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Surah The Sundering, Splitting Open [Al-Inshiqaq] in Hindi

Surah The Sundering, Splitting Open [Al-Inshiqaq] Ayah 25 Location Maccah Number 84

إِذَا ٱلسَّمَآءُ ٱنشَقَّتْ ﴿١﴾

जब आसमान फट जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि आकाश फट जाएगा,

وَأَذِنَتْ لِرَبِّهَا وَحُقَّتْ ﴿٢﴾

और अपने परवरदिगार का हुक्म बजा लाएगा और उसे वाजिब भी यही है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वह अपने रब की सुनेगा, और उसे यही चाहिए भी

وَإِذَا ٱلْأَرْضُ مُدَّتْ ﴿٣﴾

और जब ज़मीन (बराबर करके) तान दी जाएगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जब धरती फैला दी जाएगी

وَأَلْقَتْ مَا فِيهَا وَتَخَلَّتْ ﴿٤﴾

और जो कुछ उसमें है उगल देगी और बिल्कुल ख़ाली हो जाएगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जो कुछ उसके भीतर है उसे बाहर डालकर खाली हो जाएगी

وَأَذِنَتْ لِرَبِّهَا وَحُقَّتْ ﴿٥﴾

और अपने परवरदिगार का हुक्म बजा लाएगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वह अपने रब की सुनेगी, और उसे यही चाहिए भी

يَٰٓأَيُّهَا ٱلْإِنسَٰنُ إِنَّكَ كَادِحٌ إِلَىٰ رَبِّكَ كَدْحًۭا فَمُلَٰقِيهِ ﴿٦﴾

और उस पर लाज़िम भी यही है (तो क़यामत आ जाएगी) ऐ इन्सान तू अपने परवरदिगार की हुज़ूरी की कोशिश करता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ मनुष्य! तू मशक़्क़त करता हुआ अपने रब ही की ओर खिंचा चला जा रहा है और अन्ततः उससे मिलने वाला है

فَأَمَّا مَنْ أُوتِىَ كِتَٰبَهُۥ بِيَمِينِهِۦ ﴿٧﴾

तो तू (एक न एक दिन) उसके सामने हाज़िर होगा फिर (उस दिन) जिसका नामाए आमाल उसके दाहिने हाथ में दिया जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया,

فَسَوْفَ يُحَاسَبُ حِسَابًۭا يَسِيرًۭا ﴿٨﴾

उससे तो हिसाब आसान तरीके से लिया जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो उससे आसान, सरसरी हिसाब लिया जाएगा

وَيَنقَلِبُ إِلَىٰٓ أَهْلِهِۦ مَسْرُورًۭا ﴿٩﴾

और (फिर) वह अपने (मोमिनीन के) क़बीले की तरफ ख़ुश ख़ुश पलटेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश पलटेगा

وَأَمَّا مَنْ أُوتِىَ كِتَٰبَهُۥ وَرَآءَ ظَهْرِهِۦ ﴿١٠﴾

लेकिन जिस शख़्श को उसका नामए आमल उसकी पीठ के पीछे से दिया जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और रह वह व्यक्ति जिसका कर्म-पत्र (उसके बाएँ हाथ में) उसकी पीठ के पीछे से दिया गया,

فَسَوْفَ يَدْعُوا۟ ثُبُورًۭا ﴿١١﴾

वह तो मौत की दुआ करेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो वह विनाश (मृत्यु) को पुकारेगा,

وَيَصْلَىٰ سَعِيرًا ﴿١٢﴾

और जहन्नुम वासिल होगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और दहकती आग में जा पड़ेगा

إِنَّهُۥ كَانَ فِىٓ أَهْلِهِۦ مَسْرُورًا ﴿١٣﴾

ये शख़्श तो अपने लड़के बालों में मस्त रहता था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह अपने लोगों में मग्न था,

إِنَّهُۥ ظَنَّ أَن لَّن يَحُورَ ﴿١٤﴾

और समझता था कि कभी (ख़ुदा की तरफ) फिर कर जाएगा ही नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने यह समझ रखा था कि उसे कभी पलटना नहीं है

بَلَىٰٓ إِنَّ رَبَّهُۥ كَانَ بِهِۦ بَصِيرًۭا ﴿١٥﴾

हाँ उसका परवरदिगार यक़ीनी उसको देख भाल कर रहा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्यों नहीं, निश्चय ही उसका रब तो उसे देख रहा था!

فَلَآ أُقْسِمُ بِٱلشَّفَقِ ﴿١٦﴾

तो मुझे शाम की मुर्ख़ी की क़सम

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः कुछ नहीं, मैं क़सम खाता हूँ सांध्य-लालिमा की,

وَٱلَّيْلِ وَمَا وَسَقَ ﴿١٧﴾

और रात की और उन चीज़ों की जिन्हें ये ढाँक लेती है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और रात की और उसके समेट लेने की,

وَٱلْقَمَرِ إِذَا ٱتَّسَقَ ﴿١٨﴾

और चाँद की जब पूरा हो जाए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और चन्द्रमा की जबकि वह पूर्ण हो जाता है,

لَتَرْكَبُنَّ طَبَقًا عَن طَبَقٍۢ ﴿١٩﴾

कि तुम लोग ज़रूर एक सख्ती के बाद दूसरी सख्ती में फँसोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही तुम्हें मंजिल पर मंजिल चढ़ना है

فَمَا لَهُمْ لَا يُؤْمِنُونَ ﴿٢٠﴾

तो उन लोगों को क्या हो गया है कि ईमान नहीं ईमान नहीं लाते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर उन्हें क्या हो गया है कि ईमान नहीं लाते?

وَإِذَا قُرِئَ عَلَيْهِمُ ٱلْقُرْءَانُ لَا يَسْجُدُونَ ۩ ﴿٢١﴾

और जब उनके सामने क़ुरान पढ़ा जाता है तो (ख़ुदा का) सजदा नहीं करते (21) (सजदा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जब उन्हें कुरआन पढ़कर सुनाया जाता है तो सजदे में नहीं गिर पड़ते?

بَلِ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ يُكَذِّبُونَ ﴿٢٢﴾

बल्कि काफ़िर लोग तो (और उसे) झुठलाते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

नहीं, बल्कि इनकार करनेवाले तो झुठलाते है,

وَٱللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا يُوعُونَ ﴿٢٣﴾

और जो बातें ये लोग अपने दिलों में छिपाते हैं ख़ुदा उसे ख़ूब जानता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हालाँकि जो कुछ वे अपने अन्दर एकत्र कर रहे है, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है

فَبَشِّرْهُم بِعَذَابٍ أَلِيمٍ ﴿٢٤﴾

तो (ऐ रसूल) उन्हें दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी दे दो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः उन्हें दुखद यातना की मंगल सूचना दे दो

إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ لَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍۭ ﴿٢٥﴾

मगर जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे अच्छे काम किए उनके लिए बेइन्तिहा अज्र (व सवाब है)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अलबत्ता जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए कभी न समाप्त॥ होनेवाला प्रतिदान है