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Surah The Fig [At-Tin] in Hindi

Surah The Fig [At-Tin] Ayah 8 Location Makkah Number 95

وَٱلتِّینِ وَٱلزَّیۡتُونِ ﴿1﴾

साक्षी है तीन और ज़ैतून

وَطُورِ سِینِینَ ﴿2﴾

और तूर सीनीन,

وَهَـٰذَا ٱلۡبَلَدِ ٱلۡأَمِینِ ﴿3﴾

और यह शान्तिपूर्ण भूमि (मक्का)

لَقَدۡ خَلَقۡنَا ٱلۡإِنسَـٰنَ فِیۤ أَحۡسَنِ تَقۡوِیمࣲ ﴿4﴾

निस्संदेह हमने मनुष्य को सर्वोत्तम संरचना के साथ पैदा किया

ثُمَّ رَدَدۡنَـٰهُ أَسۡفَلَ سَـٰفِلِینَ ﴿5﴾

फिर हमने उसे निकृष्टतम दशा की ओर लौटा दिया, जबकि वह स्वयं गिरनेवाला बना

إِلَّا ٱلَّذِینَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ فَلَهُمۡ أَجۡرٌ غَیۡرُ مَمۡنُونࣲ ﴿6﴾

सिवाय उन लोगों के जो ईमान लाए और जिन्होंने अच्छे कर्म किए, तो उनके लिए कभी न समाप्त होनेवाला बदला है

فَمَا یُكَذِّبُكَ بَعۡدُ بِٱلدِّینِ ﴿7﴾

अब इसके बाद क्या है, जो बदले के विषय में तुम्हें झुठलाए?

أَلَیۡسَ ٱللَّهُ بِأَحۡكَمِ ٱلۡحَـٰكِمِینَ ﴿8﴾

क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़ा हाकिम नहीं हैं?