फिर तुम सच क्यों नहीं मानते?

أَفَرَءَيْتُم مَّا تُمْنُونَ ﴿٥٨﴾

फिर तुम लोग (दोबार की) क्यों नहीं तस्दीक़ करते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो क्या तुमने विचार किया जो चीज़ तुम टपकाते हो?

ءَأَنتُمْ تَخْلُقُونَهُۥٓ أَمْ نَحْنُ ٱلْخَٰلِقُونَ ﴿٥٩﴾

तो जिस नुत्फे क़ो तुम (औरतों के रहम में डालते हो) क्या तुमने देख भाल लिया है क्या तुम उससे आदमी बनाते हो या हम बनाते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुम उसे आकार देते हो, या हम है आकार देनेवाले?

نَحْنُ قَدَّرْنَا بَيْنَكُمُ ٱلْمَوْتَ وَمَا نَحْنُ بِمَسْبُوقِينَ ﴿٦٠﴾

हमने तुम लोगों में मौत को मुक़र्रर कर दिया है और हम उससे आजिज़ नहीं हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने तुम्हारे बीच मृत्यु को नियत किया है और हमारे बस से यह बाहर नहीं है

عَلَىٰٓ أَن نُّبَدِّلَ أَمْثَٰلَكُمْ وَنُنشِئَكُمْ فِى مَا لَا تَعْلَمُونَ ﴿٦١﴾

कि तुम्हारे ऐसे और लोग बदल डालें और तुम लोगों को इस (सूरत) में पैदा करें जिसे तुम मुत्तलक़ नहीं जानते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि हम तुम्हारे जैसों को बदल दें और तुम्हें ऐसी हालत में उठा खड़ा करें जिसे तुम जानते नहीं

وَلَقَدْ عَلِمْتُمُ ٱلنَّشْأَةَ ٱلْأُولَىٰ فَلَوْلَا تَذَكَّرُونَ ﴿٦٢﴾

और तुमने पैहली पैदाइश तो समझ ही ली है (कि हमने की) फिर तुम ग़ौर क्यों नहीं करते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम तो पहली पैदाइश को जान चुके हो, फिर तुम ध्यान क्यों नहीं देते?

أَفَرَءَيْتُم مَّا تَحْرُثُونَ ﴿٦٣﴾

भला देखो तो कि जो कुछ तुम लोग बोते हो क्या

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर क्या तुमने देखा तो कुछ तुम खेती करते हो?

ءَأَنتُمْ تَزْرَعُونَهُۥٓ أَمْ نَحْنُ ٱلزَّٰرِعُونَ ﴿٦٤﴾

तुम लोग उसे उगाते हो या हम उगाते हैं अगर हम चाहते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या उसे तुम उगाते हो या हम उसे उगाते है?

لَوْ نَشَآءُ لَجَعَلْنَٰهُ حُطَٰمًۭا فَظَلْتُمْ تَفَكَّهُونَ ﴿٦٥﴾

तो उसे चूर चूर कर देते तो तुम बातें ही बनाते रह जाते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि हम चाहें तो उसे चूर-चूर कर दें। फिर तुम बातें बनाते रह जाओ

إِنَّا لَمُغْرَمُونَ ﴿٦٦﴾

कि (हाए) हम तो (मुफ्त) तावान में फॅसे (नहीं)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि \"हमपर उलटा डाँड पड़ गया,

بَلْ نَحْنُ مَحْرُومُونَ ﴿٦٧﴾

हम तो बदनसीब हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बल्कि हम वंचित होकर रह गए!\"

أَفَرَءَيْتُمُ ٱلْمَآءَ ٱلَّذِى تَشْرَبُونَ ﴿٦٨﴾

तो क्या तुमने पानी पर भी नज़र डाली जो (दिन रात) पीते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर क्या तुमने उस पानी को देखा जिसे तुम पीते हो?

