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طه ﴿1﴾

ऐ ता हा (रसूलअल्लाह)

مَاۤ أَنزَلۡنَا عَلَیۡكَ ٱلۡقُرۡءَانَ لِتَشۡقَىٰۤ ﴿2﴾

हमने तुम पर कुरान इसलिए नाज़िल नहीं किया कि तुम (इस क़दर) मशक्क़त उठाओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने तुमपर यह क़ुरआन इसलिए नहीं उतारा कि तुम मशक़्क़त में पड़ जाओ

إِلَّا تَذۡكِرَةࣰ لِّمَن یَخۡشَىٰ ﴿3﴾

मगर जो शख्स खुदा से डरता है उसके लिए नसीहत (क़रार दिया है)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह तो बस एक अनुस्मृति है, उसके लिए जो डरे,

تَنزِیلࣰا مِّمَّنۡ خَلَقَ ٱلۡأَرۡضَ وَٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ ٱلۡعُلَى ﴿4﴾

(ये) उस शख्स की तरफ़ से नाज़िल हुआ है जिसने ज़मीन और ऊँचे-ऊँचे आसमानों को पैदा किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

भली-भाँति अवतरित हुआ है उस सत्ता की ओर से, जिसने पैदा किया है धरती और उच्च आकाशों को

ٱلرَّحۡمَـٰنُ عَلَى ٱلۡعَرۡشِ ٱسۡتَوَىٰ ﴿5﴾

वही रहमान है जो अर्श पर (हुक्मरानी के लिए) आमादा व मुस्तईद है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह रहमान है, जो राजासन पर विराजमान हुआ

لَهُۥ مَا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَمَا فِی ٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَیۡنَهُمَا وَمَا تَحۡتَ ٱلثَّرَىٰ ﴿6﴾

जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है और जो कुछ दोनों के बीच में है और जो कुछ ज़मीन के नीचे है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है और जो कुछ इन दोनों के मध्य है और जो कुछ आर्द्र मिट्टी के नीचे है

وَإِن تَجۡهَرۡ بِٱلۡقَوۡلِ فَإِنَّهُۥ یَعۡلَمُ ٱلسِّرَّ وَأَخۡفَى ﴿7﴾

और अगर तू पुकार कर बात करे (तो भी आहिस्ता करे तो भी) वह यक़ीनन भेद और उससे ज्यादा पोशीदा चीज़ को जानता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम चाहे बात पुकार कर कहो (या चुपके से), वह तो छिपी हुई और अत्यन्त गुप्त बात को भी जानता है

ٱللَّهُ لَاۤ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَۖ لَهُ ٱلۡأَسۡمَاۤءُ ٱلۡحُسۡنَىٰ ﴿8﴾

अल्लाह (वह माबूद है कि) उसके सिवा कोइ माबूद नहीं है (अच्छे-अच्छे) उसी के नाम हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह, कि उसके सिवा कोई पूज्य-प्रभू नहीं। उसके नाम बहुत ही अच्छे हैं।

وَهَلۡ أَتَىٰكَ حَدِیثُ مُوسَىٰۤ ﴿9﴾

और (ऐ रसूल) क्या तुम तक मूसा की ख़बर पहुँची है कि जब उन्होंने दूर से आग देखी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुम्हें मूसा की भी ख़बर पहुँची?

إِذۡ رَءَا نَارࣰا فَقَالَ لِأَهۡلِهِ ٱمۡكُثُوۤا۟ إِنِّیۤ ءَانَسۡتُ نَارࣰا لَّعَلِّیۤ ءَاتِیكُم مِّنۡهَا بِقَبَسٍ أَوۡ أَجِدُ عَلَى ٱلنَّارِ هُدࣰى ﴿10﴾

तो अपने घर के लोगों से कहने लगे कि तुम लोग (ज़रा यहीं) ठहरो मैंने आग देखी है क्या अजब है कि मैं वहाँ (जाकर) उसमें से एक अंगारा तुम्हारे पास ले आऊँ या आग के पास किसी राह का पता पा जाऊँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि उसने एक आग देखी तो उसने अपने घरवालों से कहा, \"ठहरो! मैंने एक आग देखी है। शायद कि तुम्हारे लिए उसमें से कोई अंगारा ले आऊँ या उस आग पर मैं मार्ग का पता पा लूँ।\"

فَلَمَّاۤ أَتَىٰهَا نُودِیَ یَـٰمُوسَىٰۤ ﴿11﴾

फिर जब मूसा आग के पास आए तो उन्हें आवाज आई

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब वह वहाँ पहुँचा तो पुकारा गया, \"ऐ मूसा!

إِنِّیۤ أَنَا۠ رَبُّكَ فَٱخۡلَعۡ نَعۡلَیۡكَ إِنَّكَ بِٱلۡوَادِ ٱلۡمُقَدَّسِ طُوࣰى ﴿12﴾

कि ऐ मूसा बेशक मैं ही तुम्हारा परवरदिगार हूँ तो तुम अपनी जूतियाँ उतार डालो क्योंकि तुम (इस वक्त) तुआ (नामी) पाक़ीज़ा चटियल मैदान में हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैं ही तेरा रब हूँ। अपने जूते उतार दे। तू पवित्र घाटी 'तुवा' में है

وَأَنَا ٱخۡتَرۡتُكَ فَٱسۡتَمِعۡ لِمَا یُوحَىٰۤ ﴿13﴾

और मैंने तुमको पैग़म्बरी के वास्ते मुन्तख़िब किया (चुन लिया) है तो जो कुछ तुम्हारी तरफ़ वही की जाती है उसे कान लगा कर सुनो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मैंने तुझे चुन लिया है। अतः सुन, जो कुछ प्रकाशना की जाती है

إِنَّنِیۤ أَنَا ٱللَّهُ لَاۤ إِلَـٰهَ إِلَّاۤ أَنَا۠ فَٱعۡبُدۡنِی وَأَقِمِ ٱلصَّلَوٰةَ لِذِكۡرِیۤ ﴿14﴾

इसमें शक नहीं कि मैं ही वह अल्लाह हूँ कि मेरे सिवा कोई माबूद नहीं तो मेरी ही इबादत करो और मेरी याद के लिए नमाज़ बराबर पढ़ा करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह मैं ही अल्लाह हूँ। मेरे सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं। अतः तू मेरी बन्दगी कर और मेरी याद के लिए नमाज़ क़ायम कर

إِنَّ ٱلسَّاعَةَ ءَاتِیَةٌ أَكَادُ أُخۡفِیهَا لِتُجۡزَىٰ كُلُّ نَفۡسِۭ بِمَا تَسۡعَىٰ ﴿15﴾

(क्योंकि) क़यामत ज़रूर आने वाली है और मैं उसे लामहौला छिपाए रखूँगा ताकि हर शख्स (उसके ख़ौफ से नेकी करे) और वैसी कोशिश की है उसका उसे बदला दिया जाए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही वह (क़ियामत की) घड़ी आनेवाली है - शीघ्र ही उसे लाऊँगा, उसे छिपाए रखता हूँ - ताकि प्रत्येक व्यक्ति जो प्रयास वह करता है, उसका बदला पाए

فَلَا یَصُدَّنَّكَ عَنۡهَا مَن لَّا یُؤۡمِنُ بِهَا وَٱتَّبَعَ هَوَىٰهُ فَتَرۡدَىٰ ﴿16﴾

तो (कहीं) ऐसा न हो कि जो शख्स उसे दिल से नहीं मानता और अपनी नफ़सियानी ख्वाहिश के पीछे पड़ा वह तुम्हें इस (फिक्र) से रोक दे तो तुम तबाह हो जाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः जो कोई उसपर ईमान नहीं लाता और अपनी वासना के पीछे पड़ा है, वह तुझे उससे रोक न दे, अन्यथा तू विनष्ट हो जाएगा

وَمَا تِلۡكَ بِیَمِینِكَ یَـٰمُوسَىٰ ﴿17﴾

और ऐ मूसा ये तुम्हारे दाहिने हाथ में क्या चीज़ है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और ऐ मूसा! यह तेरे दाहिने हाथ में क्या है?\"

قَالَ هِیَ عَصَایَ أَتَوَكَّؤُا۟ عَلَیۡهَا وَأَهُشُّ بِهَا عَلَىٰ غَنَمِی وَلِیَ فِیهَا مَـَٔارِبُ أُخۡرَىٰ ﴿18﴾

अर्ज़ की ये तो मेरी लाठी है मैं उस पर सहारा करता हूँ और इससे अपनी बकरियों पर (और दरख्तों की) पत्तियाँ झाड़ता हूँ और उसमें मेरे और भी मतलब हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"यह मेरी लाठी है। मैं इसपर टेक लगाता हूँ और इससे अपनी बकरियों के लिए पत्ते झाड़ता हूँ और इससे मेरी दूसरी ज़रूरतें भी पूरी होती है।\"

قَالَ أَلۡقِهَا یَـٰمُوسَىٰ ﴿19﴾

फ़रमाया ऐ मूसा उसको ज़रा ज़मीन पर डाल तो दो मूसा ने उसे डाल दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"डाल दे उसे, ऐ मूसा!\"

فَأَلۡقَىٰهَا فَإِذَا هِیَ حَیَّةࣱ تَسۡعَىٰ ﴿20﴾

तो फ़ौरन वह साँप बनकर दौड़ने लगा (ये देखकर मूसा भागे)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः उसने डाल दिया। सहसा क्या देखते है कि वह एक साँप है, जो दौड़ रहा है

قَالَ خُذۡهَا وَلَا تَخَفۡۖ سَنُعِیدُهَا سِیرَتَهَا ٱلۡأُولَىٰ ﴿21﴾

तो फ़रमाया कि तुम इसको पकड़ लो और डरो नहीं मैं अभी इसकी पहली सी सूरत फिर किए देता हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"इसे पकड़ ले और डर मत। हम इसे इसकी पहली हालत पर लौटा देंगे

وَٱضۡمُمۡ یَدَكَ إِلَىٰ جَنَاحِكَ تَخۡرُجۡ بَیۡضَاۤءَ مِنۡ غَیۡرِ سُوۤءٍ ءَایَةً أُخۡرَىٰ ﴿22﴾

और अपने हाथ को समेंट कर अपने बग़ल में तो कर लो (फिर देखो कि) वह बग़ैर किसी बीमारी के सफेद चमकता दमकता हुआ निकलेगा ये दूसरा मौजिज़ा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और अपने हाथ अपने बाज़ू की ओर समेट ले। वह बिना किसी ऐब के रौशन दूसरी निशानी के रूप में निकलेगा

لِنُرِیَكَ مِنۡ ءَایَـٰتِنَا ٱلۡكُبۡرَى ﴿23﴾

(ये) ताकि हम तुमको अपनी (कुदरत की) बड़ी-बड़ी निशानियाँ दिखाएँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसलिए कि हम तुझे अपनी बड़ी निशानियाँ दिखाएँ

