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سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَمَا فِی ٱلۡأَرۡضِۖ وَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡحَكِیمُ ﴿1﴾
जो चीज़ आसमानों में है और जो चीज़ ज़मीन में है (सब) ख़ुदा की तस्बीह करती हैं और वही ग़ालिब हिकमत वाला है
अल्लाह की तसबीह की है हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है, और वही प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है
هُوَ ٱلَّذِیۤ أَخۡرَجَ ٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡكِتَـٰبِ مِن دِیَـٰرِهِمۡ لِأَوَّلِ ٱلۡحَشۡرِۚ مَا ظَنَنتُمۡ أَن یَخۡرُجُوا۟ۖ وَظَنُّوۤا۟ أَنَّهُم مَّانِعَتُهُمۡ حُصُونُهُم مِّنَ ٱللَّهِ فَأَتَىٰهُمُ ٱللَّهُ مِنۡ حَیۡثُ لَمۡ یَحۡتَسِبُوا۟ۖ وَقَذَفَ فِی قُلُوبِهِمُ ٱلرُّعۡبَۚ یُخۡرِبُونَ بُیُوتَهُم بِأَیۡدِیهِمۡ وَأَیۡدِی ٱلۡمُؤۡمِنِینَ فَٱعۡتَبِرُوا۟ یَـٰۤأُو۟لِی ٱلۡأَبۡصَـٰرِ ﴿2﴾
वही तो है जिसने कुफ्फ़ार अहले किताब (बनी नुजैर) को पहले हश्र (ज़िलाए वतन) में उनके घरों से निकाल बाहर किया (मुसलमानों) तुमको तो ये वहम भी न था कि वह निकल जाएँगे और वह लोग ये समझे हुये थे कि उनके क़िले उनको ख़ुदा (के अज़ाब) से बचा लेंगे मगर जहाँ से उनको ख्याल भी न था ख़ुदा ने उनको आ लिया और उनके दिलों में (मुसलमानों) को रौब डाल दिया कि वह लोग ख़ुद अपने हाथों से और मोमिनीन के हाथों से अपने घरों को उजाड़ने लगे तो ऐ ऑंख वालों इबरत हासिल करो
वही है जिसने किताबवालों में से उन लोगों को जिन्होंने इनकार किया, उनके घरों से पहले ही जमावड़े में निकल बाहर किया। तुम्हें गुमान न था कि उनकी गढ़ियाँ अल्लाह से उन्हें बचा लेंगी। किन्तु अल्लाह उनपर वहाँ से आया जिसका उन्हें गुमान भी न था। और उसने उनके दिलों में रोब डाल दिया कि वे अपने घरों को स्वयं अपने हाथों और ईमानवालों के हाथों भी उजाड़ने लगे। अतः शिक्षा ग्रहण करो, ऐ दृष्टि रखनेवालो!
وَلَوۡلَاۤ أَن كَتَبَ ٱللَّهُ عَلَیۡهِمُ ٱلۡجَلَاۤءَ لَعَذَّبَهُمۡ فِی ٱلدُّنۡیَاۖ وَلَهُمۡ فِی ٱلۡـَٔاخِرَةِ عَذَابُ ٱلنَّارِ ﴿3﴾
और ख़ुदा ने उनकी किसमत में ज़िला वतनी न लिखा होता तो उन पर दुनिया में भी (दूसरी तरह) अज़ाब करता और आख़ेरत में तो उन पर जहन्नुम का अज़ाब है ही
यदि अल्लाह ने उनके लिए देश निकाला न लिख दिया होता तो दुनिया में ही वह उन्हें अवश्य यातना दे देता, और आख़िरत में तो उनके लिए आग की यातना है ही
ذَ ٰلِكَ بِأَنَّهُمۡ شَاۤقُّوا۟ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥۖ وَمَن یُشَاۤقِّ ٱللَّهَ فَإِنَّ ٱللَّهَ شَدِیدُ ٱلۡعِقَابِ ﴿4﴾
ये इसलिए कि उन लोगों ने ख़ुदा और उसके रसूल की मुख़ालेफ़त की और जिसने ख़ुदा की मुख़ालेफ़त की तो (याद रहे कि) ख़ुदा बड़ा सख्त अज़ाब देने वाला है
यह इसलिए कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का मुक़ाला करने की कोशिश की। और जो कोई अल्लाह का मुक़ाबला करता है तो निश्चय ही अल्लाह की यातना बहुत कठोर है
مَا قَطَعۡتُم مِّن لِّینَةٍ أَوۡ تَرَكۡتُمُوهَا قَاۤىِٕمَةً عَلَىٰۤ أُصُولِهَا فَبِإِذۡنِ ٱللَّهِ وَلِیُخۡزِیَ ٱلۡفَـٰسِقِینَ ﴿5﴾
(मोमिनों) खजूर का दरख्त जो तुमने काट डाला या जूँ का तँ से उनकी जड़ों पर खड़ा रहने दिया तो ख़ुदा ही के हुक्म से और मतलब ये था कि वह नाफरमानों को रूसवा करे
तुमने खजूर के जो वृक्ष काटे या उन्हें उनकी जड़ों पर खड़ा छोड़ दिया तो यह अल्लाह ही की अनुज्ञा से हुआ (ताकि ईमानवालों के लिए आसानी पैदा करे) और इसलिए कि वह अवज्ञाकारियों को रुसवा करे
وَمَاۤ أَفَاۤءَ ٱللَّهُ عَلَىٰ رَسُولِهِۦ مِنۡهُمۡ فَمَاۤ أَوۡجَفۡتُمۡ عَلَیۡهِ مِنۡ خَیۡلࣲ وَلَا رِكَابࣲ وَلَـٰكِنَّ ٱللَّهَ یُسَلِّطُ رُسُلَهُۥ عَلَىٰ مَن یَشَاۤءُۚ وَٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَیۡءࣲ قَدِیرࣱ ﴿6﴾
(तो) जो माल ख़ुदा ने अपने रसूल को उन लोगों से बे लड़े दिलवा दिया उसमें तुम्हार हक़ नहीं क्योंकि तुमने उसके लिए कुछ दौड़ धूप तो की ही नहीं, न घोड़ों से न ऊँटों से, मगर ख़ुदा अपने पैग़म्बरों को जिस पर चाहता है ग़लबा अता फरमाता है और ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है
और अल्लाह ने उनसे लेकर अपने रसूल की ओर जो कुछ पलटाया, उसके लिए न तो तुमने घोड़े दौड़ाए और न ऊँट। किन्तु अल्लाह अपने रसूलों को जिसपर चाहता है प्रभुत्व प्रदान कर देता है। अल्लाह को तो हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्ति है
