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Surah The Iron [Al-Hadid] in Hindi
سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِی ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ وَهُوَ ٱلۡعَزِیزُ ٱلۡحَكِیمُ ﴿1﴾
अल्लाह की तसबीह की हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है। वही प्रभुत्वशाली, तत्वशाली है
لَهُۥ مُلۡكُ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ یُحۡیِۦ وَیُمِیتُۖ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَیۡءࣲ قَدِیرٌ ﴿2﴾
आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है। वही जीवन प्रदान करता है और मृत्यु देता है, और उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है
هُوَ ٱلۡأَوَّلُ وَٱلۡـَٔاخِرُ وَٱلظَّـٰهِرُ وَٱلۡبَاطِنُۖ وَهُوَ بِكُلِّ شَیۡءٍ عَلِیمٌ ﴿3﴾
वही आदि है और अन्त भी और वही व्यक्त है और अव्यक्त भी। और वह हर चीज़ को जानता है
هُوَ ٱلَّذِی خَلَقَ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ فِی سِتَّةِ أَیَّامࣲ ثُمَّ ٱسۡتَوَىٰ عَلَى ٱلۡعَرۡشِۖ یَعۡلَمُ مَا یَلِجُ فِی ٱلۡأَرۡضِ وَمَا یَخۡرُجُ مِنۡهَا وَمَا یَنزِلُ مِنَ ٱلسَّمَاۤءِ وَمَا یَعۡرُجُ فِیهَاۖ وَهُوَ مَعَكُمۡ أَیۡنَ مَا كُنتُمۡۚ وَٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ بَصِیرࣱ ﴿4﴾
वही है जिसने आकाशों और धरती को छह दिनों में पैदा किया; फिर सिंहासन पर विराजमान हुआ। वह जानता है जो कुछ धरती में प्रवेश करता है और जो कुछ उससे निकलता है और जो कुछ आकाश से उतरता है और जो कुछ उसमें चढ़ता है। और तुम जहाँ कहीं भी हो, वह तुम्हारे साथ है। और अल्लाह देखता है जो कुछ तुम करते हो
لَّهُۥ مُلۡكُ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرۡجَعُ ٱلۡأُمُورُ ﴿5﴾
आकाशों और धरती की बादशाही उसी की है और अल्लाह ही की है ओर सारे मामले पलटते है
یُولِجُ ٱلَّیۡلَ فِی ٱلنَّهَارِ وَیُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِی ٱلَّیۡلِۚ وَهُوَ عَلِیمُۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ ﴿6﴾
वह रात को दिन में प्रविष्ट कराता है और दिन को रात में प्रविष्ट कराता है। वह सीनों में छिपी बात तक को जानता है
ءَامِنُوا۟ بِٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦ وَأَنفِقُوا۟ مِمَّا جَعَلَكُم مُّسۡتَخۡلَفِینَ فِیهِۖ فَٱلَّذِینَ ءَامَنُوا۟ مِنكُمۡ وَأَنفَقُوا۟ لَهُمۡ أَجۡرࣱ كَبِیرࣱ ﴿7﴾