ٱذۡهَبۡ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ ﴿24﴾

अब तुम फिरऔन के पास जाओ उसने बहुत सर उठाया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तू फ़िरऔन के पास जा। वह बहुत सरकश हो गया है।\"

قَالَ رَبِّ ٱشۡرَحۡ لِی صَدۡرِی ﴿25﴾

मूसा ने अर्ज़ की परवरदिगार (मैं जाता तो हूँ)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने निवेदन किया, \"मेरे रब! मेरा सीना मेरे लिए खोल दे

وَیَسِّرۡ لِیۤ أَمۡرِی ﴿26﴾

मगर तू मेरे लिए मेरे सीने को कुशादा फरमा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मेरे काम को मेरे लिए आसान कर दे

وَٱحۡلُلۡ عُقۡدَةࣰ مِّن لِّسَانِی ﴿27﴾

और दिलेर बना और मेरा काम मेरे लिए आसान कर दे और मेरी ज़बान से लुक़नत की गिरह खोल दे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मेरी ज़बान की गिरह खोल दे।

یَفۡقَهُوا۟ قَوۡلِی ﴿28﴾

ताकि लोग मेरी बात अच्छी तरह समझें और

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि वे मेरी बात समझ सकें

وَٱجۡعَل لِّی وَزِیرࣰا مِّنۡ أَهۡلِی ﴿29﴾

मेरे कीनेवालों में से मेरे भाई हारून

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मेरे लिए अपने घरवालों में से एक सहायक नियुक्त कर दें,

هَـٰرُونَ أَخِی ﴿30﴾

को मेरा वज़ीर बोझ बटाने वाला बना दे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हारून को, जो मेरा भाई है

ٱشۡدُدۡ بِهِۦۤ أَزۡرِی ﴿31﴾

उसके ज़रिए से मेरी पुश्त मज़बूत कर दे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसके द्वारा मेरी कमर मज़बूत कर

وَأَشۡرِكۡهُ فِیۤ أَمۡرِی ﴿32﴾

और मेरे काम में उसको मेरा शरीक बना

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उसे मेरे काम में शरीक कर दें,

كَیۡ نُسَبِّحَكَ كَثِیرࣰا ﴿33﴾

ताकि हम दोनों (मिलकर) कसरत से तेरी तसबीह करें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि हम अधिक से अधिक तेरी तसबीह करें

وَنَذۡكُرَكَ كَثِیرًا ﴿34﴾

और कसरत से तेरी याद करें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और तुझे ख़ूब याद करें

إِنَّكَ كُنتَ بِنَا بَصِیرࣰا ﴿35﴾

तू तो हमारी हालत देख ही रहा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही तू हमें खूब देख रहा है।\"

قَالَ قَدۡ أُوتِیتَ سُؤۡلَكَ یَـٰمُوسَىٰ ﴿36﴾

फ़रमाया ऐ मूसा तुम्हारी सब दरख्वास्तें मंज़ूर की गई

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"दिया गया तुझे जो तूने माँगा, ऐ मूसा!

وَلَقَدۡ مَنَنَّا عَلَیۡكَ مَرَّةً أُخۡرَىٰۤ ﴿37﴾

और हम तो तुम पर एक बार और एहसान कर चुके हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हम तो तुझपर एक बार और भी उपकार कर चुके है

قَالَ عِلۡمُهَا عِندَ رَبِّی فِی كِتَـٰبࣲۖ لَّا یَضِلُّ رَبِّی وَلَا یَنسَى ﴿52﴾

मूसा ने कहा इन बातों का इल्म मेरे परवरदिगार के पास एक किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है मेरा परवरदिगार न बहकता है न भूलता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"उसका ज्ञान मेरे रब के पास एक किताब में सुरक्षित है। मेरा रब न चूकता है और न भूलता है।\"

ٱلَّذِی جَعَلَ لَكُمُ ٱلۡأَرۡضَ مَهۡدࣰا وَسَلَكَ لَكُمۡ فِیهَا سُبُلࣰا وَأَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَاۤءِ مَاۤءࣰ فَأَخۡرَجۡنَا بِهِۦۤ أَزۡوَ ٰ⁠جࣰا مِّن نَّبَاتࣲ شَتَّىٰ ﴿53﴾

वह वही है जिसने तुम्हारे (फ़ायदे के) वास्ते ज़मीन को बिछौना बनाया और तुम्हारे लिए उसमें राहें निकाली और उसी ने आसमान से पानी बरसाया फिर (खुदा फरमाता है कि) हम ही ने उस पानी के ज़रिए से मुख्तलिफ़ क़िस्मों की घासे निकाली

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"वही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को पालना (बिछौना) बनाया और उसने तुम्हारे लिए रास्ते निकाले और आकाश से पानी उतारा। फिर हमने उसके द्वारा विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे निकाले

كُلُوا۟ وَٱرۡعَوۡا۟ أَنۡعَـٰمَكُمۡۚ إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَـٰتࣲ لِّأُو۟لِی ٱلنُّهَىٰ ﴿54﴾

(ताकि) तुम खुद भी खाओ और अपने चारपायों को भी चराओ कुछ शक नहीं कि इसमें अक्लमन्दों के वास्ते (क़ुदरते खुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

खाओ और अपने चौपायों को भी चराओ! निस्संदेह इसमें बुद्धिमानों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है

۞ مِنۡهَا خَلَقۡنَـٰكُمۡ وَفِیهَا نُعِیدُكُمۡ وَمِنۡهَا نُخۡرِجُكُمۡ تَارَةً أُخۡرَىٰ ﴿55﴾

हमने इसी ज़मीन से तुम को पैदा किया और (मरने के बाद) इसमें लौटा कर लाएँगे और उसी से दूसरी बार (क़यामत के दिन) तुमको निकाल खड़ा करेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसी से हमने तुम्हें पैदा किया और उसी में हम तुम्हें लौटाते है और उसी से तुम्हें दूसरी बार निकालेंगे।\"

وَلَقَدۡ أَرَیۡنَـٰهُ ءَایَـٰتِنَا كُلَّهَا فَكَذَّبَ وَأَبَىٰ ﴿56﴾

और मैंने फिरऔन को अपनी सारी निशानियाँ दिखा दी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने फ़िरऔन को अपनी सब निशानियाँ दिखाई, किन्तु उसने झुठलाया और इनकार किया।-

قَالَ أَجِئۡتَنَا لِتُخۡرِجَنَا مِنۡ أَرۡضِنَا بِسِحۡرِكَ یَـٰمُوسَىٰ ﴿57﴾

इस पर भी उसने सबको झुठला दिया और न माना (और) कहने लगा ऐ मूसा क्या तुम हमारे पास इसलिए आए हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"ऐ मूसा! क्या तू हमारे पास इसलिए आया है कि अपने जादू से हमको हमारे अपने भूभाग से निकाल दे?

فَلَنَأۡتِیَنَّكَ بِسِحۡرࣲ مِّثۡلِهِۦ فَٱجۡعَلۡ بَیۡنَنَا وَبَیۡنَكَ مَوۡعِدࣰا لَّا نُخۡلِفُهُۥ نَحۡنُ وَلَاۤ أَنتَ مَكَانࣰا سُوࣰى ﴿58﴾

कि हम को हमारे मुल्क (मिस्र से) अपने जादू के ज़ोर से निकाल बाहर करो अच्छा तो (रहो) हम भी तुम्हारे सामने ऐसा जादू पेश करते हैं फिर तुम अपने और हमारे दरमियान एक वक्त मुक़र्रर करो कि न हम उसके ख़िलाफ करे और न तुम और मुक़ाबला एक साफ़ खुले मैदान में हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अच्छा, हम भी तेरे पास ऐसा ही जादू लाते है। अब हमारे और अपने बीच एक निश्चित स्थान ठहरा ले, कोई बीच की जगह, न हम इसके विरुद्ध जाएँ और न तू।\"

قَالَ مَوۡعِدُكُمۡ یَوۡمُ ٱلزِّینَةِ وَأَن یُحۡشَرَ ٱلنَّاسُ ضُحࣰى ﴿59﴾

मूसा ने कहा तुम्हारे (मुक़ाबले) की मीयाद ज़ीनत (ईद) का दिन है और उस रोज़ सब लोग दिन चढ़े जमा किए जाँए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"उत्सव का दिन तुम्हारे वादे का है और यह कि लोग दिन चढ़े इकट्ठे हो जाएँ।\"

فَتَوَلَّىٰ فِرۡعَوۡنُ فَجَمَعَ كَیۡدَهُۥ ثُمَّ أَتَىٰ ﴿60﴾

उसके बाद फिरऔन (अपनी जगह) लौट गया फिर अपने चलत्तर (जादू के सामान) जमा करने लगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तब फ़िरऔन ने पलटकर अपने सारे हथकंडे जुटाए। और आ गया

قَالَ لَهُم مُّوسَىٰ وَیۡلَكُمۡ لَا تَفۡتَرُوا۟ عَلَى ٱللَّهِ كَذِبࣰا فَیُسۡحِتَكُم بِعَذَابࣲۖ وَقَدۡ خَابَ مَنِ ٱفۡتَرَىٰ ﴿61﴾

फिर (मुक़ाबले को) आ मौजूद हुआ मूसा ने (फ़िरऔनियों से) कहा तुम्हारा नास हो खुदा पर झूठी-झूठी इफ्तेरा परदाज़ियाँ न करो वरना वह अज़ाब (नाज़िल करके) इससे तुम्हारा मटियामेट कर छोड़ेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मूसा ने उन लोगों से कहा, \"तबाही है तुम्हारी; झूठ घड़कर अल्लाह पर न थोपो कि वह तुम्हें एक यातना से विनष्ट कर दे और झूठ जिस किसी ने भी घड़कर थोपा, वह असफल रहा।\"

فَتَنَـٰزَعُوۤا۟ أَمۡرَهُم بَیۡنَهُمۡ وَأَسَرُّوا۟ ٱلنَّجۡوَىٰ ﴿62﴾

और (याद रखो कि) जिसने इफ्तेरा परदाज़ियाँ न की वह यकीनन नामुराद रहा उस पर वह लोग अपने काम में बाहम झगड़ने और सरगोशियाँ करने लगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसपर उन्होंने परस्पर बड़ा मतभेद किया औऱ और चुपके-चुपके कानाफूसी की

قَالُوۤا۟ إِنۡ هَـٰذَ ٰ⁠نِ لَسَـٰحِرَ ٰ⁠نِ یُرِیدَانِ أَن یُخۡرِجَاكُم مِّنۡ أَرۡضِكُم بِسِحۡرِهِمَا وَیَذۡهَبَا بِطَرِیقَتِكُمُ ٱلۡمُثۡلَىٰ ﴿63﴾

(आख़िर) वह लोग बोल उठे कि ये दोनों यक़ीनन जादूगर हैं और चाहते हैं कि अपने जादू (के ज़ोर) से तुम लोगों को तुम्हारे मुल्क से निकाल बाहर करें और तुम्हारे अच्छे ख़ासे मज़हब को मिटा छोड़ें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहने लगे, \"ये दोनों जादूगर है, चाहते है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारे भूभाग से निकाल बाहर करें। और तुम्हारी उत्तम और उच्च प्रणाली को तहस-नहस करके रख दे।\"

