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Surah Those who drag forth [An-Naziat] in Hindi
وَٱلنَّٰزِعَٰتِ غَرْقًۭا ﴿1﴾
उन (फ़रिश्तों) की क़सम
गवाह है वे (हवाएँ) जो ज़ोर से उखाड़ फैंके,
وَٱلنَّٰشِطَٰتِ نَشْطًۭا ﴿2﴾
जो (कुफ्फ़ार की रूह) डूब कर सख्ती से खींच लेते हैं
और गवाह है वे (हवाएँ) जो नर्मी के साथ चलें,
وَٱلسَّٰبِحَٰتِ سَبْحًۭا ﴿3﴾
और उनकी क़सम जो (मोमिनीन की जान) आसानी से खोल देते हैं
और गवाह है वे जो वायुमंडल में तैरें,
فَٱلسَّٰبِقَٰتِ سَبْقًۭا ﴿4﴾
और उनकी क़सम जो (आसमान ज़मीन के दरमियान) पैरते फिरते हैं
फिर एक-दूसरे से अग्रसर हों,
يَوْمَ تَرْجُفُ ٱلرَّاجِفَةُ ﴿6﴾
फिर (दुनिया के) इन्तज़ाम करते हैं (उनकी क़सम) कि क़यामत हो कर रहेगी
जिस दिन हिला डालेगी हिला डालनेवाले घटना,
تَتْبَعُهَا ٱلرَّادِفَةُ ﴿7﴾
जिस दिन ज़मीन को भूचाल आएगा फिर उसके पीछे और ज़लज़ला आएगा
उसके पीछ घटित होगी दूसरी (घटना)
قُلُوبٌۭ يَوْمَئِذٍۢ وَاجِفَةٌ ﴿8﴾
उस दिन दिलों को धड़कन होगी
कितने ही दिल उस दिन काँप रहे होंगे,
أَبْصَٰرُهَا خَٰشِعَةٌۭ ﴿9﴾
उनकी ऑंखें (निदामत से) झुकी हुई होंगी
उनकी निगाहें झुकी होंगी
يَقُولُونَ أَءِنَّا لَمَرْدُودُونَ فِى ٱلْحَافِرَةِ ﴿10﴾
कुफ्फ़ार कहते हैं कि क्या हम उलटे पाँव (ज़िन्दगी की तरफ़) फिर लौटेंगे
वे कहते है, \"क्या वास्तव में हम पहली हालत में फिर लौटाए जाएँगे?
أَءِذَا كُنَّا عِظَٰمًۭا نَّخِرَةًۭ ﴿11﴾
क्या जब हम खोखल हड्डियाँ हो जाएँगे
क्या जब हम खोखली गलित हड्डियाँ हो चुके होंगे?\"
قَالُوا۟ تِلْكَ إِذًۭا كَرَّةٌ خَاسِرَةٌۭ ﴿12﴾
कहते हैं कि ये लौटना तो बड़ा नुक़सान देह है
वे कहते है, \"तब तो लौटना बड़े ही घाटे का होगा।\"
فَإِنَّمَا هِىَ زَجْرَةٌۭ وَٰحِدَةٌۭ ﴿13﴾
वह (क़यामत) तो (गोया) बस एक सख्त चीख़ होगी
वह तो बस एक ही झिड़की होगी,
فَإِذَا هُم بِٱلسَّاهِرَةِ ﴿14﴾
और लोग शक़ बारगी एक मैदान (हश्र) में मौजूद होंगे
फिर क्या देखेंगे कि वे एक समतल मैदान में उपस्थित है
هَلْ أَتَىٰكَ حَدِيثُ مُوسَىٰٓ ﴿15﴾
(ऐ रसूल) क्या तुम्हारे पास मूसा का किस्सा भी पहुँचा है
क्या तुम्हें मूसा की ख़बर पहुँची है?