ईमान लाओ अल्लाह और उसके रसूल पर और उसमें से ख़र्च करो जिसका उसने तु्म्हें अधिकारी बनाया है। तो तुममें से जो लोग ईमान लाए और उन्होंने ख़र्च किया, उसने लिए बड़ा प्रतिदान है
وَمَا لَكُمۡ لَا تُؤۡمِنُونَ بِٱللَّهِ وَٱلرَّسُولُ یَدۡعُوكُمۡ لِتُؤۡمِنُوا۟ بِرَبِّكُمۡ وَقَدۡ أَخَذَ مِیثَـٰقَكُمۡ إِن كُنتُم مُّؤۡمِنِینَ ﴿8﴾
तुम्हें क्या हो गया है कि तुम अल्लाह पर ईमान नहीं लाते; जबकि रसूल तुम्हें निमंत्रण दे रहा है कि तुम अपने रब पर ईमान लाओ और वह तुमसे दृढ़ वचन भी ले चुका है, यदि तुम मोमिन हो
هُوَ ٱلَّذِی یُنَزِّلُ عَلَىٰ عَبۡدِهِۦۤ ءَایَـٰتِۭ بَیِّنَـٰتࣲ لِّیُخۡرِجَكُم مِّنَ ٱلظُّلُمَـٰتِ إِلَى ٱلنُّورِۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ بِكُمۡ لَرَءُوفࣱ رَّحِیمࣱ ﴿9﴾
वही है जो अपने बन्दों पर स्पष्ट आयतें उतार रहा है, ताकि वह तुम्हें अंधकारों से प्रकाश की ओर ले आए। और वास्तविकता यह है कि अल्लाह तुमपर अत्यन्त करुणामय, दयावान है
وَمَا لَكُمۡ أَلَّا تُنفِقُوا۟ فِی سَبِیلِ ٱللَّهِ وَلِلَّهِ مِیرَ ٰثُ ٱلسَّمَـٰوَ ٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ لَا یَسۡتَوِی مِنكُم مَّنۡ أَنفَقَ مِن قَبۡلِ ٱلۡفَتۡحِ وَقَـٰتَلَۚ أُو۟لَـٰۤىِٕكَ أَعۡظَمُ دَرَجَةࣰ مِّنَ ٱلَّذِینَ أَنفَقُوا۟ مِنۢ بَعۡدُ وَقَـٰتَلُوا۟ۚ وَكُلࣰّا وَعَدَ ٱللَّهُ ٱلۡحُسۡنَىٰۚ وَٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ خَبِیرࣱ ﴿10﴾
और तुम्हें क्यो हुआ है कि तुम अल्लाह के मार्ग में ख़र्च न करो, हालाँकि आकाशों और धरती की विरासत अल्लाह ही के लिए है? तुममें से जिन लोगों ने विजय से पूर्व ख़र्च किया और लड़े वे परस्पर एक-दूसरे के समान नहीं है। वे तो दरजे में उनसे बढ़कर है जिन्होंने बाद में ख़र्च किया और लड़े। यद्यपि अल्लाह ने प्रत्येक से अच्छा वादा किया है। अल्लाह उसकी ख़बर रखता है, जो कुछ तुम करते हो
مَّن ذَا ٱلَّذِی یُقۡرِضُ ٱللَّهَ قَرۡضًا حَسَنࣰا فَیُضَـٰعِفَهُۥ لَهُۥ وَلَهُۥۤ أَجۡرࣱ كَرِیمࣱ ﴿11﴾
कौन है जो अल्लाह को ऋण दे, अच्छा ऋण कि वह उसे उसके लिए कई गुना कर दे। और उसके लिए सम्मानित प्रतिदान है
یَوۡمَ تَرَى ٱلۡمُؤۡمِنِینَ وَٱلۡمُؤۡمِنَـٰتِ یَسۡعَىٰ نُورُهُم بَیۡنَ أَیۡدِیهِمۡ وَبِأَیۡمَـٰنِهِمۖ بُشۡرَىٰكُمُ ٱلۡیَوۡمَ جَنَّـٰتࣱ تَجۡرِی مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَـٰرُ خَـٰلِدِینَ فِیهَاۚ ذَ ٰلِكَ هُوَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡعَظِیمُ ﴿12﴾
