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Surah The Dawn [Al-Fajr] in Hindi
وَٱلَّیۡلِ إِذَا یَسۡرِ ﴿4﴾
और रात की जब आने लगे
साक्षी है रात जब वह विदा हो रही हो
هَلۡ فِی ذَ ٰلِكَ قَسَمࣱ لِّذِی حِجۡرٍ ﴿5﴾
अक्लमन्द के वास्ते तो ज़रूर बड़ी क़सम है (कि कुफ्फ़ार पर ज़रूर अज़ाब होगा)
क्या इसमें बुद्धिमान के लिए बड़ी गवाही है?
أَلَمۡ تَرَ كَیۡفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِعَادٍ ﴿6﴾
क्या तुमने देखा नहीं कि तुम्हारे आद के साथ क्या किया
क्या तुमने देखा नहीं कि तुम्हारे रब ने क्या किया आद के साथ,
ٱلَّتِی لَمۡ یُخۡلَقۡ مِثۡلُهَا فِی ٱلۡبِلَـٰدِ ﴿8﴾
जिनका मिसल तमाम (दुनिया के) शहरों में कोई पैदा ही नहीं किया गया
वे ऐसे थे जिनके सदृश बस्तियों में पैदा नहीं हुए
وَثَمُودَ ٱلَّذِینَ جَابُوا۟ ٱلصَّخۡرَ بِٱلۡوَادِ ﴿9﴾
और समूद के साथ (क्या किया) जो वादी (क़रा) में पत्थर तराश कर घर बनाते थे
और समूद के साथ, जिन्होंने घाटी में चट्टाने तराशी थी,
وَفِرۡعَوۡنَ ذِی ٱلۡأَوۡتَادِ ﴿10﴾
और फिरऔन के साथ (क्या किया) जो (सज़ा के लिए) मेख़े रखता था
और मेखोवाले फ़िरऔन के साथ?
ٱلَّذِینَ طَغَوۡا۟ فِی ٱلۡبِلَـٰدِ ﴿11﴾
ये लोग मुख़तलिफ़ शहरों में सरकश हो रहे थे
वे लोग कि जिन्होंने देशो में सरकशी की,
فَأَكۡثَرُوا۟ فِیهَا ٱلۡفَسَادَ ﴿12﴾
और उनमें बहुत से फ़साद फैला रखे थे
और उनमें बहुत बिगाड़ पैदा किया
فَصَبَّ عَلَیۡهِمۡ رَبُّكَ سَوۡطَ عَذَابٍ ﴿13﴾
तो तुम्हारे परवरदिगार ने उन पर अज़ाब का कोड़ा लगाया
अततः तुम्हारे रब ने उनपर यातना का कोड़ा बरसा दिया
إِنَّ رَبَّكَ لَبِٱلۡمِرۡصَادِ ﴿14﴾
बेशक तुम्हारा परवरदिगार ताक में है
निस्संदेह तुम्हारा रब घात में रहता है
فَأَمَّا ٱلۡإِنسَـٰنُ إِذَا مَا ٱبۡتَلَىٰهُ رَبُّهُۥ فَأَكۡرَمَهُۥ وَنَعَّمَهُۥ فَیَقُولُ رَبِّیۤ أَكۡرَمَنِ ﴿15﴾
लेकिन इन्सान जब उसको उसका परवरदिगार (इस तरह) आज़माता है कि उसको इज्ज़त व नेअमत देता है, तो कहता है कि मेरे परवरदिगार ने मुझे इज्ज़त दी है
किन्तु मनुष्य का हाल यह है कि जब उसका रब इस प्रकार उसकी परीक्षा करता है कि उसे प्रतिष्ठा और नेमत प्रदान करता है, तो वह कहता है, \"मेरे रब ने मुझे प्रतिष्ठित किया।\"
وَأَمَّاۤ إِذَا مَا ٱبۡتَلَىٰهُ فَقَدَرَ عَلَیۡهِ رِزۡقَهُۥ فَیَقُولُ رَبِّیۤ أَهَـٰنَنِ ﴿16﴾
मगर जब उसको (इस तरह) आज़माता है कि उस पर रोज़ी को तंग कर देता है बोल उठता है कि मेरे परवरदिगार ने मुझे ज़लील किया
किन्तु जब कभी वह उसकी परीक्षा इस प्रकार करता है कि उसकी रोज़ी नपी-तुली कर देता है, तो वह कहता है, \"मेरे रब ने मेरा अपमान किया।\"
