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وَٱلصَّـٰۤفَّـٰتِ صَفࣰّا ﴿1﴾

(इबादत या जिहाद में) पर बाँधने वालों की (क़सम)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

गवाह है परा जमाकर पंक्तिबद्ध होनेवाले;

فَٱلزَّ ٰ⁠جِرَ ٰ⁠تِ زَجۡرࣰا ﴿2﴾

फिर (बदों को बुराई से) झिड़क कर डाँटने वाले की (क़सम)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर डाँटनेवाले;

فَٱلتَّـٰلِیَـٰتِ ذِكۡرًا ﴿3﴾

फिर कुरान पढ़ने वालों की क़सम है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर यह ज़िक्र करनेवाले

إِنَّ إِلَـٰهَكُمۡ لَوَ ٰ⁠حِدࣱ ﴿4﴾

तुम्हारा माबूद (यक़ीनी) एक ही है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु अकेला है।

رَّبُّ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَیۡنَهُمَا وَرَبُّ ٱلۡمَشَـٰرِقِ ﴿5﴾

जो सारे आसमान ज़मीन का और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है (सबका) परवरदिगार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह आकाशों और धरती और जो कुछ उनके बीच है सबका रब है और पूर्व दिशाओं का भी रब है

إِنَّا زَیَّنَّا ٱلسَّمَاۤءَ ٱلدُّنۡیَا بِزِینَةٍ ٱلۡكَوَاكِبِ ﴿6﴾

और (चाँद सूरज तारे के) तुलूउ व (गुरूब) के मक़ामात का भी मालिक है हम ही ने नीचे वाले आसमान को तारों की आरइश (जगमगाहट) से आरास्ता किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने दुनिया के आकाश को सजावट अर्थात तारों से सुसज्जित किया, (रात में मुसाफ़िरों को मार्ग दिखाने के लिए)

وَحِفۡظࣰا مِّن كُلِّ شَیۡطَـٰنࣲ مَّارِدࣲ ﴿7﴾

और (तारों को) हर सरकश शैतान से हिफ़ाज़त के वास्ते (भी पैदा किया)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और प्रत्येक सरकश शैतान से सुरक्षित रखने के लिए

لَّا یَسَّمَّعُونَ إِلَى ٱلۡمَلَإِ ٱلۡأَعۡلَىٰ وَیُقۡذَفُونَ مِن كُلِّ جَانِبࣲ ﴿8﴾

कि अब शैतान आलमे बाला की तरफ़ कान भी नहीं लगा सकते और (जहाँ सुन गुन लेना चाहा तो) हर तरफ़ से खदेड़ने के लिए शहाब फेके जाते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे (शैतान) \"मलए आला\" की ओर कान नहीं लगा पाते और हर ओर से फेंक मारे जाते है भगाने-धुतकारने के लिए।

دُحُورࣰاۖ وَلَهُمۡ عَذَابࣱ وَاصِبٌ ﴿9﴾

और उनके लिए पाएदार अज़ाब है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उनके लिए अनवरत यातना है

إِلَّا مَنۡ خَطِفَ ٱلۡخَطۡفَةَ فَأَتۡبَعَهُۥ شِهَابࣱ ثَاقِبࣱ ﴿10﴾

मगर जो (शैतान शाज़ व नादिर फरिश्तों की) कोई बात उचक ले भागता है तो आग का दहकता हुआ तीर उसका पीछा करता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु यह और बात है कि कोई कुछ उचक ले, इस दशा में एक तेज़ दहकती उल्का उसका पीछा करती है

فَٱسۡتَفۡتِهِمۡ أَهُمۡ أَشَدُّ خَلۡقًا أَم مَّنۡ خَلَقۡنَاۤۚ إِنَّا خَلَقۡنَـٰهُم مِّن طِینࣲ لَّازِبِۭ ﴿11﴾

तो (ऐ रसूल) तुम उनसे पूछो तो कि उनका पैदा करना ज्यादा दुश्वार है या उन (मज़कूरा) चीज़ों का जिनको हमने पैदा किया हमने तो उन लोगों को लसदार मिट्टी से पैदा किया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अब उनके पूछो कि उनके पैदा करने का काम अधिक कठिन है या उन चीज़ों का, जो हमने पैदा कर रखी है। निस्संदेह हमने उनको लेसकर मिट्टी से पैदा किया।

بَلۡ عَجِبۡتَ وَیَسۡخَرُونَ ﴿12﴾

बल्कि तुम (उन कुफ्फ़ार के इन्कार पर) ताज्जुब करते हो और वह लोग (तुमसे) मसख़रापन करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बल्कि तुम तो आश्चर्य में हो और वे है कि परिहास कर रहे है

وَإِذَا ذُكِّرُوا۟ لَا یَذۡكُرُونَ ﴿13﴾

और जब उन्हें समझाया जाता है तो समझते नहीं हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जब उन्हें याद दिलाया जाता है, तो वे याद नहीं करते,

وَإِذَا رَأَوۡا۟ ءَایَةࣰ یَسۡتَسۡخِرُونَ ﴿14﴾

और जब किसी मौजिजे क़ो देखते हैं तो (उससे) मसख़रापन करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जब कोई निशानी देखते है तो हँसी उड़ाते है

وَقَالُوۤا۟ إِنۡ هَـٰذَاۤ إِلَّا سِحۡرࣱ مُّبِینٌ ﴿15﴾

और कहते हैं कि ये तो बस खुला हुआ जादू है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और कहते है, \"यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है

أَءِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابࣰا وَعِظَـٰمًا أَءِنَّا لَمَبۡعُوثُونَ ﴿16﴾

भला जब हम मर जाएँगे और ख़ाक और हड्डियाँ रह जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या फिर हम उठाए जाएँगे?

