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Surah The Sovereignty [Al-Mulk] in Hindi

Surah The Sovereignty [Al-Mulk] Ayah 30 Location Maccah Number 67

تَبَـٰرَكَ ٱلَّذِی بِیَدِهِ ٱلۡمُلۡكُ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَیۡءࣲ قَدِیرٌ ﴿1﴾

जिस (ख़ुदा) के कब्ज़े में (सारे जहाँन की) बादशाहत है वह बड़ी बरकत वाला है और वह हर चीज़ पर कादिर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बड़ा बरकतवाला है वह जिसके हाथ में सारी बादशाही है और वह हर चीज़ की सामर्थ्य रखता है। -

ٱلَّذِی خَلَقَ ٱلۡمَوۡتَ وَٱلۡحَیَوٰةَ لِیَبۡلُوَكُمۡ أَیُّكُمۡ أَحۡسَنُ عَمَلࣰاۚ وَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡغَفُورُ ﴿2﴾

जिसने मौत और ज़िन्दगी को पैदा किया ताकि तुम्हें आज़माए कि तुममें से काम में सबसे अच्छा कौन है और वह ग़ालिब (और) बड़ा बख्शने वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिसने पैदा किया मृत्यु और जीवन को, ताकि तुम्हारी परीक्षा करे कि तुममें कर्म की दृष्टि से कौन सबसे अच्छा है। वह प्रभुत्वशाली, बड़ा क्षमाशील है। -

ٱلَّذِی خَلَقَ سَبۡعَ سَمَـٰوَ ٰ⁠تࣲ طِبَاقࣰاۖ مَّا تَرَىٰ فِی خَلۡقِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ مِن تَفَـٰوُتࣲۖ فَٱرۡجِعِ ٱلۡبَصَرَ هَلۡ تَرَىٰ مِن فُطُورࣲ ﴿3﴾

जिसने सात आसमान तले ऊपर बना डाले भला तुझे ख़ुदा की आफ़रिनश में कोई कसर नज़र आती है तो फिर ऑंख उठाकर देख भला तुझे कोई शिग़ाफ़ नज़र आता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिसने ऊपर-तले सात आकाश बनाए। तुम रहमान की रचना में कोई असंगति और विषमता न देखोगे। फिर नज़र डालो, \"क्या तुम्हें कोई बिगाड़ दिखाई देता है?\"

ثُمَّ ٱرۡجِعِ ٱلۡبَصَرَ كَرَّتَیۡنِ یَنقَلِبۡ إِلَیۡكَ ٱلۡبَصَرُ خَاسِئࣰا وَهُوَ حَسِیرࣱ ﴿4﴾

फिर दुबारा ऑंख उठा कर देखो तो (हर बार तेरी) नज़र नाकाम और थक कर तेरी तरफ पलट आएगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर दोबारा नज़र डालो। निगाह रद्द होकर और थक-हारकर तुम्हारी ओर पलट आएगी

وَلَقَدۡ زَیَّنَّا ٱلسَّمَاۤءَ ٱلدُّنۡیَا بِمَصَـٰبِیحَ وَجَعَلۡنَـٰهَا رُجُومࣰا لِّلشَّیَـٰطِینِۖ وَأَعۡتَدۡنَا لَهُمۡ عَذَابَ ٱلسَّعِیرِ ﴿5﴾

और हमने नीचे वाले (पहले) आसमान को (तारों के) चिराग़ों से ज़ीनत दी है और हमने उनको शैतानों के मारने का आला बनाया और हमने उनके लिए दहकती हुई आग का अज़ाब तैयार कर रखा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने निकटवर्ती आकाश को दीपों से सजाया और उन्हें शैतानों के मार भगाने का साधन बनाया और उनके लिए हमने भड़कती आग की यातना तैयार कर रखी है

وَلِلَّذِینَ كَفَرُوا۟ بِرَبِّهِمۡ عَذَابُ جَهَنَّمَۖ وَبِئۡسَ ٱلۡمَصِیرُ ﴿6﴾

और जो लोग अपने परवरदिगार के मुनकिर हैं उनके लिए जहन्नुम का अज़ाब है और वह (बहुत) बुरा ठिकाना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिन लोगों ने अपने रब के साथ कुफ़्र किया उनके लिए जहन्नम की यातना है और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है

