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Surah The Poets [Ash-Shuara] in Hindi
طسٓمٓ ﴿1﴾
ता॰ सीन॰ मीम॰
تِلْكَ ءَايَٰتُ ٱلْكِتَٰبِ ٱلْمُبِينِ ﴿2﴾
ये स्पष्ट किताब की आयतें है
لَعَلَّكَ بَٰخِعٌۭ نَّفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا۟ مُؤْمِنِينَ ﴿3﴾
शायद इसपर कि वे ईमान नहीं लाते, तुम अपने प्राण ही खो बैठोगे
إِن نَّشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ ءَايَةًۭ فَظَلَّتْ أَعْنَٰقُهُمْ لَهَا خَٰضِعِينَ ﴿4﴾
यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से एक निशानी उतार दें। फिर उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ
وَمَا يَأْتِيهِم مِّن ذِكْرٍۢ مِّنَ ٱلرَّحْمَٰنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا۟ عَنْهُ مُعْرِضِينَ ﴿5﴾
उनके पास रहमान की ओर से जो नवीन अनुस्मृति भी आती है, वे उससे मुँह फेर ही लेते है
فَقَدْ كَذَّبُوا۟ فَسَيَأْتِيهِمْ أَنۢبَٰٓؤُا۟ مَا كَانُوا۟ بِهِۦ يَسْتَهْزِءُونَ ﴿6﴾
अब जबकि वे झुठला चुके है, तो शीघ्र ही उन्हें उसकी हक़ीकत मालूम हो जाएगी, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते रहे है
أَوَلَمْ يَرَوْا۟ إِلَى ٱلْأَرْضِ كَمْ أَنۢبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوْجٍۢ كَرِيمٍ ﴿7﴾
क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें कितने ही प्रकार की उमदा चीज़ें पैदा की है?
إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿8﴾
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है, इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿9﴾
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
وَإِذْ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱئْتِ ٱلْقَوْمَ ٱلظَّٰلِمِينَ ﴿10﴾
और जबकि तुम्हारे रह ने मूसा को पुकारा कि \"ज़ालिम लोगों के पास जा -
قَوْمَ فِرْعَوْنَ ۚ أَلَا يَتَّقُونَ ﴿11﴾
फ़िरऔन की क़ौम के पास - क्या वे डर नहीं रखते?\"
قَالَ رَبِّ إِنِّىٓ أَخَافُ أَن يُكَذِّبُونِ ﴿12﴾
उसने कहा, \"ऐ मेरे रब! मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे,
وَيَضِيقُ صَدْرِى وَلَا يَنطَلِقُ لِسَانِى فَأَرْسِلْ إِلَىٰ هَٰرُونَ ﴿13﴾
और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती। इसलिए हारून की ओर भी संदेश भेज दे
وَلَهُمْ عَلَىَّ ذَنۢبٌۭ فَأَخَافُ أَن يَقْتُلُونِ ﴿14﴾
और मुझपर उनके यहाँ के एक गुनाह का बोझ भी है। इसलिए मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।\"
قَالَ كَلَّا ۖ فَٱذْهَبَا بِـَٔايَٰتِنَآ ۖ إِنَّا مَعَكُم مُّسْتَمِعُونَ ﴿15﴾
कहा, \"कदापि नहीं, तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ। हम तुम्हारे साथ है, सुनने को मौजूद है
فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولُ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿16﴾
अतः तुम दोनो फ़िरऔन को पास जाओ और कहो कि हम सारे संसार के रब के भेजे हुए है
أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ﴿17﴾
कि तू इसराईल की सन्तान को हमारे साथ जाने दे।\"
قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًۭا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ ﴿18﴾
(फ़िरऔन ने) कहा, \"क्या हमने तुझे जबकि तू बच्चा था, अपने यहाँ पाला नहीं था? और तू अपनी अवस्था के कई वर्षों तक हमारे साथ रहा,
وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ ٱلَّتِى فَعَلْتَ وَأَنتَ مِنَ ٱلْكَٰفِرِينَ ﴿19﴾
और तूने अपना वह काम किया, जो किया। तू बड़ा ही कृतघ्न है।\"
قَالَ فَعَلْتُهَآ إِذًۭا وَأَنَا۠ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ ﴿20﴾
कहा, ऐसा तो मुझसे उस समय हुआ जबकि मैं चूक गया था
فَفَرَرْتُ مِنكُمْ لَمَّا خِفْتُكُمْ فَوَهَبَ لِى رَبِّى حُكْمًۭا وَجَعَلَنِى مِنَ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿21﴾
फिर जब मुझे तुम्हारा भय हुआ तो मैं तुम्हारे यहाँ से भाग गया। फिर मेरे रब ने मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान की और मुझे रसूलों में सम्मिलित किया
وَتِلْكَ نِعْمَةٌۭ تَمُنُّهَا عَلَىَّ أَنْ عَبَّدتَّ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ﴿22﴾
यही वह उदार अनुग्रह है जिसका रहमान तू मुझपर जताता है कि तूने इसराईल की सन्तान को ग़ुलाम बना रखा है।\"
قَالَ فِرْعَوْنُ وَمَا رَبُّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿23﴾
फ़िरऔन ने कहा, \"और यह सारे संसार का रब क्या होता है?\"
قَالَ رَبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا بَيْنَهُمَآ ۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ ﴿24﴾