أَوَءَابَاۤؤُنَا ٱلۡأَوَّلُونَ ﴿17﴾

तो क्या हम या हमारे अगले बाप दादा फिर दोबारा क़ब्रों से उठा खड़े किए जाँएगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या और हमारे पहले के बाप-दादा भी?\"

قُلۡ نَعَمۡ وَأَنتُمۡ دَ ٰ⁠خِرُونَ ﴿18﴾

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि हाँ (ज़रूर उठाए जाओगे)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कह दो, \"हाँ! और तुम अपमानित भी होंगे।\"

فَإِنَّمَا هِیَ زَجۡرَةࣱ وَ ٰ⁠حِدَةࣱ فَإِذَا هُمۡ یَنظُرُونَ ﴿19﴾

और तुम ज़लील होगे और वह (क़यामत) तो एक ललकार होगी फिर तो वह लोग फ़ौरन ही (ऑंखे फाड़-फाड़ के) देखने लगेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह तो बस एक झिड़की होगी। फिर क्या देखेंगे कि वे ताकने लगे है

وَقَالُوا۟ یَـٰوَیۡلَنَا هَـٰذَا یَوۡمُ ٱلدِّینِ ﴿20﴾

और कहेंगे हाए अफसोस ये तो क़यामत का दिन है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और वे कहेंगे, \"ऐ अफ़सोस हमपर! यह तो बदले का दिन है।\"

هَـٰذَا یَوۡمُ ٱلۡفَصۡلِ ٱلَّذِی كُنتُم بِهِۦ تُكَذِّبُونَ ﴿21﴾

(जवाब आएगा) ये वही फैसले का दिन है जिसको तुम लोग (दुनिया में) झूठ समझते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह वही फ़ैसले का दिन है जिसे तुम झुठलाते रहे हो

۞ ٱحۡشُرُوا۟ ٱلَّذِینَ ظَلَمُوا۟ وَأَزۡوَ ٰ⁠جَهُمۡ وَمَا كَانُوا۟ یَعۡبُدُونَ ﴿22﴾

(और फ़रिश्तों को हुक्म होगा कि) जो लोग (दुनिया में) सरकशी करते थे उनको और उनके साथियों को और खुदा को छोड़कर जिनकी परसतिश करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

(कहा जाएगा) \"एकत्र करो उन लोगों को जिन्होंने ज़ुल्म किया और उनके जोड़ीदारों को भी और उनको भी जिनकी अल्लाह से हटकर वे बन्दगी करते रहे है।

مِن دُونِ ٱللَّهِ فَٱهۡدُوهُمۡ إِلَىٰ صِرَ ٰ⁠طِ ٱلۡجَحِیمِ ﴿23﴾

उनको (सबको) इकट्ठा करो फिर उन्हें जहन्नुम की राह दिखाओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर उन सबको भड़कती हुई आग की राह दिखाओ!\"

وَقِفُوهُمۡۖ إِنَّهُم مَّسۡـُٔولُونَ ﴿24﴾

और (हाँ ज़रा) उन्हें ठहराओ तो उनसे कुछ पूछना है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और तनिक उन्हें ठहराओ, उनसे पूछना है,

یَقُولُ أَءِنَّكَ لَمِنَ ٱلۡمُصَدِّقِینَ ﴿52﴾

और (मुझसे) कहा करता था कि क्या तुम भी क़यामत की तसदीक़ करने वालों में हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो कहा करता था क्या तुम भी पुष्टि करनेवालों में से हो?

أَءِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابࣰا وَعِظَـٰمًا أَءِنَّا لَمَدِینُونَ ﴿53﴾

(भला जब हम मर जाएँगे) और (सड़ गल कर) मिट्टी और हव्ी (होकर) रह जाएँगे तो क्या हमको दोबारा ज़िन्दा करके हमारे (आमाल का) बदला दिया जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या जब हम मर चुके होंगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रह जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में बदला पाएँगे?\"

قَالَ هَلۡ أَنتُم مُّطَّلِعُونَ ﴿54﴾

(फिर अपने बेहश्त के साथियों से कहेगा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह कहेगा, \"क्या तुम झाँककर देखोगे?\"

فَٱطَّلَعَ فَرَءَاهُ فِی سَوَاۤءِ ٱلۡجَحِیمِ ﴿55﴾

तो क्या तुम लोग भी (मेरे साथ उसे झांक कर देखोगे) ग़रज़ झाँका तो उसे बीच जहन्नुम में (पड़ा हुआ) देखा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर वह झाँकेगा तो उसे भड़कती हुई आग के बीच में देखेगा

قَالَ تَٱللَّهِ إِن كِدتَّ لَتُرۡدِینِ ﴿56﴾

(ये देख कर बेसाख्ता) बोल उठेगा कि खुदा की क़सम तुम तो मुझे भी तबाह करने ही को थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कहेगा, \"अल्लाह की क़सम! तुम तो मुझे तबाह ही करने को थे

وَلَوۡلَا نِعۡمَةُ رَبِّی لَكُنتُ مِنَ ٱلۡمُحۡضَرِینَ ﴿57﴾

और अगर मेरे परवरदिगार का एहसान न होता तो मैं भी (इस वक्त) तेरी तरह जहन्नुम में गिरफ्तार किया गया होता

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि मेरे रब की अनुकम्पा न होती तो अवश्य ही मैं भी पकड़कर हाज़िर किए गए लोगों में से होता

أَفَمَا نَحۡنُ بِمَیِّتِینَ ﴿58﴾

(अब बताओ) क्या (मैं तुम से न कहता था) कि हम को इस पहली मौत के सिवा फिर मरना नहीं है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

है ना अब ऐसा कि हम मरने के नहीं।

إِلَّا مَوۡتَتَنَا ٱلۡأُولَىٰ وَمَا نَحۡنُ بِمُعَذَّبِینَ ﴿59﴾

और न हम पर (आख़ेरत) में अज़ाब होगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमें जो मृत्यु आनी थी वह बस पहले आ चुकी। और हमें कोई यातना ही दी जाएगी!\"

إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡعَظِیمُ ﴿60﴾

(तो तुम्हें यक़ीन न होता था) ये यक़ीनी बहुत बड़ी कामयाबी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही यही बड़ी सफलता है

لِمِثۡلِ هَـٰذَا فَلۡیَعۡمَلِ ٱلۡعَـٰمِلُونَ ﴿61﴾

ऐसी (ही कामयाबी) के वास्ते काम करने वालों को कारगुज़ारी करनी चाहिए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐसी की चीज़ के लिए कर्म करनेवालों को कर्म करना चाहिए

أَذَ ٰ⁠لِكَ خَیۡرࣱ نُّزُلًا أَمۡ شَجَرَةُ ٱلزَّقُّومِ ﴿62﴾

भला मेहमानी के वास्ते ये (सामान) बेहतर है या थोहड़ का दरख्त (जो जहन्नुमियों के वास्ते होगा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या वह आतिथ्य अच्छा है या 'ज़क़्क़ूम' का वृक्ष?

