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وَٱلصَّـٰۤفَّـٰتِ صَفࣰّا ﴿1﴾

गवाह है परा जमाकर पंक्तिबद्ध होनेवाले;

فَٱلزَّ ٰ⁠جِرَ ٰ⁠تِ زَجۡرࣰا ﴿2﴾

फिर डाँटनेवाले;

فَٱلتَّـٰلِیَـٰتِ ذِكۡرًا ﴿3﴾

फिर यह ज़िक्र करनेवाले

إِنَّ إِلَـٰهَكُمۡ لَوَ ٰ⁠حِدࣱ ﴿4﴾

कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला है।

رَّبُّ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَیۡنَهُمَا وَرَبُّ ٱلۡمَشَـٰرِقِ ﴿5﴾

वह आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है सबका रब है और पूर्व दिशाओं का भी रब है

إِنَّا زَیَّنَّا ٱلسَّمَاۤءَ ٱلدُّنۡیَا بِزِینَةٍ ٱلۡكَوَاكِبِ ﴿6﴾

हमने दुनिया के आकाश को सजावट अर्थात तारों से सुसज्जित किया, (रात में मुसाफ़िरों को मार्ग दिखाने के लिए)

وَحِفۡظࣰا مِّن كُلِّ شَیۡطَـٰنࣲ مَّارِدࣲ ﴿7﴾

और प्रत्येक सरकश शैतान से सुरक्षित रखने के लिए

لَّا یَسَّمَّعُونَ إِلَى ٱلۡمَلَإِ ٱلۡأَعۡلَىٰ وَیُقۡذَفُونَ مِن كُلِّ جَانِبࣲ ﴿8﴾

वे (शैतान) \"मलए आला\" की ओर कान नहीं लगा पाते और हर ओर से फेंक मारे जाते है भगाने-धुतकारने के लिए।

دُحُورࣰاۖ وَلَهُمۡ عَذَابࣱ وَاصِبٌ ﴿9﴾

और उनके लिए अनवरत यातना है

إِلَّا مَنۡ خَطِفَ ٱلۡخَطۡفَةَ فَأَتۡبَعَهُۥ شِهَابࣱ ثَاقِبࣱ ﴿10﴾

किन्तु यह और बात है कि कोई कुछ उचक ले, इस दशा में एक तेज़ दहकती उल्का उसका पीछा करती है

فَٱسۡتَفۡتِهِمۡ أَهُمۡ أَشَدُّ خَلۡقًا أَم مَّنۡ خَلَقۡنَاۤۚ إِنَّا خَلَقۡنَـٰهُم مِّن طِینࣲ لَّازِبِۭ ﴿11﴾

अब उनके पूछो कि उनके पैदा करने का काम अधिक कठिन है या उन चीज़ों का, जो हमने पैदा कर रखी है। निस्संदेह हमने उनको लेसकर मिट्टी से पैदा किया।

بَلۡ عَجِبۡتَ وَیَسۡخَرُونَ ﴿12﴾

बल्कि तुम तो आश्चर्य में हो और वे है कि परिहास कर रहे है

وَإِذَا ذُكِّرُوا۟ لَا یَذۡكُرُونَ ﴿13﴾

और जब उन्हें याद दिलाया जाता है, तो वे याद नहीं करते,

وَإِذَا رَأَوۡا۟ ءَایَةࣰ یَسۡتَسۡخِرُونَ ﴿14﴾

और जब कोई निशानी देखते है तो हँसी उड़ाते है

وَقَالُوۤا۟ إِنۡ هَـٰذَاۤ إِلَّا سِحۡرࣱ مُّبِینٌ ﴿15﴾

और कहते है, \"यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है

أَءِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابࣰا وَعِظَـٰمًا أَءِنَّا لَمَبۡعُوثُونَ ﴿16﴾

क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या फिर हम उठाए जाएँगे?

