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Surah The victory [Al-Fath] in Hindi

Surah The victory [Al-Fath] Ayah 29 Location Madanah Number 48

إِنَّا فَتَحۡنَا لَكَ فَتۡحࣰا مُّبِینࣰا ﴿1﴾

(ऐ रसूल) ये हुबैदिया की सुलह नहीं बल्कि हमने हक़ीक़तन तुमको खुल्लम खुल्ला फतेह अता की

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही हमने तुम्हारे लिए एक खुली विजय प्रकट की,

لِّیَغۡفِرَ لَكَ ٱللَّهُ مَا تَقَدَّمَ مِن ذَنۢبِكَ وَمَا تَأَخَّرَ وَیُتِمَّ نِعۡمَتَهُۥ عَلَیۡكَ وَیَهۡدِیَكَ صِرَ ٰ⁠طࣰا مُّسۡتَقِیمࣰا ﴿2﴾

ताकि ख़ुदा तुम्हारी उम्मत के अगले और पिछले गुनाह माफ़ कर दे और तुम पर अपनी नेअमत पूरी करे और तुम्हें सीधी राह पर साबित क़दम रखे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ताकि अल्लाह तुम्हारे अगले और पिछले गुनाहों को क्षमा कर दे और तुमपर अपनी अनुकम्पा पूर्ण कर दे और तुम्हें सीधे मार्ग पर चलाए,

وَیَنصُرَكَ ٱللَّهُ نَصۡرًا عَزِیزًا ﴿3﴾

और ख़ुदा तुम्हारी ज़बरदस्त मदद करे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और अल्लाह तुम्हें प्रभावकारी सहायता प्रदान करे

هُوَ ٱلَّذِیۤ أَنزَلَ ٱلسَّكِینَةَ فِی قُلُوبِ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ لِیَزۡدَادُوۤا۟ إِیمَـٰنࣰا مَّعَ إِیمَـٰنِهِمۡۗ وَلِلَّهِ جُنُودُ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِۚ وَكَانَ ٱللَّهُ عَلِیمًا حَكِیمࣰا ﴿4﴾

वह (वही) ख़ुदा तो है जिसने मोमिनीन के दिलों में तसल्ली नाज़िल फरमाई ताकि अपने (पहले) ईमान के साथ और ईमान को बढ़ाएँ और सारे आसमान व ज़मीन के लशकर तो ख़ुदा ही के हैं और ख़ुदा बड़ा वाक़िफकार हकीम है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वहीं है जिसने ईमानवालों के दिलों में सकीना (प्रशान्ति) उतारी, ताकि अपने ईमान के साथ वे और ईमान की अभिवृद्धि करें - आकाशों और धरती की सभी सेनाएँ अल्लाह ही की है, और अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है। -

لِّیُدۡخِلَ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ وَٱلۡمُؤۡمِنَـٰتِ جَنَّـٰتࣲ تَجۡرِی مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَـٰرُ خَـٰلِدِینَ فِیهَا وَیُكَفِّرَ عَنۡهُمۡ سَیِّـَٔاتِهِمۡۚ وَكَانَ ذَ ٰ⁠لِكَ عِندَ ٱللَّهِ فَوۡزًا عَظِیمࣰا ﴿5﴾

ताकि मोमिन मर्द और मोमिना औरतों को (बेहिश्त) के बाग़ों में जा पहुँचाए जिनके नीचे नहरें जारी हैं और ये वहाँ हमेशा रहेंगे और उनके गुनाहों को उनसे दूर कर दे और ये ख़ुदा के नज़दीक बड़ी कामयाबी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ताकि वह मोमिन पुरुषों औप मोमिन स्त्रियों को ऐसे बाग़ों में दाख़िल करे जिनके नीचे नहरें बहती होंगी कि वे उनमें सदैव रहें और उनसे उनकी बुराईयाँ दूर कर दे - यह अल्लाह के यहाँ बड़ी सफलता है। -

وَیُعَذِّبَ ٱلۡمُنَـٰفِقِینَ وَٱلۡمُنَـٰفِقَـٰتِ وَٱلۡمُشۡرِكِینَ وَٱلۡمُشۡرِكَـٰتِ ٱلظَّاۤنِّینَ بِٱللَّهِ ظَنَّ ٱلسَّوۡءِۚ عَلَیۡهِمۡ دَاۤىِٕرَةُ ٱلسَّوۡءِۖ وَغَضِبَ ٱللَّهُ عَلَیۡهِمۡ وَلَعَنَهُمۡ وَأَعَدَّ لَهُمۡ جَهَنَّمَۖ وَسَاۤءَتۡ مَصِیرࣰا ﴿6﴾

