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Surah Luqman [Luqman] in Hindi

Surah Luqman [Luqman] Ayah 34 Location Maccah Number 31

الۤمۤ ﴿1﴾

अलिफ़ लाम मीम

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰

تِلۡكَ ءَایَـٰتُ ٱلۡكِتَـٰبِ ٱلۡحَكِیمِ ﴿2﴾

ये सूरा हिकमत से भरी हुई किताब की आयतें है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

(जो आयतें उतर रही हैं) वे तत्वज्ञान से परिपूर्ण किताब की आयते हैं

هُدࣰى وَرَحۡمَةࣰ لِّلۡمُحۡسِنِینَ ﴿3﴾

जो (अज़सरतापा) उन लोगों के लिए हिदायत व रहमत है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मार्गदर्शन और दयालुता उत्तमकारों के लिए

ٱلَّذِینَ یُقِیمُونَ ٱلصَّلَوٰةَ وَیُؤۡتُونَ ٱلزَّكَوٰةَ وَهُم بِٱلۡـَٔاخِرَةِ هُمۡ یُوقِنُونَ ﴿4﴾

जो पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं और ज़कात देते हैं और वही लोग आख़िरत का भी यक़ीन रखते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो नमाज़ का आयोजन करते है और ज़कात देते है और आख़िरत पर विश्वास रखते है

أُو۟لَـٰۤىِٕكَ عَلَىٰ هُدࣰى مِّن رَّبِّهِمۡۖ وَأُو۟لَـٰۤىِٕكَ هُمُ ٱلۡمُفۡلِحُونَ ﴿5﴾

यही लोग अपने परवरदिगार की हिदायत पर आमिल हैं और यही लोग (क़यामत में) अपनी दिली मुरादें पाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वही अपने रब की और से मार्ग पर हैं और वही सफल है

وَمِنَ ٱلنَّاسِ مَن یَشۡتَرِی لَهۡوَ ٱلۡحَدِیثِ لِیُضِلَّ عَن سَبِیلِ ٱللَّهِ بِغَیۡرِ عِلۡمࣲ وَیَتَّخِذَهَا هُزُوًاۚ أُو۟لَـٰۤىِٕكَ لَهُمۡ عَذَابࣱ مُّهِینࣱ ﴿6﴾

और लोगों में बाज़ (नज़र बिन हारिस) ऐसा है जो बेहूदा क़िस्से (कहानियाँ) ख़रीदता है ताकि बग़ैर समझे बूझे (लोगों को) ख़ुदा की (सीधी) राह से भड़का दे और आयातें ख़ुदा से मसख़रापन करे ऐसे ही लोगों के लिए बड़ा रुसवा करने वाला अज़ाब है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

लोगों में से कोई ऐसा भी है जो दिल को लुभानेवाली बातों का ख़रीदार बनता है, ताकि बिना किसी ज्ञान के अल्लाह के मार्ग से (दूसरों को) भटकाए और उनका परिहास करे। वही है जिनके लिए अपमानजनक यातना है

وَإِذَا تُتۡلَىٰ عَلَیۡهِ ءَایَـٰتُنَا وَلَّىٰ مُسۡتَكۡبِرࣰا كَأَن لَّمۡ یَسۡمَعۡهَا كَأَنَّ فِیۤ أُذُنَیۡهِ وَقۡرࣰاۖ فَبَشِّرۡهُ بِعَذَابٍ أَلِیمٍ ﴿7﴾

और जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो शेख़ी के मारे मुँह फेरकर (इस तरह) चल देता है गोया उसने इन आयतों को सुना ही नहीं जैसे उसके दोनो कानों में ठेठी है तो (ऐ रसूल) तुम उसको दर्दनाक अज़ाब की (अभी से) खुशख़बरी दे दे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जब उसे हमारी आयतें सुनाई जाती हैं तो वह स्वयं को बड़ा समझता हुआ पीठ फेरकर चल देता है, मानो उसने उन्हें सुना ही नहीं, मानो उसके काम बहरे है। अच्छा तो उसे एक दुखद यातना की शुभ सूचना दे दो

إِنَّ ٱلَّذِینَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ لَهُمۡ جَنَّـٰتُ ٱلنَّعِیمِ ﴿8﴾