أَوَءَابَاۤؤُنَا ٱلۡأَوَّلُونَ ﴿17﴾

क्या और हमारे पहले के बाप-दादा भी?\"

قُلۡ نَعَمۡ وَأَنتُمۡ دَ ٰ⁠خِرُونَ ﴿18﴾

कह दो, \"हाँ! और तुम अपमानित भी होंगे।\"

فَإِنَّمَا هِیَ زَجۡرَةࣱ وَ ٰ⁠حِدَةࣱ فَإِذَا هُمۡ یَنظُرُونَ ﴿19﴾

वह तो बस एक झिड़की होगी। फिर क्या देखेंगे कि वे ताकने लगे है

وَقَالُوا۟ یَـٰوَیۡلَنَا هَـٰذَا یَوۡمُ ٱلدِّینِ ﴿20﴾

और वे कहेंगे, \"ऐ अफ़सोस हमपर! यह तो बदले का दिन है।\"

هَـٰذَا یَوۡمُ ٱلۡفَصۡلِ ٱلَّذِی كُنتُم بِهِۦ تُكَذِّبُونَ ﴿21﴾

यह वही फ़ैसले का दिन है जिसे तुम झुठलाते रहे हो

۞ ٱحۡشُرُوا۟ ٱلَّذِینَ ظَلَمُوا۟ وَأَزۡوَ ٰ⁠جَهُمۡ وَمَا كَانُوا۟ یَعۡبُدُونَ ﴿22﴾

(कहा जाएगा) \"एकत्र करो उन लोगों को जिन्होंने ज़ुल्म किया और उनके जोड़ीदारों को भी और उनको भी जिनकी अल्लाह से हटकर वे बन्दगी करते रहे है।

مِن دُونِ ٱللَّهِ فَٱهۡدُوهُمۡ إِلَىٰ صِرَ ٰ⁠طِ ٱلۡجَحِیمِ ﴿23﴾

फिर उन सबको भड़कती हुई आग की राह दिखाओ!\"

وَقِفُوهُمۡۖ إِنَّهُم مَّسۡـُٔولُونَ ﴿24﴾

और तनिक उन्हें ठहराओ, उनसे पूछना है,

یَقُولُ أَءِنَّكَ لَمِنَ ٱلۡمُصَدِّقِینَ ﴿52﴾

जो कहा करता था क्या तुम भी पुष्टि करनेवालों में से हो?

أَءِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابࣰا وَعِظَـٰمًا أَءِنَّا لَمَدِینُونَ ﴿53﴾

क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में बदला पाएँगे?\"

قَالَ هَلۡ أَنتُم مُّطَّلِعُونَ ﴿54﴾

वह कहेगा, \"क्या तुम झाँककर देखोगे?\"

فَٱطَّلَعَ فَرَءَاهُ فِی سَوَاۤءِ ٱلۡجَحِیمِ ﴿55﴾

फिर वह झाँकेगा तो उसे भड़कती हुई आग के बीच में देखेगा

قَالَ تَٱللَّهِ إِن كِدتَّ لَتُرۡدِینِ ﴿56﴾

कहेगा, \"अल्लाह की क़सम! तुम तो मुझे तबाह ही करने को थे

وَلَوۡلَا نِعۡمَةُ رَبِّی لَكُنتُ مِنَ ٱلۡمُحۡضَرِینَ ﴿57﴾

यदि मेरे रब की अनुकम्पा न होती तो अवश्य ही मैं भी पकड़कर हाज़िर किए गए लोगों में से होता

أَفَمَا نَحۡنُ بِمَیِّتِینَ ﴿58﴾

है ना अब ऐसा कि हम मरने के नहीं।

إِلَّا مَوۡتَتَنَا ٱلۡأُولَىٰ وَمَا نَحۡنُ بِمُعَذَّبِینَ ﴿59﴾

हमें जो मृत्यु आनी थी वह बस पहले आ चुकी। और हमें कोई यातना ही दी जाएगी!\"

إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡعَظِیمُ ﴿60﴾

निश्चय ही यही बड़ी सफलता है

لِمِثۡلِ هَـٰذَا فَلۡیَعۡمَلِ ٱلۡعَـٰمِلُونَ ﴿61﴾

ऐसी की चीज़ के लिए कर्म करनेवालों को कर्म करना चाहिए

أَذَ ٰ⁠لِكَ خَیۡرࣱ نُّزُلًا أَمۡ شَجَرَةُ ٱلزَّقُّومِ ﴿62﴾

क्या वह आतिथ्य अच्छा है या 'ज़क़्क़ूम' का वृक्ष?