जिस दिन तुम मोमिन पुरुषों और मोमिन स्त्रियों को देखोगे कि उनका प्रकाश उनके आगे-आगे दौड़ रहा है और उनके दाएँ हाथ में है। (कहा जाएगा,) \"आज शुभ सूचना है तुम्हारे लिए ऐसी जन्नतों की जिनके नीचे नहरें बह रही है, जिनमें सदैव रहना है। वही बड़ी सफलता है।\"
یَوۡمَ یَقُولُ ٱلۡمُنَـٰفِقُونَ وَٱلۡمُنَـٰفِقَـٰتُ لِلَّذِینَ ءَامَنُوا۟ ٱنظُرُونَا نَقۡتَبِسۡ مِن نُّورِكُمۡ قِیلَ ٱرۡجِعُوا۟ وَرَاۤءَكُمۡ فَٱلۡتَمِسُوا۟ نُورࣰاۖ فَضُرِبَ بَیۡنَهُم بِسُورࣲ لَّهُۥ بَابُۢ بَاطِنُهُۥ فِیهِ ٱلرَّحۡمَةُ وَظَـٰهِرُهُۥ مِن قِبَلِهِ ٱلۡعَذَابُ ﴿13﴾
जिस दिन कपटाचारी पुरुष और कपटाचारी स्त्रियाँ मोमिनों से कहेंगी, \"तनिक हमारी प्रतिक्षा करो। हम भी तुम्हारे प्रकाश मे से कुछ प्रकाश ले लें!\" कहा जाएगा, \"अपने पीछे लौट जाओ। फिर प्रकाश तलाश करो!\" इतने में उनके बीच एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी, जिसमें एक द्वार होगा। उसके भीतर का हाल यह होगा कि उसमें दयालुता होगी और उसके बाहर का यह कि उस ओर से यातना होगी
یُنَادُونَهُمۡ أَلَمۡ نَكُن مَّعَكُمۡۖ قَالُوا۟ بَلَىٰ وَلَـٰكِنَّكُمۡ فَتَنتُمۡ أَنفُسَكُمۡ وَتَرَبَّصۡتُمۡ وَٱرۡتَبۡتُمۡ وَغَرَّتۡكُمُ ٱلۡأَمَانِیُّ حَتَّىٰ جَاۤءَ أَمۡرُ ٱللَّهِ وَغَرَّكُم بِٱللَّهِ ٱلۡغَرُورُ ﴿14﴾
वे उन्हें पुकारकर कहेंगे, \"क्या हम तुम्हारे साथी नहीं थे?\" वे कहेंगे, \"क्यों नहीं? किन्तु तुमने तो अपने आपको फ़ितने (गुमराही) में डाला और प्रतीक्षा करते रहे और सन्देह में पड़े रहे और कामनाओं ने तुम्हें धोखे में डाले रखा है
فَٱلۡیَوۡمَ لَا یُؤۡخَذُ مِنكُمۡ فِدۡیَةࣱ وَلَا مِنَ ٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ۚ مَأۡوَىٰكُمُ ٱلنَّارُۖ هِیَ مَوۡلَىٰكُمۡۖ وَبِئۡسَ ٱلۡمَصِیرُ ﴿15﴾
\"अब आज न तुमसे कोई फ़िदया (मुक्ति-प्रतिदान) लिया जाएगा और न उन लोगों से जिन्होंने इनकार किया। तुम्हारा ठिकाना आग है, और वही तुम्हारी संरक्षिका है। और बहुत ही बुरी जगह है अन्त में पहुँचने की!\"
۞ أَلَمۡ یَأۡنِ لِلَّذِینَ ءَامَنُوۤا۟ أَن تَخۡشَعَ قُلُوبُهُمۡ لِذِكۡرِ ٱللَّهِ وَمَا نَزَلَ مِنَ ٱلۡحَقِّ وَلَا یَكُونُوا۟ كَٱلَّذِینَ أُوتُوا۟ ٱلۡكِتَـٰبَ مِن قَبۡلُ فَطَالَ عَلَیۡهِمُ ٱلۡأَمَدُ فَقَسَتۡ قُلُوبُهُمۡۖ وَكَثِیرࣱ مِّنۡهُمۡ فَـٰسِقُونَ ﴿16﴾
क्या उन लोगों के लिए, जो ईमान लाए, अभी वह समय नहीं आया कि उनके दिल अल्लाह की याद के लिए और जो सत्य अवतरित हुआ है उसके आगे झुक जाएँ? और वे उन लोगों की तरह न हो जाएँ, जिन्हें किताब दी गई थी, फिर उनपर दीर्ध समय बीत गया। अन्ततः उनके दिल कठोर हो गए और उनमें से अधिकांश अवज्ञाकारी रहे
ٱعۡلَمُوۤا۟ أَنَّ ٱللَّهَ یُحۡیِ ٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ مَوۡتِهَاۚ قَدۡ بَیَّنَّا لَكُمُ ٱلۡـَٔایَـٰتِ لَعَلَّكُمۡ تَعۡقِلُونَ ﴿17﴾
जान लो, अल्लाह धरती को उसकी मृत्यु के पश्चात जीवन प्रदान करता है। हमने तुम्हारे लिए आयतें खोल-खोलकर बयान कर दी है, ताकि तुम बुद्धि से काम लो
إِنَّ ٱلۡمُصَّدِّقِینَ وَٱلۡمُصَّدِّقَـٰتِ وَأَقۡرَضُوا۟ ٱللَّهَ قَرۡضًا حَسَنࣰا یُضَـٰعَفُ لَهُمۡ وَلَهُمۡ أَجۡرࣱ كَرِیمࣱ ﴿18﴾
निश्चय ही जो सदका देनेवाले पुरुष और सदका देनेवाली स्त्रियाँ है और उन्होंने अल्लाह को अच्छा ऋण दिया, उसे उसके लिए कई गुना कर दिया जाएगा। और उनके लिए सम्मानित प्रतिदान है
وَٱلَّذِینَ ءَامَنُوا۟ بِٱللَّهِ وَرُسُلِهِۦۤ أُو۟لَـٰۤىِٕكَ هُمُ ٱلصِّدِّیقُونَۖ وَٱلشُّهَدَاۤءُ عِندَ رَبِّهِمۡ لَهُمۡ أَجۡرُهُمۡ وَنُورُهُمۡۖ وَٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ وَكَذَّبُوا۟ بِـَٔایَـٰتِنَاۤ أُو۟لَـٰۤىِٕكَ أَصۡحَـٰبُ ٱلۡجَحِیمِ ﴿19﴾
जो लोग अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए, वही अपने रब के यहाण सिद्दीक और शहीद है। उनके लिए उनका प्रतिदान और उनका प्रकाश है। किन्तु जिन लोगों ने इनकार किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही भड़कती आगवाले हैं
ٱعۡلَمُوۤا۟ أَنَّمَا ٱلۡحَیَوٰةُ ٱلدُّنۡیَا لَعِبࣱ وَلَهۡوࣱ وَزِینَةࣱ وَتَفَاخُرُۢ بَیۡنَكُمۡ وَتَكَاثُرࣱ فِی ٱلۡأَمۡوَ ٰلِ وَٱلۡأَوۡلَـٰدِۖ كَمَثَلِ غَیۡثٍ أَعۡجَبَ ٱلۡكُفَّارَ نَبَاتُهُۥ ثُمَّ یَهِیجُ فَتَرَىٰهُ مُصۡفَرࣰّا ثُمَّ یَكُونُ حُطَـٰمࣰاۖ وَفِی ٱلۡـَٔاخِرَةِ عَذَابࣱ شَدِیدࣱ وَمَغۡفِرَةࣱ مِّنَ ٱللَّهِ وَرِضۡوَ ٰنࣱۚ وَمَا ٱلۡحَیَوٰةُ ٱلدُّنۡیَاۤ إِلَّا مَتَـٰعُ ٱلۡغُرُورِ ﴿20﴾
जान लो, सांसारिक जीवन तो बस एक खेल और तमाशा है और एक साज-सज्जा, और तुम्हारा आपस में एक-दूसरे पर बड़ाई जताना, और धन और सन्तान में परस्पर एक-दूसरे से बढ़ा हुआ प्रदर्शित करना। वर्षा का मिसाल की तरह जिसकी वनस्पति ने किसान का दिल मोह लिया। फिर वह पक जाती है; फिर तुम उसे देखते हो कि वह पीली हो गई। फिर वह चूर्ण-विचूर्ण होकर रह जाती है, जबकि आख़िरत में कठोर यातना भी है और अल्लाह की क्षमा और प्रसन्नता भी। सांसारिक जीवन तो केवल धोखे की सुख-सामग्री है