إِذْ نَادَىٰهُ رَبُّهُۥ بِٱلْوَادِ ٱلْمُقَدَّسِ طُوًى ﴿16﴾
जब उनको परवरदिगार ने तूवा के मैदान में पुकारा
जबकि उसके रब ने पवित्र घाटी 'तुवा' में उसे पुकारा था
ٱذْهَبْ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ ﴿17﴾
कि फिरऔन के पास जाओ वह सरकश हो गया है
कि \"फ़िरऔन के पास जाओ, उसने बहुत सिर उठा रखा है
فَقُلْ هَل لَّكَ إِلَىٰٓ أَن تَزَكَّىٰ ﴿18﴾
(और उससे) कहो कि क्या तेरी ख्वाहिश है कि (कुफ्र से) पाक हो जाए
\"और कहो, क्या तू यह चाहता है कि स्वयं को पाक-साफ़ कर ले,
وَأَهْدِيَكَ إِلَىٰ رَبِّكَ فَتَخْشَىٰ ﴿19﴾
और मैं तुझे तेरे परवरदिगार की राह बता दूँ तो तुझको ख़ौफ (पैदा) हो
\"और मैं तेरे रब की ओर तेरा मार्गदर्शन करूँ कि तु (उससे) डरे?\"
فَأَرَىٰهُ ٱلْءَايَةَ ٱلْكُبْرَىٰ ﴿20﴾
ग़रज़ मूसा ने उसे (असा का बड़ा) मौजिज़ा दिखाया
फिर उसने (मूसा ने) उसको बड़ी निशानी दिखाई,
فَكَذَّبَ وَعَصَىٰ ﴿21﴾
तो उसने झुठला दिया और न माना
किन्तु उसने झुठला दिया और कहा न माना,
ثُمَّ أَدْبَرَ يَسْعَىٰ ﴿22﴾
फिर पीठ फेर कर (ख़िलाफ़ की) तदबीर करने लगा
फिर सक्रियता दिखाते हुए पलटा,
فَحَشَرَ فَنَادَىٰ ﴿23﴾
फिर (लोगों को) जमा किया और बुलन्द आवाज़ से चिल्लाया
फिर (लोगों को) एकत्र किया और पुकारकर कहा,
فَقَالَ أَنَا۠ رَبُّكُمُ ٱلْأَعْلَىٰ ﴿24﴾
तो कहने लगा मैं तुम लोगों का सबसे बड़ा परवरदिगार हूँ
\"मैं तुम्हारा उच्चकोटि का स्वामी हूँ!\"
فَأَخَذَهُ ٱللَّهُ نَكَالَ ٱلْءَاخِرَةِ وَٱلْأُولَىٰٓ ﴿25﴾
तो ख़ुदा ने उसे दुनिया और आख़ेरत (दोनों) के अज़ाब में गिरफ्तार किया
अन्ततः अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया की शिक्षाप्रद यातना में पकड़ लिया
إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَعِبْرَةًۭ لِّمَن يَخْشَىٰٓ ﴿26﴾
बेशक जो शख़्श (ख़ुदा से) डरे उसके लिए इस (किस्से) में इबरत है
निस्संदेह इसमें उस व्यक्ति के लिए बड़ी शिक्षा है जो डरे!
ءَأَنتُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَمِ ٱلسَّمَآءُ ۚ بَنَىٰهَا ﴿27﴾
भला तुम्हारा पैदा करना ज्यादा मुश्किल है या आसमान का
क्या तुम्हें पैदा करना अधिक कठिन कार्य है या आकाश को? अल्लाह ने उसे बनाया,
رَفَعَ سَمْكَهَا فَسَوَّىٰهَا ﴿28﴾
कि उसी ने उसको बनाया उसकी छत को ख़ूब ऊँचा रखा
उसकी ऊँचाई को ख़ूब ऊँचा करके उसे ठीक-ठाक किया;
وَأَغْطَشَ لَيْلَهَا وَأَخْرَجَ ضُحَىٰهَا ﴿29﴾
फिर उसे दुरूस्त किया और उसकी रात को तारीक बनाया और (दिन को) उसकी धूप निकाली
और उसकी रात को अन्धकारमय बनाया और उसका दिवस-प्रकाश प्रकट किया
وَٱلْأَرْضَ بَعْدَ ذَٰلِكَ دَحَىٰهَآ ﴿30﴾
और उसके बाद ज़मीन को फैलाया
और धरती को देखो! इसके पश्चात उसे फैलाया;
أَخْرَجَ مِنْهَا مَآءَهَا وَمَرْعَىٰهَا ﴿31﴾
