Main pages

ٱلرَّحۡمَـٰنُ ﴿1﴾

बड़ा मेहरबान (ख़ुदा)

عَلَّمَ ٱلۡقُرۡءَانَ ﴿2﴾

उसी ने क़ुरान की तालीम फरमाई

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क़ुरआन सिखाया;

خَلَقَ ٱلۡإِنسَـٰنَ ﴿3﴾

उसी ने इन्सान को पैदा किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसी ने मनुष्य को पैदा किया;

عَلَّمَهُ ٱلۡبَیَانَ ﴿4﴾

उसी ने उनको (अपना मतलब) बयान करना सिखाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसे बोलना सिखाया;

ٱلشَّمۡسُ وَٱلۡقَمَرُ بِحُسۡبَانࣲ ﴿5﴾

सूरज और चाँद एक मुक़र्रर हिसाब से चल रहे हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सूर्य और चन्द्रमा एक हिसाब के पाबन्द है;

وَٱلنَّجۡمُ وَٱلشَّجَرُ یَسۡجُدَانِ ﴿6﴾

और बूटियाँ बेलें, और दरख्त (उसी को) सजदा करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और तारे और वृक्ष सजदा करते है;

وَٱلسَّمَاۤءَ رَفَعَهَا وَوَضَعَ ٱلۡمِیزَانَ ﴿7﴾

और उसी ने आसमान बुलन्द किया और तराजू (इन्साफ) को क़ायम किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने आकाश को ऊँचा किया और संतुलन स्थापित किया -

أَلَّا تَطۡغَوۡا۟ فِی ٱلۡمِیزَانِ ﴿8﴾

ताकि तुम लोग तराज़ू (से तौलने) में हद से तजाउज़ न करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि तुम भी तुला में सीमा का उल्लंघन न करो

وَأَقِیمُوا۟ ٱلۡوَزۡنَ بِٱلۡقِسۡطِ وَلَا تُخۡسِرُوا۟ ٱلۡمِیزَانَ ﴿9﴾

और ईन्साफ के साथ ठीक तौलो और तौल कम न करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

न्याय के साथ ठीक-ठीक तौलो और तौल में कमी न करो। -

وَٱلۡأَرۡضَ وَضَعَهَا لِلۡأَنَامِ ﴿10﴾

और उसी ने लोगों के नफे क़े लिए ज़मीन बनायी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और धरती को उसने सृष्टल प्राणियों के लिए बनाया;

فِیهَا فَـٰكِهَةࣱ وَٱلنَّخۡلُ ذَاتُ ٱلۡأَكۡمَامِ ﴿11﴾

कि उसमें मेवे और खजूर के दरख्त हैं जिसके ख़ोशों में ग़िलाफ़ होते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसमें स्वादिष्ट फल है और खजूर के वृक्ष है, जिनके फल आवरणों में लिपटे हुए है,

وَٱلۡحَبُّ ذُو ٱلۡعَصۡفِ وَٱلرَّیۡحَانُ ﴿12﴾

और अनाज जिसके साथ भुस होता है और ख़ुशबूदार फूल

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और भुसवाले अनाज भी और सुगंधित बेल-बूटा भी

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿13﴾

तो (ऐ गिरोह जिन व इन्स) तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमतों को न मानोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

خَلَقَ ٱلۡإِنسَـٰنَ مِن صَلۡصَـٰلࣲ كَٱلۡفَخَّارِ ﴿14﴾

उसी ने इन्सान को ठीकरे की तरह खन खनाती हुई मिटटी से पैदा किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने मनुष्य को ठीकरी जैसी खनखनाती हुए मिट्टी से पैदा किया;

وَخَلَقَ ٱلۡجَاۤنَّ مِن مَّارِجࣲ مِّن نَّارࣲ ﴿15﴾

और उसी ने जिन्नात को आग के शोले से पैदा किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जिन्न को उसने आग की लपट से पैदा किया

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿16﴾

तो (ऐ गिरोह जिन व इन्स) तुम अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमतों से मुकरोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?

رَبُّ ٱلۡمَشۡرِقَیۡنِ وَرَبُّ ٱلۡمَغۡرِبَیۡنِ ﴿17﴾

वही जाड़े गर्मी के दोनों मशरिकों का मालिक है और दोनों मग़रिबों का (भी) मालिक है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह दो पूर्व का रब है और दो पश्चिम का रब भी।

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿18﴾

तो (ऐ जिनों) और (आदमियों) तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर तुम दोनों अपने रब की महानताओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

مَرَجَ ٱلۡبَحۡرَیۡنِ یَلۡتَقِیَانِ ﴿19﴾

उसी ने दरिया बहाए जो बाहम मिल जाते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने दो समुद्रो को प्रवाहित कर दिया, जो आपस में मिल रहे होते है।

بَیۡنَهُمَا بَرۡزَخࣱ لَّا یَبۡغِیَانِ ﴿20﴾

दो के दरमियान एक हद्दे फ़ासिल (आड़) है जिससे तजाउज़ नहीं कर सकते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन दोनों के बीच एक परदा बाधक होता है, जिसका वे अतिक्रमण नहीं करते

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿21﴾

तो (ऐ जिन व इन्स) तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?