और मुनाफिक़ मर्द और मुनाफ़िक़ औरतों और मुशरिक मर्द और मुशरिक औरतों पर जो ख़ुदा के हक़ में बुरे बुरे ख्याल रखते हैं अज़ाब नाज़िल करे उन पर (मुसीबत की) बड़ी गर्दिश है (और ख़ुदा) उन पर ग़ज़बनाक है और उसने उस पर लानत की है और उनके लिए जहन्नुम को तैयार कर रखा है और वह (क्या) बुरी जगह है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और कपटाचारी पुरुषों और कपटाचारी स्त्रियों और बहुदेववादी पुरुषों और बहुदेववादी स्त्रियों को, जो अल्लाह के बारे में बुरा गुमान रखते है, यातना दे। उन्हीं पर बुराई की गर्दिश है। उनपर अल्लाह का क्रोध हुआ और उसने उनपर लानत की, और उसने उनके लिए जहन्नम तैयार कर रखा है, और वह अत्यन्त बुरा ठिकाना है!

وَلِلَّهِ جُنُودُ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِۚ وَكَانَ ٱللَّهُ عَزِیزًا حَكِیمًا ﴿7﴾

और सारे आसमान व ज़मीन के लश्कर ख़ुदा ही के हैं और ख़ुदा तो बड़ा वाक़िफ़कार (और) ग़ालिब है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

आकाशों और धरती की सब सेनाएँ अल्लाह ही की है। अल्लाह प्रभुत्वशाली, अत्यन्त तत्वदर्शी है

إِنَّاۤ أَرۡسَلۡنَـٰكَ شَـٰهِدࣰا وَمُبَشِّرࣰا وَنَذِیرࣰا ﴿8﴾

(ऐ रसूल) हमने तुमको (तमाम आलम का) गवाह और ख़ुशख़बरी देने वाला और धमकी देने वाला (पैग़म्बर बनाकर) भेजा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही हमने तुम्हें गवाही देनेवाला और शुभ सूचना देनेवाला और सचेतकर्त्ता बनाकर भेजा,

لِّتُؤۡمِنُوا۟ بِٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦ وَتُعَزِّرُوهُ وَتُوَقِّرُوهُۚ وَتُسَبِّحُوهُ بُكۡرَةࣰ وَأَصِیلًا ﴿9﴾

ताकि (मुसलमानों) तुम लोग ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाओ और उसकी मदद करो और उसको बुज़ुर्ग़ समझो और सुबह और शाम उसी की तस्बीह करो

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ताकि तुम अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाओ, उसे सहायता पहुँचाओ और उसका आदर करो, और प्रातःकाल और संध्या समय उसकी तसबीह करते रहो

إِنَّ ٱلَّذِینَ یُبَایِعُونَكَ إِنَّمَا یُبَایِعُونَ ٱللَّهَ یَدُ ٱللَّهِ فَوۡقَ أَیۡدِیهِمۡۚ فَمَن نَّكَثَ فَإِنَّمَا یَنكُثُ عَلَىٰ نَفۡسِهِۦۖ وَمَنۡ أَوۡفَىٰ بِمَا عَـٰهَدَ عَلَیۡهُ ٱللَّهَ فَسَیُؤۡتِیهِ أَجۡرًا عَظِیمࣰا ﴿10﴾

बेशक जो लोग तुमसे बैयत करते हैं वह ख़ुदा ही से बैयत करते हैं ख़ुदा की क़ूवत (कुदरत तो बस सबकी कूवत पर) ग़ालिब है तो जो अहद को तोड़ेगा तो अपने अपने नुक़सान के लिए अहद तोड़ता है और जिसने उस बात को जिसका उसने ख़ुदा से अहद किया है पूरा किया तो उसको अनक़रीब ही अज्रे अज़ीम अता फ़रमाएगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

(ऐ नबी) वे लोग जो तुमसे बैअत करते है वे तो वास्तव में अल्लाह ही से बैअत करते है। उनके हाथों के ऊपर अल्लाह का हाथ होता है। फिर जिस किसी ने वचन भंग किया तो वह वचन भंग करके उसका बवाल अपने ही सिर लेता है, किन्तु जिसने उस प्रतिज्ञा को पूरा किया जो उसने अल्लाह से की है तो उसे वह बड़ा बदला प्रदान करेगा

سَیَقُولُ لَكَ ٱلۡمُخَلَّفُونَ مِنَ ٱلۡأَعۡرَابِ شَغَلَتۡنَاۤ أَمۡوَ ٰ⁠لُنَا وَأَهۡلُونَا فَٱسۡتَغۡفِرۡ لَنَاۚ یَقُولُونَ بِأَلۡسِنَتِهِم مَّا لَیۡسَ فِی قُلُوبِهِمۡۚ قُلۡ فَمَن یَمۡلِكُ لَكُم مِّنَ ٱللَّهِ شَیۡـًٔا إِنۡ أَرَادَ بِكُمۡ ضَرًّا أَوۡ أَرَادَ بِكُمۡ نَفۡعَۢاۚ بَلۡ كَانَ ٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ خَبِیرَۢا ﴿11﴾

जो गंवार देहाती (हुदैबिया से) पीछे रह गए अब वह तुमसे कहेंगे कि हमको हमारे माल और लड़के वालों ने रोक रखा तो आप हमारे वास्ते (ख़ुदा से) मग़फिरत की दुआ माँगें ये लोग अपनी ज़बान से ऐसी बातें कहते हैं जो उनके दिल में नहीं (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर ख़ुदा तुम लोगों को नुक़सान पहुँचाना चाहे या तुम्हें फायदा पहुँचाने का इरादा करे तो ख़ुदा के मुक़ाबले में तुम्हारे लिए किसका बस चल सकता है बल्कि जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़ूब वाक़िफ है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जो बद्‌दू पीछे रह गए थे, वे अब तुमसे कहेगे, \"हमारे माल और हमारे घरवालों ने हमें व्यस्त कर रखा था; तो आप हमारे लिए क्षमा की प्रार्थना कीजिए।\" वे अपनी ज़बानों से वे बातें कहते है जो उनके दिलों में नहीं। कहना कि, \"कौन है जो अल्लाह के मुक़ाबले में तुम्हारे किए किसी चीज़ का अधिकार रखता है, यदि वह तुम्हें कोई हानि पहुँचानी चाहे या वह तुम्हें कोई लाभ पहुँचाने का इरादा करे? बल्कि जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी ख़बर रखता है। -

بَلۡ ظَنَنتُمۡ أَن لَّن یَنقَلِبَ ٱلرَّسُولُ وَٱلۡمُؤۡمِنُونَ إِلَىٰۤ أَهۡلِیهِمۡ أَبَدࣰا وَزُیِّنَ ذَ ٰ⁠لِكَ فِی قُلُوبِكُمۡ وَظَنَنتُمۡ ظَنَّ ٱلسَّوۡءِ وَكُنتُمۡ قَوۡمَۢا بُورࣰا ﴿12﴾

(ये फ़क़त तुम्हारे हीले हैं) बात ये है कि तुम ये समझे बैठे थे कि रसूल और मोमिनीन हरगिज़ कभी अपने लड़के वालों में पलट कर आने ही के नहीं (और सब मार डाले जाएँगे) और यही बात तुम्हारे दिलों में भी खप गयी थी और इसी वजह से, तुम तरह तरह की बदगुमानियाँ करने लगे थे और (आख़िरकार) तुम लोग आप बरबाद हुए

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

\"नहीं, बल्कि तुमने यह समझा कि रसूल और ईमानवाले अपने घरवालों की ओर लौटकर कभी न आएँगे और यह तुम्हारे दिलों को अच्छा लगा। तुमने तो बहुत बुरे गुमान किए और तुम्हीं लोग हुए तबाही में पड़नेवाले।\"

وَمَن لَّمۡ یُؤۡمِنۢ بِٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦ فَإِنَّاۤ أَعۡتَدۡنَا لِلۡكَـٰفِرِینَ سَعِیرࣰا ﴿13﴾

और जो शख़्श ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान न लाए तो हमने (ऐसे) काफ़िरों के लिए जहन्नुम की आग तैयार कर रखी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान न लाया, तो हमने भी इनकार करनेवालों के लिए भड़कती आग तैयार कर रखी है

وَلِلَّهِ مُلۡكُ ٱلسَّمَـٰوَ ٰ⁠تِ وَٱلۡأَرۡضِۚ یَغۡفِرُ لِمَن یَشَاۤءُ وَیُعَذِّبُ مَن یَشَاۤءُۚ وَكَانَ ٱللَّهُ غَفُورࣰا رَّحِیمࣰا ﴿14﴾

और सारे आसमान व ज़मीन की बादशाहत ख़ुदा ही की है जिसे चाहे बख्श दे और जिसे चाहे सज़ा दे और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह ही की है आकाशों और धरती की बादशाही। वह जिसे चाहे क्षमा करे और जिसे चाहे यातना दे। और अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है

سَیَقُولُ ٱلۡمُخَلَّفُونَ إِذَا ٱنطَلَقۡتُمۡ إِلَىٰ مَغَانِمَ لِتَأۡخُذُوهَا ذَرُونَا نَتَّبِعۡكُمۡۖ یُرِیدُونَ أَن یُبَدِّلُوا۟ كَلَـٰمَ ٱللَّهِۚ قُل لَّن تَتَّبِعُونَا كَذَ ٰ⁠لِكُمۡ قَالَ ٱللَّهُ مِن قَبۡلُۖ فَسَیَقُولُونَ بَلۡ تَحۡسُدُونَنَاۚ بَلۡ كَانُوا۟ لَا یَفۡقَهُونَ إِلَّا قَلِیلࣰا ﴿15﴾

(मुसलमानों) अब जो तुम (ख़ैबर की) ग़नीमतों के लेने को जाने लगोगे तो जो लोग (हुदैबिया से) पीछे रह गये थे तुम से कहेंगे कि हमें भी अपने साथ चलने दो ये चाहते हैं कि ख़ुदा के क़ौल को बदल दें तुम (साफ) कह दो कि तुम हरगिज़ हमारे साथ नहीं चलने पाओगे ख़ुदा ने पहले ही से ऐसा फ़रमा दिया है तो ये लोग कहेंगे कि तुम लोग तो हमसे हसद रखते हो (ख़ुदा ऐसा क्या कहेगा) बात ये है कि ये लोग बहुत ही कम समझते हैं

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जब तुम ग़नीमतों को प्राप्त करने के लिए उनकी ओर चलोगे तो पीछे रहनेवाले कहेंगे, \"हमें भी अनुमति दी जाए कि हम तुम्हारे साथ चले।\" वे चाहते है कि अल्लाह का कथन को बदल दे। कह देना, \"तुम हमारे साथ कदापि नहीं चल सकते। अल्लाह ने पहले ही ऐसा कह दिया है।\" इसपर वे कहेंगे, \"नहीं, बल्कि तुम हमसे ईर्ष्या कर रहे हो।\" नहीं, बल्कि वे लोग समझते थोड़े ही है

قُل لِّلۡمُخَلَّفِینَ مِنَ ٱلۡأَعۡرَابِ سَتُدۡعَوۡنَ إِلَىٰ قَوۡمٍ أُو۟لِی بَأۡسࣲ شَدِیدࣲ تُقَـٰتِلُونَهُمۡ أَوۡ یُسۡلِمُونَۖ فَإِن تُطِیعُوا۟ یُؤۡتِكُمُ ٱللَّهُ أَجۡرًا حَسَنࣰاۖ وَإِن تَتَوَلَّوۡا۟ كَمَا تَوَلَّیۡتُم مِّن قَبۡلُ یُعَذِّبۡكُمۡ عَذَابًا أَلِیمࣰا ﴿16﴾

कि जो गवॉर पीछे रह गए थे उनसे कह दो कि अनक़रीब ही तुम सख्त जंगजू क़ौम के (साथ लड़ने के लिए) बुलाए जाओगे कि तुम (या तो) उनसे लड़ते ही रहोगे या मुसलमान ही हो जाएँगे पस अगर तुम (ख़ुदा का) हुक्म मानोगे तो ख़ुदा तुमको अच्छा बदला देगा और अगर तुमने जिस तरह पहली दफा सरताबी की थी अब भी सरताबी करोगे तो वह तुमको दर्दनाक अज़ाब की सज़ा देगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

पीछे रह जानेवाले बद्‌दूओं से कहना, \"शीघ्र ही तुम्हें ऐसे लोगों की ओर बुलाया जाएगा जो बड़े युद्धवीर है कि तुम उनसे लड़ो या वे आज्ञाकारी हो जाएँ। तो यदि तुम आज्ञाकारी हो जाएँ। तो यदि तुम आज्ञापालन करोगे तो अल्लाह तुम्हें अच्छा बदला प्रदान करेगा। किन्तु यदि तुम फिर गए, जैसे पहले फिर गए थे, तो वह तुम्हें दुखद यातना देगा।\"

لَّیۡسَ عَلَى ٱلۡأَعۡمَىٰ حَرَجࣱ وَلَا عَلَى ٱلۡأَعۡرَجِ حَرَجࣱ وَلَا عَلَى ٱلۡمَرِیضِ حَرَجࣱۗ وَمَن یُطِعِ ٱللَّهَ وَرَسُولَهُۥ یُدۡخِلۡهُ جَنَّـٰتࣲ تَجۡرِی مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَـٰرُۖ وَمَن یَتَوَلَّ یُعَذِّبۡهُ عَذَابًا أَلِیمࣰا ﴿17﴾

(जेहाद से पीछे रह जाने का) न तो अन्धे ही पर कुछ गुनाह है और न लँगड़े पर गुनाह है और न बीमार पर गुनाह है और जो शख़्श ख़ुदा और उसके रसूल का हुक्म मानेगा तो वह उसको (बेहिश्त के) उन सदाबहार बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होंगी और जो सरताबी करेगा वह उसको दर्दनाक अज़ाब की सज़ा देगा

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

न अन्धे के लिए कोई हरज है, न लँगडे के लिए कोई हरज है और न बीमार के लिए कोई हरज है। जो भी अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करेगा, उसे वह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करके, जिनके नीचे नहरे बह रही होगी, किन्तु जो मुँह फेरेगा उसे वह दुखद यातना देगा

۞ لَّقَدۡ رَضِیَ ٱللَّهُ عَنِ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ إِذۡ یُبَایِعُونَكَ تَحۡتَ ٱلشَّجَرَةِ فَعَلِمَ مَا فِی قُلُوبِهِمۡ فَأَنزَلَ ٱلسَّكِینَةَ عَلَیۡهِمۡ وَأَثَـٰبَهُمۡ فَتۡحࣰا قَرِیبࣰا ﴿18﴾

जिस वक्त मोमिनीन तुमसे दरख्त के नीचे (लड़ने मरने) की बैयत कर रहे थे तो ख़ुदा उनसे इस (बात पर) ज़रूर ख़ुश हुआ ग़रज़ जो कुछ उनके दिलों में था ख़ुदा ने उसे देख लिया फिर उन पर तस्सली नाज़िल फरमाई और उन्हें उसके एवज़ में बहुत जल्द फ़तेह इनायत की

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही अल्लाह मोमिनों से प्रसन्न हुआ, जब वे वृक्ष के नीचे तुमसे बैअत कर रहे थे। उसने जान लिया जो कुछ उनके दिलों में था। अतः उनपर उसने सकीना (प्रशान्ति) उतारी और बदले में उन्हें मिलनेवाली विजय निश्चित कर दी;

وَمَغَانِمَ كَثِیرَةࣰ یَأۡخُذُونَهَاۗ وَكَانَ ٱللَّهُ عَزِیزًا حَكِیمࣰا ﴿19﴾

और (इसके अलावा) बहुत सी ग़नीमतें (भी) जो उन्होने हासिल की (अता फरमाई) और ख़ुदा तो ग़ालिब (और) हिकमत वाला है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और बहुत-सी ग़नीमतें भी, जिन्हें वे प्राप्त करेंगे। अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है

وَعَدَكُمُ ٱللَّهُ مَغَانِمَ كَثِیرَةࣰ تَأۡخُذُونَهَا فَعَجَّلَ لَكُمۡ هَـٰذِهِۦ وَكَفَّ أَیۡدِیَ ٱلنَّاسِ عَنكُمۡ وَلِتَكُونَ ءَایَةࣰ لِّلۡمُؤۡمِنِینَ وَیَهۡدِیَكُمۡ صِرَ ٰ⁠طࣰا مُّسۡتَقِیمࣰا ﴿20﴾

ख़ुदा ने तुमसे बहुत सी ग़नीमतों का वायदा फरमाया था कि तुम उन पर काबिज़ हो गए तो उसने तुम्हें ये (ख़ैबर की ग़नीमत) जल्दी से दिलवा दीं और (हुबैदिया से) लोगों की दराज़ी को तुमसे रोक दिया और ग़रज़ ये थी कि मोमिनीन के लिए (क़ुदरत) का नमूना हो और ख़ुदा तुमको सीधी राह पर ले चले

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह ने तुमसे बहुत-सी गंनीमतों का वादा किया हैं, जिन्हें तुम प्राप्त करोगे। यह विजय तो उसने तुम्हें तात्कालिक रूप से निश्चित कर दी। और लोगों के हाथ तुमसे रोक दिए (कि वे तुमपर आक्रमण करने का साहस न कर सकें) और ताकि ईमानवालों के लिए एक निशानी हो। और वह सीधे मार्ग की ओर तुम्हारा मार्गदर्शन करे

وَأُخۡرَىٰ لَمۡ تَقۡدِرُوا۟ عَلَیۡهَا قَدۡ أَحَاطَ ٱللَّهُ بِهَاۚ وَكَانَ ٱللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَیۡءࣲ قَدِیرࣰا ﴿21﴾

और दूसरी (ग़नीमतें भी दी) जिन पर तुम क़ुदरत नहीं रखते थे (और) ख़ुदा ही उन पर हावी था और ख़ुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इसके अतिरिक्त दूसरी और विजय का भी वादा है, जिसकी सामर्थ्य अभी तुम्हे प्राप्त नहीं, उन्हें अल्लाह ने घेर रखा है। अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है

وَلَوۡ قَـٰتَلَكُمُ ٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ لَوَلَّوُا۟ ٱلۡأَدۡبَـٰرَ ثُمَّ لَا یَجِدُونَ وَلِیࣰّا وَلَا نَصِیرࣰا ﴿22﴾

(और) अगर कुफ्फ़ार तुमसे लड़ते तो ज़रूर पीठ फेर कर भाग जाते फिर वह न (अपना) किसी को सरपरस्त ही पाते न मददगार

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि (मक्का के) इनकार करनेवाले तुमसे लड़ते तो अवश्य ही पीठ फेर जाते। फिर यह भी कि वे न तो कोई संरक्षक पाएँगे और न कोई सहायक

سُنَّةَ ٱللَّهِ ٱلَّتِی قَدۡ خَلَتۡ مِن قَبۡلُۖ وَلَن تَجِدَ لِسُنَّةِ ٱللَّهِ تَبۡدِیلࣰا ﴿23﴾

यही ख़ुदा की आदत है जो पहले ही से चली आती है और तुम ख़ुदा की आदत को बदलते न देखोगे

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यह अल्लाह की उस रीति के अनुकूल है जो पहले से चली आई है, और तुम अल्लाह की रीति में कदापि कोई परिवर्तन न पाओगे

وَهُوَ ٱلَّذِی كَفَّ أَیۡدِیَهُمۡ عَنكُمۡ وَأَیۡدِیَكُمۡ عَنۡهُم بِبَطۡنِ مَكَّةَ مِنۢ بَعۡدِ أَنۡ أَظۡفَرَكُمۡ عَلَیۡهِمۡۚ وَكَانَ ٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ بَصِیرًا ﴿24﴾

और वह वही तो है जिसने तुमको उन कुफ्फ़ार पर फ़तेह देने के बाद मक्के की सरहद पर उनके हाथ तुमसे और तुम्हारे हाथ उनसे रोक दिए और तुम लोग जो कुछ भी करते थे ख़ुदा उसे देख रहा था

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वही है जिसने उसके हाथ तुमसे और तुम्हारे हाथ उनसे मक्के की घाटी में रोक दिए इसके पश्चात कि वह तुम्हें उनपर प्रभावी कर चुका था। अल्लाह उसे देख रहा था जो कुछ तुम कर रहे थे

هُمُ ٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ وَصَدُّوكُمۡ عَنِ ٱلۡمَسۡجِدِ ٱلۡحَرَامِ وَٱلۡهَدۡیَ مَعۡكُوفًا أَن یَبۡلُغَ مَحِلَّهُۥۚ وَلَوۡلَا رِجَالࣱ مُّؤۡمِنُونَ وَنِسَاۤءࣱ مُّؤۡمِنَـٰتࣱ لَّمۡ تَعۡلَمُوهُمۡ أَن تَطَـُٔوهُمۡ فَتُصِیبَكُم مِّنۡهُم مَّعَرَّةُۢ بِغَیۡرِ عِلۡمࣲۖ لِّیُدۡخِلَ ٱللَّهُ فِی رَحۡمَتِهِۦ مَن یَشَاۤءُۚ لَوۡ تَزَیَّلُوا۟ لَعَذَّبۡنَا ٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ مِنۡهُمۡ عَذَابًا أَلِیمًا ﴿25﴾

ये वही लोग तो हैं जिन्होने कुफ़्र किया और तुमको मस्जिदुल हराम (में जाने) से रोका और क़ुरबानी के जानवरों को भी (न आने दिया) कि वह अपनी (मुक़र्रर) जगह (में) पहुँचने से रूके रहे और अगर कुछ ऐसे ईमानदार मर्द और ईमानदार औरतें न होती जिनसे तुम वाक़िफ न थे कि तुम उनको (लड़ाई में कुफ्फ़ार के साथ) पामाल कर डालते पस तुमको उनकी तरफ से बेख़बरी में नुकसान पहँच जाता (तो उसी वक्त तुमको फतेह हुई मगर ताख़ीर) इसलिए (हुई) कि ख़ुदा जिसे चाहे अपनी रहमत में दाख़िल करे और अगर वह (ईमानदार कुफ्फ़ार से) अलग हो जाते तो उनमें से जो लोग काफ़िर थे हम उन्हें दर्दनाक अज़ाब की ज़रूर सज़ा देते

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ये वही लोग तो है जिन्होंने इनकार किया और तुम्हें मस्जिदे हराम (काबा) से रोक दिया और क़ुरबानी के बँधे हुए जानवरों को भी इससे रोके रखा कि वे अपने ठिकाने पर पहुँचे। यदि यह ख़याल न होता कि बहुत-से मोमिन पुरुष और मोमिन स्त्रियाँ (मक्का में) मौजूद है, जिन्हें तुम नहीं जानते, उन्हें कुचल दोगे, फिर उनके सिलसिले में अनजाने तुमपर इल्ज़ाम आएगा (तो युद्ध की अनुमति दे दी जाती, अनुमति इसलिए नहीं दी गई) ताकि अल्लाह जिसे चाहे अपनी दयालुता में दाख़िल कर ले। यदि वे ईमानवाले अलग हो गए होते तो उनमें से जिन लोगों ने इनकार किया उनको हम अवश्य दुखद यातना देते

إِذۡ جَعَلَ ٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ فِی قُلُوبِهِمُ ٱلۡحَمِیَّةَ حَمِیَّةَ ٱلۡجَـٰهِلِیَّةِ فَأَنزَلَ ٱللَّهُ سَكِینَتَهُۥ عَلَىٰ رَسُولِهِۦ وَعَلَى ٱلۡمُؤۡمِنِینَ وَأَلۡزَمَهُمۡ كَلِمَةَ ٱلتَّقۡوَىٰ وَكَانُوۤا۟ أَحَقَّ بِهَا وَأَهۡلَهَاۚ وَكَانَ ٱللَّهُ بِكُلِّ شَیۡءٍ عَلِیمࣰا ﴿26﴾

(ये वह वक्त) था जब काफ़िरों ने अपने दिलों में ज़िद ठान ली थी और ज़िद भी तो जाहिलियत की सी तो ख़ुदा ने अपने रसूल और मोमिनीन (के दिलों) पर अपनी तरफ़ से तसकीन नाज़िल फ़रमाई और उनको परहेज़गारी की बात पर क़ायम रखा और ये लोग उसी के सज़ावार और अहल भी थे और ख़ुदा तो हर चीज़ से ख़बरदार है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

याद करो जब इनकार करनेवाले लोगों ने अपने दिलों में हठ को जगह दी, अज्ञानपूर्ण हठ को; तो अल्लाह ने अपने रसूल पर और ईमानवालो पर सकीना (प्रशान्ति) उतारी और उन्हें परहेज़गारी (धर्मपरायणता) की बात का पाबन्द रखा। वे इसके ज़्यादा हक़दार और इसके योग्य भी थे। अल्लाह तो हर चीज़ जानता है

لَّقَدۡ صَدَقَ ٱللَّهُ رَسُولَهُ ٱلرُّءۡیَا بِٱلۡحَقِّۖ لَتَدۡخُلُنَّ ٱلۡمَسۡجِدَ ٱلۡحَرَامَ إِن شَاۤءَ ٱللَّهُ ءَامِنِینَ مُحَلِّقِینَ رُءُوسَكُمۡ وَمُقَصِّرِینَ لَا تَخَافُونَۖ فَعَلِمَ مَا لَمۡ تَعۡلَمُوا۟ فَجَعَلَ مِن دُونِ ذَ ٰ⁠لِكَ فَتۡحࣰا قَرِیبًا ﴿27﴾

बेशक ख़ुदा ने अपने रसूल को सच्चा मुताबिके वाक़ेया ख्वाब दिखाया था कि तुम लोग इन्शाअल्लाह मस्जिदुल हराम में अपने सर मुँडवा कर और अपने थोड़े से बाल कतरवा कर बहुत अमन व इत्मेनान से दाख़िल होंगे (और) किसी तरह का ख़ौफ न करोगे तो जो बात तुम नहीं जानते थे उसको मालूम थी तो उसने फ़तेह मक्का से पहले ही बहुत जल्द फतेह अता की

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निश्चय ही अल्लाह ने अपने रसूल को हक़ के साथ सच्चा स्वप्न दिखाया, \"यदि अल्लाह ने चाहा तो तुम अवश्य मस्जिदे हराम (काबा) में प्रवेश करोगे बेखटके, अपने सिर के बाल मुड़ाते और कतरवाते हुए, तुम्हें कोई भय न होगा।\" हुआ यह कि उसने वह बात जान ली जो तुमने नहीं जानी। अतः इससे पहले उसने शीघ्र प्राप्त होनेवाली विजय तुम्हारे लिए निश्चिंत कर दी

