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Surah The Sundering, Splitting Open [Al-Inshiqaq] in Hindi
وَأَذِنَتۡ لِرَبِّهَا وَحُقَّتۡ ﴿2﴾
और अपने परवरदिगार का हुक्म बजा लाएगा और उसे वाजिब भी यही है
और वह अपने रब की सुनेगा, और उसे यही चाहिए भी
وَإِذَا ٱلۡأَرۡضُ مُدَّتۡ ﴿3﴾
और जब ज़मीन (बराबर करके) तान दी जाएगी
जब धरती फैला दी जाएगी
وَأَلۡقَتۡ مَا فِیهَا وَتَخَلَّتۡ ﴿4﴾
और जो कुछ उसमें है उगल देगी और बिल्कुल ख़ाली हो जाएगी
और जो कुछ उसके भीतर है उसे बाहर डालकर खाली हो जाएगी
وَأَذِنَتۡ لِرَبِّهَا وَحُقَّتۡ ﴿5﴾
और अपने परवरदिगार का हुक्म बजा लाएगी
और वह अपने रब की सुनेगी, और उसे यही चाहिए भी
یَـٰۤأَیُّهَا ٱلۡإِنسَـٰنُ إِنَّكَ كَادِحٌ إِلَىٰ رَبِّكَ كَدۡحࣰا فَمُلَـٰقِیهِ ﴿6﴾
और उस पर लाज़िम भी यही है (तो क़यामत आ जाएगी) ऐ इन्सान तू अपने परवरदिगार की हुज़ूरी की कोशिश करता है
ऐ मनुष्य! तू मशक़्क़त करता हुआ अपने रब ही की ओर खिंचा चला जा रहा है और अन्ततः उससे मिलने वाला है
فَأَمَّا مَنۡ أُوتِیَ كِتَـٰبَهُۥ بِیَمِینِهِۦ ﴿7﴾
तो तू (एक न एक दिन) उसके सामने हाज़िर होगा फिर (उस दिन) जिसका नामाए आमाल उसके दाहिने हाथ में दिया जाएगा
फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया,
فَسَوۡفَ یُحَاسَبُ حِسَابࣰا یَسِیرࣰا ﴿8﴾
उससे तो हिसाब आसान तरीके से लिया जाएगा
तो उससे आसान, सरसरी हिसाब लिया जाएगा
وَیَنقَلِبُ إِلَىٰۤ أَهۡلِهِۦ مَسۡرُورࣰا ﴿9﴾
और (फिर) वह अपने (मोमिनीन के) क़बीले की तरफ ख़ुश ख़ुश पलटेगा
और वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश पलटेगा
وَأَمَّا مَنۡ أُوتِیَ كِتَـٰبَهُۥ وَرَاۤءَ ظَهۡرِهِۦ ﴿10﴾
लेकिन जिस शख़्श को उसका नामए आमल उसकी पीठ के पीछे से दिया जाएगा
और रह वह व्यक्ति जिसका कर्म-पत्र (उसके बाएँ हाथ में) उसकी पीठ के पीछे से दिया गया,
فَسَوۡفَ یَدۡعُوا۟ ثُبُورࣰا ﴿11﴾
वह तो मौत की दुआ करेगा
तो वह विनाश (मृत्यु) को पुकारेगा,
إِنَّهُۥ كَانَ فِیۤ أَهۡلِهِۦ مَسۡرُورًا ﴿13﴾
ये शख़्श तो अपने लड़के बालों में मस्त रहता था
वह अपने लोगों में मग्न था,
إِنَّهُۥ ظَنَّ أَن لَّن یَحُورَ ﴿14﴾
और समझता था कि कभी (ख़ुदा की तरफ) फिर कर जाएगा ही नहीं
उसने यह समझ रखा था कि उसे कभी पलटना नहीं है
بَلَىٰۤۚ إِنَّ رَبَّهُۥ كَانَ بِهِۦ بَصِیرࣰا ﴿15﴾
हाँ उसका परवरदिगार यक़ीनी उसको देख भाल कर रहा है
क्यों नहीं, निश्चय ही उसका रब तो उसे देख रहा था!
فَلَاۤ أُقۡسِمُ بِٱلشَّفَقِ ﴿16﴾
तो मुझे शाम की मुर्ख़ी की क़सम
अतः कुछ नहीं, मैं क़सम खाता हूँ सांध्य-लालिमा की,
وَٱلَّیۡلِ وَمَا وَسَقَ ﴿17﴾
और रात की और उन चीज़ों की जिन्हें ये ढाँक लेती है
और रात की और उसके समेट लेने की,
وَٱلۡقَمَرِ إِذَا ٱتَّسَقَ ﴿18﴾
और चाँद की जब पूरा हो जाए
और चन्द्रमा की जबकि वह पूर्ण हो जाता है,
لَتَرۡكَبُنَّ طَبَقًا عَن طَبَقࣲ ﴿19﴾
कि तुम लोग ज़रूर एक सख्ती के बाद दूसरी सख्ती में फँसोगे
निश्चय ही तुम्हें मंजिल पर मंजिल चढ़ना है
فَمَا لَهُمۡ لَا یُؤۡمِنُونَ ﴿20﴾
तो उन लोगों को क्या हो गया है कि ईमान नहीं ईमान नहीं लाते
फिर उन्हें क्या हो गया है कि ईमान नहीं लाते?
وَإِذَا قُرِئَ عَلَیۡهِمُ ٱلۡقُرۡءَانُ لَا یَسۡجُدُونَ ۩ ﴿21﴾
और जब उनके सामने क़ुरान पढ़ा जाता है तो (ख़ुदा का) सजदा नहीं करते (21) (सजदा)
और जब उन्हें कुरआन पढ़कर सुनाया जाता है तो सजदे में नहीं गिर पड़ते?
بَلِ ٱلَّذِینَ كَفَرُوا۟ یُكَذِّبُونَ ﴿22﴾
बल्कि काफ़िर लोग तो (और उसे) झुठलाते हैं
नहीं, बल्कि इनकार करनेवाले तो झुठलाते है,
وَٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِمَا یُوعُونَ ﴿23﴾
और जो बातें ये लोग अपने दिलों में छिपाते हैं ख़ुदा उसे ख़ूब जानता है
हालाँकि जो कुछ वे अपने अन्दर एकत्र कर रहे है, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है
فَبَشِّرۡهُم بِعَذَابٍ أَلِیمٍ ﴿24﴾
तो (ऐ रसूल) उन्हें दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी दे दो
अतः उन्हें दुखद यातना की मंगल सूचना दे दो
إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ لَهُمْ أَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُونٍۭ ﴿25﴾
मगर जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे अच्छे काम किए उनके लिए बेइन्तिहा अज्र (व सवाब है)
अलबत्ता जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए कभी न समाप्त॥ होनेवाला प्रतिदान है
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