سَابِقُوۤا۟ إِلَىٰ مَغۡفِرَةࣲ مِّن رَّبِّكُمۡ وَجَنَّةٍ عَرۡضُهَا كَعَرۡضِ ٱلسَّمَاۤءِ وَٱلۡأَرۡضِ أُعِدَّتۡ لِلَّذِینَ ءَامَنُوا۟ بِٱللَّهِ وَرُسُلِهِۦۚ ذَ ٰلِكَ فَضۡلُ ٱللَّهِ یُؤۡتِیهِ مَن یَشَاۤءُۚ وَٱللَّهُ ذُو ٱلۡفَضۡلِ ٱلۡعَظِیمِ ﴿21﴾
अपने रब की क्षमा और उस जन्नत की ओर अग्रसर होने में एक-दूसरे से बाज़ी ले जाओ, जिसका विस्तार आकाश और धरती के विस्तार जैसा है, जो उन लोगों के लिए तैयार की गई है जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए हों। यह अल्लाह का उदार अनुग्रह है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। अल्लाह बड़े उदार अनुग्रह का मालिक है
مَاۤ أَصَابَ مِن مُّصِیبَةࣲ فِی ٱلۡأَرۡضِ وَلَا فِیۤ أَنفُسِكُمۡ إِلَّا فِی كِتَـٰبࣲ مِّن قَبۡلِ أَن نَّبۡرَأَهَاۤۚ إِنَّ ذَ ٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ یَسِیرࣱ ﴿22﴾
जो मुसीबतें भी धरती में आती है और तुम्हारे अपने ऊपर, वह अनिवार्यतः एक किताब में अंकित है, इससे पहले कि हम उसे अस्तित्व में लाएँ - निश्चय ही यह अल्लाह के लिए आसान है -
لِّكَیۡلَا تَأۡسَوۡا۟ عَلَىٰ مَا فَاتَكُمۡ وَلَا تَفۡرَحُوا۟ بِمَاۤ ءَاتَىٰكُمۡۗ وَٱللَّهُ لَا یُحِبُّ كُلَّ مُخۡتَالࣲ فَخُورٍ ﴿23﴾
(यह बात तुम्हें इसलिए बता दी गई) ताकि तुम उस चीज़ का अफ़सोस न करो जो तुम पर जाती रहे और न उसपर फूल जाओ जो उसने तुम्हें प्रदान की हो। अल्लाह किसी इतरानेवाले, बड़ाई जतानेवाले को पसन्द नहीं करता
ٱلَّذِینَ یَبۡخَلُونَ وَیَأۡمُرُونَ ٱلنَّاسَ بِٱلۡبُخۡلِۗ وَمَن یَتَوَلَّ فَإِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلۡغَنِیُّ ٱلۡحَمِیدُ ﴿24﴾
जो स्वयं कंजूसी करते है और लोगों को भी कंजूसी करने पर उकसाते है, और जो कोई मुँह मोड़े तो अल्लाह तो निस्पृह प्रशंसनीय है
لَقَدۡ أَرۡسَلۡنَا رُسُلَنَا بِٱلۡبَیِّنَـٰتِ وَأَنزَلۡنَا مَعَهُمُ ٱلۡكِتَـٰبَ وَٱلۡمِیزَانَ لِیَقُومَ ٱلنَّاسُ بِٱلۡقِسۡطِۖ وَأَنزَلۡنَا ٱلۡحَدِیدَ فِیهِ بَأۡسࣱ شَدِیدࣱ وَمَنَـٰفِعُ لِلنَّاسِ وَلِیَعۡلَمَ ٱللَّهُ مَن یَنصُرُهُۥ وَرُسُلَهُۥ بِٱلۡغَیۡبِۚ إِنَّ ٱللَّهَ قَوِیٌّ عَزِیزࣱ ﴿25﴾
निश्चय ही हमने अपने रसूलों को स्पष्ट प्रमाणों के साथ भेजा और उनके लिए किताब और तुला उतारी, ताकि लोग इनसाफ़ पर क़ायम हों। और लोहा भी उतारा, जिसमें बड़ी दहशत है और लोगों के लिए कितने ही लाभ है., और (किताब एवं तुला इसलिए भी उतारी) ताकि अल्लाह जान ले कि कौन परोक्ष में रहते हुए उसकी और उसके रसूलों की सहायता करता है। निश्चय ही अल्लाह शक्तिशाली, प्रभुत्वशाली है