उसने कहा, \"आकाशों और धरती का रब और जो कुछ इन दोनों का मध्य है उसका भी, यदि तुम्हें यकीन हो।\"
قَالَ لِمَنْ حَوْلَهُۥٓ أَلَا تَسْتَمِعُونَ ﴿25﴾
उसने अपने आस-पासवालों से कहा, \"क्या तुम सुनते नहीं हो?\"
قَالَ رَبُّكُمْ وَرَبُّ ءَابَآئِكُمُ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿26﴾
कहा, \"तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादा का रब।\"
قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ ٱلَّذِىٓ أُرْسِلَ إِلَيْكُمْ لَمَجْنُونٌۭ ﴿27﴾
बोला, \"निश्चय ही तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिलकुल ही पागल है।\"
قَالَ رَبُّ ٱلْمَشْرِقِ وَٱلْمَغْرِبِ وَمَا بَيْنَهُمَآ ۖ إِن كُنتُمْ تَعْقِلُونَ ﴿28﴾
उसने कहा, \"पूर्व और पश्चिम का रब और जो कुछ उनके बीच है उसका भी, यदि तुम कुछ बुद्धि रखते हो।\"
قَالَ لَئِنِ ٱتَّخَذْتَ إِلَٰهًا غَيْرِى لَأَجْعَلَنَّكَ مِنَ ٱلْمَسْجُونِينَ ﴿29﴾
बोला, \"यदि तूने मेरे सिवा किसी और को पूज्य एवं प्रभु बनाया, तो मैं तुझे बन्दी बनाकर रहूँगा।\"
قَالَ أَوَلَوْ جِئْتُكَ بِشَىْءٍۢ مُّبِينٍۢ ﴿30﴾
उसने कहा, \"क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ ले आऊँ तब भी?\"
قَالَ فَأْتِ بِهِۦٓ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّٰدِقِينَ ﴿31﴾
बोलाः “अच्छा वह ले आ; यदि तू सच्चा है” ।
فَأَلْقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِىَ ثُعْبَانٌۭ مُّبِينٌۭ ﴿32﴾
फिर उसने अपनी लाठी डाल दी, तो अचानक क्या देखते है कि वह एक प्रत्यक्ष अज़गर है
وَنَزَعَ يَدَهُۥ فَإِذَا هِىَ بَيْضَآءُ لِلنَّٰظِرِينَ ﴿33﴾
और उसने अपना हाथ बाहर खींचा तो फिर क्या देखते है कि वह देखनेवालों के सामने चमक रहा है
قَالَ لِلْمَلَإِ حَوْلَهُۥٓ إِنَّ هَٰذَا لَسَٰحِرٌ عَلِيمٌۭ ﴿34﴾
उसने अपने आस-पास के सरदारों से कहा, \"निश्चय ही यह एक बड़ा ही प्रवीण जादूगर है
يُرِيدُ أَن يُخْرِجَكُم مِّنْ أَرْضِكُم بِسِحْرِهِۦ فَمَاذَا تَأْمُرُونَ ﴿35﴾
चाहता है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारी अपनी भूमि से निकाल बाहर करें; तो अब तुम क्या कहते हो?\"
قَالُوٓا۟ أَرْجِهْ وَأَخَاهُ وَٱبْعَثْ فِى ٱلْمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ ﴿36﴾
उन्होंने कहा, \"इसे और इसके भाई को अभी टाले रखिए, और एकत्र करनेवालों को नगरों में भेज दीजिए
يَأْتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٍۢ ﴿37﴾
कि वे प्रत्येक प्रवीण जादूगर को आपके पास ले आएँ।\"
فَجُمِعَ ٱلسَّحَرَةُ لِمِيقَٰتِ يَوْمٍۢ مَّعْلُومٍۢ ﴿38﴾
अतएव एक निश्चित दिन के नियत समय पर जादूगर एकत्र कर लिए गए
وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلْ أَنتُم مُّجْتَمِعُونَ ﴿39﴾
और लोगों से कहा गया, \"क्या तुम भी एकत्र होते हो?\"
لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ ٱلسَّحَرَةَ إِن كَانُوا۟ هُمُ ٱلْغَٰلِبِينَ ﴿40﴾
कदाचित हम जादूगरों ही के अनुयायी रह जाएँ, यदि वे विजयी हुए
فَلَمَّا جَآءَ ٱلسَّحَرَةُ قَالُوا۟ لِفِرْعَوْنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجْرًا إِن كُنَّا نَحْنُ ٱلْغَٰلِبِينَ ﴿41﴾
फिर जब जादूगर आए तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा, \"क्या हमारे लिए कोई प्रतिदान भी है, यदि हम प्रभावी रहे?\"
قَالَ نَعَمْ وَإِنَّكُمْ إِذًۭا لَّمِنَ ٱلْمُقَرَّبِينَ ﴿42﴾
उसने कहा, \"हाँ, और निश्चित ही तुम तो उस समय निकटतम लोगों में से हो जाओगे।\"
قَالَ لَهُم مُّوسَىٰٓ أَلْقُوا۟ مَآ أَنتُم مُّلْقُونَ ﴿43﴾
मूसा ने उनसे कहा, \"डालो, जो कुछ तुम्हें डालना है।\"
فَأَلْقَوْا۟ حِبَالَهُمْ وَعِصِيَّهُمْ وَقَالُوا۟ بِعِزَّةِ فِرْعَوْنَ إِنَّا لَنَحْنُ ٱلْغَٰلِبُونَ ﴿44﴾
तब उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ डाल दी और बोले, \"फ़िरऔन के प्रताप से हम ही विजयी रहेंगे।\"
فَأَلْقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِىَ تَلْقَفُ مَا يَأْفِكُونَ ﴿45﴾
फिर मूसा ने अपनी लाठी फेकी तो क्या देखते है कि वह उसे स्वाँग को, जो वे रचाते है, निगलती जा रही है
فَأُلْقِىَ ٱلسَّحَرَةُ سَٰجِدِينَ ﴿46﴾
इसपर जादूगर सजदे में गिर पड़े
قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا بِرَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿47﴾
वे बोल उठे, \"हम सारे संसार के रब पर ईमान ले आए -
رَبِّ مُوسَىٰ وَهَٰرُونَ ﴿48﴾
मूसा और हारून के रब पर!\"
قَالَ ءَامَنتُمْ لَهُۥ قَبْلَ أَنْ ءَاذَنَ لَكُمْ ۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِى عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحْرَ فَلَسَوْفَ تَعْلَمُونَ ۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيْدِيَكُمْ وَأَرْجُلَكُم مِّنْ خِلَٰفٍۢ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمْ أَجْمَعِينَ ﴿49﴾