فَأَجۡمِعُوا۟ كَیۡدَكُمۡ ثُمَّ ٱئۡتُوا۟ صَفࣰّاۚ وَقَدۡ أَفۡلَحَ ٱلۡیَوۡمَ مَنِ ٱسۡتَعۡلَىٰ ﴿64﴾

तो तुम भी खूब अपने चलत्तर (जादू वग़ैरह) दुरूस्त कर लो फिर परा (सफ़) बाँध के (उनके मुक़ाबले में) आ पड़ो और जो आज डर रहा हो वही फायज़ुलहराम रहा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम सब मिलकर अपना उपाय जुटा लो, फिर पंक्तिबद्ध होकर आओ। आज तो प्रभावी रहा, वही सफल है।\"

إِذۡ أَوۡحَیۡنَاۤ إِلَىٰۤ أُمِّكَ مَا یُوحَىٰۤ ﴿38﴾

जब हमने तुम्हारी माँ को इलहाम किया जो अब तुम्हें ''वही'' के ज़रिए से बताया जाता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जब हमने तेरी माँ के दिल में यह बात डाली थी, जो अब प्रकाशना की जा रही है,

أَنِ ٱقۡذِفِیهِ فِی ٱلتَّابُوتِ فَٱقۡذِفِیهِ فِی ٱلۡیَمِّ فَلۡیُلۡقِهِ ٱلۡیَمُّ بِٱلسَّاحِلِ یَأۡخُذۡهُ عَدُوࣱّ لِّی وَعَدُوࣱّ لَّهُۥۚ وَأَلۡقَیۡتُ عَلَیۡكَ مَحَبَّةࣰ مِّنِّی وَلِتُصۡنَعَ عَلَىٰ عَیۡنِیۤ ﴿39﴾

कि तुम इसे (मूसा को) सन्दूक़ में रखकर सन्दूक़ को दरिया में डाल दो फिर दरिया उसे ढकेल कर किनारे डाल देगा कि मूसा को मेरा दुशमन और मूसा का दुशमन (फिरऔन) उठा लेगा और मैंने तुम पर अपनी मोहब्बत को डाल दिया जो देखता (प्यार करता) ताकि तुम मेरी ख़ास निगरानी में पाले पोसे जाओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि उसको सन्दूक में रख दे; फिर उसे दरिया में डाल दे; फिर दरिया उसे तट पर डाल दे कि उसे मेरा शत्रु और उसका शत्रु उठा ले। मैंने अपनी ओर से तुझपर अपना प्रेम डाला। (ताकि तू सुरक्षित रहे) और ताकि मेरी आँख के सामने तेरा पालन-पोषण हो

إِذۡ تَمۡشِیۤ أُخۡتُكَ فَتَقُولُ هَلۡ أَدُلُّكُمۡ عَلَىٰ مَن یَكۡفُلُهُۥۖ فَرَجَعۡنَـٰكَ إِلَىٰۤ أُمِّكَ كَیۡ تَقَرَّ عَیۡنُهَا وَلَا تَحۡزَنَۚ وَقَتَلۡتَ نَفۡسࣰا فَنَجَّیۡنَـٰكَ مِنَ ٱلۡغَمِّ وَفَتَنَّـٰكَ فُتُونࣰاۚ فَلَبِثۡتَ سِنِینَ فِیۤ أَهۡلِ مَدۡیَنَ ثُمَّ جِئۡتَ عَلَىٰ قَدَرࣲ یَـٰمُوسَىٰ ﴿40﴾

(उस वक्त) ज़ब तुम्हारी बहन चली (और फिर उनके घर में आकर) कहने लगी कि कहो तो मैं तुम्हें ऐसी दाया बताऊँ कि जो इसे अच्छी तरह पाले तो (इस तदबीर से) हमने फिर तुमको तुम्हारी माँ के पास पहुँचा दिया ताकि उसकी ऑंखें ठन्डी रहें और तुम्हारी (जुदाई पर) कुढ़े नहीं और तुमने एक शख्स (क़िबती) को मार डाला था और सख्त परेशान थे तो हमने तुमको (इस) ग़म से नजात दी और हमने तुम्हारा अच्छी तरह इम्तिहान कर लिया फिर तुम कई बरस तक मदयन के लोगों में जाकर रहे ऐ मूसा फिर तुम (उम्र के) एक अन्दाजे पर आ गए नबूवत के क़ायल हुए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

याद कर जबकि तेरी बहन जाती और कहती थी, क्या मैं तुम्हें उसका पता बता दूँ जो इसका पालन-पोषण अपने ज़िम्मे ले ले? इस प्रकार हमने फिर तुझे तेरी माँ के पास पहुँचा दिया, ताकि उसकी आँख ठंड़ी हो और वह शोकाकुल न हो। और हमने तुझे भली-भाँति परखा। फिर तू कई वर्ष मदयन के लोगों में ठहरा रहा। फिर ऐ मूसा! तू ख़ास समय पर आ गया है

وَٱصۡطَنَعۡتُكَ لِنَفۡسِی ﴿41﴾

और मैंने तुमको अपनी रिसालत के वास्ते मुन्तख़िब किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने तुझे अपने लिए तैयार किया है

ٱذۡهَبۡ أَنتَ وَأَخُوكَ بِـَٔایَـٰتِی وَلَا تَنِیَا فِی ذِكۡرِی ﴿42﴾

तुम अपने भाई समैत हमारे मौजिज़े लेकर जाओ और (देखो) मेरी याद में सुस्ती न करना

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो, तू और तेरी भाई मेरी निशानियो के साथ; और मेरी याद में ढ़ीले मत पड़ना

ٱذۡهَبَاۤ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ ﴿43﴾

तुम दोनों फिरऔन के पास जाओ बेशक वह बहुत सरकश हो गया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जाओ दोनों, फ़िरऔन के पास, वह सरकश हो गया है

فَقُولَا لَهُۥ قَوۡلࣰا لَّیِّنࣰا لَّعَلَّهُۥ یَتَذَكَّرُ أَوۡ یَخۡشَىٰ ﴿44﴾

फिर उससे (जाकर) नरमी से बातें करो ताकि वह नसीहत मान ले या डर जाए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उससे नर्म बात करना, कदाचित वह ध्यान दे या डरे।\"

قَالَا رَبَّنَاۤ إِنَّنَا نَخَافُ أَن یَفۡرُطَ عَلَیۡنَاۤ أَوۡ أَن یَطۡغَىٰ ﴿45﴾

दोनों ने अर्ज़ की ऐ हमारे पालने वाले हम डरते हैं कि कहीं वह हम पर ज्यादती (न) कर बैठे या ज्यादा सरकशी कर ले

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

दोनों ने कहा, \"ऐ हमारे रब! हमें इसका भय है कि वह हमपर ज़्यादती करे या सरकशी करने लग जाए।\"

قَالَ لَا تَخَافَاۤۖ إِنَّنِی مَعَكُمَاۤ أَسۡمَعُ وَأَرَىٰ ﴿46﴾

फ़रमाया तुम डरो नहीं मैं तुम्हारे साथ हूँ (सब कुछ) सुनता और देखता हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"डरो नहीं, मै तुम्हारे साथ हूँ। सुनता और देखता हूँ

فَأۡتِیَاهُ فَقُولَاۤ إِنَّا رَسُولَا رَبِّكَ فَأَرۡسِلۡ مَعَنَا بَنِیۤ إِسۡرَ ٰ⁠ۤءِیلَ وَلَا تُعَذِّبۡهُمۡۖ قَدۡ جِئۡنَـٰكَ بِـَٔایَةࣲ مِّن رَّبِّكَۖ وَٱلسَّلَـٰمُ عَلَىٰ مَنِ ٱتَّبَعَ ٱلۡهُدَىٰۤ ﴿47﴾

ग़रज़ तुम दोनों उसके पास जाओ और कहो कि हम आप के परवरदिगार के रसूल हैं तो बनी इसराइल को हमारे साथ भेज दीजिए और उन्हें सताइए नहीं हम आपके पास आपके परवरदिगार का मौजिज़ा लेकर आए हैं और जो राहे रास्त की पैरवी करे उसी के लिए सलामती है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः जाओ, उसके पास और कहो, हम तेरे रब के रसूल है। इसराईल की सन्तान को हमारे साथ भेज दे। और उन्हें यातना न दे। हम तेरे पास तेरे रब की निशानी लेकर आए है। और सलामती है उसके लिए जो संमार्ग का अनुसरण करे!

إِنَّا قَدۡ أُوحِیَ إِلَیۡنَاۤ أَنَّ ٱلۡعَذَابَ عَلَىٰ مَن كَذَّبَ وَتَوَلَّىٰ ﴿48﴾

हमारे पास खुदा की तरफ से ये ''वही'' नाज़िल हुईहै कि यक़ीनन अज़ाब उसी शख्स पर है जो (खुदा की आयतों को) झुठलाए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह हमारी ओर प्रकाशना हुई है कि यातना उसके लिए है, जो झुठलाए और मुँह फेरे।\"

قَالَ فَمَن رَّبُّكُمَا یَـٰمُوسَىٰ ﴿49﴾

और उसके हुक्म से मुँह मोड़े (ग़रज़ गए और कहा) फिरऔन ने पूछा ऐ मूसा आख़िर तुम दोनों का परवरदिगार कौन है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"अच्छा, तुम दोनों का रब कौन है, मूसा?\"

قَالَ رَبُّنَا ٱلَّذِیۤ أَعۡطَىٰ كُلَّ شَیۡءٍ خَلۡقَهُۥ ثُمَّ هَدَىٰ ﴿50﴾

मूसा ने कहा हमारा परवरदिगार वह है जिसने हर चीज़ को उसके (मुनासिब) सूरत अता फरमाई

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"हमारा रब वह है जिसने हर चीज़ को उसकी आकृति दी, फिर तदनुकूव निर्देशन किया।\"

قَالَ فَمَا بَالُ ٱلۡقُرُونِ ٱلۡأُولَىٰ ﴿51﴾

फिर उसी ने ज़िन्दगी बसर करने के तरीक़े बताए फिरऔन ने पूछा भला अगले लोगों का हाल (तो बताओ) कि क्या हुआ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"अच्छा तो उन नस्लों का क्या हाल है, जो पहले थी?\"

قَالُوا۟ یَـٰمُوسَىٰۤ إِمَّاۤ أَن تُلۡقِیَ وَإِمَّاۤ أَن نَّكُونَ أَوَّلَ مَنۡ أَلۡقَىٰ ﴿65﴾

ग़रज़ जादूगरों ने कहा (ऐ मूसा) या तो तुम ही (अपने जादू) फेंको और या ये कि पहले जो जादू फेंके वह हम ही हों

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे बोले, \"ऐ मूसा! या तो तुम फेंको या फिर हम पहले फेंकते हैं।\"