وَلَقَدۡ أَرۡسَلۡنَا نُوحࣰا وَإِبۡرَ ٰهِیمَ وَجَعَلۡنَا فِی ذُرِّیَّتِهِمَا ٱلنُّبُوَّةَ وَٱلۡكِتَـٰبَۖ فَمِنۡهُم مُّهۡتَدࣲۖ وَكَثِیرࣱ مِّنۡهُمۡ فَـٰسِقُونَ ﴿26﴾
हमने नूह और इबराहीम को भेजा और उन दोनों की सन्तान में पैग़म्बरी और क़िताब रख दी। फिर उनमें से किसी ने तो संमार्ग अपनाया; किन्तु उनमें से अधिकतर अवज्ञाकारी थे
ثُمَّ قَفَّیۡنَا عَلَىٰۤ ءَاثَـٰرِهِم بِرُسُلِنَا وَقَفَّیۡنَا بِعِیسَى ٱبۡنِ مَرۡیَمَ وَءَاتَیۡنَـٰهُ ٱلۡإِنجِیلَۖ وَجَعَلۡنَا فِی قُلُوبِ ٱلَّذِینَ ٱتَّبَعُوهُ رَأۡفَةࣰ وَرَحۡمَةࣰۚ وَرَهۡبَانِیَّةً ٱبۡتَدَعُوهَا مَا كَتَبۡنَـٰهَا عَلَیۡهِمۡ إِلَّا ٱبۡتِغَاۤءَ رِضۡوَ ٰنِ ٱللَّهِ فَمَا رَعَوۡهَا حَقَّ رِعَایَتِهَاۖ فَـَٔاتَیۡنَا ٱلَّذِینَ ءَامَنُوا۟ مِنۡهُمۡ أَجۡرَهُمۡۖ وَكَثِیرࣱ مِّنۡهُمۡ فَـٰسِقُونَ ﴿27﴾
फिर उनके पीछ उन्हीं के पद-चिन्हों पर हमने अपने दूसरे रसूलों को भेजा और हमने उनके पीछे मरयम के बेटे ईसा को भेजा और उसे इंजील प्रदान की। और जिन लोगों ने उसका अनुसरण किया, उनके दिलों में हमने करुणा और दया रख दी। रहा संन्यास, तो उसे उन्होंने स्वयं घड़ा था। हमने उसे उनके लिए अनिवार्य नहीं किया था, यदि अनिवार्य किया था तो केवल अल्लाह की प्रसन्नता की चाहत। फिर वे उसका निर्वाह न कर सकें, जैसा कि उनका निर्वाह करना चाहिए था। अतः उन लोगों को, जो उनमें से वास्तव में ईमान लाए थे, उनका बदला हमने (उन्हें) प्रदान किया। किन्तु उनमें से अधिकतर अवज्ञाकारी ही है
یَـٰۤأَیُّهَا ٱلَّذِینَ ءَامَنُوا۟ ٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَءَامِنُوا۟ بِرَسُولِهِۦ یُؤۡتِكُمۡ كِفۡلَیۡنِ مِن رَّحۡمَتِهِۦ وَیَجۡعَل لَّكُمۡ نُورࣰا تَمۡشُونَ بِهِۦ وَیَغۡفِرۡ لَكُمۡۚ وَٱللَّهُ غَفُورࣱ رَّحِیمࣱ ﴿28﴾
ऐ लोगों, जो ईमान लाए हो! अल्लाह का डर रखो और उसके रसूल पर ईमान लाओ। वह तुम्हें अपनी दयालुता का दोहरा हिस्सा प्रदान करेगा और तुम्हारे लिए एक प्रकाश कर देगा, जिसमें तुम चलोगे और तुम्हें क्षमा कर देगा। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है
لِّئَلَّا یَعۡلَمَ أَهۡلُ ٱلۡكِتَـٰبِ أَلَّا یَقۡدِرُونَ عَلَىٰ شَیۡءࣲ مِّن فَضۡلِ ٱللَّهِ وَأَنَّ ٱلۡفَضۡلَ بِیَدِ ٱللَّهِ یُؤۡتِیهِ مَن یَشَاۤءُۚ وَٱللَّهُ ذُو ٱلۡفَضۡلِ ٱلۡعَظِیمِ ﴿29﴾
ताकि किताबवाले यह न समझें कि अल्लाह के अनुग्रह में से वे किसी चीज़ पर अधिकार न प्राप्त कर सकेंगे और यह कि अनुग्रह अल्लाह के हाथ में है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। अल्लाह बड़े अनुग्रह का मालिक है