उसने कहा, \"तुमने उसको मान लिया, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति देता। निश्चय ही वह तुम सबका प्रमुख है, जिसने तुमको जादू सिखाया है। अच्छा, शीघ्र ही तुम्हें मालूम हुआ जाता है! मैं तुम्हारे हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और तुम सभी को सूली पर चढ़ा दूँगा।\"
قَالُوا۟ لَا ضَيْرَ ۖ إِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ ﴿50﴾
उन्होंने कहा, \"कुछ हरज नहीं; हम तो अपने रब ही की ओर पलटकर जानेवाले है
إِنَّا نَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَٰيَٰنَآ أَن كُنَّآ أَوَّلَ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿51﴾
हमें तो इसी की लालसा है कि हमारा रब हमारी ख़ताओं को क्षमा कर दें, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाए।\"
۞ وَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنْ أَسْرِ بِعِبَادِىٓ إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ ﴿52﴾
हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, \"मेरे बन्दों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।\"
فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِى ٱلْمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ ﴿53﴾
इसपर फ़िरऔन ने एकत्र करनेवालों को नगर में भेजा
إِنَّ هَٰٓؤُلَآءِ لَشِرْذِمَةٌۭ قَلِيلُونَ ﴿54﴾
कि \"यह गिरे-पड़े थोड़े लोगों का एक गिरोह है,
وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَآئِظُونَ ﴿55﴾
और ये हमें क्रुद्ध कर रहे है।
وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَٰذِرُونَ ﴿56﴾
और हम चौकन्ना रहनेवाले लोग है।\"
فَأَخْرَجْنَٰهُم مِّن جَنَّٰتٍۢ وَعُيُونٍۢ ﴿57﴾
इस प्रकार हम उन्हें बाग़ों और स्रोतों
وَكُنُوزٍۢ وَمَقَامٍۢ كَرِيمٍۢ ﴿58﴾
और ख़जानों और अच्छे स्थान से निकाल लाए
كَذَٰلِكَ وَأَوْرَثْنَٰهَا بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ﴿59﴾
ऐसा ही हम करते है और इनका वारिस हमने इसराईल की सन्तान को बना दिया
فَأَتْبَعُوهُم مُّشْرِقِينَ ﴿60﴾
सुबह-तड़के उन्होंने उनका पीछा किया
فَلَمَّا تَرَٰٓءَا ٱلْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَٰبُ مُوسَىٰٓ إِنَّا لَمُدْرَكُونَ ﴿61﴾
फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया तो मूसा के साथियों ने कहा, \"हम तो पकड़े गए!\"
قَالَ كَلَّآ ۖ إِنَّ مَعِىَ رَبِّى سَيَهْدِينِ ﴿62﴾
उसने कहा, \"कदापि नहीं, मेरे साथ मेरा रब है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।\"
فَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱضْرِب بِّعَصَاكَ ٱلْبَحْرَ ۖ فَٱنفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍۢ كَٱلطَّوْدِ ٱلْعَظِيمِ ﴿63﴾
तब हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, \"अपनी लाठी सागर पर मार।\"
وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ ٱلْءَاخَرِينَ ﴿64﴾
और हम दूसरों को भी निकट ले आए
وَأَنجَيْنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓ أَجْمَعِينَ ﴿65﴾
हमने मूसा को और उन सबको जो उसके साथ थे, बचा लिया
ثُمَّ أَغْرَقْنَا ٱلْءَاخَرِينَ ﴿66﴾
और दूसरों को डूबो दिया
إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿67﴾
निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿68﴾
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
وَٱتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَٰهِيمَ ﴿69﴾
और उन्हें इबराहीम का वृत्तान्त सुनाओ,
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِۦ مَا تَعْبُدُونَ ﴿70﴾
जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौंम के लोगों से कहा, \"तुम क्या पूजते हो?\"
قَالُوا۟ نَعْبُدُ أَصْنَامًۭا فَنَظَلُّ لَهَا عَٰكِفِينَ ﴿71﴾
उन्होंने कहा, \"हम बुतों की पूजा करते है, हम तो उन्हीं की सेवा में लगे रहेंगे।\"
قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ ﴿72﴾
उसने कहा, \"क्या ये तुम्हारी सुनते है, जब तुम पुकारते हो,
أَوْ يَنفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ ﴿73﴾
या ये तुम्हें कुछ लाभ या हानि पहुँचाते है?\"
قَالُوا۟ بَلْ وَجَدْنَآ ءَابَآءَنَا كَذَٰلِكَ يَفْعَلُونَ ﴿74﴾
उन्होंने कहा, \"नहीं, बल्कि हमने तो अपने बाप-दादा को ऐसा ही करते पाया है।\"
قَالَ أَفَرَءَيْتُم مَّا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ ﴿75﴾
उसने कहा, \"क्या तुमने उनपर विचार भी किया कि जिन्हें तुम पूजते हो,
أَنتُمْ وَءَابَآؤُكُمُ ٱلْأَقْدَمُونَ ﴿76﴾
तुम और तुम्हारे पहले के बाप-दादा?
فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّۭ لِّىٓ إِلَّا رَبَّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿77﴾
वे सब तो मेरे शत्रु है, सिवाय सारे संसार के रब के,
ٱلَّذِى خَلَقَنِى فَهُوَ يَهْدِينِ ﴿78﴾
जिसने मुझे पैदा किया और फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है
وَٱلَّذِى هُوَ يُطْعِمُنِى وَيَسْقِينِ ﴿79﴾
और वही है जो मुझे खिलाता और पिलाता है
وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ ﴿80﴾
और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है
وَٱلَّذِى يُمِيتُنِى ثُمَّ يُحْيِينِ ﴿81﴾
और वही है जो मुझे मारेगा, फिर मुझे जीवित करेगा
وَٱلَّذِىٓ أَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لِى خَطِيٓـَٔتِى يَوْمَ ٱلدِّينِ ﴿82﴾
और वही है जिससे मुझे इसकी आकांक्षा है कि बदला दिए जाने के दिन वह मेरी ख़ता माफ़ कर देगा
رَبِّ هَبْ لِى حُكْمًۭا وَأَلْحِقْنِى بِٱلصَّٰلِحِينَ ﴿83﴾
ऐ मेरे रब! मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान कर और मुझे योग्य लोगों के साथ मिला।
وَٱجْعَل لِّى لِسَانَ صِدْقٍۢ فِى ٱلْءَاخِرِينَ ﴿84﴾
और बाद के आनेवालों में से मुझे सच्ची ख़्याति प्रदान कर
وَٱجْعَلْنِى مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ ٱلنَّعِيمِ ﴿85﴾
और मुझे नेमत भरी जन्नत के वारिसों में सम्मिलित कर
وَٱغْفِرْ لِأَبِىٓ إِنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ ﴿86﴾
और मेरे बाप को क्षमा कर दे। निश्चय ही वह पथभ्रष्ट लोगों में से है
وَلَا تُخْزِنِى يَوْمَ يُبْعَثُونَ ﴿87﴾
और मुझे उस दिन रुसवा न कर, जब लोग जीवित करके उठाए जाएँगे।
يَوْمَ لَا يَنفَعُ مَالٌۭ وَلَا بَنُونَ ﴿88﴾
जिस दिन न माल काम आएगा और न औलाद,
إِلَّا مَنْ أَتَى ٱللَّهَ بِقَلْبٍۢ سَلِيمٍۢ ﴿89﴾
सिवाय इसके कि कोई भला-चंगा दिल लिए हुए अल्लाह के पास आया हो।\"
وَأُزْلِفَتِ ٱلْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ ﴿90﴾
और डर रखनेवालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी
وَبُرِّزَتِ ٱلْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ ﴿91﴾
और भडकती आग पथभ्रष्टि लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी
وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ ﴿92﴾
और उनसे कहा जाएगा, \"कहाँ है वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते रहे हो?
مِن دُونِ ٱللَّهِ هَلْ يَنصُرُونَكُمْ أَوْ يَنتَصِرُونَ ﴿93﴾
क्या वे तुम्हारी कुछ सहायता कर रहे है या अपना ही बचाव कर सकते है?\"
فَكُبْكِبُوا۟ فِيهَا هُمْ وَٱلْغَاوُۥنَ ﴿94﴾
फिर वे उसमें औंधे झोक दिए जाएँगे, वे और बहके हुए लोग
وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ ﴿95﴾
और इबलीस की सेनाएँ, सबके सब।
قَالُوا۟ وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ ﴿96﴾
वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे,
تَٱللَّهِ إِن كُنَّا لَفِى ضَلَٰلٍۢ مُّبِينٍ ﴿97﴾
\"अल्लाह की क़सम! निश्चय ही हम खुली गुमराही में थे
إِذْ نُسَوِّيكُم بِرَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿98﴾
जबकि हम तुम्हें सारे संसार के रब के बराबर ठहरा रहे थे
وَمَآ أَضَلَّنَآ إِلَّا ٱلْمُجْرِمُونَ ﴿99﴾
और हमें तो बस उन अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया
فَمَا لَنَا مِن شَٰفِعِينَ ﴿100﴾
अब न हमारा कोई सिफ़ारिशी है,
وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍۢ ﴿101﴾
और न घनिष्ट मित्र
فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةًۭ فَنَكُونَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿102﴾
क्या ही अच्छा होता कि हमें एक बार फिर पलटना होता, तो हम मोमिनों में से हो जाते!\"
إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿103﴾
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकरतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿104﴾
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿105﴾
नूह की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया;
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿106﴾
जबकि उनसे उनके भाई नूह ने कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ ﴿107﴾
निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿108﴾
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरा कहा मानो
وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿109﴾
मैं इस काम के बदले तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿110﴾
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।\"
۞ قَالُوٓا۟ أَنُؤْمِنُ لَكَ وَٱتَّبَعَكَ ٱلْأَرْذَلُونَ ﴿111﴾
उन्होंने कहा, \"क्या हम तेरी बात मान लें, जबकि तेरे पीछे तो अत्यन्त नीच लोग चल रहे है?\"
قَالَ وَمَا عِلْمِى بِمَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ ﴿112﴾
उसने कहा, \"मुझे क्या मालूम कि वे क्या करते रहे है?