مَّاۤ أَفَاۤءَ ٱللَّهُ عَلَىٰ رَسُولِهِۦ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡقُرَىٰ فَلِلَّهِ وَلِلرَّسُولِ وَلِذِی ٱلۡقُرۡبَىٰ وَٱلۡیَتَـٰمَىٰ وَٱلۡمَسَـٰكِینِ وَٱبۡنِ ٱلسَّبِیلِ كَیۡ لَا یَكُونَ دُولَةَۢ بَیۡنَ ٱلۡأَغۡنِیَاۤءِ مِنكُمۡۚ وَمَاۤ ءَاتَىٰكُمُ ٱلرَّسُولُ فَخُذُوهُ وَمَا نَهَىٰكُمۡ عَنۡهُ فَٱنتَهُوا۟ۚ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَۖ إِنَّ ٱللَّهَ شَدِیدُ ٱلۡعِقَابِ ﴿7﴾
तो जो माल ख़ुदा ने अपने रसूल को देहात वालों से बे लड़े दिलवाया है वह ख़ास ख़ुदा और उसके रसूल और (रसूल के) क़राबतदारों और यतीमों और मोहताजों और परदेसियों का है ताकि जो लोग तुममें से दौलतमन्द हैं हिर फिर कर दौलत उन्हीं में न रहे, हाँ जो तुमको रसूल दें दें वह ले लिया करो और जिससे मना करें उससे बाज़ रहो और ख़ुदा से डरते रहो बेशक ख़ुदा सख्त अज़ाब देने वाला है
जो कुछ अल्लाह ने अपने रसूल की ओर बस्तियोंवालों से लेकर पलटाया वह अल्लाह और रसूल और (मुहताज) नातेदार और अनाथों और मुहताजों और मुसाफ़िर के लिए है, ताकि वह (माल) तुम्हारे मालदारों ही के बीच चक्कर न लगाता रहे - रसूल जो कुछ तुम्हें दे उसे ले लो और जिस चीज़ से तुम्हें रोक दे उससे रुक जाओ, और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह की यातना बहुत कठोर है। -
لِلۡفُقَرَاۤءِ ٱلۡمُهَـٰجِرِینَ ٱلَّذِینَ أُخۡرِجُوا۟ مِن دِیَـٰرِهِمۡ وَأَمۡوَ ٰلِهِمۡ یَبۡتَغُونَ فَضۡلࣰا مِّنَ ٱللَّهِ وَرِضۡوَ ٰنࣰا وَیَنصُرُونَ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥۤۚ أُو۟لَـٰۤىِٕكَ هُمُ ٱلصَّـٰدِقُونَ ﴿8﴾
(इस माल में) उन मुफलिस मुहाजिरों का हिस्सा भी है जो अपने घरों से और मालों से निकाले (और अलग किए) गए (और) ख़ुदा के फ़ज़ल व ख़ुशनूदी के तलबगार हैं और ख़ुदा की और उसके रसूल की मदद करते हैं यही लोग सच्चे ईमानदार हैं और (उनका भी हिस्सा है)
वह ग़रीब मुहाजिरों के लिए है, जो अपने घरों और अपने मालों से इस हालत में निकाल बाहर किए गए है कि वे अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी प्रसन्नता की तलाश में है और अल्लाह और उसके रसूल की सहायता कर रहे है, और वही वास्तव में सच्चे है
وَٱلَّذِینَ تَبَوَّءُو ٱلدَّارَ وَٱلۡإِیمَـٰنَ مِن قَبۡلِهِمۡ یُحِبُّونَ مَنۡ هَاجَرَ إِلَیۡهِمۡ وَلَا یَجِدُونَ فِی صُدُورِهِمۡ حَاجَةࣰ مِّمَّاۤ أُوتُوا۟ وَیُؤۡثِرُونَ عَلَىٰۤ أَنفُسِهِمۡ وَلَوۡ كَانَ بِهِمۡ خَصَاصَةࣱۚ وَمَن یُوقَ شُحَّ نَفۡسِهِۦ فَأُو۟لَـٰۤىِٕكَ هُمُ ٱلۡمُفۡلِحُونَ ﴿9﴾
जो लोग मोहाजेरीन से पहले (हिजरत के) घर (मदीना) में मुक़ीम हैं और ईमान में (मुसतक़िल) रहे और जो लोग हिजरत करके उनके पास आए उनसे मोहब्बत करते हैं और जो कुछ उनको मिला उसके लिए अपने दिलों में कुछ ग़रज़ नहीं पाते और अगरचे अपने ऊपर तंगी ही क्यों न हो दूसरों को अपने नफ्स पर तरजीह देते हैं और जो शख़्श अपने नफ्स की हिर्स से बचा लिया गया तो ऐसे ही लोग अपनी दिली मुरादें पाएँगे
