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Surah The Clear proof [Al-Bayyina] in Hindi
لَمۡ یَكُنِ ٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡكِتَـٰبِ وَٱلۡمُشۡرِكِینَ مُنفَكِّینَ حَتَّىٰ تَأۡتِیَهُمُ ٱلۡبَیِّنَةُ ﴿1﴾
अहले किताब और मुशरिकों से जो लोग काफिर थे जब तक कि उनके पास खुली हुई दलीलें न पहुँचे वह (अपने कुफ्र से) बाज़ आने वाले न थे
किताबवालों और मुशरिकों (बहुदेववादियों) में से जिन लोगों ने इनकार किया वे कुफ़्र (इनकार) से अलग होनेवाले नहीं जब तक कि उनके पास स्पष्ट प्रमाण न आ जाए;
رَسُولࣱ مِّنَ ٱللَّهِ یَتۡلُوا۟ صُحُفࣰا مُّطَهَّرَةࣰ ﴿2﴾
(यानि) ख़ुदा के रसूल जो पाक औराक़ पढ़ते हैं (आए और)
अल्लाह की ओर से एक रसूल पवित्र पृष्ठों को पढ़ता हुआ;
فِیهَا كُتُبࣱ قَیِّمَةࣱ ﴿3﴾
उनमें (जो) पुरज़ोर और दरूस्त बातें लिखी हुई हैं (सुनाये)
जिनमें ठोस और ठीक आदेश अंकित हों,
وَمَا تَفَرَّقَ ٱلَّذِینَ أُوتُوا۟ ٱلۡكِتَـٰبَ إِلَّا مِنۢ بَعۡدِ مَا جَاۤءَتۡهُمُ ٱلۡبَیِّنَةُ ﴿4﴾
अहले किताब मुताफ़र्रिक़ हुए भी तो जब उनके पास खुली हुई दलील आ चुकी
हालाँकि जिन्हें किताब दी गई थी। वे इसके पश्चात फूट में पड़े कि उनके पास स्पष्ट प्रमाण आ चुका था
وَمَاۤ أُمِرُوۤا۟ إِلَّا لِیَعۡبُدُوا۟ ٱللَّهَ مُخۡلِصِینَ لَهُ ٱلدِّینَ حُنَفَاۤءَ وَیُقِیمُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَیُؤۡتُوا۟ ٱلزَّكَوٰةَۚ وَذَ ٰلِكَ دِینُ ٱلۡقَیِّمَةِ ﴿5﴾
(तब) और उन्हें तो बस ये हुक्म दिया गया था कि निरा ख़ुरा उसी का एतक़ाद रख के बातिल से कतरा के ख़ुदा की इबादत करे और पाबन्दी से नमाज़ पढ़े और ज़कात अदा करता रहे और यही सच्चा दीन है
और उन्हें आदेश भी बस यही दिया गया था कि वे अल्लाह की बन्दगी करे निष्ठा एवं विनयशीलता को उसके लिए विशिष्ट करके, बिलकुल एकाग्र होकर, और नमाज़ की पाबन्दी करें और ज़कात दे। और यही है सत्यवादी समुदाय का धर्म
إِنَّ ٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ مِنۡ أَهۡلِ ٱلۡكِتَـٰبِ وَٱلۡمُشۡرِكِینَ فِی نَارِ جَهَنَّمَ خَـٰلِدِینَ فِیهَاۤۚ أُو۟لَـٰۤىِٕكَ هُمۡ شَرُّ ٱلۡبَرِیَّةِ ﴿6﴾
बेशक अहले किताब और मुशरेकीन से जो लोग (अब तक) काफ़िर हैं वह दोज़ख़ की आग में (होंगे) हमेशा उसी में रहेंगे यही लोग बदतरीन ख़लाएक़ हैं
निस्संदेह किताबवालों और मुशरिकों (बहुदेववादियों) में से जिन लोगों ने इनकार किया है, वे जहन्नम की आग में पड़ेगे; उसमें सदैव रहने के लिए। वही पैदा किए गए प्राणियों में सबसे बुरे है
إِنَّ ٱلَّذِینَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ أُو۟لَـٰۤىِٕكَ هُمۡ خَیۡرُ ٱلۡبَرِیَّةِ ﴿7﴾
बेशक जो लोग ईमान लाए और अच्छे काम करते रहे यही लोग बेहतरीन ख़लाएक़ हैं
किन्तु निश्चय ही वे लोग, जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए पैदा किए गए प्राणियों में सबसे अच्छे है
جَزَاۤؤُهُمۡ عِندَ رَبِّهِمۡ جَنَّـٰتُ عَدۡنࣲ تَجۡرِی مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَـٰرُ خَـٰلِدِینَ فِیهَاۤ أَبَدࣰاۖ رَّضِیَ ٱللَّهُ عَنۡهُمۡ وَرَضُوا۟ عَنۡهُۚ ذَ ٰلِكَ لِمَنۡ خَشِیَ رَبَّهُۥ ﴿8﴾
उनकी जज़ा उनके परवरदिगार के यहाँ हमेशा रहने (सहने) के बाग़ हैं जिनके नीचे नहरें जारी हैं और वह आबादुल आबाद हमेशा उसी में रहेंगे ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से ख़ुश ये (जज़ा) ख़ास उस शख़्श की है जो अपने परवरदिगार से डरे
उनका बदला उनके अपने रब के पास सदाबहार बाग़ है, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। उनमें वे सदैव रहेंगे। अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे उससे राज़ी हुए। यह कुछ उसके लिए है, जो अपने रब से डरा
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