إِنَّا جَعَلۡنَـٰهَا فِتۡنَةࣰ لِّلظَّـٰلِمِینَ ﴿63﴾

निश्चय ही हमने उस (वृक्ष) को ज़ालिमों के लिए परीक्षा बना दिया है

إِنَّهَا شَجَرَةࣱ تَخۡرُجُ فِیۤ أَصۡلِ ٱلۡجَحِیمِ ﴿64﴾

वह एक वृक्ष है जो भड़कती हुई आग की तह से निकलता है

طَلۡعُهَا كَأَنَّهُۥ رُءُوسُ ٱلشَّیَـٰطِینِ ﴿65﴾

उसके गाभे मानो शैतानों के सिर (साँपों के फन) है

فَإِنَّهُمۡ لَـَٔاكِلُونَ مِنۡهَا فَمَالِـُٔونَ مِنۡهَا ٱلۡبُطُونَ ﴿66﴾

तो वे उसे खाएँगे और उसी से पेट भरेंगे

ثُمَّ إِنَّ لَهُمۡ عَلَیۡهَا لَشَوۡبࣰا مِّنۡ حَمِیمࣲ ﴿67﴾

फिर उनके लिए उसपर खौलते हुए पानी का मिश्रण होगा

ثُمَّ إِنَّ مَرۡجِعَهُمۡ لَإِلَى ٱلۡجَحِیمِ ﴿68﴾

फिर उनकी वापसी भड़कती हुई आग की ओर होगी

إِنَّهُمۡ أَلۡفَوۡا۟ ءَابَاۤءَهُمۡ ضَاۤلِّینَ ﴿69﴾

निश्चय ही उन्होंने अपने बाप-दादा को पथभ्रष्ट॥ पाया।

فَهُمۡ عَلَىٰۤ ءَاثَـٰرِهِمۡ یُهۡرَعُونَ ﴿70﴾

फिर वे उन्हीं के पद-चिन्हों पर दौड़ते रहे

وَلَقَدۡ ضَلَّ قَبۡلَهُمۡ أَكۡثَرُ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿71﴾

और उनसे पहले भी पूर्ववर्ती लोगों में अधिकांश पथभ्रष्ट हो चुके है,

وَلَقَدۡ أَرۡسَلۡنَا فِیهِم مُّنذِرِینَ ﴿72﴾

हमने उनमें सचेत करनेवाले भेजे थे।

فَٱنظُرۡ كَیۡفَ كَانَ عَـٰقِبَةُ ٱلۡمُنذَرِینَ ﴿73﴾

तो अब देख लो उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जिन्हे सचेत किया गया था

إِلَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِینَ ﴿74﴾

अलबत्ता अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है

وَلَقَدۡ نَادَىٰنَا نُوحࣱ فَلَنِعۡمَ ٱلۡمُجِیبُونَ ﴿75﴾

नूह ने हमको पुकारा था, तो हम कैसे अच्छे है निवेदन स्वीकार करनेवाले!

وَنَجَّیۡنَـٰهُ وَأَهۡلَهُۥ مِنَ ٱلۡكَرۡبِ ٱلۡعَظِیمِ ﴿76﴾

हमने उसे और उसके लोगों को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया

وَجَعَلۡنَا ذُرِّیَّتَهُۥ هُمُ ٱلۡبَاقِینَ ﴿77﴾

और हमने उसकी सतति (औलाद व अनुयायी) ही को बाक़ी रखा

وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِ فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿78﴾

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा

سَلَـٰمٌ عَلَىٰ نُوحࣲ فِی ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿79﴾

कि \"सलाम है नूह पर सम्पूर्ण संसारवालों में!\"

إِنَّا كَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿80﴾

निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है

إِنَّهُۥ مِنۡ عِبَادِنَا ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿81﴾

निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था

ثُمَّ أَغۡرَقۡنَا ٱلۡـَٔاخَرِینَ ﴿82﴾

फिर हमने दूसरो को डूबो दिया।

۞ وَإِنَّ مِن شِیعَتِهِۦ لَإِبۡرَ ٰ⁠هِیمَ ﴿83﴾

और इबराहीम भी उसी के सहधर्मियों में से था।

إِذۡ جَاۤءَ رَبَّهُۥ بِقَلۡبࣲ سَلِیمٍ ﴿84﴾

याद करो, जब वह अपने रब के समक्ष भला-चंगा हृदय लेकर आया;

إِذۡ قَالَ لِأَبِیهِ وَقَوۡمِهِۦ مَاذَا تَعۡبُدُونَ ﴿85﴾

जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौम के लोगों से कहा, \"तुम किस चीज़ की पूजा करते हो?

أَىِٕفۡكًا ءَالِهَةࣰ دُونَ ٱللَّهِ تُرِیدُونَ ﴿86﴾

क्या अल्लाह से हटकर मनघड़ंत उपास्यों को चाह रहे हो?

فَمَا ظَنُّكُم بِرَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿87﴾

आख़िर सारे संसार के रब के विषय में तुम्हारा क्या गुमान है?\"

فَنَظَرَ نَظۡرَةࣰ فِی ٱلنُّجُومِ ﴿88﴾

फिर उसने एक दृष्टि तारों पर डाली

فَقَالَ إِنِّی سَقِیمࣱ ﴿89﴾

और कहा, \"मैं तो निढाल हूँ।\"

فَتَوَلَّوۡا۟ عَنۡهُ مُدۡبِرِینَ ﴿90﴾

अतएव वे उसे छोड़कर चले गए पीठ फेरकर

فَرَاغَ إِلَىٰۤ ءَالِهَتِهِمۡ فَقَالَ أَلَا تَأۡكُلُونَ ﴿91﴾

फिर वह आँख बचाकर उनके देवताओं की ओर गया और कहा, \"क्या तुम खाते नहीं?

مَا لَكُمۡ لَا تَنطِقُونَ ﴿92﴾

तुम्हें क्या हुआ है कि तुम बोलते नहीं?\"

فَرَاغَ عَلَیۡهِمۡ ضَرۡبَۢا بِٱلۡیَمِینِ ﴿93﴾

फिर वह भरपूर हाथ मारते हुए उनपर पिल पड़ा

فَأَقۡبَلُوۤا۟ إِلَیۡهِ یَزِفُّونَ ﴿94﴾

फिर वे लोग झपटते हुए उसकी ओर आए

قَالَ أَتَعۡبُدُونَ مَا تَنۡحِتُونَ ﴿95﴾

उसने कहा, \"क्या तुम उनको पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो,

وَٱللَّهُ خَلَقَكُمۡ وَمَا تَعۡمَلُونَ ﴿96﴾

जबकि अल्लाह ने तुम्हे भी पैदा किया है और उनको भी, जिन्हें तुम बनाते हो?\"

قَالُوا۟ ٱبۡنُوا۟ لَهُۥ بُنۡیَـٰنࣰا فَأَلۡقُوهُ فِی ٱلۡجَحِیمِ ﴿97﴾

वे बोले, \"उनके लिए एक मकान (अर्थात अग्नि-कुंड) तैयार करके उसे भड़कती आग में डाल दो!\"

فَأَرَادُوا۟ بِهِۦ كَیۡدࣰا فَجَعَلۡنَـٰهُمُ ٱلۡأَسۡفَلِینَ ﴿98﴾

अतः उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, किन्तु हमने उन्हीं को नीचा दिखा दिया

وَقَالَ إِنِّی ذَاهِبٌ إِلَىٰ رَبِّی سَیَهۡدِینِ ﴿99﴾

उसने कहा, \"मैं अपने रब की ओर जा रहा हूँ, वह मेरा मार्गदर्शन करेगा

رَبِّ هَبۡ لِی مِنَ ٱلصَّـٰلِحِینَ ﴿100﴾

ऐ मेरे रब! मुझे कोई नेक संतान प्रदान कर।\"