إِنْ حِسَابُهُمْ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّى ۖ لَوْ تَشْعُرُونَ ﴿113﴾
उनका हिसाब तो बस मेरे रब के ज़िम्मे है। क्या ही अच्छा होता कि तुममें चेतना होती।
وَمَآ أَنَا۠ بِطَارِدِ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿114﴾
और मैं ईमानवालों को धुत्कारनेवाला नहीं हूँ।
إِنْ أَنَا۠ إِلَّا نَذِيرٌۭ مُّبِينٌۭ ﴿115﴾
मैं तो बस स्पष्ट रूप से एक सावधान करनेवाला हूँ।\"
قَالُوا۟ لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَٰنُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمَرْجُومِينَ ﴿116﴾
उन्होंने कहा, \"यदि तू बाज़ न आया ऐ नूह, तो तू संगसार होकर रहेगा।\"
قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِى كَذَّبُونِ ﴿117﴾
उसने कहा, \"ऐ मेरे रब! मेरी क़ौम के लोगों ने तो मुझे झुठला दिया
فَٱفْتَحْ بَيْنِى وَبَيْنَهُمْ فَتْحًۭا وَنَجِّنِى وَمَن مَّعِىَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿118﴾
अब मेरे और उनके बीच दो टूक फ़ैसला कर दे और मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ है, उन्हें बचा ले!\"
فَأَنجَيْنَٰهُ وَمَن مَّعَهُۥ فِى ٱلْفُلْكِ ٱلْمَشْحُونِ ﴿119﴾
अतः हमने उसे और जो उसके साथ भरी हुई नौका में थे बचा लिया
ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ ٱلْبَاقِينَ ﴿120﴾
और उसके पश्चात शेष लोगों को डूबो दिया
إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿121﴾
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿122﴾
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
كَذَّبَتْ عَادٌ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿123﴾
आद ने रसूलों को झूठलाया
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿124﴾
जबकि उनके भाई हूद ने उनसे कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ ﴿125﴾
मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿126﴾
अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा मानो
وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿127﴾
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़ि्म्मे है।
أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ ءَايَةًۭ تَعْبَثُونَ ﴿128﴾
क्या तुम प्रत्येक उच्च स्थान पर व्यर्थ एक स्मारक का निर्माण करते रहोगे?
وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ ﴿129﴾
और भव्य महल बनाते रहोगे, मानो तुम्हें सदैव रहना है?
وَإِذَا بَطَشْتُم بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ ﴿130﴾
और जब किसी पर हाथ डालते हो तो बिलकुल निर्दय अत्याचारी बनकर हाथ डालते हो!
فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿131﴾
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
وَٱتَّقُوا۟ ٱلَّذِىٓ أَمَدَّكُم بِمَا تَعْلَمُونَ ﴿132﴾
उसका डर रखो जिसने तुम्हें वे चीज़े पहुँचाई जिनको तुम जानते हो
أَمَدَّكُم بِأَنْعَٰمٍۢ وَبَنِينَ ﴿133﴾
उसने तुम्हारी सहायता की चौपायों और बेटों से,
وَجَنَّٰتٍۢ وَعُيُونٍ ﴿134﴾
और बाग़ो और स्रोतो से
إِنِّىٓ أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍۢ ﴿135﴾
निश्चय ही मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े दिन की यातना का भय है।\"
قَالُوا۟ سَوَآءٌ عَلَيْنَآ أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُن مِّنَ ٱلْوَٰعِظِينَ ﴿136﴾
उन्होंने कहा, \"हमारे लिए बराबर है चाहे तुम नसीहत करो या नसीहत करने वाले न बनो।
إِنْ هَٰذَآ إِلَّا خُلُقُ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿137﴾
यह तो बस पहले लोगों की पुरानी आदत है
وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ ﴿138﴾
और हमें कदापि यातना न दी जाएगी।\"
فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَٰهُمْ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿139﴾
अन्ततः उन्होंने उन्हें झुठला दिया जो हमने उनको विनष्ट कर दिया। बेशक इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿140﴾
और बेशक तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
كَذَّبَتْ ثَمُودُ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿141﴾
समूद ने रसूलों को झुठलाया,
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَٰلِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿142﴾
जबकि उसके भाई सालेह ने उससे कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ ﴿143﴾
निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿144﴾
अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी बात मानो
وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿145﴾
मैं इस काम पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
أَتُتْرَكُونَ فِى مَا هَٰهُنَآ ءَامِنِينَ ﴿146﴾
क्या तुम यहाँ जो कुछ है उसके बीच, निश्चिन्त छोड़ दिए जाओगे,
فِى جَنَّٰتٍۢ وَعُيُونٍۢ ﴿147﴾
बाग़ों और स्रोतों
وَزُرُوعٍۢ وَنَخْلٍۢ طَلْعُهَا هَضِيمٌۭ ﴿148﴾
और खेतों और उन खजूरों में जिनके गुच्छे तरो ताज़ा और गुँथे हुए है?