إِنَّا جَعَلۡنَـٰهَا فِتۡنَةࣰ لِّلظَّـٰلِمِینَ ﴿63﴾

जिसे हमने यक़ीनन ज़ालिमों की आज़माइश के लिए बनाया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही हमने उस (वृक्ष) को ज़ालिमों के लिए परीक्षा बना दिया है

إِنَّهَا شَجَرَةࣱ تَخۡرُجُ فِیۤ أَصۡلِ ٱلۡجَحِیمِ ﴿64﴾

ये वह दरख्त हैं जो जहन्नुम की तह में उगता है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वह एक वृक्ष है जो भड़कती हुई आग की तह से निकलता है

طَلۡعُهَا كَأَنَّهُۥ رُءُوسُ ٱلشَّیَـٰطِینِ ﴿65﴾

उसके फल ऐसे (बदनुमा) हैं गोया (हू बहू) साँप के फन जिसे छूते दिल डरे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसके गाभे मानो शैतानों के सिर (साँपों के फन) है

فَإِنَّهُمۡ لَـَٔاكِلُونَ مِنۡهَا فَمَالِـُٔونَ مِنۡهَا ٱلۡبُطُونَ ﴿66﴾

फिर ये (जहन्नुमी लोग) यक़ीनन उसमें से खाएँगे फिर उसी से अपने पेट भरेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो वे उसे खाएँगे और उसी से पेट भरेंगे

ثُمَّ إِنَّ لَهُمۡ عَلَیۡهَا لَشَوۡبࣰا مِّنۡ حَمِیمࣲ ﴿67﴾

फिर उसके ऊपर से उन को खूब खौलता हुआ पानी (पीप वग़ैरह में) मिला मिलाकर पीने को दिया जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर उनके लिए उसपर खौलते हुए पानी का मिश्रण होगा

ثُمَّ إِنَّ مَرۡجِعَهُمۡ لَإِلَى ٱلۡجَحِیمِ ﴿68﴾

फिर (खा पीकर) उनको जहन्नुम की तरफ यक़ीनन लौट जाना होगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर उनकी वापसी भड़कती हुई आग की ओर होगी

إِنَّهُمۡ أَلۡفَوۡا۟ ءَابَاۤءَهُمۡ ضَاۤلِّینَ ﴿69﴾

उन लोगों ने अपन बाप दादा को गुमराह पाया था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही उन्होंने अपने बाप-दादा को पथभ्रष्ट॥ पाया।

فَهُمۡ عَلَىٰۤ ءَاثَـٰرِهِمۡ یُهۡرَعُونَ ﴿70﴾

ये लोग भी उनके पीछे दौड़े चले जा रहे हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर वे उन्हीं के पद-चिन्हों पर दौड़ते रहे

وَلَقَدۡ ضَلَّ قَبۡلَهُمۡ أَكۡثَرُ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿71﴾

और उनके क़ब्ल अगलों में से बहुतेरे गुमराह हो चुके

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उनसे पहले भी पूर्ववर्ती लोगों में अधिकांश पथभ्रष्ट हो चुके है,

وَلَقَدۡ أَرۡسَلۡنَا فِیهِم مُّنذِرِینَ ﴿72﴾

उन लोगों के डराने वाले (पैग़म्बरों) को भेजा था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने उनमें सचेत करनेवाले भेजे थे।

فَٱنظُرۡ كَیۡفَ كَانَ عَـٰقِبَةُ ٱلۡمُنذَرِینَ ﴿73﴾

ज़रा देखो तो कि जो लोग डराए जा चुके थे उनका क्या बुरा अन्जाम हुआ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो अब देख लो उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जिन्हे सचेत किया गया था

إِلَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِینَ ﴿74﴾

मगर (हाँ) खुदा के निरे खरे बन्दे (महफूज़ रहे)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अलबत्ता अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है

وَلَقَدۡ نَادَىٰنَا نُوحࣱ فَلَنِعۡمَ ٱلۡمُجِیبُونَ ﴿75﴾

और नूह ने (अपनी कौम से मायूस होकर) हमें ज़रूर पुकारा था (देखो हम) क्या खूब जवाब देने वाले थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

नूह ने हमको पुकारा था, तो हम कैसे अच्छे है निवेदन स्वीकार करनेवाले!

وَنَجَّیۡنَـٰهُ وَأَهۡلَهُۥ مِنَ ٱلۡكَرۡبِ ٱلۡعَظِیمِ ﴿76﴾

और हमने उनको और उनके लड़के वालों को बड़ी (सख्त) मुसीबत से नजात दी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने उसे और उसके लोगों को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया

وَجَعَلۡنَا ذُرِّیَّتَهُۥ هُمُ ٱلۡبَاقِینَ ﴿77﴾

और हमने (उनमें वह बरकत दी कि) उनकी औलाद को (दुनिया में) बरक़रार रखा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने उसकी सतति (औलाद व अनुयायी) ही को बाक़ी रखा

وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِ فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿78﴾

और बाद को आने वाले लोगों में उनका अच्छा चर्चा बाक़ी रखा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा

سَلَـٰمٌ عَلَىٰ نُوحࣲ فِی ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿79﴾

कि सारी खुदायी में (हर तरफ से) नूह पर सलाम है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि \"सलाम है नूह पर सम्पूर्ण संसारवालों में!\"

إِنَّا كَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿80﴾

हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर अता फरमाते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है

إِنَّهُۥ مِنۡ عِبَادِنَا ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿81﴾

इसमें शक नहीं कि नूह हमारे (ख़ास) ईमानदार बन्दों से थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था

ثُمَّ أَغۡرَقۡنَا ٱلۡـَٔاخَرِینَ ﴿82﴾

फिर हमने बाक़ी लोगों को डुबो दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर हमने दूसरो को डूबो दिया।

۞ وَإِنَّ مِن شِیعَتِهِۦ لَإِبۡرَ ٰ⁠هِیمَ ﴿83﴾

और यक़ीनन उन्हीं के तरीक़ो पर चलने वालों में इबराहीम (भी) ज़रूर थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और इबराहीम भी उसी के सहधर्मियों में से था।

إِذۡ جَاۤءَ رَبَّهُۥ بِقَلۡبࣲ سَلِیمٍ ﴿84﴾

जब वह अपने परवरदिगार (कि इबादत) की तरफ (पहलू में) ऐसा दिल लिए हुए बढ़े जो (हर ऐब से पाक था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

याद करो, जब वह अपने रब के समक्ष भला-चंगा हृदय लेकर आया;

إِذۡ قَالَ لِأَبِیهِ وَقَوۡمِهِۦ مَاذَا تَعۡبُدُونَ ﴿85﴾

जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा कि तुम लोग किस चीज़ की परसतिश करते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौम के लोगों से कहा, \"तुम किस चीज़ की पूजा करते हो?