هُوَ ٱلَّذِیۤ أَرۡسَلَ رَسُولَهُۥ بِٱلۡهُدَىٰ وَدِینِ ٱلۡحَقِّ لِیُظۡهِرَهُۥ عَلَى ٱلدِّینِ كُلِّهِۦۚ وَكَفَىٰ بِٱللَّهِ شَهِیدࣰا ﴿28﴾

वह वही तो है जिसने अपने रसूल को हिदायत और सच्चा दीन देकर भेजा ताकि उसको तमाम दीनों पर ग़ालिब रखे और गवाही के लिए तो बस ख़ुदा ही काफ़ी है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

वही है जिसने अपने रसूल को मार्गदर्शन और सत्यधर्म के साथ भेजा, ताकि उसे पूरे के पूरे धर्म पर प्रभुत्व प्रदान करे और गवाह की हैसियत से अल्लाह काफ़ी है

مُّحَمَّدٞ رَّسُولُ ٱللَّهِۚ وَٱلَّذِينَ مَعَهُۥٓ أَشِدَّآءُ عَلَى ٱلۡكُفَّارِ رُحَمَآءُ بَيۡنَهُمۡۖ تَرَىٰهُمۡ رُكَّعٗا سُجَّدٗا يَبۡتَغُونَ فَضۡلٗا مِّنَ ٱللَّهِ وَرِضۡوَٰنٗاۖ سِيمَاهُمۡ فِي وُجُوهِهِم مِّنۡ أَثَرِ ٱلسُّجُودِۚ ذَٰلِكَ مَثَلُهُمۡ فِي ٱلتَّوۡرَىٰةِۚ وَمَثَلُهُمۡ فِي ٱلۡإِنجِيلِ كَزَرۡعٍ أَخۡرَجَ شَطۡـَٔهُۥ فَـَٔازَرَهُۥ فَٱسۡتَغۡلَظَ فَٱسۡتَوَىٰ عَلَىٰ سُوقِهِۦ يُعۡجِبُ ٱلزُّرَّاعَ لِيَغِيظَ بِهِمُ ٱلۡكُفَّارَۗ وَعَدَ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّٰلِحَٰتِ مِنۡهُم مَّغۡفِرَةٗ وَأَجۡرًا عَظِيمَۢا ﴿29﴾

मोहम्मद ख़ुदा के रसूल हैं और जो लोग उनके साथ हैं काफ़िरों पर बड़े सख्त और आपस में बड़े रहम दिल हैं तू उनको देखेगा (कि ख़ुदा के सामने) झुके सर बसजूद हैं ख़ुदा के फज़ल और उसकी ख़ुशनूदी के ख्वास्तगार हैं कसरते सुजूद के असर से उनकी पेशानियों में घट्टे पड़े हुए हैं यही औसाफ़ उनके तौरेत में भी हैं और यही हालात इंजील में (भी मज़कूर) हैं गोया एक खेती है जिसने (पहले ज़मीन से) अपनी सूई निकाली फिर (अजज़ा ज़मीन को गेज़ा बनाकर) उसी सूई को मज़बूत किया तो वह मोटी हुई फिर अपनी जड़ पर सीधी खड़ी हो गयी और अपनी ताज़गी से किसानों को ख़ुश करने लगी और इतनी जल्दी तरक्क़ी इसलिए दी ताकि उनके ज़रिए काफ़िरों का जी जलाएँ जो लोग ईमान लाए और अच्छे (अच्छे) काम करते रहे ख़ुदा ने उनसे बख़्शिस और अज्रे अज़ीम का वायदा किया है

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अल्लाह के रसूल मुहम्मद और जो लोग उनके साथ हैं, वे इनकार करनेवालों पर भारी हैं, आपस में दयालु है। तुम उन्हें रुकू में, सजदे में, अल्लाह का उदार अनुग्रह और उसकी प्रसन्नता चाहते हुए देखोगे। वे अपने चहरों से पहचाने जाते हैं जिनपर सजदों का प्रभाव है। यही उनकी विशेषता तौरात में और उनकी विशेषता इंजील में उस खेती की तरह उल्लिखित है जिसने अपना अंकुर निकाला; फिर उसे शक्ति पहुँचाई तो वह मोटा हुआ और वह अपने तने पर सीधा खड़ा हो गया। खेती करनेवालों को भा रहा है, ताकि उनसे इनकार करनेवालों का भी जी जलाए। उनमें से जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनसे अल्लाह ने क्षमा और बदले का वादा किया है