قَالَ بَلۡ أَلۡقُوا۟ۖ فَإِذَا حِبَالُهُمۡ وَعِصِیُّهُمۡ یُخَیَّلُ إِلَیۡهِ مِن سِحۡرِهِمۡ أَنَّهَا تَسۡعَىٰ ﴿66﴾

मूसा ने कहा (मैं नहीं डालूँगा) बल्कि तुम ही पहले डालो (ग़रज़ उन्होंने अपने करतब दिखाए) तो बस मूसा को उनके जादू (के ज़ोर से) ऐसा मालूम हुआ कि उनकी रस्सियाँ और उनकी छड़ियाँ दौड़ रही हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"नहीं, बल्कि तुम्हीं फेंको।\" फिर अचानक क्या देखते है कि उनकी रस्सियाँ और लाठियाँ उनके जादू से उनके ख़याल में दौड़ती हुई प्रतीत हुई

فَأَوۡجَسَ فِی نَفۡسِهِۦ خِیفَةࣰ مُّوسَىٰ ﴿67﴾

तो मूसा ने अपने दिल में कुछ दहशत सी पाई

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और मूसा अपने जी में डरा

قُلۡنَا لَا تَخَفۡ إِنَّكَ أَنتَ ٱلۡأَعۡلَىٰ ﴿68﴾

हमने कहा (मूसा) इस से डरो नहीं यक़ीनन तुम ही वर रहोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने कहा, \"मत डर! निस्संदेह तू ही प्रभावी रहेगा।

وَأَلۡقِ مَا فِی یَمِینِكَ تَلۡقَفۡ مَا صَنَعُوۤا۟ۖ إِنَّمَا صَنَعُوا۟ كَیۡدُ سَـٰحِرࣲۖ وَلَا یُفۡلِحُ ٱلسَّاحِرُ حَیۡثُ أَتَىٰ ﴿69﴾

और तुम्हारे दाहिने हाथ में जो (लाठी) है उसे डाल तो दो कि जो करतब उन लोगों ने की है उसे हड़प कर जाए क्योंकि उन लोगों ने जो कुछ करतब की वह एक जादूगर की करतब है और जादूगर जहाँ जाए कामयाब नहीं हो सकता

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और डाल दे जो तेरे दाहिने हाथ में है। जो कुछ उन्होंने रचा है, वह उसे निगल जाएगा। जो कुछ उन्होंने रचा है, वह तो बस जादूगर का स्वांग है और जादूगर सफल नहीं होता, चाहे वह जैसे भी आए।\"

فَأُلۡقِیَ ٱلسَّحَرَةُ سُجَّدࣰا قَالُوۤا۟ ءَامَنَّا بِرَبِّ هَـٰرُونَ وَمُوسَىٰ ﴿70﴾

(ग़रज मूसा की लाटी ने) सब हड़प कर लिया (ये देखते ही) वह सब जादूगर सजदे में गिर पड़े (और कहने लगे) कि हम मूसा और हारून के परवरदिगार पर ईमान ले आए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अन्ततः जादूगर सजदे में गिर पड़े, बोले, \"हम हारून और मूसा के रब पर ईमान ले आए।\"

قَالَ ءَامَنتُمۡ لَهُۥ قَبۡلَ أَنۡ ءَاذَنَ لَكُمۡۖ إِنَّهُۥ لَكَبِیرُكُمُ ٱلَّذِی عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحۡرَۖ فَلَأُقَطِّعَنَّ أَیۡدِیَكُمۡ وَأَرۡجُلَكُم مِّنۡ خِلَـٰفࣲ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمۡ فِی جُذُوعِ ٱلنَّخۡلِ وَلَتَعۡلَمُنَّ أَیُّنَاۤ أَشَدُّ عَذَابࣰا وَأَبۡقَىٰ ﴿71﴾

फिरऔन ने उन लोगों से कहा (हाए) इससे पहले कि हम तुमको इजाज़त दें तुम उस पर ईमान ले आए इसमें शक नहीं कि ये तुम सबका बड़ा (गुरू) है जिसने तुमको जादू सिखाया है तो मैं तुम्हारा एक तरफ़ के हाथ और दूसरी तरफ़ के पाँव ज़रूर काट डालूँगा और तुम्हें यक़ीनन खुरमे की शाख़ों पर सूली चढ़ा दूँगा और उस वक्त तुमको (अच्छी तरह) मालूम हो जाएगा कि हम (दोनों) फरीक़ों से अज़ाब में ज्यादा बढ़ा हुआ कौन और किसको क़याम ज्यादा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"तुमने मान लिया उसको, इससे पहले कि मैं तुम्हें इसकी अनुज्ञा देता? निश्चय ही यह तुम सबका प्रमुख है, जिसने जादू सिखाया है। अच्छा, अब मैं तुम्हारा हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और खंजूर के तनों पर तुम्हें सूली दे दूँगा। तब तुम्हें अवश्य ही मालूम हो जाएगा कि हममें से किसकी यातना अधिक कठोर और स्थायी है!\"

قَالُوا۟ لَن نُّؤۡثِرَكَ عَلَىٰ مَا جَاۤءَنَا مِنَ ٱلۡبَیِّنَـٰتِ وَٱلَّذِی فَطَرَنَاۖ فَٱقۡضِ مَاۤ أَنتَ قَاضٍۖ إِنَّمَا تَقۡضِی هَـٰذِهِ ٱلۡحَیَوٰةَ ٱلدُّنۡیَاۤ ﴿72﴾

जादूगर बोले कि ऐसे वाजेए व रौशन मौजिज़ात जो हमारे सामने आए उन पर और जिस (खुदा) ने हमको पैदा किया उस पर तो हम तुमको किसी तरह तरजीह नहीं दे सकते तो जो तुझे करना हो कर गुज़र तो बस दुनिया की (इसी ज़रा) ज़िन्दगी पर हुकूमत कर सकता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"जो स्पष्ट निशानियाँ हमारे सामने आ चुकी है उनके मुक़ाबले में सौगंध है उस सत्ता की, जिसने हमें पैदा किया है, हम कदापि तुझे प्राथमिकता नहीं दे सकते। तो जो कुछ तू फ़ैसला करनेवाला है, कर ले। तू बस इसी सांसारिक जीवन का फ़ैसला कर सकता है

إِنَّاۤ ءَامَنَّا بِرَبِّنَا لِیَغۡفِرَ لَنَا خَطَـٰیَـٰنَا وَمَاۤ أَكۡرَهۡتَنَا عَلَیۡهِ مِنَ ٱلسِّحۡرِۗ وَٱللَّهُ خَیۡرࣱ وَأَبۡقَىٰۤ ﴿73﴾

(और कहा) हम तो अपने परवरदिगार पर इसलिए ईमान लाए हैं ताकि हमारे वास्ते सारे गुनाह माफ़ कर दे और (ख़ास कर) जिस पर तूने हमें मजबूर किया था और खुदा ही सबसे बेहतर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हम तो अपने रब पर ईमान ले आए, ताकि वह हमारी खताओं को माफ़ कर दे औऱ इस जादू को भी जिसपर तूने हमें बाध्य किया। अल्लाह की उत्तम और शेष रहनेवाला है।\" -

إِنَّهُۥ مَن یَأۡتِ رَبَّهُۥ مُجۡرِمࣰا فَإِنَّ لَهُۥ جَهَنَّمَ لَا یَمُوتُ فِیهَا وَلَا یَحۡیَىٰ ﴿74﴾

और (उसी को) सबसे ज्यादा क़याम है इसमें शक नहीं कि जो शख्स मुजरिम होकर अपने परवरदिगार के सामने हाज़िर होगा तो उसके लिए यक़ीनन जहन्नुम (धरा हुआ) है जिसमें न तो वह मरे ही गा और न ज़िन्दा ही रहेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सत्य यह है कि जो कोई अपने रब के पास अपराधी बनकर आया उसके लिए जहन्नम है, जिसमें वह न मरेगा और न जिएगा

وَمَن یَأۡتِهِۦ مُؤۡمِنࣰا قَدۡ عَمِلَ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ فَأُو۟لَـٰۤىِٕكَ لَهُمُ ٱلدَّرَجَـٰتُ ٱلۡعُلَىٰ ﴿75﴾

(सिसकता रहेगा) और जो शख्स उसके सामने ईमानदार हो कर हाज़िर होगा और उसने अच्छे-अच्छे काम भी किए होंगे तो ऐसे ही लोग हैं जिनके लिए बड़े-बड़े बुलन्द रूतबे हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जो कोई उसके पास मोमिन होकर आया, जिसने अच्छे कर्म किए होंगे, तो ऐसे लोगों के लिए तो ऊँचे दर्जें है

جَنَّـٰتُ عَدۡنࣲ تَجۡرِی مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَـٰرُ خَـٰلِدِینَ فِیهَاۚ وَذَ ٰ⁠لِكَ جَزَاۤءُ مَن تَزَكَّىٰ ﴿76﴾

वह सदाबहार बाग़ात जिनके नीचे नहरें जारी हैं वह लोग उसमें हमेशा रहेंगे और जो गुनाह से पाक व पाकीज़ा रहे उस का यही सिला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अदन के बाग़ है, जिनके नीचें नहरें बहती होंगी। उनमें वे सदैव रहेंगे। यह बदला है उसका जिसने स्वयं को विकसित किया--

وَلَقَدۡ أَوۡحَیۡنَاۤ إِلَىٰ مُوسَىٰۤ أَنۡ أَسۡرِ بِعِبَادِی فَٱضۡرِبۡ لَهُمۡ طَرِیقࣰا فِی ٱلۡبَحۡرِ یَبَسࣰا لَّا تَخَـٰفُ دَرَكࣰا وَلَا تَخۡشَىٰ ﴿77﴾

और हमने मूसा के पास ''वही'' भेजी कि मेरे बन्दों (बनी इसराइल) को (मिस्र से) रातों रात निकाल ले जाओ फिर दरिया में (लाठी मारकर) उनके लिए एक सूखी राह निकालो और तुमको पीछा करने का न कोई खौफ़ रहेगा न (डूबने की) कोई दहशत

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, \"रातों रात मेरे बन्दों को लेकर निकल पड़, और उनके लिए दरिया में सूखा मार्ग निकाल ले। न तो तुझे पीछा किए जाने औऱ न पकड़े जाने का भय हो और न किसी अन्य चीज़ से तुझे डर लगे।\"

فَأَتۡبَعَهُمۡ فِرۡعَوۡنُ بِجُنُودِهِۦ فَغَشِیَهُم مِّنَ ٱلۡیَمِّ مَا غَشِیَهُمۡ ﴿78﴾

ग़रज़ फिरऔन ने अपने लशकर समैत उनका पीछा किया फिर दरिया (के पानी का रेला) जैसा कुछ उन पर छाया गया वह छा गया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फ़िरऔन ने अपनी सेना के साथ उनका पीछा किया। अन्ततः पानी उनपर छा गया, जैसाकि उसे उनपर छा जाना था