बेशक जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे काम किए उनके लिए नेअमत के (हरे भरे बेहश्ती) बाग़ हैं कि यो उनमें हमेशा रहेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अलबत्ता जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए नेमत भरी जन्नतें हैं,

خَـٰلِدِینَ فِیهَاۖ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقࣰّاۚ وَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡحَكِیمُ ﴿9﴾

ये ख़ुदा का पक्का वायदा है और वह तो (सब पर) ग़ालिब हिकमत वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिनमें वे सदैव रहेंगे। यह अल्लाह का सच्चा वादा है और वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है

خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ بِغَیۡرِ عَمَدࣲ تَرَوۡنَهَاۖ وَأَلۡقَىٰ فِی ٱلۡأَرۡضِ رَوَ ٰ⁠سِیَ أَن تَمِیدَ بِكُمۡ وَبَثَّ فِیهَا مِن كُلِّ دَاۤبَّةࣲۚ وَأَنزَلۡنَا مِنَ ٱلسَّمَاۤءِ مَاۤءࣰ فَأَنۢبَتۡنَا فِیهَا مِن كُلِّ زَوۡجࣲ كَرِیمٍ ﴿10﴾

तुम उन्हें देख रहे हो कि उसी ने बग़ैर सुतून के आसमानों को बना डाला और उसी ने ज़मीन पर (भारी भारी) पहाड़ों के लंगर डाल दिए कि (मुबादा) तुम्हें लेकर किसी तरफ जुम्बिश करे और उसी ने हर तरह चल फिर करने वाले (जानवर) ज़मीन में फैलाए और हमने आसमान से पानी बरसाया और (उसके ज़रिए से) ज़मीन में हर रंग के नफ़ीस जोड़े पैदा किए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने आकाशों को पैदा किया, (जो थमें हुए हैं) बिना ऐसे स्तम्भों के जो तुम्हें दिखाई दें। और उसने धरती में पहाड़ डाल दिए कि ऐसा न हो कि तुम्हें लेकर डाँवाडोल हो जाए और उसने उसमें हर प्रकार के जानवर फैला दिए। और हमने ही आकाश से पानी उतारा, फिर उसमें हर प्रकार की उत्तम चीज़े उगाई

هَـٰذَا خَلۡقُ ٱللَّهِ فَأَرُونِی مَاذَا خَلَقَ ٱلَّذِینَ مِن دُونِهِۦۚ بَلِ ٱلظَّـٰلِمُونَ فِی ضَلَـٰلࣲ مُّبِینࣲ ﴿11﴾

(ऐ रसूल उनसे कह दो कि) ये तो खुदा की ख़िलक़त है कि (भला) तुम लोग मुझे दिखाओं तो कि जो (जो माबूद) ख़ुदा के सिवा तुमने बना रखे है उन्होंने क्या पैदा किया बल्कि सरकश लोग (कुफ्फ़ार) सरीही गुमराही में (पडे) हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह तो अल्लाह की संरचना है। अब तनिक मुझे दिखाओं कि उससे हटकर जो दूसरे हैं (तुम्हारे ठहराए हुए प्रुभ) उन्होंने क्या पैदा किया हैं! नहीं, बल्कि ज़ालिम तो एक खुली गुमराही में पड़े हुए है

وَلَقَدۡ ءَاتَیۡنَا لُقۡمَـٰنَ ٱلۡحِكۡمَةَ أَنِ ٱشۡكُرۡ لِلَّهِۚ وَمَن یَشۡكُرۡ فَإِنَّمَا یَشۡكُرُ لِنَفۡسِهِۦۖ وَمَن كَفَرَ فَإِنَّ ٱللَّهَ غَنِیٌّ حَمِیدࣱ ﴿12﴾

और यक़ीनन हम ने लुक़मान को हिकमत अता की (और हुक्म दिया था कि) तुम ख़ुदा का शुक्र करो और जो ख़ुदा का शुक्र करेगा-वह अपने ही फायदे के लिए शुक्र करता है और जिसने नाशुक्री की तो (अपना बिगाड़ा) क्योंकी ख़ुदा तो (बहरहाल) बे परवाह (और) क़ाबिल हमदो सना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही हमने लुकमान को तत्वदर्शिता प्रदान की थी कि अल्लाह के प्रति कृतज्ञता दिखलाओ और जो कोई कृतज्ञता दिखलाए, वह अपने ही भले के लिए कृतज्ञता दिखलाता है। और जिसने अकृतज्ञता दिखलाई तो अल्लाह वास्तव में निस्पृह, प्रशंसनीय है