یَخۡرُجُ مِنۡهُمَا ٱللُّؤۡلُؤُ وَٱلۡمَرۡجَانُ ﴿22﴾

इन दोनों दरियाओं से मोती और मूँगे निकलते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन (समुद्रों) से मोती और मूँगा निकलता है।

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿23﴾

(तो जिन व इन्स) तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमत को न मानोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?

وَلَهُ ٱلۡجَوَارِ ٱلۡمُنشَـَٔاتُ فِی ٱلۡبَحۡرِ كَٱلۡأَعۡلَـٰمِ ﴿24﴾

और जहाज़ जो दरिया में पहाड़ों की तरह ऊँचे खड़े रहते हैं उसी के हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसी के बस में है समुद्र में पहाड़ो की तरह उठे हुए जहाज़

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿25﴾

तो (ऐ जिन व इन्स) तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओग?

كُلُّ مَنۡ عَلَیۡهَا فَانࣲ ﴿26﴾

जो (मख़लूक) ज़मीन पर है सब फ़ना होने वाली है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

प्रत्येक जो भी इस (धरती) पर है, नाशवान है

وَیَبۡقَىٰ وَجۡهُ رَبِّكَ ذُو ٱلۡجَلَـٰلِ وَٱلۡإِكۡرَامِ ﴿27﴾

और सिर्फ तुम्हारे परवरदिगार की ज़ात जो अज़मत और करामत वाली है बाक़ी रहेगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु तुम्हारे रब का प्रतापवान और उदार स्वरूप शेष रहनेवाला है

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿28﴾

तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगं?

یَسۡـَٔلُهُۥ مَن فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِۚ كُلَّ یَوۡمٍ هُوَ فِی شَأۡنࣲ ﴿29﴾

और जितने लोग सारे आसमान व ज़मीन में हैं (सब) उसी से माँगते हैं वह हर रोज़ (हर वक्त) मख़लूक के एक न एक काम में है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

आकाशों और धरती में जो भी है उसी से माँगता है। उसकी नित्य नई शान है

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿30﴾

तो तुम दोनों अपने सरपरस्त की कौन कौन सी नेअमत से मुकरोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

سَنَفۡرُغُ لَكُمۡ أَیُّهَ ٱلثَّقَلَانِ ﴿31﴾

(ऐ दोनों गिरोहों) हम अनक़रीब ही तुम्हारी तरफ मुतावज्जे होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ दोनों बोझों! शीघ्र ही हम तुम्हारे लिए निवृत हुए जाते है

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿32﴾

तो तुम दोनों अपने पालने वाले की किस किस नेअमत को न मानोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

یَـٰمَعۡشَرَ ٱلۡجِنِّ وَٱلۡإِنسِ إِنِ ٱسۡتَطَعۡتُمۡ أَن تَنفُذُوا۟ مِنۡ أَقۡطَارِ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِ فَٱنفُذُوا۟ۚ لَا تَنفُذُونَ إِلَّا بِسُلۡطَـٰنࣲ ﴿33﴾

ऐ गिरोह जिन व इन्स अगर तुममें क़ुदरत है कि आसमानों और ज़मीन के किनारों से (होकर कहीं) निकल (कर मौत या अज़ाब से भाग) सको तो निकल जाओ (मगर) तुम तो बग़ैर क़ूवत और ग़लबे के निकल ही नहीं सकते (हालॉ कि तुममें न क़ूवत है और न ही ग़लबा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! यदि तुममें हो सके कि आकाशों और धरती की सीमाओं को पार कर सको, तो पार कर जाओ; तुम कदापि पार नहीं कर सकते बिना अधिकार-शक्ति के

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿34﴾

तो तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?

یُرۡسَلُ عَلَیۡكُمَا شُوَاظࣱ مِّن نَّارࣲ وَنُحَاسࣱ فَلَا تَنتَصِرَانِ ﴿35﴾

(गुनाहगार जिनों और आदमियों जहन्नुम में) तुम दोनो पर आग का सब्ज़ शोला और सियाह धुऑं छोड़ दिया जाएगा तो तुम दोनों (किस तरह) रोक नहीं सकोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों पर अग्नि-ज्वाला और धुएँवाला अंगारा (पिघला ताँबा) छोड़ दिया जाएगा, फिर तुम मुक़ाबला न कर सकोगे।

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿36﴾

फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?