وَتَنْحِتُونَ مِنَ ٱلْجِبَالِ بُيُوتًۭا فَٰرِهِينَ ﴿149﴾
तुम पहाड़ों को काट-काटकर इतराते हुए घर बनाते हो?
فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿150﴾
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
وَلَا تُطِيعُوٓا۟ أَمْرَ ٱلْمُسْرِفِينَ ﴿151﴾
और उन हद से गुज़र जानेवालों की आज्ञा का पालन न करो,
ٱلَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِى ٱلْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ ﴿152﴾
जो धरती में बिगाड़ पैदा करते है, और सुधार का काम नहीं करते।\"
قَالُوٓا۟ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلْمُسَحَّرِينَ ﴿153﴾
उन्होंने कहा, \"तू तो बस जादू का मारा हुआ है।
مَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُنَا فَأْتِ بِـَٔايَةٍ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّٰدِقِينَ ﴿154﴾
तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है। यदि तू सच्चा है, तो कोई निशानी ले आ।\"
قَالَ هَٰذِهِۦ نَاقَةٌۭ لَّهَا شِرْبٌۭ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍۢ مَّعْلُومٍۢ ﴿155﴾
उसने कहा, \"यह ऊँटनी है। एक दिन पानी पीने की बारी इसकी है और एक नियत दिन की बारी पानी लेने की तुम्हारी है
وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوٓءٍۢ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍۢ ﴿156﴾
तकलीफ़ पहुँचाने के लिए इसे हाथ न लगाना, अन्यथा एक बड़े दिन की यातना तुम्हें आ लेगी।\"
فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا۟ نَٰدِمِينَ ﴿157﴾
किन्तु उन्होंने उसकी कूचें काट दी। फिर पछताते रह गए
فَأَخَذَهُمُ ٱلْعَذَابُ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿158﴾
अन्ततः यातना ने उन्हें आ दबोचा। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿159﴾
और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयाशील है
كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿160﴾
लूत की क़ौम के लोगों ने रसूलों को झुठलाया;
إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿161﴾
जबकि उनके भाई लूत ने उनसे कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ ﴿162﴾
मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿163﴾
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿164﴾
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता, मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
أَتَأْتُونَ ٱلذُّكْرَانَ مِنَ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿165﴾
क्या सारे संसारवालों में से तुम ही ऐसे हो जो पुरुषों के पास जाते हो,
وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُم مِّنْ أَزْوَٰجِكُم ۚ بَلْ أَنتُمْ قَوْمٌ عَادُونَ ﴿166﴾
और अपनी पत्नियों को, जिन्हें तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए पैदा किया, छोड़ देते हो? इतना ही नहीं, बल्कि तुम हद से आगे बढ़े हुए लोग हो।\"
قَالُوا۟ لَئِن لَّمْ تَنتَهِ يَٰلُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلْمُخْرَجِينَ ﴿167﴾
उन्होंने कहा, \"यदि तू बाज़ न आया, ऐ लतू! तो तू अवश्य ही निकाल बाहर किया जाएगा।\"
قَالَ إِنِّى لِعَمَلِكُم مِّنَ ٱلْقَالِينَ ﴿168﴾
उसने कहा, \"मैं तुम्हारे कर्म से अत्यन्त विरक्त हूँ।
رَبِّ نَجِّنِى وَأَهْلِى مِمَّا يَعْمَلُونَ ﴿169﴾
ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे लोगों को, जो कुछ ये करते है उसके परिणाम से, बचा ले।\"
فَنَجَّيْنَٰهُ وَأَهْلَهُۥٓ أَجْمَعِينَ ﴿170﴾
अन्ततः हमने उसे और उसके सारे लोगों को बचा लिया;
إِلَّا عَجُوزًۭا فِى ٱلْغَٰبِرِينَ ﴿171﴾
सिवाय एक बुढ़िया के जो पीछे रह जानेवालों में थी
ثُمَّ دَمَّرْنَا ٱلْءَاخَرِينَ ﴿172﴾
फिर शेष दूसरे लोगों को हमने विनष्ट कर दिया।
وَأَمْطَرْنَا عَلَيْهِم مَّطَرًۭا ۖ فَسَآءَ مَطَرُ ٱلْمُنذَرِينَ ﴿173﴾
और हमने उनपर एक बरसात बरसाई। और यह चेताए हुए लोगों की बहुत ही बुरी वर्षा थी
إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿174﴾
निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿175﴾
और निश्चय ही तुम्हारा रब बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
كَذَّبَ أَصْحَٰبُ لْـَٔيْكَةِ ٱلْمُرْسَلِينَ ﴿176﴾
अल-ऐकावालों ने रसूलों को झुठलाया
إِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَيْبٌ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿177﴾
जबकि शुऐब ने उनसे कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?