وَإِذۡ قَالَ لُقۡمَـٰنُ لِٱبۡنِهِۦ وَهُوَ یَعِظُهُۥ یَـٰبُنَیَّ لَا تُشۡرِكۡ بِٱللَّهِۖ إِنَّ ٱلشِّرۡكَ لَظُلۡمٌ عَظِیمࣱ ﴿13﴾

और (वह वक्त याद करो) जब लुक़मान ने अपने बेटे से उसकी नसीहत करते हुए कहा ऐ बेटा (ख़बरदार कभी किसी को) ख़ुदा का शरीक न बनाना (क्योंकि) शिर्क यक़ीनी बड़ा सख्त गुनाह है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

याद करो जब लुकमान ने अपने बेटे से, उसे नसीहत करते हुए कहा, \"ऐ मेरे बेटे! अल्लाह का साझी न ठहराना। निश्चय ही शिर्क (बहुदेववाद) बहुत बड़ा ज़ुल्म है।\"

وَوَصَّیۡنَا ٱلۡإِنسَـٰنَ بِوَ ٰ⁠لِدَیۡهِ حَمَلَتۡهُ أُمُّهُۥ وَهۡنًا عَلَىٰ وَهۡنࣲ وَفِصَـٰلُهُۥ فِی عَامَیۡنِ أَنِ ٱشۡكُرۡ لِی وَلِوَ ٰ⁠لِدَیۡكَ إِلَیَّ ٱلۡمَصِیرُ ﴿14﴾

(जिस की बख़्शिस नहीं) और हमने इन्सान को जिसे उसकी माँ ने दुख पर दुख सह के पेट में रखा (इसके अलावा) दो बरस में (जाके) उसकी दूध बढ़ाई की (अपने और) उसके माँ बाप के बारे में ताक़ीद की कि मेरा भी शुक्रिया अदा करो और अपने वालदैन का (भी) और आख़िर सबको मेरी तरफ लौट कर जाना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने मनुष्य को उसके अपने माँ-बाप के मामले में ताकीद की है - उसकी माँ ने निढाल होकर उसे पेट में रखा और दो वर्ष उसके दूध छूटने में लगे - कि \"मेरे प्रति कृतज्ञ हो और अपने माँ-बाप के प्रति भी। अंततः मेरी ही ओर आना है

وَإِن جَـٰهَدَاكَ عَلَىٰۤ أَن تُشۡرِكَ بِی مَا لَیۡسَ لَكَ بِهِۦ عِلۡمࣱ فَلَا تُطِعۡهُمَاۖ وَصَاحِبۡهُمَا فِی ٱلدُّنۡیَا مَعۡرُوفࣰاۖ وَٱتَّبِعۡ سَبِیلَ مَنۡ أَنَابَ إِلَیَّۚ ثُمَّ إِلَیَّ مَرۡجِعُكُمۡ فَأُنَبِّئُكُم بِمَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ ﴿15﴾

और अगर तेरे माँ बाप तुझे इस बात पर मजबूर करें कि तू मेरा शरीक ऐसी चीज़ को क़रार दे जिसका तुझे इल्म भी नहीं तो तू (इसमें) उनकी इताअत न करो (मगर तकलीफ़ न पहुँचाना) और दुनिया (के कामों) में उनका अच्छी तरह साथ दे और उन लोगों के तरीक़े पर चल जो (हर बात में) मेरी (ही) तरफ रुजू करे फिर (तो आख़िर) तुम सबकी रुजू मेरी ही तरफ है तब (दुनिया में) जो कुछ तुम करते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु यदि वे तुझपर दबाव डाले कि तू किसी को मेरे साथ साझी ठहराए, जिसका तुझे ज्ञान नहीं, तो उसकी बात न मानना और दुनिया में उसके साथ भले तरीके से रहना। किन्तु अनुसरण उस व्यक्ति के मार्ग का करना जो मेरी ओर रुजू हो। फिर तुम सबको मेरी ही ओर पलटना है; फिर मैं तुम्हें बता दूँगा जो कुछ तुम करते रहे होगे।\"-

