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Surah The Sundering, Splitting Open [Al-Inshiqaq] in Hindi

Surah The Sundering, Splitting Open [Al-Inshiqaq] Ayah 25 Location Maccah Number 84

إِذَا ٱلسَّمَآءُ ٱنشَقَّتْ ﴿١﴾

जबकि आकाश फट जाएगा,

وَأَذِنَتْ لِرَبِّهَا وَحُقَّتْ ﴿٢﴾

और वह अपने रब की सुनेगा, और उसे यही चाहिए भी

وَإِذَا ٱلْأَرْضُ مُدَّتْ ﴿٣﴾

जब धरती फैला दी जाएगी

وَأَلْقَتْ مَا فِيهَا وَتَخَلَّتْ ﴿٤﴾

और जो कुछ उसके भीतर है उसे बाहर डालकर खाली हो जाएगी

وَأَذِنَتْ لِرَبِّهَا وَحُقَّتْ ﴿٥﴾

और वह अपने रब की सुनेगी, और उसे यही चाहिए भी

يَٰٓأَيُّهَا ٱلْإِنسَٰنُ إِنَّكَ كَادِحٌ إِلَىٰ رَبِّكَ كَدْحًۭا فَمُلَٰقِيهِ ﴿٦﴾

ऐ मनुष्य! तू मशक़्क़त करता हुआ अपने रब ही की ओर खिंचा चला जा रहा है और अन्ततः उससे मिलने वाला है

فَأَمَّا مَنْ أُوتِىَ كِتَٰبَهُۥ بِيَمِينِهِۦ ﴿٧﴾

फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया,

فَسَوْفَ يُحَاسَبُ حِسَابًۭا يَسِيرًۭا ﴿٨﴾

तो उससे आसान, सरसरी हिसाब लिया जाएगा

وَيَنقَلِبُ إِلَىٰٓ أَهْلِهِۦ مَسْرُورًۭا ﴿٩﴾

और वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश पलटेगा

وَأَمَّا مَنْ أُوتِىَ كِتَٰبَهُۥ وَرَآءَ ظَهْرِهِۦ ﴿١٠﴾

और रह वह व्यक्ति जिसका कर्म-पत्र (उसके बाएँ हाथ में) उसकी पीठ के पीछे से दिया गया,

فَسَوْفَ يَدْعُوا۟ ثُبُورًۭا ﴿١١﴾

तो वह विनाश (मृत्यु) को पुकारेगा,

وَيَصْلَىٰ سَعِيرًا ﴿١٢﴾

और दहकती आग में जा पड़ेगा

إِنَّهُۥ كَانَ فِىٓ أَهْلِهِۦ مَسْرُورًا ﴿١٣﴾

वह अपने लोगों में मग्न था,

إِنَّهُۥ ظَنَّ أَن لَّن يَحُورَ ﴿١٤﴾

उसने यह समझ रखा था कि उसे कभी पलटना नहीं है

بَلَىٰٓ إِنَّ رَبَّهُۥ كَانَ بِهِۦ بَصِيرًۭا ﴿١٥﴾

क्यों नहीं, निश्चय ही उसका रब तो उसे देख रहा था!

فَلَآ أُقْسِمُ بِٱلشَّفَقِ ﴿١٦﴾

अतः कुछ नहीं, मैं क़सम खाता हूँ सांध्य-लालिमा की,

وَٱلَّيْلِ وَمَا وَسَقَ ﴿١٧﴾

और रात की और उसके समेट लेने की,

وَٱلْقَمَرِ إِذَا ٱتَّسَقَ ﴿١٨﴾

और चन्द्रमा की जबकि वह पूर्ण हो जाता है,

لَتَرْكَبُنَّ طَبَقًا عَن طَبَقٍۢ ﴿١٩﴾

निश्चय ही तुम्हें मंजिल पर मंजिल चढ़ना है

فَمَا لَهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ ﴿٢٠﴾

फिर उन्हें क्या हो गया है कि ईमान नहीं लाते?

وَإِذَا قُرِئَ عَلَيْهِمُ ٱلْقُرْءَانُ لَا يَسْجُدُونَ ۩ ﴿٢١﴾

और जब उन्हें कुरआन पढ़कर सुनाया जाता है तो सजदे में नहीं गिर पड़ते?

بَلِ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ يُكَذِّبُونَ ﴿٢٢﴾

नहीं, बल्कि इनकार करनेवाले तो झुठलाते है,

وَٱللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا يُوعُونَ ﴿٢٣﴾

हालाँकि जो कुछ वे अपने अन्दर एकत्र कर रहे है, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है

فَبَشِّرْهُم بِعَذَابٍ أَلِيمٍ ﴿٢٤﴾

अतः उन्हें दुखद यातना की मंगल सूचना दे दो

إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ لَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍۭ ﴿٢٥﴾

अलबत्ता जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए कभी न समाप्त॥ होनेवाला प्रतिदान है