وَأَضَلَّ فِرۡعَوۡنُ قَوۡمَهُۥ وَمَا هَدَىٰ ﴿79﴾

और फिरऔन ने अपनी क़ौम को गुमराह (करके हलाक) कर डाला और उनकी हिदायत न की

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फ़िरऔन ने अपनी क़ौम को पथभ्रष्ट किया और मार्ग न दिखाया

یَـٰبَنِیۤ إِسۡرَ ٰ⁠ۤءِیلَ قَدۡ أَنجَیۡنَـٰكُم مِّنۡ عَدُوِّكُمۡ وَوَ ٰ⁠عَدۡنَـٰكُمۡ جَانِبَ ٱلطُّورِ ٱلۡأَیۡمَنَ وَنَزَّلۡنَا عَلَیۡكُمُ ٱلۡمَنَّ وَٱلسَّلۡوَىٰ ﴿80﴾

ऐ बनी इसराइल हमने तुमको तुम्हारे दुश्मन (के पंजे) से छुड़ाया और तुम से (कोहेतूर) के दाहिने तरफ का वायदा किया और हम ही ने तुम पर मन व सलवा नाज़िल किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ ईसराईल की सन्तान! हमने तुम्हें तुम्हारे शत्रु से छुटकारा दिया और तुमसे तूर के दाहिने छोर का वादा किया और तुमपर मग्न और सलवा उतारा,

كُلُوا۟ مِن طَیِّبَـٰتِ مَا رَزَقۡنَـٰكُمۡ وَلَا تَطۡغَوۡا۟ فِیهِ فَیَحِلَّ عَلَیۡكُمۡ غَضَبِیۖ وَمَن یَحۡلِلۡ عَلَیۡهِ غَضَبِی فَقَدۡ هَوَىٰ ﴿81﴾

और (फ़रमाया) कि हमने जो पाक व पाक़ीज़ा रोज़ी तुम्हें दे रखी है उसमें से खाओ (पियो) और उसमें (किसी क़िस्म की) शरारत न करो वरना तुम पर मेरा अज़ाब नाज़िल हो जाएगा और (याद रखो कि) जिस पर मेरा ग़ज़ब नाज़िल हुआ तो वह यक़ीनन गुमराह (हलाक) हुआ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"खाओ, जो कुछ पाक अच्छी चीज़े हमने तुम्हें प्रदान की है, किन्तु इसमें हद से आगे न बढ़ो कि तुमपर मेरा प्रकोप टूट पड़े और जिस किसी पर मेरा प्रकोप टूटा, वह तो गिरकर ही रहा

وَإِنِّی لَغَفَّارࣱ لِّمَن تَابَ وَءَامَنَ وَعَمِلَ صَـٰلِحࣰا ثُمَّ ٱهۡتَدَىٰ ﴿82﴾

और जो शख्स तौबा करे और ईमान लाए और अच्छे काम करे फिर साबित क़दम रहे तो हम उसको ज़रूर बख्शने वाले हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जो तौबा कर ले और ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, फिर सीधे मार्ग पर चलता रहे, उसके लिए निश्चय ही मैं अत्यन्त क्षमाशील हूँ।\" -

۞ وَمَاۤ أَعۡجَلَكَ عَن قَوۡمِكَ یَـٰمُوسَىٰ ﴿83﴾

फिर जब मूसा सत्तर आदमियों को लेकर चले और खुद बढ़ आए तो हमने कहा कि (ऐ मूसा तुमने अपनी क़ौम से आगे चलने में क्यों जल्दी की)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"और अपनी क़ौम को छोड़कर तुझे शीघ्र आने पर किस चीज़ ने उभारा, ऐ मूसा?\"

قَالَ هُمۡ أُو۟لَاۤءِ عَلَىٰۤ أَثَرِی وَعَجِلۡتُ إِلَیۡكَ رَبِّ لِتَرۡضَىٰ ﴿84﴾

ग़रज़ की वह भी तो मेरे ही पीछे चले आ रहे हैं और इसी लिए मैं जल्दी करके तेरे पास इसलिए आगे बढ़ आया हूँ ताकि तू (मुझसे) खुश रहे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"वे मेरे पीछे ही और मैं जल्दी बढ़कर आया तेरी ओर, ऐ रब! ताकि तू राज़ी हो जाए।\"

قَالَ فَإِنَّا قَدۡ فَتَنَّا قَوۡمَكَ مِنۢ بَعۡدِكَ وَأَضَلَّهُمُ ٱلسَّامِرِیُّ ﴿85﴾

फ़रमाया तो हमने तुम्हारे (आने के बाद) तुम्हारी क़ौम का इम्तिहान लिया और सामरी ने उनको गुमराह कर छोड़ा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"अच्छा, तो हमने तेरे पीछे तेरी क़ौम के लोगों को आज़माइश में डाल दिया है। और सामरी ने उन्हें पथभ्रष्ट कर डाला।\"

فَرَجَعَ مُوسَىٰۤ إِلَىٰ قَوۡمِهِۦ غَضۡبَـٰنَ أَسِفࣰاۚ قَالَ یَـٰقَوۡمِ أَلَمۡ یَعِدۡكُمۡ رَبُّكُمۡ وَعۡدًا حَسَنًاۚ أَفَطَالَ عَلَیۡكُمُ ٱلۡعَهۡدُ أَمۡ أَرَدتُّمۡ أَن یَحِلَّ عَلَیۡكُمۡ غَضَبࣱ مِّن رَّبِّكُمۡ فَأَخۡلَفۡتُم مَّوۡعِدِی ﴿86﴾

(तो मूसा) गुस्से में भरे पछताए हुए अपनी क़ौम की तरफ पलटे और आकर कहने लगे ऐ मेरी (क़म्बख्त) क़ौम क्या तुमसे तुम्हारे परवरदिगार ने एक अच्छा वायदा (तौरेत देने का) न किया था तुम्हारे वायदे में अरसा लग गया या तुमने ये चाहा कि तुम पर तुम्हारे परवरदिगार का ग़ज़ब टूंट पड़े कि तुमने मेरे वायदे (खुदा की परसतिश) के ख़िलाफ किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तब मूसा अत्यन्त क्रोध और खेद में डूबा हुआ अपनी क़ौम के लोगों की ओर पलटा। कहा, \"ऐ मेरी क़ौम के लोगों! क्या तुमसे तुम्हारे रब ने अच्छा वादा नहीं किया था? क्या तुमपर लम्बी मुद्दत गुज़र गई या तुमने यही चाहा कि तुमपर तुम्हारे रब का प्रकोप ही टूटे कि तुमने मेरे वादे के विरुद्ध आचरण किया?\"

قَالُوا۟ مَاۤ أَخۡلَفۡنَا مَوۡعِدَكَ بِمَلۡكِنَا وَلَـٰكِنَّا حُمِّلۡنَاۤ أَوۡزَارࣰا مِّن زِینَةِ ٱلۡقَوۡمِ فَقَذَفۡنَـٰهَا فَكَذَ ٰ⁠لِكَ أَلۡقَى ٱلسَّامِرِیُّ ﴿87﴾

वह लोग कहने लगे हमने आपके वायदे के ख़िलाफ नहीं किया बल्कि (बात ये हुईकि फिरऔन की) क़ौम के ज़ेवर के बोझे जो (मिस्र से निकलते वक्त) हम पर लोग गए थे उनको हम लोगों ने (सामरी के कहने से आग में) डाल दिया फिर सामरी ने भी डाल दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"हमने आपसे किए हुए वादे के विरुद्ध अपने अधिकार से कुछ नहीं किया, बल्कि लोगों के ज़ेवरों के बोझ हम उठाए हुए थे, फिर हमने उनको (आग में) फेंक दिया, सामरी ने इसी तरह प्रेरित किया था।\"

كَذَ ٰ⁠لِكَ نَقُصُّ عَلَیۡكَ مِنۡ أَنۢبَاۤءِ مَا قَدۡ سَبَقَۚ وَقَدۡ ءَاتَیۡنَـٰكَ مِن لَّدُنَّا ذِكۡرࣰا ﴿99﴾

(ऐ रसूल) हम तुम्हारे सामने यूँ वाक़ेयात बयान करते हैं जो गुज़र चुके और हमने ही तुम्हारे पास अपनी बारगाह से कुरान अता किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इस प्रकार विगत वृत्तांत हम तुम्हें सुनाते है और हमने तुम्हें अपने पास से एक अनुस्मृति प्रदान की है

مَّنۡ أَعۡرَضَ عَنۡهُ فَإِنَّهُۥ یَحۡمِلُ یَوۡمَ ٱلۡقِیَـٰمَةِ وِزۡرًا ﴿100﴾

जिसने उससे मुँह फेरा वह क़यामत के दिन यक़ीनन (अपने बुरे आमाल का) बोझ उठाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस किसी ने उससे मुँह मोड़ा, वह निश्चय ही क़ियामत के दिन एक बोझ उठाएगा

خَـٰلِدِینَ فِیهِۖ وَسَاۤءَ لَهُمۡ یَوۡمَ ٱلۡقِیَـٰمَةِ حِمۡلࣰا ﴿101﴾

और उसी हाल में हमेशा रहेंगे और क्या ही बुरा बोझ है क़यामत के दिन ये लोग उठाए होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐसे दिन सदैव इसी वबाल में पड़े रहेंगे और क़ियामत के दिन उनके हक़ में यह बहुत ही बुरा बोझ सिद्ध होगा

یَوۡمَ یُنفَخُ فِی ٱلصُّورِۚ وَنَحۡشُرُ ٱلۡمُجۡرِمِینَ یَوۡمَىِٕذࣲ زُرۡقࣰا ﴿102﴾

जिस दिन सूर फूँका जाएगा और हम उस दिन गुनाहगारों को (उनकी) ऑंखें पुतली (अन्धी) करके (आमने-सामने) जमा करेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस दिन सूर फूँका जाएगा और हम अपराधियों को उस दिन इस दशा में इकट्ठा करेंगे कि उनकी आँखे नीली पड़ गई होंगी

یَتَخَـٰفَتُونَ بَیۡنَهُمۡ إِن لَّبِثۡتُمۡ إِلَّا عَشۡرࣰا ﴿103﴾

(और) आपस में चुपके-चुपके कहते होंगे कि (दुनिया या क़ब्र में) हम लोग (बहुत से बहुत) नौ दस दिन ठहरे होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे आपस में चुपके-चुपके कहेंगे कि \"तुम बस दस ही दिन ठहरे हो।\"

نَّحۡنُ أَعۡلَمُ بِمَا یَقُولُونَ إِذۡ یَقُولُ أَمۡثَلُهُمۡ طَرِیقَةً إِن لَّبِثۡتُمۡ إِلَّا یَوۡمࣰا ﴿104﴾

जो कुछ ये लोग (उस दिन) कहेंगे हम खूब जानते हैं कि जो इनमें सबसे ज्यादा होशियार होगा बोल उठेगा कि तुम बस (बहुत से बहुत) एक दिन ठहरे होगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हम भली-भाँति जानते है जो कुछ वे कहेंगे, जबकि उनका सबसे अच्छी सम्मतिवाला कहेगा, \"तुम तो बस एक ही दिन ठहरे हो।\"

وَیَسۡـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلۡجِبَالِ فَقُلۡ یَنسِفُهَا رَبِّی نَسۡفࣰا ﴿105﴾

(और ऐ रसूल) तुम से लोग पहाड़ों के बारे में पूछा करते हैं (कि क़यामत के रोज़ क्या होगा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे तुमसे पर्वतों के विषय में पूछते है। कह दो, \"मेरा रब उन्हें छूल की तरह उड़ा देगा,

فَیَذَرُهَا قَاعࣰا صَفۡصَفࣰا ﴿106﴾

तो तुम कह दो कि मेरा परवरदिगार बिल्कुल रेज़ा रेज़ा करके उड़ा डालेगा और ज़मीन को एक चटियल मैदान कर छोड़ेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और धरती को एक समतल चटियल मैदान बनाकर छोड़ेगा

لَّا تَرَىٰ فِیهَا عِوَجࣰا وَلَاۤ أَمۡتࣰا ﴿107﴾

कि (ऐ शख्स) न तो उसमें मोड़ देखेगा और न ऊँच-नीच

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम उसमें न कोई सिलवट देखोगे और न ऊँच-नीच।\"

یَوۡمَىِٕذࣲ یَتَّبِعُونَ ٱلدَّاعِیَ لَا عِوَجَ لَهُۥۖ وَخَشَعَتِ ٱلۡأَصۡوَاتُ لِلرَّحۡمَـٰنِ فَلَا تَسۡمَعُ إِلَّا هَمۡسࣰا ﴿108﴾

उस दिन लोग एक पुकारने वाले इसराफ़ील की आवाज़ के पीछे (इस तरह सीधे) दौड़ पड़ेगे कि उसमें कुछ भी कज़ी न होगी और आवाज़े उस दिन खुदा के सामने (इस तरह) घिघियाएगें कि तू घुनघुनाहट के सिवा और कुछ न सुनेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उस दिन वे पुकारनेवाले के पीछे चल पड़ेंगे और उसके सामने कोई अकड़ न दिखाई जा सकेगी। आवाज़े रहमान के सामने दब जाएँगी। एक हल्की मन्द आवाज़ के अतिरिक्त तुम कुछ न सुनोगे

یَوۡمَىِٕذࣲ لَّا تَنفَعُ ٱلشَّفَـٰعَةُ إِلَّا مَنۡ أَذِنَ لَهُ ٱلرَّحۡمَـٰنُ وَرَضِیَ لَهُۥ قَوۡلࣰا ﴿109﴾

उस दिन किसी की सिफ़ारिश काम न आएगी मगर जिसको खुदा ने इजाज़त दी हो और उसका बोलना पसन्द करे जो कुछ उन लोगों के सामने है और जो कुछ उनके पीछे है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उस दिन सिफ़ारिश काम न आएगी। यह और बात है कि किसी के लिए रहमान अनुज्ञा दे और उसके लिए बात करने को पसन्द करे

یَعۡلَمُ مَا بَیۡنَ أَیۡدِیهِمۡ وَمَا خَلۡفَهُمۡ وَلَا یُحِیطُونَ بِهِۦ عِلۡمࣰا ﴿110﴾

(ग़रज़ सब कुछ) वह जानता है और ये लोग अपने इल्म से उसपर हावी नहीं हो सकते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है, किन्तु वे अपने ज्ञान से उसपर हावी नहीं हो सकते

۞ وَعَنَتِ ٱلۡوُجُوهُ لِلۡحَیِّ ٱلۡقَیُّومِۖ وَقَدۡ خَابَ مَنۡ حَمَلَ ظُلۡمࣰا ﴿111﴾

और (क़यामत में) सारी (खुदाई के) का मुँह ज़िन्दा और बाक़ी रहने वाले खुदा के सामने झुक जाएँगे और जिसने जुल्म का बोझ (अपने सर पर) उठाया वह यक़ीनन नाकाम रहा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

चेहरे उस जीवन्त, शाश्वत सत्ता के आगे झुकें होंगे। असफल हुआ वह जिसने ज़ुल्म का बोझ उठाया

وَمَن یَعۡمَلۡ مِنَ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ وَهُوَ مُؤۡمِنࣱ فَلَا یَخَافُ ظُلۡمࣰا وَلَا هَضۡمࣰا ﴿112﴾

और जिसने अच्छे-अच्छे काम किए और वह मोमिन भी है तो उसको न किसी तरह की बेइन्साफ़ी का डर है और न किसी नुक़सान का

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु जो कोई अच्छे कर्म करे और हो वह मोमिन, तो उसे न तो किसी ज़ुल्म का भय होगा और न हक़ मारे जाने का

وَكَذَ ٰ⁠لِكَ أَنزَلۡنَـٰهُ قُرۡءَانًا عَرَبِیࣰّا وَصَرَّفۡنَا فِیهِ مِنَ ٱلۡوَعِیدِ لَعَلَّهُمۡ یَتَّقُونَ أَوۡ یُحۡدِثُ لَهُمۡ ذِكۡرࣰا ﴿113﴾

हमने उसको उसी तरह अरबी ज़बान का कुरान नाज़िल फ़रमाया और उसमें अज़ाब के तरह-तरह के वायदे बयान किए ताकि ये लोग परहेज़गार बनें या उनके मिजाज़ में इबरत पैदा कर दे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और इस प्रकार हमने इसे अरबी क़ुरआन के रूप में अवतरित किया है और हमने इसमें तरह-तरह से चेतावनी दी है, ताकि वे डर रखें या यह उन्हें होश दिलाए

فَأَخۡرَجَ لَهُمۡ عِجۡلࣰا جَسَدࣰا لَّهُۥ خُوَارࣱ فَقَالُوا۟ هَـٰذَاۤ إِلَـٰهُكُمۡ وَإِلَـٰهُ مُوسَىٰ فَنَسِیَ ﴿88﴾

फिर सामरी ने उन लोगों के लिए (उसी जेवर से) एक बछड़े की मूरत बनाई जिसकी आवाज़ भी बछड़े की सी थी उस पर बाज़ लोग कहने लगे यही तुम्हारा (भी) माबूद और मूसा का (भी) माबूद है मगर वह भूल गया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उसने उनके लिए एक बछड़ा ढालकर निकाला, एक धड़ जिसकी आवाज़ बैल की थी। फिर उन्होंने कहा, \"यही तुम्हारा इष्ट-पूज्य है और मूसा का भी इष्ट -पूज्य है, किन्तु वह भूल गया है।\"

أَفَلَا یَرَوۡنَ أَلَّا یَرۡجِعُ إِلَیۡهِمۡ قَوۡلࣰا وَلَا یَمۡلِكُ لَهُمۡ ضَرࣰّا وَلَا نَفۡعࣰا ﴿89﴾

भला इनको इतनी भी न सूझी कि ये बछड़ा न तो उन लोगों को पलट कर उन की बात का जवाब ही देता है और न उनका ज़रर ही उस के हाथ में है और न नफ़ा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या वे देखते न थे कि न वह किसी बात का उत्तर देता है और न उसे उनकी हानि का कुछ अधिकार प्राप्त है और न लाभ का?

وَلَقَدۡ قَالَ لَهُمۡ هَـٰرُونُ مِن قَبۡلُ یَـٰقَوۡمِ إِنَّمَا فُتِنتُم بِهِۦۖ وَإِنَّ رَبَّكُمُ ٱلرَّحۡمَـٰنُ فَٱتَّبِعُونِی وَأَطِیعُوۤا۟ أَمۡرِی ﴿90﴾

और हारून ने उनसे पहले कहा भी था कि ऐ मेरी क़ौम तुम्हारा सिर्फ़ इसके ज़रिये से इम्तिहान किया जा रहा है और इसमें शक नहीं कि तम्हारा परवरदिगार (बस खुदाए रहमान है) तो तुम मेरी पैरवी करो और मेरा कहा मानो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हारून इससे पहले उनसे कह भी चुका था कि \"मेरी क़ौम के लोगों! तुम इसके कारण बस फ़ितने में पड़ गए हो। तुम्हारा रब तो रहमान है। अतः तुम मेरा अनुसरण करो और मेरी बात मानो।\"

قَالُوا۟ لَن نَّبۡرَحَ عَلَیۡهِ عَـٰكِفِینَ حَتَّىٰ یَرۡجِعَ إِلَیۡنَا مُوسَىٰ ﴿91﴾

तो वह लोग कहने लगे जब तक मूसा हमारे पास पलट कर न आएँ हम तो बराबर इसकी परसतिश पर डटे बैठे रहेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने कहा, \"जब तक मूसा लौटकर हमारे पास न आ जाए, हम तो इससे ही लगे बैठे रहेंगे।\"

قَالَ یَـٰهَـٰرُونُ مَا مَنَعَكَ إِذۡ رَأَیۡتَهُمۡ ضَلُّوۤا۟ ﴿92﴾

मूसा ने हारून की तरफ ख़िताब करके कहा ऐ हारून जब तुमने उनको देख लिया था गमुराह हो गए हैं तो तुम्हें मेरी पैरवी (क़ताल) करने को किसने मना किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"ऐ हारून! जब तुमने देखा कि ये पथभ्रष्ट हो गए है, तो किस चीज़ ने तुम्हें रोका

أَلَّا تَتَّبِعَنِۖ أَفَعَصَیۡتَ أَمۡرِی ﴿93﴾

तो क्या तुमने मेरे हुक्म की नाफ़रमानी की

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि तुमने मेरा अनुसरण न किया? क्या तुमने मेरे आदेश की अवहेलना की?\"

قَالَ یَبۡنَؤُمَّ لَا تَأۡخُذۡ بِلِحۡیَتِی وَلَا بِرَأۡسِیۤۖ إِنِّی خَشِیتُ أَن تَقُولَ فَرَّقۡتَ بَیۡنَ بَنِیۤ إِسۡرَ ٰ⁠ۤءِیلَ وَلَمۡ تَرۡقُبۡ قَوۡلِی ﴿94﴾

हारून ने कहा ऐ मेरे माँजाए (भाई) मेरी दाढ़ी न पकडिऐ और न मेरे सर (के बाल) मैं तो उससे डरा कि (कहीं) आप (वापस आकर) ये (न) कहिए कि तुमने बनी इसराईल में फूट डाल दी और मेरी बात का भी ख्याल न रखा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"ऐ मेरी माँ के बेटे! मेरी दाढ़ी न पकड़ और न मेरा सिर! मैं डरा कि तू कहेंगा कि तूने इसराईल की सन्तान में फूट डाल दी और मेरी बात पर ध्यान न दिया।\"

قَالَ فَمَا خَطۡبُكَ یَـٰسَـٰمِرِیُّ ﴿95﴾

तब सामरी से कहने लगे कि ओ सामरी तेरा क्या हाल है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

(मूसा ने) कहा, \"ऐ सामरी! तेरा क्या मामला है?\"