إِذَاۤ أُلۡقُوا۟ فِیهَا سَمِعُوا۟ لَهَا شَهِیقࣰا وَهِیَ تَفُورُ ﴿7﴾

जब ये लोग इसमें डाले जाएँगे तो उसकी बड़ी चीख़ सुनेंगे और वह जोश मार रही होगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जब वे उसमें डाले जाएँगे तो उसकी दहाड़ने की भयानक आवाज़ सुनेंगे और वह प्रकोप से बिफर रही होगी।

تَكَادُ تَمَیَّزُ مِنَ ٱلۡغَیۡظِۖ كُلَّمَاۤ أُلۡقِیَ فِیهَا فَوۡجࣱ سَأَلَهُمۡ خَزَنَتُهَاۤ أَلَمۡ یَأۡتِكُمۡ نَذِیرࣱ ﴿8﴾

बल्कि गोया मारे जोश के फट पड़ेगी जब उसमें (उनका) कोई गिरोह डाला जाएगा तो उनसे दारोग़ए जहन्नुम पूछेगा क्या तुम्हारे पास कोई डराने वाला पैग़म्बर नहीं आया था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐसा प्रतीत होगा कि प्रकोप के कारण अभी फट पड़ेगी। हर बार जब भी कोई समूह उसमें डाला जाएगा तो उसके कार्यकर्ता उनसे पूछेंगे, \"क्या तुम्हारे पास कोई सावधान करनेवाला नहीं आया?\"

قَالُوا۟ بَلَىٰ قَدۡ جَاۤءَنَا نَذِیرࣱ فَكَذَّبۡنَا وَقُلۡنَا مَا نَزَّلَ ٱللَّهُ مِن شَیۡءٍ إِنۡ أَنتُمۡ إِلَّا فِی ضَلَـٰلࣲ كَبِیرࣲ ﴿9﴾

वह कहेंगे हॉ हमारे पास डराने वाला तो ज़रूर आया था मगर हमने उसको झुठला दिया और कहा कि ख़ुदा ने तो कुछ नाज़िल ही नहीं किया तुम तो बड़ी (गहरी) गुमराही में (पड़े) हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे कहेंगे, \"क्यों नहीं, अवश्य हमारे पास आया था, किन्तु हमने झुठला दिया और कहा कि अल्लाह ने कुछ भी नहीं अवतरित किया। तुम तो बस एक बड़ी गुमराही में पड़े हुए हो।\"

وَقَالُوا۟ لَوۡ كُنَّا نَسۡمَعُ أَوۡ نَعۡقِلُ مَا كُنَّا فِیۤ أَصۡحَـٰبِ ٱلسَّعِیرِ ﴿10﴾

और (ये भी) कहेंगे कि अगर (उनकी बात) सुनते या समझते तब तो (आज) दोज़ख़ियों में न होते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वे कहेंगे, \"यदि हम सुनते या बुद्धि से काम लेते तो हम दहकती आग में पड़नेवालों में सम्मिलित न होते।\"

فَٱعۡتَرَفُوا۟ بِذَنۢبِهِمۡ فَسُحۡقࣰا لِّأَصۡحَـٰبِ ٱلسَّعِیرِ ﴿11﴾

ग़रज़ वह अपने गुनाह का इक़रार कर लेंगे तो दोज़ख़ियों को ख़ुदा की रहमत से दूरी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इस प्रकार वे अपने गुनाहों को स्वीकार करेंगे, तो धिक्कार हो दहकती आगवालों पर!