ءَأَنتُمْ أَنزَلْتُمُوهُ مِنَ ٱلْمُزْنِ أَمْ نَحْنُ ٱلْمُنزِلُونَ ﴿٦٩﴾

क्या उसको बादल से तुमने बरसाया है या हम बरसाते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या उसे बादलों से तुमने पानी बरसाया या बरसानेवाले हम है?

لَوْ نَشَآءُ جَعَلْنَٰهُ أُجَاجًۭا فَلَوْلَا تَشْكُرُونَ ﴿٧٠﴾

अगर हम चाहें तो उसे खारी बना दें तो तुम लोग यक्र क्यों नहीं करते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि हम चाहें तो उसे अत्यन्त खारा बनाकर रख दें। फिर तुम कृतज्ञता क्यों नहीं दिखाते?

أَفَرَءَيْتُمُ ٱلنَّارَ ٱلَّتِى تُورُونَ ﴿٧١﴾

तो क्या तुमने आग पर भी ग़ौर किया जिसे तुम लोग लकड़ी से निकालते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर क्या तुमने उस आग को देखा जिसे तुम सुलगाते हो?

ءَأَنتُمْ أَنشَأْتُمْ شَجَرَتَهَآ أَمْ نَحْنُ ٱلْمُنشِـُٔونَ ﴿٧٢﴾

क्या उसके दरख्त को तुमने पैदा किया या हम पैदा करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुमने उसके वृक्ष को पैदा किया है या पैदा करनेवाले हम है?

نَحْنُ جَعَلْنَٰهَا تَذْكِرَةًۭ وَمَتَٰعًۭا لِّلْمُقْوِينَ ﴿٧٣﴾

हमने आग को (जहन्नुम की) याद देहानी और मुसाफिरों के नफे के (वास्ते पैदा किया)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने उसे एक अनुस्मृति और मरुभुमि के मुसाफ़िरों और ज़रूरतमन्दों के लिए लाभप्रद बनाया

فَسَبِّحْ بِٱسْمِ رَبِّكَ ٱلْعَظِيمِ ﴿٧٤﴾

तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम अपने महान रब के नाम की तसबीह करो

۞ فَلَآ أُقْسِمُ بِمَوَٰقِعِ ٱلنُّجُومِ ﴿٧٥﴾

तो मैं तारों के मनाज़िल की क़सम खाता हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः नहीं! मैं क़समों खाता हूँ सितारों की स्थितियों की -

وَإِنَّهُۥ لَقَسَمٌۭ لَّوْ تَعْلَمُونَ عَظِيمٌ ﴿٧٦﴾

और अगर तुम समझो तो ये बड़ी क़सम है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और यह बहुत बड़ी गवाही है, यदि तुम जानो -

إِنَّهُۥ لَقُرْءَانٌۭ كَرِيمٌۭ ﴿٧٧﴾

कि बेशक ये बड़े रूतबे का क़ुरान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही यह प्रतिष्ठित क़ुरआन है

فِى كِتَٰبٍۢ مَّكْنُونٍۢ ﴿٧٨﴾

जो किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

एक सुरक्षित किताब में अंकित है।

لَّا يَمَسُّهُۥٓ إِلَّا ٱلْمُطَهَّرُونَ ﴿٧٩﴾

इसको बस वही लोग छूते हैं जो पाक हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसे केवल पाक-साफ़ व्यक्ति ही हाथ लगाते है

تَنزِيلٌۭ مِّن رَّبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿٨٠﴾

सारे जहाँ के परवरदिगार की तरफ से (मोहम्मद पर) नाज़िल हुआ है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसका अवतरण सारे संसार के रब की ओर से है।

أَفَبِهَٰذَا ٱلْحَدِيثِ أَنتُم مُّدْهِنُونَ ﴿٨١﴾

तो क्या तुम लोग इस कलाम से इन्कार रखते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर क्या तुम उस वाणी के प्रति उपेक्षा दर्शाते हो?

وَتَجْعَلُونَ رِزْقَكُمْ أَنَّكُمْ تُكَذِّبُونَ ﴿٨٢﴾

और तुमने अपनी रोज़ी ये करार दे ली है कि (उसको) झुठलाते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और तुम इसको अपनी वृत्ति बना रहे हो कि झुठलाते हो?