أَىِٕفۡكًا ءَالِهَةࣰ دُونَ ٱللَّهِ تُرِیدُونَ ﴿86﴾

क्या खुदा को छोड़कर दिल से गढ़े हुए माबूदों की तमन्ना रखते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या अल्लाह से हटकर मनघड़ंत उपास्यों को चाह रहे हो?

فَمَا ظَنُّكُم بِرَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿87﴾

फिर सारी खुदाई के पालने वाले के साथ तुम्हारा क्या ख्याल है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

आख़िर सारे संसार के रब के विषय में तुम्हारा क्या गुमान है?\"

فَنَظَرَ نَظۡرَةࣰ فِی ٱلنُّجُومِ ﴿88﴾

फिर (एक ईद में उन लोगों ने चलने को कहा) तो इबराहीम ने सितारों की तरफ़ एक नज़र देखा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर उसने एक दृष्टि तारों पर डाली

فَقَالَ إِنِّی سَقِیمࣱ ﴿89﴾

और कहा कि मैं (अनक़रीब) बीमार पड़ने वाला हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और कहा, \"मैं तो निढाल हूँ।\"

فَتَوَلَّوۡا۟ عَنۡهُ مُدۡبِرِینَ ﴿90﴾

तो वह लोग इबराहीम के पास से पीठ फेर फेर कर हट गए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतएव वे उसे छोड़कर चले गए पीठ फेरकर

فَرَاغَ إِلَىٰۤ ءَالِهَتِهِمۡ فَقَالَ أَلَا تَأۡكُلُونَ ﴿91﴾

(बस) फिर तो इबराहीम चुपके से उनके बुतों की तरफ मुतावज्जे हुए और (तान से) कहा तुम्हारे सामने इतने चढ़ाव रखते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर वह आँख बचाकर उनके देवताओं की ओर गया और कहा, \"क्या तुम खाते नहीं?

مَا لَكُمۡ لَا تَنطِقُونَ ﴿92﴾

आख़िर तुम खाते क्यों नहीं (अरे तुम्हें क्या हो गया है)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम्हें क्या हुआ है कि तुम बोलते नहीं?\"

فَرَاغَ عَلَیۡهِمۡ ضَرۡبَۢا بِٱلۡیَمِینِ ﴿93﴾

कि तुम बोलते तक नहीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर वह भरपूर हाथ मारते हुए उनपर पिल पड़ा

فَأَقۡبَلُوۤا۟ إِلَیۡهِ یَزِفُّونَ ﴿94﴾

फिर तो इबराहीम दाहिने हाथ से मारते हुए उन पर पिल पड़े (और तोड़-फोड़ कर एक बड़े बुत के गले में कुल्हाड़ी डाल दी)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर वे लोग झपटते हुए उसकी ओर आए

قَالَ أَتَعۡبُدُونَ مَا تَنۡحِتُونَ ﴿95﴾

जब उन लोगों को ख़बर हुई तो इबराहीम के पास दौड़ते हुए पहुँचे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"क्या तुम उनको पूजते हो, जिन्हें स्वयं तराशते हो,

وَٱللَّهُ خَلَقَكُمۡ وَمَا تَعۡمَلُونَ ﴿96﴾

इबराहीम ने कहा (अफ़सोस) तुम लोग उसकी परसतिश करते हो जिसे तुम लोग खुद तराश कर बनाते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जबकि अल्लाह ने तुम्हे भी पैदा किया है और उनको भी, जिन्हें तुम बनाते हो?\"

قَالُوا۟ ٱبۡنُوا۟ لَهُۥ بُنۡیَـٰنࣰا فَأَلۡقُوهُ فِی ٱلۡجَحِیمِ ﴿97﴾

हालाँकि तुमको और जिसको तुम लोग बनाते हो (सबको) खुदा ही ने पैदा किया है (ये सुनकर) वह लोग (आपस में कहने लगे) इसके लिए (भट्टी की सी) एक इमारत बनाओ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे बोले, \"उनके लिए एक मकान (अर्थात अग्नि-कुंड) तैयार करके उसे भड़कती आग में डाल दो!\"

فَأَرَادُوا۟ بِهِۦ كَیۡدࣰا فَجَعَلۡنَـٰهُمُ ٱلۡأَسۡفَلِینَ ﴿98﴾

और (उसमें आग सुलगा कर उसी दहकती हुई आग में इसको डाल दो) फिर उन लोगों ने इबराहीम के साथ मक्कारी करनी चाही

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः उन्होंने उसके साथ एक चाल चलनी चाही, किन्तु हमने उन्हीं को नीचा दिखा दिया

وَقَالَ إِنِّی ذَاهِبٌ إِلَىٰ رَبِّی سَیَهۡدِینِ ﴿99﴾

तो हमने (आग सर्द गुलज़ार करके) उन्हें नीचा दिखाया और जब (आज़र ने) इबराहीम को निकाल दिया तो बोले मैं अपने परवरदिगार की तरफ जाता हूँ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, \"मैं अपने रब की ओर जा रहा हूँ, वह मेरा मार्गदर्शन करेगा

رَبِّ هَبۡ لِی مِنَ ٱلصَّـٰلِحِینَ ﴿100﴾

वह अनक़रीब ही मुझे रूबरा कर देगा (फिर ग़रज की) परवरदिगार मुझे एक नेको कार (फरज़न्द) इनायत फरमा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ मेरे रब! मुझे कोई नेक संतान प्रदान कर।\"

فَبَشَّرۡنَـٰهُ بِغُلَـٰمٍ حَلِیمࣲ ﴿101﴾

तो हमने उनको एक बड़े नरम दिले लड़के (के पैदा होने की) खुशख़बरी दी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो हमने उसे एक सहनशील पुत्र की शुभ सूचना दी

فَلَمَّا بَلَغَ مَعَهُ ٱلسَّعۡیَ قَالَ یَـٰبُنَیَّ إِنِّیۤ أَرَىٰ فِی ٱلۡمَنَامِ أَنِّیۤ أَذۡبَحُكَ فَٱنظُرۡ مَاذَا تَرَىٰۚ قَالَ یَـٰۤأَبَتِ ٱفۡعَلۡ مَا تُؤۡمَرُۖ سَتَجِدُنِیۤ إِن شَاۤءَ ٱللَّهُ مِنَ ٱلصَّـٰبِرِینَ ﴿102﴾