إِنَّ ٱلَّذِینَ یَخۡشَوۡنَ رَبَّهُم بِٱلۡغَیۡبِ لَهُم مَّغۡفِرَةࣱ وَأَجۡرࣱ كَبِیرࣱ ﴿12﴾

बेशक जो लोग अपने परवरदिगार से बेदेखे भाले डरते हैं उनके लिए मग़फेरत और बड़ा भारी अज्र है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो लोग परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते है, उनके लिए क्षमा और बड़ा बदला है

وَأَسِرُّوا۟ قَوۡلَكُمۡ أَوِ ٱجۡهَرُوا۟ بِهِۦۤۖ إِنَّهُۥ عَلِیمُۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ ﴿13﴾

और तुम अपनी बात छिपकर कहो या खुल्लम खुल्ला वह तो दिल के भेदों तक से ख़ूब वाक़िफ़ है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम अपनी बात छिपाओ या उसे व्यक्त करो, वह तो सीनों में छिपी बातों तक को जानता है

أَلَا یَعۡلَمُ مَنۡ خَلَقَ وَهُوَ ٱللَّطِیفُ ٱلۡخَبِیرُ ﴿14﴾

भला जिसने पैदा किया वह तो बेख़बर और वह तो बड़ा बारीकबीन वाक़िफ़कार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या वह नहीं जानेगा जिसने पैदा किया? वह सूक्ष्मदर्शी, ख़बर रखनेवाला है

هُوَ ٱلَّذِی جَعَلَ لَكُمُ ٱلۡأَرۡضَ ذَلُولࣰا فَٱمۡشُوا۟ فِی مَنَاكِبِهَا وَكُلُوا۟ مِن رِّزۡقِهِۦۖ وَإِلَیۡهِ ٱلنُّشُورُ ﴿15﴾

वही तो है जिसने ज़मीन को तुम्हारे लिए नरम (व हमवार) कर दिया तो उसके अतराफ़ व जवानिब में चलो फिरो और उसकी (दी हुई) रोज़ी खाओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वही तो है जिसने तुम्हारे लिए धरती को वशीभूत किया। अतः तुम उसके (धरती के) कन्धों पर चलो और उसकी रोज़ी में से खाओ, उसी की ओर दोबारा उठकर (जीवित होकर) जाना है

ءَأَمِنتُم مَّن فِی ٱلسَّمَاۤءِ أَن یَخۡسِفَ بِكُمُ ٱلۡأَرۡضَ فَإِذَا هِیَ تَمُورُ ﴿16﴾

और फिर उसी की तरफ क़ब्र से उठ कर जाना है क्या तुम उस शख़्श से जो आसमान में (हुकूमत करता है) इस बात से बेख़ौफ़ हो कि तुमको ज़मीन में धॅसा दे फिर वह एकबारगी उलट पुलट करने लगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुम उससे निश्चिन्त हो जो आकाश में है कि तुम्हें धरती में धँसा दे, फिर क्या देखोगे कि वह डाँवाडोल हो रही है?

أَمۡ أَمِنتُم مَّن فِی ٱلسَّمَاۤءِ أَن یُرۡسِلَ عَلَیۡكُمۡ حَاصِبࣰاۖ فَسَتَعۡلَمُونَ كَیۡفَ نَذِیرِ ﴿17﴾

या तुम इस बात से बेख़ौफ हो कि जो आसमान में (सल्तनत करता) है कि तुम पर पत्थर भरी ऑंधी चलाए तो तुम्हें अनक़रीेब ही मालूम हो जाएगा कि मेरा डराना कैसा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

या तुम उससे निश्चिन्त हो जो आकाश में है कि वह तुमपर पथराव करनेवाली वायु भेज दे? फिर तुम जान लोगे कि मेरी चेतावनी कैसी होती है

وَلَقَدۡ كَذَّبَ ٱلَّذِینَ مِن قَبۡلِهِمۡ فَكَیۡفَ كَانَ نَكِیرِ ﴿18﴾

और जो लोग उनसे पहले थे उन्होने झुठलाया था तो (देखो) कि मेरी नाख़ुशी कैसी थी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन लोगों ने भी झुठलाया जो उनसे पहले थे, फिर कैसा रहा मेरा इनकार!