یَـٰبُنَیَّ إِنَّهَاۤ إِن تَكُ مِثۡقَالَ حَبَّةࣲ مِّنۡ خَرۡدَلࣲ فَتَكُن فِی صَخۡرَةٍ أَوۡ فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ أَوۡ فِی ٱلۡأَرۡضِ یَأۡتِ بِهَا ٱللَّهُۚ إِنَّ ٱللَّهَ لَطِیفٌ خَبِیرࣱ ﴿16﴾

(उस वक्त उसका अन्जाम) बता दूँगा ऐ बेटा इसमें शक नहीं कि वह अमल (अच्छा हो या बुरा) अगर राई के बराबर भी हो और फिर वह किसी सख्त पत्थर के अन्दर या आसमान में या ज़मीन मे (छुपा हुआ) हो तो भी ख़ुदा उसे (क़यामत के दिन) हाज़िर कर देगा बेशक ख़ुदा बड़ा बारीकबीन वाक़िफकार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"ऐ मेरे बेटे! इसमें सन्देह नहीं कि यदि वह राई के दाने के बराबर भी हो, फिर वह किसी चट्टान के बीच हो या आकाशों में हो या धरती में हो, अल्लाह उसे ला उपस्थित करेगा। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त सूक्ष्मदर्शी, ख़बर रखनेवाला है।

یَـٰبُنَیَّ أَقِمِ ٱلصَّلَوٰةَ وَأۡمُرۡ بِٱلۡمَعۡرُوفِ وَٱنۡهَ عَنِ ٱلۡمُنكَرِ وَٱصۡبِرۡ عَلَىٰ مَاۤ أَصَابَكَۖ إِنَّ ذَ ٰ⁠لِكَ مِنۡ عَزۡمِ ٱلۡأُمُورِ ﴿17﴾

ऐ बेटा नमाज़ पाबन्दी से पढ़ा कर और (लोगों से) अच्छा काम करने को कहो और बुरे काम से रोको और जो मुसीबत तुम पर पडे उस पर सब्र करो (क्योंकि) बेशक ये बड़ी हिम्मत का काम है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"ऐ मेरे बेटे! नमाज़ का आयोजन कर और भलाई का हुक्म दे और बुराई से रोक और जो मुसीबत भी तुझपर पड़े उसपर धैर्य से काम ले। निस्संदेह ये उन कामों में से है जो अनिवार्य और ढृढसंकल्प के काम है

وَلَا تُصَعِّرۡ خَدَّكَ لِلنَّاسِ وَلَا تَمۡشِ فِی ٱلۡأَرۡضِ مَرَحًاۖ إِنَّ ٱللَّهَ لَا یُحِبُّ كُلَّ مُخۡتَالࣲ فَخُورࣲ ﴿18﴾

और लोगों के सामने (गुरुर से) अपना मुँह न फुलाना और ज़मीन पर अकड़कर न चलना क्योंकि ख़ुदा किसी अकड़ने वाले और इतराने वाले को दोस्त नहीं रखता और अपनी चाल ढाल में मियाना रवी एख्तेयार करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"और लोगों से अपना रूख़ न फेर और न धरती में इतराकर चल। निश्चय ही अल्लाह किसी अहंकारी, डींग मारनेवाले को पसन्द नहीं करता

وَٱقۡصِدۡ فِی مَشۡیِكَ وَٱغۡضُضۡ مِن صَوۡتِكَۚ إِنَّ أَنكَرَ ٱلۡأَصۡوَ ٰ⁠تِ لَصَوۡتُ ٱلۡحَمِیرِ ﴿19﴾

और दूसरो से बोलने में अपनी आवाज़ धीमी रखो क्योंकि आवाज़ों में तो सब से बुरी आवाज़ (चीख़ने की वजह से) गधों की है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"और अपनी चाल में सहजता और संतुलन बनाए रख और अपनी आवाज़ धीमी रख। निस्संदेह आवाज़ों में सबसे बुरी आवाज़ गधों की आवाज़ होती है।\"

أَلَمۡ تَرَوۡا۟ أَنَّ ٱللَّهَ سَخَّرَ لَكُم مَّا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَمَا فِی ٱلۡأَرۡضِ وَأَسۡبَغَ عَلَیۡكُمۡ نِعَمَهُۥ ظَـٰهِرَةࣰ وَبَاطِنَةࣰۗ وَمِنَ ٱلنَّاسِ مَن یُجَـٰدِلُ فِی ٱللَّهِ بِغَیۡرِ عِلۡمࣲ وَلَا هُدࣰى وَلَا كِتَـٰبࣲ مُّنِیرࣲ ﴿20﴾

क्या तुम लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा ही ने यक़ीनी तुम्हारा ताबेए कर दिया है और तुम पर अपनी ज़ाहिरी और बातिनी नेअमतें पूरी कर दीं और बाज़ लोग (नुसर बिन हारिस वगैरह) ऐसे भी हैं जो (ख्वाह मा ख्वाह) ख़ुदा के बारे में झगड़ते हैं (हालॉकि उनके पास) न इल्म है और न हिदायत है और न कोई रौशन किताब है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने, जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, सबको तुम्हारे काम में लगा रखा है और उसने तुमपर अपनी प्रकट और अप्रकट अनुकम्पाएँ पूर्ण कर दी है? इसपर भी कुछ लोग ऐसे है जो अल्लाह के विषय में बिना किसी ज्ञान, बिना किसी मार्गदर्शन और बिना किसी प्रकाशमान किताब के झगड़ते है

وَإِذَا قِیلَ لَهُمُ ٱتَّبِعُوا۟ مَاۤ أَنزَلَ ٱللَّهُ قَالُوا۟ بَلۡ نَتَّبِعُ مَا وَجَدۡنَا عَلَیۡهِ ءَابَاۤءَنَاۤۚ أَوَلَوۡ كَانَ ٱلشَّیۡطَـٰنُ یَدۡعُوهُمۡ إِلَىٰ عَذَابِ ٱلسَّعِیرِ ﴿21﴾

और जब उनसे कहा जाता है कि जो (किताब) ख़ुदा ने नाज़िल की है उसकी पैरवी करो तो (छूटते ही) कहते हैं कि नहीं हम तो उसी (तरीक़े से चलेंगे) जिस पर हमने अपने बाप दादाओं को पाया भला अगरचे शैतान उनके बाप दादाओं को जहन्नुम के अज़ाब की तरफ बुलाता रहा हो (तो भी उन्ही की पैरवी करेंगे)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अब जब उनसे कहा जाता है कि \"उस चीज़ का अनुसरण करो जो अल्लाह न उतारी है,\" तो कहते है, \"नहीं, बल्कि हम तो उस चीज़ का अनुसरण करेंगे जिसपर हमने अपने बाप-दादा को पाया है।\" क्या यद्यपि शैतान उनको भड़कती आग की यातना की ओर बुला रहा हो तो भी?

۞ وَمَن یُسۡلِمۡ وَجۡهَهُۥۤ إِلَى ٱللَّهِ وَهُوَ مُحۡسِنࣱ فَقَدِ ٱسۡتَمۡسَكَ بِٱلۡعُرۡوَةِ ٱلۡوُثۡقَىٰۗ وَإِلَى ٱللَّهِ عَـٰقِبَةُ ٱلۡأُمُورِ ﴿22﴾

और जो शख्स ख़ुदा के आगे अपना सर (तस्लीम) ख़म करे और वह नेकोकार (भी) हो तो बेशक उसने (ईमान की) मज़बूत रस्सी पकड़ ली और (आख़िर तो) सब कामों का अन्जाम ख़ुदा ही की तरफ है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो कोई आज्ञाकारिता के साथ अपना रुख़ अल्लाह की ओर करे, और वह उत्तमकर भी हो तो उसने मज़बूत सहारा थाम लिया। सारे मामलों की परिणति अल्लाह ही की ओर है

وَمَن كَفَرَ فَلَا یَحۡزُنكَ كُفۡرُهُۥۤۚ إِلَیۡنَا مَرۡجِعُهُمۡ فَنُنَبِّئُهُم بِمَا عَمِلُوۤا۟ۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِیمُۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ ﴿23﴾

