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Surah The mankind [An-Nas] in Hindi
Surah The mankind [An-Nas] Ayah 6 Location Maccah Number 114
قُلۡ أَعُوذُ بِرَبِّ ٱلنَّاسِ ﴿1﴾
(ऐ रसूल) तुम कह दो मैं लोगों के परवरदिगार
कहो, \"मैं शरण लेता हूँ मनुष्यों के रब की
مِن شَرِّ ٱلۡوَسۡوَاسِ ٱلۡخَنَّاسِ ﴿4﴾
वसवसे की बुराई से पनाह माँगता हूँ
वसवसा डालनेवाले, खिसक जानेवाले की बुराई से
ٱلَّذِی یُوَسۡوِسُ فِی صُدُورِ ٱلنَّاسِ ﴿5﴾
जो (ख़ुदा के नाम से) पीछे हट जाता है जो लोगों के दिलों में वसवसे डाला करता है
जो मनुष्यों के सीनों में वसवसा डालता हैं
مِنَ ٱلۡجِنَّةِ وَٱلنَّاسِ ﴿6﴾
जिन्नात में से ख्वाह आदमियों में से
जो जिन्नों में से भी होता हैं और मनुष्यों में से भी
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