أَوَلَمۡ یَرَوۡا۟ إِلَى ٱلطَّیۡرِ فَوۡقَهُمۡ صَـٰۤفَّـٰتࣲ وَیَقۡبِضۡنَۚ مَا یُمۡسِكُهُنَّ إِلَّا ٱلرَّحۡمَـٰنُۚ إِنَّهُۥ بِكُلِّ شَیۡءِۭ بَصِیرٌ ﴿19﴾

क्या उन लोगों ने अपने सरों पर चिड़ियों को उड़ते नहीं देखा जो परों को फैलाए रहती हैं और समेट लेती हैं कि ख़ुदा के सिवा उन्हें कोई रोके नहीं रह सकता बेशक वह हर चीज़ को देख रहा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या उन्होंने अपने ऊपर पक्षियों को पंक्तबन्द्ध पंख फैलाए और उन्हें समेटते नहीं देखा? उन्हें रहमान के सिवा कोई और नहीं थामें रहता। निश्चय ही वह हर चीज़ को देखता है

أَمَّنۡ هَـٰذَا ٱلَّذِی هُوَ جُندࣱ لَّكُمۡ یَنصُرُكُم مِّن دُونِ ٱلرَّحۡمَـٰنِۚ إِنِ ٱلۡكَـٰفِرُونَ إِلَّا فِی غُرُورٍ ﴿20﴾

भला ख़ुदा के सिवा ऐसा कौन है जो तुम्हारी फ़ौज बनकर तुम्हारी मदद करे काफ़िर लोग तो धोखे ही (धोखे) में हैं भला ख़ुदा अगर अपनी (दी हुई) रोज़ी रोक ले तो कौन ऐसा है जो तुम्हें रिज़क़ दे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

या वह कौन है जो तुम्हारी सेना बनकर रहमान के मुक़ाबले में तुम्हारी सहायता करे। इनकार करनेवाले तो बस धोखे में पड़े हुए है

أَمَّنۡ هَـٰذَا ٱلَّذِی یَرۡزُقُكُمۡ إِنۡ أَمۡسَكَ رِزۡقَهُۥۚ بَل لَّجُّوا۟ فِی عُتُوࣲّ وَنُفُورٍ ﴿21﴾

मगर ये कुफ्फ़ार तो सरकशी और नफ़रत (के भँवर) में फँसे हुए हैं भला जो शख़्श औंधे मुँह के बाल चले वह ज्यादा हिदायत याफ्ता होगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

या वह कौन है जो तुम्हें रोज़ी दे, यदि वह अपनी रोज़ी रोक ले? नहीं, बल्कि वे तो सरकशी और नफ़रत ही पर अड़े हुए है

أَفَمَن یَمۡشِی مُكِبًّا عَلَىٰ وَجۡهِهِۦۤ أَهۡدَىٰۤ أَمَّن یَمۡشِی سَوِیًّا عَلَىٰ صِرَ ٰ⁠طࣲ مُّسۡتَقِیمࣲ ﴿22﴾

या वह शख़्श जो सीधा बराबर राहे रास्त पर चल रहा हो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ख़ुदा तो वही है जिसने तुमको नित नया पैदा किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो क्या वह व्यक्ति जो अपने मुँह के बल औंधा चलता हो वह अधिक सीधे मार्ग पर ह या वह जो सीधा होकर सीधे मार्ग पर चल रहा है?

قُلۡ هُوَ ٱلَّذِیۤ أَنشَأَكُمۡ وَجَعَلَ لَكُمُ ٱلسَّمۡعَ وَٱلۡأَبۡصَـٰرَ وَٱلۡأَفۡـِٔدَةَۚ قَلِیلࣰا مَّا تَشۡكُرُونَ ﴿23﴾

और तुम्हारे वास्ते कान और ऑंख और दिल बनाए (मगर) तुम तो बहुत कम शुक्र अदा करते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कह दो, \"वही है जिसने तुम्हें पैदा किया और तुम्हारे लिए कान और आँखे और दिल बनाए। तुम कृतज्ञता थोड़े ही दिखाते हो।\"

قُلۡ هُوَ ٱلَّذِی ذَرَأَكُمۡ فِی ٱلۡأَرۡضِ وَإِلَیۡهِ تُحۡشَرُونَ ﴿24﴾

कह दो कि वही तो है जिसने तुमको ज़मीन में फैला दिया और उसी के सामने जमा किए जाओगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कह दो, \"वही है जिसने तुम्हें धरती में फैलाया और उसी की ओर तुम एकत्र किए जा रहे हो।\"