إِنِّى لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌۭ ﴿178﴾
मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ ﴿179﴾
अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
وَمَآ أَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِىَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿180﴾
मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
۞ أَوْفُوا۟ ٱلْكَيْلَ وَلَا تَكُونُوا۟ مِنَ ٱلْمُخْسِرِينَ ﴿181﴾
तुम पूरा-पूरा पैमाना भरो और घाटा न दो
وَزِنُوا۟ بِٱلْقِسْطَاسِ ٱلْمُسْتَقِيمِ ﴿182﴾
और ठीक तराज़ू से तौलो
وَلَا تَبْخَسُوا۟ ٱلنَّاسَ أَشْيَآءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا۟ فِى ٱلْأَرْضِ مُفْسِدِينَ ﴿183﴾
और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो और धरती में बिगाड़ और फ़साद मचाते मत फिरो
وَٱتَّقُوا۟ ٱلَّذِى خَلَقَكُمْ وَٱلْجِبِلَّةَ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿184﴾
उसका डर रखो जिसने तुम्हें और पिछली नस्लों को पैदा किया हैं।\"
قَالُوٓا۟ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلْمُسَحَّرِينَ ﴿185﴾
उन्होंने कहा, \"तू तो बस जादू का मारा हुआ है
وَمَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٌۭ مِّثْلُنَا وَإِن نَّظُنُّكَ لَمِنَ ٱلْكَٰذِبِينَ ﴿186﴾
और तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है और हम तो तुझे झूठा समझते है
فَأَسْقِطْ عَلَيْنَا كِسَفًۭا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّٰدِقِينَ ﴿187﴾
फिर तू हमपर आकाश को कोई टुकड़ा गिरा दे, यदि तू सच्चा है।\"
قَالَ رَبِّىٓ أَعْلَمُ بِمَا تَعْمَلُونَ ﴿188﴾
उसने कहा, \" मेरा रब भली-भाँति जानता है जो कुछ तुम कर रहे हो।\"
فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمْ عَذَابُ يَوْمِ ٱلظُّلَّةِ ۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ ﴿189﴾
किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। फिर छायावाले दिन की यातना ने आ लिया। निश्चय ही वह एक बड़े दिन की यातना थी
إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةًۭ ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُم مُّؤْمِنِينَ ﴿190﴾
निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ ﴿191﴾
और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
وَإِنَّهُۥ لَتَنزِيلُ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ ﴿192﴾
निश्चय ही यह (क़ुरआन) सारे संसार के रब की अवतरित की हुई चीज़ है
نَزَلَ بِهِ ٱلرُّوحُ ٱلْأَمِينُ ﴿193﴾
इसको लेकर तुम्हारे हृदय पर एक विश्वसनीय आत्मा उतरी है,
عَلَىٰ قَلْبِكَ لِتَكُونَ مِنَ ٱلْمُنذِرِينَ ﴿194﴾
ताकि तुम सावधान करनेवाले हो
بِلِسَانٍ عَرَبِىٍّۢ مُّبِينٍۢ ﴿195﴾
स्पष्ट अरबी भाषा में
وَإِنَّهُۥ لَفِى زُبُرِ ٱلْأَوَّلِينَ ﴿196﴾
और निस्संदेह यह पिछले लोगों की किताबों में भी मौजूद है
أَوَلَمْ يَكُن لَّهُمْ ءَايَةً أَن يَعْلَمَهُۥ عُلَمَٰٓؤُا۟ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ﴿197﴾
क्या यह उनके लिए कोई निशानी नहीं है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान जानते है?
وَلَوْ نَزَّلْنَٰهُ عَلَىٰ بَعْضِ ٱلْأَعْجَمِينَ ﴿198﴾
यदि हम इसे ग़ैर अरबी भाषी पर भी उतारते,
فَقَرَأَهُۥ عَلَيْهِم مَّا كَانُوا۟ بِهِۦ مُؤْمِنِينَ ﴿199﴾
और वह इसे उन्हें पढ़कर सुनाता तब भी वे इसे माननेवाले न होते
كَذَٰلِكَ سَلَكْنَٰهُ فِى قُلُوبِ ٱلْمُجْرِمِينَ ﴿200﴾
इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के दिलों में पैठाया है
لَا يُؤْمِنُونَ بِهِۦ حَتَّىٰ يَرَوُا۟ ٱلْعَذَابَ ٱلْأَلِيمَ ﴿201﴾
वे इसपर ईमान लाने को नहीं, जब तक कि दुखद यातना न देख लें
فَيَأْتِيَهُم بَغْتَةًۭ وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ ﴿202﴾
फिर जब वह अचानक उनपर आ जाएगी और उन्हें ख़बर भी न होगी,
فَيَقُولُوا۟ هَلْ نَحْنُ مُنظَرُونَ ﴿203﴾
तब वे कहेंगे, \"क्या हमें कुछ मुहलत मिल सकती है?\"
أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ ﴿204﴾
तो क्या वे लोग हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे है?