كَلَّاۖ بَل لَّا تُكۡرِمُونَ ٱلۡیَتِیمَ ﴿17﴾
हरगिज़ नहीं बल्कि तुम लोग न यतीम की ख़ातिरदारी करते हो
कदापि नहीं, बल्कि तुम अनाथ का सम्मान नहीं करते,
وَلَا تَحَـٰۤضُّونَ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلۡمِسۡكِینِ ﴿18﴾
और न मोहताज को खाना खिलाने की तरग़ीब देते हो
और न मुहताज को खिलान पर एक-दूसरे को उभारते हो,
وَتَأۡكُلُونَ ٱلتُّرَاثَ أَكۡلࣰا لَّمࣰّا ﴿19﴾
और मीरारा के माल (हलाल व हराम) को समेट कर चख जाते हो
और सारी मीरास समेटकर खा जाते हो,
وَتُحِبُّونَ ٱلۡمَالَ حُبࣰّا جَمࣰّا ﴿20﴾
और माल को बहुत ही अज़ीज़ रखते हो
और धन से उत्कट प्रेम रखते हो
كَلَّاۤۖ إِذَا دُكَّتِ ٱلۡأَرۡضُ دَكࣰّا دَكࣰّا ﴿21﴾
सुन रखो कि जब ज़मीन कूट कूट कर रेज़ा रेज़ा कर दी जाएगी
कुछ नहीं, जब धरती कूट-कूटकर चुर्ण-विचुर्ण कर दी जाएगी,
وَجَاۤءَ رَبُّكَ وَٱلۡمَلَكُ صَفࣰّا صَفࣰّا ﴿22﴾
और तुम्हारे परवरदिगार का हुक्म और फ़रिश्ते कतार के कतार आ जाएँगे
और तुम्हारा रब और फ़रिश्ता (बन्दों की) एक-एक पंक्ति के पास आएगा,
وَجِا۟یۤءَ یَوۡمَىِٕذِۭ بِجَهَنَّمَۚ یَوۡمَىِٕذࣲ یَتَذَكَّرُ ٱلۡإِنسَـٰنُ وَأَنَّىٰ لَهُ ٱلذِّكۡرَىٰ ﴿23﴾
और उस दिन जहन्नुम सामने कर दी जाएगी उस दिन इन्सान चौंकेगा मगर अब चौंकना कहाँ (फ़ायदा देगा)
और जहन्नम को उस दिन लाया जाएगा, उस दिन मनुष्य चेतेगा, किन्तु कहाँ है उसके लिए लाभप्रद उस समय का चेतना?
یَقُولُ یَـٰلَیۡتَنِی قَدَّمۡتُ لِحَیَاتِی ﴿24﴾
(उस वक्त) क़हेगा कि काश मैने अपनी (इस) ज़िन्दगी के वास्ते कुछ पहले भेजा होता
वह कहेगा, \"ऐ काश! मैंने अपने जीवन के लिए कुछ करके आगे भेजा होता।\"
فَیَوۡمَىِٕذࣲ لَّا یُعَذِّبُ عَذَابَهُۥۤ أَحَدࣱ ﴿25﴾
तो उस दिन ख़ुदा ऐसा अज़ाब करेगा कि किसी ने वैसा अज़ाब न किया होगा
फिर उस दिन कोई नहीं जो उसकी जैसी यातना दे,
وَلَا یُوثِقُ وَثَاقَهُۥۤ أَحَدࣱ ﴿26﴾
और न कोई उसके जकड़ने की तरह जकड़ेगा
और कोई नहीं जो उसकी जकड़बन्द की तरह बाँधे
یَـٰۤأَیَّتُهَا ٱلنَّفۡسُ ٱلۡمُطۡمَىِٕنَّةُ ﴿27﴾
(और कुछ लोगों से कहेगा) ऐ इत्मेनान पाने वाली जान
\"ऐ संतुष्ट आत्मा!
ٱرۡجِعِیۤ إِلَىٰ رَبِّكِ رَاضِیَةࣰ مَّرۡضِیَّةࣰ ﴿28﴾
अपने परवरदिगार की तरफ़ चल तू उससे ख़ुश वह तुझ से राज़ी
लौट अपने रब की ओर, इस तरह कि तू उससे राज़ी है वह तुझसे राज़ी है। अतः मेरे बन्दों में सम्मिलित हो जा। -
فَٱدۡخُلِی فِی عِبَـٰدِی ﴿29﴾
तो मेरे (ख़ास) बन्दों में शामिल हो जा
अतः मेरे बन्दों में सम्मिलित हो जा
وَٱدۡخُلِی جَنَّتِی ﴿30﴾
और मेरे बेहिश्त में दाख़िल हो जा
और प्रवेश कर मेरी जन्नत में।\"