وَیَقُولُونَ مَتَىٰ هَـٰذَا ٱلۡوَعۡدُ إِن كُنتُمۡ صَـٰدِقِینَ ﴿25﴾

और कुफ्फ़ार कहते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो (आख़िर) ये वायदा कब (पूरा) होगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे कहते है, \"यदि तुम सच्चे हो तो यह वादा कब पूरा होगा?\"

قُلۡ إِنَّمَا ٱلۡعِلۡمُ عِندَ ٱللَّهِ وَإِنَّمَاۤ أَنَا۠ نَذِیرࣱ مُّبِینࣱ ﴿26﴾

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि (इसका) इल्म तो बस ख़ुदा ही को है और मैं तो सिर्फ साफ़ साफ़ (अज़ाब से) डराने वाला हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कह दो, \"इसका ज्ञान तो बस अल्लाह ही के पास है और मैं तो एक स्पष्ट॥ सचेत करनेवाला हूँ।\"

فَلَمَّا رَأَوۡهُ زُلۡفَةࣰ سِیۤـَٔتۡ وُجُوهُ ٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ وَقِیلَ هَـٰذَا ٱلَّذِی كُنتُم بِهِۦ تَدَّعُونَ ﴿27﴾

तो जब ये लोग उसे करीब से देख लेंगे (ख़ौफ के मारे) काफिरों के चेहरे बिगड़ जाएँगे और उनसे कहा जाएगा ये वही है जिसके तुम ख़वास्तग़ार थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब वे उसे निकट देखेंगे तो उन लोगों के चेहरे बिगड़ जाएँगे जिन्होंने इनकार की नीति अपनाई; और कहा जाएगा, \"यही है वह चीज़ जिसकी तुम माँग कर रहे थे।\"

قُلۡ أَرَءَیۡتُمۡ إِنۡ أَهۡلَكَنِیَ ٱللَّهُ وَمَن مَّعِیَ أَوۡ رَحِمَنَا فَمَن یُجِیرُ ٱلۡكَـٰفِرِینَ مِنۡ عَذَابٍ أَلِیمࣲ ﴿28﴾

(ऐ रसूल) तुम कह दो भला देखो तो कि अगर ख़ुदा मुझको और मेरे साथियों को हलाक कर दे या हम पर रहम फरमाए तो काफ़िरों को दर्दनाक अज़ाब से कौन पनाह देगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहो, \"क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि अल्लाह मुझे और उन्हें भी, जो मेरे साथ है, विनष्ट ही कर दे या वह हम पर दया करे, आख़िर इनकार करनेवालों को दुखद यातना से कौन पनाह देगा?\"

قُلۡ هُوَ ٱلرَّحۡمَـٰنُ ءَامَنَّا بِهِۦ وَعَلَیۡهِ تَوَكَّلۡنَاۖ فَسَتَعۡلَمُونَ مَنۡ هُوَ فِی ضَلَـٰلࣲ مُّبِینࣲ ﴿29﴾

तुम कह दो कि वही (ख़ुदा) बड़ा रहम करने वाला है जिस पर हम ईमान लाए हैं और हमने तो उसी पर भरोसा कर लिया है तो अनक़रीब ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि कौन सरीही गुमराही में (पड़ा) है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कह दो, \"वह रहमान है। उसी पर हम ईमान लाए है और उसी पर हमने भरोसा किया। तो शीघ्र ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि खुली गुमराही में कौन पड़ा हुआ है।\"

قُلۡ أَرَءَیۡتُمۡ إِنۡ أَصۡبَحَ مَاۤؤُكُمۡ غَوۡرࣰا فَمَن یَأۡتِیكُم بِمَاۤءࣲ مَّعِینِۭ ﴿30﴾

ऐ रसूल तुम कह दो कि भला देखो तो कि अगर तुम्हारा पानी ज़मीन के अन्दर चला जाए कौन ऐसा है जो तुम्हारे लिए पानी का चश्मा बहा लाए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहो, \"क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुम्हारा पानी (धरती में) नीचे उतर जाए तो फिर कौन तुम्हें लाकर देगा निर्मल प्रवाहित जल?\"