قَالَ بَصُرۡتُ بِمَا لَمۡ یَبۡصُرُوا۟ بِهِۦ فَقَبَضۡتُ قَبۡضَةࣰ مِّنۡ أَثَرِ ٱلرَّسُولِ فَنَبَذۡتُهَا وَكَذَ ٰ⁠لِكَ سَوَّلَتۡ لِی نَفۡسِی ﴿96﴾

उसने (जवाब में) कहा मुझे वह चीज़ दिखाई दी जो औरों को न सूझी (जिबरील घोड़े पर सवार जा रहे थे) तो मैंने जिबरील फरिश्ते (के घोड़े) के निशाने क़दम की एक मुट्ठी (ख़ाक) की उठा ली फिर मैंने (बछड़ों के क़ालिब में) डाल दी (तो वह बोलेने लगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"मुझे उसकी सूझ प्राप्त हुई, जिसकी सूझ उन्हें प्राप्त॥ न हुई। फिर मैंने रसूल के पद-चिन्ह से एक मुट्ठी उठा ली। फिर उसे डाल दिया और मेरे जी ने मुझे कुछ ऐसा ही सुझाया।\"

قَالَ فَٱذۡهَبۡ فَإِنَّ لَكَ فِی ٱلۡحَیَوٰةِ أَن تَقُولَ لَا مِسَاسَۖ وَإِنَّ لَكَ مَوۡعِدࣰا لَّن تُخۡلَفَهُۥۖ وَٱنظُرۡ إِلَىٰۤ إِلَـٰهِكَ ٱلَّذِی ظَلۡتَ عَلَیۡهِ عَاكِفࣰاۖ لَّنُحَرِّقَنَّهُۥ ثُمَّ لَنَنسِفَنَّهُۥ فِی ٱلۡیَمِّ نَسۡفًا ﴿97﴾

और उस वक्त मुझे मेरे नफ्स ने यही सुझाया मूसा ने कहा चल (दूर हो) तेरे लिए (इस दुनिया की) ज़िन्दगी में तो (ये सज़ा है) तू कहता फ़िरेगा कि मुझे न छूना (वरना बुख़ार चढ़ जाएगा) और (आख़िरत में भी) यक़ीनी तेरे लिए (अज़ाब का) वायदा है कि हरगिज़ तुझसे ख़िलाफ़ न किया जाएगा और तू अपने माबूद को तो देख जिस (की इबादत) पर तू डट बैठा था कि हम उसे यक़ीनन जलाकर (राख) कर डालेंगे फिर हम उसे तितिर बितिर करके दरिया में उड़ा देगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"अच्छा, तू जा! अब इस जीवन में तेरे लिए यही है कि कहता रहे, कोई छुए नहीं! और निश्चित वादा है, जो तेरे लिए एक निश्चित वादा है, जो तुझपर से कदापि न टलेगा। और देख अपने इष्ट-पूज्य को जिसपर तू रीझा-जमा बैठा था! हम उसे जला डालेंगे, फिर उसे चूर्ण-विचूर्ण करके दरिया में बिखेर देंगे।\"

إِنَّمَاۤ إِلَـٰهُكُمُ ٱللَّهُ ٱلَّذِی لَاۤ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَۚ وَسِعَ كُلَّ شَیۡءٍ عِلۡمࣰا ﴿98﴾

तुम्हारा माबूद तो बस वही ख़ुदा है जिसके सिवा कोई और माबूद बरहक़ नहीं कि उसका इल्म हर चीज़ पर छा गया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"तुम्हारा पूज्य-प्रभु तो बस वही अल्लाह है, जिसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं। वह अपने ज्ञान से हर चीज़ पर हावी है।\"

فَتَعَـٰلَى ٱللَّهُ ٱلۡمَلِكُ ٱلۡحَقُّۗ وَلَا تَعۡجَلۡ بِٱلۡقُرۡءَانِ مِن قَبۡلِ أَن یُقۡضَىٰۤ إِلَیۡكَ وَحۡیُهُۥۖ وَقُل رَّبِّ زِدۡنِی عِلۡمࣰا ﴿114﴾

पस (दो जहाँ का) सच्चा बादशाह खुदा बरतर व आला है और (ऐ रसूल) कुरान के (पढ़ने) में उससे पहले कि तुम पर उसकी ''वही'' पूरी कर दी जाए जल्दी न करो और दुआ करो कि ऐ मेरे पालने वाले मेरे इल्म को और ज्यादा फ़रमा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः सर्वोच्च है अल्लाह, सच्चा सम्राट! क़ुरआन के (फ़ैसले के) सिलसिले में जल्दी न करो, जब तक कि वह पूरा न हो जाए। तेरी ओर उसकी प्रकाशना हो रही है। और कहो, \"मेरे रब, मुझे ज्ञान में अभिवृद्धि प्रदान कर।\"

وَلَقَدۡ عَهِدۡنَاۤ إِلَىٰۤ ءَادَمَ مِن قَبۡلُ فَنَسِیَ وَلَمۡ نَجِدۡ لَهُۥ عَزۡمࣰا ﴿115﴾

और हमने आदम से पहले ही एहद ले लिया था कि उस दरख्त के पास न जाना तो आदम ने उसे तर्क कर दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने इससे पहले आदम से वचन लिया था, किन्तु वह भूल गया और हमने उसमें इरादे की मज़बूती न पाई

وَإِذۡ قُلۡنَا لِلۡمَلَـٰۤىِٕكَةِ ٱسۡجُدُوا۟ لِـَٔادَمَ فَسَجَدُوۤا۟ إِلَّاۤ إِبۡلِیسَ أَبَىٰ ﴿116﴾

और हमने उनमें साबित व इस्तक़लाल न पाया और जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो तो सबने सजदा किया मगर शैतान ने इन्कार किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जब हमने फ़रिश्तों से कहा, \"आदम को सजदा करो।\" तो उन्होंने सजदा किया सिवाय इबलीस के, वह इनकार कर बैठा

فَقُلۡنَا یَـٰۤـَٔادَمُ إِنَّ هَـٰذَا عَدُوࣱّ لَّكَ وَلِزَوۡجِكَ فَلَا یُخۡرِجَنَّكُمَا مِنَ ٱلۡجَنَّةِ فَتَشۡقَىٰۤ ﴿117﴾

तो मैंने (आदम से कहा) कि ऐ आदम ये यक़ीनी तुम्हारा और तुम्हारी बीवी का दुशमन है तो कहीं तुम दोनों को बेहिश्त से निकलवा न छोड़े तो तुम (दुनिया की) मुसीबत में फँस जाओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसपर हमने कहा, \"ऐ आदम! निश्चय ही यह तुम्हारा और तुम्हारी पत्नी का शत्रु है। ऐसा न हो कि तुम दोनों को जन्नत से निकलवा दे और तुम तकलीफ़ में पड़ जाओ

إِنَّ لَكَ أَلَّا تَجُوعَ فِیهَا وَلَا تَعۡرَىٰ ﴿118﴾

कुछ शक नहीं कि (बेहिश्त में) तुम्हें ये आराम है कि न तो तुम यहाँ भूके रहोगे और न नँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम्हारे लिए तो ऐसा है कि न तुम यहाँ भूखे रहोगे और न नंगे

وَأَنَّكَ لَا تَظۡمَؤُا۟ فِیهَا وَلَا تَضۡحَىٰ ﴿119﴾

और न यहाँ प्यासे रहोगे और न धूप खाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और यह कि न यहाँ प्यासे रहोगे और न धूप की तकलीफ़ उठाओगे।\"

فَوَسۡوَسَ إِلَیۡهِ ٱلشَّیۡطَـٰنُ قَالَ یَـٰۤـَٔادَمُ هَلۡ أَدُلُّكَ عَلَىٰ شَجَرَةِ ٱلۡخُلۡدِ وَمُلۡكࣲ لَّا یَبۡلَىٰ ﴿120﴾

तो शैतान ने उनके दिल में वसवसा डाला (और) कहा ऐ आदम क्या मैं तम्हें (हमेशगी की ज़िन्दगी) का दरख्त और वह सल्तनत जो कभी ज़ाएल न हो बता दूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर शैतान ने उसे उकसाया। कहने लगा, \"ऐ आदम! क्या मैं तुझे शाश्वत जीवन के वृक्ष का पता दूँ और ऐसे राज्य का जो कभी जीर्ण न हो?\"

فَأَكَلَا مِنۡهَا فَبَدَتۡ لَهُمَا سَوۡءَ ٰ⁠ تُهُمَا وَطَفِقَا یَخۡصِفَانِ عَلَیۡهِمَا مِن وَرَقِ ٱلۡجَنَّةِۚ وَعَصَىٰۤ ءَادَمُ رَبَّهُۥ فَغَوَىٰ ﴿121﴾

चुनान्चे दोनों मियाँ बीबी ने उसी में से कुछ खाया तो उनका आगा पीछा उनपर ज़ाहिर हो गया और दोनों बेहिश्त के (दरख्त के) पत्ते अपने आगे पीछे पर चिपकाने लगे और आदम ने अपने परवरदिगार की नाफ़रमानी की

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अन्ततः उन दोनों ने उसमें से खा लिया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी छिपाने की चीज़े उनके आगे खुल गई और वे दोनों अपने ऊपर जन्नत के पत्ते जोड-जोड़कर रखने लगे। और आदम ने अपने रब की अवज्ञा की, तो वह मार्ग से भटक गया

ثُمَّ ٱجۡتَبَـٰهُ رَبُّهُۥ فَتَابَ عَلَیۡهِ وَهَدَىٰ ﴿122﴾

तो (राहे सवाब से) बेराह हो गए इसके बाद उनके परवरदिगार ने बर गुज़ीदा किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसके पश्चात उसके रब ने उसे चुन लिया और दोबारा उसकी ओर ध्यान दिया और उसका मार्गदर्शन किया

قَالَ ٱهۡبِطَا مِنۡهَا جَمِیعَۢاۖ بَعۡضُكُمۡ لِبَعۡضٍ عَدُوࣱّۖ فَإِمَّا یَأۡتِیَنَّكُم مِّنِّی هُدࣰى فَمَنِ ٱتَّبَعَ هُدَایَ فَلَا یَضِلُّ وَلَا یَشۡقَىٰ ﴿123﴾

फिर उनकी तौबा कुबूल की और उनकी हिदायत की फरमाया कि तुम दोनों बेहश्त से नीचे उतर जाओ तुम में से एक का एक दुशमन है फिर अगर तुम्हारे पास मेरी तरफ से हिदायत पहुँचे तो (तुम) उसकी पैरवी करना क्योंकि जो शख्स मेरी हिदायत पर चलेगा न तो गुमराह होगा और न मुसीबत में फँसेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहा, \"तुम दोनों के दोनों यहाँ से उतरो! तुम्हारे कुछ लोग कुछ के शत्रु होंगे। फिर यदि मेरी ओर से तुम्हें मार्गदर्शन पहुँचे, तो जिस किसी ने मेरे मार्गदर्शन का अनुपालन किया, वह न तो पथभ्रष्ट होगा और न तकलीफ़ में पड़ेगा