فَبَشَّرۡنَـٰهُ بِغُلَـٰمٍ حَلِیمࣲ ﴿101﴾

तो हमने उसे एक सहनशील पुत्र की शुभ सूचना दी

فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ ٱلسَّعۡیَ قَالَ یَـٰبُنَیَّ إِنِّیۤ أَرَىٰ فِی ٱلۡمَنَامِ أَنِّیۤ أَذۡبَحُكَ فَٱنظُرۡ مَاذَا تَرَىٰۚ قَالَ یَـٰۤأَبَتِ ٱفۡعَلۡ مَا تُؤۡمَرُۖ سَتَجِدُنِیۤ إِن شَاۤءَ ٱللَّهُ مِنَ ٱلصَّـٰبِرِینَ ﴿102﴾

फिर जब वह उसके साथ दौड़-धूप करने की अवस्था को पहुँचा तो उसने कहा, \"ऐ मेरे प्रिय बेटे! मैं स्वप्न में देखता हूँ कि तुझे क़ुरबान कर रहा हूँ। तो अब देख, तेरा क्या विचार है?\" उसने कहा, \"ऐ मेरे बाप! जो कुछ आपको आदेश दिया जा रहा है उसे कर डालिए। अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे धैर्यवान पाएँगे।\"

فَلَمَّاۤ أَسۡلَمَا وَتَلَّهُۥ لِلۡجَبِینِ ﴿103﴾

अन्ततः जब दोनों ने अपने आपको (अल्लाह के आगे) झुका दिया और उसने (इबाराहीम ने) उसे कनपटी के बल लिटा दिया (तो उस समय क्या दृश्य रहा होगा, सोचो!)

وَنَـٰدَیۡنَـٰهُ أَن یَـٰۤإِبۡرَ ٰ⁠هِیمُ ﴿104﴾

और हमने उसे पुकारा, \"ऐ इबराहीम!

قَدۡ صَدَّقۡتَ ٱلرُّءۡیَاۤۚ إِنَّا كَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿105﴾

तूने स्वप्न को सच कर दिखाया। निस्संदेह हम उत्तमकारों को इसी प्रकार बदला देते है।\"

إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ ٱلۡبَلَـٰۤؤُا۟ ٱلۡمُبِینُ ﴿106﴾

निस्संदेह यह तो एक खुली हूई परीक्षा थी

وَفَدَیۡنَـٰهُ بِذِبۡحٍ عَظِیمࣲ ﴿107﴾

और हमने उसे (बेटे को) एक बड़ी क़ुरबानी के बदले में छुड़ा लिया

وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِ فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿108﴾

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका ज़िक्र छोड़ा,

سَلَـٰمٌ عَلَىٰۤ إِبۡرَ ٰ⁠هِیمَ ﴿109﴾

कि \"सलाम है इबराहीम पर।\"

كَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿110﴾

उत्तमकारों को हम ऐसा ही बदला देते है

إِنَّهُۥ مِنۡ عِبَادِنَا ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿111﴾

निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था

وَبَشَّرۡنَـٰهُ بِإِسۡحَـٰقَ نَبِیࣰّا مِّنَ ٱلصَّـٰلِحِینَ ﴿112﴾

और हमने उसे इसहाक़ की शुभ सूचना दी, अच्छों में से एक नबी

وَبَـٰرَكۡنَا عَلَیۡهِ وَعَلَىٰۤ إِسۡحَـٰقَۚ وَمِن ذُرِّیَّتِهِمَا مُحۡسِنࣱ وَظَالِمࣱ لِّنَفۡسِهِۦ مُبِینࣱ ﴿113﴾

और हमने उसे और इसहाक़ को बरकत दी। और उन दोनों की संतति में कोई तो उत्तमकार है और कोई अपने आप पर खुला ज़ुल्म करनेवाला

وَلَقَدۡ مَنَنَّا عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَـٰرُونَ ﴿114﴾

और हम मूसा और हारून पर भी उपकार कर चुके है

وَنَجَّیۡنَـٰهُمَا وَقَوۡمَهُمَا مِنَ ٱلۡكَرۡبِ ٱلۡعَظِیمِ ﴿115﴾

और हमने उन्हें और उनकी क़ौम को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया

وَنَصَرۡنَـٰهُمۡ فَكَانُوا۟ هُمُ ٱلۡغَـٰلِبِینَ ﴿116﴾

हमने उनकी सहायता की, तो वही प्रभावी रहे

وَءَاتَیۡنَـٰهُمَا ٱلۡكِتَـٰبَ ٱلۡمُسۡتَبِینَ ﴿117﴾

हमने उनको अत्यन्त स्पष्टा किताब प्रदान की।

وَهَدَیۡنَـٰهُمَا ٱلصِّرَ ٰ⁠طَ ٱلۡمُسۡتَقِیمَ ﴿118﴾

और उन्हें सीधा मार्ग दिखाया

وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِمَا فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿119﴾

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा

سَلَـٰمٌ عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَـٰرُونَ ﴿120﴾

कि \"सलाम है मूसा और हारून पर!\"

إِنَّا كَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿121﴾

निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है

إِنَّهُمَا مِنۡ عِبَادِنَا ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿122﴾

निश्चय ही वे दोनों हमारे ईमानवाले बन्दों में से थे

وَإِنَّ إِلۡیَاسَ لَمِنَ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿123﴾

और निस्संदेह इलयास भी रसूलों में से था।

إِذۡ قَالَ لِقَوۡمِهِۦۤ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿124﴾

याद करो, जब उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?

أَتَدۡعُونَ بَعۡلࣰا وَتَذَرُونَ أَحۡسَنَ ٱلۡخَـٰلِقِینَ ﴿125﴾

क्या तुम 'बअत' (देवता) को पुकारते हो और सर्वोत्तम सृष्टा। को छोड़ देते हो;

ٱللَّهَ رَبَّكُمۡ وَرَبَّ ءَابَاۤىِٕكُمُ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿126﴾

अपने रब और अपने अगले बाप-दादा के रब, अल्लाह को!\"

فَكَذَّبُوهُ فَإِنَّهُمۡ لَمُحۡضَرُونَ ﴿127﴾

किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। सौ वे निश्चय ही पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे

إِلَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِینَ ﴿128﴾

अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है

وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِ فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿129﴾

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा

سَلَـٰمٌ عَلَىٰۤ إِلۡ یَاسِینَ ﴿130﴾

कि \"सलाम है इलयास पर!\"

إِنَّا كَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿131﴾

निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा ही बदला देते है

إِنَّهُۥ مِنۡ عِبَادِنَا ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿132﴾

निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था

وَإِنَّ لُوطࣰا لَّمِنَ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿133﴾

और निश्चय ही लूत भी रसूलों में से था

إِذۡ نَجَّیۡنَـٰهُ وَأَهۡلَهُۥۤ أَجۡمَعِینَ ﴿134﴾

याद करो, जब हमने उसे और उसके सभी लोगों को बचा लिया,

إِلَّا عَجُوزࣰا فِی ٱلۡغَـٰبِرِینَ ﴿135﴾

सिवाय एक बुढ़िया के, जो पीछे रह जानेवालों में से थी

ثُمَّ دَمَّرۡنَا ٱلۡـَٔاخَرِینَ ﴿136﴾

फिर दूसरों को हमने तहस-नहस करके रख दिया

وَإِنَّكُمۡ لَتَمُرُّونَ عَلَیۡهِم مُّصۡبِحِینَ ﴿137﴾

और निस्संदेह तुम उनपर (उनके क्षेत्र) से गुज़रते हो कभी प्रातः करते हुए

وَبِٱلَّیۡلِۚ أَفَلَا تَعۡقِلُونَ ﴿138﴾

और रात में भी। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?

وَإِنَّ یُونُسَ لَمِنَ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿139﴾

और निस्संदेह यूनुस भी रसूलो में से था

إِذۡ أَبَقَ إِلَى ٱلۡفُلۡكِ ٱلۡمَشۡحُونِ ﴿140﴾

याद करो, जब वह भरी नौका की ओर भाग निकला,

فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ ٱلۡمُدۡحَضِینَ ﴿141﴾

फिर पर्ची डालने में शामिल हुआ और उसमें मात खाई

فَٱلۡتَقَمَهُ ٱلۡحُوتُ وَهُوَ مُلِیمࣱ ﴿142﴾

फिर उसे मछली ने निगल लिया और वह निन्दनीय दशा में ग्रस्त हो गया था।

فَلَوۡلَاۤ أَنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلۡمُسَبِّحِینَ ﴿143﴾

