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Surah The tidings [An-Naba] in Hindi

Surah The tidings [An-Naba] Ayah 40 Location Maccah Number 78

عَمَّ يَتَسَآءَلُونَ ﴿١﴾

ये लोग आपस में किस चीज़ का हाल पूछते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किस चीज़ के विषय में वे आपस में पूछ-गच्छ कर रहे है?

عَنِ ٱلنَّبَإِ ٱلْعَظِيمِ ﴿٢﴾

एक बड़ी ख़बर का हाल

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उस बड़ी ख़बर के सम्बन्ध में,

ٱلَّذِى هُمْ فِيهِ مُخْتَلِفُونَ ﴿٣﴾

जिसमें लोग एख्तेलाफ कर रहे हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिसमें वे मतभेद रखते है

كَلَّا سَيَعْلَمُونَ ﴿٤﴾

देखो उन्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कदापि नहीं, शीघ्र ही वे जान लेंगे।

ثُمَّ كَلَّا سَيَعْلَمُونَ ﴿٥﴾

फिर इन्हें अनक़रीब ही ज़रूर मालूम हो जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर कदापि नहीं, शीघ्र ही वे जान लेंगे।

أَلَمْ نَجْعَلِ ٱلْأَرْضَ مِهَٰدًۭا ﴿٦﴾

क्या हमने ज़मीन को बिछौना

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या ऐसा नहीं है कि हमने धरती को बिछौना बनाया

وَٱلْجِبَالَ أَوْتَادًۭا ﴿٧﴾

और पहाड़ों को (ज़मीन) की मेख़े नहीं बनाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और पहाड़ों को मेख़े?

وَخَلَقْنَٰكُمْ أَزْوَٰجًۭا ﴿٨﴾

और हमने तुम लोगों को जोड़ा जोड़ा पैदा किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने तुम्हें जोड़-जोड़े पैदा किया,

وَجَعَلْنَا نَوْمَكُمْ سُبَاتًۭا ﴿٩﴾

और तुम्हारी नींद को आराम (का बाइस) क़रार दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और तुम्हारी नींद को थकन दूर करनेवाली बनाया,

وَجَعَلْنَا ٱلَّيْلَ لِبَاسًۭا ﴿١٠﴾

और रात को परदा बनाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

रात को आवरण बनाया,

وَجَعَلْنَا ٱلنَّهَارَ مَعَاشًۭا ﴿١١﴾

और हम ही ने दिन को (कसब) मआश (का वक्त) बनाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और दिन को जीवन-वृति के लिए बनाया

وَبَنَيْنَا فَوْقَكُمْ سَبْعًۭا شِدَادًۭا ﴿١٢﴾

और तुम्हारे ऊपर सात मज़बूत (आसमान) बनाए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और तुम्हारे ऊपर सात सुदृढ़ आकाश निर्मित किए,

وَجَعَلْنَا سِرَاجًۭا وَهَّاجًۭا ﴿١٣﴾

और हम ही ने (सूरज) को रौशन चिराग़ बनाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और एक तप्त और प्रकाशमान प्रदीप बनाया,

وَأَنزَلْنَا مِنَ ٱلْمُعْصِرَٰتِ مَآءًۭ ثَجَّاجًۭا ﴿١٤﴾

और हम ही ने बादलों से मूसलाधार पानी बरसाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और बरस पड़नेवाली घटाओं से हमने मूसलाधार पानी उतारा,

لِّنُخْرِجَ بِهِۦ حَبًّۭا وَنَبَاتًۭا ﴿١٥﴾

ताकि उसके ज़रिए से दाने और सबज़ी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ताकि हम उसके द्वारा अनाज और वनस्पति उत्पादित करें

وَجَنَّٰتٍ أَلْفَافًا ﴿١٦﴾

और घने घने बाग़ पैदा करें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और सघन बांग़ भी।

إِنَّ يَوْمَ ٱلْفَصْلِ كَانَ مِيقَٰتًۭا ﴿١٧﴾

बेशक फैसले का दिन मुक़र्रर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह फ़ैसले का दिन एक नियत समय है,

يَوْمَ يُنفَخُ فِى ٱلصُّورِ فَتَأْتُونَ أَفْوَاجًۭا ﴿١٨﴾

जिस दिन सूर फूँका जाएगा और तुम लोग गिरोह गिरोह हाज़िर होगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस दिन नरसिंघा में फूँक मारी जाएगी, तो तुम गिरोह को गिरोह चले आओगे।

وَفُتِحَتِ ٱلسَّمَآءُ فَكَانَتْ أَبْوَٰبًۭا ﴿١٩﴾

और आसमान खोल दिए जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और आकाश खोल दिया जाएगा तो द्वार ही द्वार हो जाएँगे;

وَسُيِّرَتِ ٱلْجِبَالُ فَكَانَتْ سَرَابًا ﴿٢٠﴾

तो (उसमें) दरवाज़े हो जाएँगे और पहाड़ (अपनी जगह से) चलाए जाएँगे तो रेत होकर रह जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और पहाड़ चलाए जाएँगे, तो वे बिल्कुल मरीचिका होकर रह जाएँगे

إِنَّ جَهَنَّمَ كَانَتْ مِرْصَادًۭا ﴿٢١﴾

बेशक जहन्नुम घात में है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वास्तव में जहन्नम एक घात-स्थल है;

لِّلطَّٰغِينَ مَـَٔابًۭا ﴿٢٢﴾

सरकशों का (वही) ठिकाना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सरकशों का ठिकाना है

لَّٰبِثِينَ فِيهَآ أَحْقَابًۭا ﴿٢٣﴾

उसमें मुद्दतों पड़े झींकते रहेंगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वस्तुस्थिति यह है कि वे उसमें मुद्दत पर मुद्दत बिताते रहेंगे

لَّا يَذُوقُونَ فِيهَا بَرْدًۭا وَلَا شَرَابًا ﴿٢٤﴾

न वहाँ ठन्डक का मज़ा चखेंगे और न खौलते हुए पानी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे उसमे न किसी शीतलता का मज़ा चखेगे और न किसी पेय का,

إِلَّا حَمِيمًۭا وَغَسَّاقًۭا ﴿٢٥﴾

और बहती हुई पीप के सिवा कुछ पीने को मिलेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सिवाय खौलते पानी और बहती पीप-रक्त के

جَزَآءًۭ وِفَاقًا ﴿٢٦﴾

(ये उनकी कारस्तानियों का) पूरा पूरा बदला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह बदले के रूप में उनके कर्मों के ठीक अनुकूल होगा

إِنَّهُمْ كَانُوا۟ لَا يَرْجُونَ حِسَابًۭا ﴿٢٧﴾

बेशक ये लोग आख़ेरत के हिसाब की उम्मीद ही न रखते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वास्तव में किसी हिसाब की आशा न रखते थे,

وَكَذَّبُوا۟ بِـَٔايَٰتِنَا كِذَّابًۭا ﴿٢٨﴾

और इन लोगो हमारी आयतों को बुरी तरह झुठलाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उन्होंने हमारी आयतों को ख़ूब झुठलाया,

وَكُلَّ شَىْءٍ أَحْصَيْنَٰهُ كِتَٰبًۭا ﴿٢٩﴾

और हमने हर चीज़ को लिख कर मनज़बत कर रखा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने हर चीज़ लिखकर गिन रखी है

فَذُوقُوا۟ فَلَن نَّزِيدَكُمْ إِلَّا عَذَابًا ﴿٣٠﴾

तो अब तुम मज़ा चखो हमतो तुम पर अज़ाब ही बढ़ाते जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"अब चखो मज़ा कि यातना के अतिरिक्त हम तुम्हारे लिए किसी और चीज़ में बढ़ोत्तरी नहीं करेंगे। \"

إِنَّ لِلْمُتَّقِينَ مَفَازًا ﴿٣١﴾

बेशक परहेज़गारों के लिए बड़ी कामयाबी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्सदेह डर रखनेवालों के लिए एक बड़ी सफलता है,

حَدَآئِقَ وَأَعْنَٰبًۭا ﴿٣٢﴾

(यानि बेहश्त के) बाग़ और अंगूर

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बाग़ है और अंगूर,

وَكَوَاعِبَ أَتْرَابًۭا ﴿٣٣﴾

और वह औरतें जिनकी उठती हुई जवानियाँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और नवयौवना समान उम्रवाली,

وَكَأْسًۭا دِهَاقًۭا ﴿٣٤﴾

और बाहम हमजोलियाँ हैं और शराब के लबरेज़ साग़र

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और छलक़ता जाम

لَّا يَسْمَعُونَ فِيهَا لَغْوًۭا وَلَا كِذَّٰبًۭا ﴿٣٥﴾

और शराब के लबरेज़ साग़र वहाँ न बेहूदा बात सुनेंगे और न झूठ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे उसमें न तो कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न कोई झुठलाने की बात

جَزَآءًۭ مِّن رَّبِّكَ عَطَآءً حِسَابًۭا ﴿٣٦﴾

(ये) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से काफ़ी इनाम और सिला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह तुम्हारे रब की ओर से बदला होगा, हिसाब के अनुसार प्रदत्त

رَّبِّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ٱلرَّحْمَٰنِ ۖ لَا يَمْلِكُونَ مِنْهُ خِطَابًۭا ﴿٣٧﴾

जो सारे आसमान और ज़मीन और जो इन दोनों के बीच में है सबका मालिक है बड़ा मेहरबान लोगों को उससे बात का पूरा न होगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह आकाशों और धरती का और जो कुछ उनके बीच है सबका रब है, अत्यन्त कृपाशील है, उसके सामने बात करना उनके बस में नहीं होगा

يَوْمَ يَقُومُ ٱلرُّوحُ وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ صَفًّۭا ۖ لَّا يَتَكَلَّمُونَ إِلَّا مَنْ أَذِنَ لَهُ ٱلرَّحْمَٰنُ وَقَالَ صَوَابًۭا ﴿٣٨﴾

जिस दिन जिबरील और फरिश्ते (उसके सामने) पर बाँध कर खड़े होंगे (उस दिन) उससे कोई बात न कर सकेगा मगर जिसे ख़ुदा इजाज़त दे और वह ठिकाने की बात कहे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस दिन रूह और फ़रिश्ते पक्तिबद्ध खड़े होंगे, वे बोलेंगे नहीं, सिवाय उस व्यक्ति के जिसे रहमान अनुमति दे और जो ठीक बात कहे

ذَٰلِكَ ٱلْيَوْمُ ٱلْحَقُّ ۖ فَمَن شَآءَ ٱتَّخَذَ إِلَىٰ رَبِّهِۦ مَـَٔابًا ﴿٣٩﴾

वह दिन बरहक़ है तो जो शख़्श चाहे अपने परवरदिगार की बारगाह में (अपना) ठिकाना बनाए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह दिन सत्य है। अब जो कोई चाहे अपने रब की ओर रुज करे

إِنَّآ أَنذَرْنَٰكُمْ عَذَابًۭا قَرِيبًۭا يَوْمَ يَنظُرُ ٱلْمَرْءُ مَا قَدَّمَتْ يَدَاهُ وَيَقُولُ ٱلْكَافِرُ يَٰلَيْتَنِى كُنتُ تُرَٰبًۢا ﴿٤٠﴾

हमने तुम लोगों को अनक़रीब आने वाले अज़ाब से डरा दिया जिस दिन आदमी अपने हाथों पहले से भेजे हुए (आमाल) को देखेगा और काफ़िर कहेगा काश मैं ख़ाक हो जाता

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने तुम्हें निकट आ लगी यातना से सावधान कर दिया है। जिस दिन मनुष्य देख लेगा जो कुछ उसके हाथों ने आगे भेजा, और इनकार करनेवाला कहेगा, \"ऐ काश! कि मैं मिट्टी होता!\"