फिर जब इस्माईल अपने बाप के साथ दौड़ धूप करने लगा तो (एक दफा) इबराहीम ने कहा बेटा खूब मैं (वही के ज़रिये क्या) देखता हूँ कि मैं तो खुद तुम्हें ज़िबाह कर रहा हूँ तो तुम भी ग़ौर करो तुम्हारी इसमें क्या राय है इसमाईल ने कहा अब्बा जान जो आपको हुक्म हुआ है उसको (बे तअम्मुल) कीजिए अगर खुदा ने चाहा तो मुझे आप सब्र करने वालों में से पाएगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर जब वह उसके साथ दौड़-धूप करने की अवस्था को पहुँचा तो उसने कहा, \"ऐ मेरे प्रिय बेटे! मैं स्वप्न में देखता हूँ कि तुझे क़ुरबान कर रहा हूँ। तो अब देख, तेरा क्या विचार है?\" उसने कहा, \"ऐ मेरे बाप! जो कुछ आपको आदेश दिया जा रहा है उसे कर डालिए। अल्लाह ने चाहा तो आप मुझे धैर्यवान पाएँगे।\"

فَلَمَّاۤ أَسۡلَمَا وَتَلَّهُۥ لِلۡجَبِینِ ﴿103﴾

फिर जब दोनों ने ये ठान ली और बाप ने बेटे को (ज़िबाह करने के लिए) माथे के बल लिटाया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अन्ततः जब दोनों ने अपने आपको (अल्लाह के आगे) झुका दिया और उसने (इबाराहीम ने) उसे कनपटी के बल लिटा दिया (तो उस समय क्या दृश्य रहा होगा, सोचो!)

وَنَـٰدَیۡنَـٰهُ أَن یَـٰۤإِبۡرَ ٰ⁠هِیمُ ﴿104﴾

और हमने (आमादा देखकर) आवाज़ दी ऐ इबराहीम

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने उसे पुकारा, \"ऐ इबराहीम!

قَدۡ صَدَّقۡتَ ٱلرُّءۡیَاۤۚ إِنَّا كَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿105﴾

तुमने अपने ख्वाब को सच कर दिखाया अब तुम दोनों को बड़े मरतबे मिलेगें हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर देते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तूने स्वप्न को सच कर दिखाया। निस्संदेह हम उत्तमकारों को इसी प्रकार बदला देते है।\"

إِنَّ هَـٰذَا لَهُوَ ٱلۡبَلَـٰۤؤُا۟ ٱلۡمُبِینُ ﴿106﴾

इसमें शक नहीं कि ये यक़ीनी बड़ा सख्त और सरीही इम्तिहान था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह यह तो एक खुली हूई परीक्षा थी

وَفَدَیۡنَـٰهُ بِذِبۡحٍ عَظِیمࣲ ﴿107﴾

और हमने इस्माईल का फ़िदया एक ज़िबाहे अज़ीम (बड़ी कुर्बानी) क़रार दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने उसे (बेटे को) एक बड़ी क़ुरबानी के बदले में छुड़ा लिया

وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِ فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿108﴾

और हमने उनका अच्छा चर्चा बाद को आने वालों में बाक़ी रखा है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका ज़िक्र छोड़ा,

سَلَـٰمٌ عَلَىٰۤ إِبۡرَ ٰ⁠هِیمَ ﴿109﴾

कि (सारी खुदायी में) इबराहीम पर सलाम (ही सलाम) हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि \"सलाम है इबराहीम पर।\"

كَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿110﴾

हम यूँ नेकी करने वालों को जज़ाए ख़ैर देते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उत्तमकारों को हम ऐसा ही बदला देते है

إِنَّهُۥ مِنۡ عِبَادِنَا ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿111﴾

बेशक इबराहीम हमारे (ख़ास) ईमानदार बन्दों में थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था

وَبَشَّرۡنَـٰهُ بِإِسۡحَـٰقَ نَبِیࣰّا مِّنَ ٱلصَّـٰلِحِینَ ﴿112﴾

और हमने इबराहीम को इसहाक़ (के पैदा होने की) खुशख़बरी दी थी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने उसे इसहाक़ की शुभ सूचना दी, अच्छों में से एक नबी

وَبَـٰرَكۡنَا عَلَیۡهِ وَعَلَىٰۤ إِسۡحَـٰقَۚ وَمِن ذُرِّیَّتِهِمَا مُحۡسِنࣱ وَظَالِمࣱ لِّنَفۡسِهِۦ مُبِینࣱ ﴿113﴾

जो एक नेकोसार नबी थे और हमने खुद इबराहीम पर और इसहाक़ पर अपनी बरकत नाज़िल की और इन दोनों की नस्ल में बाज़ तो नेकोकार और बाज़ (नाफरमानी करके) अपनी जान पर सरीही सितम ढ़ाने वाला

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने उसे और इसहाक़ को बरकत दी। और उन दोनों की संतति में कोई तो उत्तमकार है और कोई अपने आप पर खुला ज़ुल्म करनेवाला

وَلَقَدۡ مَنَنَّا عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَـٰرُونَ ﴿114﴾

और हमने मूसा और हारून पर बहुत से एहसानात किए हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हम मूसा और हारून पर भी उपकार कर चुके है

وَنَجَّیۡنَـٰهُمَا وَقَوۡمَهُمَا مِنَ ٱلۡكَرۡبِ ٱلۡعَظِیمِ ﴿115﴾

और खुद दोनों को और इनकी क़ौम को बड़ी (सख्त) मुसीबत से नजात दी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने उन्हें और उनकी क़ौम को बड़ी घुटन और बेचैनी से छुटकारा दिया

وَنَصَرۡنَـٰهُمۡ فَكَانُوا۟ هُمُ ٱلۡغَـٰلِبِینَ ﴿116﴾

और (फिरऔन के मुक़ाबले में) हमने उनकी मदद की तो (आख़िर) यही लोग ग़ालिब रहे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने उनकी सहायता की, तो वही प्रभावी रहे

وَءَاتَیۡنَـٰهُمَا ٱلۡكِتَـٰبَ ٱلۡمُسۡتَبِینَ ﴿117﴾

और हमने उन दोनों को एक वाज़ेए उलम तालिब किताब (तौरेत) अता की

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने उनको अत्यन्त स्पष्टा किताब प्रदान की।

وَهَدَیۡنَـٰهُمَا ٱلصِّرَ ٰ⁠طَ ٱلۡمُسۡتَقِیمَ ﴿118﴾

और दोनों को सीधी राह की हिदायत फ़रमाई

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उन्हें सीधा मार्ग दिखाया

وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِمَا فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿119﴾