अब यदि वह तसबीह करनेवाला न होता

لَلَبِثَ فِی بَطۡنِهِۦۤ إِلَىٰ یَوۡمِ یُبۡعَثُونَ ﴿144﴾

तो उसी के भीतर उस दिन तक पड़ा रह जाता, जबकि लोग उठाए जाएँगे।

۞ فَنَبَذۡنَـٰهُ بِٱلۡعَرَاۤءِ وَهُوَ سَقِیمࣱ ﴿145﴾

अन्ततः हमने उसे इस दशा में कि वह निढ़ाल था, साफ़ मैदान में डाल दिया।

وَأَنۢبَتۡنَا عَلَیۡهِ شَجَرَةࣰ مِّن یَقۡطِینࣲ ﴿146﴾

हमने उसपर बेलदार वृक्ष उगाया था

وَأَرۡسَلۡنَـٰهُ إِلَىٰ مِا۟ئَةِ أَلۡفٍ أَوۡ یَزِیدُونَ ﴿147﴾

और हमने उसे एक लाख या उससे अधिक (लोगों) की ओर भेजा

فَـَٔامَنُوا۟ فَمَتَّعۡنَـٰهُمۡ إِلَىٰ حِینࣲ ﴿148﴾

फिर वे ईमान लाए तो हमने उन्हें एक अवधि कर सुख भोगने का अवसर दिया।

فَٱسۡتَفۡتِهِمۡ أَلِرَبِّكَ ٱلۡبَنَاتُ وَلَهُمُ ٱلۡبَنُونَ ﴿149﴾

अब उनसे पूछो, \"क्या तुम्हारे रब के लिए तो बेटियाँ हों और उनके अपने लिए बेटे?

أَمۡ خَلَقۡنَا ٱلۡمَلَـٰۤىِٕكَةَ إِنَـٰثࣰا وَهُمۡ شَـٰهِدُونَ ﴿150﴾

क्या हमने फ़रिश्तों को औरतें बनाया और यह उनकी आँखों देखी बात हैं?\"

أَلَاۤ إِنَّهُم مِّنۡ إِفۡكِهِمۡ لَیَقُولُونَ ﴿151﴾

सुन लो, निश्चय ही वे अपनी मनघड़ंत कहते है

وَلَدَ ٱللَّهُ وَإِنَّهُمۡ لَكَـٰذِبُونَ ﴿152﴾

कि \"अल्लाह के औलाद हुई है!\" निश्चय ही वे झूठे है।

أَصۡطَفَى ٱلۡبَنَاتِ عَلَى ٱلۡبَنِینَ ﴿153﴾

क्या उसने बेटों की अपेक्षा बेटियाँ चुन ली है?

مَا لَكُمۡ كَیۡفَ تَحۡكُمُونَ ﴿154﴾

तुम्हें क्या हो गया है? तुम कैसा फ़ैसला करते हो?

أَفَلَا تَذَكَّرُونَ ﴿155﴾

तो क्या तुम होश से काम नहीं लेते?

أَمۡ لَكُمۡ سُلۡطَـٰنࣱ مُّبِینࣱ ﴿156﴾

क्या तुम्हारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण है?

فَأۡتُوا۟ بِكِتَـٰبِكُمۡ إِن كُنتُمۡ صَـٰدِقِینَ ﴿157﴾

तो लाओ अपनी किताब, यदि तुम सच्चे हो

وَجَعَلُوا۟ بَیۡنَهُۥ وَبَیۡنَ ٱلۡجِنَّةِ نَسَبࣰاۚ وَلَقَدۡ عَلِمَتِ ٱلۡجِنَّةُ إِنَّهُمۡ لَمُحۡضَرُونَ ﴿158﴾

उन्होंने अल्लाह और जिन्नों के बीच नाता जोड़ रखा है, हालाँकि जिन्नों को भली-भाँति मालूम है कि वे अवश्य पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे-

سُبۡحَـٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا یَصِفُونَ ﴿159﴾

महान और उच्च है अल्लाह उससे, जो वे बयान करते है। -

إِلَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِینَ ﴿160﴾

अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिन्हें उसने चुन लिया

فَإِنَّكُمۡ وَمَا تَعۡبُدُونَ ﴿161﴾

अतः तुम और जिनको तुम पूजते हो वे,

مَاۤ أَنتُمۡ عَلَیۡهِ بِفَـٰتِنِینَ ﴿162﴾

तुम सब अल्लाह के विरुद्ध किसी को बहका नहीं सकते,

إِلَّا مَنۡ هُوَ صَالِ ٱلۡجَحِیمِ ﴿163﴾

सिवाय उसके जो जहन्नम की भड़कती आग में पड़ने ही वाला हो

وَمَا مِنَّاۤ إِلَّا لَهُۥ مَقَامࣱ مَّعۡلُومࣱ ﴿164﴾

और हमारी ओर से उसके लिए अनिवार्यतः एक ज्ञात और नियत स्थान है

وَإِنَّا لَنَحۡنُ ٱلصَّاۤفُّونَ ﴿165﴾

और हम ही पंक्तिबद्ध करते है।

وَإِنَّا لَنَحۡنُ ٱلۡمُسَبِّحُونَ ﴿166﴾

और हम ही महानता बयान करते है

وَإِن كَانُوا۟ لَیَقُولُونَ ﴿167﴾

वे तो कहा करते थे,

لَوۡ أَنَّ عِندَنَا ذِكۡرࣰا مِّنَ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿168﴾

\"यदि हमारे पास पिछलों की कोई शिक्षा होती

لَكُنَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِینَ ﴿169﴾

तो हम अल्लाह के चुने हुए बन्दे होते।\"

فَكَفَرُوا۟ بِهِۦۖ فَسَوۡفَ یَعۡلَمُونَ ﴿170﴾

किन्तु उन्होंने इनकार कर दिया, तो अब जल्द ही वे जान लेंगे

وَلَقَدۡ سَبَقَتۡ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿171﴾

और हमारे अपने उन बन्दों के हक़ में, जो रसूल बनाकर भेजे गए, हमारी बात पहले ही निश्चित हो चुकी है

إِنَّهُمۡ لَهُمُ ٱلۡمَنصُورُونَ ﴿172﴾

कि निश्चय ही उन्हीं की सहायता की जाएगी।

وَإِنَّ جُندَنَا لَهُمُ ٱلۡغَـٰلِبُونَ ﴿173﴾

और निश्चय ही हमारी सेना ही प्रभावी रहेगी

فَتَوَلَّ عَنۡهُمۡ حَتَّىٰ حِینࣲ ﴿174﴾

अतः एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो

وَأَبۡصِرۡهُمۡ فَسَوۡفَ یُبۡصِرُونَ ﴿175﴾

और उन्हें देखते रहो। वे भी जल्द ही (अपना परिणाम) देख लेंगे

أَفَبِعَذَابِنَا یَسۡتَعۡجِلُونَ ﴿176﴾

क्या वे हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं?

فَإِذَا نَزَلَ بِسَاحَتِهِمۡ فَسَاۤءَ صَبَاحُ ٱلۡمُنذَرِینَ ﴿177﴾

तो जब वह उनके आँगन में उतरेगी तो बड़ी ही बुरी सुबह होगी उन लोगों की, जिन्हें सचेत किया जा चुका है!

وَتَوَلَّ عَنۡهُمۡ حَتَّىٰ حِینࣲ ﴿178﴾

एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो

وَأَبۡصِرۡ فَسَوۡفَ یُبۡصِرُونَ ﴿179﴾

और देखते रहो, वे जल्द ही देख लेंगे

سُبۡحَـٰنَ رَبِّكَ رَبِّ ٱلۡعِزَّةِ عَمَّا یَصِفُونَ ﴿180﴾

महान और उच्च है तुम्हारा रब, प्रताप का स्वामी, उन बातों से जो वे बताते है!

وَسَلَـٰمٌ عَلَى ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿181﴾

और सलाम है रसूलों पर;

وَٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿182﴾

औऱ सब प्रशंसा अल्लाह, सारे संसार के रब के लिए है