فَإِذَا ٱنشَقَّتِ ٱلسَّمَاۤءُ فَكَانَتۡ وَرۡدَةࣰ كَٱلدِّهَانِ ﴿37﴾

फिर जब आसमान फट कर (क़यामत में) तेल की तरह लाल हो जाऐगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब आकाश फट जाएगा और लाल चमड़े की तरह लाल हो जाएगा।

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿38﴾

तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

- अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?

فَیَوۡمَىِٕذࣲ لَّا یُسۡـَٔلُ عَن ذَنۢبِهِۦۤ إِنسࣱ وَلَا جَاۤنࣱّ ﴿39﴾

तो उस दिन न तो किसी इन्सान से उसके गुनाह के बारे में पूछा जाएगा न किसी जिन से

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर उस दिन न किसी मनुष्य से उसके गुनाह के विषय में पूछा जाएगा न किसी जिन्न से

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿40﴾

तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत को न मानोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?

یُعۡرَفُ ٱلۡمُجۡرِمُونَ بِسِیمَـٰهُمۡ فَیُؤۡخَذُ بِٱلنَّوَ ٰ⁠صِی وَٱلۡأَقۡدَامِ ﴿41﴾

गुनाहगार लोग तो अपने चेहरों ही से पहचान लिए जाएँगे तो पेशानी के पटटे और पाँव पकड़े (जहन्नुम में डाल दिये जाएँगे)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अपराधी अपने चहरों से पहचान लिए जाएँगे और उनके माथे के बालों और टाँगों द्वारा पकड़ लिया जाएगा

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿42﴾

आख़िर तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब की सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?

هَـٰذِهِۦ جَهَنَّمُ ٱلَّتِی یُكَذِّبُ بِهَا ٱلۡمُجۡرِمُونَ ﴿43﴾

(फिर उनसे कहा जाएगा) यही वह जहन्नुम है जिसे गुनाहगार लोग झुठलाया करते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यही वह जहन्नम है जिसे अपराधी लोग झूठ ठहराते रहे है

یَطُوفُونَ بَیۡنَهَا وَبَیۡنَ حَمِیمٍ ءَانࣲ ﴿44﴾

ये लोग दोज़ख़ और हद दरजा खौलते हुए पानी के दरमियान (बेक़रार दौड़ते) चक्कर लगाते फिरेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे उनके और खौलते हुए पानी के बीच चक्कर लगा रहें होंगे

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿45﴾

तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को न मानोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर तुम दोनों अपने रब के सामर्थ्यों में से किस-किस को झुठलाओगे?

وَلِمَنۡ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِۦ جَنَّتَانِ ﴿46﴾

और जो शख्स अपने परवरदिगार के सामने खड़े होने से डरता रहा उसके लिए दो दो बाग़ हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु जो अपने रब के सामने खड़े होने का डर रखता होगा, उसके लिए दो बाग़ है। -

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿47﴾

तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमत से इन्कार करोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

ذَوَاتَاۤ أَفۡنَانࣲ ﴿48﴾

दोनों बाग़ (दरख्तों की) टहनियों से हरे भरे (मेवों से लदे) हुए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

घनी डालियोंवाले;

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿49﴾

फिर दोनों अपने सरपरस्त की किस किस नेअमतों को झुठलाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब के उपकारों में से किस-किस को झुठलाओगे?

فِیهِمَا عَیۡنَانِ تَجۡرِیَانِ ﴿50﴾

इन दोनों में दो चश्में जारी होंगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन दोनो (बाग़ो) में दो प्रवाहित स्रोत है।

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿51﴾

तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

فِیهِمَا مِن كُلِّ فَـٰكِهَةࣲ زَوۡجَانِ ﴿52﴾

इन दोनों बाग़ों में सब मेवे दो दो किस्म के होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन दोनों (बाग़ो) मे हर स्वादिष्ट फल की दो-दो किस्में हैं;

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿53﴾

तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनो रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?

مُتَّكِـِٔینَ عَلَىٰ فُرُشِۭ بَطَاۤىِٕنُهَا مِنۡ إِسۡتَبۡرَقࣲۚ وَجَنَى ٱلۡجَنَّتَیۡنِ دَانࣲ ﴿54﴾

यह लोग उन फ़र्शों पर जिनके असतर अतलस के होंगे तकिये लगाकर बैठे होंगे तो दोनों बाग़ों के मेवे (इस क़दर) क़रीब होंगे (कि अगर चाहे तो लगे हुए खालें)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे ऐसे बिछौनो पर तकिया लगाए हुए होंगे जिनके अस्तर गाढे रेशम के होंगे, और दोनों बाग़ो के फल झुके हुए निकट ही होंगे।

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿55﴾

तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत को न मानोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?