और बाद को आने वालों में उनका ज़िक्रे ख़ैर बाक़ी रखा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा

سَلَـٰمٌ عَلَىٰ مُوسَىٰ وَهَـٰرُونَ ﴿120﴾

कि (हर जगह) मूसा और हारून पर सलाम (ही सलाम) है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि \"सलाम है मूसा और हारून पर!\"

إِنَّا كَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿121﴾

हम नेकी करने वालों को यूँ जज़ाए ख़ैर अता फरमाते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा बदला देते है

إِنَّهُمَا مِنۡ عِبَادِنَا ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿122﴾

बेशक ये दोनों हमारे (ख़ालिस ईमानदार बन्दों में से थे)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही वे दोनों हमारे ईमानवाले बन्दों में से थे

وَإِنَّ إِلۡیَاسَ لَمِنَ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿123﴾

और इसमें शक नहीं कि इलियास यक़ीनन पैग़म्बरों में से थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निस्संदेह इलयास भी रसूलों में से था।

إِذۡ قَالَ لِقَوۡمِهِۦۤ أَلَا تَتَّقُونَ ﴿124﴾

जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा कि तुम लोग (ख़ुदा से) क्यों नहीं डरते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

याद करो, जब उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, \"क्या तुम डर नहीं रखते?

أَتَدۡعُونَ بَعۡلࣰا وَتَذَرُونَ أَحۡسَنَ ٱلۡخَـٰلِقِینَ ﴿125﴾

क्या तुम लोग बाल (बुत) की परसतिश करते हो और खुदा को छोड़े बैठे हो जो सबसे बेहतर पैदा करने वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुम 'बअत' (देवता) को पुकारते हो और सर्वोत्तम सृष्टा। को छोड़ देते हो;

ٱللَّهَ رَبَّكُمۡ وَرَبَّ ءَابَاۤىِٕكُمُ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿126﴾

और (जो) तुम्हारा परवरदिगार और तुम्हारे अगले बाप दादाओं का (भी) परवरदिगार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अपने रब और अपने अगले बाप-दादा के रब, अल्लाह को!\"

فَكَذَّبُوهُ فَإِنَّهُمۡ لَمُحۡضَرُونَ ﴿127﴾

तो उसे लोगों ने झुठला दिया तो ये लोग यक़ीनन (जहन्नुम) में गिरफ्तार किए जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। सौ वे निश्चय ही पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे

إِلَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِینَ ﴿128﴾

मगर खुदा के निरे खरे बन्दे महफूज़ रहेंगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह के बन्दों की बात और है, जिनको उसने चुन लिया है

وَتَرَكۡنَا عَلَیۡهِ فِی ٱلۡـَٔاخِرِینَ ﴿129﴾

और हमने उनका ज़िक्र ख़ैर बाद को आने वालों में बाक़ी रखा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने पीछे आनेवाली नस्लों में उसका अच्छा ज़िक्र छोड़ा

سَلَـٰمٌ عَلَىٰۤ إِلۡ یَاسِینَ ﴿130﴾

कि (हर तरफ से) आले यासीन पर सलाम (ही सलाम) है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि \"सलाम है इलयास पर!\"

إِنَّا كَذَ ٰ⁠لِكَ نَجۡزِی ٱلۡمُحۡسِنِینَ ﴿131﴾

हम यक़ीनन नेकी करने वालों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह हम उत्तमकारों को ऐसा ही बदला देते है

إِنَّهُۥ مِنۡ عِبَادِنَا ٱلۡمُؤۡمِنِینَ ﴿132﴾

बेशक वह हमारे (ख़ालिस) ईमानदार बन्दों में थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही वह हमारे ईमानवाले बन्दों में से था

وَإِنَّ لُوطࣰا لَّمِنَ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿133﴾

और इसमें भी शक नहीं कि लूत यक़ीनी पैग़म्बरों में से थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निश्चय ही लूत भी रसूलों में से था

إِذۡ نَجَّیۡنَـٰهُ وَأَهۡلَهُۥۤ أَجۡمَعِینَ ﴿134﴾

जब हमने उनको और उनके लड़के वालों सब को नजात दी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

याद करो, जब हमने उसे और उसके सभी लोगों को बचा लिया,

إِلَّا عَجُوزࣰا فِی ٱلۡغَـٰبِرِینَ ﴿135﴾

मगर एक (उनकी) बूढ़ी बीबी जो पीछे रह जाने वालों ही में थीं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सिवाय एक बुढ़िया के, जो पीछे रह जानेवालों में से थी

ثُمَّ دَمَّرۡنَا ٱلۡـَٔاخَرِینَ ﴿136﴾

फिर हमने बाक़ी लोगों को तबाह व बर्बाद कर दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर दूसरों को हमने तहस-नहस करके रख दिया

وَإِنَّكُمۡ لَتَمُرُّونَ عَلَیۡهِم مُّصۡبِحِینَ ﴿137﴾

और ऐ अहले मक्का तुम लोग भी उन पर से (कभी) सुबह को और (कभी) शाम को (आते जाते गुज़रते हो)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निस्संदेह तुम उनपर (उनके क्षेत्र) से गुज़रते हो कभी प्रातः करते हुए

وَبِٱلَّیۡلِۚ أَفَلَا تَعۡقِلُونَ ﴿138﴾

तो क्या तुम (इतना भी) नहीं समझते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और रात में भी। तो क्या तुम बुद्धि से काम नहीं लेते?

وَإِنَّ یُونُسَ لَمِنَ ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿139﴾

और इसमें शक नहीं कि यूनुस (भी) पैग़म्बरों में से थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निस्संदेह यूनुस भी रसूलो में से था

إِذۡ أَبَقَ إِلَى ٱلۡفُلۡكِ ٱلۡمَشۡحُونِ ﴿140﴾

(वह वक्त याद करो) जब यूनुस भाग कर एक भरी हुई कश्ती के पास पहुँचे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

याद करो, जब वह भरी नौका की ओर भाग निकला,

فَسَاهَمَ فَكَانَ مِنَ ٱلۡمُدۡحَضِینَ ﴿141﴾

तो (अहले कश्ती ने) कुरआ डाला तो (उनका ही नाम निकला) यूनुस ने ज़क उठायी (और दरिया में गिर पड़े)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर पर्ची डालने में शामिल हुआ और उसमें मात खाई

فَٱلۡتَقَمَهُ ٱلۡحُوتُ وَهُوَ مُلِیمࣱ ﴿142﴾

तो उनको एक मछली निगल गयी और यूनुस खुद (अपनी) मलामत कर रहे थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर उसे मछली ने निगल लिया और वह निन्दनीय दशा में ग्रस्त हो गया था।

