Setting
Surah The Cleaving [AL-Infitar] in Hindi
وَإِذَا ٱلْبِحَارُ فُجِّرَتْ ﴿٣﴾
और जब दरिया बह (कर एक दूसरे से मिल) जाएँगे
और जबकि समुद्र बह पड़ेंगे
وَإِذَا ٱلْقُبُورُ بُعْثِرَتْ ﴿٤﴾
और जब कब्रें उखाड़ दी जाएँगी
और जबकि क़बें उखेड़ दी जाएँगी
عَلِمَتْ نَفْسٌۭ مَّا قَدَّمَتْ وَأَخَّرَتْ ﴿٥﴾
तब हर शख़्श को मालूम हो जाएगा कि उसने आगे क्या भेजा था और पीछे क्या छोड़ा था
तब हर व्यक्ति जान लेगा जिसे उसने प्राथमिकता दी और पीछे डाला
يَٰٓأَيُّهَا ٱلْإِنسَٰنُ مَا غَرَّكَ بِرَبِّكَ ٱلْكَرِيمِ ﴿٦﴾
ऐ इन्सान तुम्हें अपने परवरदिगार के बारे में किस चीज़ ने धोका दिया
ऐ मनुष्य! किस चीज़ ने तुझे अपने उदार प्रभु के विषय में धोखे में डाल रखा हैं?
ٱلَّذِى خَلَقَكَ فَسَوَّىٰكَ فَعَدَلَكَ ﴿٧﴾
जिसने तुझे पैदा किया तो तुझे दुरूस्त बनाया और मुनासिब आज़ा दिए
जिसने तेरा प्रारूप बनाया, फिर नख-शिख से तुझे दुरुस्त किया और तुझे संतुलन प्रदान किया
فِىٓ أَىِّ صُورَةٍۢ مَّا شَآءَ رَكَّبَكَ ﴿٨﴾
और जिस सूरत में उसने चाहा तेरे जोड़ बन्द मिलाए
जिस रूप में चाहा उसने तुझे जोड़कर तैयार किया
كَلَّا بَلْ تُكَذِّبُونَ بِٱلدِّينِ ﴿٩﴾
हाँ बात ये है कि तुम लोग जज़ा (के दिन) को झुठलाते हो
कुछ नहीं, बल्कि तुम बदला दिए जाने का झुठलाते हो
وَإِنَّ عَلَيْكُمْ لَحَٰفِظِينَ ﴿١٠﴾
हालॉकि तुम पर निगेहबान मुक़र्रर हैं
जबकि तुमपर निगरानी करनेवाले नियुक्त हैं
كِرَامًۭا كَٰتِبِينَ ﴿١١﴾
बुर्ज़ुग लोग (फरिश्ते सब बातों को) लिखने वाले (केरामन क़ातेबीन)
प्रतिष्ठित लिपिक
يَعْلَمُونَ مَا تَفْعَلُونَ ﴿١٢﴾
जो कुछ तुम करते हो वह सब जानते हैं
वे जान रहे होते है जो कुछ भी तुम लोग करते हो
إِنَّ ٱلْأَبْرَارَ لَفِى نَعِيمٍۢ ﴿١٣﴾
बेशक नेको कार (बेहिश्त की) नेअमतों में होंगे
निस्संदेह वफ़ादार लोग नेमतों में होंगे
وَإِنَّ ٱلْفُجَّارَ لَفِى جَحِيمٍۢ ﴿١٤﴾
और बदकार लोग यक़ीनन जहन्नुम में जज़ा के दिन
और निश्चय ही दुराचारी भड़कती हुई आग में
يَصْلَوْنَهَا يَوْمَ ٱلدِّينِ ﴿١٥﴾
उसी में झोंके जाएँगे
जिसमें वे बदले के दिन प्रवेश करेंगे
وَمَا هُمْ عَنْهَا بِغَآئِبِينَ ﴿١٦﴾
और वह लोग उससे छुप न सकेंगे
और उससे वे ओझल नहीं होंगे
وَمَآ أَدْرَىٰكَ مَا يَوْمُ ٱلدِّينِ ﴿١٧﴾
और तुम्हें क्या मालूम कि जज़ा का दिन क्या है
और तुम्हें क्या मालूम कि बदले का दिन क्या है?
ثُمَّ مَآ أَدْرَىٰكَ مَا يَوْمُ ٱلدِّينِ ﴿١٨﴾
फिर तुम्हें क्या मालूम कि जज़ा का दिन क्या चीज़ है
फिर तुम्हें क्या मालूम कि बदले का दिन क्या है?
يَوْمَ لَا تَمْلِكُ نَفْسٌۭ لِّنَفْسٍۢ شَيْـًۭٔا ۖ وَٱلْأَمْرُ يَوْمَئِذٍۢ لِّلَّهِ ﴿١٩﴾
उस दिन कोई शख़्श किसी शख़्श की भलाई न कर सकेगा और उस दिन हुक्म सिर्फ ख़ुदा ही का होगा
जिस दिन कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति के लिए किसी चीज़ का अधिकारी न होगा, मामला उस दिन अल्लाह ही के हाथ में होगा