उसी में से उसका पानी और उसका चारा निकाला
उसमें से उसका पानी और उसका चारा निकाला
وَٱلْجِبَالَ أَرْسَىٰهَا ﴿32﴾
और पहाड़ों को उसमें गाड़ दिया
और पहाड़ो को देखो! उन्हें उस (धरती) में जमा दिया,
مَتَٰعًۭا لَّكُمْ وَلِأَنْعَٰمِكُمْ ﴿33﴾
(ये सब सामान) तुम्हारे और तुम्हारे चारपायो के फ़ायदे के लिए है
तुम्हारे लिए और तुम्हारे मवेशियों के लिए जीवन-सामग्री के रूप में
فَإِذَا جَآءَتِ ٱلطَّآمَّةُ ٱلْكُبْرَىٰ ﴿34﴾
तो जब बड़ी सख्त मुसीबत (क़यामत) आ मौजूद होगी
फिर जब वह महाविपदा आएगी,
يَوْمَ يَتَذَكَّرُ ٱلْإِنسَٰنُ مَا سَعَىٰ ﴿35﴾
जिस दिन इन्सान अपने कामों को कुछ याद करेगा
उस दिन मनुष्य जो कुछ भी उसने प्रयास किया होगा उसे याद करेगा
وَبُرِّزَتِ ٱلْجَحِيمُ لِمَن يَرَىٰ ﴿36﴾
और जहन्नुम देखने वालों के सामने ज़ाहिर कर दी जाएगी
और भड़कती आग (जहन्नम) देखने वालों के लिए खोल दी जाएगी
وَءَاثَرَ ٱلْحَيَوٰةَ ٱلدُّنْيَا ﴿38﴾
और दुनियावी ज़िन्दगी को तरजीह दी थी
और सांसारिक जीवन को प्राथमिकता दो होगी,
فَإِنَّ ٱلْجَحِيمَ هِىَ ٱلْمَأْوَىٰ ﴿39﴾
उसका ठिकाना तो यक़ीनन दोज़ख़ है
तो निस्संदेह भड़कती आग ही उसका ठिकाना है
وَأَمَّا مَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِۦ وَنَهَى ٱلنَّفْسَ عَنِ ٱلْهَوَىٰ ﴿40﴾
मगर जो शख़्श अपने परवरदिगार के सामने खड़े होने से डरता और जी को नाजायज़ ख्वाहिशों से रोकता रहा
और रहा वह व्यक्ति जिसने अपने रब के सामने खड़े होने का भय रखा और अपने जी को बुरी इच्छा से रोका,
فَإِنَّ ٱلْجَنَّةَ هِىَ ٱلْمَأْوَىٰ ﴿41﴾
तो उसका ठिकाना यक़ीनन बेहश्त है
तो जन्नत ही उसका ठिकाना है
يَسْـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلسَّاعَةِ أَيَّانَ مُرْسَىٰهَا ﴿42﴾
(ऐ रसूल) लोग तुम से क़यामत के बारे में पूछते हैं
वे तुमसे उस घड़ी के विषय में पूछते है कि वह कब आकर ठहरेगी?
فِيمَ أَنتَ مِن ذِكْرَىٰهَآ ﴿43﴾
कि उसका कहीं थल बेड़ा भी है
उसके बयान करने से तुम्हारा क्या सम्बन्ध?
إِلَىٰ رَبِّكَ مُنتَهَىٰهَآ ﴿44﴾
तो तुम उसके ज़िक्र से किस फ़िक्र में हो
उसकी अन्तिम पहुँच तो तेरे से ही सम्बन्ध रखती है
إِنَّمَآ أَنتَ مُنذِرُ مَن يَخْشَىٰهَا ﴿45﴾
उस (के इल्म) की इन्तेहा तुम्हारे परवरदिगार ही तक है तो तुम बस जो उससे डरे उसको डराने वाले हो
तुम तो बस उस व्यक्ति को सावधान करनेवाले हो जो उससे डरे
كَأَنَّهُمْ يَوْمَ يَرَوْنَهَا لَمْ يَلْبَثُوٓا۟ إِلَّا عَشِيَّةً أَوْ ضُحَىٰهَا ﴿46﴾
जिस दिन वह लोग इसको देखेंगे तो (समझेंगे कि दुनिया में) बस एक शाम या सुबह ठहरे थे
जिस दिन वे उसे देखेंगे तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) बस एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे है