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Surah Sad [Sad] in Hindi
صٓ ۚ وَٱلْقُرْءَانِ ذِى ٱلذِّكْرِ ﴿١﴾
साद। क़सम है, याददिहानी-वाले क़ुरआन की (जिसमें कोई कमी नहीं कि धर्मविरोधी सत्य को न समझ सकें)
بَلِ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ فِى عِزَّةٍۢ وَشِقَاقٍۢ ﴿٢﴾
बल्कि जिन्होंने इनकार किया वे गर्व और विरोध में पड़े हुए है
كَمْ أَهْلَكْنَا مِن قَبْلِهِم مِّن قَرْنٍۢ فَنَادَوا۟ وَّلَاتَ حِينَ مَنَاصٍۢ ﴿٣﴾
उनसे पहले हमने कितनी ही पीढ़ियों को विनष्ट किया, तो वे लगे पुकारने। किन्तु वह समय हटने-बचने का न था
وَعَجِبُوٓا۟ أَن جَآءَهُم مُّنذِرٌۭ مِّنْهُمْ ۖ وَقَالَ ٱلْكَٰفِرُونَ هَٰذَا سَٰحِرٌۭ كَذَّابٌ ﴿٤﴾
उन्होंने आश्चर्य किया इसपर कि उनके पास उन्हीं में से एक सचेतकर्ता आया और इनकार करनेवाले कहने लगे, \"यह जादूगर है बड़ा झूठा
أَجَعَلَ ٱلْءَالِهَةَ إِلَٰهًۭا وَٰحِدًا ۖ إِنَّ هَٰذَا لَشَىْءٌ عُجَابٌۭ ﴿٥﴾
क्या उसने सारे उपास्यों को अकेला एक उपास्य ठहरा दिया? निस्संदेह यह तो बहुत अचम्भेवाली चीज़ है!\"
وَٱنطَلَقَ ٱلْمَلَأُ مِنْهُمْ أَنِ ٱمْشُوا۟ وَٱصْبِرُوا۟ عَلَىٰٓ ءَالِهَتِكُمْ ۖ إِنَّ هَٰذَا لَشَىْءٌۭ يُرَادُ ﴿٦﴾
और उनके सरदार (यह कहते हुए) चल खड़े हुए कि \"चलते रहो और अपने उपास्यों पर जमें रहो। निस्संदेह यह वांछिच चीज़ है
مَا سَمِعْنَا بِهَٰذَا فِى ٱلْمِلَّةِ ٱلْءَاخِرَةِ إِنْ هَٰذَآ إِلَّا ٱخْتِلَٰقٌ ﴿٧﴾
यह बात तो हमने पिछले धर्म में सुनी ही नहीं। यह तो बस मनघड़त है
أَءُنزِلَ عَلَيْهِ ٱلذِّكْرُ مِنۢ بَيْنِنَا ۚ بَلْ هُمْ فِى شَكٍّۢ مِّن ذِكْرِى ۖ بَل لَّمَّا يَذُوقُوا۟ عَذَابِ ﴿٨﴾
क्या हम सबमें से (चुनकर) इसी पर अनुस्मृति अवतरित हुई है?\" नहीं, बल्कि वे मेरी अनुस्मृति के विषय में संदेह में है, बल्कि उन्होंने अभी तक मेरी यातना का मज़ा चखा ही नहीं है
أَمْ عِندَهُمْ خَزَآئِنُ رَحْمَةِ رَبِّكَ ٱلْعَزِيزِ ٱلْوَهَّابِ ﴿٩﴾
या, तेरे प्रभुत्वशाली, बड़े दाता रब की दयालुता के ख़ज़ाने उनके पास है?
أَمْ لَهُم مُّلْكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ۖ فَلْيَرْتَقُوا۟ فِى ٱلْأَسْبَٰبِ ﴿١٠﴾
या, आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है, उन सबकी बादशाही उन्हीं की है? फिर तो चाहिए कि वे रस्सियों द्वारा ऊपर चढ़ जाए
جُندٌۭ مَّا هُنَالِكَ مَهْزُومٌۭ مِّنَ ٱلْأَحْزَابِ ﴿١١﴾
वह एक साधारण सेना है (विनष्ट होनेवाले) दलों में से, वहाँ मात खाना जिसकी नियति है
كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوحٍۢ وَعَادٌۭ وَفِرْعَوْنُ ذُو ٱلْأَوْتَادِ ﴿١٢﴾
उनसे पहले नूह की क़ौम और आद और मेखोंवाले फ़िरऔन ने झुठलाया
وَثَمُودُ وَقَوْمُ لُوطٍۢ وَأَصْحَٰبُ لْـَٔيْكَةِ ۚ أُو۟لَٰٓئِكَ ٱلْأَحْزَابُ ﴿١٣﴾
और समूद और लूत की क़ौम और 'ऐकावाले' भी, ये है वे दल
إِن كُلٌّ إِلَّا كَذَّبَ ٱلرُّسُلَ فَحَقَّ عِقَابِ ﴿١٤﴾
उनमें से प्रत्येक ने रसूलों को झुठलाया, तो मेरी ओर से दंड अवश्यम्भावी होकर रहा
وَمَا يَنظُرُ هَٰٓؤُلَآءِ إِلَّا صَيْحَةًۭ وَٰحِدَةًۭ مَّا لَهَا مِن فَوَاقٍۢ ﴿١٥﴾
इन्हें बस एक चीख की प्रतीक्षा है जिसमें तनिक भी अवकाश न होगा
وَقَالُوا۟ رَبَّنَا عَجِّل لَّنَا قِطَّنَا قَبْلَ يَوْمِ ٱلْحِسَابِ ﴿١٦﴾
वे कहते है, \"ऐ हमारे रब! हिसाब के दिन से पहले ही शीघ्र हमारा हिस्सा दे दे।\"
ٱصْبِرْ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَٱذْكُرْ عَبْدَنَا دَاوُۥدَ ذَا ٱلْأَيْدِ ۖ إِنَّهُۥٓ أَوَّابٌ ﴿١٧﴾
वे जो कुछ कहते है उसपर धैर्य से काम लो और ज़ोर व शक्तिवाले हमारे बन्दे दाऊद को याद करो। निश्चय ही वह (अल्लाह की ओर) बहुत रुजू करनेवाला था
إِنَّا سَخَّرْنَا ٱلْجِبَالَ مَعَهُۥ يُسَبِّحْنَ بِٱلْعَشِىِّ وَٱلْإِشْرَاقِ ﴿١٨﴾
हमने पर्वतों को उसके साथ वशीभूत कर दिया था कि प्रातःकाल और सन्ध्य समय तसबीह करते रहे।
وَٱلطَّيْرَ مَحْشُورَةًۭ ۖ كُلٌّۭ لَّهُۥٓ أَوَّابٌۭ ﴿١٩﴾
और पक्षियों को भी, जो एकत्र हो जाते थे। प्रत्येक उसके आगे रुजू रहता
وَشَدَدْنَا مُلْكَهُۥ وَءَاتَيْنَٰهُ ٱلْحِكْمَةَ وَفَصْلَ ٱلْخِطَابِ ﴿٢٠﴾
हमने उसका राज्य सुदृढ़ कर दिया था और उसे तत्वदर्शिता प्रदान की थी और निर्णायक बात कहने की क्षमता प्रदान की थी
۞ وَهَلْ أَتَىٰكَ نَبَؤُا۟ ٱلْخَصْمِ إِذْ تَسَوَّرُوا۟ ٱلْمِحْرَابَ ﴿٢١﴾
और क्या तुम्हें उन विवादियों की ख़बर पहुँची है? जब वे दीवार पर चढ़कर मेहराब (एकान्त कक्ष) मे आ पहुँचे
إِذْ دَخَلُوا۟ عَلَىٰ دَاوُۥدَ فَفَزِعَ مِنْهُمْ ۖ قَالُوا۟ لَا تَخَفْ ۖ خَصْمَانِ بَغَىٰ بَعْضُنَا عَلَىٰ بَعْضٍۢ فَٱحْكُم بَيْنَنَا بِٱلْحَقِّ وَلَا تُشْطِطْ وَٱهْدِنَآ إِلَىٰ سَوَآءِ ٱلصِّرَٰطِ ﴿٢٢﴾
जब वे दाऊद के पास पहुँचे तो वह उनसे सहम गया। वे बोले, \"डरिए नहीं, हम दो विवादी हैं। हममें से एक ने दूसरे पर ज़्यादती की है; तो आप हमारे बीच ठीक-ठीक फ़ैसला कर दीजिए। और बात को दूर न डालिए और हमें ठीक मार्ग बता दीजिए
إِنَّ هَٰذَآ أَخِى لَهُۥ تِسْعٌۭ وَتِسْعُونَ نَعْجَةًۭ وَلِىَ نَعْجَةٌۭ وَٰحِدَةٌۭ فَقَالَ أَكْفِلْنِيهَا وَعَزَّنِى فِى ٱلْخِطَابِ ﴿٢٣﴾
यह मेरा भाई है। इसके पास निन्यानबे दुंबियाँ है और मेरे पास एक दुंबी है। अब इसका कहना है कि इसे भी मुझे सौप दे और बातचीत में इसने मुझे दबा लिया।\"
قَالَ لَقَدْ ظَلَمَكَ بِسُؤَالِ نَعْجَتِكَ إِلَىٰ نِعَاجِهِۦ ۖ وَإِنَّ كَثِيرًۭا مِّنَ ٱلْخُلَطَآءِ لَيَبْغِى بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ وَقَلِيلٌۭ مَّا هُمْ ۗ وَظَنَّ دَاوُۥدُ أَنَّمَا فَتَنَّٰهُ فَٱسْتَغْفَرَ رَبَّهُۥ وَخَرَّ رَاكِعًۭا وَأَنَابَ ۩ ﴿٢٤﴾
उसने कहा, \"इसने अपनी दुंबियों के साथ तेरी दुंबी को मिला लेने की माँग करके निश्चय ही तुझपर ज़ुल्म किया है। और निस्संदेह बहुत-से साथ मिलकर रहनेवाले एक-दूसरे पर ज़्यादती करते है, सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। किन्तु ऐसे लोग थोड़े ही है।\" अब दाऊद समझ गया कि यह तो हमने उसे परीक्षा में डाला है। अतः उसने अपने रब से क्षमा-याचना की और झुककर (सीधे सजदे में) गिर पड़ा और रुजू हुआ
فَغَفَرْنَا لَهُۥ ذَٰلِكَ ۖ وَإِنَّ لَهُۥ عِندَنَا لَزُلْفَىٰ وَحُسْنَ مَـَٔابٍۢ ﴿٢٥﴾
तो हमने उसका वह क़सूर माफ़ कर दिया। और निश्चय ही हमारे यहाँ उसके लिए अनिवार्यतः सामीप्य और उत्तम ठिकाना है
يَٰدَاوُۥدُ إِنَّا جَعَلْنَٰكَ خَلِيفَةًۭ فِى ٱلْأَرْضِ فَٱحْكُم بَيْنَ ٱلنَّاسِ بِٱلْحَقِّ وَلَا تَتَّبِعِ ٱلْهَوَىٰ فَيُضِلَّكَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ ۚ إِنَّ ٱلَّذِينَ يَضِلُّونَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ لَهُمْ عَذَابٌۭ شَدِيدٌۢ بِمَا نَسُوا۟ يَوْمَ ٱلْحِسَابِ ﴿٢٦﴾
\"ऐ दाऊद! हमने धरती में तुझे ख़लीफ़ा (उत्तराधिकारी) बनाया है। अतः तू लोगों के बीच हक़ के साथ फ़ैसला करना और अपनी इच्छा का अनुपालन न करना कि वह तुझे अल्लाह के मार्ग से भटका दे। जो लोग अल्लाह के मार्ग से भटकते है, निश्चय ही उनके लिए कठोर यातना है, क्योंकि वे हिसाब के दिन को भूले रहे।-
وَمَا خَلَقْنَا ٱلسَّمَآءَ وَٱلْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا بَٰطِلًۭا ۚ ذَٰلِكَ ظَنُّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ ۚ فَوَيْلٌۭ لِّلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِنَ ٱلنَّارِ ﴿٢٧﴾
हमने आकाश और धरती को और जो कुछ उनके बीच है, व्यर्थ नहीं पैदा किया। यह तो उन लोगों का गुमान है जिन्होंने इनकार किया। अतः आग में झोंके जाने के कारण इनकार करनेवालों की बड़ी दुर्गति है
أَمْ نَجْعَلُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ كَٱلْمُفْسِدِينَ فِى ٱلْأَرْضِ أَمْ نَجْعَلُ ٱلْمُتَّقِينَ كَٱلْفُجَّارِ ﴿٢٨﴾
(क्या हम उनको जो समझते है कि जगत की संरचना व्यर्थ नहीं है, उनके समान कर देंगे जो जगत को निरर्थक मानते है।) या हम उन लोगों को जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उनके समान कर देंगे जो धरती में बिगाड़ पैदा करते है; या डर रखनेवालों को हम दुराचारियों जैसा कर देंगे?
كِتَٰبٌ أَنزَلْنَٰهُ إِلَيْكَ مُبَٰرَكٌۭ لِّيَدَّبَّرُوٓا۟ ءَايَٰتِهِۦ وَلِيَتَذَكَّرَ أُو۟لُوا۟ ٱلْأَلْبَٰبِ ﴿٢٩﴾
यह एक इसकी आयतों पर सोच-विचार करें और ताकि बुद्धि और समझवाले इससे शिक्षा ग्रहण करें।-
وَوَهَبْنَا لِدَاوُۥدَ سُلَيْمَٰنَ ۚ نِعْمَ ٱلْعَبْدُ ۖ إِنَّهُۥٓ أَوَّابٌ ﴿٣٠﴾
और हमने दाऊद को सुलैमान प्रदान किया। वह कितना अच्छा बन्दा था! निश्चय ही वह बहुत ही रुजू रहनेवाला था।
إِذْ عُرِضَ عَلَيْهِ بِٱلْعَشِىِّ ٱلصَّٰفِنَٰتُ ٱلْجِيَادُ ﴿٣١﴾
याद करो, जबकि सन्ध्या समय उसके सामने सधे हुए द्रुतगामी घोड़े हाज़िर किए गए
فَقَالَ إِنِّىٓ أَحْبَبْتُ حُبَّ ٱلْخَيْرِ عَن ذِكْرِ رَبِّى حَتَّىٰ تَوَارَتْ بِٱلْحِجَابِ ﴿٣٢﴾
तो उसने कहा, \"मैंने इनके प्रति प्रेम अपने रब की याद के कारण अपनाया है।\" यहाँ तक कि वे (घोड़े) ओट में छिप गए
رُدُّوهَا عَلَىَّ ۖ فَطَفِقَ مَسْحًۢا بِٱلسُّوقِ وَٱلْأَعْنَاقِ ﴿٣٣﴾
\"उन्हें मेरे पास वापस लाओ!\" फिर वह उनकी पिंडलियों और गरदनों पर हाथ फेरने लगा
وَلَقَدْ فَتَنَّا سُلَيْمَٰنَ وَأَلْقَيْنَا عَلَىٰ كُرْسِيِّهِۦ جَسَدًۭا ثُمَّ أَنَابَ ﴿٣٤﴾
निश्चय ही हमने सुलैमान को भी परीक्षा में डाला। और हमने उसके तख़्त पर एक धड़ डाल दिया। फिर वह रुजू हुआ
قَالَ رَبِّ ٱغْفِرْ لِى وَهَبْ لِى مُلْكًۭا لَّا يَنۢبَغِى لِأَحَدٍۢ مِّنۢ بَعْدِىٓ ۖ إِنَّكَ أَنتَ ٱلْوَهَّابُ ﴿٣٥﴾
उसने कहा, \"ऐ मेरे रब! मुझे क्षमा कर दे और मुझे वह राज्य प्रदान कर, जो मेरे पश्चात किसी के लिए शोभनीय न हो। निश्चय ही तू बड़ा दाता है।\"
فَسَخَّرْنَا لَهُ ٱلرِّيحَ تَجْرِى بِأَمْرِهِۦ رُخَآءً حَيْثُ أَصَابَ ﴿٣٦﴾
तब हमने वायु को उसके लिए वशीभूत कर दिया, जो उसके आदेश से, जहाँ वह पहुँचना चाहता, सरलतापूर्वक चलती थी
وَٱلشَّيَٰطِينَ كُلَّ بَنَّآءٍۢ وَغَوَّاصٍۢ ﴿٣٧﴾
और शैतानों को भी (वशीभुत कर दिया), प्रत्येक निर्माता और ग़ोताख़ोर को
وَءَاخَرِينَ مُقَرَّنِينَ فِى ٱلْأَصْفَادِ ﴿٣٨﴾
और दूसरों को भी जो ज़जीरों में जकड़े हुए रहत
هَٰذَا عَطَآؤُنَا فَٱمْنُنْ أَوْ أَمْسِكْ بِغَيْرِ حِسَابٍۢ ﴿٣٩﴾
\"यह हमारी बेहिसाब देन है। अब एहसान करो या रोको।\"
وَإِنَّ لَهُۥ عِندَنَا لَزُلْفَىٰ وَحُسْنَ مَـَٔابٍۢ ﴿٤٠﴾
और निश्चय ही हमारे यहाँ उसके लिए अनिवार्यतः समीप्य और उत्तम ठिकाना है
وَٱذْكُرْ عَبْدَنَآ أَيُّوبَ إِذْ نَادَىٰ رَبَّهُۥٓ أَنِّى مَسَّنِىَ ٱلشَّيْطَٰنُ بِنُصْبٍۢ وَعَذَابٍ ﴿٤١﴾
हमारे बन्दे अय्यूब को भी याद करो, जब उसने अपने रब को पुकारा कि \"शैतान ने मुझे दुख और पीड़ा पहुँचा रखी है।\"
ٱرْكُضْ بِرِجْلِكَ ۖ هَٰذَا مُغْتَسَلٌۢ بَارِدٌۭ وَشَرَابٌۭ ﴿٤٢﴾
\"अपना पाँव (धरती पर) मार, यह है ठंडा (पानी) नहाने को और पीने को।\"
وَوَهَبْنَا لَهُۥٓ أَهْلَهُۥ وَمِثْلَهُم مَّعَهُمْ رَحْمَةًۭ مِّنَّا وَذِكْرَىٰ لِأُو۟لِى ٱلْأَلْبَٰبِ ﴿٤٣﴾
और हमने उसे उसके परिजन दिए और उनके साथ वैसे ही और भी; अपनी ओर से दयालुता के रूप में और बुद्धि और समझ रखनेवालों के लिए शिक्षा के रूप में।
وَخُذْ بِيَدِكَ ضِغْثًۭا فَٱضْرِب بِّهِۦ وَلَا تَحْنَثْ ۗ إِنَّا وَجَدْنَٰهُ صَابِرًۭا ۚ نِّعْمَ ٱلْعَبْدُ ۖ إِنَّهُۥٓ أَوَّابٌۭ ﴿٤٤﴾
\"और अपने हाथ में तिनकों का एक मुट्ठा ले और उससे मार और अपनी क़सम न तोड़।\" निश्चय ही हमने उसे धैर्यवान पाया, क्या ही अच्छा बन्दा! निस्संदेह वह बड़ा ही रुजू रहनेवाला था
وَٱذْكُرْ عِبَٰدَنَآ إِبْرَٰهِيمَ وَإِسْحَٰقَ وَيَعْقُوبَ أُو۟لِى ٱلْأَيْدِى وَٱلْأَبْصَٰرِ ﴿٤٥﴾
हमारे बन्दों, इबराहीम और इसहाक़ और याक़ूब को भी याद करो, जो हाथों (शक्ति) और निगाहोंवाले (ज्ञान-चक्षुवाले) थे
إِنَّآ أَخْلَصْنَٰهُم بِخَالِصَةٍۢ ذِكْرَى ٱلدَّارِ ﴿٤٦﴾
निस्संदेह हमने उन्हें एक विशिष्ट बात के लिए चुन लिया था और वह वास्तविक घर (आख़िरत) की याद थी
وَإِنَّهُمْ عِندَنَا لَمِنَ ٱلْمُصْطَفَيْنَ ٱلْأَخْيَارِ ﴿٤٧﴾
और निश्चय ही वे हमारे यहाँ चुने हुए नेक लोगों में से है
وَٱذْكُرْ إِسْمَٰعِيلَ وَٱلْيَسَعَ وَذَا ٱلْكِفْلِ ۖ وَكُلٌّۭ مِّنَ ٱلْأَخْيَارِ ﴿٤٨﴾
इसमाईल और अल-यसअ और ज़ुलकिफ़्ल को भी याद करो। इनमें से प्रत्येक ही अच्छा रहा है
هَٰذَا ذِكْرٌۭ ۚ وَإِنَّ لِلْمُتَّقِينَ لَحُسْنَ مَـَٔابٍۢ ﴿٤٩﴾
यह एक अनुस्मृति है। और निश्चय ही डर रखनेवालों के लिए अच्छा ठिकाना है
جَنَّٰتِ عَدْنٍۢ مُّفَتَّحَةًۭ لَّهُمُ ٱلْأَبْوَٰبُ ﴿٥٠﴾
सदैव रहने के बाग़ है, जिनके द्वार उनके लिए खुले होंगे
مُتَّكِـِٔينَ فِيهَا يَدْعُونَ فِيهَا بِفَٰكِهَةٍۢ كَثِيرَةٍۢ وَشَرَابٍۢ ﴿٥١﴾
उनमें वे तकिया लगाए हुए होंगे। वहाँ वे बहुत-से मेवे और पेय मँगवाते होंगे
۞ وَعِندَهُمْ قَٰصِرَٰتُ ٱلطَّرْفِ أَتْرَابٌ ﴿٥٢﴾
और उनके पास निगाहें बचाए रखनेवाली स्त्रियाँ होंगी, जो समान अवस्था की होंगी
هَٰذَا مَا تُوعَدُونَ لِيَوْمِ ٱلْحِسَابِ ﴿٥٣﴾
यह है वह चीज़, जिसका हिसाब के दिन के लिए तुमसे वादा किया जाता है
إِنَّ هَٰذَا لَرِزْقُنَا مَا لَهُۥ مِن نَّفَادٍ ﴿٥٤﴾
यह हमारा दिया है, जो कभी समाप्त न होगा
هَٰذَا ۚ وَإِنَّ لِلطَّٰغِينَ لَشَرَّ مَـَٔابٍۢ ﴿٥٥﴾
एक और यह है, किन्तु सरकशों के लिए बहुत बुरा ठिकाना है;
جَهَنَّمَ يَصْلَوْنَهَا فَبِئْسَ ٱلْمِهَادُ ﴿٥٦﴾
जहन्नम, जिसमें वे प्रवेश करेंगे। तो वह बहुत ही बुरा विश्राम-स्थल है!
هَٰذَا فَلْيَذُوقُوهُ حَمِيمٌۭ وَغَسَّاقٌۭ ﴿٥٧﴾
यह है, अब उन्हें इसे चखना है - खौलता हुआ पानी और रक्तयुक्त पीप
وَءَاخَرُ مِن شَكْلِهِۦٓ أَزْوَٰجٌ ﴿٥٨﴾
और इसी प्रकार की दूसरी और भी चीज़ें
هَٰذَا فَوْجٌۭ مُّقْتَحِمٌۭ مَّعَكُمْ ۖ لَا مَرْحَبًۢا بِهِمْ ۚ إِنَّهُمْ صَالُوا۟ ٱلنَّارِ ﴿٥٩﴾
\"यह एक भीड़ है जो तुम्हारे साथ घुसी चली आ रही है। कोई आवभगत उनके लिए नहीं। वे तो आग में पड़नेवाले है।\"
قَالُوا۟ بَلْ أَنتُمْ لَا مَرْحَبًۢا بِكُمْ ۖ أَنتُمْ قَدَّمْتُمُوهُ لَنَا ۖ فَبِئْسَ ٱلْقَرَارُ ﴿٦٠﴾
वे कहेंगे, \"नहीं, तुम नहीं। तुम्हारे लिए कोई आवभगत नहीं। तुम्ही यह हमारे आगे लाए हो। तो बहुत ही बुरी है यह ठहरने की जगह!\"
قَالُوا۟ رَبَّنَا مَن قَدَّمَ لَنَا هَٰذَا فَزِدْهُ عَذَابًۭا ضِعْفًۭا فِى ٱلنَّارِ ﴿٦١﴾
वे कहेंगे, \"ऐ हमारे रब! जो हमारे आगे यह (मुसीबत) लाया उसे आग में दोहरी यातना दे!\"
وَقَالُوا۟ مَا لَنَا لَا نَرَىٰ رِجَالًۭا كُنَّا نَعُدُّهُم مِّنَ ٱلْأَشْرَارِ ﴿٦٢﴾
और वे कहेंगे, \"क्या बात है कि हम उन लोगों को नहीं देखते जिनकी गणना हम बुरों में करते थे?
أَتَّخَذْنَٰهُمْ سِخْرِيًّا أَمْ زَاغَتْ عَنْهُمُ ٱلْأَبْصَٰرُ ﴿٦٣﴾
क्या हमने यूँ ही उनका मज़ाक बनाया था, यह उनसे निगाहें चूक गई हैं?\"
إِنَّ ذَٰلِكَ لَحَقٌّۭ تَخَاصُمُ أَهْلِ ٱلنَّارِ ﴿٦٤﴾
निस्संदेह आग में पड़नेवालों का यह आपस का झगड़ा तो अवश्य होना है
قُلْ إِنَّمَآ أَنَا۠ مُنذِرٌۭ ۖ وَمَا مِنْ إِلَٰهٍ إِلَّا ٱللَّهُ ٱلْوَٰحِدُ ٱلْقَهَّارُ ﴿٦٥﴾
कह दो, \"मैं तो बस एक सचेत करनेवाला हूँ। कोई पूज्य-प्रभु नहीं सिवाय अल्लाह के, जो अकेला है, सबपर क़ाबू रखनेवाला;
رَبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَا ٱلْعَزِيزُ ٱلْغَفَّٰرُ ﴿٦٦﴾
आकाशों और धरती का रब है, और जो कुछ इन दोनों के बीच है उसका भी, अत्यन्त प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील।\"
قُلْ هُوَ نَبَؤٌا۟ عَظِيمٌ ﴿٦٧﴾
कह दो, \"वह एक बड़ी ख़बर है, ‘
أَنتُمْ عَنْهُ مُعْرِضُونَ ﴿٦٨﴾
जिसे तुम ध्यान में नहीं ला रहे हो
مَا كَانَ لِىَ مِنْ عِلْمٍۭ بِٱلْمَلَإِ ٱلْأَعْلَىٰٓ إِذْ يَخْتَصِمُونَ ﴿٦٩﴾
मुझे 'मलए आला' (ऊपरी लोक के फ़रिश्तों) का कोई ज्ञान नहीं था, जब वे वाद-विवाद कर रहे थे
إِن يُوحَىٰٓ إِلَىَّ إِلَّآ أَنَّمَآ أَنَا۠ نَذِيرٌۭ مُّبِينٌ ﴿٧٠﴾
मेरी ओर तो बस इसलिए प्रकाशना की जाती है कि मैं खुल्लम-खुल्ला सचेत करनेवाला हूँ।\"
إِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَٰٓئِكَةِ إِنِّى خَٰلِقٌۢ بَشَرًۭا مِّن طِينٍۢ ﴿٧١﴾
याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा कि \"मैं मिट्टी से एक मनुष्य पैदा करनेवाला हूँ
فَإِذَا سَوَّيْتُهُۥ وَنَفَخْتُ فِيهِ مِن رُّوحِى فَقَعُوا۟ لَهُۥ سَٰجِدِينَ ﴿٧٢﴾
तो जब मैं उसको ठीक-ठाक कर दूँ औऱ उसमें अपनी रूह फूँक दूँ, तो तुम उसके आगे सजदे में गिर जाना।\"
فَسَجَدَ ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ كُلُّهُمْ أَجْمَعُونَ ﴿٧٣﴾
तो सभी फ़रिश्तों ने सजदा किया, सिवाय इबलीस के।
إِلَّآ إِبْلِيسَ ٱسْتَكْبَرَ وَكَانَ مِنَ ٱلْكَٰفِرِينَ ﴿٧٤﴾
उसने घमंड किया और इनकार करनेवालों में से हो गया
قَالَ يَٰٓإِبْلِيسُ مَا مَنَعَكَ أَن تَسْجُدَ لِمَا خَلَقْتُ بِيَدَىَّ ۖ أَسْتَكْبَرْتَ أَمْ كُنتَ مِنَ ٱلْعَالِينَ ﴿٧٥﴾
कहा, \"ऐ इबलीस! तूझे किस चीज़ ने उसको सजदा करने से रोका जिसे मैंने अपने दोनों हाथों से बनाया? क्या तूने घमंड किया, या तू कोई ऊँची हस्ती है?\"
قَالَ أَنَا۠ خَيْرٌۭ مِّنْهُ ۖ خَلَقْتَنِى مِن نَّارٍۢ وَخَلَقْتَهُۥ مِن طِينٍۢ ﴿٧٦﴾
उसने कहा, \"मैं उससे उत्तम हूँ। तूने मुझे आग से पैदा किया और उसे मिट्टी से पैदा किया।\"
قَالَ فَٱخْرُجْ مِنْهَا فَإِنَّكَ رَجِيمٌۭ ﴿٧٧﴾
कहा, \"अच्छा, निकल जा यहाँ से, क्योंकि तू धुत्कारा हुआ है
وَإِنَّ عَلَيْكَ لَعْنَتِىٓ إِلَىٰ يَوْمِ ٱلدِّينِ ﴿٧٨﴾
और निश्चय ही बदला दिए जाने के दिन तक तुझपर मेरी लानत है।\"
قَالَ رَبِّ فَأَنظِرْنِىٓ إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ ﴿٧٩﴾
उसने कहा, \"ऐ मेरे रब! फिर तू मुझे उस दिन तक के लिए मुहल्लत दे, जबकि लोग (जीवित करके) उठाए जाएँगे।\"
قَالَ فَإِنَّكَ مِنَ ٱلْمُنظَرِينَ ﴿٨٠﴾
कहा, \"अच्छा, तुझे निश्चित एवं
إِلَىٰ يَوْمِ ٱلْوَقْتِ ٱلْمَعْلُومِ ﴿٨١﴾
ज्ञात समय तक मुहलत है।\"
قَالَ فَبِعِزَّتِكَ لَأُغْوِيَنَّهُمْ أَجْمَعِينَ ﴿٨٢﴾
उसने कहा, \"तेरे प्रताप की सौगन्ध! मैं अवश्य उन सबको बहकाकर रहूँगा,
إِلَّا عِبَادَكَ مِنْهُمُ ٱلْمُخْلَصِينَ ﴿٨٣﴾
सिवाय उनमें से तेरे उन बन्दों के, जो चुने हुए है।\"
قَالَ فَٱلْحَقُّ وَٱلْحَقَّ أَقُولُ ﴿٨٤﴾
कहा, \"तो यह सत्य है और मैं सत्य ही कहता हूँ
لَأَمْلَأَنَّ جَهَنَّمَ مِنكَ وَمِمَّن تَبِعَكَ مِنْهُمْ أَجْمَعِينَ ﴿٨٥﴾
कि मैं जहन्नम को तुझसे और उन सबसे भर दूँगा, जिन्होंने उनमें से तेरा अनुसरण किया होगा।\"
قُلْ مَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍۢ وَمَآ أَنَا۠ مِنَ ٱلْمُتَكَلِّفِينَ ﴿٨٦﴾
कह दो, \"मैं इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता और न मैं बनानट करनेवालों में से हूँ।\"
إِنْ هُوَ إِلَّا ذِكْرٌۭ لِّلْعَٰلَمِينَ ﴿٨٧﴾
वह तो एक अनुस्मृति है सारे संसारवालों के लिए
وَلَتَعْلَمُنَّ نَبَأَهُۥ بَعْدَ حِينٍۭ ﴿٨٨﴾
और थोड़ी ही अवधि के पश्चात उसकी दी हुई ख़बर तुम्हे मालूम हो जाएगी