और (ऐ रसूल) जो काफिर बन बैठे तो तुम उसके कुफ्र से कुढ़ों नही उन सबको तो हमारी तरफ लौट कर आना है तो जो कुछ उन लोगों ने किया है (उसका नतीजा) हम बता देगें बेशक ख़ुदा दिलों के राज़ से (भी) खूब वाक़िफ है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जिस किसी ने इनकार किया तो उसका इनकार तुम्हें शोकाकुल न करे। हमारी ही ओर तो उन्हें पलटकर आना है। फिर जो कुछ वे करते रहे होंगे, उससे हम उन्हें अवगत करा देंगे। निस्संदेह अल्लाह सीनों की बात तक जानता है

نُمَتِّعُهُمۡ قَلِیلࣰا ثُمَّ نَضۡطَرُّهُمۡ إِلَىٰ عَذَابٍ غَلِیظࣲ ﴿24﴾

हम उन्हें चन्द रोज़ों तक चैन करने देगें फिर उन्हें मजबूर करके सख्त अज़ाब की तरफ खीच लाएँगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हम उन्हें थोड़ा मज़ा उड़ाने देंगे। फिर उन्हें विवश करके एक कठोर यातना की ओर खींच ले जाएँगे

وَلَىِٕن سَأَلۡتَهُم مَّنۡ خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضَ لَیَقُولُنَّ ٱللَّهُۚ قُلِ ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِۚ بَلۡ أَكۡثَرُهُمۡ لَا یَعۡلَمُونَ ﴿25﴾

और (ऐ रसूल) तुम अगर उनसे पूछो कि सारे आसमान और ज़मीन को किसने पैदा किया तो ज़रुर कह देगे कि अल्लाह ने (ऐ रसूल) इस पर तुम कह दो अल्हमदोलिल्लाह मगर उनमें से अक्सर (इतना भी) नहीं जानते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि तुम उनसे पूछो कि \"आकाशों और धरती को किसने पैदा किया?\" तो वे अवश्य कहेंगे कि \"अल्लाह ने।\" कहो, \"प्रशंसा भी अल्लाह के लिए है।\" वरन उनमें से अधिकांश जानते नहीं

لِلَّهِ مَا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِۚ إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلۡغَنِیُّ ٱلۡحَمِیدُ ﴿26﴾

जो कुछ सारे आसमान और ज़मीन में है (सब) ख़ुदा ही का है बेशक ख़ुदा तो (हर चीज़ से) बेपरवा (और बहरहाल) क़ाबिले हम्दो सना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

आकाशों और धरती में जो कुछ है अल्लाह ही का है। निस्संदेह अल्लाह ही निस्पृह, स्वतः प्रशंसित है

وَلَوۡ أَنَّمَا فِی ٱلۡأَرۡضِ مِن شَجَرَةٍ أَقۡلَـٰمࣱ وَٱلۡبَحۡرُ یَمُدُّهُۥ مِنۢ بَعۡدِهِۦ سَبۡعَةُ أَبۡحُرࣲ مَّا نَفِدَتۡ كَلِمَـٰتُ ٱللَّهِۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَزِیزٌ حَكِیمࣱ ﴿27﴾

और जितने दरख्त ज़मीन में हैं सब के सब क़लम बन जाएँ और समन्दर उसकी सियाही बनें और उसके (ख़त्म होने के) बाद और सात समन्दर (सियाही हो जाएँ और ख़ुदा का इल्म और उसकी बातें लिखी जाएँ) तो भी ख़ुदा की बातें ख़त्म न होगीं बेशक ख़ुदा सब पर ग़ालिब (और) दाना (बीना) है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

धरती में जितने वृक्ष है, यदि वे क़लम हो जाएँ और समुद्र उसकी स्याही हो जाए, उसके बाद सात और समुद्र हों, तब भी अल्लाह के बोल समाप्त न हो सकेंगे। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है

مَّا خَلۡقُكُمۡ وَلَا بَعۡثُكُمۡ إِلَّا كَنَفۡسࣲ وَ ٰ⁠حِدَةٍۚ إِنَّ ٱللَّهَ سَمِیعُۢ بَصِیرٌ ﴿28﴾