وَمَنۡ أَعۡرَضَ عَن ذِكۡرِی فَإِنَّ لَهُۥ مَعِیشَةࣰ ضَنكࣰا وَنَحۡشُرُهُۥ یَوۡمَ ٱلۡقِیَـٰمَةِ أَعۡمَىٰ ﴿124﴾

और जिस शख्स ने मेरी याद से मुँह फेरा तो उसकी ज़िन्दगी बहुत तंगी में बसर होगी और हम उसको क़यामत के दिन अंधा बना के उठाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जिस किसी ने मेरी स्मृति से मुँह मोडा़ तो उसका जीवन संकीर्ण होगा और क़ियामत के दिन हम उसे अंधा उठाएँगे।\"

قَالَ رَبِّ لِمَ حَشَرۡتَنِیۤ أَعۡمَىٰ وَقَدۡ كُنتُ بَصِیرࣰا ﴿125﴾

वह कहेगा इलाही मैं तो (दुनिया में) ऑंख वाला था तूने मुझे अन्धा करके क्यों उठाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह कहेगा, \"ऐ मेरे रब! तूने मुझे अंधा क्यों उठाया, जबकि मैं आँखोंवाला था?\"

قَالَ كَذَ ٰ⁠لِكَ أَتَتۡكَ ءَایَـٰتُنَا فَنَسِیتَهَاۖ وَكَذَ ٰ⁠لِكَ ٱلۡیَوۡمَ تُنسَىٰ ﴿126﴾

खुदा फरमाएगा ऐसा ही (होना चाहिए) हमारी आयतें भी तो तेरे पास आई तो तू उन्हें भुला बैठा और इसी तरह आज तू भी भूला दिया जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह कहेगा, \"इसी प्रकार (तू संसार में अंधा रहा था) । तेरे पास मेरी आयतें आई थी, तो तूने उन्हें भूला दिया था। उसी प्रकार आज तुझे भुलाया जा रहा है।\"

وَكَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی مَنۡ أَسۡرَفَ وَلَمۡ یُؤۡمِنۢ بِـَٔایَـٰتِ رَبِّهِۦۚ وَلَعَذَابُ ٱلۡـَٔاخِرَةِ أَشَدُّ وَأَبۡقَىٰۤ ﴿127﴾

और जिसने (हद से) तजाविज़ किया और अपने परवरदिगार की आयतों पर ईमान न लाया उसको ऐसी ही बदला देगें और आख़िरत का अज़ाब तो यक़ीनी बहुत सख्त और बहुत देर पा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसी प्रकार हम उसे बदला देते है जो मर्यादा का उल्लंघन करे और अपने रब की आयतों पर ईमान न लाए। और आख़िरत की यातना तो अत्यन्त कठोर और अधिक स्थायी है

أَفَلَمۡ یَهۡدِ لَهُمۡ كَمۡ أَهۡلَكۡنَا قَبۡلَهُم مِّنَ ٱلۡقُرُونِ یَمۡشُونَ فِی مَسَـٰكِنِهِمۡۚ إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَـٰتࣲ لِّأُو۟لِی ٱلنُّهَىٰ ﴿128﴾

तो क्या उन (अहले मक्का) को उस (खुदा) ने ये नहीं बता दिया था कि हमने उनके पहले कितने लोगों को हलाक कर डाला जिनके घरों में ये लोग चलते फिरते हैं इसमें शक नहीं कि उसमें अक्लमंदों के लिए (कुदरते खुदा की) यक़ीनी बहुत सी निशानियाँ हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर क्या उनको इससे भी मार्ग न मिला कि हम उनसे पहले कितनी ही नस्लों को विनष्ट कर चुके है, जिनकी बस्तियों में वे चलते-फिरते है? निस्संदेह बुद्धिमानों के लिए इसमें बहुत-सी निशानियाँ है

وَلَوۡلَا كَلِمَةࣱ سَبَقَتۡ مِن رَّبِّكَ لَكَانَ لِزَامࣰا وَأَجَلࣱ مُّسَمࣰّى ﴿129﴾

और (ऐ रसूल) अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से पहले ही एक वायदा और अज़ाब का) एक वक्त मुअय्युन न होता तो (उनकी हरकतों से) फ़ौरन अज़ाब का आना लाज़मी बात थी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि तेरे रब की ओर से पहले ही एक बात निश्चित न हो गई होती और एक अवधि नियत न की जा चुकी होती, तो अवश्य ही उन्हें यातना आ पकड़ती

فَٱصۡبِرۡ عَلَىٰ مَا یَقُولُونَ وَسَبِّحۡ بِحَمۡدِ رَبِّكَ قَبۡلَ طُلُوعِ ٱلشَّمۡسِ وَقَبۡلَ غُرُوبِهَاۖ وَمِنۡ ءَانَاۤىِٕ ٱلَّیۡلِ فَسَبِّحۡ وَأَطۡرَافَ ٱلنَّهَارِ لَعَلَّكَ تَرۡضَىٰ ﴿130﴾

(ऐ रसूल) जो कुछ ये कुफ्फ़ार बका करते हैं तुम उस पर सब्र करो और आफ़ताब निकलने के क़ब्ल और उसके ग़ुरूब होने के क़ब्ल अपने परवरदिगार की हम्दोसना के साथ तसबीह किया करो और कुछ रात के वक़्तों में और दिन के किनारों में तस्बीह करो ताकि तुम निहाल हो जाओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब का गुणगान करो, सूर्योदय से पहले और उसके डूबने से पहले, और रात की घड़ियों में भी तसबीह करो, और दिन के किनारों पर भी, ताकि तुम राज़ी हो जाओ

وَلَا تَمُدَّنَّ عَیۡنَیۡكَ إِلَىٰ مَا مَتَّعۡنَا بِهِۦۤ أَزۡوَ ٰ⁠جࣰا مِّنۡهُمۡ زَهۡرَةَ ٱلۡحَیَوٰةِ ٱلدُّنۡیَا لِنَفۡتِنَهُمۡ فِیهِۚ وَرِزۡقُ رَبِّكَ خَیۡرࣱ وَأَبۡقَىٰ ﴿131﴾

और (ऐ रसूल) जो उनमें से कुछ लोगों को दुनिया की इस ज़रा सी ज़िन्दगी की रौनक़ से निहाल कर दिया है ताकि हम उनको उसमें आज़माएँ तुम अपनी नज़रें उधर न बढ़ाओ और (इससे) तुम्हारे परवरदिगार की रोज़ी (सवाब) कहीं बेहतर और ज्यादा पाएदार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उसकी ओर आँख उठाकर न देखो, जो कुछ हमने उनमें से विभिन्न लोगों को उपभोग के लिए दे रखा है, ताकि हम उसके द्वारा उन्हें आज़माएँ। वह तो बस सांसारिक जीवन की शोभा है। तुम्हारे रब की रोज़ी उत्तम भी है और स्थायी भी

وَأۡمُرۡ أَهۡلَكَ بِٱلصَّلَوٰةِ وَٱصۡطَبِرۡ عَلَیۡهَاۖ لَا نَسۡـَٔلُكَ رِزۡقࣰاۖ نَّحۡنُ نَرۡزُقُكَۗ وَٱلۡعَـٰقِبَةُ لِلتَّقۡوَىٰ ﴿132﴾

और अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म दो और तुम खुद भी उसके पाबन्द रहो हम तुम से रोज़ी तो तलब करते नहीं (बल्कि) हम तो खुद तुमको रोज़ी देते हैं और परहेज़गारी ही का तो अन्जाम बखैर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और अपने लोगों को नमाज़ का आदेश करो और स्वयं भी उसपर जमे रहो। हम तुमसे कोई रोज़ी नहीं माँगते। रोज़ी हम ही तुम्हें देते है, और अच्छा परिणाम तो धर्मपरायणता ही के लिए निश्चित है

وَقَالُوا۟ لَوۡلَا یَأۡتِینَا بِـَٔایَةࣲ مِّن رَّبِّهِۦۤۚ أَوَلَمۡ تَأۡتِهِم بَیِّنَةُ مَا فِی ٱلصُّحُفِ ٱلۡأُولَىٰ ﴿133﴾

और (अहले मक्का) कहते हैं कि अपने परवरदिगार की तरफ से हमारे पास कोई मौजिज़ा हमारी मर्ज़ी के मुवाफिक़ क्यों नहीं लाते तो क्या जो (पेशीव गोइयाँ) अगली किताबों (तौरेत, इन्जील) में (इसकी) गवाह हैं वह भी उनके पास नहीं पहुँची

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वे कहते है कि \"यह अपने रब की ओर से हमारे पास कोई निशानी क्यों नहीं लाता?\" क्या उनके पास उसका स्पष्ट प्रमाण नहीं आ गया, जो कुछ कि पहले की पुस्तकों में उल्लिखित है?

وَلَوۡ أَنَّاۤ أَهۡلَكۡنَـٰهُم بِعَذَابࣲ مِّن قَبۡلِهِۦ لَقَالُوا۟ رَبَّنَا لَوۡلَاۤ أَرۡسَلۡتَ إِلَیۡنَا رَسُولࣰا فَنَتَّبِعَ ءَایَـٰتِكَ مِن قَبۡلِ أَن نَّذِلَّ وَنَخۡزَىٰ ﴿134﴾

और अगर हम उनको इस रसूल से पहले अज़ाब से हलाक कर डालते तो ज़रूर कहते कि ऐ हमारे पालने वाले तूने हमारे पास (अपना) रसूल क्यों न भेजा तो हम अपने ज़लील व रूसवा होने से पहले तेरी आयतों की पैरवी ज़रूर करते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि हम उसके पहले इन्हें किसी यातना से विनष्ट कर देते तो ये कहते कि \"ऐ हमारे रब, तूने हमारे पास कोई रसूल क्यों न भेजा कि इससे पहले कि हम अपमानित और रुसवा होते, तेरी आयतों का अनुपालन करने लगते?\"

قُلۡ كُلࣱّ مُّتَرَبِّصࣱ فَتَرَبَّصُوا۟ۖ فَسَتَعۡلَمُونَ مَنۡ أَصۡحَـٰبُ ٱلصِّرَ ٰ⁠طِ ٱلسَّوِیِّ وَمَنِ ٱهۡتَدَىٰ ﴿135﴾

रसूल तुम कह दो कि हर शख्स (अपने अन्जामकार का) मुन्तिज़र है तो तुम भी इन्तिज़ार करो फिर तो तुम्हें बहुत जल्द मालूम हो जाएगा कि सीधी राह वाले कौन हैं (और कज़ी पर कौन हैं) हिदायत याफ़ता कौन है और गुमराह कौन है।

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कह दो, \"हर एक प्रतीक्षा में है। अतः अब तुम भी प्रतीक्षा करो। शीघ्र ही तुम जान लोगे कि कौन सीधे मार्गवाला है और किनको मार्गदर्शन प्राप्त है।\"