فَلَوْلَآ إِذَا بَلَغَتِ ٱلْحُلْقُومَ ﴿٨٣﴾

तो क्या जब जान गले तक पहुँचती है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर ऐसा क्यों नहीं होता, जबकि प्राण कंठ को आ लगते है

وَأَنتُمْ حِينَئِذٍۢ تَنظُرُونَ ﴿٨٤﴾

और तुम उस वक्त (क़ी हालत) पड़े देखा करते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उस समय तुम देख रहे होते हो -

وَنَحْنُ أَقْرَبُ إِلَيْهِ مِنكُمْ وَلَٰكِن لَّا تُبْصِرُونَ ﴿٨٥﴾

और हम इस (मरने वाले) से तुमसे भी ज्यादा नज़दीक होते हैं लेकिन तुमको दिखाई नहीं देता

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हम तुम्हारी अपेक्षा उससे अधिक निकट होते है। किन्तु तुम देखते नहीं –

فَلَوْلَآ إِن كُنتُمْ غَيْرَ مَدِينِينَ ﴿٨٦﴾

तो अगर तुम किसी के दबाव में नहीं हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर ऐसा क्यों नहीं होता कि यदि तुम अधीन नहीं हो

تَرْجِعُونَهَآ إِن كُنتُمْ صَٰدِقِينَ ﴿٨٧﴾

तो अगर (अपने दावे में) तुम सच्चे हो तो रूह को फेर क्यों नहीं देते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो उसे (प्राण को) लौटा दो, यदि तुम सच्चे हो

فَأَمَّآ إِن كَانَ مِنَ ٱلْمُقَرَّبِينَ ﴿٨٨﴾

पस अगर वह (मरने वाला ख़ुदा के) मुक़र्रेबीन से है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर यदि वह (अल्लाह के) निकटवर्तियों में से है;

فَرَوْحٌۭ وَرَيْحَانٌۭ وَجَنَّتُ نَعِيمٍۢ ﴿٨٩﴾

तो (उस के लिए) आराम व आसाइश है और ख़ुशबूदार फूल और नेअमत के बाग़

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो (उसके लिए) आराम, सुख-सामग्री और सुगंध है, और नेमतवाला बाग़ है

وَأَمَّآ إِن كَانَ مِنْ أَصْحَٰبِ ٱلْيَمِينِ ﴿٩٠﴾

और अगर वह दाहिने हाथ वालों में से है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और यदि वह भाग्यशालियों में से है,

فَسَلَٰمٌۭ لَّكَ مِنْ أَصْحَٰبِ ٱلْيَمِينِ ﴿٩١﴾

तो (उससे कहा जाएगा कि) तुम पर दाहिने हाथ वालों की तरफ़ से सलाम हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो \"सलाम है तुम्हें कि तुम सौभाग्यशाली में से हो।\"

وَأَمَّآ إِن كَانَ مِنَ ٱلْمُكَذِّبِينَ ٱلضَّآلِّينَ ﴿٩٢﴾

और अगर झुठलाने वाले गुमराहों में से है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु यदि वह झुठलानेवालों, गुमराहों में से है;

فَنُزُلٌۭ مِّنْ حَمِيمٍۢ ﴿٩٣﴾

तो (उसकी) मेहमानी खौलता हुआ पानी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो उसका पहला सत्कार खौलते हुए पानी से होगा

وَتَصْلِيَةُ جَحِيمٍ ﴿٩٤﴾

और जहन्नुम में दाखिल कर देना

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर भड़कती हुई आग में उन्हें झोंका जाना है

إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ حَقُّ ٱلْيَقِينِ ﴿٩٥﴾

बेशक ये (ख़बर) यक़ीनन सही है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह यही विश्वसनीय सत्य है

فَسَبِّحْ بِٱسْمِ رَبِّكَ ٱلْعَظِيمِ ﴿٩٦﴾

तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम अपने महान रब की तसबीह करो