فَلَوۡلَاۤ أَنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلۡمُسَبِّحِینَ ﴿143﴾

फिर अगर यूनुस (खुदा की) तसबीह (व ज़िक्र) न करते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अब यदि वह तसबीह करनेवाला न होता

لَلَبِثَ فِی بَطۡنِهِۦۤ إِلَىٰ یَوۡمِ یُبۡعَثُونَ ﴿144﴾

तो रोज़े क़यामत तक मछली के पेट में रहते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो उसी के भीतर उस दिन तक पड़ा रह जाता, जबकि लोग उठाए जाएँगे।

۞ فَنَبَذۡنَـٰهُ بِٱلۡعَرَاۤءِ وَهُوَ سَقِیمࣱ ﴿145﴾

फिर हमने उनको (मछली के पेट से निकाल कर) एक खुले मैदान में डाल दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अन्ततः हमने उसे इस दशा में कि वह निढ़ाल था, साफ़ मैदान में डाल दिया।

وَأَنۢبَتۡنَا عَلَیۡهِ شَجَرَةࣰ مِّن یَقۡطِینࣲ ﴿146﴾

और (वह थोड़ी देर में) बीमार निढाल हो गए थे और हमने उन पर साये के लिए एक कद्दू का दरख्त उगा दिया

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हमने उसपर बेलदार वृक्ष उगाया था

وَأَرۡسَلۡنَـٰهُ إِلَىٰ مِا۟ئَةِ أَلۡفٍ أَوۡ یَزِیدُونَ ﴿147﴾

और (इसके बाद) हमने एक लाख बल्कि (एक हिसाब से) ज्यादा आदमियों की तरफ (पैग़म्बर बना कर भेजा)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमने उसे एक लाख या उससे अधिक (लोगों) की ओर भेजा

فَـَٔامَنُوا۟ فَمَتَّعۡنَـٰهُمۡ إِلَىٰ حِینࣲ ﴿148﴾

तो वह लोग (उन पर) ईमान लाए फिर हमने (भी) एक ख़ास वक्त तक उनको चैन से रखा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर वे ईमान लाए तो हमने उन्हें एक अवधि कर सुख भोगने का अवसर दिया।

فَٱسۡتَفۡتِهِمۡ أَلِرَبِّكَ ٱلۡبَنَاتُ وَلَهُمُ ٱلۡبَنُونَ ﴿149﴾

तो (ऐ रसूल) उन कुफ्फ़ार से पूछो कि क्या तुम्हारे परवरदिगार के लिए बेटियाँ हैं और उनके लिए बेटे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अब उनसे पूछो, \"क्या तुम्हारे रब के लिए तो बेटियाँ हों और उनके अपने लिए बेटे?

أَمۡ خَلَقۡنَا ٱلۡمَلَـٰۤىِٕكَةَ إِنَـٰثࣰا وَهُمۡ شَـٰهِدُونَ ﴿150﴾

(क्या वाक़ई) हमने फरिश्तों की औरतें बनाया है और ये लोग (उस वक्त) मौजूद थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या हमने फ़रिश्तों को औरतें बनाया और यह उनकी आँखों देखी बात हैं?\"

أَلَاۤ إِنَّهُم مِّنۡ إِفۡكِهِمۡ لَیَقُولُونَ ﴿151﴾

ख़बरदार (याद रखो कि) ये लोग यक़ीनन अपने दिल से गढ़-गढ़ के कहते हैं कि खुदा औलाद वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सुन लो, निश्चय ही वे अपनी मनघड़ंत कहते है

وَلَدَ ٱللَّهُ وَإِنَّهُمۡ لَكَـٰذِبُونَ ﴿152﴾

और ये लोग यक़ीनी झूठे हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि \"अल्लाह के औलाद हुई है!\" निश्चय ही वे झूठे है।

أَصۡطَفَى ٱلۡبَنَاتِ عَلَى ٱلۡبَنِینَ ﴿153﴾

क्या खुदा ने (अपने लिए) बेटियों को बेटों पर तरजीह दी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या उसने बेटों की अपेक्षा बेटियाँ चुन ली है?

مَا لَكُمۡ كَیۡفَ تَحۡكُمُونَ ﴿154﴾

(अरे कम्बख्तों) तुम्हें क्या जुनून हो गया है तुम लोग (बैठे-बैठे) कैसा फैसला करते हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम्हें क्या हो गया है? तुम कैसा फ़ैसला करते हो?

أَفَلَا تَذَكَّرُونَ ﴿155﴾

तो क्या तुम (इतना भी) ग़ौर नहीं करते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो क्या तुम होश से काम नहीं लेते?

أَمۡ لَكُمۡ سُلۡطَـٰنࣱ مُّبِینࣱ ﴿156﴾

या तुम्हारे पास (इसकी) कोई वाज़ेए व रौशन दलील है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुम्हारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण है?

فَأۡتُوا۟ بِكِتَـٰبِكُمۡ إِن كُنتُمۡ صَـٰدِقِینَ ﴿157﴾

तो अगर तुम (अपने दावे में) सच्चे हो तो अपनी किताब पेश करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो लाओ अपनी किताब, यदि तुम सच्चे हो

وَجَعَلُوا۟ بَیۡنَهُۥ وَبَیۡنَ ٱلۡجِنَّةِ نَسَبࣰاۚ وَلَقَدۡ عَلِمَتِ ٱلۡجِنَّةُ إِنَّهُمۡ لَمُحۡضَرُونَ ﴿158﴾

और उन लोगों ने खुदा और जिन्नात के दरमियान रिश्ता नाता मुक़र्रर किया है हालाँकि जिन्नात बखूबी जानते हैं कि वह लोग यक़ीनी (क़यामत में बन्दों की तरह) हाज़िर किए जाएँगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उन्होंने अल्लाह और जिन्नों के बीच नाता जोड़ रखा है, हालाँकि जिन्नों को भली-भाँति मालूम है कि वे अवश्य पकड़कर हाज़िर किए जाएँगे-

سُبۡحَـٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا یَصِفُونَ ﴿159﴾

ये लोग जो बातें बनाया करते हैं इनसे खुदा पाक साफ़ है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

महान और उच्च है अल्लाह उससे, जो वे बयान करते है। -

إِلَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِینَ ﴿160﴾

मगर खुदा के निरे खरे बन्दे (ऐसा नहीं कहते)