तुम सबका पैदा करना और फिर (मरने के बाद) जिला उठाना एक शख्स के (पैदा करने और जिला उठाने के) बराबर है बेशक ख़ुदा (तुम सब की) सुनता और सब कुछ देख रहा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम सबका पैदा करना और तुम सबका जीवित करके पुनः उठाना तो बस ऐसा है, जैसे एक जीव का। अल्लाह तो सब कुछ सुनता, देखता है

أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ یُولِجُ ٱلَّیۡلَ فِی ٱلنَّهَارِ وَیُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِی ٱلَّیۡلِ وَسَخَّرَ ٱلشَّمۡسَ وَٱلۡقَمَرَۖ كُلࣱّ یَجۡرِیۤ إِلَىٰۤ أَجَلࣲ مُّسَمࣰّى وَأَنَّ ٱللَّهَ بِمَا تَعۡمَلُونَ خَبِیرࣱ ﴿29﴾

क्या तूने ये भी ख्याल न किया कि ख़ुदा ही रात को (बढ़ा के) दिन में दाख़िल कर देता है (तो रात बढ़ जाती है) और दिन को (बढ़ा के) रात में दाख़िल कर देता है (तो दिन बढ़ जाता है) उसी ने आफताब व माहताब को (गोया) तुम्हारा ताबेए बना दिया है कि एक मुक़र्रर मीयाद तक (यूँ ही) चलता रहेगा और (क्या तूने ये भी ख्याल न किया कि) जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़ूब वाकिफकार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह रात को दिन में प्रविष्ट करता है और दिन को रात में प्रविष्ट करता है। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगा रखा है? प्रत्येक एक नियत समय तक चला जा रहा है और इसके साथ यह कि जो कुछ भी तुम करते हो, अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है

ذَ ٰ⁠لِكَ بِأَنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلۡحَقُّ وَأَنَّ مَا یَدۡعُونَ مِن دُونِهِ ٱلۡبَـٰطِلُ وَأَنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلۡعَلِیُّ ٱلۡكَبِیرُ ﴿30﴾

ये (सब बातें) इस सबब से हैं कि ख़ुदा ही यक़ीनी बरहक़ (माबूद) है और उस के सिवा जिसको लोग पुकारते हैं यक़ीनी बिल्कुल बातिल और इसमें शक नहीं कि ख़ुदा ही आलीशान और बड़ा रुतबे वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह सब कुछ इस कारण से है कि अल्लाह ही सत्य है और यह कि उसे छोड़कर जिनको वे पुकारते है, वे असत्य है। और यह कि अल्लाह ही सर्वोच्च, महान है

أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱلۡفُلۡكَ تَجۡرِی فِی ٱلۡبَحۡرِ بِنِعۡمَتِ ٱللَّهِ لِیُرِیَكُم مِّنۡ ءَایَـٰتِهِۦۤۚ إِنَّ فِی ذَ ٰ⁠لِكَ لَـَٔایَـٰتࣲ لِّكُلِّ صَبَّارࣲ شَكُورࣲ ﴿31﴾

क्या तूने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि ख़ुदा ही के फज़ल से कश्ती दरिया में बहती चलती रहती है ताकि (लकड़ी में ये क़ूवत देकर) तुम लोगों को अपनी (कुदरत की) बाज़ निशानियाँ दिखा दे बेशक उस में भी तमाम सब्र व शुक्र करने वाले (बन्दों) के लिए (कुदरत ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ दिखा दे बेशक इसमें भी तमाम सब्र व शुक्र करने वाले (बन्दों) के लिए (क़ुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुमने देखा नहीं कि नौका समुद्र में अल्लाह के अनुग्रह से चलती है, ताकि वह तुम्हें अपनी कुछ निशानियाँ दिखाए। निस्संदेह इसमें प्रत्येक धैर्यवान, कृतज्ञ के लिए निशानियाँ है

وَإِذَا غَشِیَهُم مَّوۡجࣱ كَٱلظُّلَلِ دَعَوُا۟ ٱللَّهَ مُخۡلِصِینَ لَهُ ٱلدِّینَ فَلَمَّا نَجَّىٰهُمۡ إِلَى ٱلۡبَرِّ فَمِنۡهُم مُّقۡتَصِدࣱۚ وَمَا یَجۡحَدُ بِـَٔایَـٰتِنَاۤ إِلَّا كُلُّ خَتَّارࣲ كَفُورࣲ ﴿32﴾