أَفَرَءَيْتَ إِن مَّتَّعْنَٰهُمْ سِنِينَ ﴿205﴾
क्या तुमने कुछ विचार किया? यदि हम उन्हें कुछ वर्षों तक सुख भोगने दें;
ثُمَّ جَآءَهُم مَّا كَانُوا۟ يُوعَدُونَ ﴿206﴾
फिर उनपर वह चीज़ आ जाए, जिससे उन्हें डराया जाता रहा है;
مَآ أَغْنَىٰ عَنْهُم مَّا كَانُوا۟ يُمَتَّعُونَ ﴿207﴾
तो जो सुख उन्हें मिला होगा वह उनके कुछ काम न आएगा
وَمَآ أَهْلَكْنَا مِن قَرْيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنذِرُونَ ﴿208﴾
हमने किसी बस्ती को भी इसके बिना विनष्ट नहीं किया कि उसके लिए सचेत करनेवाले याददिहानी के लिए मौजूद रहे हैं।
ذِكْرَىٰ وَمَا كُنَّا ظَٰلِمِينَ ﴿209﴾
हम कोई ज़ालिम नहीं है
وَمَا تَنَزَّلَتْ بِهِ ٱلشَّيَٰطِينُ ﴿210﴾
इसे शैतान लेकर नहीं उतरे हैं।
وَمَا يَنۢبَغِى لَهُمْ وَمَا يَسْتَطِيعُونَ ﴿211﴾
न यह उन्हें फबता ही है और न ये उनके बस का ही है
إِنَّهُمْ عَنِ ٱلسَّمْعِ لَمَعْزُولُونَ ﴿212﴾
वे तो इसके सुनने से भी दूर रखे गए है
فَلَا تَدْعُ مَعَ ٱللَّهِ إِلَٰهًا ءَاخَرَ فَتَكُونَ مِنَ ٱلْمُعَذَّبِينَ ﴿213﴾
अतः अल्लाह के साथ दूसरे इष्ट-पूज्य को न पुकारना, अन्यथा तुम्हें भी यातना दी जाएगी
وَأَنذِرْ عَشِيرَتَكَ ٱلْأَقْرَبِينَ ﴿214﴾
और अपने निकटतम नातेदारों को सचेत करो
وَٱخْفِضْ جَنَاحَكَ لِمَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلْمُؤْمِنِينَ ﴿215﴾
और जो ईमानवाले तुम्हारे अनुयायी हो गए है, उनके लिए अपनी भुजाएँ बिछाए रखो
فَإِنْ عَصَوْكَ فَقُلْ إِنِّى بَرِىٓءٌۭ مِّمَّا تَعْمَلُونَ ﴿216﴾
किन्तु यदि वे तुम्हारी अवज्ञा करें तो कह दो, \"जो कुछ तुम करते हो, उसकी ज़िम्मेदारी से मं1 बरी हूँ।\"
وَتَوَكَّلْ عَلَى ٱلْعَزِيزِ ٱلرَّحِيمِ ﴿217﴾
और उस प्रभुत्वशाली और दया करनेवाले पर भरोसा रखो
ٱلَّذِى يَرَىٰكَ حِينَ تَقُومُ ﴿218﴾
जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो
وَتَقَلُّبَكَ فِى ٱلسَّٰجِدِينَ ﴿219﴾
और सजदा करनेवालों में तुम्हारे चलत-फिरत को भी वह देखता है
إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ ﴿220﴾
निस्संदेह वह भली-भाँति सुनता-जानता है
هَلْ أُنَبِّئُكُمْ عَلَىٰ مَن تَنَزَّلُ ٱلشَّيَٰطِينُ ﴿221﴾
क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि शैतान किसपर उतरते है?
تَنَزَّلُ عَلَىٰ كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٍۢ ﴿222﴾
वे प्रत्येक ढोंग रचनेवाले गुनाहगार पर उतरते है
يُلْقُونَ ٱلسَّمْعَ وَأَكْثَرُهُمْ كَٰذِبُونَ ﴿223﴾
वे कान लगाते है और उनमें से अधिकतर झूठे होते है
وَٱلشُّعَرَآءُ يَتَّبِعُهُمُ ٱلْغَاوُۥنَ ﴿224﴾
रहे कवि, तो उनके पीछे बहके हुए लोग ही चला करते है।-
أَلَمْ تَرَ أَنَّهُمْ فِى كُلِّ وَادٍۢ يَهِيمُونَ ﴿225﴾
क्या तुमने देखा नहीं कि वे हर घाटी में बहके फिरते हैं,
وَأَنَّهُمْ يَقُولُونَ مَا لَا يَفْعَلُونَ ﴿226﴾
और कहते वह है जो करते नहीं? -
إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ وَذَكَرُوا۟ ٱللَّهَ كَثِيرًۭا وَٱنتَصَرُوا۟ مِنۢ بَعْدِ مَا ظُلِمُوا۟ ۗ وَسَيَعْلَمُ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوٓا۟ أَىَّ مُنقَلَبٍۢ يَنقَلِبُونَ ﴿227﴾
वे नहीं जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और अल्लाह को अधिक .याद किया। औऱ इसके बाद कि उनपर ज़ुल्म किया गया तो उन्होंने उसका प्रतिकार किया और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया, उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा कि वे किस जगह पलटते हैं