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Surah The Fig [At-Tin] in Hindi
بِّسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ وَٱلتِّينِ وَٱلزَّيْتُونِ ﴿١﴾
साक्षी है तीन और ज़ैतून
وَطُورِ سِينِينَ ﴿٢﴾
और तूर सीनीन,
وَهَٰذَا ٱلْبَلَدِ ٱلْأَمِينِ ﴿٣﴾
और यह शान्तिपूर्ण भूमि (मक्का)
لَقَدْ خَلَقْنَا ٱلْإِنسَٰنَ فِىٓ أَحْسَنِ تَقْوِيمٍۢ ﴿٤﴾
निस्संदेह हमने मनुष्य को सर्वोत्तम संरचना के साथ पैदा किया
ثُمَّ رَدَدْنَٰهُ أَسْفَلَ سَٰفِلِينَ ﴿٥﴾
फिर हमने उसे निकृष्टतम दशा की ओर लौटा दिया, जबकि वह स्वयं गिरनेवाला बना
إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ فَلَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍۢ ﴿٦﴾
सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और जिन्होंने अच्छे कर्म किए, तो उनके लिए कभी न समाप्त होनेवाला बदला है
فَمَا يُكَذِّبُكَ بَعْدُ بِٱلدِّينِ ﴿٧﴾
अब इसके बाद क्या है, जो बदले के विषय में तुम्हें झुठलाए?
أَلَيْسَ ٱللَّهُ بِأَحْكَمِ ٱلْحَٰكِمِينَ ﴿٨﴾
क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़ा हाकिम नहीं हैं?