और उनके लिए जो उनसे पहले ही से हिजरत के घर (मदीना) में ठिकाना बनाए हुए है और ईमान पर जमे हुए है, वे उनसे प्रेम करते है जो हिजरत करके उनके यहाँ आए है और जो कुछ भी उन्हें दिया गया उससे वे अपने सीनों में कोई खटक नहीं पाते और वे उन्हें अपने मुक़ाबले में प्राथमिकता देते है, यद्यपि अपनी जगह वे स्वयं मुहताज ही हों। और जो अपने मन के लोभ और कृपणता से बचा लिया जाए ऐसे लोग ही सफल है
وَٱلَّذِینَ جَاۤءُو مِنۢ بَعۡدِهِمۡ یَقُولُونَ رَبَّنَا ٱغۡفِرۡ لَنَا وَلِإِخۡوَ ٰنِنَا ٱلَّذِینَ سَبَقُونَا بِٱلۡإِیمَـٰنِ وَلَا تَجۡعَلۡ فِی قُلُوبِنَا غِلࣰّا لِّلَّذِینَ ءَامَنُوا۟ رَبَّنَاۤ إِنَّكَ رَءُوفࣱ رَّحِیمٌ ﴿10﴾
और उनका भी हिस्सा है और जो लोग उन (मोहाजेरीन) के बाद आए (और) दुआ करते हैं कि परवरदिगारा हमारी और उन लोगों की जो हमसे पहले ईमान ला चुके मग़फेरत कर और मोमिनों की तरफ से हमारे दिलों में किसी तरह का कीना न आने दे परवरदिगार बेशक तू बड़ा शफीक़ निहायत रहम वाला है
और (इस माल में उनका भी हिस्सा है) जो उनके बाद आए, वे कहते है, \"ऐ हमारे रब! हमें क्षमा कर दे और हमारे उन भाइयों को भी जो ईमानलाने में हमसे अग्रसर रहे और हमारे दिलों में ईमानवालों के लिए कोई विद्वेष न रख। ऐ हमारे रब! तू निश्चय ही बड़ा करुणामय, अत्यन्त दयावान है।\"
۞ أَلَمۡ تَرَ إِلَى ٱلَّذِینَ نَافَقُوا۟ یَقُولُونَ لِإِخۡوَ ٰنِهِمُ ٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡكِتَـٰبِ لَىِٕنۡ أُخۡرِجۡتُمۡ لَنَخۡرُجَنَّ مَعَكُمۡ وَلَا نُطِیعُ فِیكُمۡ أَحَدًا أَبَدࣰا وَإِن قُوتِلۡتُمۡ لَنَنصُرَنَّكُمۡ وَٱللَّهُ یَشۡهَدُ إِنَّهُمۡ لَكَـٰذِبُونَ ﴿11﴾
क्या तुमने उन मुनाफ़िकों की हालत पर नज़र नहीं की जो अपने काफ़िर भाइयों अहले किताब से कहा करते हैं कि अगर कहीं तुम (घरों से) निकाले गए तो यक़ीन जानों कि हम भी तुम्हारे साथ (ज़रूर) निकल खड़े होंगे और तुम्हारे बारे में कभी किसी की इताअत न करेंगे और अगर तुमसे लड़ाई होगी तो ज़रूर तुम्हारी मदद करेंगे, मगर ख़ुदा बयान किए देता है कि ये लोग यक़ीनन झूठे हैं
क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जिन्होंने कपटाचार की नीति अपनाई हैं, वे अपने किताबवाले उन भाइयों से, जो इनकार की नीति अपनाए हुए है, कहते है, \"यदि तुम्हें निकाला गया तो हम भी अवश्य ही तुम्हारे साथ निकल जाएँगे और तुम्हारे मामले में किसी की बात कभी भी नहीं मानेंगे। और यदि तुमसे युद्ध किया गया तो हम अवश्य तुम्हारी सहायता करेंगे।\" किन्तु अल्लाह गवाही देता है कि वे बिलकुल झूठे है
لَىِٕنۡ أُخۡرِجُوا۟ لَا یَخۡرُجُونَ مَعَهُمۡ وَلَىِٕن قُوتِلُوا۟ لَا یَنصُرُونَهُمۡ وَلَىِٕن نَّصَرُوهُمۡ لَیُوَلُّنَّ ٱلۡأَدۡبَـٰرَ ثُمَّ لَا یُنصَرُونَ ﴿12﴾
अगर कुफ्फ़ार निकाले भी जाएँ तो ये मुनाफेक़ीन उनके साथ न निकलेंगे और अगर उनसे लड़ाई हुई तो उनकी मदद भी न करेंगे और यक़ीनन करेंगे भी तो पीठ फेर कर भाग जाएँगे
यदि वे निकाले गए तो वे उनके साथ नहीं निकलेंगे और यदि उनसे युद्ध हुआ तो वे उनकी सहायता कदापि न करेंगे और यदि उनकी सहायता करें भी तो पीठ फेंर जाएँगे। फिर उन्हें कोई सहायता प्राप्त न होगी
لَأَنتُمۡ أَشَدُّ رَهۡبَةࣰ فِی صُدُورِهِم مِّنَ ٱللَّهِۚ ذَ ٰلِكَ بِأَنَّهُمۡ قَوۡمࣱ لَّا یَفۡقَهُونَ ﴿13﴾
फिर उनको कहीं से कुमक भी न मिलेगी (मोमिनों) तुम्हारी हैबत उनके दिलों में ख़ुदा से भी बढ़कर है, ये इस वजह से कि ये लोग समझ नहीं रखते
उनके दिलों में अल्लाह से बढ़कर तुम्हारा भय समाया हुआ है। यह इसलिए कि वे ऐसे लोग है जो समझते नहीं
لَا یُقَـٰتِلُونَكُمۡ جَمِیعًا إِلَّا فِی قُرࣰى مُّحَصَّنَةٍ أَوۡ مِن وَرَاۤءِ جُدُرِۭۚ بَأۡسُهُم بَیۡنَهُمۡ شَدِیدࣱۚ تَحۡسَبُهُمۡ جَمِیعࣰا وَقُلُوبُهُمۡ شَتَّىٰۚ ذَ ٰلِكَ بِأَنَّهُمۡ قَوۡمࣱ لَّا یَعۡقِلُونَ ﴿14﴾
ये सब के सब मिलकर भी तुमसे नहीं लड़ सकते, मगर हर तरफ से महफूज़ बस्तियों में या (शहर पनाह की) दीवारों की आड़ में इनकी आपस में तो बड़ी धाक है कि तुम ख्याल करोगे कि सब के सब (एक जान) हैं मगर उनके दिल एक दूसरे से फटे हुए हैं ये इस वजह से कि ये लोग बेअक्ल हैं
वे इकट्ठे होकर भी तुमसे (खुले मैदान में) नहीं लड़ेगे, क़िलाबन्द बस्तियों या दीवारों के पीछ हों तो यह और बात है। उनकी आपस में सख़्त लड़ाई है। तुम उन्हें इकट्ठा समझते हो! हालाँकि उनके दिल फटे हुए है। यह इसलिए कि वे ऐसे लोग है जो बुद्धि से काम नहीं लेते
كَمَثَلِ ٱلَّذِینَ مِن قَبۡلِهِمۡ قَرِیبࣰاۖ ذَاقُوا۟ وَبَالَ أَمۡرِهِمۡ وَلَهُمۡ عَذَابٌ أَلِیمࣱ ﴿15﴾
उनका हाल उन लोगों का सा है जो उनसे कुछ ही पेशतर अपने कामों की सज़ा का मज़ा चख चुके हैं और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है
उनकी हालत उन्हीं लोगों जैसी है जो उनसे पहले निकट काल में अपने किए के वबाल का मज़ा चख चुके है, और उनके लिए दुखद यातना भी है
كَمَثَلِ ٱلشَّیۡطَـٰنِ إِذۡ قَالَ لِلۡإِنسَـٰنِ ٱكۡفُرۡ فَلَمَّا كَفَرَ قَالَ إِنِّی بَرِیۤءࣱ مِّنكَ إِنِّیۤ أَخَافُ ٱللَّهَ رَبَّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿16﴾
(मुनाफ़िकों) की मिसाल शैतान की सी है कि इन्सान से कहता रहा कि काफ़िर हो जाओ, फिर जब वह काफ़िर हो गया तो कहने लगा मैं तुमसे बेज़ार हूँ मैं सारे जहाँ के परवरदिगार से डरता हूँ
इनकी मिसाल शैतान जैसी है कि जब उसने मनुष्य से कहा, \"क़ुफ़्र कर!\" फिर जब वह कुफ़्र कर बैठा तो कहने लगा, \"मैं तुम्हारी ज़िम्मेदारी से बरी हूँ। मैं तो सारे संसार के रब अल्लाह से डरता हूँ।\"
فَكَانَ عَـٰقِبَتَهُمَاۤ أَنَّهُمَا فِی ٱلنَّارِ خَـٰلِدَیۡنِ فِیهَاۚ وَذَ ٰلِكَ جَزَ ٰۤؤُا۟ ٱلظَّـٰلِمِینَ ﴿17﴾
तो दोनों का नतीजा ये हुआ कि दोनों दोज़ख़ में (डाले) जाएँगे और उसमें हमेशा रहेंगे और यही तमाम ज़ालिमों की सज़ा है
फिर उन दोनों का परिणाम यह हुआ कि दोनों आग में गए, जहाँ सदैव रहेंगे। और ज़ालिमों का यही बदला है
یَـٰۤأَیُّهَا ٱلَّذِینَ ءَامَنُوا۟ ٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَلۡتَنظُرۡ نَفۡسࣱ مَّا قَدَّمَتۡ لِغَدࣲۖ وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَۚ إِنَّ ٱللَّهَ خَبِیرُۢ بِمَا تَعۡمَلُونَ ﴿18﴾
ऐ ईमानदारों ख़ुदा से डरो, और हर शख़्श को ग़ौर करना चाहिए कि कल क़यामत के वास्ते उसने पहले से क्या भेजा है और ख़ुदा ही से डरते रहो बेशक जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे बाख़बर है
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखो। और प्रत्येक व्यक्ति को यह देखना चाहिए कि उसने कल के लिए क्या भेजा है। और अल्लाह का डर रखो। जो कुछ भी तुम करते हो निश्चय ही अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है
وَلَا تَكُونُوا۟ كَٱلَّذِینَ نَسُوا۟ ٱللَّهَ فَأَنسَىٰهُمۡ أَنفُسَهُمۡۚ أُو۟لَـٰۤىِٕكَ هُمُ ٱلۡفَـٰسِقُونَ ﴿19﴾
और उन लोगों के जैसे न हो जाओ जो ख़ुदा को भुला बैठे तो ख़ुदा ने उन्हें ऐसा कर दिया कि वह अपने आपको भूल गए यही लोग तो बद किरदार हैं
और उन लोगों की तरह न हो जाना जिन्होंने अल्लाह को भुला दिया। तो उसने भी ऐसा किया कि वे स्वयं अपने आपको भूल बैठे। वही अवज्ञाकारी है
لَا یَسۡتَوِیۤ أَصۡحَـٰبُ ٱلنَّارِ وَأَصۡحَـٰبُ ٱلۡجَنَّةِۚ أَصۡحَـٰبُ ٱلۡجَنَّةِ هُمُ ٱلۡفَاۤىِٕزُونَ ﴿20﴾
जहन्नुमी और जन्नती किसी तरह बराबर नहीं हो सकते जन्नती लोग ही तो कामयाबी हासिल करने वाले हैं
आगवाले और बाग़वाले (जहन्नमवाले और जन्नतवाले) कभी समान नहीं हो सकते। बाग़वाले ही सफ़ल है
لَوۡ أَنزَلۡنَا هَـٰذَا ٱلۡقُرۡءَانَ عَلَىٰ جَبَلࣲ لَّرَأَیۡتَهُۥ خَـٰشِعࣰا مُّتَصَدِّعࣰا مِّنۡ خَشۡیَةِ ٱللَّهِۚ وَتِلۡكَ ٱلۡأَمۡثَـٰلُ نَضۡرِبُهَا لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمۡ یَتَفَكَّرُونَ ﴿21﴾
अगर हम इस क़ुरान को किसी पहाड़ पर (भी) नाज़िल करते तो तुम उसको देखते कि ख़ुदा के डर से झुका और फटा जाता है ये मिसालें हम लोगों (के समझाने) के लिए बयान करते हैं ताकि वह ग़ौर करें
यदि हमने इस क़ुरआन को किसी पर्वत पर भी उतार दिया होता तो तुम अवश्य देखते कि अल्लाह के भय से वह दबा हुआ और फटा जाता है। ये मिशालें लोगों के लिए हम इसलिए पेश करते है कि वे सोच-विचार करें
هُوَ ٱللَّهُ ٱلَّذِی لَاۤ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَۖ عَـٰلِمُ ٱلۡغَیۡبِ وَٱلشَّهَـٰدَةِۖ هُوَ ٱلرَّحۡمَـٰنُ ٱلرَّحِیمُ ﴿22﴾
वही ख़ुदा है जिसके सिवा कोई माबूद नहीं, पोशीदा और ज़ाहिर का जानने वाला वही बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
वही अल्लाह है जिसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं, परोक्ष और प्रत्यक्ष को जानता है। वह बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान है
هُوَ ٱللَّهُ ٱلَّذِی لَاۤ إِلَـٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلۡمَلِكُ ٱلۡقُدُّوسُ ٱلسَّلَـٰمُ ٱلۡمُؤۡمِنُ ٱلۡمُهَیۡمِنُ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡجَبَّارُ ٱلۡمُتَكَبِّرُۚ سُبۡحَـٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا یُشۡرِكُونَ ﴿23﴾
वही वह ख़ुदा है जिसके सिवा कोई क़ाबिले इबादत नहीं (हक़ीक़ी) बादशाह, पाक ज़ात (हर ऐब से) बरी अमन देने वाला निगेहबान, ग़ालिब ज़बरदस्त बड़ाई वाला ये लोग जिसको (उसका) शरीक ठहराते हैं उससे पाक है
वही अल्लाह है जिसके सिवा कोई पूज्य नहीं। बादशाह है अत्यन्त पवित्र, सर्वथा सलामती, निश्चिन्तता प्रदान करनेवाला, संरक्षक, प्रभुत्वशाली, प्रभावशाली (टुटे हुए को जोड़नेवाला), अपनी बड़ाई प्रकट करनेवाला। महान और उच्च है अल्लाह उस शिर्क से जो वे करते है
هُوَ ٱللَّهُ ٱلۡخَـٰلِقُ ٱلۡبَارِئُ ٱلۡمُصَوِّرُۖ لَهُ ٱلۡأَسۡمَاۤءُ ٱلۡحُسۡنَىٰۚ یُسَبِّحُ لَهُۥ مَا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ وَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡحَكِیمُ ﴿24﴾
वही ख़ुदा (तमाम चीज़ों का ख़ालिक) मुजिद सूरतों का बनाने वाला उसी के अच्छे अच्छे नाम हैं जो चीज़े सारे आसमान व ज़मीन में हैं सब उसी की तसबीह करती हैं, और वही ग़ालिब हिकमत वाला है
वही अल्लाह है जो संरचना का प्रारूपक है, अस्तित्व प्रदान करनेवाला, रूप देनेवाला है। उसी के लिए अच्छे नाम है। जो चीज़ भी आकाशों और धरती में है, उसी की तसबीह कर रही है। और वह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है
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