और जब उन्हें मौज (ऊँची होकर) साएबानों की तरह (ऊपर से) ढॉक लेती है तो निरा खुरा उसी का अक़ीदा रखकर ख़ुदा को पुकारने लगते हैं फिर जब ख़ुदा उनको नजात देकर खुश्की तक पहुँचा देता है तो उनमें से बाज़ तो कुछ देर एतदाल पर रहते हैं (और बाज़ पक्के काफिर) और हमारी (क़ुदरत की) निशानियों से इन्कार तो बस बदएहद और नाशुक्रे ही लोग करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जब कोई मौज छाया-छत्रों की तरह उन्हें ढाँक लेती है, तो वे अल्लाह को उसी के लिए अपने निष्ठाभाव के विशुद्ध करते हुए पुकारते है, फिर जब वह उन्हें बचाकर स्थल तक पहुँचा देता है, तो उनमें से कुछ लोग संतुलित मार्ग पर रहते है। (अधिकांश तो पुनः पथभ्रष्ट हो जाते है।) हमारी निशानियों का इनकार तो बस प्रत्येक वह व्यक्ति करता है जो विश्वासघाती, कृतध्न हो

یَـٰۤأَیُّهَا ٱلنَّاسُ ٱتَّقُوا۟ رَبَّكُمۡ وَٱخۡشَوۡا۟ یَوۡمࣰا لَّا یَجۡزِی وَالِدٌ عَن وَلَدِهِۦ وَلَا مَوۡلُودٌ هُوَ جَازٍ عَن وَالِدِهِۦ شَیۡـًٔاۚ إِنَّ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقࣱّۖ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ ٱلۡحَیَوٰةُ ٱلدُّنۡیَا وَلَا یَغُرَّنَّكُم بِٱللَّهِ ٱلۡغَرُورُ ﴿33﴾

लोगों अपने परवरदिगार से डरो और उस दिन का ख़ौफ रखो जब न कोई बाप अपने बेटे के काम आएगा और न कोई बेटा अपने बाप के कुछ काम आ सकेगा ख़ुदा का (क़यामत का) वायदा बिल्कुल पक्का है तो (कहीं) तुम लोगों को दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी धोखे में न डाले और न कहीं तुम्हें फरेब देने वाला (शैतान) कुछ फ़रेब दे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ लोगों! अपने रब का डर रखो और उस दिन से डरो जब न कोई बाप अपनी औलाद की ओर से बदला देगा और न कोई औलाद ही अपने बाप की ओर से बदला देनेवाली होगी। निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है। अतः सांसारिक जीवन कदापि तुम्हें धोखे में न डाले। और न अल्लाह के विषय में वह धोखेबाज़ तुम्हें धोखें में डाले

إِنَّ ٱللَّهَ عِندَهُۥ عِلۡمُ ٱلسَّاعَةِ وَیُنَزِّلُ ٱلۡغَیۡثَ وَیَعۡلَمُ مَا فِی ٱلۡأَرۡحَامِۖ وَمَا تَدۡرِی نَفۡسࣱ مَّاذَا تَكۡسِبُ غَدࣰاۖ وَمَا تَدۡرِی نَفۡسُۢ بِأَیِّ أَرۡضࣲ تَمُوتُۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِیمٌ خَبِیرُۢ ﴿34﴾

बेशक ख़ुदा ही के पास क़यामत (के आने) का इल्म है और वही (जब मौक़ा मुनासिब देखता है) पानी बरसाता है और जो कुछ औरतों के पेट में (नर मादा) है जानता है और कोई शख्स (इतना भी तो) नहीं जानता कि वह ख़़ुद कल क्या करेगा और कोई शख्स ये (भी) नहीं जानता है कि वह किस सर ज़मीन पर मरे (गड़े) गा बेशक ख़ुदा (सब बातों से) आगाह ख़बरदार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह उस घड़ी का ज्ञान अल्लाह ही के पास है। वही मेंह बरसाता है और जानता है जो कुछ गर्भाशयों में होता है। कोई क्यक्ति नहीं जानता कि कल वह क्या कमाएगा और कोई व्यक्ति नहीं जानता है कि किस भूभाग में उसक मृत्यु होगी। निस्संदेह अल्लाह जाननेवाला, ख़बर रखनेवाला है