فِیهِنَّ قَـٰصِرَ ٰ⁠تُ ٱلطَّرۡفِ لَمۡ یَطۡمِثۡهُنَّ إِنسࣱ قَبۡلَهُمۡ وَلَا جَاۤنࣱّ ﴿56﴾

इसमें (पाक दामन ग़ैर की तरफ ऑंख उठा कर न देखने वाली औरतें होंगी जिनको उन से पहले न किसी इन्सान ने हाथ लगाया होगा) और जिन ने

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन (अनुकम्पाओं) में निगाह बचाए रखनेवाली (सुन्दर) स्त्रियाँ होंगी, जिन्हें उनसे पहले न किसी मनुष्य ने हाथ लगाया और न किसी जिन्न ने

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿57﴾

तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किन किन नेअमतों को झुठलाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

كَأَنَّهُنَّ ٱلۡیَاقُوتُ وَٱلۡمَرۡجَانُ ﴿58﴾

(ऐसी हसीन) गोया वह (मुजस्सिम) याक़ूत व मूँगे हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

मानो वे लाल (याकूत) और प्रवाल (मूँगा) है।

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿59﴾

तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किन किन नेअमतों से मुकरोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

هَلۡ جَزَاۤءُ ٱلۡإِحۡسَـٰنِ إِلَّا ٱلۡإِحۡسَـٰنُ ﴿60﴾

भला नेकी का बदला नेकी के सिवा कुछ और भी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अच्छाई का बदला अच्छाई के सिवा और क्या हो सकता है?

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿61﴾

फिर तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत को झुठलाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

وَمِن دُونِهِمَا جَنَّتَانِ ﴿62﴾

उन दोनों बाग़ों के अलावा दो बाग़ और हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन दोनों से हटकर दो और बाग़ है।

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿63﴾

तो तुम दोनों अपने पालने वाले की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

مُدۡهَاۤمَّتَانِ ﴿64﴾

दोनों निहायत गहरे सब्ज़ व शादाब

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

गहरे हरित;

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿65﴾

तो तुम दोनों अपने सरपरस्त की किन किन नेअमतों को न मानोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

فِیهِمَا عَیۡنَانِ نَضَّاخَتَانِ ﴿66﴾

उन दोनों बाग़ों में दो चश्में जोश मारते होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन दोनों (बाग़ो) में दो स्रोत है जोश मारते हुए

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿67﴾

तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?

فِیهِمَا فَـٰكِهَةࣱ وَنَخۡلࣱ وَرُمَّانࣱ ﴿68﴾

उन दोनों में मेवें हैं खुरमें और अनार

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उनमें है स्वादिष्ट फल और खजूर और अनार;

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿69﴾

तो तुम दोनों अपने मालिक की किन किन नेअमतों को झुठलाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

فِیهِنَّ خَیۡرَ ٰ⁠تٌ حِسَانࣱ ﴿70﴾

उन बाग़ों में ख़ुश ख़ुल्क और ख़ूबसूरत औरतें होंगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उनमें भली और सुन्दर स्त्रियाँ होंगी।

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿71﴾

तो तुम दोनों अपने मालिक की किन किन नेअमतों को झुठलाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

حُورࣱ مَّقۡصُورَ ٰ⁠تࣱ فِی ٱلۡخِیَامِ ﴿72﴾

वह हूरें हैं जो ख़ेमों में छुपी बैठी हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हूरें (परम रूपवती स्त्रियाँ) ख़ेमों में रहनेवाली;

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿73﴾

फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमत से इन्कार करोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे?

لَمۡ یَطۡمِثۡهُنَّ إِنسࣱ قَبۡلَهُمۡ وَلَا جَاۤنࣱّ ﴿74﴾

उनसे पहले उनको किसी इन्सान ने उनको छुआ तक नहीं और न जिन ने

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिन्हें उससे पहले न किसी मनुष्य ने हाथ लगाया होगा और न किसी जिन्न ने।

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿75﴾

फिर तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत से मुकरोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

مُتَّكِـِٔینَ عَلَىٰ رَفۡرَفٍ خُضۡرࣲ وَعَبۡقَرِیٍّ حِسَانࣲ ﴿76﴾

ये लोग सब्ज़ कालीनों और नफीस व हसीन मसनदों पर तकिए लगाए (बैठे) होंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे हरे रेशमी गद्दो और उत्कृष्ट् और असाधारण क़ालीनों पर तकिया लगाए होंगे;

فَبِأَیِّ ءَالَاۤءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿77﴾

फिर तुम अपने परवरदिगार की किन किन नेअमतों से इन्कार करोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम दोनों अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे?

تَبَـٰرَكَ ٱسۡمُ رَبِّكَ ذِی ٱلۡجَلَـٰلِ وَٱلۡإِكۡرَامِ ﴿78﴾

(ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार जो साहिबे जलाल व करामत है उसी का नाम बड़ा बाबरकत है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बड़ा ही बरकतवाला नाम है तुम्हारे प्रतापवान और उदार रब का