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह के उन बन्दों की बात और है, जिन्हें उसने चुन लिया

فَإِنَّكُمۡ وَمَا تَعۡبُدُونَ ﴿161﴾

ग़रज़ तुम लोग खुद और तुम्हारे माबूद

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः तुम और जिनको तुम पूजते हो वे,

مَاۤ أَنتُمۡ عَلَیۡهِ بِفَـٰتِنِینَ ﴿162﴾

उसके ख़िलाफ (किसी को) बहका नहीं सकते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तुम सब अल्लाह के विरुद्ध किसी को बहका नहीं सकते,

إِلَّا مَنۡ هُوَ صَالِ ٱلۡجَحِیمِ ﴿163﴾

मगर उसको जो जहन्नुम में झोंका जाने वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

सिवाय उसके जो जहन्नम की भड़कती आग में पड़ने ही वाला हो

وَمَا مِنَّاۤ إِلَّا لَهُۥ مَقَامࣱ مَّعۡلُومࣱ ﴿164﴾

और फरिश्ते या आइम्मा तो ये कहते हैं कि मैं हर एक का एक दरजा मुक़र्रर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमारी ओर से उसके लिए अनिवार्यतः एक ज्ञात और नियत स्थान है

وَإِنَّا لَنَحۡنُ ٱلصَّاۤفُّونَ ﴿165﴾

और हम तो यक़ीनन (उसकी इबादत के लिए) सफ बाँधे खड़े रहते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हम ही पंक्तिबद्ध करते है।

وَإِنَّا لَنَحۡنُ ٱلۡمُسَبِّحُونَ ﴿166﴾

और हम तो यक़ीनी (उसकी) तस्बीह पढ़ा करते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हम ही महानता बयान करते है

وَإِن كَانُوا۟ لَیَقُولُونَ ﴿167﴾

अगरचे ये कुफ्फार (इस्लाम के क़ब्ल) कहा करते थे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वे तो कहा करते थे,

لَوۡ أَنَّ عِندَنَا ذِكۡرࣰا مِّنَ ٱلۡأَوَّلِینَ ﴿168﴾

कि अगर हमारे पास भी अगले लोगों का तज़किरा (किसी किताबे खुदा में) होता

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"यदि हमारे पास पिछलों की कोई शिक्षा होती

لَكُنَّا عِبَادَ ٱللَّهِ ٱلۡمُخۡلَصِینَ ﴿169﴾

तो हम भी खुदा के निरे खरे बन्दे ज़रूर हो जाते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो हम अल्लाह के चुने हुए बन्दे होते।\"

فَكَفَرُوا۟ بِهِۦۖ فَسَوۡفَ یَعۡلَمُونَ ﴿170﴾

(मगर जब किताब आयी) तो उन लोगों ने उससे इन्कार किया ख़ैर अनक़रीब (उसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

किन्तु उन्होंने इनकार कर दिया, तो अब जल्द ही वे जान लेंगे

وَلَقَدۡ سَبَقَتۡ كَلِمَتُنَا لِعِبَادِنَا ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿171﴾

और अपने ख़ास बन्दों पैग़म्बरों से हमारी बात पक्की हो चुकी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और हमारे अपने उन बन्दों के हक़ में, जो रसूल बनाकर भेजे गए, हमारी बात पहले ही निश्चित हो चुकी है

إِنَّهُمۡ لَهُمُ ٱلۡمَنصُورُونَ ﴿172﴾

कि इन लोगों की (हमारी बारगाह से) यक़ीनी मदद की जाएगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कि निश्चय ही उन्हीं की सहायता की जाएगी।

وَإِنَّ جُندَنَا لَهُمُ ٱلۡغَـٰلِبُونَ ﴿173﴾

और हमारा लश्कर तो यक़ीनन ग़ालिब रहेगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और निश्चय ही हमारी सेना ही प्रभावी रहेगी

فَتَوَلَّ عَنۡهُمۡ حَتَّىٰ حِینࣲ ﴿174﴾

तो (ऐ रसूल) तुम उनसे एक ख़ास वक्त तक मुँह फेरे रहो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अतः एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो

وَأَبۡصِرۡهُمۡ فَسَوۡفَ یُبۡصِرُونَ ﴿175﴾

और इनको देखते रहो तो ये लोग अनक़रीब ही (अपना नतीजा) देख लेगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उन्हें देखते रहो। वे भी जल्द ही (अपना परिणाम) देख लेंगे

أَفَبِعَذَابِنَا یَسۡتَعۡجِلُونَ ﴿176﴾

तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या वे हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे हैं?

فَإِذَا نَزَلَ بِسَاحَتِهِمۡ فَسَاۤءَ صَبَاحُ ٱلۡمُنذَرِینَ ﴿177﴾

फिर जब (अज़ाब) उनकी अंगनाई में उतर पडेग़ा तो जो लोग डराए जा चुके हैं उनकी भी क्या बुरी सुबह होगी

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

तो जब वह उनके आँगन में उतरेगी तो बड़ी ही बुरी सुबह होगी उन लोगों की, जिन्हें सचेत किया जा चुका है!

وَتَوَلَّ عَنۡهُمۡ حَتَّىٰ حِینࣲ ﴿178﴾

और उन लोगों से एक ख़ास वक्त तक मुँह फेरे रहो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

एक अवधि तक के लिए उनसे रुख़ फेर लो

وَأَبۡصِرۡ فَسَوۡفَ یُبۡصِرُونَ ﴿179﴾

और देखते रहो ये लोग तो खुद अनक़रीब ही अपना अन्जाम देख लेगें

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और देखते रहो, वे जल्द ही देख लेंगे

سُبۡحَـٰنَ رَبِّكَ رَبِّ ٱلۡعِزَّةِ عَمَّا یَصِفُونَ ﴿180﴾

ये लोग जो बातें (खुदा के बारे में) बनाया करते हैं उनसे तुम्हारा परवरदिगार इज्ज़त का मालिक पाक साफ है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

महान और उच्च है तुम्हारा रब, प्रताप का स्वामी, उन बातों से जो वे बताते है!

وَسَلَـٰمٌ عَلَى ٱلۡمُرۡسَلِینَ ﴿181﴾

और पैग़म्बरों पर (दुरूद) सलाम हो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और सलाम है रसूलों पर;

وَٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلۡعَـٰلَمِینَ ﴿182﴾

और कुल तारीफ खुदा ही के लिए सज़ावार हैं जो सारे जहाँन का पालने वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

औऱ सब प्रशंसा अल्लाह, सारे संसार के रब के लिए है